Poetry Masala

Poetry Masala भावनाओं का रस, शब्दों का स्वाद, एहसास की महक,
यहाँ कविताएँ हैं, spice मार के
ये है Poetry मसाला।

बहुत दिनों से तुमने कुछ समझाया ही नहीं, जिंदगी को कैसे जिए यह बताया भी नहीं,हम तो फंसे हुए हैंअगर मगर की कशमकश में,इससे ...
03/04/2024

बहुत दिनों से तुमने कुछ समझाया ही नहीं,
जिंदगी को कैसे जिए यह बताया भी नहीं,
हम तो फंसे हुए हैं
अगर मगर की कशमकश में,
इससे कैसे निकला जाए कोई रास्ता दिखाया ही नहीं…...

✍️ - Rachna Tiwari

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"अपना गाँव! गाँव जैसी बात शहर में कहाँ? जहाँ पक्षियों की चहचहाहट,गाय के बंधी घंटियों व पैरों की खनखनाहट सवेरे सवेरे सुना...
12/03/2024

"अपना गाँव!
गाँव जैसी बात शहर में कहाँ?
जहाँ पक्षियों की चहचहाहट,
गाय के बंधी घंटियों व पैरों की खनखनाहट
सवेरे सवेरे सुनाई देती हो।

गाँव जैसी बात शहर में कहाँ?
जहाँ किसान खेत पर पशु चराते हुए,
भरी सर्दी में फसल को पानी देते हुए
औरतें कंडे बनाती हुई नज़र आती हो।

होती होगी शहरों में अधिक रौनक
मगर अपनेपन का अभाव है,
मिल सकती है अधिक सुख सुविधाएं
किंतु गाँव जैसा सुकून नहीं।

शहर के मकानों को हम लोग
नंबर के ज़रिए पहचान पाते है,
गाँव में घर पता करने के लिए
पिता का नाम ही काफी है।

शहर कि तो हवा भी मिलावटी है
बैठना तालाब किनारें गाँव में इक शाम
महसूस शायद तब कर पाओगे
गाँव में ताजा हवा की आहट है।

भाग दौड़ भरा है शहरी जीवन
जो दिन काटने के लिए अच्छा है
सुकून से जीवन बिताने के लिए
गाँव से बेहतर कोई विकल्प नहीं। "

✍️- Dilkhush Meghwal

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"वह स्त्री..बचाए रखती है कुछ ""सिक्के""पुरानी गुल्लक में ,पता नहीं कब से ,कभी खोलती भी नहीं ,कभी-कभार देखकर हो जाती है स...
11/03/2024

"वह स्त्री..
बचाए रखती है कुछ ""सिक्के""
पुरानी गुल्लक में ,
पता नहीं कब से ,
कभी खोलती भी नहीं ,
कभी-कभार देखकर हो जाती है संतुष्ट !!

वह स्त्री
बचाए रखती है कुछ ""पल""
फुर्सत के ,
सहेजती ही रहती है ,
पर, फुर्सत कहां मिलती है
उन्हें एक बार भी जीने की !!

वह स्त्री
बचाए रखती है कुछ ""स्पर्श""
अनछुए से ,
महसूस करती रहती है
कभी छू ही नहीं पाती
अंत तक !!

वह स्त्री
झाड़ती-बुहारती है सब जगह
सजाती है करीने से
एक-एक कोना ,
सहजे रखती है कुछ ""जगहें""
आगंतुकों के लिए ,
पर, तलाशती रहती है ""एक कोना""
अपने लिए,,अपने ही घर में
अंत तक !!
✍️ - Namita Gupta

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"इसे नहीं पता कैसे,लेकिन वह उसके जीवन में आ गई,फिर इसकी और उसकी पहचान हुई,धीरे-धीरे इसने अपने जेब से,मोबाइल फ़ोन निकाला,...
09/03/2024

