Shambhu creation

Shambhu creation कैलाश मानसरोवर यात्रा हमारे साथ।।

ॐ नमः शिवाय
30/08/2023

ॐ नमः शिवाय

Good morning.
04/09/2022

Good morning.


❣️कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।
24/08/2022

❣️

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।

Shiva ❣️
24/08/2022

Shiva ❣️

काल अनेक महाकाल एक देव अनेक महादेव एकशक्ति अनेक शिवशक्ति एक नेत्र अनेक त्रिनेत्र एक।........
21/08/2022

काल अनेक महाकाल एक देव अनेक महादेव एक
शक्ति अनेक शिवशक्ति एक नेत्र अनेक त्रिनेत्र एक।........

Mahadev ❣️.
07/08/2022

Mahadev ❣️.

हर हर महादेव। #शिव  #महादेव  #महाकालेश्वर  #महाकाल_LoVeR
04/08/2022

हर हर महादेव।

#शिव #महादेव #महाकालेश्वर #महाकाल_LoVeR

शिव ❣️
03/08/2022

शिव ❣️

Mahadev ❣️
02/08/2022

Mahadev ❣️

31/07/2022
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग...भगवान्‌ शिव का यह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग गुजरात प्रांत में द्वारका पुरी से लगभग 17 मील की दूरी पर...
26/07/2022

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग...
भगवान्‌ शिव का यह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग गुजरात प्रांत में द्वारका पुरी से लगभग 17 मील की दूरी पर स्थित है।.
सुप्रिय नामक एक बड़ा धर्मात्मा और सदाचारी वैश्य था। वह भगवान्‌ शिव का अनन्य भक्त था। वह निरन्तर उनकी आराधना, पूजन और ध्यान में तल्लीन रहता था। अपने सारे कार्य वह भगवान्‌ शिव को अर्पित करके करता था। मन, वचन, कर्म से वह पूर्णतः शिवार्चन में ही तल्लीन रहता था। उसकी इस शिव भक्ति से दारुक नामक एक राक्षस बहुत क्रुद्व रहता था

उसे भगवान्‌ शिव की यह पूजा किसी प्रकार भी अच्छी नहीं लगती थी। वह निरन्तर इस बात का प्रयत्न किया करता था कि उस सुप्रिय की पूजा-अर्चना में विघ्न पहुँचे। एक बार सुप्रिय नौका पर सवार होकर कहीं जा रहा था। उस दुष्ट राक्षस दारुक ने यह उपयुक्त अवसर देखकर नौका पर आक्रमण कर दिया। उसने नौका में सवार सभी यात्रियों को पकड़कर अपनी राजधानी में ले जाकर कैद कर लिया। सुप्रिय कारागार में भी अपने नित्यनियम के अनुसार भगवान्‌ शिव की पूजा-आराधना करने लगा।

अन्य बंदी यात्रियों को भी वह शिव भक्ति की प्रेरणा देने लगा। दारुक ने जब अपने सेवकों से सुप्रिय के विषय में यह समाचार सुना तब वह अत्यन्त क्रुद्ध होकर उस कारागर में आ पहुँचा। सुप्रिय उस समय भगवान्‌ शिव के चरणों में ध्यान लगाए हुए दोनों आँखें बंद किए बैठा था। उस राक्षस ने उसकी यह मुद्रा देखकर अत्यन्त भीषण स्वर में उसे डाँटते हुए कहा- 'अरे दुष्ट वैश्य! तू आँखें बंद कर इस समय यहाँ कौन- से उपद्रव और षड्यन्त्र करने की बातें सोच रहा है?' उसके यह कहने पर भी धर्मात्मा शिवभक्त सुप्रिय की समाधि भंग नहीं हुई। अब तो वह दारुक राक्षस क्रोध से एकदम पागल हो उठा। उसने तत्काल अपने अनुचरों को सुप्रिय तथा अन्य सभी बंदियों को मार डालने का आदेश दे दिया। सुप्रिय उसके इस आदेश से जरा भी विचलित और भयभीत नहीं हुआ।

