Satish Yogi Seenk

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*बिग ब्रेकिंग**यूपीएससी के फाइनल रिजल्ट की हुई घोषणा* मेरे गांव सींक जिला पानीपत के लिए बहुत खुशी की बात है  # #*जसवंत म...
16/04/2024

*बिग ब्रेकिंग*

*यूपीएससी के फाइनल रिजल्ट की हुई घोषणा*
मेरे गांव सींक जिला पानीपत के लिए बहुत खुशी की बात है # #*जसवंत मलिक ( सुरजीत मलिक मास्टर के सुपुत्र ) का हुआ यूपीएससी परीक्षा में चयन*

*देशभर में प्राप्त किया 115 वां रैंक*

*जसवंत मलिक का कुछ दिन पहले हरियाणा में HCS के पद पर भी हुआ था चयन*

*जसवंत मलिक का अब IAS या IPS अधिकारी बनना हुआ तय*

खीरे के लाभ जानें1 खीरा का परिचय 2 खीरा क्या है 3 अनेक भाषाओं में खीरा के नाम 4 खीरा के फायदे 4.1 आंखों की बीमारी में खी...
10/04/2024

खीरे के लाभ जानें
1 खीरा का परिचय
2 खीरा क्या है
3 अनेक भाषाओं में खीरा के नाम
4 खीरा के फायदे
4.1 आंखों की बीमारी में खीरे से फायदा
4.2 गले के रोग में फायदेमंद खीरा का उपयोग
4.3 पेशाब की समस्या का इलाज खीरा
4.4 खीरा के सेवन से पथरी की बीमारी का उपचार
4.5 मुँहासे दूर करता है खीरा
4.6 घाव सुखाने और सूजन के लिए करें खीरा का प्रयोग
4.7 फ्लू में लाभदायक खीरा
4.8 नींद ना आने की परेशानी में करें खीरे का प्रयोग
5 खीरा के सेवन की मात्रा
6 खीरा के सेवन का तरीका
7 खीरा से नुकसान
8 खीरा कहां पाया या उगाया जाता है
खीरा का परिचय
आपने खीरा खाया होगा। सभी लोग खीरा खाते हैं। प्रायः खीरा का सेवन सलाद के रूप में किया जाता है लेकिन इसके अलावा भी खीरा का इस्तेमाल कई तरह के व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है। आमतौर पर लोग यह जानते हैं कि खीरा पेट के लिए ठंडा होता है और इससे शरीर को फायदा होता है। लोग यह नहीं जानते होंगे कि कई बीमारियों को ठीक करने के लिए एक औषधि के रूप में भी खीरा का उपयोग किया जाता है।

खीरा पचने में भारी, पित्त को शांत करने वाला, कफ और वात को बढ़ाने वाला, मूत्र रोग में फायदेमंद होता है। यह मोटापा कम करने और पीलिया रोग को ठीक करने का काम आता है। पथरी को गलाता है। उलटी को रोकता है। इसके बीज समान गुण वाले ही होते हैं।

खीरा क्या है
आकार तथा रंग-रूप के आधार पर खीरा की कई प्रजातियां होती हैं। इसकी फैलने वाली और पेड़ों पर चढ़ने वाली लता होती है। खीरे का ही एक और प्रकार अफ्रीका मूल का है जिसका नाम है बालम खीरा (Balam Kheera/Khira) जो दिखने में और गुणों भी खीरे के जैसा ही होता है।

अनेक भाषाओं में खीरा के नाम
खीरा का लैटिन नाम कुकुमिस सैटाइवस ( Cucumis sativus Linn., Syn-Cucumis muricatus Willd.) है और यह कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae) का है। खीरा को देश और विदेश में इन नामों से भी जाना जाता है, जो ये हैंः-

English – घिरकिन (Gherkin), Cucumber (क्यूकॅम्बर)
Marathi (Cucumber in marathi) – काकड़ी (Kaakadi)
Hindi (Kheera in hindi) – खीरा
Sanskrit – त्रपुष, कण्टकुल, सुधावास, सुशीतल
Oriya – ककनाई (Kaknai)
Konkani – कान्करी(Kankri)
Kannada – सन्तेकाई (Santekyi), सन्तेक (Santek)
Gujarati – काकरी (Kakri), कंकडी (Kankdi)
Tamil – पिपिंगके (Pipingkay), वेलारीकायी (Vellarikkai)
Telugu – डोसाकाय(Dosakaya)
Bengali – खीरा (Kheera), ससा (Sasa)
Nepali – काक्रो (Kakro)
Punjabi – खीयार(Khiyar), खीरा (Kheera); , खीरा (Khira)
Malayalam – वेल्लारी (Vellari)
Arabic – खेयार (Kheyaar)
Persiian – शियारे खुर्द (Shiyarekhurd)
खीरा के फायदे
खीरा का औषधीय प्रयोग, प्रयोग के तरीके और विधियां ये हैंः-

आंखों की बीमारी में खीरे से फायदा
खीरे को पीसकर आंखों के बाहर चारों तरफ लेप लगाने से आंखों के बाहर होने वाले काले धब्बे मिटते हैं।

खीरे के टुकड़ों को भी आँख पर रखने से आँखों को ठंडक मिलती है।

गले के रोग में फायदेमंद खीरा का उपयोग
खीरे के पत्तों का काढ़ा बनायें। 10-20 मि.ली. काढ़े में आधा ग्राम जीरा चूर्ण मिलाकर सेवन करने से गले के रोगों में लाभ होता है।

पेशाब की समस्या का इलाज खीरा
पेशाब करने में तकलीफ होने पर रोगी भोजन में खीरे का सेवन करें। इससे लाभ होता है।
खीरे के बीज का 2-4 ग्राम काढ़े को दूध के साथ नियमित पीने से कुछ दिनों में पेशाब की जलन और पेशाब में चीनी आने में लाभ होता है।
तिल तथा खीरे में बीजों को समान मात्रा में लेकर दूध के साथ पीस लें। 2-4 ग्राम काढ़े में घी मिलाकर पीने से पेशाब संबंधी परेशानी ठीक होती है। इससे रुक-रुक कर पेशाब आने की समस्या ठीक होती है।
खीरे का तेल पेशाब करने संबंधी विकार में लाभकारी होता है।
यदि पेशाब न बन रहा हो तो खीरे के बीज के 2-4 ग्राम काढ़े को खट्टी कांजी तथा लवण के साथ मिला लें। इसका सेवन करने से पेशाब बनने लगता है।
खीरे के पत्तों को पीस-छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर 10-15 मि.ली. मात्रा में पिलाने से पेशाब खुल कर आता है और मूत्र विकारों में लाभ होता है।
खीरा के सेवन से पथरी की बीमारी का उपचार
खीरे के 2-4 ग्राम बीजों को दही के साथ नियमित सेवन करने से पथरी घुल कर निकल जाती है।

मुँहासे दूर करता है खीरा
खीरे को पीसकर पूरे चेहरे, आँख तथा गले पर लगाएं। इसे लगभग 30 मिनट तक इसी स्थिति में छोड़ देें। इससे यह मुँहासों तथा रुखी त्वचा की परेशानी ठीक होती है।

