श्रीजी दर्शन

श्रीजी दर्शन श्रीनाथजी प्रभु नाथद्वारा के नित्य दर्शन, राग सेवा, भोग सेवा, श्रृंगार सेवा एवं नाथद्वारा के अन्य अपडेट के लिए हमारे इस पेज को फॉलो करे।
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06/11/2024
आप सभी को लाभ पंचमी की मंगल बधाई और शुभकामनाएं। जय श्री कृष्ण.
06/11/2024

आप सभी को लाभ पंचमी की मंगल बधाई और शुभकामनाएं। जय श्री कृष्ण.

★☆★ कार्तिक शुक्ल पंचमी, लाभ पंचमी (લાભ પાંચમ) के चाकदार वागा व श्रीमस्तक पर टिपारा का श्रृंगार ★☆★◆जय श्रीकृष्ण, राधे र...
06/11/2024

★☆★ कार्तिक शुक्ल पंचमी, लाभ पंचमी (લાભ પાંચમ) के चाकदार वागा व श्रीमस्तक पर टिपारा का श्रृंगार ★☆★

◆जय श्रीकृष्ण, राधे राधे ◆
◆श्री वृन्दावन विहारी लाल की जय ◆
◆श्री गिरिराज धरण की जय ◆
◆श्री वल्लभाधीश की जय ◆
◆श्री यमुने महारानी की जय ◆
◆गुसाईं जी परम दयाल की जय ◆

महाबल कीनो हो व्रजनाथ l
ईत मुरली ऊत गोपिन सो रति ईत गोवर्धन हाथ ll 1 ll
उत बालक पय पान करावत ईत सुरभि तृणखात l
ऊतहि चरत वछरा अपने रस ग्वाल बजावत पाट ll 2 ll
कोप्यो इंद्र महाप्रलय को झर लायो दिन सात l
‘परमानन्द’ प्रभु राख लियो व्रज मेट इंद्र की घात ll 3 ll

आज कार्तिक शुक्ल पंचमी, बुधवार, 6 नवंबर, 2024 है। आज के दिवस को लाभ पंचमी भी कहा जाता है । गुजरात सहित भारत के कई भागों में आज का लाभ पंचमी का पर्व उत्साह से मनाया जाता है परन्तु पुष्टिमार्ग में लाभपंचमी को लौकिक पर्व माना गया है अतः आज के दिन श्रीजी में इस निमित कुछ विशेष नहीं होता। आप सभी को लाभ पंचमी की शुभकामनाएं।

★☆★आज के दिन की विशेषताएँ एवं विशिष्ट सेवाक्रम★☆★

◆ आज के वस्त्र, श्रृंगार भी ऐच्छिक हैं परन्तु सामान्यतया चाकदार वागा व श्रीमस्तक पर टिपारा धराया जाता है।

◆ ये दिन गोवर्धन धारण व इन्द्रमान भंग के हैं अतः प्रातः से ही गोवर्धन धारण व इन्द्रमान भंग के कीर्तन गाये जाते हैं। पिछवाई भी गोवर्धनधारण लीला की होती है।

◆ श्रीजी को लाल ज़री के चाकदार वागा, चोली, सूथन, टिपारा व लाल मलमल का पटका धराया जाता है। आभरण वनमाला के परन्तु चरणारविन्द से चार अंगुल ऊपर धराये जाते हैं। आज श्रीमस्तक पर मोर-चन्द्रिका व दोहरे कतरा धराये जाते हैं।

★☆★श्रीनाथजी के आज के श्रृंगार★☆★

◆ आज की साजसेवा में श्रीनाथजी में आज गोवर्धनधारण लीला के चित्रांकन वाली सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है। पिछवाई में मल्लकाछ टिपारा के श्रृंगार में कृष्ण-बलराम, नन्द-यशोदा, गोपीजन तथा श्री गिरिराजजी के ऊपर बरसते मेघों का अत्यंत सुन्दर चित्रांकन किया गया है।

◆ आज तकियों के ऊपर मेघश्याम रंग की बिछावट की जाती है जबकि गादी के ऊपर लाल एवं चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल की जाती है। चरणचौकी के साथ पडघा, बंटा आदि भी जड़ाऊ स्वर्ण के होते हैं। सम्मुख में धरती पर त्रस्टी धरे जाते हैं। पान घर की सेवा में बंटाजी में ताम्बुल बीड़ा पधराये जाते है।

◆ आज की वस्त्र सेवा में प्रभु श्री वल्लभाधीश जी को आज लाल सलीदार ज़री के सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं, जो रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं।

◆ आज ठाड़े वस्त्र अमरसी रंग के धराए जाते हैं।

◆ आभरण श्रृंगार सेवा में श्री वृन्दावन विहारी जी श्रीनाथजी को आज वनमाला का चरणारविन्द से चार अंगुल ऊपर तक का हल्का श्रृंगार धराया जाता है।

