10/04/2022
बिहार में शराब बंदी लाई स्मेगलिंग अंधी
बिहार कि मौजूदा परिस्थिति को देख सोच में पर जाता हूं क्या सच में बिहार कि मौजूदा स्थिति को शराबंदी कहते हैं. अगर इसे शराब बंदी कहते है तो हर शराबी चाहेगा कि उसके देश में नीतीश मॉडल शराब बंदी कानून बनाया जाए. परदेश कि तो वो हालत है कि शराब कि बोतल उसको ही दर्शन देते हैं जो शराबी है और नासा के भक्ति में नील है. जिसका शराब से कोई लेना देना नही है उसके लिए सच में बिहार में शराब बंद हो चुका है.
अफसोस कि बात तो ऐ है बिहार में शराब बंदी के बाद खुलेआम ट्रांसपोर्ट सिस्टम शराब से भरी ट्रैक को स्वीकार तो नही कर रहा है. मगर बिहार में शराब तस्करों के लिए दुनिया कि सबसे बड़ी कला बाजार बन गया है. पुष्पा कि तरह हजारों अस्मगलर शराब कि तस्करी में लगा है जिसको ना तो बिहार के खाकी वर्दी का डर है ना ही खुद कि जान का परवाह है. लेकिन शराब बिहार में कानून रूप से बैन होने के बाद किमतें दोगुनी तो जरूरी हुई है मगर हर गली मोहल्ले में शराब मिल रहा है. किराना दुकान में शराब कि बोतल मिस्टर इंडिया बन कर बैठा रहता है दिखता उसी को है जो असली भक्त है.
मैने बिहार में दोनो युग देखा हूं एक ओ युग जिसमे शराब लीगल था एक ऐ युग जिसमें शराब इल्लीगल है दोनो देखने के बाद कहूंगा कि शराब जब लीगल था तब का बिहार मेरा बहुत खुबसूरत था. अब बिहार कि मौजूदा परिस्थिति को देख रूह कांप जाता है शराब कि बोतले भक्त को नही मिलने पर कुछ भी नसे के लिए इस्तेमाल कर रहा है. बिहार में कॉरेक्स अब खांसी के लिए नही बल्कि भक्त के प्यास बुझाने में किया जाता है. गंजा कि तस्करी में पहले के मुकाबला कई गुना ज्यादा इजाफा हुआ है अफीम पहले लोग नाम नही सुना था अब हर छोटे छोटे बस्ती में उपलब्ध है. मुझे तब आंख भर जाते है जब गांव के युवा को ड्रग्स का सेवन करते देखता हूं और नसे के लिए इंजेक्शन का इस्तेमाल करते देखता हूं. क्या मेरा बिहार शराब बंदी से पहले ऐसा ही था क्या? पहले नसे के तौर पर शराब पिया जाता था अब हर नूख्स अपनाया जा रहा है.
मोटे तौर पर लोग इलीगल देशी शराब का उत्पाद करना सुरु कर दिया है अफसोस कि बात है कि गांव कि महिला अगर इस सब का विरोध करती भी है तो सुबह पुलिस ले कर जाति है कल से फिर वो शराब बेचते हुए नजर आते है। क्योंकि इलिगल धंधा बिना कानून के रखवाले के सहारे चला पाना मुश्किल है सब पैसे पर बिकते है और पैसे जब डबल कमाई हो तो लुटाने में क्या हर्ज है काले धंधे से बिहार कि पुलिस भी अपनी जेब गरम कर रहा हैं.
नई दिल्ली
1 अप्रैल 2016 से बिहार देश का चौथा ड्राइ स्टेट बन था
रिपोर्टों के मुताबिक, राज्य को शराब बिक्री पर लगे टैक्स कलेक्शन से हर साल 4,000 करोड़ रुपये की आमदनी होती थी। इतना ही नहीं, शराब पर प्रतिबंध का बड़ा असर ग्लोबस स्पिरिट्स, यूनाइटेड स्पिरिट्स लि. और रैडिको खैतान जैसी कंपनियों पर भी होगा।
गौरतलब है कि नई पॉलिसी के तहत एक्साइज डिपार्टमेंट ने साल 2007 में पूरे राज्य में शराब की दुकानें खोलने के लिए अंधाधुंध लाइसेंस बांटे। इस वजह से विभाग के रेवेन्यू कलेक्शन में 10 गुना उछाल दर्ज की गई। एक्साइज डिपार्टमेंट को साल 2005-06 में 319 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी जो साल 2014-15 में बढ़कर 3,650 करोड़ रुपये हो गई। ध्यान रहे कि भारत के तीन राज्यों- गुजरात, नागालैंड और मणिपुर में पहले से ही शराब पूरी तरह प्रतिबंधित
NCB की 2020 का रिपोर्ट : शराब के बाद बिहार में सबसे अधिक गांजा, अफीम व चरस की हो रही तस्करी
बिहार में शराब के अलावा मादक पदार्थों में सबसे अधिक गांजा, अफीम व चरस की तस्करी हो रही है. शनिवार को अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस के दिन नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की ओर से बिहार में मादक पदार्थों की तस्करी व उसके खिलाफ हो रही कार्रवाई को लेकर रिपोर्ट जारी की गयी है. अगर मादक पदार्थों में शराब को छोड़ दिया जाये तो एनसीबी की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में सबसे अधिक गांजा, अफीम और चरस की तस्करी व जब्ती हुई है, जबकि हीरोइन व अन्य मादक पदार्थों की तस्करी काफी कम है.
वहीं दूसरी तरफ एनसीबी ने कार्रवाई करते हुए बीत छह वर्षों से अधिक समय में बिहार से 293 लोगों को तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया है. इसमें इस वर्ष अब तक 36 लोग नशीले पदार्थों की तस्करी करते हुए राज्य से एनसीबी ने पकड़े हैं.
एनसीबी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 से लेकर अब तक यानी साढ़े छह वर्षों में राज्य के विभिन्न जगहों से सबसे अधिक गांज की तस्करी को पकड़ा गया है. इन वर्षों के दौरान एनसीबी ने 38 हजार दो सौ नौ किलो 67 ग्राम गांजा पकड़ा है. इसमें इस वर्ष में अब तक चार हजार आठ सौ 26 किलो 100 ग्राम गांजा पकड़ा गया है. उसी प्रकार दूसरे नंबर पर अफीम की जब्ती हुई है.