व्रज – पौष शुक्ल पंचमी(चतुर्थी क्षय)Monday, 15 January 2024मलार मठा खींच को लोंदा।जेवत नंद अरु जसुमति प्यारो जिमावत निरखत कोदा॥माखन वरा छाछ के लीजे खीचरी मिलाय संग भोजन कीजे॥सखन सहित मिल जावो वन को पाछे खेल गेंद की कीजे॥सूरदास अचवन बीरी ले पाछे खेलन को चित दीजे॥उत्तरायण पर्व मकर-संक्रांतिश्रीजी में आज रेशमी छींट के वस्त्र धराये जाते हैं. प्रभु के समक्ष नयी गेंदे धरी जाती है. सभी समां में गेंद खेलने के पद गाये जाते हैं.श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में कट-पूवा अरोगाये जाते हैं.राजभोग में अनसखड़ी में नियम से दाख (किशमिश) का रायता व सखड़ी में केसरी पेठा, मीठी सेव, विशेष रूप से सिद्ध सात धान्य का खींच व मूंग की द्वादशी अरोगायी जाती है. इसके साथ प्रभु को आज गेहूं का मीठा खींच भी अरोगाया जाता है.श्रीजी की व्रतोत्सव की टिप्पणी के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति विगत कल रविवार की रात्रि
हरी घटा
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व्रज – मार्गशीर्ष कृष्ण तृतीयाThursday, 30 November 2023लाल साटन के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पार चंद्रिका या क़तरा के शृंगारऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को लाल साटन का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर छज्जेदार पाग पर चंद्रिका या क़तरा का श्रृंगार धराया जायेगा.🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼साज – श्रीजी में आज लाल रंग की सुरमा सितारा के कशीदे के ज़रदोज़ी के काम वाली एवं हांशिया वाली शीतकाल की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.वस्त्र – श्रीजी को आज लाल साटन पर रूपहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, चोली एवं घेरदार वागा धराये जाते हैं. पटका मलमल का धराया जाता हैं. ठाड़े वस्त्र हरे रंग के धराये जाते हैं.श्रृंगार – प्रभु को आज छोटा (कमर तक) हल्का श्रृंगार धराया जाता है. फ़िरोज़ा के
व्रज - कार्तिक शुक्ल चतुर्थी Friday, 17 November 2023फ़िरोज़ी खिनख़ाब के घेरदार वागा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चंद्रिका के शृंगारऐच्छिक वस्त्र, श्रृंगार के रूप में आज श्रीजी को फ़िरोज़ी खिनख़ाब का सूथन, चोली एवं घेरदार वागा का श्रृंगार धराया जायेगा एवं श्रीमस्तक पर गोल पाग पर गोल चंद्रिका का श्रृंगार धराया जायेगा.🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼राजभोग दर्शन – कीर्तन – (राग : सारंग)ब्रजजन लोचन ही को तारो ।सुन यशोमति तेरो पूत सपुतो कुल दीपक उजियारो ।।१।।धेनु चरावत जात दूर तब होत भवन अति भारो ।घोष सजीवन मुर हमारो छिन इत ऊत जिन टारो ।।२।।सात द्योस गिरिराज धर्यो कर सात बरसको बारो ।गोविंद प्रभु चिरजियो रानी तेरो सुत गोप वंश रखवारो ।।३।।साज – आज श्रीजी में फ़िरोज़ी खिनख़ाब की पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया एवं चरणचौकी के ऊपर सफ़ेद बिछावट की जाती है.वस्त्र – आज श्रीजी को फ़िरोज़ी खिनख़ाब क
व्रज - कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी (दीपावली)
Sunday, 12 November 2023
दीपोत्सव
श्रीजी को नियम के लाल सलीदार ज़री की सूथन, फूलक शाही श्वेत ज़री की चोली, चाकदार वागा एवं श्रीमस्तक पर ज़री की कुल्हे के ऊपर पांच मोरपंख की चन्द्रिका की जोड़ धरायी जाती है.
आज विशेष रूप से श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में दीवला व दूधघर में सिद्ध की गयी केसरयुक्त बासोंदी की हांडी अरोगायी जाती है.
राजभोग में अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता और सखड़ी में केसरयुक्त पेठा, मीठी सेव आदि अरोगाये जाते हैं.
भोग समय फीका के स्थान पर बीज-चालनी के सूखे मेवे अरोगाये जाते हैं.
