VIVAD विवाद

VIVAD विवाद समस्याओं को समझने का अलग तरीका।
विवाद से समाधान की खोज

पहचान छिपा करसुरक्षित तरीक़े सेरद्दी की लुग्दी बनाने का भी विज्ञापन देना पड़ता हैकितनी लाचार है सरकार अपने कर्मचारियों क...
22/10/2024

पहचान छिपा कर
सुरक्षित तरीक़े से
रद्दी की लुग्दी बनाने का भी विज्ञापन देना पड़ता है
कितनी लाचार है सरकार अपने कर्मचारियों के भ्रष्टाचार से⁉️

आज सुबह अख़बार में छपे विज्ञापन ने देश की पोल खोल दी। एक सरकारी संस्थान ने ₹250 करोड़ की fd के लिए बैंकों को विज्ञापन दि...
22/10/2024

आज सुबह अख़बार में छपे विज्ञापन ने देश की पोल खोल दी। एक सरकारी संस्थान ने ₹250 करोड़ की fd के लिए बैंकों को विज्ञापन दिया है।
सरकार को अपना पैसा किसी बैंक में FD करने के लिए विज्ञापन क्यों देना पड़ता है? सरकारी बैंक की मजबूरी क्यों? जमा क्यों,निवेश क्यों नहीं?,ब्याज़ क्यों,लाभ क्यों नहीं?
-ईमानदारी का संकट?
-दूरदर्शिता की कमी?
- मनीमैनेजमेंट में नाकाम?
देश के हर संस्थान में एक मनी मैनेजमेंट विभाग भी हो।जो कमाई के बेहतर मौक़े देखे? फाइनेंस विभाग का कॉन्सेप्ट बहुत ऑर्थोडॉक्स है।यह इस बात पर आधारित है कि ज़रूरत के मुताबिक़ नियम के हिसाब से खर्च करो।कमाई की सोच या ज़िम्मा इन पर नहीं है।फण्ड ऑडिटर से आगे फण्ड रेज़र की ज़रूरत है। #विवाद

जिस समाज और सरकार में दवा नक़ली/मिलावटी/कमज़ोर हो उसके नागरिक नैतिक संकट और राजनीतिक अराजकता की ओर बढ़ चुके है
26/09/2024

जिस समाज और सरकार में दवा नक़ली/मिलावटी/कमज़ोर हो
उसके नागरिक नैतिक संकट और राजनीतिक अराजकता की ओर बढ़ चुके है

प्रसाद में मिलावट।लेबनान के पेजर और जातिवाद #विवादमंगलवार को हनुमान मंदिर में बूंदी चढ़ती है।ये बूंदी प्राइवेट दुकानों स...
23/09/2024

