Shreenathji bawa

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व्रज - चैत्र शुक्ल पूर्णिमाTuesday, 23 April 2024विशेष – आश्विन शुक्ल पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) से चैत्र शुक्ल पूर्णिमा की...
23/04/2024

व्रज - चैत्र शुक्ल पूर्णिमा
Tuesday, 23 April 2024

विशेष – आश्विन शुक्ल पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) से चैत्र शुक्ल पूर्णिमा की रास की छः मास की रात्रि आज पूर्ण होने से आज रासोत्सव मनाया जाता है.
कुछ पुष्टिमार्गीय वैष्णव मंदिरों में आज शरद उत्सव मनाया जाता है और शरद पूर्णिमा को अरोगायी जाने वाली सामग्रियां अरोगायी जाती है यद्यपि श्रीजी में ऐसा सेवाक्रम नहीं होता है.

श्रीजी में आज रास की चार सखी के भाव के चित्रांकन की पिछवाई आती है. नियम का रास के भाव का मुकुट और गुलाबी काछनी का श्रृंगार धराया जाता है.
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साज – आज श्रीजी में रास रमती चार गोपियों के चित्रांकन की सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज गुलाबी मलमल का सूथन, काछनी, रास-पटका एवं श्याम मलमल की चोली धरायी जाती हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र सफेद जामदानी (चिकन) के धराये जाते हैं.

श्रृंगार - श्रीजी को आज वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. हीरा मोती के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर हीरा का मुकुट एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में हीरा के मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
बायीं ओर हीरा की शिखा (चोटी) धरायी जाती है.
श्रीकंठ में कली, कस्तूरी व कमल माला धरायी जाती है. श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की विविध पुष्पों की थागवाली दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है. श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लहरिया के हीराजड़ित वेणुजी एवं दो वेत्रजी (लहरिया व सोने के) धराये जाते हैं.
पट गुलाबी व गोटी नाचते मोर की आती है.
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व्रज - चैत्र शुक्ल दशमीThursday, 18 April 2024रामनवमी का परचारगी श्रृंगारसेवाक्रम -गेंद, चौगान व दिवला सभी सोने के आते ह...
18/04/2024

व्रज - चैत्र शुक्ल दशमी
Thursday, 18 April 2024

रामनवमी का परचारगी श्रृंगार

सेवाक्रम -गेंद, चौगान व दिवला सभी सोने के आते हैं. दो समय की आरती थाल में की जाती है. राजभोग में पीठका पर पुष्पों का चौखटा आता हैं.

विशेष – आज श्रीजी में सम्पूर्ण रामलीला के चित्रांकन की पिछवाई धरायी जाती है. यही पिछवाई श्रीजी में विजयादशमी के एक दिन पूर्व महा-नवमी के दिन भी धरायी जाती है.

आज पिछवाई के अलावा सभी वस्त्र एवं श्रृंगार पिछली कल की भांति ही होते हैं. इसे परचारगी श्रृंगार कहते हैं.

श्रीजी में अधिकतर बड़े उत्सवों के एक दिन बाद परचारगी श्रृंगार होता है.
परचारगी श्रृंगार के श्रृंगारी श्रीजी के परचारक महाराज (चिरंजीवी श्री विशाल बावा) होते हैं. यदि वो उपस्थित हों तो वही श्रृंगारी होते हैं.

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व्रज - चैत्र शुक्ल चतुर्थीFriday, 12 April 2024रंगीली तीज गनगौर आज चलो भामिनी कुंज छाक लै जैये।विविध भांति नई सोंज अरपि ...
12/04/2024

व्रज - चैत्र शुक्ल चतुर्थी
Friday, 12 April 2024

रंगीली तीज गनगौर आज चलो भामिनी कुंज छाक लै जैये।
विविध भांति नई सोंज अरपि सब अपने जिय की तृपत बुझैये॥१॥
लै कर बीन बजाय गाय पिय प्यारी जेंमत रुचि उपजैये।
कृष्णदास वृषभानु सुता संग घूमर दै दै नंदनंद रिझैये॥२॥

द्वितीय (हरी) गणगौर

विशेष – आज हरी गणगौर है. आज की गणगौर चन्द्रावलीजी के भाव की है अतः श्रीजी को नियम के पंचरंगी लहरिया वस्त्र धराये जाते हैं.

