Kudmali MULUK

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18/11/2023

B.N Mahato...

18/11/2023
23/02/2022

ভাখি মাঞ ভাখি কিনা.. এহে লেই দুইচাইর টুমে ফদড়লা kudmali B.A.chas college পঢ়ুআ দুঅ সুরজ আর বিনদ ...

21/02/2022

আনতরজাতিক কুড়মালি মাঞভাখি দিনে সভেকে হিআ খালাসে জহাইর 🙏 রহলেইক

ঝাড়গাঁএক সঙিরা পঁহচবেহে, ১ তারিখলে ৭ তারিখ তড়িক ঝাড়গাঁ জেলাক পঁথিমেলাঞ।
31/12/2021

ঝাড়গাঁএক সঙিরা পঁহচবেহে, ১ তারিখলে ৭ তারিখ তড়িক ঝাড়গাঁ জেলাক পঁথিমেলাঞ।

30/11/2021

পঁথি উঘরান...

জিলহুর  বাতি (জিহুড়) --------------------------------- আশিন মাসের সাঁকরাইতে দিনে জিলহুর করা হয়।ঐ দিন কিছু নিয়ম পালন করার...
18/10/2021

জিলহুর বাতি (জিহুড়)
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আশিন মাসের সাঁকরাইতে দিনে জিলহুর করা হয়।ঐ দিন কিছু নিয়ম পালন করার আছে।এই দিন থেকে খেরই বা খামার পরিস্কার করা হয়।ঐ দিন গায়ের সমস্ত লোক নিজের নিজের খেরই এর ঘাস ছলিকে চিকন বা পরিস্কার করে।ঐ দিন চিকন টাই গবর দিয়ে লিপেকে উহার উপর টুটকা বাড়অন,কেঁদ লুআটি,ছিড়া জাল,হসুআ,বড়ঠুলা,ভেলুআ,চিরচিটি,বহল ভাঁগল খাপড়া,পিড়হার উপর উবরাই উহার চুনে চিসে দেয় আর সিদুঁর -কাজর দিয়ে বেলা ডুবাই নমঅ নমঅ করে। (স্থান ভেদে আলাদা হতে পারে)
*এই নিয়ম টা কেনে করে?*
হামি জেটা বুজেছি বা সুনে আসছি জে এই থেকে ডিনি মাইকে আসার বানার দেওয়া হয় বা নিমন্ত্রণ করা হয়। তর ছাড়া হামদের ঘর খালি হয়ে যাছে তুই ঘুরে হামদের ঘর আসে ভরে দে।এই জন্যই চাষিরা এই টা নিয়মটা পালন করে। এই সময় থেকেই কীটপতঙ্গ লুকাতে থাকে।(যেটা বিজ্ঞানের ভাষাই শীতঘুম)(দাদু-দিদিমার কাছে শুনেছি )।
তকে বাড়হার লাগে বাড়অন খিআই গেলছে,রাঁধে খাবার লাগে তেলাই খাপড়ি পুরনা হয়ে গেছে।কুপও ধান নাই ,তুই আই মাই তর বসার জন্য জায়গাও তৈরি করেছি।
(যত টা জানি দেওয়ার চেষ্টা করছি , *বানান নিয়ে কেও তর্ক করবেন না*)

https://www.facebook.com/100011353860978/posts/1846531775735267/

17/10/2021

আমাদের আদিবাসী কুড়মালি সংস্কৃতি কত সুন্দর সবাই জানুক...

জিতিআ মাঁইএক পুজা
28/09/2021

জিতিআ মাঁইএক পুজা

28/09/2021
ঁলখিকাঁত মুতরুআর বছরকি সেউরন--------------------------------------------------------------লখিকাঁত মুতরুআর কুড়মালি পাড়সিক...
26/09/2021

ঁলখিকাঁত মুতরুআর বছরকি সেউরন
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লখিকাঁত মুতরুআর কুড়মালি পাড়সিক একটি দড়হ খুঁটি। মুতরুআর বাবু কুড়মালি একধারে সাহিতকার, ভাখিবিদ, কবি, মাসটর, দারসনিক, আর সমাজকামিআ। কুড়মালিঞ লেখাপড়হাক পহিল সরকার অসরান একরে সাউতাঞ।
লখিকাঁত বাবুক জনম ঝাড়খঁড রাজেক বকারু জেলাক চাস থানাক কুরাক ছটমটঅ টলা ভঁড়রঅ গাঁউএ।

