10/10/2022
सरकारी अस्पतालों में डेंगू की जांच किट तक नहीं
- वारिसलीगंज में डेंगू से एक की मौत।
नवादा जिले में डेंगू ने विकराल रूप लेना शुरू किया है। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट भी जारी कर दिया है। इधर, नवादा के सरकारी अस्पतालों में डेंगू बीमारी की जांच को किट तक नहीं है। इस बीच वारिसलीगंज में एक की मौत डेंगू से होने की सूचना है।
सदर अस्पताल के जांच केन्द्र में डेंगू बीमारी की जांच के लिए आमतौर पर प्रयुक्त होनेवाली एनएस वन एंटीजेन टेस्ट किट नदारद मिला। एलीजा और आईजीएम किट भी नहीं मिला। केन्द्रीय औषधि भंडार में भी अन्य कोई टेस्ट किट नहीं पाई गयी। सदर अस्पताल की स्थिति ने जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों की भी पोल खोल कर दी है। अस्पतालों में डेंगू पीड़ित मरीजों के उपचार की तैयारी सिफर है।
खानापूर्ति के लिए सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के एक्यूड एनसेफलाईटिस सिंड्रोम/जापानी एनसेफलाईटिस (एईएस/जेई) वार्ड को डेंगू वार्ड घोषित कर दिया गया है, जहां मात्र 04-05 बेड पर मरीजों के इलाज का दावा ठोंका गया है। लेकिन धरातल पर यह भी खोखला ही नजर आया है। वार्ड के दरवाजे पर 24 घंटे ताला लटका नजर आ रहा है।
जिला स्वास्थ्य विभाग डेंगू की जांच से लेकर इलाज तक देने में सक्षम नहीं दिख रहा है। आलम यह है कि बीमारी से पीड़ित मरीज निजी क्लिनिकों में इलाज करा रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों में नहीं पहुंच रहे मरीज:-
जिले में डेंगू से पीड़ित होनेवाले मरीजों का सरकारी संसाधनों पर भरोसा नहीं रहा। यही कारण है कि निजी क्लिनिकों में दर्जनों की संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं, तो सदर अस्पताल में अबतक एकमात्र डेंगू मरीज की पुष्टि की गई है।
जिला मुख्यालय का मिर्जापुर इलाका डेंगू से बुरी तरह प्रभावित है, यहां हरेक गली-मोहल्ले में डेंगू के मरीज मिल रहे हैं। शहर के हरिश्चन्द्र स्टेडियम, पटेल नगर, शिव नगर जैसे जलजमाव वाले इलाकों की स्थिति भी बेहतर नहीं है।
डेंगू के साथ-साथ टाईफायड, मलेरिया पीड़ित मरीजों की संख्या भी अच्छी-खासी बतायी जा रही है। ज्यादातर मरीज निजी क्लिनिकों में इलाज करा रहे हैं और गंभीर स्थिति में राजधानी पटना पहुंच रहे हैं। कुछेक प्रखंडों के डेंगू मरीजों की मौत होने की बात भी सामने आ रही है।
सदर अस्पताल में ही जलजमाव, अन्य जगहों की स्थिति बदतर:-
डेंगू का वाहक मच्छर एडीज आमतौर पर जलजमाव वाले इलाकों में पनपता है। घर के किसी बर्तन, टायर, गमला या किसी जगह पर पानी जमा है, तो यहां इस मच्छर का लार्वा पनप सकता है। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू से बचाव को अलर्ट जारी करने के साथ एडवाईजरी भी साझा की है। लेकिन जिले में इसको लेकर कोई खास प्रभाव नहीं दिख रहा है। सदर अस्पताल के महिला एवं प्रसूति विभाग के शौचालय की टंकी के पास ही कई दिनों से जलजमाव की स्थिति है।
