28/03/2024
शहतूत के लाभ सभी तक पहुंचायें
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शहतूत: करिश्माई ढंग से फायदा करता है-
शहतूत का फल खाने में जितना स्वादिष्ट होता है उतना ही इससे शरीर को लाभ भी होता है। आप शहतूत को खाते जरूर होंगे, लेकिन इसके गुणों के बारे में ज्यादा जानते नहीं होंगे। शहतूत एक जड़ी-बूटी भी है, और शहतूत के कई सारे औषधीय गुण हैं। आप कब्ज, मुंह के छाले की परेशानी, दस्त, कंठ के सूजन, आवाज बैठने और कंठ की जलन में शहतूत के इस्तेमाल से फायदे ले सकते हैं। इतना ही नहीं, बदहजमी, पेट के कीड़े, पाचन-तंत्र विकार, और मूत्र रोग आदि रोगों में भी शहतूत के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में शहतूत के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपको जानना जरूरी है। आप एडियों के फटने (बिवाई) पर, खुजली, और त्वची संबंधी बीमारियों में शहतूत के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। इसके अलावा शारीरिक जलन या शारीरिक कमजोरी में भी शहतूत से लाभ मिलता है। आइए यहां शहतूत के सेवन या उपयोग करने से होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में जानते हैं।
1 शहतूत क्या है?
2 अन्य भाषाओं में शहतूत के नाम
3 शहतूत के औषधीय गुण
4 शहतूत के फायदे और उपयोग
4.1 कब्ज की समस्या में शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
4.2 मुंह के छाले में शहतूत के सेवन से लाभ
4.3 शहतूत के औषधीय गुण से कंठ की जलन का इलाज
4.4 कंठमाला रोग में शहतूत के सेवन से लाभ
4.5 कंठ की सूजन में शहतूत के सेवन से लाभ
4.6 बदहजमी में शहतूत के सेवन से लाभ
4.7 पाचनतंत्र विकार में शहतूत के फायदे
4.8 पेट में कीड़े होने पर शहतूत के फायदे
4.9 मूत्र रोग में शहतूत के फायदे
4.10 पैरों की एड़ियां (बिवाई होना) फटने पर शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
4.11 दस्त में शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
4.12 शहतूत के औषधीय गुण से दाद-खाज-खुजली का इलाज
4.13 त्वचा रोग के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है शहतूत
4.14 पित्त दोष के कारण होने वाले मानसिक रोग के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है शहतूत
4.15 शहतूत के औषधीय गुण से शारीरिक जलन का इलाज
4.16 अत्यधिक प्यास लगने की समस्या के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है शहतूत
4.17 शारीरिक कमजोरी में शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
5 शहतूत के उपयोगी भाग
6 शहतूत का इस्तेमाल कैसे करें?
7 शहतूत कहां पाया या उगाया जाता है?
शहतूत क्या है?