घाव सुखाने और सूजन के लिए करें खीरा का प्रयोग
खीरा को पीसकर उसमें थोड़ा नमक मिलाकर घाव की सूजन पर ऊपर से लेप करने से सूजन को कम करता है। इसे

अगर आप इसे मवाद वाले स्थान पर लगाएंगे तो यह निश्चित स्थान पर मवाद को जमा करने में सहायता करता है।

फ्लू में लाभदायक खीरा
फ्लू होने पर यदि वायु एवं कफ बहुत बढ़े हुए हों तो खीरा खाकर बाद में मट्ठा पीना चाहिए। मट्ठे में बनाया खीरे का रायता भी ले सकते हैं। इसके साथ ही भांप से स्नान करना चाहिए मतलब पूरे बदल में भांप लगाना चाहिए।

नींद ना आने की परेशानी में करें खीरे का प्रयोग
खीरे के गूदे को पीसकर पैर के तलवों पर मालिश करने से नींद ना आने की परेशानी और आँखों की जलन में लाभ होता है।

खीरा के सेवन की मात्रा
खीरा का औषधीय प्रयोग करने के लिए सेवन चिकित्सक के परामर्शानुसार करें।

खीरा के सेवन का तरीका
खीरा का इस्तेमाल इस तरह से किया जा सकता हैः-

फल
बीज
पत्ते

बीज की तेल

खीरा से नुकसान
खीरा के अधिक प्रयोग से ये नुकसान हो सकता हैः-

गैस यानी वायुविकार

अपच की समस्या

एसिडिटी की परेशानी

खट्टी डकार
इसको ठीक करने के लिए मट्ठा पीना चाहिए।

खीरा की कुछ प्रजातियां कड़वी भी होती हैं। उनका सेवन नहीं करना चाहिए।

खीरा कहां पाया या उगाया जाता है
खीरा भारत में बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। उत्तर भारत में नदियों के किनारे इसकी खेती की जाती है।
खीरे को कभी भी रात के समय नहीं खाना चाहिए। खीरे को लेकर आपने एक स्थानीय कहावत भी सुनी होगी जो इस प्रकार है, “सुबह को हीरा, दिन में खीरा और रात में पीड़ा”। इसका मतलब है कि सुबह के समय खीरा खाना शरीर के लिए सबसे अधिक लाभकारी होता है, दिन में इसका सेवन करने के सामान्य फायदे हैं, जबकि रात में इसका सेवन हानिकारक और पीड़ादायी है।
#सदा_स्वस्थ_रहें

09/04/2024

आपकी सरसो की कीमत 50-60 रुपये किलो है लेकिन गाय / भैंस के गोबर की कीमत 600 रुपये किलो है

नवरात्री आने वाली है घरों में पूजा होनी है ऐसे में फ्लिपकार्ट ने भी कंडे / उपला की कीमत में भारी डिस्काउंट दिया है 499 रुपये का कंडा आपको मात्र 149 रुपये में दिया जाएगा

सुनो सोचने में ज्यादा समय बर्बाद मत करो इनके पास मात्र 5 कंडे ही बचे हुए है किसी ने ऑर्डर कर दिया तो आप 70% डिस्काउंट का लाभ लेने से चूक जाएंगे इसलिए तुरन्त ऑर्डर करो

अब आप सोचिये एक कंडे में लगभग 250 ग्राम वजन अधिकतम रहता है यानी कि आपकी गाय / भैंस के गोबर की कीमत 600 रुपये किलो है

चौंकिए मत ये ही बाजारीकरण है इसीलिए आपको हम रोज समझाने का प्रयास करते है कि जब तक किसान सिर्फ उत्पादन करेगा तब तक उसकी आर्थिक स्थिति नही सुधरेगी

यदि आपको आर्थिक स्थिति सुधारनी है तो बाजार में उतरना पड़ेगा गाय आपकी गाय के गोबर से कंडे बनाने की कला आपकी, कंडे बनाते भी आप है

ये लोग सिर्फ आपसे कंडे खरीदते है जो अधिकतम 5 रुपये में किसान से खरीदा गया होगा वैसे तो 1-2 रुपये में ही शहरों में मिल जाता है गांव में तो कोई फ्री में भी नही खरीदता

अब आप सोचिये आपसे कंडे खरीदकर उस व्यक्ति ने फ्लिपकार्ट जैसे दूसरे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग किया

बस इतनी सी हेराफेरी की बदौलत आपके 5 रुपये के कंडे को उसने 149 रुपये का बेच दिया

आपको गाय भैंस को खिलाने पालने और उसके गोबर से कंडे बनाने में कई दिनों का समय लगा और क्या मिला मात्र 5 रुपये

वहीं बिचोलिये ने आराम से घर बैठे बैठे आपसे संपर्क किया फ्लिपकार्ट से संपर्क किया दोनो से संपर्क के बदले 145 रुपये का मुनाफा एक कंडे पर कमा लिया

मान लीजिए दिनभर में 15 से 20 कंडे भी बिक जाए तो उसने सीधे सीधे 2200 से 2900 रुपये कमा लिया उसमे से 1000-500 रुपये यदि फ्लिपकार्ट को भी दे दिया तब भी 2000 रुपये प्रति दिन घर बैठे कमा लिया

ये ही बाजार का गणित है इसे ही किसानों को समझना होगा किसान के पढ़े लिखे बच्चो को बाजारीकरण के इस युग मे अपने परिवार की स्थिति सुधारने के लिए आगे आना होगा

यदि आपको बाजारीकरण की ये गणित समझ आई है और आप चाहते है कि किसान के जीवन मे परिवर्तन हो तो आप ऐसी पोस्टो को आवश्य शेयर किया करें लोगो को जागरूक करें तब ही हम सबका समृद्ध किसान का सपना साकार होगा

09/04/2024
9अप्रैल से हिंदू नववर्ष नव संवत्सर 2081 आरंभ हो रहा है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि का निर्माण हुआ था, इसलिए इस दिन ह...
09/04/2024

9अप्रैल से हिंदू नववर्ष नव संवत्सर 2081 आरंभ हो रहा है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सृष्टि का निर्माण हुआ था, इसलिए इस दिन हिन्दू नववर्ष के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन को संवत्सरारंभ, गुडीपडवा, युगादी, वसंत ऋतु प्रारंभ दिन आदी नामों से भी जाना जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष मनाने के नैसर्गिक, ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक कारण हैं। सनातन संस्था की ओर से जारी लेख में हिन्दू नववर्ष के महत्व और इस त्यौहार के बारे में विस्तार से बताया गया है।

