15/05/2024
क्यों नहीं रूक रही पंजाब में बे अदबी की घटनायें?
बेअदबी की घटनाओं को रोकने वाली सरकारें कर रही है हिुदुओं की आस्था से खिलवाड़?
मङ्क्षदर को जेबीसी से तोडने वालों पर क्यों नहीं हो रही अब तक कार्र्र्यवाई?
सड़कों पर भगवान को बिठा कर हम क्या बेअदबी की घटनाओ को बढा रहे हे?
बिना छत व बिना चार दिवारी के इष्टदेव को बिठा कर कैसे उनकी कृपा प्राप्त करेगें हम?
हिंदु नेताओं ने इस तरह के मामले में क्यों की है आंखे बंद?
नाजायज कब्जे करने वालों पर प्रशासन अगर आंखे खोल कर रखे तो इस तरह की घटनाओं में होगी कमी!
कितने दुख की बात है कि भ्रष्टाचार, रेत माफिया, लूट खसूट, छीना झपटी व बेअदबी जैसी घटनाओं को रोकने के वादे जनता से करके सता प्राप्त करने के लगभग सवा दो वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार भ्रष्टाचार, रेत माफिया, लूट खसूट, छीना झपटी को रोकना तो क्या बल्कि मौजूदा सरकार के राज में भ्रष्टाचार और बढ गया है वहीं बेअदबी की घटनाओं को रोकने व पिछले समय मे बे-अदबी करने वालों पर सख्त कार्यवाई करने का दावा करने वालों का यह हाल है कि अब बे-अदबी किसी भी धर्म की ना हो उस पर कोई सख्त कानून या नियम भी पंजाब सरकार नहीं बना सकी। जिसके चलते आये दिन कहीं ना कही बे-अदबी की घटनायें सुनने को मिल जाती है।
हिदुं मदिरों या मूर्तियों की बे-अदबी की अगर बात करे तो मैं समझता हूं कि उसमें सब से बढी जिम्मेवारी हम सब हिंदुओं की हे जो मङ्क्षदरों में जा कर पूजा अर्चना करते हे या अपने आप को हिंदु नेता कहने वाले हमारे कुछ भाई हे जो लोगों को अपने धर्म के प्रति जागरूक नहीं करते और यह नहीं बताते कि भगवान की मूर्ति कहांं होनी चाहिये और कहा नंहीं? जिस भगवान की हम पृूजा करते है अपना इष्ट देव मानते हे, उसे हम सड़कों पर बिठा देते हे, वर्षो तक धूप, अंधेरी व वर्षा में हमारे इष्ट देव खुले आसमान में रहते है पर हम सब अपने घरों में ऐ.सी. में सोते रहते है। इतना ही नहीं हमारे ही कुछ भाईयों ने अपने घरों के बाहर छोटे छोटे मङ्क्षदर बना रखे है ताकि हमें पूजा करने के लिये ५०-१०० मीटर भी पैदल चल कर अन्य मङ्क्षदर में ना जाना पड़े। खुले आसमान के नीचे बने मंदिरों में हमारे इष्ट देवता की पूजा तो हम सुबह शाम करते है पर उक्त जगह पर हमारे भगवान को छत भी हम बना कर दे दें, इस बारे कोई नहीं सोचता, बिना छत में रहने वाले हमारे इष्ट देवता की जगह पर रात्रि को कोई कुत्ता, बिल्ली या या अन्य कोई पशू पक्षी आदि आ कर बैठते हे, उस पर हमने कभी ध्यान नहीं दिया। जिन लोगों ने सड़कों पर मङ्क्षदर बना कर छोडे हुये है और बाहर बैठ कर पूजा अर्चना या संतसंग आदि करते हे, रात्रि को उक्त घरों के बाहर सडकों पर बने छोटे मङ्क्षदरों मेें जहां पर भगवान तो है पर उनकी देख भाल करने वाला, जिसने मङ्क्षदर बनाया है वह खुद अपने घर के अंदर ए. सी. में आराम से सो रहा होता है। कितने दुख की बात है कि जिस को हम अपना इष्ट देव मानते हे उसको अपने घर में दो फुट की जगह भी नहीं दे सकते। उसके लिये भी सरकारी जगह पर कब्जा चाहिये। राजपुरा में सडकों पर या पीपल आदि के नीचे दर्जनों मंदिर बने हुये हे और वहां पर पूजा अर्चना होती है, जिन भगवान या इष्ट देव से हम घर में सुख शांती,धन दोलत,बच्चो की तरक्की, परिवार की खुशी आदि की फर्याद लेकर जाते है और उनसे पूरा करने की उम्मीद भी हम करते हे पर उक्त हमारे इष्ट देव को हम एक छत भी नहीं दे सकते और बिना छत के रहने के लिये छोड देते हे उनसे हम किसी वस्तू की कैसे उम्मीद कर सकते हे।