प्रसाद में मिलावट।लेबनान के पेजर और जातिवाद
#विवाद
मंगलवार को हनुमान मंदिर में बूंदी चढ़ती है।
ये बूंदी प्राइवेट दुकानों से खरीदी जाती है।
बूंदीनिर्माण में बेसन,चीनी,तेल या घी का इस्तेमाल होता है।
क्या कभी किसी ने ये जानने की कोशिश की कि हनुमान जी को जो बूंदी प्रसाद की तरह चढ़ाई जा रही है।वो मिलावट रहित है।मिलावट सहित है। जहां ये बूंदी बनती है।वहां पर वो जगह औऱ उसे बनाने वाले कितने शुद्ध हैं। शिव जी को चढ़ने वाला दूध कितना मिलावट रहित है? काली,दुर्गा,ब्रह्मा-विष्णु आदि इत्यादि देवताओं को जो प्रसाद पानी चढ़ाया जाता है वो कितना मिलावट रहित है? चलिए छोड़िए प्रसाद की जो गंगाजल सबसे शुद्ध है। जिसमें शालिग्राम को डूबाते हैं।भगवान को नहलाते हैं।आचमन करते हैं वो कितना गैर मिलावटी है?
गंगा या फिर देश की किसी भी नदी में लाश नहलाई जाती हैं।बहाई जाती हैं।शहरों का मलमूत्र इकट्ठा होता है। उसके पानी में मछली का तेल,मुर्गे का मांस,सुअर की आंत का परीक्षण करवाया गया? उसमें तो आदमी का मांस मिल जाएगा।शिव की भष्म आरती मे जो भष्म है वह क्या है?
सनातन धर्म की अघोर परंपरा में मांस,मैथुन,मुद्रा,मंत्र,मदिरा नाम के पंच मकार हैं।नवरात्रि के अंतिम दिन पशुबलि का विधान है।जहां मांस ही प्रसाद है।हम जिस शऱीर को ईश्वर की देन मानते हैं वो भी मांस से निर्मित है।कई सनातन परंपराएं मानती हैं कि शरीर ईश्वर का मंदिर है।वो इसमें वास करते हैं।
ऐसे सनातन विश्वास वाले सनातनी लड्डू के घी की शुद्धता पर लड़ रहे हैं।कह रहे हैं कि मांस से प्रसाद की शुद्धता भंग हो गयी।मांस असुद्ध होता है ये विचार ही मिलावटी जान पड़ता है।क्योंकि मांस असुद्ध है इसका विधान एक जाति,आदत या वर्णविशेष के लिए होता है।शकाहारी,ब्राह्मण इस सूची में आते हैं। हांलाकि वेगन परंपरा वाले शाकाहार की लिस्ट में शामिल कई चीजों को गलत मानते हैं। वोतो गाय का दूध भी नहीं पीते।
दरअसल मंदिर के प्रसाद में मांस का विवाद।शुद्धता वादी आग्रह है।जो बहुत भेदकारी है। मंदिर का प्रसाद केवल गाय के घी से ही क्यों बनेगा? भैंस,बकरी,ऊंट आदि इत्यादि के दूध का घी क्यों नहीं? गाय शुद्ध है या फिर उसके दूध में ही सुद्धता होती है ऐसा कौन सी लैब साबित कर सकती है? वैदिक काल में जीवन गाय के इर्द-गिर्द घूमता था।गाय पालतू थी।इंसानों के झुंड में रहती थीं।ऋषि मुनि के आश्रम में रहती थीं।गाय दुहने की वजह से बेटी को दुहिता कहते थे। गाय की तलाश में यात्रा और युद्ध को गवेष्टि कहते थे।गाय ही जीवन था।और तो और गाय वस्तुओं की कीमत का मापदंड थीं। जब मुद्रा नहीं थी तो गाय के बदले चीजों की अदला-बदली होती थी।जिसे अर्थशास्त्र में विनिमय या बार्टर सिस्टम कहते हैं।फिर गाय कर्मकांड का जरिया बनी।मुंशी प्रेमचंद्र का उपन्यास गोदान इसे समझने की बड़ी पुस्तक है।
समाज के अब्रह्मण वर्ग मानते हैं कि गाय ब्राह्मणवादी व्यवस्था में शोषण का जरिया भी बनी।
लेकिन ये बात भी सच है कि ग्रामीण भारत की कृषि अर्थव्यवस्था में गाय और उनका वंश अभिन्न हिस्सा रहे हैं।गाय एक भावुक रिश्ता भी है।लेकिन ये भी सच है कि आज वो बात नहीं है।जानवरों के डॉक्टर बताते हैं कि गौवंश के पेट प्लास्टिक का गोडाउन हो चुके हैं। जिसके लिए कभी घर की पहली रोटी बनती थी आज वो गौवंश कूड़े के ढेर में अपना भोजन तलाश रहा है। शहरों और गांव में सबसे ज्यादा आवारा अगर कोई पशु समुदाय है तो वो गौवंश है। सबसे ज्यादा तस्करी गौवंश की होती है।और गौतस्करी रोकने के चक्कर में सबसे ज्यादा हिंसा भी होती है। देश के प्रधानमंत्री को कहना पड़ता है कि गौसेवक और गौरक्षक में फर्क करें।
तो मिलावट तो गौवंश के पूरे सिस्टम में हो गयी है।मंदिर के प्रसाद में मिलावट का दावा है।लेकिन उसी लैब का ये भी कहना है कि घी में मिलावट की गयी या हो गयी ये हम नहीं बता रहे हैं। क्योंकि गाय के खाने और दवाई में ऐसी कई चीजें होती हैं जो जांच में मछली का तेल,मुर्गे का मांस और सुअर की आंत बनकर सामने आ जाती हैं।
वैसे तो घी भी एनिमल फैट है। और जिन्हें मिलावट के नाम पर नीच बता कर धिक्कारा जा रहा है वो भी एनिमल फैट ही हैं। लेकिन शुद्धता के वर्णवादी विचार के पीड़ित हैं। तो समस्या प्रसाद में मिलावट की नहीं है। समस्या व्यवस्था पर काबिज श्रेष्ठ सवर्णवाद की है।
जैसे लेबनान में पेजर,वॉकीटॉकी,फोन को हथियार में तब्दील कर दिया गया। वैसे ही भारत में भगवान के प्रसाद को विरोधियों के खिलाफ हथियार में बदल दिया गया है। फर्क इतना है कि वहां फटने के लिए पेजर की भौतिक मौजूदगी जरूरी है। लेकिन भारत में कोई कहीं भी फटा पड़ रहा है।
वर्ना मिलावट का तो हाल ये है कि धऱती और आसमान के बीच,सूरज के उगने से डूबने तक, जो भी प्रोडक्शन हो रहा है।वस्तू या सेवा है। उसमें कहीं न कहीं कुछ न कुछ मिलावटी है।