◆ आज सर्व आभरण हरे मीना एवं सोने धराए जाते हैं। जिसमें कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, श्रीकर्ण के कुंडल, पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आदि सभी आभरण विशेषकर हरे मीना व सोने के उत्सववत धराये जाते हैं।

◆ प्रभु श्री गोवर्धननाथ जी के श्रीमस्तक पर आज लाल ज़री की टिपारा की टोपी के ऊपर मध्य में मोर-चन्द्रिका, दोनों ओर दोहरा कतरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है।

◆ प्रभु श्री के श्रीकर्ण में मीना के मयूराकृति कुंडल धराए जाते हैं।

◆ ठाकुर जी के श्रीकंठ में आज श्रीकंठ में कस्तूरी, कली व कमल की माला धरायी जाती है। साथ ही गुलाब के पुष्पों की एवं श्वेत पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धराई जाती है।

◆ श्रीजी प्रभु के श्रीहस्त में कमलछड़ी, लहरिया के वेणुजी और दो वेत्रजी धराए जाते हैं, जिनमें से एक वैत्रजी लहरिया के और एक वैत्रजी स्वर्ण के होते हैं।

◆ खेल के साज में आज लाल और गोटी चांदी की बाघ-बकरी की आती है।

◆ सायंकालीन सेवा के तहत आज प्रातः धराये श्रीकंठ के श्रृगार संध्या-आरती दर्शन उपरांत बड़े कर शयन समय छोटे (छेड़ान के) श्रृंगार धराये जाते हैं। श्रीमस्तक पर टिपारा बड़ा नहीं होता है अतः लूम, तुर्रा नहीं धराये जाते हैं।

◆ ठाकुर जी की सेवा का अन्य सभी क्रम नित्यानुसार रहता है जैसे कि मंगला, राजभोग, आरती एवं शयन दर्शन में आरती उतारी जाती है तथा नित्य नियमानुसार मंगलभोग, ग्वालभोग, राजभोग, शयनभोग में विविध सामग्रियों का भोग अरोगाया जाता है।

★☆★ आज की राग सेवा- आज के कीर्तन★☆★

◆ मंगला दर्शन कीर्तन – सब ही गोप मिल बुझन लागे।
◆ राजभोग दर्शन कीर्तन – महाबल कीनो हो ब्रजराज
◆ आरती दर्शन कीर्तन – कान्ह कुँवर के कर पल्लव।
◆ शयन दर्शन कीर्तन – राजे गिरधर आज।
◆ मान का कीर्तन – लालन मनायो न मानत।
◆ पोढवे का कीर्तन – वे देखो बरत झरोखन दीपक।

★☆★जय श्रीकृष्ण, राधे राधे। आपका दिन शुभ हो।★☆

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🚩व्रज - कार्तिक शुक्ल पंचमी 🚩♦️बुधवार, 06 नवंबर 2024♦️🌹लाभ पंचमी🌹▪️मंगला दर्शन▪️(समय प्रात: 5.30 बजे)▪️वस्त्र- दत्तू हरे...
05/11/2024

🚩व्रज - कार्तिक शुक्ल पंचमी 🚩
♦️बुधवार, 06 नवंबर 2024♦️

🌹लाभ पंचमी🌹

▪️मंगला दर्शन▪️
(समय प्रात: 5.30 बजे)

▪️वस्त्र- दत्तू हरे मलमल का

▪️मंगला दर्शन कीर्तन-

● सब ही गोप मिल बूझन लागे

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05/11/2024
05/11/2024

Shrinathji prabhu ki gau mata

🚩व्रज - कार्तिक शुक्ल चतुर्थी 🚩🔸️मंगलवार, 5 नवंबर 2024🔸️ ● मंगला दर्शन (मंगला समय सुबह 5.15 बजे)🔹️दत्तु हरे खिनख़ाब का🔹️...
04/11/2024

🚩व्रज - कार्तिक शुक्ल चतुर्थी 🚩
🔸️मंगलवार, 5 नवंबर 2024🔸️

● मंगला दर्शन
(मंगला समय सुबह 5.15 बजे)

🔹️दत्तु हरे खिनख़ाब का🔹️

▪️कीर्तन –मंगला दर्शन▪️
(राग : बिलावल)

🌸गोवर्धन नख पर धर्यो🌸

गोवर्धन पूजा का पद-पूज के घर आये गोवर्धन, पूज के घर आये l जननी जसोदा करत आरती, मोतिन चौक पुराये...ll 1 ll मंगल कलश विराज...
04/11/2024

गोवर्धन पूजा का पद-

पूज के घर आये गोवर्धन, पूज के घर आये l
जननी जसोदा करत आरती, मोतिन चौक पुराये...ll 1 ll
मंगल कलश विराजत द्वारे, वन्दनमाल बंधाये...ll 2 ll
'लालदास' गीरवर गीर पूज्यो, भये भक्तन मन भाये...ll 3 ll