चैत्र प्रतिपदा को वर्षारंभ दिन अर्थात नववर्ष क्यों मनाए?
वर्षारंभ का दिन अर्थात नववर्ष दिन। इसे कुछ अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे- संवत्सरारंभ, विक्रम संवत् वर्षारंभ, वर्षप्रतिपदा, युगादि, गुडीपडवा इत्यादि। इसे मनाने के अनेक कारण हैं।
वर्षारंभ मनाने का नैसर्गिक कारण
भगवान श्रीकृष्ण अपनी विभूतियों के संदर्भ में बताते हुए श्रीमद्भगवद्गीता में कहते हैं
बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम् । मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः ।। (श्रीमद्भगवद्गीता – 10.35)
इसका अर्थ है, ‘सामों में बृहत्साम मैं हूं। छंदों में गायत्री छंद मैं हूं। मासों में अर्थात्‌ महीनों में मार्ग शीर्ष मास मैं हूं और ऋतुओं में वसंतऋतु मैं हूं।’
सर्व ऋतुओं में बहार लानेवाली ऋतु है, वसंत ऋतु। इस काल में उत्साहवर्धक, आह्लाददायक एवं समशीतोष्ण वायु होती है। शिशिर ऋतु में पेडों के पत्ते झड़ चुके होते हैं, जबकि वसंत ऋतु के आगमन से पेडों में कोंपलें अर्थात नए कोमल पत्ते उग आते हैं, पेड-पौधे हरे-भरे दिखाई देते हैं । कोयल की कूक सुनाई देती है। इस प्रकार भगवान श्रीकृष्णजी की विभूतिस्वरूप वसंत ऋतु के आरंभ का यह दिन है।
वर्षारंभ मनाने का ऐतिहासिक कारण
– शकोंने हूणोंको पराजित कर विजय प्राप्त की एवं भारतभूमि पर हुए आक्रमण को मिटा दिया – शालिवाहन राजा ने शत्रु पर विजय प्राप्त की और इस दिन से शालिवाहन पंचांग प्रारंभ किया
वर्षारंभ मनाने का पौराणिक कारण
– इस दिन भगवान श्रीराम ने बाली का वध किया था
वर्षारंभ का अतिरिक्त विशेष महत्व
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन अयोध्या में श्रीरामजी का विजयोत्सव मनाने के लिए अयोध्यावासियों ने घर-घर के द्वार पर धर्मध्वज फहराया। इसके प्रतीकस्वरूप भी इस दिन धर्मध्वज फहराया जाता है। महाराष्ट्र में इसे गुडी कहते हैं।
नववर्षारंभ दिन मनाने का आध्यात्मिक कारण
भिन्न-भिन्न संस्कृति अथवा उद्देश्य के अनुसार नववर्ष का आरंभ भी विभिन्न तिथियों पर मनाया जाता हैं। उदाहरणार्थ, ईसाई संस्कृति के अनुसार इसवी सन् 01 जनवरी से आरंभ होता है, जबकि हिंदू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होता है। आर्थिक वर्ष 01 अप्रैल से आरंभ होता है, शैक्षिक वर्ष जून से आरंभ होता है, जबकि व्यापारी वर्ष कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होता है। इन सभी वर्षारंभों में से अधिक उचित नववर्ष का आरंभ दिन है, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा।
ब्रह्मांड की निर्मिति का दिन
ब्रह्मदेव ने इसी दिन ब्रह्मांड की निर्मिति की। उनके नाम से ही ‘ब्रह्मांड’ नाम प्रचलित हुआ। सत्ययुग में इसी दिन ब्रह्मांड में विद्यमान ब्रह्मतत्त्व पहली बार निर्गुण से निर्गुण-सगुण स्तर पर आकर कार्यरत हुआ तथा पृथ्वी पर आया।
सृष्टि के निर्माण का दिन
ब्रह्मदेव ने सृष्टि की रचना की, तदूपरांत उसमें कुछ उत्पत्ति एवं परिवर्तन कर उसे अधिक सुंदर अर्थात परिपूर्ण बनाया। इसलिए ब्रह्मदेवद्वारा निर्माण की गई सृष्टि परिपूर्ण हुई, उस दिन गुडी अर्थात धर्मध्वजा खडी कर यह दिन मनाया जाने लगा।
साढ़े तीन मुहूर्तों में से एक
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अक्षय तृतीया एवं दशहरा, प्रत्येक का एक एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा का आधा, ऐसे साढ़े तीन मुहूर्त होते हैं। इन साढ़े तीन मुहूर्तों की विशेषता यह है कि अन्य दिन शुभकार्य करने के लिए मुहूर्त देखना पड़ता है; परंतु इन चार दिनों का प्रत्येक क्षण शुभ मुहूर्त ही होता है।
नववर्षारंभ कैसे मनाएं ? (ब्रह्मध्वजा खड़ी करना)
– ब्रह्मध्वजा सूर्योदय के उपरांत, तुरंत मुख्य द्वार के बाहर; परंतु देहली (दहलीज) के पास (घर में से देखें तो) दाईं बाजू में भूमि पर पीढा रखकर उसपर खड़ी करें।
– ब्रह्मध्वजा खड़ी करते समय उसकी स्वस्तिक पर स्थापना कर आगे से थोडी झुकी हुई स्थिति में ऊंचाई पर खड़ी करें।
– सूर्यास्त पर गुड़ का नैवेद्य अर्पित कर ब्रह्मध्वज निकालें।
1. नया बांस उपलब्ध न हो, तो पुराना बांस स्वच्छ कर उसका उपयोग करें। यदि यह भी संभव न हो, तो अन्य कोई भी लाठी गोमूत्र से अथवा विभूति के पानी से शुद्ध कर उपयोग कर सकते हैं।
2. नीम अथवा आम के पत्ते उपलब्ध न हों, तो उनका उपयोग न करें ।
3. अक्षत सर्वसमावेशी होने से नारियल, बीडे के पत्ते, सुपारी, फल आदि उपलब्ध न हों, तो पूजन में उनके उपचारों के समय अक्षत समर्पित कर सकते हैं । फूल भी उपलब्ध न हों, तो अक्षत समर्पित की जा सकती है।
4. नीम के पत्तों का भोग तैयार न कर पाएं तो मीठा पदार्थ, वह भी उपलब्ध न हो पाए, तो गुड अथवा चीनी का भोग लगा सकते हैं ।
#सदा_स्वस्थ_रहें

डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों के साथ की योग क्रियाएं
06/04/2024

डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों के साथ की योग क्रियाएं

उच्च रक्तचाप में जल्दी फायदा करे ये घरेलू नुस्खे आपका हृदय धमनियों के माध्यम से खून को शरीर में भेजता है। शरीर की धमनियो...
05/04/2024

उच्च रक्तचाप में जल्दी फायदा करे ये घरेलू नुस्खे
आपका हृदय धमनियों के माध्यम से खून को शरीर में भेजता है। शरीर की धमनियों में बहने वाले रक्त के लिए एक निश्चित दबाव जरूरी होता है। जब किसी वजह से यह दबाव अधिक बढ़ जाता है, तब धमनियों पर ज्यादा असर पड़ता है। दबाव बढ़ने के कारण धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करना पड़ता है। इस स्थिति को उच्च रक्तचाप कहते हैं। उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) एक गंभीर बीमारी है। क्या आपको पता है कि हाई बीपी के लक्षण क्या-क्या होते हैं। हाई ब्लड प्रेशर होने पर आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। हाई बीपी के इलाज के लिए आपको क्या उपाय करना चाहिए।