।युवा नौकरी के लिए इतने परेशान हैं कि।भर्ती होने के लिए जान के बाजी लगा रहे हैं।अभ्यर्थी आए लेकिन अपनी जान और सामान की र...
03/09/2024

।युवा नौकरी के लिए इतने परेशान हैं कि।भर्ती होने के लिए जान के बाजी लगा रहे हैं।अभ्यर्थी आए लेकिन अपनी जान और सामान की रक्षा स्वयं करे।ख़ाली जगह सैकड़े में,उम्मीदवार लाखों में।सफलता का प्रतिशत 0.1% रह गया। और जेल से ज़मानत पर रिहा मुख्यमंत्री दिल्ली में झारखंड भवन निर्माण की सफलता का विज्ञापन कर रहे हैं #विवाद

मुश्किल वक़्त के लिए बचत सामाजिक संस्कार है।लेकिन बाज़ार और सरकार बचत की जगह निवेश को बढ़ावा देते दिखते हैं।उस पर से:- म...
20/08/2024

मुश्किल वक़्त के लिए बचत सामाजिक संस्कार है।
लेकिन बाज़ार और सरकार बचत की जगह निवेश को बढ़ावा देते दिखते हैं।
उस पर से:-
महंगाई/GST/DUTY/इनकम टैक्स न्यू रिजीम/ कैपिटल गेन बदलाव/ जमा पर कमजोर ब्याज़दार। बचत को उम्मीद से ज़्यादा गिराती हैं।
ऐसे में बैंक पर बचत बढ़ाने का दबाव
क्या सरकाआर देश से कुछ छिपा रही है?
सरकार को ज़्यादा पैसे चाहिए?
सरकार को लगता है कि लोग पैसा दबा कर बैठे है?

 #विवादसरकार ने रोज़गार के नाम पर जो किया है उसे  #अग्निवीर का गरीब संस्करण कहा जा सकता है? कृषक सम्मान निधि का सम्माननी...
24/07/2024