वह एकाग्र मन से अपनी और अन्य बंदियों की मुक्ति के लिए भगवान्‌ शिव से प्रार्थना करने लगा। उसे यह पूर्ण विश्वास था कि मेरे आराध्य भगवान्‌ शिवजी इस विपत्ति से मुझे अवश्य ही छुटकारा दिलाएँगे। उसकी प्रार्थना सुनकर भगवान्‌ शंकरजी तत्क्षण उस कारागार में एक ऊँचे स्थान में एक चमकते हुए सिंहासन पर स्थित होकर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो गए।

उन्होंने इस प्रकार सुप्रिय को दर्शन देकर उसे अपना पाशुपत-अस्त्र भी प्रदान किया। इस अस्त्र से राक्षस दारुक तथा उसके सहायक का वध करके सुप्रिय शिवधाम को चला गया। भगवान्‌ शिव के आदेशानुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर पड़ा।....

कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।सदावसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानीसहितं नमामि ॥1॥
25/07/2022

कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानीसहितं नमामि ॥1॥

शिव रूद्राष्टकम....नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्‌ ।निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदा...
23/07/2022

शिव रूद्राष्टकम....

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्‌ ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्‌ ॥

निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्‌ ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्‌ ॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्‌ ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥

चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्‌ ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥

प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्‌ ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्‌ ॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्‌ न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम्‌ सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्‌ ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥

रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।।

॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥

॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥

Kashi Vishwanath Jyotirlinga Temple History... भगवान शिव का यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में गंगा नदी के किनारे ...
21/07/2022

Kashi Vishwanath Jyotirlinga Temple History...

भगवान शिव का यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में गंगा नदी के किनारे स्थित है. काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इस मंदिर को विश्वेश्वर नाम से भी जाना है. इस शब्द का अर्थ होता है 'ब्रह्माड का शासक'.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान शिव देवी पार्वती से विवाह करने के बाद कैलाश पर्वत आकर रहने लगे. वहीं देवी पार्वती अपने पिता के घर रह रही थीं जहां उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था. देवी पार्वती ने एक दिन भगवना शिव से उन्हें अपने घर ले जाने के लिए कहा. भगवान शिव ने देवी पार्वती की बात मानकर उन्हें काशी लेकर आए और यहां विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग के रूप में खुद को स्थापित कर लिया..

ऐसी कथा के लिए आप मेरे page को follow करे।

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श्री त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग.प्राचीन समय में ब्रह्मगिरी पर्वत पर देवी अहिल्या के पति ऋषि गौतम रहते थे और तपस्या करते थे...
19/07/2022

श्री त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग.

प्राचीन समय में ब्रह्मगिरी पर्वत पर देवी अहिल्या के पति ऋषि गौतम रहते थे और तपस्या करते थे। क्षेत्र में कई ऐसे ऋषि थे जो गौतम ऋषि से ईर्ष्या करते थे और उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश किया करते थे।
एक बार सभी ऋषियों ने गौतम ऋषि पर गौहत्या का आरोप लगा दिया। सभी ने कहा कि इस हत्या के पाप के प्रायश्चित में देवी गंगा को यहाँ लेकर आना होगा।

तब गौतम ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना करके पूजा शुरू कर दी। ऋषि की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी और माता पार्वती वहां प्रकट हुए। भगवान ने वरदान मांगने को कहा। तब ऋषि गौतम से शिवजी से देवी गंगा को उस स्थान पर भेजने का वरदान मांगा।
देवी गंगा ने कहा कि यदि शिवजी भी इस स्थान पर ज्योति के रूप मे रहेंगे, तभी वह भी यहाँ रहेगी। गंगा के ऐसा कहने पर शिवजी वहां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में ब्रह्मा, विष्णु एवं स्वयं महेश लिंग रुप वास करने को तैयार हो गए. तथा अपने वचनानुसार गंगा नदी गौतमी के रूप में वहाँ बहने लगी। गौतमी नदी का एक नाम गोदवरी भी है। दक्षिण दिशा की गंगा कही जाने वाली नदी गोदावरी का यही उद्वगम स्थान है।
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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग अवंती नाम से एक रमणीय नगरी था, जो भगवान शिव को बहुत प्रिय था। इसी नगर में एक ज्ञानी ब्राह्मण रह...
18/07/2022

