हमारा अखबार पूरी शिद्दत से जन सरोकारों के लिए लड़ाई लड़ता रहेगा और इसके लिए खबरों से किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा। हमारी इस साफगोई का ऐसे लोग चेतावनी भी मान सकते हैं, जो जन समस्याओं से मुंह फेरे रहते हैं। लोकतंत्र में जनता पांच साल में एक बार राजा की भूमिका में रहती है और इसके बाद वह प्रजा हो जाती है। इसके बाद पांच साल के लिए जो राजा बनता है, दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि ज्यादातर अवसरों पर
जनता से दूर हो जाता है। ऐसे लोगों के लिए भी हमारा अखबार चेतावनी का सबब लेकर आ रहा है। हम जन भावनाओं का ख्याल रखने वाले जन प्रतिनिधियों के प्रति आदर का भाव रखने में कोई भी देरी नहीं करेंगे तो ऐसे जन प्रतिनिधियों पर अपनी कलम से वार करने में जरा भी परहेज नहीं करेंगे जो जनता के सरोकारों से दूर हो रहे हैं।
इस साफगोई से की गई बात का आशय कतई यह नहीं निकाला जाना चाहिए कि हम निर्णायक की भूमिका में आना चाहते हैं। हम हर खबर में निष्पक्ष बने रहने की कोशिश करेंगे। किसी भी विषय पर, किसी से भी संबंधित खबर हो, हम हर पक्ष, हर पहलू पर चर्चा करने का प्रयास करेंगे। हम जनता की बात करेंगे, जन प्रतिनिधियों की बात करेंगे, अफसरों की बात करेंगे और निर्णय छोड़ देंगे पाठकों पर। हम कोई फैसला नहीं सुनाएंगे, हम सुझाव देंगे, ऐसे सुझाव जो जन हित में हों, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों का हित जुड़ा हुआ हो।
आज हमें याद आ रही हैं पूर्व राष्ट्रपति और भारत के मिसाईल मैन डा. अब्दुल ·लाम साहब की वो बातें जो उन्होंने मीडिया को लेकर कहीं थीं। वे कहते हैं, ‘गांव में जाकर रिपोर्टिंग करें। गरीबी और विकास की खबरों पर रिपोर्टिंग करें। बुनियादी सुविधाओं की कमी को उजागर करें। लाखों के लिए नहीं, अरबों के लिए पत्रकारिता करें। ऐसी पत्रकारिता करें, जो पार्टियों के घोषणा पत्र में झलके।‘
हम ऐसी ही पत्रकारिता के पक्षधर हैं। ऐसा ही हम करना चाहते हैं। तमाम तरह के अखबारों और फिर करीब आठ साल विजुअल्स मीडिया में काम करने का अवसर मिला है। राजनांदगांव और प्रदेश की राजधानी रायपुर में काम करने का अनुभव है। करीब दो दशक की अपनी ‘नौकरी’ के दौरान पत्रकारिता को जिंदा रखने की हमेशा कोशिश की है। बाजारवाद के इस दौर में नैतिक मूल्य कहीं खोते प्रतीत होते तो कहीं स्वहित जनहित पर भारी पड़ता नजर आता। नई पारी शुरू कर रहा हूं। एक और मौका है, पत्रकारिता के धर्म को निभाने का और इस पर खरा उतरने की कोशिश रहेगी। कलाम साहब के सूत्र हमारे अखबार का सूत्र वाक्य होंगे और हम अपनी खबरों में हमेशा कोशिश करेंगे कि हम ऐसी खबरें प्रस्तुत करें जिसे जनता से सरोकार रखने वाली पार्टियां अपने घोषणा पत्र में शामिल करने बाध्य हों।