🚩व्रज - कार्तिक शुक्ल तृतीया🚩♦️सोमवार, 04 नवंबर 2024♦️🔸️फ़िरोज़ी ज़री के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर फ़िरोज़ी छज्जेदार ...
04/11/2024

🚩व्रज - कार्तिक शुक्ल तृतीया🚩
♦️सोमवार, 04 नवंबर 2024♦️

🔸️फ़िरोज़ी ज़री के चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर फ़िरोज़ी छज्जेदार पाग पर जमाव का क़तरा के श्रृंगार🔸️

♦️राजभोग दर्शन –♦️

🥀साज –🥀

▪️- आज श्रीजी में फ़िरोज़ी रंग की पिछवाई धरायी जाती है.
▪️ गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है

🔸️वस्त्र –🔸️
▪️श्रीजी को आज फ़िरोज़ी ज़री पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं चाकदार वागा धराये जाते हैं.
▪️पटका मलमल का धराया जाता हैं.
▪️ठाड़े वस्त्र लाल रंग के धराये जाते हैं.

♦️श्रृंगार –♦️
▪️आज प्रभु को छेड़ान का (हल्का) श्रृंगार धराया है.
▪️गुलाबी मीना के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
▪️श्रीमस्तक पर फ़िरोज़ी रंग की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, जमाव का क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
▪️श्रीकर्ण में दो जोड़ी कर्णफूल धराये जाते हैं.
▪️पीले एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
▪️श्रीहस्त में लाल मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
▪️पट फ़िरोज़ी एवं गोटी मीना की धरायी जाती हैं.

★🔸️★ भाईदूज (यम द्वितीया) उत्सव★♦️★◆जय श्रीकृष्ण, राधे राधे ◆◆श्री वृन्दावन विहारी लाल की जय ◆◆श्री गिरिराज धरण की जय ◆◆...
03/11/2024

★🔸️★ भाईदूज (यम द्वितीया) उत्सव★♦️★

◆जय श्रीकृष्ण, राधे राधे ◆
◆श्री वृन्दावन विहारी लाल की जय ◆
◆श्री गिरिराज धरण की जय ◆
◆श्री वल्लभाधीश की जय ◆
◆श्री यमुने महारानी की जय ◆

आज का दिन यम द्वितीया कहलाता है। ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन श्री यमुनाजी ने अपने भाई यम को तिलक कर भोजन कराया था। सुभद्रा बहन भी आज प्रभु श्रीकृष्ण व बलदाऊजी को तिलक करती है।

◆ आज के दिन भाई बहन के घर जाते हैं तथा बहन उन्हें तिलक कर भोजन कराती है। माना जाता है कि इस प्रकार की रीति करने से भाई की आयुष्य बढती है और वो सुख-समृद्धिशाली बनता है तथा बहन को भी मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

★🔸️★ भाईदूज (यम द्वितीया) उत्सव★♦️★◆जय श्रीकृष्ण, राधे राधे ◆◆श्री वृन्दावन विहारी लाल की जय ◆◆श्री गिरिराज धरण की जय ◆◆...
03/11/2024

★🔸️★ भाईदूज (यम द्वितीया) उत्सव★♦️★

◆जय श्रीकृष्ण, राधे राधे ◆
◆श्री वृन्दावन विहारी लाल की जय ◆
◆श्री गिरिराज धरण की जय ◆
◆श्री वल्लभाधीश की जय ◆
◆श्री यमुने महारानी की जय ◆
◆गुसाईं जी परम दयाल की जय ◆

🪷आज दूज भैया की कहियत, कर लिये कंचन थाल के ।
करो तिलक तुम बहन सुभद्रा, बल अरु श्रीगोपाल के ।। 1 ।।
आरती करत देत न्यौछावर, वारत मुक्ता माल के ।
‘आशकरण’ प्रभु मोहन नागर, प्रेम पुंज ब्रजबाल के ।। 2 ।।

🚩आज कार्तिक शुक्ल द्वितीया, रविवार, 3 नवंबर, 2024 है। श्रीनाथजी में आज भाई दूज का उत्सव है। कल से गुर्जर अर्थात गुजराती नववर्ष भी प्रारंम्भ हो गया है। आप सभी को नववर्ष की कोटि कोटि हार्दिक मंगल कामनाएं कि प्रभु श्रीजी आपके जीवन में सर्व मंगल करें।

★☆★आज के दिन की विशेषताएँ एवं विशिष्ट सेवाक्रम★☆★

◆ आज का दिन यम द्वितीया कहलाता है। ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन श्री यमुनाजी ने अपने भाई यम को तिलक कर भोजन कराया था। सुभद्रा बहन भी आज प्रभु श्रीकृष्ण व बलदाऊजी को तिलक करती है।

◆ आज के दिन भाई बहन के घर जाते हैं तथा बहन उन्हें तिलक कर भोजन कराती है। माना जाता है कि इस प्रकार की रीति करने से भाई की आयुष्य बढती है और वो सुख-समृद्धिशाली बनता है तथा बहन को भी मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