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

अवंती नाम से एक रमणीय नगरी था, जो भगवान शिव को बहुत प्रिय था। इसी नगर में एक ज्ञानी ब्राह्मण रहते थे, जो बहुत ही बुद्धिमान और कर्मकांडी ब्राह्मण थे। साथ ही ब्राह्मण शिव के बड़े भक्त थे। वह हर रोज पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी आराधना किया करते थे। ब्राह्मण का नाम वेद प्रिय था, जो हमेशा वेद के ज्ञान अर्जित करने में लगे रहते थे। ब्राह्मण को उसके कर्मों का पूरा फल प्राप्त हुआ था।

रत्नमाल पर्वत पर दूषण नामक का राक्षस रहता था। इस राक्षस को ब्रह्मा जी से एक वरदान मिला था। इसी वरदान के मद में वह धार्मिक व्यक्तियों पर आक्रमण करने लगा था। उसने उज्जैन के ब्राह्मणों पर आक्रमण करने का विचार बना लिया। इसी वजह से उसने अवंती नगर के ब्राह्मणों को अपनी हरकतों से परेशान करना शुरू कर दिया।

उसने ब्राह्मणों को कर्मकांड करने से मना करने लगा। धर्म-कर्म का कार्य रोकने के लिए कहा, लेकिन ब्राह्मणों ने उसकी इस बात को नहीं ध्यान दिया। हालांकि राक्षसों द्वारा उन्हें आए दिन परेशान किया जाने लगा। इससे उबकर ब्राह्मणों ने शिव शंकर से अपने रक्षा के लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया।

ब्राह्मणों के विनय पर भगवान शिव ने राक्षस के अत्याचार को रोकने से पहले उन्हें चेतावनी दी। एक दिन राक्षसों ने हमला कर दिया। भगवान शिव धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए। नाराज शिव ने अपनी एक हुंकार से ही दूषण राक्षस को भस्म कर दिया। भक्तों की वहीं रूकने की मांग से अभीभूत होकर भगवान वहां विराजमान हो गए। इसी वजह से इस जगह का नाम महाकालेश्वर पड़ा गया, जिसे आप महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते
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वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग _पुराणों में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की भी कथा है जो लंकापति रावण से जुड़ी है.बाबा बैजनाथ धाम की कथा...
17/07/2022

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग _

पुराणों में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की भी कथा है जो लंकापति रावण से जुड़ी है.

बाबा बैजनाथ धाम की कथा:
भगवान शिव के भक्त रावण और बाबा बैजनाथ की कहानी बड़ी निराली है. पौराणिक कथा के अनुसार दशानन रावण भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर तप कर रहा था. वह एक-एक करके अपने सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ा रहा था. 9 सिर चढ़ाने के बाद जब रावण 10वां सिर काटने वाला था तो भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए और उससे वर मांगने को कहा.

तब रावण ने 'कामना लिंग' को ही लंका ले जाने का वरदान मांग लिया. रावण के पास सोने की लंका के अलावा तीनों लोकों में शासन करने की शक्ति तो थी ही साथ ही उसने कई देवता, यक्ष और गंधर्वो को कैद कर के भी लंका में रखा हुआ था. इस वजह से रावण ने ये इच्छा जताई कि भगवान शिव कैलाश को छोड़ लंका में रहें. महादेव ने उसकी इस मनोकामना को पूरा तो किया पर साथ ही एक शर्त भी रखी. उन्होंने कहा कि अगर तुमने शिवलिंग को रास्ते में कही भी रखा तो मैं फिर वहीं रह जाऊंगा और नहीं उठूंगा. रावण ने शर्त मान ली.
इधर भगवान शिव की कैलाश छोड़ने की बात सुनते ही सभी देवता चिंतित हो गए. इस समस्या के समाधान के लिए सभी भगवान विष्णु के पास गए. तब श्री हरि ने लीला रची. भगवान विष्णु ने वरुण देव को आचमन के जरिए रावण के पेट में घुसने को कहा. इसलिए जब रावण आचमन करके शिवलिंग को लेकर श्रीलंका की ओर चला तो देवघर के पास उसे लघुशंका लगी.