"इसे नहीं पता कैसे,
लेकिन वह उसके जीवन में आ गई,
फिर इसकी और उसकी पहचान हुई,
धीरे-धीरे इसने अपने जेब से,
मोबाइल फ़ोन निकाला,
और क्या कहे,
सोशल मीडिया के युग के कारण,
उसका Insta आईडी मांगा,
इसने उसको फॉलो किया,
उसने इसको फॉलो किया,
धीरे-धीरे उनकी बातें बढ़ी,
हर दिन गुड मॉर्निंग, गुड नाइट, खाना खाया क्या, कहते कहते,
उनकी दोस्ती और भी मजबूत हुई,
और तब इस व्यक्ति ने सिर्फ उसके साथ समय बिताने की कोशिश की।
ऑनलाइन आने के इंतज़ार से,
लास्ट सिन को जांचने की यात्रा शुरू हुई,
उसने अपनी फोटो रील शेयर कीया,
लेकिन उसको पहला लाइक इसका हि मिला।
एक साल हुआ, दो साल हुआ,
मोहब्बत का सफर बरकरार रहा,
लेकिन एक दिन घरवालों ने उसके लिए एक दुल्हा देखा,
मोहब्बत के रास्तों में कोई रुकावट न होकर भी,
एक दिन अचानक गाड़ी को ब्रेक लगा,
उसने गुड मॉर्निंग ना कहके भी,
इसका दिन शुरू हुआ,
वह इसकी जिंदगी से हमेशा के लिए चली जाती है,
लेकिन इसका मन,
आज उसका एक तो मेसेज आयेगा,
इसके इंतजार में रहता है,
वह उस पर का भरोसा,
अंत तक नहीं छोड़ता,
और इससे ही कहीं लोगों का जीवन बर्बाद हुआ,
यह आज देखा नहीं जा सकता,
इसलिए लोगों,
मोहब्बत के सफर में रास्ता साफ रखो,
इसकी और उसकी यात्रा अंत तक सुरक्षित बनाओ।"

✍️- Rupak Marathe

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सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!🌺☺️हर हर महादेव!🙏सागर मंथनमन-सागर के इस मंथन में, थोड़ा विष भी रहने दोअबकी शिव...
08/03/2024

सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!🌺☺️
हर हर महादेव!🙏

सागर मंथन

मन-सागर के इस मंथन में, थोड़ा विष भी रहने दो
अबकी शिव न आएंगे, मुझमें कुछ शिव सा रह जाने दो !!

माना हूं मैं पथ से भ्रमित, और थोड़ा अज्ञानी भी ,
अबकी जीवन की लहरों संग, थोड़ा खारा भी रह जाने दो !!

माना, अमृत देकर हर लेते हो तुम सबके दुःखों को ,
अबकी हिम्मत दो इतनी, दुख मुझको ही सह जाने दो !!

लक्ष्य को पाना ही केवल, इस पथ का उद्देश्य नहीं
अबकी मंथन से पहले, 'पानी' में पानी सा रह जाने दो !!

चाहूंगा क्षमा, मैं‌ नहीं लिख सकता सबके जैसा
लेकिन मन में है जो कुछ भी, आज मुझे कह जाने दो !!

✍️- Namita Gupta

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"स्पर्श की लिखावटेंन,,न,, मैंने कब कहालिखो मेरे लिए भी कोई कविताजैसे कि कभी लिखीं होंगीअमृता-इमरोज नेएक-दूसरे के लिए,उनक...
07/03/2024

"स्पर्श की लिखावटें

न,,न,, मैंने कब कहा
लिखो मेरे लिए भी कोई कविता
जैसे कि कभी लिखीं होंगी
अमृता-इमरोज ने
एक-दूसरे के लिए,
उनकी बातें,,वो ही जानें !!