ध्यान रखें कि हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) के कारण आपका हृदय भी काम करना बंद कर सकता है। लगातार उच्च रक्तचाप रहने से आपके शरीर को कई तरह की हानि पहुँच सकता है। इससे हार्ट फेल भी हो सकता है। इसलिए यहां हाई बीपी के लक्षण, हाई ब्लड प्रेशर में क्या खाना चाहिए और हाई ब्लड प्रेशर के लिए घरेलू उपाय की जानकारी जरूरी है।

1 हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) क्या है?
2 हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) के कारण
3 हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) के लक्षण
4 उच्च रक्तचाप से कैसे बचें?
5 हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) के लिए आहार
6 उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के घरेलू उपाय
6.1 उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए लहसुन का इस्तेमाल
6.2 उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए आँवले के रस का सेवन
6.3 उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए काली मिर्च का प्रयोग
6.4 उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए तरबूज का सेवन
6.5 उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए नींबू का उपयोग
6.6 तुलसी और नीम से करें हाई बीपी कम करने के उपाय
6.7 खाली पैर हरी घास पर चलने से उच्च रक्तचाप होता है कम
6.8 पालक और गाजर के जूस से करें हाई बीपी कम करने के उपाय
6.9 करेला से करें हाई बीपी कम करने के उपाय (
6.10 ब्राउन राइस उच्च रक्तचाप को करे कंट्रोल
6.11 मेथीदाना से करें हाई ब्लडप्रेशर को कंट्रोल
6.12 उच्च रक्तचाप की आयुर्वेदिक दवा है टमाटर
6.13 उच्च रक्तचाप की आयुर्वेदिक दवा है अनार
6.14 हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए चुकंदर का सेवन
6.15 हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए तिल के तेल का उपयोग
6.16 हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए हल्दी का इस्तेमाल
6.17 हाई बीपी को कम करने के लिए नारियल का प्रयोग
7 डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?
हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) क्या है?
जब व्यक्ति असंतुलित आहार-विहार का सेवन करता है तो कफ व मेद की वृद्धि हो जाती है। कफ और मेद धमनियों में स्थान संश्रय कर धमनियों में कठिनता उत्पन्न करता है और वायु रक्त संवहन की प्रक्रिया को प्रतिकूल गति प्रदान कर रक्तचाप को बढ़ा देती है।

हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) के कारण (High Blood Pressure Causes in Hindi)
उच्च रक्तचाप असंतुलित जीवनशैली और आहार के कारण तो होता ही है लेकिन ये भी कारण होते हैं-

-ब्लड प्रेशर हाई होने का प्रमुख कारण मोटापा होता है। मोटे व्यक्ति में बी.पी. बढ़ने का खतरा आम व्यक्ति से ज्यादा होता है।

-शारीरिक श्रम न करना। जो लोग व्यायाम, खेल-कूद और कोई भी शारीरिक क्रिया नहीं करते और आरामतलब जीवन जीते हैं, उन्हें रक्तचाप की समस्या हो सकती है।

-जो व्यक्ति शुगर, दिल के रोग, किडनी के रोगों से ग्रसित होते हैं एवं जिनकी रक्त धमनियां कमजोर होती हैं उनमें रक्तचाप उच्च हो जाता है।

-ज्यादा नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से।

-पिज्जा, बर्गर, चाऊमिन, मोमोज आदि खाने से बी.पी. बढ़ जाता है।

-जो व्यक्ति धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन करते हैं।

-प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को भी बी.पी. बढ़ने की समस्या होती है।

हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) के लक्षण (High Blood Pressure Symptoms in Hindi)
हाई बी.पी. के कारण हृदय से जुड़े रोग, गुर्दे के रोग, आँख आदि खराब हो सकते हैं। उच्च रक्तचाप एक धीमा जहर है जो धीरे-धीरे शरीर के अंगों को खराब कर देता है। उच्च रक्तचाप से नियंत्रण में लाने के लिए या हाई बीपी से बचने के लिए सबसे पहले हाई बीपी के लक्षणों को जानना जरूरी होता है। चलिये इसके बारे में जानते हैं-

– उच्च रक्तचाप के लक्षण के रूप में व्यक्ति को तेज सिर दर्द होता है।

-उच्च रक्तचाप के लक्षण के रूप में व्यक्ति को थकावट और ज्यादा तनाव होता है।

-रोगी को सीने में दर्द होता है और भारीपन की अनुभूति होती है।

-रोगी को सांस लेने में परेशानी महसूस होना।

-उच्च रक्तचाप के रोगी को घबराहट महसूस होती है।

-कुछ भी समझने और बोलने में कठिनाई होना।

-उच्च रक्तचाप के रोगी के पैर अचानक सुन्न हो जाते हैं।

-उच्च रक्तचाप के रोगी को प्रायः बहुत कमजोरी महसूस होती है।

-उच्च रक्तचाप के रोगी को धुंधला दिखाई पड़ता है।

उच्च रक्तचाप से कैसे बचें? (How to Prevent High Blood Pressure?)
असंतुलित भोजन और जीवनशैली के कारण भी उच्च रक्तचाप होता है, और अधिकांश लोगों को यह पता नहीं होता है कि हाई ब्लड प्रेशर होने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। इसलिए आप हाई बीपी के लक्षणों का पता चलते ही आहार और जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाएं ताकि बीमारी पर पूरी तरह नियंत्रण पा सकें।

–वजन बढ़ने के साथ अक्सर ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है। अधिक वजन सोते समय सांस लेने में बाधा उत्पन्न करती है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है, इसलिए ब्लड प्रेशर कम करने का एक प्रभावी तरीका वजन कम करना (home remedies for high bp) है।

-प्रतिदिन 20-25 मिनट तक व्यायाम करें।

-स्वस्थ आहार जैसे साबुत अनाज, फल, सब्जियां, डेरी प्रोडक्ट्स एवं कम फैट वाले भोजन से बी.पी. कम हो जाता है।

-उच्च रक्तचाप के रोगी को अपनी डायट में मैग्निशियम, कैल्शियम और पोटेशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ अधिक खाने चाहिए।

-दूध, हरी सब्जियां, दाल, सोयाबीन, प्याज, लहसुन और संतरें में ये पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं।

-प्रतिदिन मेवे में 4 अखरोट एवं 5 से 7 बादाम खाएं।

-उच्च रक्तचाप में फलों में सेब, अमरूद, अनार, केला, अंगूर, अनानास, मौसंबी, पपीता।

-हर रोज सुबह खाली पेट लहसुन की 2 कलियां खाएं।

-खट्टे फल, नींबू पानी, सूप, नारियल पानी, सोया, अलसी और काले चने खाएं।

-रोजाना पानी अधिक मात्रा में पीये।

-भोजन के लिए सोयाबीन तेल इस्तेमाल करना चाहिए।

-सलाद में प्याज, टमाटर, मूली, गाजर, खीरा, गोभी का सेवन करने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

