08/08/2023
प्रकृति मानव व पर्यावरण प्रेमियों के लिए अतिविशेष सूचना एवं आमंत्रण
चार दिवसीय पर्यावरण एवं मानवीय मूल्य राष्ट्रीय संगोष्ठी
प्रकृति मानव केन्द्रित जन आन्दोलन का श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रदेश संस्था, राजस्थान की भागीदारी में चार दिवसीय अखिल भारतीय सम्मेलन होगा जिसमें जैव जीवन व मानव के अस्तित्व को दो आयामों से खतरा उत्पन्न हुआ है जिन पर चिंतन मंथन किया जाएगा । मुख्य खतरा पर्यावरण ह्रास व अमानवीयकरण के कारण है , जिसके जिम्मेदार और वाहक आज की कोरपोरेट विश्व व्यवस्था है । इसके मूल कारण व समाधान हेतु इस चार दिवसीय सम्मेलन में भारत के विभिन्न प्रान्तों के प्रतिनिधि, पर्यावरणविद्, वैज्ञानिक व प्रकृति मानव केन्द्रित जन आंदोलन नेपाल के प्रतिनिधि आ रहे हैं।
आयोजन समिति के निर्णयानुसार इस संगोष्ठी की तैयारियां जुलाई माह के प्रथम सप्ताह से शुरू कर दी गई थी। कईबार वेबीनार रखकर वार्ता की गयी और सर्व सम्मति बनने के बाद संगोष्ठी का स्थान मुक्तिधाम मुकाम तय किया गया है। दिनांक 30 सितम्बर 1, 2, व 3 अक्टूबर 2023 का समय निर्धारित किया गया है।
सहभागीगण-
इसमें भाग लेने वाले 300 से अधिक विद्वानों तथा प्रकृति मानव केन्द्रित जन आन्दोलन में विशेष रुचि रखने वाले प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जा रहा है। राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, केरला, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली पंजाब, हरियाणा, जम्मू- कश्मीर और नेपाल के विद्वानों की सहमति मिल चुकी है। चार दिनों तक मुक्तिधाम मुकाम में प्रवास कर निर्धारित विषयों पर पर्यावरण के विद्वान, वैज्ञानिक, शोधकर्ता, समर्पित कार्यकर्ता और अनुभवी वक्ता अपने विचार व्यक्त करेंगे। चिन्तन, मंथन, मनन और प्रश्नोत्तर चलेंगे।
संगोष्ठी के विषय
आयोजन कर्ताओं ने प्रकृति संरक्षण, मानव पर प्रकृति का प्रभाव, प्रकृति के साथ मानव द्वारा छेड़छाड़ प्रकृति को नुकसान पहुंचाना, प्रकृति द्वारा प्रकोप करना, पर्यावरण प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, धरती प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, ऊर्जा प्रदूषण, प्रकृति सन्तुलन, जीवजन्तु सन्तुलन, वन्यजीव संरक्षण इन सबके प्रभाव, नुकसान, बचाव, संरक्षण ,सोलर प्लांट और प्रकृति, जैविक खेती ,विकास के नाम पर विनाश ,खाद्यान्नों में जहर छिड़काव,मिलावट और विश्व शांति व मानव ,युद्धविहीन एवं प्रदूषण रहित दुनिया आदि विषयों पर गहन मंथन करना तय किया गया है।
कानून संशोधन की मांग-
इन चार दिनों के चिन्तन-मंथन के बाद समस्त सुझावों का सारांश संक्षेप में लिखकर उन सैकड़ों विद्वानों की सर्व सम्मति से पारित प्रस्ताव भारत सरकार के वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पत्र भेज कर प्रकृति को बचाने वाले कानून वन अधिनियम 1953, काश्तकारी अधिनियम 1955 तथा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 सहित विभिन्न कानूनों को कठोर प्रावधान से मजबूत बनाने का आग्रह किया जाएगा। जिसके लिए महत्वपूर्ण सुझावों की फाइल तैयार की जाएगी।उक्त प्रस्तावों की फाइल प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी भेजी जाएगी। इसके साथ ही विद्वानों की मांग के अनुसार समस्याओं से संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी भेजी जाएगी। राष्ट्रीय स्तर के और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों के सुझाव संयुक्त राष्ट्र संघ को भेजे जाएंगे। विश्वशांति के मुद्दों में प्रकृति संरक्षण की बात का विश्लेषण भी किया जाएगा।
विशेष अतिरिक्त आयोजन
संगोष्ठी के दूसरे दिन एक अक्टूबर के शाम को " कवि सम्मेलन " होग जिसमें प्रकृति संरक्षण विषय रहेगा । तीसरे दिन शाम को भजन सन्ध्या होगी। जिसमें तृतीय साखी गायन प्रतियोगिता आयोजित करवाई जाएगी। संगोष्ठी के चौथे दिन 3 अक्टूबर 2023 को संगोष्ठी वक्ताओं के बीच बिश्नोई समाज की व अन्य समाजों की समस्त उन संस्थाओं के एक एक प्रतिनिधि को बोलने का अवसर दिया जाएगा जो प्रकृति संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में काम करती है। पंजीकृत संस्था है सक्रिय है। उनकी तरफ से कानून संशोधन के लिए लिखित में दिये गये सुझावों को भी शामिल किया जाएगा ।
आपको भी तैयारी करनी है
अन्य संस्थाओं को अपने सुझाव लेटरपेड पर लिखकर संगोष्ठी से एक सप्ताह पहले जमा कराने हैं। साखी गायन प्रतिभागियों को भी अपना पंजीयन एक सप्ताह पहले तक कराना होगा।
मुकाम पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी रामानंदजी महाराज के मार्गदर्शन में बीकानेर से रागोपालजी माल बिश्नोई,महीरामजी दिलोइया, जोधपुर से रिद्धकरणजी मेघवाल(आर एम.साहब) हनुमानगढ़ से सज्जन जी बैनिवाल ,नागौर से रामरतन बिश्नोई सहित अनेक कार्यकर्ताओं की टीम तैयारी में जुटी हुई है।
विनीत
श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रदेश संस्था, राजस्थान मो.9214118849