Hindi Mitra Manch

Hindi Mitra Manch हिंदी मित्र मंच की स्थापना की गई है.

12/04/2024

कभी कभी जीवन में ऐसे अवसर भी आ जाते हैं
सोच समझकर जानबूझ कर भी हम धोखा खाते हैं

मतलब की इस दुनिया में जो रिश्ता है सो मतलब का
मतलब के सब संगी साथी मतलब के सब नाते हैं

उपवन में मधुमास न आए चाहे मलयानिल न चले
जिन फूलों को खिलना है पतझड़ में भी खिल जाते हैं

और ज़रा लौ तीव्र हो उठे और ज़रा आभा फैले
इस आशय से दीप शिखा पर परवाने जल जाते हैं

जीवन के इस रंगमंच पर आने वाले सब प्राणी
पल भर खेल दिखा कर आंखों से ओझल हो जाते हैं

सेजों पर मुरझा जाते हैं संघर्षों के प्रेमी फूल
तूफानों में खिलते हैं और कांटों में मुस्काते हैं

संकल्पों के बल पर मानव चंद्रलोक में पहुंचा है
संकल्पों के सन्मुख सारे स्वप्न सत्य हो जाते है
हिंदी कवि जितेंद्र शारदा

30/03/2024

भक्ति पद

28/02/2024

हर हर महादेव का भावार्थ
#हिंदीकविजतिंदरशारदा

25/02/2024

रविदास जयंती की बहुत बहुत मुबारक

19/02/2024

#हिंदीकविजतिंदरशारदा

17/02/2024

140000 की पेंटिंग

06/02/2024

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31/01/2024

क्या छोड़ें क्या क्या अपनाएं
कविता #हिंदीकविजितेंद्रशारदा

26/01/2024

प्रणव अक्षर ओं का अर्थ और भाव

26/01/2024

मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ
वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ
एक जंगल है तेरी आँखों में
मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ
तू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ
हर तरफ़ एतराज़ होता है
मैं अगर रौशनी में आता हूँ
एक बाज़ू उखड़ गया जब से
और ज़्यादा वज़न उठाता हूँ
मैं तुझे भूलने की कोशिश में
आज कितने क़रीब पाता हूँ
कौन ये फ़ासला निभाएगा
मैं फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ
#दुष्यंत कुमार

17/01/2024

मित्र प्यारे नु हाल मुरीदा दा कहना
मित्र प्यारे नु हाल मुरीदा दा कहना
मित्र प्यारे नु हाल मुरीदा दा कहना

तुध बिन रोग रजाईयां डा ोधन
तुध बिन रोग रजाईयां डा ोधन
नाग निवासन दे रेहना
मित्र प्यारे नु हाल मुरीदा दा कहना
मित्र प्यारे न

सुल सुरही ख़ंजर प्याला
सुल सुरही ख़ंजर प्याला
बिंग कसाईयो डा सेहना
मित्र प्यारे नु हाल मुरीदा दा कहना

10/01/2024

हिंदी मित्र मंच के चेयरमैन एडवोकेट कुलभूषण मन्हास द्वारा विश्व हिंदी दिवस पर बधाई संदेश

04/01/2024
04/01/2024

#हिंदीकविजितेंद्रशारदा

29/12/2023

#हिंदीकविजितेंद्रशारदा #ग़ज़लकासफर

24/12/2023

हिंदी कवि #अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म दिन पर विशेष
मैं तो समाज की थाती हूं
मैं तो समाज का सेवक हूं

मैं तो समष्टि के लिए व्यष्टि का
कर सकता बलिदान अभय

हिंदू तन मन,हिंदू जीवन
रग रग हिन्दू मेरा परिचय

23/12/2023

सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे संतु निरामया।

सुखी बसें सृष्टि के प्राणी
सुख समृद्धि हो दासानी

दुख भी सुख में हो परिवर्तित
कष्ट क्लेश हो जावें अवस्थित

जो भी देखें मंगलमय हो
प्रभु की दृष्टि सदा सदय हो

हे प्रभु,सबका हो कल्याण
कष्ट क्लेश का हो अवसान
#हिंदीकविजितेंद्रशारदा

17/12/2023

#भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह!
#हिंदीकविजितेंद्रशारदा

13/12/2023

मातृभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार में हिंदी समाचार पत्रों की भूमिका #हिंदीकविजितेंद्रशारदा

12/12/2023

गिरकर जीना सीख गए तो हर पराजय है जीत
#हिंदीकविजितेंद्रशारदा #ग़ज़लकासफर

11/12/2023

बशीर बद्र की मशहूर ग़ज़ल: आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा

आंखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा

बे-वक़्त अगर जाऊंगा सब चौंक पड़ेंगे
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा

जिस दिन से चला हूं मेरी मंज़िल पे नज़र है
आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा

ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुम ने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा

यारों की मोहब्बत का यक़ीं कर लिया मैंने
फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा

महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनें
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा

ख़त ऐसा लिखा है कि नगीने से जड़े हैं
वो हाथ कि जिसने कोई ज़ेवर नहीं देखा

पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूं उसने मुझे छूकर नहीं देखा

05/12/2023

गायत्री मंत्र का भावानुवाद
हे धरा गगन द्यूलोक के स्वामी
हे सविता हे अंतर्यामी
मेरे सकल ताप हर लीजै
मुझे विमल बुद्धि वर दीजै #हिंदीकविजितेंद्रशारदा

05/12/2023

#महामृत्युंजय मंत्र का अति सुन्दर और सरल भावानुवाद
इस मंत्र का जाप संजीवनी रुप है
#हिंदीकविजितेंद्रशारदा

05/12/2023

क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो: रामधारी सिंह "दिनकर

क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल
सबका लिया सहारा
पर नर व्याघ्र सुयोधन तुमसे
कहो, कहाँ, कब हारा?

क्षमाशील हो रिपु-समक्ष
तुम हुये विनत जितना ही
दुष्ट कौरवों ने तुमको
कायर समझा उतना ही।

अत्याचार सहन करने का
कुफल यही होता है
पौरुष का आतंक मनुज
कोमल होकर खोता है।
क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दंतहीन
विषरहित, विनीत, सरल हो।

तीन दिवस तक पंथ मांगते
रघुपति सिन्धु किनारे,
बैठे पढ़ते रहे छन्द
अनुनय के प्यारे-प्यारे।
उत्तर में जब एक नाद भी
उठा नहीं सागर से
उठी अधीर धधक पौरुष की
आग राम के शर से।

सिन्धु देह धर त्राहि-त्राहि
करता आ गिरा शरण में
चरण पूज दासता ग्रहण की
बँधा मूढ़ बन्धन में।
सच पूछो, तो शर में ही
बसती है दीप्ति विनय की
सन्धि-वचन संपूज्य उसी का
जिसमें शक्ति विजय की।

सहनशीलता, क्षमा, दया को
तभी पूजता जग है
बल का दर्प चमकता उसके
पीछे जब जगमग है

30/11/2023

अध्यात्म काव्य #हिंदीकविजितेंद्रशारदा

25/11/2023

#हिंदीकविजितेंद्रशारदा #ग़ज़लकासफर
काफिलों की रहनुमाई तो कठिन है
सुगमता है हर किसी को अनुसरण में

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