◆ उत्सव होने के कारण श्रीनाथजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहलीज को हल्दी से लीपा जाता हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं।

◆ आज दिनभर की चारों समय अर्थात मंगला, राजभोग, भोग आरती तथा शयन की आरती थाली में की जाती है।

◆ आज बंटा, कुंजा, तकिया सब जडाऊ आते हैं।

◆ श्रीनाथजी प्रभु को आज नियम के लाल खीनखाब के चोली, सूथन, घेरदार वस्त्र धराए जाते हैं तथा ठाकुर जी के श्रीमस्तक पर फुलक शाही ज़री का चीरा अर्थात ज़री की पाग और रुपहली ज़री का पटका धराया जाता है।

◆ आज के उत्सव भोग के रूप में विशेष रूप से ग्वाल के भोग में प्रभु को चाशनी वाले कसार के गुंजा व दूधघर में सिद्ध की गई केसरयुक्त बासोंदी की हांडी अरोगाई जाती है।

◆ राजभोग में अनसखड़ी में दाख का रायता अरोगाया जाता है। सखड़ी में मूंग की द्वादशी अर्थात सीरा अरोगाया जाता है।

◆ राजभोग में प्रभु के आगे के भोग धरकर राजभोग की माला धराई जाती है।
◆ झालर, घंटा, नौबत और शंख की ध्वनि के मध्य दण्डवत कर प्रभु को तिलक किया जाता है। इसके बाद प्रभु को बीड़ा व तुलसी समर्पित की जाती है। तत्पश्चात विराजित सभी स्वरूपों को तिलक किया जाता है।

◆ आटे की चार मुठियाँ वार के चून अर्थात आटे की आरती की जाती है और न्यौछावर की जाती है।

◆ इसके बाद सबसे पहले श्रीनाथजी के मुखियाजी श्री तिलकायतजी को तिलक करते हैं और फिर श्री तिलकायतजी सभी उपस्थित सेवकों को तिलक करते हैं।

◆ बहन सुभद्रा के घर भोजन अरोगें इस भाव से ठाकुर जी आज राजभोग अरोगते हैं।
जब भीतर तिलक व आरती होती है, तब आशकरणदासजी द्वारा रचित यह कीर्तन गाया जाता है-

🌹आज दूज भैया की कहियत, कर लिये कंचन थाल के ।
करो तिलक तुम बहन सुभद्रा, बल अरु श्रीगोपाल के ।। 1 ।।
आरती करत देत न्यौछावर, वारत मुक्ता माल के ।
‘आशकरण’ प्रभु मोहन नागर, प्रेम पुंज ब्रजबाल के ।। 2 ।।

◆ आज भोग के समय फीका के स्थान पर बीज-चालनी अर्थात घी में तले नमकीन सूखे मेवे व बीज अरोगाए जाते हैं।

◆ प्रातः धराए श्रीकंठ के श्रृंगार संध्या-आरती उपरांत बड़े कर दिए जाते हैं और शयन के समय छोटे अर्थात छेड़ान के श्रृंगार धराए जाते हैं। श्रीमस्तक पर चीरा पर लूम तुर्रा धराए जाते हैं।

★☆★श्रीनाथजी के आज के श्रृंगार★☆★

◆ आज की साजसेवा में श्रीनाथजी में आज लाल मखमल की सुरमा-सितारा की ज़री मोती के काम की, वृक्षावली के ज़रदोज़ी के काम वाली नित्यलीलास्थ श्री गोवर्धनलाल जी महाराज वाली सुन्दर पिछवाई धराई जाती है। यह पिछवाई श्री गोवर्धन लालजी महाराज ने सिद्ध कराई थी।

◆ आज तकियों के ऊपर मेघश्याम रंग की बिछावट की जाती है जबकि गादी एवं चरणचौकी के ऊपर लाल मखमल की बिछावट की जाती है।

◆ आज की वस्त्र सेवा में प्रभु श्री वल्लभाधीश जी को आज लाल रंग की खीनख़ाब की चोली, घेरदार वागा एवं सूथन धराए जाते हैं।

◆ प्रभु की कटि पर रुपहली ज़री की किनारी वाला लाल कटि-पटका धराया जाता है, जिसका एक छोर आगे और एक बग़ल में होता है।

◆ आज ठाड़े वस्त्र सफेद रंग के चिकने लट्ठा के धराए जाते हैं।

◆ आभरण श्रृंगार सेवा में श्री वृन्दावन विहारी जी श्रीनाथजी को आज छोटा अर्थात कमर तक का चार माला का हल्का श्रृंगार धराया जाता है।

◆ आज सर्व आभरण मोती, विशेषकर पन्ना व सोने के धराए जाते हैं। आज के दिन सदैव ऐसा छोटा श्रृंगार ही धराया जाता है। जिसमें जिसमें कंठहार, बाजूबंद, पौची, हस्त सांखला, कर्णफूल पैजनिया, नुपुर व बिच्छियाँ आदि सभी आभरण मोती, विशेषकर पन्ना व सोने के उत्सव वत धराये जाते हैं।

