16/04/2024
राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी को NSUI द्वारा छात्रसंघ चुनाव का प्रभारी बनाया गया।
Nirmal Choudhary
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राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी को NSUI द्वारा छात्रसंघ चुनाव का प्रभारी बनाया गया।
Nirmal Choudhary
❤️
जालौर सिरोही सांचौर लोकसभा भाजपा प्रत्याशी श्री लुंबारामजी चौधरी व कांग्रेस प्रत्याशी श्री वैभव गहलोत दोनों हुए आमने-सामने वैभव गहलोत ने लिया आशीर्वाद कहा आप हमारे बुजुर्ग हो संस्कार देखते हैं आमने सामने मिलने पर
/scsk
एक बिजली के पोल पर एक पर्ची लगी देख कर मैं करीब गया और लिखी तहरीर पढ़ने लगा
लिखा था
कृपया ज़रूर पढ़ें
इस रास्ते पर कल मेरा पचास रुपये का नोट गिर गया है, मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता ,जिसे भी मिले कृपया पहुंचा दे.....!!!!
पता +++.....***.......
*****......****..... # # # #...
ये तहरीर पढ़ने के बाद मुझे बहुत हैरत हुई कि पचास का नोट किसी के लिए जब इतना ज़रूरी है तो तुरंत दर्ज पते पर पहुंच कर आवाज़ लगाई तो एक बूढ़ी औरत बाहर निकली,पूछने पर मालूम हुआ कि बड़ी बी अकेली रहती हैं.. मैंने कहा,, मां जी ,, आपका खोया हुआ नोट मुझे मिला है ...उसे देने आया हूं
ये सुनकर बड़ी बी रोते हुए कहने लगीं
बेटा.....!
अब तक करीब 70/75 लोग मुझे पचास का नोट दे गए हैं!
मैं अन पढ़, अकेली हूं और नज़र भी कमज़ोर है.. पता नहीं कौन बंदा मेरी इस हालत को देखकर मेरी मदद के लिए वो पर्ची लगा गया है
बहुत ज़िद करने पर बड़ी बी ने नोट तो ले लिया लेकिन एक विनती भी कर दी कि बेटा... जाते हुए वो पर्ची ज़रूर फाड़ कर फेंक देना!!
मैंने हां तो कर दिया लेकिन मेरे ज़मीर ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि इससे पहले भी सभी लोगों से बुढ़िया ने वो पर्ची फाड़ने के लिए कहा होगा मगर जब किसी ने नहीं फाड़ा तो मैं क्यों फाड़ूं
फिर मैं उस आदमी के बारे में सोचने लगा कि वो कितना दिलदार रहा होगा जिसने मजबूर औरत की मदद के लिए ये रास्ता तलाश कर लिया ..मैं उसे दुआयें देने पर मजबूर हो गया
किसी की मदद करने के तरीक़े बहुत हैं.. बस नीयत होनी चाहिए
#वास्तविक_कहानी
"दुःखद ख़बर - जनता की जेब चुपके से काट ली गई"
कोरोना से उत्पन्न आर्थिक संकट से उबरने के लिए, राजस्थान में सभी सरकारी कर्मचारियों का वेतन काटने के पश्चात, आदरणीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने, BJP के साथ मिलकर चुपके से, दूसरा सराहनीय कदम यह उठाया है कि -
"दिनाँक 1 अक्टूबर 2020 से, सभी माननीय विधानसभा सदस्यों(विधायकों) का किराया भत्ता 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है"
क्योंकि हम जनता, भाजपा और कांग्रेस की "जय हो-जय हो" करने में व्यस्त थी तो नेताओं ने मौका पाकर जनता की जेब पर डाका डाल दिया...