पहली तीनों गणगौरों (चूंदड़ी, हरी व गुलाबी) में रात्रि के अनोसर में श्रीजी को सूखे मेवे (बादाम, पिस्ता, काजू, किशमिश, चिरोंजी आदि), खसखस, मिश्री की मिठाई के खिलौने, ख़ासा भण्डार में सिद्ध मेवा-मिश्री के लड्डू, माखन-मिश्री आदि से सज्जित थाल अरोगाया जाता है.

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वस्त्र – आज श्रीजी को पंचरंगी लहरिया का सूथन, चोली तथा खुलेबंद के चाकदार वागा धराये जाते हैं. सभी वस्त्र रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित होते हैं. ठाड़े वस्त्र सफ़ेद डोरिया के धराये जाते हैं.
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व्रज - चैत्र कृष्ण अमावस्या ( चतुर्दशी क्षय)Monday, 08 April 2024स्याम सलीदार ज़री के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जे...
08/04/2024

व्रज - चैत्र कृष्ण अमावस्या ( चतुर्दशी क्षय)
Monday, 08 April 2024

स्याम सलीदार ज़री के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार चीरा (पाग) पर मोर चंद्रिका के शृंगार

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राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग :सारंग)

मेरी अखियन के भूषण गिरिधारी ।
बलि बलि जाऊ छबीली छबि पर अति आनंद सुखकारी ।।१।।
परम उदार चतुर चिंतामनिवदरस दरस दुं
दु़:खहारी ।
अतुल प्रताप तनक तुलसी दल मानत सेवा भारी ।।२।।
छीतस्वामी गिरिधरन विसद यश गावत गोकुलनारी ।
कहा वरनौ गुन गाथ नाथके श्रीविट्ठल ह्रदय विहारी ।।३।।

साज – श्रीजी में आज मेघस्याम ज़री की हांशिया वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – श्रीजी को आज स्याम सलीदार ज़री पर रूपहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र गुलाबी रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – प्रभु को आज छेड़ान के (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. स्वर्ण के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर स्याम ज़री की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, मोर चन्द्रिका एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं.
श्रीकर्ण में कर्णफूल की एक जोड़ी धराये जाते हैं.
गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में कमलछड़ी, सोना के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट स्याम व गोटी चाँदी की आती है.

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संध्या-आरती दर्शन उपरांत प्रभु के श्रीकंठ के आभरण बड़े कर दिए जाते हैं और शयन दर्शन हेतु छेड़ान के श्रृंगार धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.
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व्रज - चैत्र कृष्ण एकादशी(पापमोचनी एकादशी)Friday, 05 April 2024सेहरा के शृंगारविशेष – आज पापमोचनी एकादशी है. श्रीजी को ए...
05/04/2024