#विवाद
सरकार ने रोज़गार के नाम पर जो किया है उसे #अग्निवीर का गरीब संस्करण कहा जा सकता है? कृषक सम्मान निधि का सम्माननीय संस्करण कहा जा सकता है? मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र कि लाडली बहना और लाडला भाई योजना का संवर्धित संस्करण कहा जा सकता है?
कुछ बुनियादी सवाल हैं एक्सपर्ट इसमें मार्गदर्शन करें:-
1. ट्रेनिंग,स्किल,skill upgrade को रोज़गार की श्रेणी में रखें
2.रोज़गार के नाम पर epfo में जमा, स्टाइपेंट, 3 EMI में पहले मेहनताने को किसकी आमदनी माना जाए?क्या ये बेरोज़गार युवा को “सैलरी” माना जाएगा?
3. ट्रेनिंग,अप्रेंटिसशिप के दौरान लाभार्थी पर लेबर लॉ,सोशल सिक्योरिटी के नियम लागू होंगे?ग्रेच्युटी मिलेगी?बीमा होगा? दुर्घटना लाभ मिलेगा?
4. सरकारी भुगतान किसके खाते में जाएगा? नौकरी देने वाले या लेने वाले के?
5. क्या इसे सरकार की सब्सिडी माना जा सकता है?
6. ये बेरोज़गारी भत्ता देने का नया सीमित तरीक़ा क्यों न माना जाए?
7. IIT जैसी ट्रेनिंग और पढ़ाई के बाद भी जब छात्रों को प्लेसमेंट नहीं मिल रहा है तो इस ट्रेनिंग,अप्रेंटिस के बाद रोज़गार की क्या गारंटी है?
8. इसे बेरोज़गार से ज़्यादा कंपनी मालिक को राहत क्यों न माने?
9. क्या इसकी वजह से सैलरी की दर में गिरावट नहीं आ जाएगी?
10. जब नौकरी और रोज़गार के मौक़े ही कम हैं तो हम विदेश के लिये सस्ता लेबर तैयार कर रहे हैं या अपनी इंडस्ट्री के लिए क्वालिटी मैनपावर?

अंबानी के घर शादी हुई।कर्मचारियों को दिए गए शगुन/गिफ्ट।डिब्बा खुला तो उसमें खाने और शगुन की कई चीजें निकलीं।लेकिन हल्दीर...
15/07/2024

अंबानी के घर शादी हुई।कर्मचारियों को दिए गए शगुन/गिफ्ट।डिब्बा खुला तो उसमें खाने और शगुन की कई चीजें निकलीं।लेकिन हल्दीराम की भुजिया पर पर #विवाद हो गया । लोगों ने कहा ख़ुद मलाई खाते हैं,।दोस्तों को करोड़ों की घड़ी बाटते हैं।जस्टिन वीबर सहित विदेशी सेलिब्रिटी पर करोड़ों लुटाते हैं।कर्मचारियों को हल्दीराम की भुजिया में निपटाते हैं😊।बिलकुल वैसी स्थिति बनी जैसे हमारे आफिसेस में दिवाली के गिफ्ट के बाद देखने और सुनने को मिलती है।चॉकलेट का पैकेट थमा दिया😏बिस्किट का पैकेट थमा दिया😏।
लेकिन अंबानी के शादी वाले पैकेट में चाँदी के सिक्के जैसी चीज थी।मिठाई का डिब्बा था।उसने काजू कतली/बर्फ़ी जैसा भी कुछ दिख रहा था।लेकिन लोगों ने पकड़ ली #भुजिया ।अपेक्षाकृत मूल्यवान चीजें छोड़ कर भुजिया पर क्यों अटक गया इंडिया?
१. व्यापारी ईमानदार नहीं होते?
२. मुनाफ़ाखोरी और सूदखोरी से देश परेशान है
३. समाजवादी और मिश्रित अर्थव्यवस्था में ज़न्मा देश,उद्योगपति से भलाई की उम्मीद नहीं करता है?
४.देश के लोग ललची है?
५. कुछ भी दे दो कर्मचारियों का पेट नहीं भरता?
६. ख़ुद न खाए दुनिया को लुटाएँ वाली सोच है?
७. लोग जालनखोर हैं, दूसरे की ख़ुशी में कमियाँ निकालते हैं?
८. गरीब देश को अमीरों की ख़ुशी नहीं पचती?
९. क्या देश इस बात पर विश्वास करता है कि संसाधनों का बराबर वितरण हो?
१०. लोगों को लगता है मेहनत आम आदमी करता है और माल व्यापारी बनाता है?
११.आलोचना करने वाले मोदी का विरोध कर रहे हैं,क्योंकि अंबानी-अदाणी का नाम उनके साथ जोड़ा जाता है।
१२. अंबानी शादी में सबको बादाम दे रहे हैं,कर्मचारियों को मूँगफली?
१३. भारत में दानवीर को महान मानते हैं?
१४. सम्पत्ति लुटाने वाले को महान मानते हैं?
सवाल और भी हो सकते हैं।वजह और भी हो सकती हैं। लेकिन एक सच ये भी है कि उद्योगपति tax देते हैं।रोज़गार देते हैं।रिस्क लेते हैं।कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी पूरी करते हैं।समाज,विज्ञान,कला,तकनीकी,स्वास्थ्य के विकास में निवेश करते हैं।निवेश करते हैं।राजनीति और चुनाव में चंदा देते हैं।
ऐसे में चाँदी के सिक्के और काजू की बर्फ़ी को नकार कर भुजिया मुद्दा क्यों बन जाती है? जबकि भुजिया कोई मामूली चीज नहीं है।आम आदमी के सेव को स्लिम करके,चमकीले पैकेट में बंद किया जाता है तो अरबों कमाती है।😊