ऐसे में रावण एक ग्वाले को शिवलिंग देकर लघुशंका करने चला गया. कहते हैं उस बैजू नाम के ग्वाले के रूप में भगवान विष्णु थे. इस वहज से भी यह तीर्थ स्थान बैजनाथ धाम और रावणेश्वर धाम दोनों नामों से विख्यात है. पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक रावण कई घंटो तक लघुशंका करता रहा जो आज भी एक तालाब के रूप में देवघर में है. इधर बैजू ने शिवलिंग धरती पर रखकर को स्थापित कर दिया.
जब रावण लौट कर आया तो लाख कोशिश के बाद भी शिवलिंग को उठा नहीं पाया. तब उसे भी भगवान की यह लीला समझ में आ गई और वह क्रोधित शिवलिंग पर अपना अंगूठा गढ़ाकर चला गया. उसके बाद ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा की. शिवजी का दर्शन होते ही सभी देवी देवताओं ने शिवलिंग की उसी स्थान पर स्थापना कर दी और शिव-स्तुति करके वापस स्वर्ग को चले गए. तभी से महादेव 'कामना लिंग' के रूप में देवघर में विराजते हैं.
ऐसी ही अनोखी और रोचक कथा के लिए आप मेरे page को follow करे।। Shambhu creation

रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग की स्थापना।।।जीवन मंत्र डेस्क। शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है तमिलनाड़ू के रामनाथपुरम् मे...
15/07/2022

रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग की स्थापना।।।

जीवन मंत्र डेस्क। शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है तमिलनाड़ू के रामनाथपुरम् में स्थित रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग। रामेश्वरम् मंदिर की कथा श्रीराम से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना त्रेतायुग में स्वयं श्रीराम ने की थी। जानिए रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें...
ये है ज्योतिर्लिंग की कथा
रामायण के अनुसार त्रेता युग में श्रीराम ने धर्म की स्थापना के लिए अवतार लिया था। उस समय रावण की वजह से सृष्टि में अधर्म फैल रहा था। रावण एक ब्राह्मण था। इस वजह से रावण का वध करने पर श्रीराम पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा था। ऋषियों ने श्रीराम को ब्रह्म हत्या के पाप का प्रायश्चित करने के लिए कहा। ऋषियों ने श्रीराम से कहा कि वे शिवलिंग स्थापित करके अभिषेक करें। इसके बाद वहां सीता द्वारा बनाया गया बालू का शिवलिंग स्थापित किया गया और श्रीराम ने उसकी पूजा की। इसी वजह से ज्योतिर्लिंग का नाम रामेश्वरम् पड़ा। यहां की गई पूजा से शिवजी के साथ ही श्रीराम भी प्रसन्न होते हैं।

ऐसी ही knowledga के liye हमारे page ko follow करो।।

सोमनाथ मंदिर का निर्माण कैसे हुआ जानिए।।यहां के ज्योतिर्लिंग की कथा का पुराणों में इस प्रकार से वर्णन है।।।।दक्ष प्रजापत...
14/07/2022

सोमनाथ मंदिर का निर्माण कैसे हुआ जानिए।।

यहां के ज्योतिर्लिंग की कथा का पुराणों में इस प्रकार से वर्णन है

।।।।दक्ष प्रजापति की सत्ताइस कन्याएं थीं। उन सभी का विवाह चंद्रदेव के साथ हुआ था। किंतु चंद्रमा का समस्त अनुराग व प्रेम उनमें से केवल रोहिणी के प्रति ही रहता था। उनके इस कृत्य से दक्ष प्रजापति की अन्य कन्याएं बहुत अप्रसन्न रहती थीं। उन्होंने अपनी यह व्यथा-कथा अपने पिता को सुनाई। दक्ष प्रजापति ने इसके लिए चंद्रदेव को अनेक प्रकार से समझाया।