व्रज - चैत्र कृष्ण एकादशी(पापमोचनी एकादशी)
Friday, 05 April 2024

सेहरा के शृंगार

विशेष – आज पापमोचनी एकादशी है.
श्रीजी को एकादशी फलाहार के रूप में कोई विशेष भोग नहीं लगाया जाता, केवल संध्या आरती में प्रतिदिन अरोगायी जाने वाली खोवा (मिश्री-मावे का चूरा) एवं मलाई (रबड़ी) को मुखिया, भीतरिया आदि भीतर के सेवकों को एकादशी फलाहार के रूप में वितरित किया जाता है.
श्रीजी के अलावा नाथद्वारा में अन्य सभी पुष्टि स्वरूपों जैसे श्री नवनीतप्रियाजी, श्री विट्ठलनाथजी, श्री मदनमोहनजी, श्री वनमालीजी आदि को नित्य की सामग्री के अलावा राजभोग समय फलाहार का भोग लगाया जाता है.
एकादशी फलाहार में पुष्टि स्वरूपों को विशेष रूप से सिंघाड़े के आटे का सीरा (हलवा), सिंगाड़े के आटे की मीठी सेव, विविध प्रकार के शाक, सिंघाड़े के आटे की मोयन की पूड़ी, तले हुए कंद (रतालू, सूरण, अरबी), सिंघाड़े के आटे की राब, रायता आदि आरोगाये जाते

साज – आज श्रीजी में विवाह खेल लीला की, विवाह मंडप के चित्रांकन वाली सुन्दर पिछवाई धरायी जाती है. श्रीजी लग्न-मंडप में विराजित हैं, श्री स्वामिनी जी एवं श्री यमुना जी सेहरा के श्रृंगार में दोनों ओर खड़े हैं. गोपियाँ विवाह के मंगल गीत गाती हुई इस अद्भुत शोभा को निरख रहीं हैं.
गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को पतंगी खिनख़ाब का रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली, चाकदार वागा एवं मलमल का रुपहली ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित अंतरवास का राजशाही पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र मेघश्याम रंग के धराये जाते हैं.

श्रृंगार – श्रीजी को आज वनमाला का (चरणारविन्द तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है. फ़िरोज़ा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर पतंगी दुमाला के ऊपर हीरा का सेहरा दो तुर्री एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में फ़िरोज़ा के मकराकृति कुंडल धराये जाते हैं.
दायीं ओर सेहरे की मीना की चोटी धरायी जाती है.
श्रीकंठ में कली, कस्तूरी व कमल माला धरायी जाती है.
श्वेत एवं गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती है.
श्रीहस्त में लहरियाँ के वेणुजी एवं वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट पतंगी व गोटी राग रंग की आती है.

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व्रज - चैत्र कृष्ण नवमी Wednesday, 03 April 2024हरे खिनख़ाब के घेरदार वागा, श्रीमस्तक पर चीरा (गोल पाग) पर गोल चंद्रिका ...
03/04/2024

व्रज - चैत्र कृष्ण नवमी
Wednesday, 03 April 2024

हरे खिनख़ाब के घेरदार वागा, श्रीमस्तक पर चीरा (गोल पाग) पर गोल चंद्रिका के शृंगार

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राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : सारंग)

बैठे हरि राधासंग कुंजभवन अपने रंग
कर मुरली अधर धरे सारंग मुख गाई ll
मोहन अतिही सुजान परम चतुर गुननिधान
जान बुझ एक तान चूक के बजाई ll 1 ll
प्यारी जब गह्यो बीन सकल कला गुनप्रवीन
अति नवीन रूपसहित वही तान सुनाई ll
वल्लभ गिरिधरनलाल रिझ दई अंकमाल
कहत भलें भलें लाल सुन्दर सुखदाई ll 2 ll

साज – आज श्रीजी में हरी ज़री की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.

वस्त्र – आज श्रीजी को हरे रंग की ज़री का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. अमरसी रंग के ठाडे वस्त्र धराये जाते हैं.

श्रृंगार – आज प्रभु को मध्य का (घुटने तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. हीरा के सर्व आभरण धराये जाते हैं.
श्रीमस्तक पर हरे रंग के चीरा (गोल पाग) के ऊपर सिरपैंच, क़तरा एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में एक जोड़ी हीरा के कर्णफूल धराये जाते हैं.
एक हार व नौलड़ा धराया जाता हैं
गुलाबी पुष्पों की दो सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं.
श्रीहस्त में पुष्पछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं एक वेत्रजी धराये जाते हैं.
पट हरा एवं गोटी चाँदी की आती है.