शहतूत की दो प्रजातियां पाई जाती हैं।
तूत (शहतूत)
तूतड़ी
शहतूत का वृक्ष लगभग 3-7 मीटर ऊँचा, मध्यमाकार होता है। इसके तने गहरे भूरे रंग के, खुरदरे, और दरारयुक्त होते हैं। इसके पत्ते सीधे, और विभिन्न आकार के होते हैं। पत्ते 5-7.5 सेमी लम्बे, अण्डाकार या चौड़े अण्डाकार के होते हैं।
इसके फूल हरे रंग के होते हैं। इसके फल लगभग 2.5 सेमी लम्बे, अण्डाकार अथवा लगभग गोलाकार होते हैं। ये कच्च्ची अवस्था में सफेद रंग के होते हैं, और पक जाने वाले लगभग हरे-भूरे या फिर गहरे-बैंगनी रंग के होते हैं। शहतूत के वृक्ष में फूल और फल जनवरी से जून के बीच होता है।
यहां शहतूत के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है ताकि आप शहतूत के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
अन्य भाषाओं में शहतूत के नाम
शहतूत का वानस्पतिक नाम Morus alba Linn. (मोरस ऐल्बा) Syn-Morus tatarica Linn. है और यह Moraceae (मोरेसी) कुल का है। शहतूत को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Hindi- सहतूत, तूत, शहतूत, तुतरी, चिन्नी
Sanskrit- तूत, तूल, ब्रह्मकाष्ठ, मृदुसार, सुपुष्प, ब्रह्मदारु, तूद
English- Mulberry (मलबेरि), वाइट मलबेरि (White mulberry)
Uttrakhand- तुंतरी (Tuntri), तूतरी (Tutri)
Oriya- तूतीकोली (Tuticoli)
Kannada- तूती (Tuti), कोरीगिडा (Korigida)
Gujarati- शेतूर (Shetur)
Tamil- पट्टूपूची (Pattupuchi), काम्बीलीपुच (Kambilipuch)
Telugu- रेशमीचेट्टु (Reshmi chettu)
Bengali- तूत (Tut)
Nepali- किम्बू (Kimbu)
Punjabi- तूत (Tut)
Marathi- तूत (Tut)
Arabic- तूथ (Tuth), तूत (Tut)
Persian- तूथ (Tuth), तूत (Tut)
शहतूत के औषधीय गुण
शहतूत के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
शहतूत मधुर, कषाय, अम्ल, शीत, गुरु, पित्तवातशामक, सर, वृष्य, बलकारक, दाह-प्रठीक, दीपन, ग्राही और वर्णकारक होता है। यह दाह और रक्तपित्तनाशक होता है। इसका पक्व फल मधुर शीत गुरु और पित्तवातशामक होता है।
इसका पक्वफल बलकारक, वर्णकारक, अग्निवर्धक, मलरोधक और रक्तविकार-शामक होता है। इसका अपक्व फल गुरु, सर, अम्ल, उष्ण और रक्तपित्तकारक होता है। इसकी छाल (छाल्) कृमिनिसारक, विरेचक, वेदनाहर, मूत्रल, कफनिस्सारक, शोथहर, प्रशामक, आक्षेपहर और बलकारक होती है।
शहतूत के फायदे और उपयोग
शहतूत के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
कब्ज की समस्या में शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
आप कब्ज की समस्या में शहतूत का सेवन कर लाभ ले सकते हैं। 5-10 मिली शहतूत फल के रस का सेवन करने से कब्ज में बहुत लाभ होता है।
मुंह के छाले में शहतूत के सेवन से लाभ
मुंह में छाले होना एक ऐसी बीमारी है जिससे लोग बार-बार पीड़ित होते हैं। शहतूत के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करें। इसके साथ ही शहतूत के पत्ते को चबाएं। इससे मुंह के छाले खत्म होते हैं।
शहतूत के औषधीय गुण से कंठ की जलन का इलाज
शहतूत के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करने से कण्ठ की जलन खत्म होती है।
शहतूत के पत्ते का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से कण्ठ की जलन, कंठ का दर्द, कंठ की सूजन, डीप्थीरिया और आवाज बैठने की समस्या में लाभ होता है। रोहिणी,
कंठमाला रोग में शहतूत के सेवन से लाभ
टॉन्सिल के कारण व्यक्ति को कुछ भी खाने-पीने में दिक्कत होने लगती है। आप टॉन्सिल की समस्या में शहतूत के फलों का शर्बत बनाकर पिएं। इससे टॉन्सिल (कण्ठमाला) रोग में लाभ होता है।
कंठ की सूजन में शहतूत के सेवन से लाभ
