12/04/2024
कभी कभी जीवन में ऐसे अवसर भी आ जाते हैं
सोच समझकर जानबूझ कर भी हम धोखा खाते हैं
मतलब की इस दुनिया में जो रिश्ता है सो मतलब का
मतलब के सब संगी साथी मतलब के सब नाते हैं
उपवन में मधुमास न आए चाहे मलयानिल न चले
जिन फूलों को खिलना है पतझड़ में भी खिल जाते हैं
और ज़रा लौ तीव्र हो उठे और ज़रा आभा फैले
इस आशय से दीप शिखा पर परवाने जल जाते हैं
जीवन के इस रंगमंच पर आने वाले सब प्राणी
पल भर खेल दिखा कर आंखों से ओझल हो जाते हैं
सेजों पर मुरझा जाते हैं संघर्षों के प्रेमी फूल
तूफानों में खिलते हैं और कांटों में मुस्काते हैं
संकल्पों के बल पर मानव चंद्रलोक में पहुंचा है
संकल्पों के सन्मुख सारे स्वप्न सत्य हो जाते है
हिंदी कवि जितेंद्र शारदा