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संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के आभरण बड़े कर छेड़ान के (छोटे) आभरण धराये जाते हैं. शयन दर्शन में श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराया जाता है.
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व्रज - चैत्र कृष्ण पंचमी Saturday, 30 March 2024रंग पंचमी एवं गुलाब की मण्डली का मनोरथ            💕💕      💕💕            ...
30/03/2024

व्रज - चैत्र कृष्ण पंचमी
Saturday, 30 March 2024

रंग पंचमी एवं
गुलाब की मण्डली का मनोरथ

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29/03/2024
व्रज - फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी (प्रथम)Friday, 22 March 2024खेलतु फाग लख्यौ पिय प्यारी कों, ता सुख की उपमा किहीं दीजै।देखत...
22/03/2024

व्रज - फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी (प्रथम)
Friday, 22 March 2024

खेलतु फाग लख्यौ पिय प्यारी कों,
ता सुख की उपमा किहीं दीजै।
देखत ही बनि आवै भलै 'रसखान' ,
कहा है जो वारि न कीजै।।
ज्यौं ज्यौं छबीली कहै पिचकारी लै ,
एक लई यह दूसरी लीजे।
त्यौं त्यौं छबीलो छकै छाक सौं ,
हेरै हंसे न टरै खरौ भीजे।

आप (तिलकायत श्री) के श्रृंगार (त्रयोदशी का श्रृंगार)

नवमी से द्वितीया पाट के दिन तक प्रभु को विशिष्ट श्रृंगार धराये जाने प्रारंभ हो जाते हैं. इन्हें ‘आपके श्रृंगार’ अथवा ‘तिलकायत श्री के श्रृंगार’ कहा जाता है. ‘आपके श्रृंगार’ डोलोत्सव के अलावा जन्माष्टमी एवं दीपावली के पूर्व भी धराये जाते हैं.इसी शृंखला में आज त्रयोदशी का श्रृंगार धराया जाता हैं.

विशेष – आज सभी समय झारीजी यमुनाजल से भरी जाती है और दो समय आरती थाली में होती है.

इन दिनों प्रभु को आपके श्रृंगार धराये जा रहे हैं.
इसी श्रृंखला में आज श्रीजी को नियम के श्वेत जामदानी के चाकदार वागा व श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग के ऊपर सुनहरी जमाव का कतरा का श्रृंगार धराया जाता है. आभरण छेड़ान से दो अंगुल नीचे तक धराये जाते हैं.

फाल्गुन शुक्ल प्रतिपदा से श्रीजी में डोलोत्सव की सामग्रियां सिद्ध होना प्रारंभ हो जाती है. इनमें से कुछ सामग्रियां फाल्गुन शुक्ल नवमी से प्रतिदिन गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में श्रीजी को अरोगायी जाती हैं और डोलोत्सव के दिन भी प्रभु को अरोगायी जायेंगी.

इस श्रृंखला में आज श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में दही की सेव (पाटिया) के लड्डू अरोगाये जाते हैं.

आज के अतिरिक्त दही की सेव (पाटिया) के लड्डू केवल डोलोत्सव, अक्षय नवमी व नागपंचमी के दिन अरोगाये जाते हैं.

राजभोग में इन दिनों भारी खेल होता है. पिछवाई पूरी गुलाल से भरी जाती है और उस पर अबीर से चिड़िया मांडी जाती है.

प्रभु की कमर पर एक पोटली गुलाल की बांधी जाती है. ठोड़ी (चिबुक) पर तीन बिंदी बनायी जाती है.