◆ प्रभु श्री गोवर्धननाथ जी के श्रीमस्तक पर आज सुनहरी फुलक शाही ज़री के चीरा अर्थात जरी की पाग के ऊपर सिरपैंच के स्थान पर पन्ना, जिसके ऊपर नीचे मोती की लड़, मोरपंख की सादी चन्द्रिका एवं शीशफूल धराए जाते हैं।

◆ प्रभु श्री के श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल धराए जाते हैं।

◆ ठाकुर जी के श्रीकंठ में आज श्वेत तथा रंग-बिरंगे पुष्पों की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धराई जाती है।

◆ श्रीजी प्रभु के श्रीहस्त में कमलछड़ी हीरा के वेणुजी एवं वेत्रजी धराए जाते हैं।

◆ खेल के साज में आज पट और गोटी दोनों जडाऊ आती है तथा आज आरसी अर्थात दर्पण चार झाड की दिखाई जाती है।

★☆★ आज की राग सेवा- आज के कीर्तन★☆★

◆ मंगला – लीला लाल गोवर्धनधर की ।
◆ राजभोग –
अब न छांडो चरन कमल महिमा मैं जानी ।
◆ आरती – कान्ह कुंवर के कर पल्लव ।
◆ शयन – राजे गिरिराज आज ।
◆ मान – आली री मानगढ़।
◆ पोढवे– सोवत नींद आय गई।

♦️♦️जय श्री कृष्ण. राधे राधे. आपका दिन शुभ हो.♦️♦️
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🚩व्रज - कार्तिक शुक्ल द्वितीया🚩🔸️रविवार, 03 नवंबर 2024🔸️ 🔹️भाईदूज, यम द्वितीया🔹️♦️मंगला दर्शन ♦️▪️समय - प्रात: 5.30 बजे)...
02/11/2024

🚩व्रज - कार्तिक शुक्ल द्वितीया🚩
🔸️रविवार, 03 नवंबर 2024🔸️

🔹️भाईदूज, यम द्वितीया🔹️

♦️मंगला दर्शन ♦️

▪️समय - प्रात: 5.30 बजे)

🔸️🌹🔸️विशेष –🔸️🌹🔸️

▪️कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यम द्वितीया कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि आज के दिन श्री यमुनाजी ने अपने भाई यम को तिलक कर भोजन कराया था.
▪️सुभद्रा बहन भी आज प्रभु श्रीकृष्ण व बलदाऊजी को तिलक करती है.
भारतीय संस्कृति में आज के दिन भाई बहन के घर जाते हैं और बहन उन्हें तिलक कर भोजन कराती है. इस प्रकार रीति करने से भाई को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है व बहन को भी मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.

▪️उत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी को हल्दी से लीपी जाती हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
▪️दिनभर चारों समय (मंगला, राजभोग, संध्या व शयन) आरती थाली में की जाती है. बंटा, कुंजा, तकिया सब जडाऊ आते हैं.

वस्त्र- दत्तु लाल खिनख़ाब का

♦️मंगला दर्शन कीर्तन (राग : बिलावल)-♦️

▪️लीला लाल गोवर्धनधर की।

🌹🔸️▪️🌹🔸️▪️🌹🔸️▪️🔸️▪️🌹🔸️🌹

નૂતન વર્ષાભિનંદન. જય શ્રીકૃષ્ણ.
02/11/2024

નૂતન વર્ષાભિનંદન. જય શ્રીકૃષ્ણ.

आज के श्रीनाथजी दर्शन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा शनिवार, 2 नवंबर 2024जय श्री कृष्ण. राधे राधे. आपका दिन शुभ हो.
02/11/2024

आज के श्रीनाथजी दर्शन
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा
शनिवार, 2 नवंबर 2024

जय श्री कृष्ण. राधे राधे.
आपका दिन शुभ हो.

मंगला दर्शन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा शनिवार, 2 नवंबर 2024
01/11/2024

मंगला दर्शन
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा
शनिवार, 2 नवंबर 2024

01/11/2024
01/11/2024

Govardhan pooja at Shrinathji Temple Nathdwara

Goverdhan puja 2024 shrinathji mandir Nathdwaraगोवर्धन पूजा 2024 श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा
01/11/2024

Goverdhan puja 2024 shrinathji mandir Nathdwara
गोवर्धन पूजा 2024 श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा

आप सभी को गोवर्धन पूजा उत्सव की खूब खूब मंगल बधाई.
01/11/2024

आप सभी को गोवर्धन पूजा उत्सव की खूब खूब मंगल बधाई.