सुनो,,
मत ध्यान दो मेरे प्रश्नों की तरफ़,,
मत उलझो मेरे तर्क-वितर्कों में,,
मत देखो मेरी आंखों की तरफ,,
मत दो मुझे,,अपना थोड़ा सा भी समय,,
एकतरफा खिसका दो मेरी सारी शिकायतें,,

लेकिन ,एक पल को ही,,
ज़रा सा ही,,
स्पर्श तो करो उंगलियों से अपनी
मेरी हथेलियों पर रखा
वो ""अनमना सा हरापन"",
ताकि पल्लवित हो सके वहीं से
हमारे विश्वास की अमर बेल !!

यकीनन, महसूसती रहूंगी
उस स्पर्श को
अपने ह्रदय पर ताउम्र
तुम्हारे अमिट दस्तखत की तरह ,,
क्योंकि स्पर्श की लिखावटें
समय के अवरोधों में भी कभी धुंधलाती नहीं !!

बोलो, करोगे न !!"

✍️- Namita Gupta

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मुझे  तुमसे   कुछ   कहना  है सुनने  के   लिए   तू   है  क्या कह  न   पाया   अभी  शायद इससे  अच्छा  समय  है  क्या हुआ है ...
05/03/2024

मुझे तुमसे कुछ कहना है
सुनने के लिए तू है क्या

कह न पाया अभी शायद
इससे अच्छा समय है क्या

हुआ है मुझको इश्क़ तुझसे
तुझे भी इश्क़ मुझसे है क्या

कहना है अगर तो कह दे
तुझ पर कोई दबाव है क्या

बिताने है सात जन्म तुझ संग
डी के संग तू राजी है क्या"

✍️- Dilkhush Meghwal

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"कविता बसंत का फ़ूल हैकविताएंसंभावनाओं को जन्म देती हैं...चिलचिलाती धूप मेंझरती चली जाती है,,खुशहाल बारिशों की तरह ,भारी...
29/02/2024

"कविता बसंत का फ़ूल है

कविताएं
संभावनाओं को जन्म देती हैं...

चिलचिलाती धूप में
झरती चली जाती है,,
खुशहाल बारिशों की तरह ,
भारी हिमपात में,,
बर्फ़ की सी पिघलन में
समेट लेती है हमें
कुनकुनी धूप के सौहार्द भरे आंचल में,

और वहां भी,, जहां बसंत के आने की उम्मीद न हो
'इंतज़ार' की हथेलियों पर
चुपचाप धर देती है
बसंत के फूल ,
कविता
हर मौसम में बसंत का फ़ूल है !!"

✍️ - Namita Gupta

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"मैं तुमसे खफा नहीं हूं पर गिला तुमसे जरूर हैमुझे अपने गले से लगा कर ख़ुद से दूर कर दियाइसकी सजा जरूर है तुमने तो मेरे प...
28/02/2024

"मैं तुमसे खफा नहीं हूं पर गिला तुमसे जरूर है
मुझे अपने गले से लगा कर ख़ुद से दूर कर दिया
इसकी सजा जरूर है तुमने तो मेरे प्यार को ख़ुदा का घर कहा था
तुम्हें कोई और खुदा मिला तो नहीं हैं
अब मेरे दिल में तुम्हारी हुक़ूमत नहीं हैं
ना जिन्दग़ी में तुम्हारी जरूरत कोई है लेकिन
तेरे लिए पहली नजर में हुई वो तड़प
आज भी जरुर है....!!

✍️ - Rachana Tiwari

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"क्या नाम दूं इस कशिश को मैं..पानी-पानी समां है, बूंदों सा बिखर जानाएक तेरा छा जाना..एक मेरा बरस जाना !!बस एक यही तो ""म...
27/02/2024

"क्या नाम दूं इस कशिश को मैं..

पानी-पानी समां है, बूंदों सा बिखर जाना
एक तेरा छा जाना..एक मेरा बरस जाना !!

बस एक यही तो ""मौसम"" है आजकल ,
एक तेरा यूं आना..एक मेरा लौट आना !!

क्या कहूं किस तरह ये ""कविता"" लिखी ,
एक मेरा चुप रहना..तेरा कुछ न कहना !!