1 साल के भीतर कितना कुछ बदल जाता हैं।राज्यों में डबल इंजन की गारंटी देने वाले केंद्र में “डबल इंजन” के भरोसे है/ नायडू औ...
06/06/2024

1 साल के भीतर कितना कुछ बदल जाता हैं।राज्यों में डबल इंजन की गारंटी देने वाले केंद्र में “डबल इंजन” के भरोसे है/ नायडू और नीतीश के डबल इंजन के भरोसे मोदी की सरकार/

इससे पहले “अबकी बार मोदी सरकार” का नारा थाबहुमत नहीं मिला तो “अबकी बार NDAसरकार” में चेंज हो गयारिकॉर्ड बनाने के बहुत से...
05/06/2024

इससे पहले “अबकी बार मोदी सरकार” का नारा था
बहुमत नहीं मिला तो “अबकी बार NDAसरकार” में चेंज हो गया
रिकॉर्ड बनाने के बहुत से व्याकरण बदलने पड़ते हैं😀

मतदान ख़त्म होते ही बाज़ार मूल्यवान होने लगेतो इकॉनमी का कौन सा सिद्धांत लगता होगा?
03/06/2024

मतदान ख़त्म होते ही बाज़ार मूल्यवान होने लगे
तो इकॉनमी का कौन सा सिद्धांत लगता होगा?

चुनाव पर ये पहेली किस दल या गठबंधन पर सही बैठती है? 😀🔔⚙️NDAINDIA OTHERS
02/06/2024

चुनाव पर ये पहेली किस दल या गठबंधन पर सही बैठती है? 😀🔔⚙️
NDA
INDIA
OTHERS

महिलाओं के साथ अपराध के आरोपी को अरेस्ट करने के लिए/ केवल महिला पुलिस टीम😳 ये संदेश है या सिस्टम?
01/06/2024

महिलाओं के साथ अपराध के आरोपी को अरेस्ट करने के लिए/ केवल महिला पुलिस टीम😳 ये संदेश है या सिस्टम?

चुनाव प्रचार/अध्यात्मिक यात्राएँ/ सरकार से सेलरी लेने वालों की छुट्टी में काउंट होना चाहिये या नहीं होना चाहिए? मेरे विच...
31/05/2024

चुनाव प्रचार/अध्यात्मिक यात्राएँ/ सरकार से सेलरी लेने वालों की छुट्टी में काउंट होना चाहिये या नहीं होना चाहिए? मेरे विचार में तो होना चाहिए

बच्चों की रक्षा के लिए माँ बाप कितने सतर्क हैं? बच्चे की लंबी उम्र के लिये सवाल पूछिये/ बच्चे की रक्षा में पुणे वाले मम्...
28/05/2024