किंतु रोहिणी के वशीभूत उनके हृदय पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अंततः दक्ष ने कुद्ध होकर उन्हें 'क्षयग्रस्त' हो जाने का शाप दे दिया। इस शाप के कारण चंद्रदेव तत्काल क्षयग्रस्त हो गए। उनके क्षयग्रस्त होते ही पृथ्वी पर सुधा-शीतलता वर्षण का उनका सारा कार्य रूक गया। चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। चंद्रमा भी बहुत दुखी और चिंतित थे।
उनकी प्रार्थना सुनकर इंद्रादि देवता तथा वसिष्ठ आदि ऋषिगण उनके उद्धार के लिए पितामह ब्रह्माजी के पास गए। सारी बातों को सुनकर ब्रह्माजी ने कहा- 'चंद्रमा अपने शाप-विमोचन के लिए अन्य देवों के साथ पवित्र प्रभासक्षेत्र में जाकर मृत्युंजय भगवान्‌ शिव की आराधना करें। उनकी कृपा से अवश्य ही इनका शाप नष्ट हो जाएगा और ये रोगमक्त हो जाएंगे।

उनके कथनानुसार चंद्रदेव ने मृत्युंजय भगवान्‌ की आराधना का सारा कार्य पूरा किया। उन्होंने घोर तपस्या करते हुए दस करोड़ बार मृत्युंजय मंत्र का जप किया। इससे प्रसन्न होकर मृत्युंजय-भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व का वर प्रदान किया। उन्होंने कहा- 'चंद्रदेव! तुम शोक न करो। मेरे वर से तुम्हारा शाप-मोचन तो होगा ही, साथ ही साथ प्रजापति दक्ष के वचनों की रक्षा भी हो जाएगी।
कृष्णपक्ष में प्रतिदिन तुम्हारी एक-एक कला क्षीण होगी, किंतु पुनः शुक्ल पक्ष में उसी क्रम से तुम्हारी एक-एक कला बढ़ जाया करेगी। इस प्रकार प्रत्येक पूर्णिमा को तुम्हें पूर्ण चंद्रत्व प्राप्त होता रहेगा।' चंद्रमा को मिलने वाले इस वरदान से सारे लोकों के प्राणी प्रसन्न हो उठे। सुधाकर चन्द्रदेव पुनः दसों दिशाओं में सुधा-वर्षण का कार्य पूर्ववत्‌ करने लगे।
शाप मुक्त होकर चंद्रदेव ने अन्य देवताओं के साथ मिलकर मृत्युंजय भगवान्‌ से प्रार्थना की कि आप माता पार्वतीजी के साथ सदा के लिए प्राणों के उद्धारार्थ यहाँ निवास करें। भगवान्‌ शिव उनकी इस प्रार्थना को स्वीकार करके ज्योतर्लिंग के रूप में माता पार्वतीजी के साथ तभी से यहाँ रहने लगे।।।
। इसी तरह की कथा जानने के लिए आप मेरे page को follow kre।।
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Mahakaleshwar Jyotirlinga शिव के 12 ज्योतिर्लिंग जिनको श्रद्धा भाव से पूजा जाता है। इसमें से एक ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर...
13/07/2022

Mahakaleshwar Jyotirlinga शिव के 12 ज्योतिर्लिंग जिनको श्रद्धा भाव से पूजा जाता है। इसमें से एक ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर है जो मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है। आइए जानते हैं महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्रकट होने और भगवान शिव के महिमा की कथा।
Mahakaleshwar Jyotirlinga: श्रावण मास प्रारंभ होने वाला है। इस माह में भगवान शिव की पूजा की जाती है। भगवान शिव की कृपा से भक्त के जीवन में बहुत सारी खुशियों का आगमन होता है। देश भर में शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जिनको श्रद्धा भाव से पूजा जाता है। इसमें से एक ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर है, जो मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है। उज्जैन के भगवान महाकालेश्वर की ख्याति दूर-दूर तक है। इस भव्य ज्योतिर्लिंग के स्थापना पर एक कथा प्रचलित है। इससे जुड़े कथा का आज हम

अवंती नाम से एक रमणीय नगरी था, जो भगवान शिव को बहुत प्रिय था। इसी नगर में एक ज्ञानी ब्राह्मण रहते थे, जो बहुत ही बुद्धिमान और कर्मकांडी ब्राह्मण थे। साथ ही ब्राह्मण शिव के बड़े भक्त थे। वह हर रोज पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी आराधना किया करते थे। ब्राह्मण का नाम वेद प्रिय था, जो हमेशा वेद के ज्ञान अर्जित करने में लगे रहते थे। ब्राह्मण को उसके कर्मों का पूरा फल प्राप्त हुआ था।.