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19/03/2024

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व्रज - फाल्गुन शुक्ल चतुर्थीThursday, 14 March 2024मोहन होहो होहो होरी।।काल्ह हमारे आंगन गारी देआयो सो कोरी।।1।।अब क्यों...
14/03/2024

व्रज - फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी
Thursday, 14 March 2024

मोहन होहो होहो होरी।।
काल्ह हमारे आंगन गारी देआयो सो कोरी।।1।।
अब क्योंदूर बैठे जसोदा ढिंग निकसो कुंज बिहारी।।
उमगउमग आईं गोकुल की वे सब वाई दिन बारी।।2।।
तबही लाल ललकार निकारे रूप सुधाकी प्यासी।।
लपट गई घनश्याम लालसों चमक चमक चपलासी।।3।।
काजर दे भजिभार भरुवाकें हँसहँस ब्रजकीनारी।।
कहें रसखान एक गारीपर सो आदर बलिहार।।4।।

केसरी लट्ठा के घेरदार वागा, श्रीमस्तक पर गोल पाग पर मोर चंद्रिका के शृंगार

कीर्तनों में अष्टपदी गाई जाती है.

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राजभोग दर्शन –

कीर्तन खेलो होरी फाग सबे मिल झुमक गावो झुमक गावो ll ध्रु ll
संग सखा खेलन चले वृषभान गोप की पौरी l श्रवन सुनत सब गोपिका गई है कुंवरि पे दोरी ll 1 ll
मोहन राधा कारने गहि लीनो नौसर हार l हार हेत दरसन भयो सब ग्वालन कियो जुहार ll 2 ll
राधा ललितासो कह्यो नेंक हार हाथ ते लेहूं l चंद्रभागा सो यों कह्यो नेंक इनही बैठन देहु ll 3 ll
बहोत भांति बीरा दीये कीनों बहोत सन्मान l राधा मुख निरखत हरि मानो मधुप करत मधुपान ll 4 ll
मोहन कर पिचकाई लीये बंसी लिये व्रजनारी l जीती राधा गोपिका सब ग्वालन मानी हार ll 5 ll
फगुआ को पट खेंचते मुरली आई हाथ l फगुआ दीये ही बने तुम सुनो गोकुल के नाथ ll 6 ll
मधु मंगल तब टेरियो लीनो सुबल बुलाय l मुरली तो हम देयगी प्यारी, राधा को सिर नाय ll 7 ll
ढोल मुरंज डफ बाजही और मुरलीकी घोर l किलकत कौतुहल करे मानो आनंद निर्तत मोर ll 8 ll
राधा मोहन विहरही सुन्दर सुघर स्वरुप l पोहोप वृष्टि सुरपति करें तुम धनि धनि व्रज के भूप ll 9 ll
होरी खेलत रंग रह्यो चले यमुना जल न्हान l सिंधपोरी ठाड़े हरी गोपी वारि वारि दे दान ll 10 ll
नरनारी आनंद भयो तनमन मोद बढाय l श्रीगोकुलनाथ प्रताप तें जन ‘श्यामदास’ बलिजाय ll 11 ll
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🌸🌸पाटोत्सव 🌸🌸            💕💕      💕💕
09/03/2024

🌸🌸पाटोत्सव 🌸🌸 💕💕 💕💕

व्रज –  फाल्गुन कृष्ण एकादशी(दशमी क्षय)Wednesday, 06 March 2024आज एकादशी तिथि है परन्तु विजया एकादशी व्रत कल गुरुवार, 07...
06/03/2024

व्रज – फाल्गुन कृष्ण एकादशी(दशमी क्षय)
Wednesday, 06 March 2024

आज एकादशी तिथि है परन्तु विजया एकादशी व्रत कल गुरुवार, 07 मार्च 2024 (फाल्गुन कृष्ण द्वादशी) के दिन होगा.