जरूर, कुछ तो हवाओं को भी है खबर ,
एक तेरा यूं देखना..एक मेरा मुस्कुराना !!

न जानें किस ""मोड़"" पर यूं मिले हम-तुम ,
एक तेरा रुकना..एक मेरा ठहर जाना !!

सुन जिंदगी, चलेगा ऐसे ये कब तलक ,
एक तेरा लिखना..एक मेरा पढ़ते जाना !!

""मनसी"", क्या नाम दूं इस कशिश को मैं ,
तेरा नशे-ए-मन..एक मेरा बहक जाना !!"

✍️ - Namita Gupta

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"एक ही जीवन मेंहर बारपूरा होते-होतेरह जाना 'अधूरा ही'शायद, यही नियति है जीवन की !!और..हर बारउसी अधूरेपन सेहोती है 'शुरुआ...
26/02/2024

"एक ही जीवन में

हर बार
पूरा होते-होते
रह जाना 'अधूरा ही'
शायद, यही नियति है जीवन की !!

और..हर बार
उसी अधूरेपन से
होती है 'शुरुआत' नई
यही तो जीवन है !!

इसी तरह, हर बार
हर नई शुरुआत
जन्मती है
नई-नईआशाएं ,
शायद इसीलिए मिल जाते हैं
एक ही जीवन में
जीवन कई-कई !!"

✍️ - Namita Gupta

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बहते रस्ते पे कोई बात तो करे, वो क्या कहते है हां , मुलाकात तो करे। मैं जबरन कैसे थोपूं किसी पर मुझे, कोई सामने से भी शु...
24/02/2024

बहते रस्ते पे कोई बात तो करे,
वो क्या कहते है हां , मुलाकात तो करे।
मैं जबरन कैसे थोपूं किसी पर मुझे,
कोई सामने से भी शुरुआत तो करे।

✍️ :- Yatendra Kashyap

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"मुझे हक सही से जताना नहीं आताकहूं कैसे , बताओ तो..मुझे तो सही से बताना भी नहीं आता !!जी रही थी अब तलक ""किसी आस"" मेंये...
23/02/2024

"मुझे हक सही से जताना नहीं आता

कहूं कैसे , बताओ तो..
मुझे तो सही से बताना भी नहीं आता !!

जी रही थी अब तलक ""किसी आस"" में
ये सच है वो गुज़रा ज़माना नहीं आता !!

जी भरके रो गई थी मैं तब बारिशों में ही
आंसूओं को सही से छिपाना नहीं आता!!

आते-आते रह जाती हूं कितनीं ही ""वहीं""
मुझे तो सही से ""आना"" भी नहीं आता !!

रूठ जाने की आदत पुरानी नहीं है मेरी
तुम्हें तो सही से ""मनाना"" भी नहीं आता !!

ख़ैर..किसकी चली इस ""वक़्त"" के सामने
पर वक़्त भी कभी झूठा तराना नहीं गाता !!

कहते फिरते हो मेरा कुछ भी मुझमें नहीं
पर मुझे हक सही से जताना नहीं आता !!"

✍️ - Namita Gupta

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"कौन कहता है कि पुरूष,स्त्री का साथ नही देते उनका विश्वास नहीं करतेउनके ख्वाबों को साकार नहीं करते हैं, करते हैं न!बिल्क...
22/02/2024

"कौन कहता है कि पुरूष,
स्त्री का साथ नही देते उनका विश्वास नहीं करते
उनके ख्वाबों को साकार नहीं करते हैं, करते हैं न!
बिल्कुल करते हैं लेकिन सिर्फ अपनी मनपसंद स्त्रियां का....!

✍️ :- Rachana Tiwari

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"रूठी रहेंगी बारिशें ऐसे ही, क्या करोगे तब..एक रोज़ 'थक' जाएंगी आंखें भी, क्या करोगे तब ,हदें इंतज़ार की भी गुजर जाएंगी,...
20/02/2024

"रूठी रहेंगी बारिशें ऐसे ही, क्या करोगे तब..