1939সালে> 22 এপ্রিল জনম । বাপ রাখাল মাহতঅ, মাঞ বুচিমাহতঅ। পাঁচ ভাই বহিনেক লখিকাঁত বাবু বড়কা।

1946সালে> :হাথেখড়হি কুরা মিডিল ইসকুল।
1950সালে> :পাঁচ কেলাস পাস করল বাদে মামাঘার চলি যাই।

1956সালে> : মামা ঘারে রহিকে বারমেসিআ হাই ইসকুললে মেটরিক পাশ করেই।

1957-59সালে> :পিঁড়রাজড়া টেরনিঁ ইসকুললে মাসটারি টেরনিঁ করেই। আর মাসটারি করে লাগেই। আর মাসটারি করইতকেই সনাতক পাস করেই।

1973 সালে > :লখিকাঁত মুতরুআর হেড মাসটর বনেই।

1983 সালে> :মুলকি কুড়মালি ভাখি বাইসিক তালেবর বনেই।এহেভাখি বাইসিক পসরনেক তেঁহে উড়িসা তড়িক জাইকে গাঁউএ গাঁউএ ঘুরি কুড়মালি ভাখিক পচার করেই।

1977 সালে> :মুতরুআর বাবুক লাগাতার কসনিঞ রাঁচি বিসবিদালএ জনজাতি আর ছেতরিঅ বিভাগ বনেক আর কুড়মালি পড়হা উচরেক।

2012 সালে> :করম পরবেক উপাসেক দিনে। এহে 26 সেপটেমবর দিনে,আপন জিনগানিক করমেক থুমমারিকে পাঁচ পরকিতিঞ মিলাই জাই। কুড়মি কুড়মালিক একটি ঝকঝকউআ তারা খসিজাই দেখাই জাইন কুড়মালি ডহরেক আলঅ।
লখিকাঁত বাবুকে গড় ডড় ডনডঅবত..
জহার

✍চিসনে - Prabhas Mahato

কুড়মালি মাঞ ভাখিঞ  PG খলালেক PURLIA SKBUঞ... এহেকামেক সহাই সাউতারহার সউভকাই হিআ খালাসে জহাইর... জই  জহাইর কুড়মালি🙏🙏🙏🙏🙏
08/09/2021

কুড়মালি মাঞ ভাখিঞ PG খলালেক PURLIA SKBUঞ...
এহেকামেক সহাই সাউতারহার সউভকাই হিআ খালাসে জহাইর...
জই জহাইর কুড়মালি
🙏🙏🙏🙏🙏

সিধো কানহো বিরসা বিশ্ববিদ্যালয়ে এঁহে বছরলে ই কুড়মালি ভাগিক পড়াসুনা চালু হেতেক।সভে কে কুড়মালি জহার
08/09/2021

সিধো কানহো বিরসা বিশ্ববিদ্যালয়ে এঁহে বছরলে ই কুড়মালি ভাগিক পড়াসুনা চালু হেতেক।
সভে কে কুড়মালি জহার

জটঅ জটঅ ফরম ভরা হাক
14/08/2021

জটঅ জটঅ ফরম ভরা হাক

সভেকে রহইন পরবেক সগুন বানছা
28/05/2021

সভেকে রহইন পরবেক সগুন বানছা

09/05/2021

আদিবাসী কুড়মি সমাজের পরিবেশ প্রকৃতি বাঁচানোর লড়াই-এ দল -মত জাতি-ধর্ম নির্বিশেষে সামিল হোন...