कान्हा धर्यो रे मुकुट खेले होरी कान्हा धर्यो रे ।।

ईतते आये कुंवर कन्हाई,
उतते आई राधा गोरी............... कान्हा

कहां तेरो हार कहां नकवेसर,
कहां मोतीयनकी लर तोरी........ कान्हा

गोकुल मेरो हार मथुरा नकवेसर,
बृदावन में लर तोरी.................. कान्हा

चोवा चंदन अगर अरगजा,
अबिर उडावो भर भर झोरी....... कान्हा

पुरुषोत्तम प्रभु की छबी निरखत,
फगुवा लियो भर भर झोरी........ कान्हा

मुकुट-काछनी के श्रृंगार

विजया एकादशी

विशेष – आज विजया एकादशी है. विश्व के सभी धर्माचार्यों ने कई वस्तुओं को निषेध कहा है उन सभी वस्तुओं को श्री वल्लभाचार्यजी ने प्रभु की सेवा में जोड़ कर उनका सदुपयोग किया है.

उदाहरणार्थ काम, क्रोध, मोह एवं लोभ मानव के शत्रु हैं एवं इनका त्याग करने को सर्व धर्माचार्य कहते हैं परन्तु श्रीमद वल्लभाचार्यजी ने इन चारों वस्तुओं को प्रभु सेवा से जोड़ने की आज्ञा की जिससे ये सभी भी भगवदीय बनें. इस अमूल्य आज्ञा के अनुसरण करने वाले कई प्रभु के कृपापात्र वैष्णवों ने काम, क्रोध, लोभ एवं मोह को प्रभु सेवा में विनियोग कर इन पर विजय प्राप्त की अतः आज की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है.

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व्रज - फाल्गुन शुक्ल षष्ठी (द्वितीय)Saturday, 02 March 2024पीले लट्ठा के घेरदार वागा, श्रीमस्तक पर गोल पाग पर  गोल चंद्र...
02/03/2024

व्रज - फाल्गुन शुक्ल षष्ठी (द्वितीय)
Saturday, 02 March 2024

पीले लट्ठा के घेरदार वागा, श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चंद्रिका के शृंगार

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राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : वसंत) (अष्टपदी)

खेलत वसंत गिरिधरनलाल, कोकिल कल कूजत अति रसाल ll 1 ll
जमुनातट फूले तरु तमाल, केतकी कुंद नौतन प्रवाल ll 2 ll
तहां बाजत बीन मृदंग ताल, बिचबिच मुरली अति रसाल ll 3 ll
नवसत सज आई व्रजकी बाल, साजे भूखन बसन अंग तिलक भाल ll 4 ll
चोवा चन्दन अबीर गुलाल, छिरकत पिय मदनगुपाल लाल ll 5 ll
आलिंगन चुम्बन देत गाल, पहरावत उर फूलन की माल ll 6 ll
यह विध क्रीड़त व्रजनृपकुमार, सुमन वृष्टि करे सुरअपार ll 7 ll
श्रीगिरिवरधर मन हरित मार, ‘कुंभनदास’ बलबल विहार ll 8 ll

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संध्या-आरती दर्शन के उपरांत श्रीकंठ के श्रृंगार बड़े कर छेड़ान के (छोटे) श्रृंगार धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर लूम-तुर्रा रूपहरी धराये जाते हैं.

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व्रज - फाल्गुन कृष्ण तृतीयाTuesday, 27 February 2024फागुन में रसिया घर बारी फागुन में ।हो हो बोले गलियन डोले गारी दे दे ...
27/02/2024

व्रज - फाल्गुन कृष्ण तृतीया
Tuesday, 27 February 2024

फागुन में रसिया घर बारी फागुन में ।
हो हो बोले गलियन डोले गारी दे दे मत वारी ।।१।।
लाजधरी छपरन के ऊपर आप भये हैं अधिकारी ।
पुरुषोत्तम प्रभु की छबि निरखत ग्वाल करे सब किलकारी ।।२।।

गुलाल की चोली

विशेष – फाल्गुन मास में होली की धमार एवं विविध रसभरी गालियाँ भी गायी जाती हैं. विविध वाद्यों की ताल के साथ रंगों से भरे गोप-गोपियाँ झूमते हैं. कई बार गोपियाँ प्रभु को अपने झुण्ड में ले जाती हैं और सखी वेश पहनाकर नाच नचाती हैं और फगुआ लेकर ही छोडती हैं.

