30/03/2025
........... ........थावे आईं ना..................
नवरात्री के समय होखे आ थावे के बात ना होखे का ई संभव बा ?
जी थावे मंदिर जवन खाली बिहार में ही ना पूरा भारत मे माँ दुर्गा के भक्त लोगन के एगो बड़ आस्था के केंद्र ह। ई भले ही कवनो शक्तिपीठ ना ह बाकिर ई मंदिर के संपूर्ण इतिहास जनला पर श्रद्धा अउर विश्वास अनायास ही उमड़ पड़ेला।अइसन कहल जाला की माँ कामाख्या के आशीर्वाद से भक्त रहषु के जन्म भईल जेकरा पर माँ दुर्गा के साक्षात कृपा रहे एक बेर इहा पर सूखा पड़ल लोग खइला बिना मरत रहे ओ समय रहषु भगत शेर के साँप से बांध के पुअरा से अन्न निकालत रहले अउर लोगन के मदद कऱत रहले धीरे धीरे उनकर प्रतिष्ठा बढ़े लागल ई बात जब ओ समय के हथुआ के राजा मनन सिंह के पता चलल जे अपना के दूर्गा जी के सबसे बड़ भक्त मानत रहले अपना घमंड में उ रहशु भक्त के ढेर बुरा भला कहले आ दुर्गा जी के बोलावे के ज़िद के लहले रहषु भगत उनका के साफ मना क देहले लेकिन राजा के घमण्ड के आगे उ विवश होके कामाख्या से दुर्गा जी के बोलवले मा कलकत्ता पहुँचली तब फेर रहषु भगत राजा के चेतवले लेकिन राजा माने के तैयार ना रहले अंत मे माई रहषु भगत के मस्तक से आपन कंगन देखवली राजा के उहे मृत्य हो गइल समूचा राज पाट नाश हो गइल आगे चल के वोही जा माँ थावे वाली के मंदिर बनल। मंदिर तीन ओर से घनघोर जंगल से घिरल रहे उहा जाए में लोग के काफी कठिनाई होखत रहे। बाकिर आज मंदिर के उहे पर एगो नया रूप दिहल बा गर्भ गृह में दुर्गा जी के सुंदर मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा कइल बा लोग माई के नारियल चुनरी, सिंदूर, टिकुली लड्डू पेड़ा चढावेला। चारो तरफ पेयजल, सुरक्षा.,विश्राम के निमन व्यवस्था कइल बा साफ सफाई के भी विशेष ख्याल राखल जाता ।
थावे मंदिर आवे खातिर रउवा सड़क मार्ग चाहे फिर रेल मार्ग से भी आ सकतानी । ज़िला मुख्यालय गोपालगंज से थावे मुख्य मार्ग से जुडल बा वहाँ से थावे 9 km के दूरी पर बा।
हा अगर रउवा थावे आवे खातिर मन बनावतानी त हमरा विचार से चैत्र चाहे फिर शारदीय नवरात्र में आई काहे की नवरात्रि में थावे के पूजा के विशेष महत्व ह एह समय एहिजा विशेष चहल -पहल रहेला थावे वाली माई के मंदिर के बगल में भक्त रहषु के भी एगो मन्दिर बा एहिसन मान्यता ह की भक्त रहषु के दर्सन कईला बिना एहिजा के पूजा अधूरा ह एहीसे रउवा जब भी थावे आयीं त माता के दर्सन कईला के साथ - साथ भक्त रहषु के भी दर्शन जरूर करीं ।
नवरात्रि में सुबह -शाम माँ थावे वाली के आरती मनमोहक होखे ला अगर मौका मिले त एहिमे जरूर शामिल होखी थावे में महानिशा पूजा के माता के सम्पूर्ण श्रृंगार करके महाभोग अर्पित कइल जाला।
सालों भर इहा मेला लागल रहेला औरतन के सिंदूर - टिकुली ,घर में कामआवे वाला चाकू - चौकी बेलना के अलावा लड़िकन खातिर झूला, खेले वाला खिलौना भी इहा बिकेला । हाँ इहा के गौरिसंकर के पड़ौकिया पूरा बिहार प्रसिद्ध बा एहीसे रउवा एहिजा से लौटे के बेरा घी में तलल सुध खोवा भरल गर्मा- गर्म पड़ौकिया अपना सम्बन्धी सब ला जरूर ले जाई।
*-संकेत कुमार*