कंठ की सूजन में भी शहतूत के औषधीय गुण से फायदा मिलता है। शहतूत के फलों का सेवन करें। इससे कंठ की सूजन की समस्या ठीक होती है। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
बदहजमी में शहतूत के सेवन से लाभ
5-10 मिली शहतूत फल के रस का सेवन करें। इससे सीने की जलन, बदहजमी, पेट के कीड़े और दस्त की समस्या आदि में लाभ होता है।
पाचनतंत्र विकार में शहतूत के फायदे
शहतूत के फलों का शर्बत बना लें। इसमें 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण डालकर पिएं। इससे पाचन-तंत्र से जुड़ी समस्या ठीक होती है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
पेट में कीड़े होने पर शहतूत के फायदे
5-10 मिली शहतूत की जड़ की छाल का काढ़ा पिएं। इससे पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
1 ग्राम शहतूत की छाल के चूर्ण में शहद मिलाकर चांटें। इससे पेट के कीड़े निकल जाते हैं।
मूत्र रोग में शहतूत के फायदे
शहतूत के फल के रस में कलमी शोरा को पीस लें। इसे नाभि के नीचे लेप करें। इससे मूत्र रोग जैसे पेशाब करते समय जलन होना, पेशाब रुक-रुक कर होने आदि में फायदा मिलता है।
पैरों की एड़ियां (बिवाई होना) फटने पर शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
अनेक पुरुष या महिलाओं के पैरों की एड़ियां फट जाती हैं। कई बार एड़ी फटने (बिवाई) पर किए गए उपया से लोगों को फायदा नहीं मिलता है। आप ऐसे में शहतूत के बीजों को पीस लें। इसे पैरों पर लगाएं। इससे पैरों की बिवाइयों खत्म होती है।
दस्त में शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
दस्त पर रोक लगाने के लिए भी शहतूत का सेवन फायदेमंद होता है। 5-10 मिली शहतूत फल के रस का सेवन करने से दस्त पर रोक लगती है।
शहतूत के औषधीय गुण से दाद-खाज-खुजली का इलाज
शहतूत की छाल के चूर्ण में नींबू का रस मिला लें। इसे घी में तलकर दाद पर लगाएं, और कपड़े से पट्टी बाँध दें। ऐसा लगातार 15 दिनों तक करें। 15 दिनों में दाद और दाद के कारण होने वाली खुजली ठीक होती है।
त्वचा रोग के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है शहतूत
त्वचा संबंधित अनेक रोगों में शहतूत के औषधीय गुण से लाभ मिलता है। त्वचा रोग होने पर शहतूत के पत्ते को पीस लें। इसका लेप करने से त्वचा की बीमारियों में लाभ होता है।
पित्त दोष के कारण होने वाले मानसिक रोग के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है शहतूत
पित्त दोष के कारण होने वाले मैनिया में भी शहतूत के फायदे मिलते हैं। ब्राह्मी के 10-20 मिली काढ़ा में 5-10 मिली शहतूत फल के रस को मिला लें। इसे पिलाने से मैनिया रोग में लाभ होता है।
शहतूत के औषधीय गुण से शारीरिक जलन का इलाज
कई पुरुष या महिलाओं को शरीर में जलन की शिकायत रहती है। शरीर की जलन होने पर शहतूत के फलों का शर्बत बनाकर पिएं। इससे जलन खत्म होती है। अधिक लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें।
अत्यधिक प्यास लगने की समस्या के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है शहतूत
अधिक प्यास लगने की समस्या में शहतूत के फलों का शर्बत बनाकर पिएं। इससे अत्यन्त प्यास लगने की परेशानी में बहुत फायदा होता है।
शारीरिक कमजोरी में शहतूत का औषधीय गुण फायेदमंद
शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए सूखे हुए शहतूत के फलों को पीसकर आटे में मिला लें। इसकी रोटी बनाकर खाएँ। इससे शारीरिक कमजोरी खत्म होती है, और शरीर स्वस्थ बनता है।
शहतूत के उपयोगी भाग
शहतूत के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
छाल
फल
पत्ते
बीज
शहतूत का इस्तेमाल कैसे करें?