♦♦गोवर्धन पूजा, अन्नकूट महोत्सव♦♦जय श्री कृष्ण। राधे राधे। श्री गिरिराज धरण की जय। आज कार्तिक कृष्ण अमावस्या, शुक्रवार 0...
01/11/2024

♦♦गोवर्धन पूजा, अन्नकूट महोत्सव♦♦

जय श्री कृष्ण।
राधे राधे।
श्री गिरिराज धरण की जय।

आज कार्तिक कृष्ण अमावस्या, शुक्रवार 01 November 2024 है। कल कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को श्रीनाथजी में दीपावली महोत्सव का आयोजन हुआ और आज गोवर्धन पूजा उत्सव, अन्नकूट महोत्सव है।

आप सभी को गोवर्धन पूजा, अन्नकूट महोत्सव की खूब खूब मंगल बधाई।

आज पुष्टिमार्ग में बहुत विशेष दिन है। आज प्रभु गोवर्धन पूजने पधारते हैं।
आज की पोस्ट में अन्नकूट महोत्सव को पूरे क्रम से सजाकर आपके सम्मुख प्रस्तुत करने का प्रयास किया है अतः पोस्ट को पूरा देखें और प्रभु सम्मुख होने का आभास व आनंद लें।

🌸🌸आज का विशिष्ट सेवाक्रम🌸🌸

🔹महोत्सव होने के कारण श्रीजी मंदिर के सभी मुख्य द्वारों की देहरी (देहलीज) को हल्दी से लीपी जाती हैं एवं आशापाल की सूत की डोरी की वंदनमाल बाँधी जाती हैं.
🔹आज दिन में मंगला के उपरांत अन्य सभी दर्शन भीतर होते हैं अतः लगभग 6:30 बजे उपरांत मंगला दर्शन खुलते हैं जो लगभग डेढ़ से 2 घंटे खुले रहते हैं.
🔹विगत कल (दीपावली की रात्रि) वस्त्र बड़े नहीं किये जाते और श्रृंगार कुछ हल्के धरे जाते हैं अतः आज मंगला दर्शन उन्हीं वस्त्र, श्रृंगार में होते हैं.

🔹कार्तिक कृष्ण दशमी से आज कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तक सात दिन श्रीजी को अन्नकूट के लिए सिद्ध की जा रही विशेष सामग्रियां गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में अरोगायी जाती हैं. ये सामग्रियां आज अन्नकूट उत्सव पर भी अरोगायी जाएँगी. इस श्रृंखला में आज विशेष रूप से श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में धांस (उड़द दाल) की बूंदी के लड्डू व दूधघर में सिद्ध की गयी केसरयुक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है. राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता अरोगाया जाता है.
🔹मंगला दर्शन उपरांत डोल-तिबारी आदि को खासा किया जाता है और अन्नकूट के भोग सजाये जाने की तैयारी प्रारंभ हो जाती है अतः अन्य सभी समां के दर्शन भीतर होते हैं. दिन भर का पूरा सेवाक्रम भीतर होता रहता है.
🔹रात्रि लगभग 8.30 बजे पश्चात अन्नकूट के दर्शन खुलते हैं जो कि लगभग 12:30 बजे तक होते हैं.

♦♦आज का श्रृंगार•राजभोग दर्शन –♦♦

🔹आज की साज सेवा श्रीजी में सर्व साज दीपावली के दिवस धरा हुआ ही आज भी धराया जाता है.

🔹वस्त्र सेवा में श्रीजी को आज दीपावली के दिवस धरे गये श्वेत ज़री के वस्त्र ही धराये जाते हैं. श्रृंगार वृद्धि में ऊर्ध्व भुजा की ओर लाल रंग का ज़री का बिना तुईलैस किनारी बिना का पीताम्बर धराया जाता है जिनके दो अन्य छोर चौखटे के ऊपर रहते हैं.
ऐसा पीताम्बर वर्ष में दो बार (आज के दिन व जन्माष्टमी, नन्दोत्सव के दिन) धराया जाता है. जन्माष्टमी, नन्दोत्सव के दिन यह पटका केवल चौखटे पर धराया जाता है परन्तु आज यह श्रीहस्त में भी धराया जाता है.
प्रभु यह पीताम्बर गायों, ग्वालों और निजजनों पर फिरातें हैं जिससे उनको नज़र ना लगे.
चतुर्भुजदास जी ने इस भाव का एक पद भी गाया है.

🔹 आभरण श्रृंगार सेवा में आज अभ्यंग नहीं होता. सर्व श्रृंगार दीपावली के दिवस के ही रहते हैं, केवल श्रीमस्तक के ऊपर लाल रंग की ज़री की तुई की किनारी वाला गौकर्ण धराया जाता है.
इसी प्रकार कुल्हे के ऊपर सिरपैंच बड़ा कर दिया जाता है और इसके बदले जड़ाव पान धराया जाता है.
🔹कमलछड़ी एवं पुष्प मालाजी दीपावली के दिवस के होते हैं अतः बदले जाते हैं.
🔹श्रीहस्त में जड़ाव सोने के वेणुजी और दो वेत्रजी धराये जाते हैं.