आरती समय अरोगाये जाने वाले ठोड के स्थान पर गेहूँ के पाटिया के बड़े लड्डू अरोगाये जाते हैं.
साज – आज श्रीजी में नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री दाऊजी महाराज (द्वितीय) कृत जड़ाव की, श्याम आधारवस्त्र पर कूंडों में वृक्षावली एवं पुष्प लताओं के मोती के
व्रज - कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी (रूप चौदस के आपके शृंगार) Saturday, 11 November 2023 🌺🍀नरक चतुर्दशी, रूप चौदस🍀🌺*आज रूप चौदस के राग, भोग व श्रृंगार का सेवाक्रम लिया जा रहा है*जिसमें मंगला दर्शन उपरांत प्रभु को फुलेल समर्पित कर तिलक किया जाता है. तत्पश्चात बीड़ा पधराकर चन्दन, आवंला एवं उपटना से दोहरा अभ्यंग (स्नान) कराया जाता है.अधिकांश पुष्टिमार्गीय मंदिरों में दशहरा के दिन तैयार कर सुखाकर रखे 10 गोबर के कंडों को जलाकर उन पर प्रभु स्वरूपों के आज के अभ्यंग स्नान के लिए जल गर्म किया जाता है.विशेषकर सूर्योदय से पूर्व हल्दी से चौक लीप कर उसके ऊपर लकड़ी की चौकी बिछाकर, चारों ओर दीप जलाकर, श्री ठाकुरजी को चौकी के ऊपर पधराकर, तिलक, अक्षत एवं आरती कर अभ्यंग स्नान कराया जाता है. स्नान पश्चात प्रभु को सुन्दर वस्त्राभूषण धराये जाते हैं जिससे श्री ठाकुरजी का स्वरुप खिल उठता है इस भाव से आज के उत
व्रज - कार्तिक कृष्ण दशमी (प्रथम) Tuesday, 07 November 2023(ऐच्छिक शृंगार)दीपावली का आभास भी प्रभु के सेवाक्रम में दशहरा से ही आरम्भ हो जाता है.इसी क्रम में आज से कार्तिक शुक्ल द्वितीया (भाईदूज) तक प्रतिदिन प्रभु की झारीजी में यमुनाजल भरा जाता है.उत्सव का आभास जागृत करने के भाव से प्रभु सम्मुख के गादी, चरणचौकी खंडपाट आदि की खोल पर से सफेदी उतार कर मखमल के खोल चढ़ाये जाते हैं. तकिया पर लाल मखमल की खोल आती है.आज से पुष्टिमार्ग में गोवर्धन-लीला प्रारंभ हो जाएगी. प्रभु श्रीकृष्ण ने सात दिन तक गोवर्धन पर्वत धारण किया था इस भाव से आज से सात दिन तक गोवर्धन-पूजन के पद गाये जाते हैं.इस वर्ष दीपावली का त्यौहार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन है अतः दशमी को आरम्भ होने वाले दीपावली के विशिष्ट श्रृंगार आज कार्तिक कृष्ण नवमी से ही प्रारंभ हो जाएंगे. इन्हें ‘आपके श्रृंगार’ अथवा ‘घर के श्रृंगार’ कह
व्रज – कार्तिक कृष्ण षष्ठी Friday, 03 November 2023धनतेरस का प्रतिनिधि का श्रृंगारबड़े उत्सवों के पहले उन उत्सवों के प्रतिनिधि के श्रृंगार धराये जाते हैं. ये उत्सव के मुख्य श्रृंगार के भांति ही होते हैंइसी श्रृंखला में आज दीपावली के पहले वाली त्रयोदशी अर्थात धनतेरस को धराये जाने वाला श्रृंगार धराया जायेगा जिसमें कत्थई आधारवस्त्र पर कला बत्तू के सुन्दर काम से सुसज्जित पिछवाई, हरी सलीदार ज़री के वस्त्र एवं मोरपंख की चंद्रिका का वनमाला का श्रृंगार धराया जाता है. लगभग यही वस्त्र व श्रृंगार दीपावली के पूर्व की त्रयोदशी (धनतेरस) को भी धराये जायेंगे. इस श्रृंगार को धराये जाने का अलौकिक भाव भी जान लें.अन्नकूट के पूर्व अष्टसखियों के भाव से आठ विशिष्ट श्रृंगार धराये जाते हैं. जिस सखी का श्रृंगार हो उनकी अंतरंग सखी की ओर से ये श्रृंगार धराया जाता है. आज का श्रृंगार ललिताजी की ओर का