জঁগগল জিআউআ হামদুমি- র প্রয়োজনীয় বার্তা-

ক্রমবর্ধমান পরিবেশ দূষন থেকে বাঁচতে প্রকৃতি পরিবেশ বাঁচাতে গতবছরের মতো এবারেও আগামী ১০ মে ২০২১ সোমবার থেকে ১৬ মে ২০২০ রবিবার পর্যন্ত এই কর্মসূচি ঘোষণা করা হয়েছে। যেহেতু এবছর‌ও কোভিড-19 -র কারনে দেশে জরুরিভাবে বিভিন্ন ক্ষেত্রে নানারকম বিধি নিষেধ রয়েছে, সেই কারণে আমরাও সেই বিধি-নিষেধ কে মান্য করে নিজেদের মধ্যে সোশ্যাল ডিসটেন্স রেখেই, সোশ্যাল সাইটের মাধ্যমে বনভূমি ধ্বংসের প্রতিবাদে সামিল হবো।
এখানে বলে দেওয়া প্রয়োজন, যে দেশে প্রথম পর্যায়ে লকডাউন চলাকালীন পুরুলিয়া জেলার কোটশিলা থানার অন্তর্গত মুরগুমা বনাঞ্চলের সুপুরডি, গোবিন্দপুর এবং মামুডি মৌজার প্রায় 30 হেক্টর প্রাকৃতিক অরণ্যের প্রচুর শাল গাছ বনদপ্তর কেটে নিয়েছে। এবছরে‌ও ঠিক এক‌ই রকম ভাবে জঙ্গলমহলের বিভিন্ন জায়গায় ফেলিং-এর নামে প্রাকৃতিক জঙ্গল ধ্বংসের প্রচেষ্টা চলছে। এমনকি অবৈধ ভাবে কাঠ পাচারের অভিযোগ‌ও উঠেছে। আমরা মনে করছি এই প্রাকৃতিক অরণ্য ধ্বংস একটা অপরাধ। এতে পরিবেশের উপর একটা ভয়ঙ্কর প্রভাব পড়ে। তাই আমরা বনভূমি রক্ষায় বদ্ধপরিকর। যে কোন পরিস্থিতিতেই প্রাকৃতিক অরণ্য ধ্বংস করতে দেওয়া চলবে না। আপনারাও দল-মত জাতি ধর্ম নির্বিশেষে এই আন্দোলনে সামিল হন।

আপনাকে যা করতে হবে-

১। সকালবেলা স্নান করে গাছের গোড়ায় প্রয়োজনীয় পূজার্চনা করে আপনারা এই আন্দোলনের শুভ সূচনা করবেন।

আপনি এবং আপনারা যে যেখানে আছেন 5 থেকে 10 জন, গ্রামের লায়াকে সঙ্গে নিয়ে অথবা একা একা 10 তারিখ সকাল নটার মধ্যে সেই গাছের গোড়াতে বেড়া দিয়ে তাতে জল দিবেন। মনে রাখবেন যেন কোন রকম ভাবেই বেশি ভিড় না হয়।

২। এই ভাবেই আগামী১০ মে থেকে ১৬ মে পর্যন্ত কর্মসূচী। কম সংখ্যায় লোকজন নিয়ে সোস্যাল ডিসট্যান্স বজায় রেখে কর্মসূচী চালিয়ে যাবেন। প্রতিদিন।

৩। আপনাদের কর্মসূচী মোবাইলে রেকর্ড করে তা ফেসবুকে পোস্ট করুন বা কাউকে দিয়ে পোস্ট করিয়ে আপনার বার্তা সরকারের কাছে পৌঁছে দিন। প্রতিদিন।

এতদিন শুধু চোরাই কারবারিদের হাত থেকেই গাছ বাঁচিয়েছেন মনে রাখবেন এবার লড়াইটা হচ্ছে চোরাকারবারি এবং বনদপ্তর দুজনের বিরুদ্ধে।

জয় গরাম। জয় সারনা।
আদিবাসী কুড়মি সমাজ জিন্দাবাদ।

বিঃ দ্রঃ- নিম্নলিখিত হেস ট্যাগটি কপি পেস্ট করে অবশ্য‌ই ব্যবহার করুন। তাহলে আপনার বার্তাটি সবার কাছে পৌঁছাবে-

#জঁগগল_জিআউআ_হামদুমি

लक्ष्मीकांत मुतरुआर की जन्म दिन एवं कुड़मालि दिवस पर विशेष-------//----------लक्ष्मीकांत मुतरुआर कुड़मालि  जगत के अनमोल रत...
22/04/2021