विभाग के आगे गेट पर की नाली भी जाम है, जिसमें गंदा पानी भरा है और मच्छर के लार्वा को पनपे को खुला आमंत्रण देता नजर आ रहा है। अस्पताल प्रबंधन इन चीजों से वाकिफ नहीं, ऐसा तो कतई नहीं है। बल्कि इन समस्याओं को नजरअंदाज किया जाता है।
हां, जिला पदाधिकारी या किसी राज्यस्तरीय पदाधिकारी के आगमन पर साफ-सफाई और डीडीटी पाउडर आदि का छिड़काव करके शाबाशी बटोर ली जाती है।
डॉक्टर तक की सुविधा नहीं, लगातार उजागर हो रही प्रबंधन की लापरवाही:-
सदर अस्पताल में डॉक्टरों की उपस्थिति की समय सारणी सार्वजनिक कर दी गई है, लेकिन ड्यूटी से अधिकतर चिकित्सक गायब ही मिलते हैं। कुछ युवा चिकित्सकों को छोड़ दें, तो अन्य वरीय डॉक्टर अमूमन ड्यूटी से गायब ही पाए जाते हैं। जेनरल फिजिसियन हो या विशेषज्ञ चिकित्सक। अस्पताल से अधिक अपनी निजी क्लिनिकों में ड्यूटी बजाते नजर आते हैं।
सिविल सर्जन और सदर अस्पताल प्रबंधन की तरफ से कोई निगरानी नहीं की जाती है। आमतौर पर मरीज भटकते नजर आते हैं।
डेंगू को लेकर जारी अलर्ट के बाद भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा कोई विशेष प्रबंध सामने नहीं दिखता। एक वार्ड बनाने की औपचारिक घोषणा के बाद अन्य कोई इंतजाम नहीं हैं। मरीजों को उच्च चिकित्सा संस्थान के लिए रेफर कर देना सदर अस्पताल की नियती बनकर रह गयी है।
सामाजिक कार्यकर्ता लगा रहे गुहार, नहीं हो रही कार्रवाई:-
डेंगू के बढ़ते प्रकोप को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चिंता व्यक्त की है।
लाइन पार मिर्जापुर इलाके से बामसेफ के जिलाध्यक्ष अनिल पासवान की अगुवाई में मोहल्लेवासियों ने नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी कन्हैया कुमार को फॉगिंग कराने को आवेदन दिया।
इधर, पूर्व वार्ड पार्षद सरोज सिंह ने बताया कि उनके वार्ड में दर्जनों की संख्या में लोग डेंगू से पीडित है। उनके आसपास के घरों में ट्विंकल कुमारी, अंकित कुमार, मनीष सिंह, पवन कुमार, गुड्डू सिंह का परिवार, लक्ष्मण की बेटी समेत दर्जनभर लोग डेंगू से पीडित हैं।
बताया गया कि नगर परिषद की तरफ से फॉगिंग का काम कराया जा रहा है, लेकिन डेंगू प्रभावित इलाकों में यह नाकाफी साबित हो रहा है। यदि डेंगू मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ, तो इसे संभालना बड़ा मुश्किल होगा।
फिलहाल, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमा मामले को नजरअंदाज करने में जुटा है, वही हाल यहां के जनप्रतिनिधियों का भी दिख रहा है।
कहते हैं अधिकारी:-
राज्य स्वास्थ्य विभाग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लगातार दिशा-निर्देशन कर रहा है। डेंगू जांच के लिए जिला अस्पतालों को एलीजा टेस्ट किट भी भेजी जा रही है। जिला स्वास्थ्य विभाग भी जरूरी कदम उठाने वाली है। शहर के तमाम इलाकों में फॉगिंग कराने को लेकर नगर परिषद को लिखा गया है। विभाग अपने स्तर से भी फॉगिंग करा रहा है। डेंगू के मरीजों को हरसंभव उपचार दिया जायेगा। इसके लिए वार्ड की भी व्यवस्था कर दी गई है। -डॉ. बी.पी. सिन्हा, प्रभारी सिविल सर्जन।