व्रज - कार्तिक कृष्ण प्रतिपदाSunday, 29 October 2023प्रीतम प्रीत ही तें पैये ।यद्यपि रूप गुण शील सुघरता, इन बातन न रीजैयें ॥१॥सतकुल जन्म करम शुभ लक्षण, वेद पुरान पढ़ैये ।“गोविंदके प्रभु” बिना स्नेह सुवालों, रसना कहा जू नचैये ॥२॥भावार्थ- विशुद्ध प्रेम ही अन्त:करण को पवित्र करता है. परम प्रीति ही भक्ति है. प्रभु प्रेम द्वारा ही वश में होते हैं.रूप, गुण, शील, सुघड़ता इन सब से प्रभु प्रसन्न नहीं होते हैं. अच्छे कुल में जन्म होना, कर्म, शुभ लक्षण, वेद पुराणों का ज्ञान यह सब हो किन्तु प्रेम नहीं हो तो सब व्यर्थ है.द्रश्य शरदोत्सव, शरद का परचारगी श्रृंगार, कार्तिक स्नान आरंभविशेष – आज से कार्तिक स्नान आरंभ हो रहा है. यशोदाजी एवं गोपियों ने आज से व्रत आरंभ कर कार्तिक कृष्ण सप्तमी व अष्टमी को मानसी-गंगा में स्नान कर, श्री कृष्ण-बलराम को भी स्नान करा कर इंद्रपूजन की शुरुआत कार्तिक कृष्ण नव
व्रज – आश्विन शुक्ल अष्टमीSunday, 22 October 2023आठों विलास कियौ श्यामाजू,शांतनकुंड प्रवेशजू ।उनकी मुख्य भामा सारंगी,खेलत जनित आवेशजू ।।१।।सूरज मंदिर पूजन कर मेवा,सामग्री भोगधरी ।आनँद भरी चली व्रज ललना,क्रीडन बनकों उमगि भरी ।।२।।भद्रबन गमन कियौ बनदेवी,,पूजन चंदनबंदन लीन ।भोग स्वच्छ फेनी एनी,सब अंबर अभरनचीने ।३।।गावत आवत भावत चितवन,नंदलालके रसमाती ।कृष्णकला सुंदर मंदिरमें,युवती भयी सुहाती।।४।।देखी स्वरूप ठगी ललनाते,चकचोंधीसी लाई ।अँचवत दृगन अघात "दास रसिक,"विहारीन राई ।।५।।विशेष – आज दुर्गाष्टमी है. नवविलास के अंतर्गत पुष्टिमार्ग में आज अष्टम विलास का लीलास्थल शांतन कुंड है. आज के मनोरथ की मुख्य सखी भामाजी (भावनी जी) हैं और सामग्री चंद्रकला (सूतरफेणी) है. यह सामग्री श्रीजी में नहीं अरोगायी जाती है परन्तु कई पुष्टिमार्गीय मंदिरों में सेव्य स्वरूपों को अरोगायी ज
व्रज – आश्विन शुक्ल चतुर्थी (दुहरा मनोरथ)Wednesday, 18 October 2023साज – श्रीजी में आज नन्दमहोत्सव और छठी पूजन के चित्रांकन वाली पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.वस्त्र – आज श्रीजी को केसरी घेरदार वागा, रुपहली ज़री की तुईलैस की दोहरी किनारी वाला जामदानी का सूथन, चोली, एवं पटका धराये जाते हैं. पटका का एक छोर ऊर्ध्व भुजा की ओर और एक शैया मन्दिर की और धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र श्वेत रंग के जामदानी के धराये जाते है.श्रृंगार – आज श्रीजी को छोटा (कमर तक) भारी श्रृंगार धराया जाता है. हीरे एवं पन्ना के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर केसरी रंग के डोरिया की गोल पाग के ऊपर सिरपैंच, लूम की सुनहरी किलंगी एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में पन्ना के कर्णफूल धराये जाते हैं. विविध पुष्पों की चार सुन्दर मालाजी धरायी जाती हैं. आज अलक धराया जा