लक्ष्मीकांत मुतरुआर की जन्म दिन
एवं कुड़मालि दिवस पर विशेष
-------//----------
लक्ष्मीकांत मुतरुआर कुड़मालि जगत के अनमोल रत्न थे। इन्होंने अपनी संपूर्ण जीवन कुड़माली भाषा के प्रचार प्रसार एवं इसकी गहन अध्ययन में बिताएं। इनका जन्म 22 अप्रैल 1939 ई. को बोकारो जिला के चास प्रखंड स्थित भंडरो गांव के टोला डुंगरीटांड़ में एक किसान परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम राखाल महतो तथा माता का नाम बुचि माहाताइन था। तीन भाई तथा दो बहनों में से ये बड़े थे। लक्ष्मीकांत मुतरुवार जी बचपन से ही बड़े साहसी और परिश्रमी छात्र थे। तमाम अभावों के बीच इन्होंने पिताजी के साथ कृषि कार्य करते हुए कर्मठता पूर्वक अपनी पढ़ाई पूरी करते रहे। उनकी प्राथमिक शिक्षा घर पर ही शुरू हुई। मध्य विद्यालय कुरा में आठवीं की पढ़ाई पूरी कर माध्यमिक पढ़ाई के लिए बारमसिया उच्च विद्यालय में नामांकन करवाएं। घर से काफी दूर होने के कारण आने जाने में बहुत कठिनाई होने लगी। जिसके कारण उन्होंने अपने ननिहाल बदुवा गांव में रहकर 1956 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसके पश्चात पिंजराजोड़ा के शिक्षण प्रशिक्षण विद्यालय से प्रशिक्षण प्राप्त किए तथा 1959 में शिक्षक बने ।अपने प्रचेष्ठा से बाद में उन्होंने स्नातक ,स्नाकोत्तर तथा वकालती की परीक्षा पास की। शिक्षण के क्रम में वे कई मध्य विद्यालय में प्रधानाध्यापक भी रहे और बोकारो जिला प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष भी थे ।30 अप्रैल 1999 को वे सेवानिवृत्त हुए।
सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में वे नौकरी जीवन से ही सक्रिय थे ।लेकिन अवकाश प्राप्त करने के बाद उन्होंने कुड़माली भाषा साहित्य एवं संस्कृति के लिए अपने आप को पूर्ण रूप से समर्पित कर दिए ।वे वैदिक रूढ़िवादी के खिलाफ थे। सामाजिक बुराइयों तिलक व दहेज के खिलाफ भी आवाज बुलंद की। पारंपरिक कुड़माली रीति-रिवाजों को स्थापित करने के लिए कुड़माली नेगाचारि पद्धति से अपने माता पिता का क्रिया कर्म (मरखी) एवं अपने बेटा बेटियों की शादी भी कराई।
वे सामाजिक कार्यकर्ता के साथ-साथ शिक्षा प्रेमी एवं नारी शिक्षा के प्रबल पक्षधर भी थे। नारी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने ही गांव में बालिका विद्यालय की स्थापना की। साथ ही कई उच्च विद्यालयों की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। इसी क्रम में झारखंड प्रदेश में स्थानीय भाषा की शिक्षा आंदोलन को खड़ा करने में अग्रणी भूमिका भी निभाई ।अपनी मातृभाषा कुड़माली की उत्थान, संरक्षण एवं संवर्धन में ये मुखर रहे। ये कुड़मालि भाषा के अलावा संथाली,बांगला,
हिंदी,नागपुरी,
मुण्डारी,संस्कृत
अंग्रेजी आदि भाषाओं के ज्ञाता भी थे।
.झारखंड में भाषा आंदोलन की बात चली तो वे कुड़माली भाषा को स्थापित करने में तन ,मन ,धन से सक्रिय हुए ।1980 में जब डॉ कुमसर सुरेश सिंह रांची के कमिशनर सह प्रति कुलपति थे ।तब रांची विश्वविद्यालय में जनजाति एवं क्षेत्रीय भाषाओं के लिए अलग पीजी विभाग की स्थापना की बात आई और भाषाओं के लिए परामर्श दातृ समिति गठन की बात हुई तो निर्णय हुआ कि लक्ष्मीकांत मुतरुआर जी को कुड़माली के परामर्श दातृ समिति में रहेंगे ।1980-82 में कुड़माली सिलेबस बोर्ड का गठन होने की बात हुइ तो इनकी अगुवाई में वकील अंगद महतो व एचएन सिंह के साथ मिलकर बोर्ड का गठन हुआ । बाद में तीन भाषाविद् केशव चंद्र टिंडुआर,चित रतन महतो और चूड़ामन महतो जुड़े।