शहतूत को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
जड़ की छाल का काढ़ा– 5-10 मिली
यहां शहतूत के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है ताकि आप शहतूत के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए शहतूत का सेवन करने या शहतूत का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
शहतूत कहां पाया या उगाया जाता है?
भारत में शहतूत पंजाब, कश्मीर, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश एवं उत्तरी-पश्चिमी हिमालय में पाया जाता है। यह चीन में भी पाया जाता है। शहतूत की खेती जापान, पाकिस्तान, बलूचिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, वियतनाम एवं सिंधु के उत्तरी भागों में कृषि होती है।
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शहतूत खाने के 25 जबरदस्त फायदे व औषधीय प्रयोग |
1 शहतूत के लाभ व औषधीय गुण : शहतूत से विभिन्न रोगों का उपचार :
शहतूत के लाभ व औषधीय गुण :
★ शहतूत और शहतूत का शर्बत दोनों के गुण समान होते हैं। यह जलन को शांत करता है, प्यास को दूर करता है और कफनाशक होता है।
★ शहतूत शरीर में शुद्ध खून को पैदा करता है, पेट के कीड़ों को समाप्त करता है।
★ शहतूत पाचनशक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) बढ़ाता है। जुकाम और गले के रोगों में लाभदायक है।
★ शहतूत में विटामिन-ए, कैल्शियम, फॉंस्फोरस और पोटेशियम अधिक मात्रा में मिलता हैं। जिनके शरीर में अम्ल, आमवात, जोड़ों का दर्द हो, उन लोगों के लिए शहतूत खासतौर पर लाभदायक है।
★ शहतूत की औषधियों में रंग और सुगंध डालने के लिए शहतूत के रस से बनाया गया शर्बत काम में लिया जाता है।
★ चीन में गुर्दे की कमजोरी, थकान, खून की कमी, अचानक बाल सफेद होने पर शहतूत को दवा की तरह काम में लेते हैं।
★ शहतूत से पेशाब के रोग और कब्ज़ दूर हो जाते हैं। शहतूत का रस पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसका रस सिर में लगाने से बाल घने होते हैं।
गुण : शहतूत भारी, स्वादिष्ट, शीतल, पित्त तथा वात-नाशक है।
प्रकार : शहतूत 2 तरह का होता है- पहला बड़ा शहतूत दूसरा छोटा शहतूत।
शहतूत से विभिन्न रोगों का उपचार :
1. लू, गर्मी : गर्मियों में लू से बचने के लिये रोज शहतूत का सेवन करना चाहिए। इससे पेट, गुर्दे और पेशाब की जलन भी दूर होती है। ऑंतों के घाव और लीवर रोग ठीक होते हैं साथ ही रोज सेवन करने से सिर को मजबूती मिलती है।
2. मूत्रघात (पेशाब मे धातु आना) : शहतूत के रस में कलमीशोरा को पीसकर नाभि के नीचे लेप करने से पेशाब मे धातु आना बंद हो जाती है।
3. कब्ज :
शहतूत के छिलके का काढ़ा बनाकर 50 से लेकर 100 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से पेट के अंदर मौजूद कीड़ें समाप्त हो जाते है।
शहतूत की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से पेट साफ हो जाता है।
4. मुंह के छाले : 1 चम्मच शहतूत के रस को 1 कप पानी में मिलाकर कुल्ली करने से मुंह के दाने व छाले ठीक हो जाते हैं।
5. अग्निमांद्यता (अपच) होने पर :
शहतूत के 6 कोमल पत्तों को चबाकर पानी के साथ सेवन करने से अपच (भोजन का ना पचना) के रोग मे लाभ होता है।