♦️♦️आज होती है गोवर्धन पूजा♦️♦️

राजभोग दर्शन उपरांत गोवर्धन पूजा की जाती है.

पूज्य श्री तिलकायत महाराज राजभोग आरती पश्चात डोल-तिबारी में घांस के मिढ़ा में सेव, बूरा और घी पधरा कर मुहूर्त करते है और अन्नकूट के भोग धरने आरम्भ हो जाते हैं.

🔸गोवर्धन पूजा -

■ आज राजभोग पश्चात अनोसर नहीं होते. दोपहर लगभग 2 बजे श्रीजी के छड़ीदारजी, समाधानीजी, श्री कृष्ण-भण्डार के अधिकारीजी, मुख्य निष्पादन अधिकारी, गौशाला के ग्वाल-बाल आदि विशिष्टजन कीर्तन समाज के साथ द्वितीय गृह प्रभु श्री विट्ठलनाथजी को पधराने उनके घर (मंदिर) जाते हैं.
श्रीजी के ग्वालबाल श्रीजी मंदिर के बाहर की सात परिक्रमा कर गीत गाते हुए श्री विट्ठलनाथजी के घर उन्हें गोवर्धनपूजा में आने का आमंत्रण देते हैं.

● तदुपरांत द्वितीय गृहाधीश श्री कल्याणरायजी महाराज अन्य गौस्वामी बालकों की अगुआई में श्री ठाकुरजी को सुखपाल में विराजित कर वैष्णवों के संग कीर्तन की स्वर लहरियों के मध्य श्रीजी में अन्नकूट अरोगाने पधराते हैं.

■ श्री विट्ठलनाथजी को श्रीजी सम्मुख विराजित कर पूज्य श्री तिलकायत महाराजश्री श्रीजी से आज्ञा लेकर चिरंजीवी श्री विशालबावा, पूज्य श्री कल्याणरायजी, श्री हरिरायजी, श्री वागीशजी एवं उपस्थित अन्य गौस्वामी बालकों और श्रीजी के सभी मुख्य सेवकों के साथ श्री नवनीतप्रियाजी को पधारने जाते हैं.

● वहां श्री नवनीतप्रियाजी के मुखियाजी पूज्य तिलकायत व चिरंजीव विशाल बावा को टोरा बाँधते हैं.
● खासा-भण्डार के सेवक हल्दी, गुलाल एवं अबीर से रंगोली छांटते चलते हैं जिसपर होकर पूज्य तिलकायत एवं चिरंजीव श्री विशालबावा श्री नवनीतप्रियाजी व श्रीजी के सेवकों के संग प्रभु को बीड़ा अरोगाते खुली स्वर्ण की चकडोल में विराजित कर गोवर्धन-पूजा के चौक में सूरजपोल के पावन सोपानों पर विराजित करते हैं.
● दोनों स्वरूपों के पधारने और गोवर्धन पूजन के दौरान किर्तनिया 'बड़ड़ेन को आगे दे गिरधर, श्री गोवर्धन पूजन आवत' व ‘चले रे गोपाल...गोवर्धन पूजन’ कीर्तन गाते रहते हैं.

■ तदुपरांत गौ-माताएँ कानजगाई के दिवस की भांति ही धूमधाम से क्रीड़ा करती हुई मंदिर मार्ग को अपनी रुनझुन से निनादित करती हुई श्रीजीमंदिर के गोवर्धन-पूजा के चौक में पधारती हैं.
● प्रभु श्री नवनीतप्रियाजी को विशेष रूप से दूधघर में सिद्ध केशर मिश्रित दूध की दो चपटिया (मटकी) का भोग अरोगाया जाता है और गोवर्धन-पूजा शुरु हो जाती है.
चिरंजीव श्री विशालबावा गोवर्धन-पूजा के मध्य प्रभु को शिरा-विहीन पान अरोगाते रहते हैं.

■ इस पूर्व दोपहर में गोवर्धन पूजा के चौक में गोबर से गोवर्धन का निर्माण किया जाता है जिसे सिन्दूर से रंगी लकड़ी के जाली से ढंका गया होता है.

• पूज्य तिलकायत मानसी-गंगा के जल, दूध, दही, चंदन, कुमकुम आदि विविध सामग्रियों से गोवर्धन-पूजा करते हैं.
यह क्रम लगभग आधे घंटे का रहता है.
■ तदुपरांत टेरा लेकर श्रीगोवर्धन को विशालकाय टोकरों में रखे महाप्रशाद का भोग अरोगाया जाता है.
● भोग के पश्चात झालर-घण्टों और शंख की ध्वनि के मध्य आरती की जाती है.
● इसके बाद श्रीजी के दूधघर के ग्वाल, गौशाला के बड़े ग्वाल तथा सातों घरों के ग्वालों, पानघरिया, फूल-घरिया, ख़ासाभंडारी, परछना मुखिया आदि मंदिर के विविध विभागों के प्रमुखों को तिलकायत श्री ‘टौना’ बाँध कर मठड़ी, पान का बीड़ा व पाटिया लड्डू का नेग देते हैं.