व्रज – आश्विन शुक्ल प्रतिपदा Sunday, 15 October 2023आजसे नौ दिन तक नव विलास की भाव भावना का आनंद लेआश्विन नवरात्रि स्थापना, नवविलास आरम्भश्री हरिराय महाप्रभु ने इस नवविलास के भाव से नव पद की रचना की है. हालांकि श्रीजी मंदिर में ये पद नहीं गाये जाते परन्तु अन्यत्र कई वैष्णव मंदिरों में प्रतिदिन एक विलास गाया जाता है.आज प्रथम विलास की भावना का स्थल निकुंजभवन है. आज के मनोरथ की मुख्य सखी चन्द्रावलीजी है. आज से मुरली एवं रास के पद गाये जाते हैं. इकाइयों के पद सायं भोग समय गाये जाते हैं और रास-पंचाध्यायी का पाठ भोग दर्शन का टेरा आये पश्चात एवं प्रभु शयन भोग अरोगें तब किया जाता है.🌺🍀🌸🌼🌼🌸🌺🍀🍀🌺🌸🌼आज श्रीजी को नियम के लाल छापा के केसरी सूथन, चोली एवं चाकदार वागा और श्रीमस्तक पर कुल्हे धरायी जाती है.श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से चन्द्रकला (सूतर फेणी) और विशेष रूप से
व्रज – आश्विन कृष्ण अमावस्या Saturday, 14 October 2023सर्वपितृ अमावस्या, कोट की आरती, सांझी की समाप्ति🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼राजभोग दर्शन – साज – आज श्रीजी में श्याम रंग की मलमल पर सुनहरी सूरजमुखी के फूल के छापा और सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी, तकिया और चरणचौकी पर सफेद बिछावट की जाती है.वस्त्र – श्रीजी को आज कोयली रंग की मलमल पर सुनहरी ज़री की तुईलैस की किनारी से सुसज्जित सूथन, काछनी एवं रास-पटका धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र सफेद जमदानी के होते हैं.श्रृंगार – आज प्रभु को वनमाला (चरणारविन्द तक) का भारी श्रृंगार धराया जाता है. जड़ाव सोने के सर्व आभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर नीलम जड़ित स्वर्ण का मुकुट और मुकुट पर मुकुट पिताम्बर एवं बायीं ओर शीशफूल धराये जाते हैं. श्रीकर्ण में मयूराकृति कुंडल धराये जाते हैं. कस्तूरी कली एवं कमल माला धराई जाती हैं.पीले
व्रज – आश्विन कृष्ण नवमी Sunday, 08 October 2023विशेष – आज नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोविन्दलालजी महाराजश्री के बहूजी एवं वर्तमान तिलकायत पूज्य गौस्वामी श्री राकेशजी महाराज की मातृचरण नित्यलीलास्थ अखंड सौभाग्यकांक्षी श्री विजयलक्ष्मी बहूजी का उत्सव है. आज श्रीजी को दान का पाचवा व नियम का मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जायेगा. श्रीजी में आज नित्यलीलास्थ गौस्वामी तिलकायत श्री गोविन्दलालजी महाराज के समस्त परिवारजनों के सुन्दर चित्रांकन से सुसज्जित पिछवाई धरी जाती है जिसमें स्वयं श्री गोविन्दलालजी महाराज बायीं ओर खड़े आरती कर रहे हैं, दोनों ओर उनके परिवार के सदस्य खड़े और विराजित हैं. आज तिलकायत परिवार की ओर से महादान की सामग्री अरोगायी जाती है. आज कदम्ब-खंडी के दान का भाव है.श्रीजी मंदिर में आज संध्या-आरती पश्चात नन्दगाँव और बरसाना की सांझी मांडी जाती है.🌸🌼
व्रज – आश्विन कृष्ण पंचमी (चतुर्थी क्षय)Tuesday, 03 October 2023विशेष – आज नित्यलीलास्थ गौस्वामी श्री हरिरायजी का उत्सव है. आज श्रीजी को दान का चौथा मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जायेगा. आज श्रृंगार दर्शन में प्रभु के बड़ी डांडी का कमल धराया जाता है.श्रीजी को आज गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से मनोहर (इलायची-जलेबी) के लड्डू अरोगाये जाते हैं. आज दानगढ़-मानगढ़ का मनोरथ होता है, सांकरी खोर के महादान का भाव भी है इसलिए गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में दान की शाकघर व दूधघर में सिद्ध विशिष्ट हांडियां अरोगायी जाती है. आज श्रृंगार से राजभोग तक श्री हरिरायजी द्वारा रचित 35 पदों की बड़ी दानलीला एवं सायंकाल सांझी के विशेष कीर्तन भी गाये जाते हैं. (अन्य पोस्ट में)मणिकोठा में पुष्पों की सांझी भी मांडी जाती है जिसके पुष्प द्वितीय गृहाधीश्वर प्रभु श्री विट्ठलनाथजी के मंदिर से आते हैं.🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼
व्रज - अश्विन कृष्ण द्वितीया Sunday, 01 October 2023छप्पनभोग मनोरथ (बड़ा मनोरथ)आज श्रीजी में किन्हीं वैष्णव द्वारा आयोजित छप्पनभोग का मनोरथ होगा.मणिकोठा, डोल-तिबारी, रतनचौक आदि में छप्पनभोग के भोग साजे जाते हैं अतः श्रीजी में मंगला के पश्चात सीधे राजभोग अथवा छप्पनभोग (भोग सरे पश्चात) के दर्शन ही खुलते हैं.श्रीजी को गोपीवल्लभ (ग्वाल) भोग में विशेष रूप से दूधघर में सिद्ध की गयी केसर युक्त बासोंदी की हांडी व शाकघर में सिद्ध चार विविध प्रकार के फलों के मीठा अरोगाये जाते हैं.राजभोग की अनसखड़ी में दाख (किशमिश) का रायता एवं सखड़ी में मीठी सेव, केसरयुक्त पेठा व पाँच-भात (मेवा-भात, दही-भात, राई-भात, श्रीखंड-भात, वड़ी-भात) अरोगाये जाते हैं. छप्पनभोग दर्शन में प्रभु सम्मुख 25 बीड़ा सिकोरी (सोने का जालीदार पात्र) में रखे जाते है.🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼राजभोग दर्शन – वस्त्र - श्रीजी को आज केसरी मलमल का पिछोड़ा ध
व्रज – भाद्रपद शुक्ल द्वादशी(एकादशी तिथि क्षय) ,दान (परिवर्तिनी) वामन द्वादशी, एकादशी व्रतTuesday, 26 September 2023दान (परिवर्तिनी) एकादशी, दान आरंभ, वामन द्वादशीआज श्रीजी को नियम से मुकुट-काछनी का श्रृंगार धराया जायेगा. प्रभु को मुख्य रूप से तीन लीलाओं (शरद-रास, दान और गौ-चारण) के भाव से मुकुट का श्रृंगार धराया जाता है.जब भी मुकुट धराया जाता है वस्त्र में काछनी धरायी जाती है. काछनी के घेर में भक्तों को एकत्र करने का भावदान के दिनों के मुकुट काछनी के श्रृंगार की कुछ और विशेषताएँ भी है. इन दिनों में जब भी मुकुट धराया जावे तब मुकुट को एक वस्त्र से बांधा जाता है जिससे जब प्रभु मटकी फोड़ने कूदें तब मुकुट गिरे नहीं. इसके अतिरिक्त दान के दिनों में मुकुट काछनी के श्रृंगार में स्वरुप के बायीं ओर चोटी (शिखा) नहीं धरायी जाती. इसके पीछे यह भाव है कि यदि चोटी (शिखा) रही तो प्रभु जब मटकी फोड़कर भाग रह
व्रज – भाद्रपद शुक्ल अष्टमीSaturday, 23 September 2023आज वधाई है बरसाने ।पंच शब्द बाजे सुनि सुर मुनि देखन मन तरसाने ।।१।।कीरति कूखि चंद्रमा प्रगटी श्रीराधाजु पग दरसाने ।ललित निकुंज बिहारीन के ऊर रहे रूप सरसाने ।।२।।सभी वैष्णवजन को स्वामिनीजी के आगमन की ख़ूब ख़ूब बधाईजय श्री कृष्ण 🌼🌺 राधाष्टमी 🌺🌼 ढाढ़ी-ढाढन दोनों पुरुष ही होते हैं. पिछले कई वर्षों से ढाढ़न के रूप में बुरहानपुर (महाराष्ट्र) के परम वैष्णव श्री बलदेवभाई सुन्दर स्त्रीवेश धर कर श्रीजी के समक्ष नृत्य करते हैं.शयन समय डोल-तिबारी में ध्रुव-बारी के पास में प्रिया-प्रीतम के भाव से बिछायत होती है, कांच का बंगला धरा जाता है एवं विविध सज्जा की जाती है जो कि अनोसर में भी रहती है और अगले दिन शंखनाद पश्चात हटा ली जाती है.साज - श्रीजी में आज लाल दरियाई की बड़े लप्पा की सुनहरी ज़री की तुईलैस के हांशिया (किनारी) वाली (जन्माष