इसी भाव से आज श्रीजी को हरे घेरदार वागा पर गुलाल की चोली धरायी जाती है. चोली की गुलाल में गुलाब का इत्र मिश्रित होता है. चोली को गुलाल से ही खेलाया जाता है जबकि अन्य सभी वस्त्र गुलाल, अबीर, चन्दन व चोवा से खेलाए जाते हैं.

फाल्गुन मास में श्रीजी चोवा, गुलाल, चन्दन एवं अबीर की चोली धराकर सखीवेश में गोपियों को रिझाते हैं.

राजभोग समय अष्टपदी गाई जाती है.

राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : जेतश्री/घनाश्री)

रिझावत रसिक किशोर को खेलतरी प्यारी राधा फाग l पहेरे नवरंग चूनरी अंगियारी आछे अंग लाग ll 1 ll
कनिक खचित खुभिया बनी दुलरीरी मोतिन बिच लाल l किकिंनी नूपुर मेखला लोचनरी शुभ सुखद विशाल ll 2 ll
गौर गातकी कहा कहु बेसरि रही कच अरुझाय l सब सुंदरी मिलि गावही, देखत हु मनमथ हिल जाय ll 3 ll
मृदुमुसकनि मुख पटदयो पिचकारी कर लई है दुराय l बंदनबुकी अंजुली नागरि ले दई उड़ाय ll 4 ll
मिडत लोचन नागरि पकरयो पीताम्बर धाय l सबे सखी जुरि आय गई, घेरे हो मोहन बलिआय ll 5 ll
मुरली छीनी चुम्बन दीयो कीनों अधरामृत पान l कमल कोष ज्यों भृंगको छांड़त नहीं बिन भये विहान ll 6 ll
मानो बहुरंग विकसत कमल मधुकर मन मोहनलाल l नयनन स्वाद सबे गहे पीवत मकरंद रसाल ll 7 ll
ऋतु वसंत बन गहगह्यो कूजत शुकपिक अलिमोर l तान मानगति भेदसों गावत गिरिधर पियजोर ll 8 ll
बेन झांझ डफ झालरी गोमुख ताल मुरंज मुखचंग l युवती युथ बजावही निर्तत मधि साल अंग ll 9 ll
त्रिगुण समीर त्यहां बहे सुंदर कालिंदीकूल l सुर सुरपति सुरअंगना डारत जयजय कहि फूल ll 10 ll
निरख निरख सचुपावही मनभये खगमृग व्रजवास l श्रीवल्लभ पदरज प्रतापबल गावत ‘विष्णुदास’ रसरास ll 11 ll
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व्रज – माघ शुक्ल तृतीया Monday, 12 February 2024सुनहरी घटा             💕💕      💕💕
12/02/2024

व्रज – माघ शुक्ल तृतीया
Monday, 12 February 2024

सुनहरी घटा 💕💕 💕💕

व्रज – माघ कृष्ण  पंचमी Wednesday, 31 January 2024            💕💕      💕💕
31/01/2024

व्रज – माघ कृष्ण पंचमी
Wednesday, 31 January 2024
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व्रज – पौष शुक्ल द्वादशीMonday, 22 January 2024🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺सभी सनातनियों के लिए अत्यंत हर्ष का विषय है कि अयोध्याजी में...
22/01/2024

व्रज – पौष शुक्ल द्वादशी
Monday, 22 January 2024

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सभी सनातनियों के लिए अत्यंत हर्ष का विषय है कि अयोध्याजी में श्रीरामलला की प्रतिष्ठा जन्मस्थल पर नूतन मंदिर में हो रही है.
इस ऐतिहासिक प्रसंग की सभी पुष्टिमार्गीय वैष्णवों को मंगल बधाई
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व्रज – पौष शुक्ल द्वादशीMonday, 22 January 2024🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺सभी सनातनियों के लिए अत्यंत हर्ष का विषय है कि अयोध्याजी में...
22/01/2024