एक रोज़ 'थक' जाएंगी आंखें भी, क्या करोगे तब ,
हदें इंतज़ार की भी गुजर जाएंगी, क्या करोगे तब !!

भला ""होनी"" को कब कैसे कोई रोक सका है क्या ,
समय रफ्ता-रफ्ता गुजर जाएगा, क्या करोगे तब !!

बकाया हैं तुम पे ख्वाहिशें हजार, सपनें भी बेशुमार ,
गर मैं लूं अपना एक-एक हिसाब, क्या करोगे तब !!

बहुत मुश्किलों से संभाले हैं, ये अपने एहसास सभी ,
बिखर जाएं अगर आंधियों में फिर, क्या करोगे तब !!

छलक जाता है क्यों, ये पैमाना आंसुओं का बार-बार‌,
कोशिशों में रोके रुके न ये जज्बात, क्या करोगे तब!!

यादों के अनगिनत सिक्के जमा हैं मन की गुल्लक में
अगर वक्त ही ये 'पूंजी' चुरा ले गया, क्या करोगे तब !!

हां, मेरे सवाल हैं बेहिसाब..तेरे जवाबों की तलाश में ,
एक दिन नहीं करूंगी कोई 'सवाल', क्या करोगे तब !!

अच्छा, चलो छोड़ो.. नहीं करती अब शिकायत कोई ,
लेकिन, मन पर लग गई कोई बात, क्या करोगे तब !!

देखो, मौसम धूप, उमस और तपती दोपहरियों का है ,
""मनसी"" रूठी रहेंगी बारिशें ऐसे ही, क्या करोगे तब !!"

✍️ - Namita Gupta

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"तेरी ये आँखे..!! तेरी ये आँखें.. मानो गहरी शांत झील हो,नदियों सी प्रतीत होती है आँखो पर लहराती जु़ल्फे़,मन करता है इस झ...
19/02/2024

"तेरी ये आँखे..!! तेरी ये आँखें.. मानो गहरी शांत झील हो,
नदियों सी प्रतीत होती है आँखो पर लहराती जु़ल्फे़,
मन करता है इस झील की गहराई में,
डूबा रहूँ अनंतकाल तक! चेहरे में क्या है कोई गौरा या साँवला रहता है,
किंतु दिल हमेशा कहता है,
गहराई तो तेरी आँखों में है,
मापी ना जा सकी जो आज तक!
गहराई का मापन जारी है जब तक अंतिम छोर ना आ जाए,
ताकि नजदीक से निहार सके नदियों सी प्रतीत लहराती जुल्फे़!
वो ढलती हुई शाम वास्तव में हसीन होगी,
जब मैं और तुम शांत माहौल में बैठकर,
निहारेगें इक दिन ढलते हुए सूरज की अठखेलियाँ!"

✍️ - Dilkhush Meghwal

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"जिसका होना तय है,,निश्चित रूप सेऐसा जरूर हुआ होगातुम्हारे साथ भी किजीवन में बहुत से किस्सेन कहते बनते हैं,,और न लिखते ,...
17/02/2024

"जिसका होना तय है,,

निश्चित रूप से
ऐसा जरूर हुआ होगा
तुम्हारे साथ भी कि
जीवन में बहुत से किस्से
न कहते बनते हैं,,और न लिखते ,
बस, वो घटित होते रहते हैं
अपने ही क्रम में,
और हम ,, किंकर्तव्यविमूढ़ से
अनुमति देते रहते हैं उनको
उसी प्रवाह में
""होते"" रहने की
बिना कोई अंतर्विरोध किए ही ,
कुछ कर भी नहीं सकते,,है न !!

यदि उस समय हम
उनका होना नहीं रोक सके ,
तो फिर
क्यों न उसे,, होने ही दिया जाए
उनकी पूरी तन्मयता के साथ ,

शायद, जीवन की नियति यही है,,,है न !!"