1983 में ही भाषा संपादकीय समिति का गठन हुआ जिसमें लक्ष्मीकांत मुतरुआर के साथ डॉ एचएन सिंह,डॉ शशि भुषण काडुआर थे। इसी वर्ष "मूलकी कुड़मी भाखि बाइसी" का गठन हुआ जिसके लक्ष्मीकांत जी अध्यक्ष बने एवं 1984 में आदिवासी कुड़मी समाज का गठन किया जिसके हुए उपाध्यक्ष हुए।
कुड़मी समाज के गौरव लक्ष्मीकांत मुतरुआर जी ने समाज संस्कृति की गतिधारा में तोरण उत्पन्न किया साथ में सामाजिक बुराइयों जैसे दहेज, विवाह विच्छेद, बाल विवाह आदि को रोकने में अहम भूमिका निभाई ।बाद में बिनोद बिहारी महतो, ए के राय ,शिबू सोरेन तथा अन्य कई स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की जिसमें लक्ष्मीकांत जी संस्थापक सदस्य रहे।
कुड़माली भाषा साहित्य के ये मजबूत स्तंभ माने जाते है ।विशुद्ध रूप से कुड़माली के ये महान जानकर थे। ठेठ कुड़माली भाषा का प्रयोग इनके लेखों में मिलता है। प्रसिद्ध मानव शास्त्री डॉक्टर वीर भगत तलवार ने अपने स्मरण लेख में कुड़माली का होनहार के रूप में इन्हें चिन्हित किया था। इनके द्वारा प्रकाशित पत्रिका "साल पत्र" व "झारखंड वार्ता" में उनकी सभी रचनाएं प्रकाशित हुई थी। लक्ष्मीकांत मुतरुआर की लिखी कोई पुस्तकें विश्वविद्यालय के कुड़माली भाषा विभाग के आधार ग्रंथ बनी हुई है। उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध कृतियों में "एक डंडरा फूल" कुड़माली भाषा तत्व ,कुड़माली साड़ा आडा़ग तथा गइद पइद जुड़ती आदि अग्रणी है। इसके अलावा लक्ष्मीकांत मुतरुआर द्वारा संपादित
टउआ(1972) ,
फुरुंग(1975-76)हेलक(1983), कुड़माली(1988) आदि पत्रिका भी चर्चित रही। इनकी कोई कृतियां अभी भी अप्रकाशित है जिसमें रन गुने खंद, कुड़माली शब्द भंडार ,कुड़मालि मुहजारा इत्यादि है।
लक्ष्मीकांत मुतरुआर जी के द्वारा बनाई गई कुड़माली की वर्णमाला (कुड़मालि कड़ हाला) संजवेता गणेश्वर बंसरिआर द्वारा नवम एवं दशम वर्ग की पाठ्यक्रम पुस्तक "कुड़मालि फुल फर आर
भाङअर" के क्रम
सं.29 के पाठ में भाखि,भाङअर,
धमस,लुकान,साड़ापृ.सं-61-68 में स्वर वर्ण( हहि कड़)अ,आ,इ,उ,ए,व्यंजन वर्ण(पाहि कड़) अक,आच,ट,ड,गइ,जा,पु, बा, में,नु ति,आड़ ,बाञ,अन,दि, हिड़िक सिस, ड़,अग रउ, लत आदि वर्णित है।
भाषा संस्कृति पर लिखी इनकी पुस्तक "जनजाति परिचिति "माननीय डॉ रामदयाल मुंडा, तत्कालीन मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, पूर्व पथ निर्माण मंत्री सुदेश महतो, डॉ निर्मल मिंज, श्री सूर्य सिंह बेसरा द्वारा प्रशंसित हुई। उन्होंने अपनी भाषा कुड़माली के प्रचार प्रसार के लिए आकाशवाणी से भी कविताएं नाटक समय-समय पर प्रसारित किए ।
कुड़मी समाज का दुर्भाग्य है कि ऐसे महान रत्न की असमय ही काल ने इन्हें 26/9/2012को अपने आगोश में ले लिया ।इनके निधन से संपूर्ण कुड़मी समाज शोक में डूब गया ।दिनांक 7 /10 /2012 को इनके पैतृक निवास भंडरो टोला ड़ुगरिटांड में कुड़माली रीति रिवाज से नगेन
पुनअरिआर ने इनका सरधा क्रिया संपन्न कराया ।इस अवसर पर बहुत से समाज के गणमान्य, बुद्धिजीवी ,ज्ञानी भाखिविद् चारिविद् आदि उपस्थित हुए।
लक्ष्मीकांत मुतरुआर जी कुड़माली के ऐसे पहला साहित्यकार है जिनके "व्यक्तित्व एवं कृतित्व "पर शोध कर रांची ओरमांझी के मुन्नाराम महतो ने पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर इनकी गौरव गाथा में चार चांद लगाएं। ऐसे महापुरुष को मेरा शत-शत नम।
...कुड़माली के ऐसे महान विद्वान लक्ष्मीकांत मुतरुआर की जयंती 22 अप्रैल को "कुड़माली दिवस" के रूप में मनाया जा रहा है।
अतः समाज के सभी लोगों से आग्रह है कि वे अपने अपने जगहों में "कुड़माली दिवस" अवश्य मनाए और अपनी मातृभाषा को सम्मान दें ।
जोहार🙏