-बिना मलाई वाले दूध का सेवन करें।

-रक्तचाप उच्च होने में ओमेगा-3 भी शामिल करें।

-हाई ब्लड प्रेशर वाले व्यक्ति को डार्क चॉक्लेट का सेवन (blood pressure normal karne ka tarika) करना चाहिए। डार्क चॉक्लेट बी.पी. कम करती है।

हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) के लिए आहार (High Blood Pressure Diet in Hindi)
हाई बीपी में आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। ये बातें यहां लिखी गई है। हाई बीपी के लक्षण महसूस होने पर इनसे परहेज करना चाहिएः-

-जिस व्यक्ति का बी.पी. हाई हो उसे नमक कम खाना चाहिए।

-कॉफी और चाय का सेवन अधिक करने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है।

-डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि उनमें नमक ज्यादा होता है।

-स्मोकिंग और शराब का सेवन न करें।

-उच्च रक्त के व्यक्ति को चाय और कॉफी का सेवन (home remedies for high bp) नहीं करना चाहिए।

-बाहर की चीजें जैसे पिज्जा, बर्गर आदि का सेवन न करें।

-बेकिंग सोड़ा का सेवन उच्च रक्तचाप के रोगी को नहीं करना चाहिए।

-खाना खाते समय अपने भोजन में नमक ऊपर से न डालें।

-पापड़ भी बिना नमक के ही खाएं।

-चटनी, आचार, अजीनोमोटो, बेंकिंग पाउडर और सॉस खाने से परहेज करें।

-बी-पी. के रोगियों को ऐसा खाना नहीं खाना चाहिए जिसमें फैट अधिक हो।

-जब आप सोते हैं तो बी.पी. कम होता है। यदि आप भरपूर नींद नहीं लेंगे तो ब्लड प्रेशर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जो लोग कम सोते हैं उनका ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है।

-हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए गुस्सा जानलेवा होता है। जितना संभव प्रयास हो सके, तनाव और गुस्से से दूर रहना चाहिए। रोजाना मेडिटेशन और योगा करना चाहिए।

-बहुत अधिक मात्रा में मादक पदार्थों के सेवन से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे आगे जाकर वजन बढ़ता है और दिल का दौरा पड़ने की संभावना भी बढ़ जाती है।

उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के घरेलू उपाय (Home Remedies for High Blood Pressure in Hindi)
उच्च रक्तचाप से राहत पाने के लिए लोग पहले घरेलू नुस्खे आजमाते हैं। चलिये जानते हैं कि ऐसे कौन-कौन-से घरेलू उपाय हैं जो उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायता करते हैं-

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए लहसुन का इस्तेमाल (Garlic: Home Remedies for High BP in Hindi)
लहसुन हर घर में इस्तेमाल में लाया जाता है। लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार होता है। लहसुन से हाई बीपी को नियंत्रित (bp high treatment at home) कर सकते हैं।

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए आँवले के रस का सेवन (Amla: Home Remedies for High BP in Hindi)
एक बड़ा चम्मच आँवले का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह-शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है। इससे उच्च रक्तचाप का उपचार होता है।

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए काली मिर्च का प्रयोग (Black Pepper: Home Remedie for High BP in Hindi)
जब ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ हो तो आधे गिलास गुनगुने पानी में काली मिर्च पाउडर का एक चम्मच घोल लें। इसे दो-दो घंटे के बाद पीते रहें। इससे हाई ब्लड प्रेशर के लक्षणों का उपचार होता है।

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए तरबूज का सेवन (Watermelon: Home Remedies for High BP in Hindi)
उच्च रक्तचाप के नियंत्रण में तरबूज लाभ पहुंचाता है। तरबूज के बीज की गिरी तथा खसखस अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में रख लें। इसका रोजाना एक-एक चम्मच सेवन (bp high treatment at home) करें।

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए नींबू का उपयोग (Lemon: Home Remedies for High BP in Hindi)
बढ़े हुए ब्लड प्रेशर में एक गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर तीन-तीन घण्टे के अन्तर में पीना चाहिए। इससे उच्च रक्तचाप का इलाज होता है।

तुलसी और नीम से करें हाई बीपी कम करने के उपाय (Tulsi and Neem Water: Home Remedies for High Blood Pressure in Hindi)
उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए पाँच तुलसी के पत्ते तथा दो नीम की पत्तियों को पीस लें। इसे एक गिलास पानी में घोलकर खाली पेट सुबह पिएं। इससे हाई ब्लड प्रेशर के लक्षणों का इलाज (home remedies for high bp) होता है।

खाली पैर हरी घास पर चलने से उच्च रक्तचाप होता है कम (Bare Foot Morning Walk is Beneficial in High Blood Pressure in Hindi)
हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को नंगे पैर हरी घास पर 10-15 मिनट तक चलना चाहिए। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नॉर्मल हो जाता है।

पालक और गाजर के जूस से करें हाई बीपी कम करने के उपाय (Palak and Carrot Juice: Home Remedies for High Blood Pressure in Hindi)
उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए ताजा पालक और गाजर का रस निकालें। इसे रोज पिएं। इसका रस लाभकारी सिद्ध होता है।

करेला से करें हाई बीपी कम करने के उपाय
उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए करेला और सहजन के फल का सेवन करें। यह उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है। इससे हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण ठीक होते हैं।

ब्राउन राइस उच्च रक्तचाप को करे कंट्रोल
उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए ब्राउन चावल खाना चाहिए। उच्च रक्तचाप के रोगियों को ब्राउन चावल बहुत लाभ देता है और हाई ब्लड प्रेशऱ के लक्षण दूर होते हैं।

मेथीदाना से करें हाई ब्लडप्रेशर को कंट्रोल
3 ग्राम मेथीदाना पाउडर सुबह-शाम पानी के साथ लें। इसे प्रतिदिन खाने से लाभ मिलता है। इससे उच्च रक्तचाप का इलाज होता है।

उच्च रक्तचाप की आयुर्वेदिक दवा है टमाटर
उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए टमाटर का सेवन करें। टमाटर से हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है। रोजाना एक टमाटर या एक कप टमाटर का जूस पिएं।

उच्च रक्तचाप की आयुर्वेदिक दवा है अनार
आप अनार से बीपी कम करने के उपाय कर सकते हैं। रोजाना एक अनार या अनार का जूस पीने से हाई ब्लड प्रेशर कम हो जाता है।

हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए चुकंदर का सेवन
आप चुकंदर से भी बीपी कम करने के उपाय कर सकते हैं। एक चुकंदर और आधी मूली लें। इनको छील कर इनके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। मिक्सर में डालकर जूस निकाल लें। यह जूस दिन में एक बार पीने से हाई बी.पी. कण्ट्रोल में आ जाता है।

हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए तिल के तेल का उपयोग
बीपी कम करने के लिए आप घरेलू उपाय कर सकते हैं। इसके लिए आप रोजाना अपने खाने में तिल के तेल का प्रयोग करें। इससे बीपी कम हो जाता है।

हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए हल्दी का इस्तेमाल
सबसे पहले किसी फल का जूस या स्मूदी बनाएं। फिर इसमें ताजा अदरक डालकर पीयें। इसके अलावा अपने खाने में प्रतिदिन अदरक का प्रयोग करें।

हाई बीपी को कम करने के लिए नारियल का प्रयोग
आप नारियल से भी बीपी कम करने के उपाय कर सकते हैं। आप पूरे दिन में 2-3 बार नारियल पानी का प्रयोग करें। इससे हाई बीपी कम हो जाता है।

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?
ब्लड प्रेशर का सामान्य से कम या अधिक होना, दोनों ही घातक होता है। जब मरीज का रक्तचाप 140-90 से अधिक होता है तो उस स्थिति को उच्च रक्तचाप कहा जाता है। बीपी कम करने के घरेलू उपाय के बाद भी जब मरीज को हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण के रूप में सीने में दर्द और भारीपन महसूस हो, और सांस लेने में परेशानी हो। सिर दर्द हो, कमजोरी या धुंधला दिखाई दे तो मरीज को डॉक्टर से जल्द से जल्द मिलना चाहिए, नहीं तो यह गंभीर रोग में परिवर्तित होकर घातक स्थिति तक पहुँच सकता है।
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शहतूत के लाभ सभी तक पहुंचायेंआप स्वस्थ हों देश स्वस्थ हो और साथ ही अपना व देश का करोड़ों रुपये बचायेंशहतूत: करिश्माई ढंग ...
28/03/2024

शहतूत के लाभ सभी तक पहुंचायें
आप स्वस्थ हों देश स्वस्थ हो और साथ ही अपना व देश का करोड़ों रुपये बचायें
शहतूत: करिश्माई ढंग से फायदा करता है-
शहतूत का फल खाने में जितना स्वादिष्ट होता है उतना ही इससे शरीर को लाभ भी होता है। आप शहतूत को खाते जरूर होंगे, लेकिन इसके गुणों के बारे में ज्यादा जानते नहीं होंगे। शहतूत एक जड़ी-बूटी भी है, और शहतूत के कई सारे औषधीय गुण हैं। आप कब्ज, मुंह के छाले की परेशानी, दस्त, कंठ के सूजन, आवाज बैठने और कंठ की जलन में शहतूत के इस्तेमाल से फायदे ले सकते हैं। इतना ही नहीं, बदहजमी, पेट के कीड़े, पाचन-तंत्र विकार, और मूत्र रोग आदि रोगों में भी शहतूत के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।

आयुर्वेद में शहतूत के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपको जानना जरूरी है। आप एडियों के फटने (बिवाई) पर, खुजली, और त्वची संबंधी बीमारियों में शहतूत के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। इसके अलावा शारीरिक जलन या शारीरिक कमजोरी में भी शहतूत से लाभ मिलता है। आइए यहां शहतूत के सेवन या उपयोग करने से होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में जानते हैं।

1 शहतूत क्या है?
2 अन्य भाषाओं में शहतूत के नाम
3 शहतूत के औषधीय गुण
4 शहतूत के फायदे और उपयोग
4.1 कब्ज की समस्या में शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
4.2 मुंह के छाले में शहतूत के सेवन से लाभ
4.3 शहतूत के औषधीय गुण से कंठ की जलन का इलाज
4.4 कंठमाला रोग में शहतूत के सेवन से लाभ
4.5 कंठ की सूजन में शहतूत के सेवन से लाभ
4.6 बदहजमी में शहतूत के सेवन से लाभ
4.7 पाचनतंत्र विकार में शहतूत के फायदे
4.8 पेट में कीड़े होने पर शहतूत के फायदे
4.9 मूत्र रोग में शहतूत के फायदे
4.10 पैरों की एड़ियां (बिवाई होना) फटने पर शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
4.11 दस्त में शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
4.12 शहतूत के औषधीय गुण से दाद-खाज-खुजली का इलाज
4.13 त्वचा रोग के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है शहतूत
4.14 पित्त दोष के कारण होने वाले मानसिक रोग के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है शहतूत
4.15 शहतूत के औषधीय गुण से शारीरिक जलन का इलाज
4.16 अत्यधिक प्यास लगने की समस्या के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है शहतूत
4.17 शारीरिक कमजोरी में शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
5 शहतूत के उपयोगी भाग
6 शहतूत का इस्तेमाल कैसे करें?
7 शहतूत कहां पाया या उगाया जाता है?
शहतूत क्या है?
शहतूत की दो प्रजातियां पाई जाती हैं।

तूत (शहतूत)
तूतड़ी
शहतूत का वृक्ष लगभग 3-7 मीटर ऊँचा, मध्यमाकार होता है। इसके तने गहरे भूरे रंग के, खुरदरे, और दरारयुक्त होते हैं। इसके पत्ते सीधे, और विभिन्न आकार के होते हैं। पत्ते 5-7.5 सेमी लम्बे, अण्डाकार या चौड़े अण्डाकार के होते हैं।

इसके फूल हरे रंग के होते हैं। इसके फल लगभग 2.5 सेमी लम्बे, अण्डाकार अथवा लगभग गोलाकार होते हैं। ये कच्च्ची अवस्था में सफेद रंग के होते हैं, और पक जाने वाले लगभग हरे-भूरे या फिर गहरे-बैंगनी रंग के होते हैं। शहतूत के वृक्ष में फूल और फल जनवरी से जून के बीच होता है।

यहां शहतूत के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है ताकि आप शहतूत के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

अन्य भाषाओं में शहतूत के नाम
शहतूत का वानस्पतिक नाम Morus alba Linn. (मोरस ऐल्बा) Syn-Morus tatarica Linn. है और यह Moraceae (मोरेसी) कुल का है। शहतूत को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-

Hindi- सहतूत, तूत, शहतूत, तुतरी, चिन्नी
Sanskrit- तूत, तूल, ब्रह्मकाष्ठ, मृदुसार, सुपुष्प, ब्रह्मदारु, तूद
English- Mulberry (मलबेरि), वाइट मलबेरि (White mulberry)
Uttrakhand- तुंतरी (Tuntri), तूतरी (Tutri)
Oriya- तूतीकोली (Tuticoli)
Kannada- तूती (Tuti), कोरीगिडा (Korigida)
Gujarati- शेतूर (Shetur)
Tamil- पट्टूपूची (Pattupuchi), काम्बीलीपुच (Kambilipuch)
Telugu- रेशमीचेट्टु (Reshmi chettu)
Bengali- तूत (Tut)
Nepali- किम्बू (Kimbu)
Punjabi- तूत (Tut)
Marathi- तूत (Tut)
Arabic- तूथ (Tuth), तूत (Tut)
Persian- तूथ (Tuth), तूत (Tut)
शहतूत के औषधीय गुण
शहतूत के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-

