21/02/2024
A memory I am sharing from last year
अभाव जीवन में बड़ी ख़ुशी देते हैं,
क्योंकि तब हमारी ख़ुशियाँ बहुत छोटी होती हैं, बचपन में 5/- किराए पे लाये video cassette पे देखी हर फ़िल्म masterpiece लगती थी,
contribution करके दोस्तों के साथ किशन स्वीट्स का रवड़ी दही कितना स्वादिष्ट लगता था,
लक्स साबुन की बट्टी से नहाना अपने आप में status symbol होता था,
दिवाली पर मिले एक जोड़ी नये कपड़े दुनिया की नियामत लगते थे,
सड़क किनारे झुलसती गर्मी में पानी की मशीन वाला जो 50 पैसे में नीबूँ पानी पिलाता था उसका स्वाद फिर कभी नहीं मिला,
2/- के महँगे टिकट वाली dtc special बस में सफ़र करना Mercedes से कम नहीं था, अपनी साइकिल भी किसी गाड़ी से कम नहीं थी,मरा पड़ा सा कूलर जिस पर खस की टाट लगा देते थे ऐसी हवा देता था मानो स्विटज़रलैंड कि वादियों में घूम रहे हों,
१/- के 6 गोलगप्पे खाना अपने आप में luxury था,
फिर एक दिन अचानक हम बड़े हो गये और छोटी छोटी ख़ुशियाँ हमारे लिये गौण हो गयीं , अब सपने , अहंकार, महत्वाकांक्षाएँ इतनी बड़ी हो गयीं की , जीवन की असल ख़ुशी कहीं दूर निराश हो कर चली गई …., अब सब है पर असल में कोई ख़ुशी नहीं !
कभी कभी मिलती है मुझे, दूर मुस्कुराती हुई और मैं फिर उसकी ओर सबकुछ भूल कर लौट जाता हू ताकि सनद बनी रहे ❤️😊कॉपी पेस्ट 🙏