मात्र 20 वर्ष पहले बोलिविया ने निजीकरण की रफ्तार पकड़ी।
सब कुछ निजीक्षेत्र को दिया जाने लगा।
आखिरकार सरकार ने पानी का भी निजीकरण कर दिया । 1999 में एक मल्टीनेशनल कंपनी को पानी के सर्वाधिकार बेच दिए गए।
पानी के रेट इतने बढ़ गए कि हाहाकार मच गया।
औसतन प्रति मास आधा वेतन पानी के लिए खर्च होने लगा।
लोग नहरों से पीने का पानी भर कर लाने लगे तो नहरों नदियों पर फ़ौज व पुलिस की तैनाती करवा दी गई।
दुखी जनता बारिश का इंतजार कर रही थी तो नया आदेश आ गया कि कोई भी आदमी बारिश का पानी इकठ्ठा न करे ये इस कम्पनी का है।
पानी इकठ्ठा करने पर चोरी का केस दर्ज होगा।
खैर लोगो के आंखों की पट्टी खुली तो जमकर विरोध हुआ। अनेकों लोगों को गोलियों से भून दिया गया।
क्योंकि पुलिस और फ़ौज तो होती ही सरकार के लिए है,
और सरकार होती है पूंजीपतियों की जेब मे।
बोलिविया जल युद्ध का पूरा विवरण है NCERT 10TH CLASS में।
परन्तु हम सीखने या सबक लेने के लिए नही परीक्षा में नम्बर लेने के लिए याद करते है| ध्यान रखें निजीकरण आर्थिक विकास शायद करा दे पर नागरिकों की समृद्धि के लिए सरकारी संस्थाओं की उपादेयता सदा बनी रहेगी ....
#निजीकरण को समझाने का इस दुःखद तस्वीर के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.....निजीकरण का सीधा मतलब है अपने हक़ को पूंजीपतियों के हवाले कर देना...
इन सबके चलते देख लो ये हमारे भारत का भविष्य और भारत की संस्कृति किस तरफ जा रही है।
इन सबमें सबसे ज्यादा इंग्लिश मीडियम और बड़े बड़े प्राइवेट स्कूल के बच्चे है। इन स्कूलों में लाखों रुपए फीस ली जाती है,उनके संस्कार खराब करने की।
#होश_उड़_गये_मेरे
#पैरेंट्स_सावधान 🚨
दो दिन पहले हमने स्कूली ऑनलाइन शिक्षा में प्रवेश कर लिया अर्थात् कक्षा 6 से 12 के विद्यार्थियों के लिए भी ऑनलाइन क्लासेस प्रारंभकर दी।स्कूली बच्चे कैसे पड़ रहे हैं,क्लास के दौरान क्या कमेंट्स करते हैं,यह देखने के लिए मैं ऑफिस में कई लेपटॉप लेकर बैठ गया।दिन भर हर क्लास के कमेंट्स देखें।कमेंट्स को पढ़कर तो #मेरे_होश_उड़_गयें।बच्चों ने सोचा होगा कि फेसबुक/इंस्टाग्राम की तरह वह फर्जी नाम से कमेंट्स कर लेंगे तो किसी को पता नहीं चलेगा। परंतु उनकों पता नहीं था कि उनके कमेंट्स के साथ हमें उनके लॉगिन मोबाइल नंबर,राज्य,जिला,ई-मेल आई.डी. इत्यादि सब कुछ दिख रहा होता है,कमेंट्स देखकर कई विद्यार्थियों को मैने व मेरी टीम ने फोन किया उनमें से कईयों ने तो ट्रू कॉलर में उत्कर्ष का नंबर देखते ही फोन काट दिया व मोबाइल बंद कर दिया।कईयों से बात हुई तो फोन पर गिड़गिड़ाने लगे व कईयों के पैरेंट्स ने फोन उठाया तो पहले तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि उनके बेटा/बेटी ऐसे कमेंट्स कर सकते हैं फिर जब हमने हमारी टेक्नॉलॉजी व साक्ष्यों के आधार पर उन्हें बताया तो वे बहुत शर्मिंदा हुए व आगे से ध्यान रखने को बोले।
ये कमेंट्स करने वाले 99% ऐसे विद्यार्थी थे जिन्होंने जरूरतमंद वाली कैटगरी में हमने जो फ्री कोर्स दिया था वह प्राप्त किया हुआ था।हमने विद्या अनाथ-विधवा के पुत्र-दिव्यांग-आर्थिक रूप से अत्यंत पिछड़े बालकों को 21 सितम्बर तक एक ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से बिना डॉक्यूमेंट माँगे नि:शुल्क कोर्स असाईन किया था (जो मेरे जीवन की सबसे बड़ी भूल साबित हुई) ।हमारा अब तक केवल कॉम्पिटिशन एक्जाम देने वाले विद्यार्थियों से ही काम पड़ा था,जो सामान्यत: ज़िम्मेदार,मेहनती,पढ़ाई के दौरान फालतु के कमेंट्स नहीं करते हैं।मैने सोचा कि स्कूली छोटे बच्चे तो बहुत संस्कारी व गुरूजनों का आदर करने वाले होते हैं।परंतु में गलत था।