शहतूत मधुर, कषाय, अम्ल, शीत, गुरु, पित्तवातशामक, सर, वृष्य, बलकारक, दाह-प्रठीक, दीपन, ग्राही और वर्णकारक होता है। यह दाह और रक्तपित्तनाशक होता है। इसका पक्व फल मधुर शीत गुरु और पित्तवातशामक होता है।

इसका पक्वफल बलकारक, वर्णकारक, अग्निवर्धक, मलरोधक और रक्तविकार-शामक होता है। इसका अपक्व फल गुरु, सर, अम्ल, उष्ण और रक्तपित्तकारक होता है। इसकी छाल (छाल्) कृमिनिसारक, विरेचक, वेदनाहर, मूत्रल, कफनिस्सारक, शोथहर, प्रशामक, आक्षेपहर और बलकारक होती है।

शहतूत के फायदे और उपयोग
शहतूत के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

कब्ज की समस्या में शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
आप कब्ज की समस्या में शहतूत का सेवन कर लाभ ले सकते हैं। 5-10 मिली शहतूत फल के रस का सेवन करने से कब्ज में बहुत लाभ होता है।

मुंह के छाले में शहतूत के सेवन से लाभ
मुंह में छाले होना एक ऐसी बीमारी है जिससे लोग बार-बार पीड़ित होते हैं। शहतूत के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करें। इसके साथ ही शहतूत के पत्ते को चबाएं। इससे मुंह के छाले खत्म होते हैं।

शहतूत के औषधीय गुण से कंठ की जलन का इलाज
शहतूत के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करने से कण्ठ की जलन खत्म होती है।
शहतूत के पत्ते का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से कण्ठ की जलन, कंठ का दर्द, कंठ की सूजन, डीप्थीरिया और आवाज बैठने की समस्या में लाभ होता है। रोहिणी,

कंठमाला रोग में शहतूत के सेवन से लाभ
टॉन्सिल के कारण व्यक्ति को कुछ भी खाने-पीने में दिक्कत होने लगती है। आप टॉन्सिल की समस्या में शहतूत के फलों का शर्बत बनाकर पिएं। इससे टॉन्सिल (कण्ठमाला) रोग में लाभ होता है।

कंठ की सूजन में शहतूत के सेवन से लाभ
कंठ की सूजन में भी शहतूत के औषधीय गुण से फायदा मिलता है। शहतूत के फलों का सेवन करें। इससे कंठ की सूजन की समस्या ठीक होती है। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

बदहजमी में शहतूत के सेवन से लाभ
5-10 मिली शहतूत फल के रस का सेवन करें। इससे सीने की जलन, बदहजमी, पेट के कीड़े और दस्त की समस्या आदि में लाभ होता है।

पाचनतंत्र विकार में शहतूत के फायदे
शहतूत के फलों का शर्बत बना लें। इसमें 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण डालकर पिएं। इससे पाचन-तंत्र से जुड़ी समस्या ठीक होती है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

पेट में कीड़े होने पर शहतूत के फायदे
5-10 मिली शहतूत की जड़ की छाल का काढ़ा पिएं। इससे पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
1 ग्राम शहतूत की छाल के चूर्ण में शहद मिलाकर चांटें। इससे पेट के कीड़े निकल जाते हैं।

मूत्र रोग में शहतूत के फायदे
शहतूत के फल के रस में कलमी शोरा को पीस लें। इसे नाभि के नीचे लेप करें। इससे मूत्र रोग जैसे पेशाब करते समय जलन होना, पेशाब रुक-रुक कर होने आदि में फायदा मिलता है।

पैरों की एड़ियां (बिवाई होना) फटने पर शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
अनेक पुरुष या महिलाओं के पैरों की एड़ियां फट जाती हैं। कई बार एड़ी फटने (बिवाई) पर किए गए उपया से लोगों को फायदा नहीं मिलता है। आप ऐसे में शहतूत के बीजों को पीस लें। इसे पैरों पर लगाएं। इससे पैरों की बिवाइयों खत्म होती है।

दस्त में शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
दस्त पर रोक लगाने के लिए भी शहतूत का सेवन फायदेमंद होता है। 5-10 मिली शहतूत फल के रस का सेवन करने से दस्त पर रोक लगती है।

शहतूत के औषधीय गुण से दाद-खाज-खुजली का इलाज
शहतूत की छाल के चूर्ण में नींबू का रस मिला लें। इसे घी में तलकर दाद पर लगाएं, और कपड़े से पट्टी बाँध दें। ऐसा लगातार 15 दिनों तक करें। 15 दिनों में दाद और दाद के कारण होने वाली खुजली ठीक होती है।

त्वचा रोग के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है शहतूत
त्वचा संबंधित अनेक रोगों में शहतूत के औषधीय गुण से लाभ मिलता है। त्वचा रोग होने पर शहतूत के पत्ते को पीस लें। इसका लेप करने से त्वचा की बीमारियों में लाभ होता है।

पित्त दोष के कारण होने वाले मानसिक रोग के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है शहतूत
पित्त दोष के कारण होने वाले मैनिया में भी शहतूत के फायदे मिलते हैं। ब्राह्मी के 10-20 मिली काढ़ा में 5-10 मिली शहतूत फल के रस को मिला लें। इसे पिलाने से मैनिया रोग में लाभ होता है।

शहतूत के औषधीय गुण से शारीरिक जलन का इलाज
कई पुरुष या महिलाओं को शरीर में जलन की शिकायत रहती है। शरीर की जलन होने पर शहतूत के फलों का शर्बत बनाकर पिएं। इससे जलन खत्म होती है। अधिक लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें।

अत्यधिक प्यास लगने की समस्या के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है शहतूत
अधिक प्यास लगने की समस्या में शहतूत के फलों का शर्बत बनाकर पिएं। इससे अत्यन्त प्यास लगने की परेशानी में बहुत फायदा होता है।

शारीरिक कमजोरी में शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए सूखे हुए शहतूत के फलों को पीसकर आटे में मिला लें। इसकी रोटी बनाकर खाएँ। इससे शारीरिक कमजोरी खत्म होती है, और शरीर स्वस्थ बनता है।

शहतूत के उपयोगी भाग
शहतूत के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-

छाल
फल
पत्ते
बीज
शहतूत का इस्तेमाल कैसे करें?
शहतूत को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-

जड़ की छाल का काढ़ा– 5-10 मिली

यहां शहतूत के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है ताकि आप शहतूत के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए शहतूत का सेवन करने या शहतूत का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