व्रज – पौष शुक्ल द्वादशी
Monday, 22 January 2024

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सभी सनातनियों के लिए अत्यंत हर्ष का विषय है कि अयोध्याजी में श्रीरामलला की प्रतिष्ठा जन्मस्थल पर नूतन मंदिर में हो रही है.
इस ऐतिहासिक प्रसंग की सभी पुष्टिमार्गीय वैष्णवों को मंगल बधाई
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व्रज – पौष शुक्ल पंचमी(चतुर्थी क्षय)Monday, 15 January 2024मलार मठा खींच को लोंदा।जेवत नंद अरु जसुमति प्यारो जिमावत निरख...
15/01/2024

व्रज – पौष शुक्ल पंचमी(चतुर्थी क्षय)
Monday, 15 January 2024

मलार मठा खींच को लोंदा।
जेवत नंद अरु जसुमति प्यारो जिमावत निरखत कोदा॥
माखन वरा छाछ के लीजे खीचरी मिलाय संग भोजन कीजे॥
सखन सहित मिल जावो वन को पाछे खेल गेंद की कीजे॥
सूरदास अचवन बीरी ले पाछे खेलन को चित दीजे॥

उत्तरायण पर्व मकर-संक्रांति

श्रीजी में आज रेशमी छींट के वस्त्र धराये जाते हैं.
प्रभु के समक्ष नयी गेंदे धरी जाती है. सभी समां में गेंद खेलने के पद गाये जाते हैं.

श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में कट-पूवा अरोगाये जाते हैं.

राजभोग में अनसखड़ी में नियम से दाख (किशमिश) का रायता व सखड़ी में केसरी पेठा, मीठी सेव, विशेष रूप से सिद्ध सात धान्य का खींच व मूंग की द्वादशी अरोगायी जाती है. इसके साथ प्रभु को आज गेहूं का मीठा खींच भी अरोगाया जाता है.

श्रीजी की व्रतोत्सव की टिप्पणी के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति विगत कल रविवार की रात्रि 2 बजकर 54 मिनिट पर प्रारंभ हो रही है अतः मकर-संक्रांति का पुण्यकाल आज सोमवार, 15 जनवरी 2024 को प्रातः सूर्योदय अर्थात 7 बजकर 25 मिनिट से प्रारंभ होकर दोपहर 3 बजकर 25 मिनिट तक रहेगा जिसमें आरम्भ के 2 घंटे (प्रातः 7.25 से 9.24 तक) अतिमुख्य पुण्यकाल है.

इस अवधि में गोपीवल्लभ (ग्वाल) समय श्रीजी को तिलवा व उत्सव भोग धरे जाएंगे. इसी समयावधि में वैष्णव भी अपने सेव्य स्वरूपों को तिलवा के भोग घर सकते हैं.

उत्सव भोग में श्रीजी को तिलवा के गोद के बड़े लड्डू, श्री नवनीतप्रियाजी, श्री विट्ठलनाथजी एवं श्री द्वारकाधीश प्रभु के घर से आये तिलवा के लड्डू, दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांड़ी, विविध प्रकार के संदाना (आचार) के बटेरा एवं तले हुए बीज-चालनी के नमकीन सूखे मेवे का भोग अरोगाया जाता है.

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आज शयनभोग में प्रभु को शाकघर में सिद्ध सूखे मेवे का अद्भुत खींच भी अरोगाया जाता है जो कि वर्षभर में केवल आज के दिन ही अरोगाया जाता है|

लाल घटा            💕💕      💕💕
11/01/2024

लाल घटा 💕💕 💕💕

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