आप ही देखिए लाईव क्लास के दौरान कमेंट्स के कुछ नमूने -
1. I Love You madam.
2. मेरा Whatsapp नंबर .....है।
3. .....तुम्हार मोबाइल नंबर क्या है।
4. Jay Pubji Jay Pubji (कक्षा 6 की कॉंन्वेंट स्कूल की एक लड़की )
5. ❤️❤️❤️❤️❤️
6. My Instagram Id is ....
7. हिंदी में पढ़ाओ,हिंदी में पढ़ाओ (जबकि क्लास इंग्लिश मीडियम की था)
8. Friends i make a Whatsapp group plz click this link and join .......
9. कुत्ते कमीने समझ में आ गया,अब आगे बढ़ फालतु का टाईम मत खराब कर।
10. #$* #$ #$$* # # ( भद्दी-भद्दी गालियां )
👆ये तो उदाहरण मात्र है।ऐसे सैकड़ों कमेंट्स थे।किसी ने सही कहा कि फ्री में दी हुई वस्तु की कोई वेल्यू नहीं होती तथा अतिविश्वास करना ठीक नहीं होता और यह मैने भी देख लिया।परंतु सबसे बड़ी विचारणीय बात यह थी कि ये सब कमेंट्स करने वाले शहरों की बड़ी-बड़ी स्कूलों वाले विद्यार्थी निकले।मैं दो दिनों से दिन भर केवल इसी में लगा रहा।मेरे द्वारा दो दिनों से किसी को फोन नहीं करना व फोन नहीं उठाने का यही कारण था।मैं इतना हतप्रभ हूं कि आपको क्या बताउं।बच्चे ऐसे हो सकते हैं ? और सबसे आश्चर्य की बात कि ऐसे कमेंट्स करने वाले व भद्दी गालियाँ लिखने वाले सारे के सारे शहरों के बड़ी स्कूलों के विद्यार्थी निकले।ऐसा कमेंट करने वाला सरकारी स्कूल का एक भी विद्यार्थी नहीं था जबकि हमने सरकारी स्कूल के हजारों विद्यार्थियों को फ्री ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध कराया।ऐसे कमेंट्स करने वाले
दो दिनों से हमने सैकड़ों विद्यार्थियों का ऑनलाइन कोर्स डिलीट किया,Paid था तो भी डिलीट मार दिया कोर्स और कॉलसेंटर में कह दिया कि पैरेंट्स के कॉल आवे को बोलना कि निर्मल सर ने हटा दिया कोर्स,उन्हीं से बात करें।
ऐसे कमेंट्स करने वाले अधिकांशत: फ्री कोर्स प्राप्त किये हुए बड़े घरों के बच्चे थे।सबसे बड़ा झटका तो मुझे तब लगा जब कमेंट्स में भद्दी गालियां लिखने वाले दसवीं कक्षा के एक बच्चे को कॉल किया तो वह जोधपुर की पॉश कॉलोनी,जहां हर मकान की कीमत करोड़ों में है, का निकला,और उसने अनाथ कैटगरी में फ्री कोर्स ले रखा था,जबकि फोन उसके पिताजी ने ही उठाया था।सोचिए ऐसे बच्चों की परवरिश किस प्रकार से हुई होगी।
🙏पैरेंट्स अपने बच्चों का ध्यान रख लो, उन्हें केवल बड़ा आदमी बनने की व स्कूल की परीक्षाएँ पास करने की शिक्षा मत दो उन्हें श्रेष्ठ नागरिक बनने की व जीवन की परीक्षा पास करने की भी शिक्षा दो।🙏
- निर्मल गहलोत ‘उत्कर्ष’
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