शहतूत कहां पाया या उगाया जाता है?
भारत में शहतूत पंजाब, कश्मीर, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश एवं उत्तरी-पश्चिमी हिमालय में पाया जाता है। यह चीन में भी पाया जाता है। शहतूत की खेती जापान, पाकिस्तान, बलूचिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, वियतनाम एवं सिंधु के उत्तरी भागों में कृषि होती है।
शहतूत के पेड़ लगायें और सबको लाभ पहुंचायें...
शहतूत खाने के 25 जबरदस्त फायदे व औषधीय प्रयोग |
1 शहतूत के लाभ व औषधीय गुण : शहतूत से विभिन्न रोगों का उपचार :
शहतूत के लाभ व औषधीय गुण :
★ शहतूत और शहतूत का शर्बत दोनों के गुण समान होते हैं। यह जलन को शांत करता है, प्यास को दूर करता है और कफनाशक होता है।
★ शहतूत शरीर में शुद्ध खून को पैदा करता है, पेट के कीड़ों को समाप्त करता है।
★ शहतूत पाचनशक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) बढ़ाता है। जुकाम और गले के रोगों में लाभदायक है।
★ शहतूत में विटामिन-ए, कैल्शियम, फॉंस्फोरस और पोटेशियम अधिक मात्रा में मिलता हैं। जिनके शरीर में अम्ल, आमवात, जोड़ों का दर्द हो, उन लोगों के लिए शहतूत खासतौर पर लाभदायक है।
★ शहतूत की औषधियों में रंग और सुगंध डालने के लिए शहतूत के रस से बनाया गया शर्बत काम में लिया जाता है।
★ चीन में गुर्दे की कमजोरी, थकान, खून की कमी, अचानक बाल सफेद होने पर शहतूत को दवा की तरह काम में लेते हैं।
★ शहतूत से पेशाब के रोग और कब्ज़ दूर हो जाते हैं। शहतूत का रस पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसका रस सिर में लगाने से बाल घने होते हैं।
गुण : शहतूत भारी, स्वादिष्ट, शीतल, पित्त तथा वात-नाशक है।
प्रकार : शहतूत 2 तरह का होता है- पहला बड़ा शहतूत दूसरा छोटा शहतूत।
शहतूत से विभिन्न रोगों का उपचार :
1. लू, गर्मी : गर्मियों में लू से बचने के लिये रोज शहतूत का सेवन करना चाहिए। इससे पेट, गुर्दे और पेशाब की जलन भी दूर होती है। ऑंतों के घाव और लीवर रोग ठीक होते हैं साथ ही रोज सेवन करने से सिर को मजबूती मिलती है।
2. मूत्रघात (पेशाब मे धातु आना) : शहतूत के रस में कलमीशोरा को पीसकर नाभि के नीचे लेप करने से पेशाब मे धातु आना बंद हो जाती है।
3. कब्ज :
शहतूत के छिलके का काढ़ा बनाकर 50 से लेकर 100 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से पेट के अंदर मौजूद कीड़ें समाप्त हो जाते है।
शहतूत की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से पेट साफ हो जाता है।
4. मुंह के छाले : 1 चम्मच शहतूत के रस को 1 कप पानी में मिलाकर कुल्ली करने से मुंह के दाने व छाले ठीक हो जाते हैं।
5. अग्निमांद्यता (अपच) होने पर :
शहतूत के 6 कोमल पत्तों को चबाकर पानी के साथ सेवन करने से अपच (भोजन का ना पचना) के रोग मे लाभ होता है।
शहतूत को पकाकर शर्बत बना लें फिर इसमें छोटी पीपल का चूर्ण मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
6. पित्त ज्वर : पित्त बुखार में शहतूत का रस या उसका शर्बत पिलाने से प्यास, गर्मी तथा घबराहट दूर हो जाती है।
7. शीतज्वर : पित्त की बीमारी को दूर करने के लियें गर्मी के मौसम मे दोपहर को शहतूत खाने से लाभ होता है।
8. पेट के कीड़ें के लिए :
शहतूत के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
100 ग्राम शहतूत को खाने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
20 ग्राम शहतूत और 20 ग्राम खट्टे अनार के छिलके को पानी में उबालकर पीने से पेट के कीड़ें नष्ट हो जाते हैं।
शहतूत के पेड़ की जड़ को पानी में उबालकर सेवन करने से आंतों के कीड़े समाप्त होते हैं।
9. दिल की धड़कन : शहतूत का शर्बत बनाकर पीने से दिल की तेज धड़कन सामान्य होती है।
10. हृदय की निर्बलता :
शहतूत का शर्बत पीने से हृदय की निर्बलता (दिल की कमजोरी) नष्ट होती है।
हृदय (दिल) की कमजोरी दूर करने के लिए 250 मिलीलीटर शहतूत का शर्बत लेकर, उसमें 240 ग्राम प्रवाल-भस्म मिलाकर दिन में दो बार पीना हितकर है।
11. शरीर में जलन होने पर : शहतूत का शर्बत पीने से और उसे खाने से शरीर की जलन दूर हो जाती है।
12. कफ (बलगम) : 50 से 100 मिलीलीटर शहतूत की छाल का काढ़ा या 10 से 50 ग्राम शहतूत के फल का रस सुबह-शाम सेवन करने से कफ (बलगम) खांसी दूर होती है।
13. कण्ठमाला के लिए : शहतूत का शर्बत पीने से मुंह की सारी सूजन और गण्डमाला की सूजन (गांठो की सूजन) समाप्त हो जाती है।
14. गले का दर्द : शहतूत का शर्बत पीने से गले की खुश्की और दर्द ठीक हो जाता है।
15. शरीर को शक्तिशाली बनाना : गाय को लगभग 1 मिलीलीटर शहतूत के पत्ते सुबह और शाम को खिलाकर उस गाय का दूध पीने से शरीर शक्तिशाली बनता है।
16. टांसिल का बढ़ना : 1 चम्मच शहतूत के शर्बत को गर्म पानी में डालकर गरारे करने से गले के टांसिल ठीक हो जाती हैं।
17. गले के रोग में : शहतूत का रस बनाकर पीने से आवाज ठीक हो जाती है, गला भी साफ हो जाता है और गले के कई रोग भी ठीक हो जाते हैं।
18. कण्ठ-दाह : शहतूत का फल चूसने से या शहतूत का शर्बत बनाकर पीने से कण्ठ-दाह (गले में जलन) दूर होता है।
19. खटमल : चारपाई पर शहतूत के पत्ते बिछा देने से खटमल भाग जाते हैं।
20. दूधवर्धक : शहतूत रोजाना खाने से दूध पिलाने वाली माताओं का दूध बढ़ता है। प्रोटीन और ग्लूकोज शहतूत में अच्छी मात्रा में मिलते हैं।
21. फोड़ा : शहतूत के पत्तों पर पानी डालकर, पीसकर, गर्म करके फोड़े पर बांधने से पका हुआ फोड़ा फट जाता है तथा घाव भी भर जाता है।
22. छाले : छाले और गल ग्रन्थिशोध में शहतूत का शर्बत 1 चम्मच 1 कप पानी में मिला कर गरारे करने से लाभ होता है।
23. पित्तविकार : पित्त और रक्त-विकार को दूर करने के लिए गर्मी के समय दोपहर मे शहतूत खाने चाहिए।
24. दाद, खुजली : शहतूत के पत्ते पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
25. पेशाब का रंग बदलना : पेशाब का रंग पीला हो तो शहतूत के रस में चीनी मिलाकर पीने से रंग साफ हो जाता है।
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