शहतूत को पकाकर शर्बत बना लें फिर इसमें छोटी पीपल का चूर्ण मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
6. पित्त ज्वर : पित्त बुखार में शहतूत का रस या उसका शर्बत पिलाने से प्यास, गर्मी तथा घबराहट दूर हो जाती है।
7. शीतज्वर : पित्त की बीमारी को दूर करने के लियें गर्मी के मौसम मे दोपहर को शहतूत खाने से लाभ होता है।
8. पेट के कीड़ें के लिए :
शहतूत के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
100 ग्राम शहतूत को खाने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
20 ग्राम शहतूत और 20 ग्राम खट्टे अनार के छिलके को पानी में उबालकर पीने से पेट के कीड़ें नष्ट हो जाते हैं।
शहतूत के पेड़ की जड़ को पानी में उबालकर सेवन करने से आंतों के कीड़े समाप्त होते हैं।
9. दिल की धड़कन : शहतूत का शर्बत बनाकर पीने से दिल की तेज धड़कन सामान्य होती है।
10. हृदय की निर्बलता :
शहतूत का शर्बत पीने से हृदय की निर्बलता (दिल की कमजोरी) नष्ट होती है।
हृदय (दिल) की कमजोरी दूर करने के लिए 250 मिलीलीटर शहतूत का शर्बत लेकर, उसमें 240 ग्राम प्रवाल-भस्म मिलाकर दिन में दो बार पीना हितकर है।
11. शरीर में जलन होने पर : शहतूत का शर्बत पीने से और उसे खाने से शरीर की जलन दूर हो जाती है।
12. कफ (बलगम) : 50 से 100 मिलीलीटर शहतूत की छाल का काढ़ा या 10 से 50 ग्राम शहतूत के फल का रस सुबह-शाम सेवन करने से कफ (बलगम) खांसी दूर होती है।
13. कण्ठमाला के लिए : शहतूत का शर्बत पीने से मुंह की सारी सूजन और गण्डमाला की सूजन (गांठो की सूजन) समाप्त हो जाती है।
14. गले का दर्द : शहतूत का शर्बत पीने से गले की खुश्की और दर्द ठीक हो जाता है।
15. शरीर को शक्तिशाली बनाना : गाय को लगभग 1 मिलीलीटर शहतूत के पत्ते सुबह और शाम को खिलाकर उस गाय का दूध पीने से शरीर शक्तिशाली बनता है।
16. टांसिल का बढ़ना : 1 चम्मच शहतूत के शर्बत को गर्म पानी में डालकर गरारे करने से गले के टांसिल ठीक हो जाती हैं।
17. गले के रोग में : शहतूत का रस बनाकर पीने से आवाज ठीक हो जाती है, गला भी साफ हो जाता है और गले के कई रोग भी ठीक हो जाते हैं।
18. कण्ठ-दाह : शहतूत का फल चूसने से या शहतूत का शर्बत बनाकर पीने से कण्ठ-दाह (गले में जलन) दूर होता है।
19. खटमल : चारपाई पर शहतूत के पत्ते बिछा देने से खटमल भाग जाते हैं।
20. दूधवर्धक : शहतूत रोजाना खाने से दूध पिलाने वाली माताओं का दूध बढ़ता है। प्रोटीन और ग्लूकोज शहतूत में अच्छी मात्रा में मिलते हैं।
21. फोड़ा : शहतूत के पत्तों पर पानी डालकर, पीसकर, गर्म करके फोड़े पर बांधने से पका हुआ फोड़ा फट जाता है तथा घाव भी भर जाता है।
22. छाले : छाले और गल ग्रन्थिशोध में शहतूत का शर्बत 1 चम्मच 1 कप पानी में मिला कर गरारे करने से लाभ होता है।
23. पित्तविकार : पित्त और रक्त-विकार को दूर करने के लिए गर्मी के समय दोपहर मे शहतूत खाने चाहिए।
24. दाद, खुजली : शहतूत के पत्ते पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
25. पेशाब का रंग बदलना : पेशाब का रंग पीला हो तो शहतूत के रस में चीनी मिलाकर पीने से रंग साफ हो जाता है।
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