बच्चों की रक्षा के लिए माँ बाप कितने सतर्क हैं? बच्चे की लंबी उम्र के लिये सवाल पूछिये/ बच्चे की रक्षा में पुणे वाले मम्मी पापा मत बनिए/
बच्चे की रक्षा के लिए माँ शेरनी बन जाती है,लेकिन क्या वो अपने बच्चे की बेसिक सुरक्षा के सवाल पूछती है।पिता के कंधे में औलाद की लाश दुनिया का सबसे बड़ा बोझ है लेकिन क्या पिता अपने बच्चों की रक्षा से जुड़े बुनियादी सवाल पूछता है? ये बहुत ज़रूरी हो गया है,क्योंकि इस काम के लिए तैयार सरकारी सिस्टम में लोग कम है,ज़िम्मेदारी ज़्यादा है।जो हैं भी उनमें से 95% पैसे/पॉवर या संबंध के दबाव में रहते हैं।इसलिए सवाल पूछिए।अपने बच्चे की लंबी ज़िंदगी के लिए।
मैटरनिटी होम सेलेक्ट करने से पहले वहाँ आग और दूसरी असुरक्षा से बचाव के सवाल पूछिये/खाने पीने पहनने ओढ़ने कॉस्मेटिक्स से बच्चे की रक्षा पर सवाल पूछिए/प्ले स्कूल,डे केयर में आग से रक्षा के इंतज़ाम चेक कीजिए/ गेम जोन,बर्थडे पार्टी की जगह पर सुरक्षा की जानकारी लीजिए/अपने बच्चे को सुरक्षा की ट्रेनिंग दीजिए/bad टच और गुड टच से आगे bad प्लेस और good प्लेस का ज्ञान दीजिए/स्कूल में सिक्योरिटी इंतज़ाम के बारे में पूछिए/

वोट के बाज़ार में गारंटी का सीज़नचुनाव में वायदे की जगह गारंटी शब्द की ब्रांडिंग सबसे पहले पंजाब के विधानसभा चुनाव में क...
16/12/2023

वोट के बाज़ार में गारंटी का सीज़न
चुनाव में वायदे की जगह गारंटी शब्द की ब्रांडिंग सबसे पहले पंजाब के विधानसभा चुनाव में की गई। आम आदमी पार्टी ने वोटर को गारंटी दी।
इसकी सफलता से प्रभावित हो कर कांग्रेस ने इसे हिमाचल कर्नाटक फिर राजस्थान छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में आजमाया।
अब मोदी जी गारंटी पूरी होने की गारंटी बन गए हैं।
ये विश्वास का संकट है या वायदे की कमजोरी? लेकिन 2024 चुनाव का कीवर्ड ज़रूर है। क्योंकि गारंटी सबको चाहिए😄
#गारंटी #वायदा #चुनाव

प्रधानमंत्री ने WED IN INDIA नाम का नया और अनोखा आईडिया देश के लोगों के सामने रखा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में अगर...
10/12/2023

प्रधानमंत्री ने WED IN INDIA नाम का नया और अनोखा आईडिया देश के लोगों के सामने रखा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में अगर 1साल में 5000 शादियाँ हो जाए तो इकॉनमी के वारे न्यारे हो जाएँगे।शादी देवता का प्री प्लान है इस लिए उसे देवभूमि में करें।हर परिवार कम से कम एक शादी यहाँ करे।
idea फ़ैंसी है लेकिन क्या पर्यावरण के हिसाब से फ़िजीबिल भी है?
क्या ऐसा कहते वक़्त पीएम को पता था कि देवभूमि में कूड़े के निपटारे की क्या व्यवस्था है? एक रिसर्च के मुताबिक़ हर शादी में औसत 3 टन कूड़ा निकलता है।1500 टन एक्स्ट्रा कूड़ा! क्या उत्तराखण्ड में इसे सेग्रीगेट करके निपटाने का इन्तज़ाम है।पहाड़ों कि भूमि में कूड़े के पहाड़ न बने इसका इंज़माम है। 15 se 20 लाख लोगों के आने जाने।गाड़ी घोड़े। निर्माण इत्यादि से जो प्रदूषण फैलेगा उसका क्या इंतज़ाम होगा?
लाँग वीकेंड में जाम हो जाने वाले पहाड़।पर्यटन कमाई के लालच में बेतरतीब निर्माण से तबाह पहाड़।सरकार के चौड़ी सड़क निर्माण से ख़तरे में पड़े पहाड़।
क्या शादियों की भीड़ और कूड़े को बर्दाश्त कर पायेंगे?
शादी पर्यटन पालिसी का हिस्सा होंगी या फिर कोई नयी शादी नीति तैयार की जाएगी?

नफ़रत की “गारंटी”
07/12/2023

नफ़रत की “गारंटी”

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