रत्नमाल पर्वत पर दूषण नामक का राक्षस रहता था। इस राक्षस को ब्रह्मा जी से एक वरदान मिला था। इसी वरदान के मद में वह धार्मिक व्यक्तियों पर आक्रमण करने लगा था। उसने उज्जैन के ब्राह्मणों पर आक्रमण करने का विचार बना लिया। इसी वजह से उसने अवंती नगर के ब्राह्मणों को अपनी हरकतों से परेशान करना शुरू कर दिया।

उसने ब्राह्मणों को कर्मकांड करने से मना करने लगा। धर्म-कर्म का कार्य रोकने के लिए कहा, लेकिन ब्राह्मणों ने उसकी इस बात को नहीं ध्यान दिया। हालांकि राक्षसों द्वारा उन्हें आए दिन परेशान किया जाने लगा। इससे उबकर ब्राह्मणों ने शिव शंकर से अपने रक्षा के लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया।
ब्राह्मणों के विनय पर भगवान शिव ने राक्षस के अत्याचार को रोकने से पहले उन्हें चेतावनी दी। एक दिन राक्षसों ने हमला कर दिया। भगवान शिव धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए। नाराज शिव ने अपनी एक हुंकार से ही दूषण राक्षस को भस्म कर दिया। भक्तों की वहीं रूकने की मांग से अभीभूत होकर भगवान वहां विराजमान हो गए। इसी वजह से इस जगह का नाम महाकालेश्वर पड़ा गया, जिसे आप महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं।....

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करपूर गौरम करूणावतारमसंसार सारम भुजगेन्द्र हारम |सदा वसंतम हृदयारविंदेभवम भवानी सहितं नमामि |मंत्र का पूरा अर्थ– जो कर्प...
13/07/2022

करपूर गौरम करूणावतारम

संसार सारम भुजगेन्द्र हारम |

सदा वसंतम हृदयारविंदे

भवम भवानी सहितं नमामि |

मंत्र का पूरा अर्थ– जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।

भोलेनाथ अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बरसाते हैं ॐ जय शिव ओमकारा आरती के  गायन से अनोखे संतोष का अनुभव होता है। शिवजी की महि...
12/07/2022

भोलेनाथ अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बरसाते हैं ॐ जय शिव ओमकारा आरती के गायन से अनोखे संतोष का अनुभव होता है। शिवजी की महिमा अपरंपार है, शिव पुराण में भी शिवजी लीलाओं का बहुत ही सुन्दरता वर्णन किया गया है। इसके अलावा शिव तांडव स्तोत्र का गायन करने से शिव शंकर अतिप्रसन्न हो जाते हैं वहीं शिव शतनाम स्तोत्र के जाप से जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है।.....

Vadiyo ka saher...
12/07/2022

Vadiyo ka saher...

Good morning 🌄💕
12/07/2022

Good morning 🌄💕

Night view।।।। केदारनाथ 🌎❣️🥀
11/07/2022

Night view।।।।
केदारनाथ 🌎❣️🥀

शिव संसार में व्याप्त है।आदि और अनंत हैं।
11/07/2022

शिव संसार में व्याप्त है।
आदि और अनंत हैं।

शिव आदि है शिव अनंत है अगर दुनिया मे कुछ भी सस्वत है तो वह शिव है बाकी तो विलीन हो जाते है।।
11/07/2022

शिव आदि है शिव अनंत है अगर दुनिया मे कुछ भी सस्वत है तो वह शिव है बाकी तो विलीन हो जाते है।।

कैलाश पर्वत।।।।
11/07/2022

कैलाश पर्वत।।।।

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