कितने दुख की बात है कि हमारे हिंदु नेता जो अल्ग अल्ग सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुडे हुये हे, क्यां उन्हे यह नहीं दिखता की हमारे इष्ट देव बिना छत के सडकों पर पेडों के नीचे या खुले आसमान के क्यों रह रहे है, रात्रि को वहां पर आ कर कोई व्यक्ति या पशू पक्षी आदि किसी किसम की बेअदबी कर जाये या ऐसा ही कह सकते हे कि कर गया हो तो हम उसे क्या कहेगें? अपने आप को हिदुं नेता कहने वाले व धार्मिक संस्थाओं के साथ जुडे हमारे भाईयों ने क्यां इस और कभी ध्यान दिया है? क्या यह हिदुओं के भगवान या इष्ट देव जी की बे-अदबी नहीं? इसमें कोई शक नहीं कि इलाके में बहुत बढे धार्मिक स्थान सरकारी जमीनों पर कब्जा कर बनायें गये है जिनमें कुछ मङ्क्षदर, गुरूद्वारा साहब या मस्जिद या मजारे भी है, श्री गुरू ग्रंथ साहब कहीं भी बिना छत के या गुरूद्वारा साहब के बाहर खुलेआसमान में नहीं मिलेगें, पर हिंदु धर्म के हमारे पूज्यनीय,अराधनीय इष्ट देव पीपल, बेल पत्र या अन्य जगहों पर खुले आसमान में बिना छत के मिल जायेगें, कई जगह मजारे भी बिना छत के सडकों के किनारे बनी मिल जायेगी। पर जहां पर बिना छत या बिना चार दिवारी, गेट आदि के भगवान रहेगें वहां पर तो रात के अंधेरे में कोई क्या कर जाये? हम क्या कह सकते है? इस के लिये तो मैं सभी हिंदु भाईयो व बहनों से यह कहूंगा कि सड़कों पर खुले आसमान के नीचे अपने इष्ट देव को हम ना बैठायें,जहां पर हमारे इष्ट देव किसी भी रूप में विराज मान है, उनको छत व चार दिवारी दिलायें, कोशिश करे की हम मङ्क्षदर की आड़ में सड़कों पर कब्जा ना क, ताकि हमारे लिये आने जाने के रास्ते में किसी किसम की रूकावट कम से कम बढती आबदी के कारण ना आये। अगर आप ५०-१०० मीटर पैदल चल कर भगवान की अराधना करने या कुछ मांगने के लिये नहीं जा सकते तो अपने घर में एक किसी कौने में मङ्क्षदर स्थापित कर लो, कम से कम अपने इष्ट देव को छोटी सी छत तो दे दों।
बात अगर करें गुरू अर्जन देव में बेल पत्र के पेड के नीचे हमारे इष्ट देव भगवान की मूर्ति खंडित करने की, वह कार्य जो नगर कौंसिल के जो किया हे, या किसी नेता या अधिकारी के आदेश पर किया है वह बहुत गलत है, जिसकी हर वर्ग के लोगों ने निंदा की हे और मौके पर पहुंचे विधायका नीना मित्तल के पति श्री अजय मित्तल, पार्षद रहे ललित डाहरा,अजय चौधरी, ने निंदा करते हुये उक्त जगह पर तोडे गये फर्श को बना भी दिया हे, ओर मौके पर पहुंच वार्ड निवासी पूर्व पार्षद जगदीश जगा, रंजना वर्मा,शांती सपरा, प्रदीप नंदा किरन हंंंस आदि ने नगर कौँसिल की कार्यवाई की निंदा करते हुये अरोपीयों के खिलाफ सख्त कार्यवाई की मांग की और उक्त जगह पर मङ्क्षदर बनाने की बात भी कही है यह अच्छी बात है, पर उक्त जगह जो ग्रीन बैल्ट बताई जा रही हे पर पूरी तरह से मङ्क्षदर का निर्माण सभी इलाका निवासी सरकार व प्रशासन के अधिकारियों से मिल कर अगर करवायें तो अच्छा होगा। दूसरी बात हिदु नेताओं से अपील है कि इलाके में जहां जहां पर भी खुले आसमान में हमारे इष्ट देव बैठे हे, वहां पर उन्हे इलाके के लोगों के सहयोग से छत दिलायें, जो सड़कों पर हमारे अराधनीय भगवान बैठे हे,उन्हे भी सडकों से हटा कर जहां पर ट्रैफिक समस्या ना हो मिल जुल कर हमारे इष्ट देव को सुंदर व साफ सुथरी पक्की जगह कम से कम तो जरूर उपलब्ध करवायें। इससे भगवान तो खुश होगें ही साथ ही बे-अदबी की घटनाओं में रूकावट आ जायेगी। अगर मेरा यह सुझाव किसी को ना भाये तो मैं उनसे क्षमा चाहता हूं। सम्पादक