● गोवर्धन-पूजा के पूर्ण होने पर श्रीनवनीतप्रियाजी बगीचे के रास्ते से होते हुए श्रीजी के सम्मुख अन्नकूट अरोगने पधारते हैं. इधर गोबर के गोवर्धन पर गौएँ चढ़ाई जाती हैं.
● गौधूली वेला में गायें अपने अस्थायी विश्रामस्थल पर ले जायी जाती हैं जहाँ पर श्रीजी की ओर से गायों को गेहूं दलिया व गुड की थूली खिलाई जाती है.

● इसके तुरन्त बाद सभी गायें नगर के प्राचीन मार्ग गुर्जरपुरा से खेलते हुए नाथूवास स्थित गौशाला में चली जाती हैं.
● नगरवासी व वैष्णव गोबर के गोवर्धन की परिक्रमा करते हैं. अन्नकूट उत्सव गोवर्धन-पूजा के पश्चात श्री नवनीतप्रियाजी भीतर पधार श्रीजी के सम्मुख विराजित होकर अन्नकूट अरोगते हैं।

♦️♦️अन्नकूट उत्सव♦️♦️

🔸डोलतिवारी के पिछले दो खण्डों में घास का ‘मिढ़ा’ (चाँवल रखने का घास निर्मित कुआ) बनाया जाता है जिस में अन्नकूट के डेढ़ सौ मण से अधिक भात (चांवल) का ढेर लगा अन्नकूट (अर्थात अन्न का शिखर) बनाया जाता है.
🔸️ उसके ऊपर चारों दिशाओं में घी में सेके हुए कसार के चार बड़े गुंजे और मध्य में एक गुंजा चक्र का आधा भीतर व आधा बाहर रखा जाता है.
🔸️ चारों दिशाओं के गुंजों पर क्रमशः शंख, चक्र, गदा व पद्म उकेरे जाते हैं.
■ शिखर पर तुलसी की मोटी माला धराई जाती है. इसके चारों ओर सखड़ी की सामग्रियां रखी जाती हैं.
इन सामग्रियों से पौना रतनचौक और पूरी डोलतिवारी भर जाती है.

● इसके अतिरिक्त दूधघर तथा बालभोग की सामग्री निज मंदिर, मणिकोठा एवं छठीकोठा में चार-चार टोकरे में एक के ऊपर एक करके रखी जाती है.
प्रभु समक्ष भोग धरकर अन्नकूट के सेवक चिरंजीवी श्री विशाल बावा के संग अन्नकूट के मुखिया की अगुआई में श्रीजी मंदिर की बाहर की परिक्रमा करते हैं.

■ लगभग डेढ़ घंटे के पश्चात भोग सरने प्रारंभ हो जाते हैं. अनसखड़ी की सभी सामग्रियां हटा ली जाती है जबकि सखड़ी की केवल शाक, दाल आदि की मटकियाँ रहने दी जाती हैं. लगभग 8.30 बजे दर्शन खुल जाते हैं.

● इन दर्शनों में थोड़ी-थोड़ी देर में विभिन्न भावों से नौ बार आरती होती है.
चौथी आरती के बाद रात्रि लगभग 11:30 बजे भीलों को चाँवल लूटने दिया जाता है. भोग सरने के बाद भी दर्शनों में श्रीजी के सम्मुख निज मंदिर में आठ-आठ टोकरे रखे रहते हैं परन्तु इन्हें प्रभु श्री विट्ठलनाथजी के घर पधारने के पूर्व हटा लिया जाता है.
पाँचवीं आरती के बाद द्वितीय पीठाधीश श्री कल्याणरायजी अपने सेवकों सहित पधार कर प्रभु श्री विट्ठलनाथजी को अपने घर पधरा ले जाते हैं.
नवीं और अंतिम आरती के पश्चात श्री नवनीतप्रियाजी बगीचे से होकर अपने घर पधार जाते हैं.

● श्री नवनीतप्रियाजी व श्री विट्ठलनाथजी अन्नकूट पश्चात घर पधारें तब यह कीर्तन गाया जाता है.
पूज के घर आये गोवर्धन, पूज के घर आये l
जननी जसोदा करत आरती, मोतिन चौक पुराये...ll 1 ll
मंगल कलश विराजत द्वारे, वन्दनमाल बंधाये...ll 2 ll
'लालदास' गीरवर गीर पूज्यो, भये भक्तन मन भाये...ll 3 ll

● उत्थापन के बाद का सेवाक्रम सभी तीन मंदिरों में इसके बाद होता है व लगभग 4 बजे शयन के अनोसर होते हैं.

गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट उत्सव की मंगल बधाई
01/11/2024

गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट उत्सव की मंगल बधाई

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