साभार हरेकिसनअ हिंदइआर

14/04/2021

শ্রীরামপুর ভগতা ঘুরা

বির সহিদ রঘুনাথ মাহাতঅ, অকর 284-আ জনম বছর বেরিঞ সভেকে হুল জহাইর🙏
21/03/2021

বির সহিদ রঘুনাথ মাহাতঅ, অকর 284-আ জনম বছর বেরিঞ সভেকে হুল জহাইর🙏

লালগড় ব্রীজের নাম শহীদ রঘুনাথ মাহাতর নামে করার জন্য পশ্চিমবঙ্গ সরকারকে ধন্যবাদ জানাচ্ছি। তবে এটি আমাদের কাছে সান্ত্বনা প...
01/01/2021

লালগড় ব্রীজের নাম শহীদ রঘুনাথ মাহাতর নামে করার জন্য পশ্চিমবঙ্গ সরকারকে ধন্যবাদ জানাচ্ছি। তবে এটি আমাদের কাছে সান্ত্বনা পুরস্কার মাত্র। আমরা চাই ঝাড়গ্রাম বিশ্ব বিদ্যালয়ের নাম যেন শহীদ রঘুনাথ মাহাতর নামে (অথবা যুগ্ম ভাবে) হয় । এব্যপারে সরকার পুনরায় বিবেচনা করুক। আমাদের আন্দোলন জারী থাকবে। কুড়মি সমাজের আপামর জনসাধারণকে আমার অনুরোধ। কোনো সংগঠন না দেখে
7 জানুয়ারি জঙ্গলমহলের চার জেলা বন্ধ ও
8 জানুয়ারি কলকাতা অভিযান সফল করুন।
ধন্যবাদ । জোহার। জয় গরাম। কুড়মি ঐক্য জিৎকার।
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28/12/2020

আদিবাসী কুড়মি সমাজের অসঠা হড়গনতিক হানতা, বরাবাজার ব্লক।

28/11/2020

হেটকাহান গ্রামে নগেন মাহাতর মরনেক ঘাট কামান ়়়

21/11/2020

বাদেইর টাই সভে ধান চাসারাকে কাঁদাউলেন
বুঝরহত ইবছর হেতেক ঢেইর
পানি টাই সভে করি দেলেক মাটি

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