✍️ - Namita Gupta

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"डिजिटल दुनिया! खो गए हैं हम.. इस डिजिटल दुनिया के मोह में, भूल गए हैं हम.. अपनो का अपनापन व रिश्ते-नाते, नई पीढ़ी के ये...
16/02/2024

"डिजिटल दुनिया! खो गए हैं हम.. इस डिजिटल दुनिया के मोह में, भूल गए हैं हम..
अपनो का अपनापन व रिश्ते-नाते, नई पीढ़ी के ये बच्चे…
कलम पकड़ना ना सीखे किंतु मोबाइल पकड़ना सीख रहे, डूब रहे हैं हम..
डिजिटल दुनिया के दलदल में परिणाम जिसका भयावह है।
डिजिटल खेल भी अब इंसान कि जान तक आ पहुंचे, स्मरण रहे…
डिजिटल दुनिया के जाल में, किताबों सा एहसास कहीं ओर नहीं।
वो मन कि भावनाएं ... पत्रों में जो पहले झलकती थी,
उन पत्रों कि जगह आज डिजिटल गैजेट्स ने संभाल ली है।
तुम लिखना एक पत्र...
इस डिजिटल दुनिया के मोह से दूर हटकर!
तुम लिखना ऐसे गहरे शब्द जो ह्रदय के केन्द्र बिन्दु को जा छुए! पत्र में लिखना तुम…
वो मुलाकातें, वो बातें! जिन्हें पढ़कर ये डिजिटल दुनिया,
मात्र एक छलावा,झूठं,फरेब का पुलिंदा लगे।"

✍️ - Dilkhush Meghwal

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"अपनी-अपनी तरह..जब भेज सकते थे हमएक-दूसरे को 'फूल'या 'खत', या कि कोई किताब ,,,हम मशगूल रहेअपनी-अपनी अनचाही दुनियाओं में ...
14/02/2024

"अपनी-अपनी तरह..

जब भेज सकते थे हम
एक-दूसरे को 'फूल'
या 'खत', या कि कोई किताब ,,,
हम मशगूल रहे
अपनी-अपनी अनचाही दुनियाओं में !!

जब हमें बांटने थे
एक-दूसरे के दुख और दर्द ,
या कि शामिल होना चाहिए था
छोटी-छोटी खुशियों में,,,
हम चुप ही रहे !!

अब जबकि नहीं है हमारे पास
""कहने"" के लिए कोई भी शब्द ,
न कोई शिकायत..
न ही मन की कोई बात..
बाकी हैं,,,
सिर्फ और सिर्फ कुछ 'कविताएं'
कि महसूस कर सकें एक दूसरे को
एक दूसरे के शब्दों में ,,,

वहां, प्रेम अब भी है
अपने 'अलग ही तरह का' ,
हमने उसको भी जिआ
अपनी-अपनी तरह !!"

✍️ - Namita Gupta

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"कहानी मेरी अभी ख़त्म नहीगुजरे है कुछ किस्से अभीकिरदार और भी बाकी हैकहानी मेरी अभी ख़त्म नहीगुजरे है दिन खुशियो केऔर भी ...
12/02/2024

"कहानी मेरी अभी ख़त्म नही
गुजरे है कुछ किस्से अभी
किरदार और भी बाकी है
कहानी मेरी अभी ख़त्म नही
गुजरे है दिन खुशियो के
और भी हँसना बाकी है
बीते है जो गम अगर
तो और भी रोना बाकी है
कहानी मेरी अभी ख़त्म नही
आये कई लोग और चले गए
मिलना नये लोगो से अभी बाकी है
टूट गए यहाँ रिश्ते कई
कुछ रिश्ते और बनाना बाकी है
कहानी मेरी अभी ख़त्म नही
देखी है असफलताएं बहुत
अभी तो सफलताओ को देखना बाकी है
कहानी मेरी अभी ख़त्म नही
देखा है दुनिया ने मुझे बहुत
कुछ रंग और निखरना कुछ रंग और दिखाना बाकी है
कहानी मेरी अभी ख़त्म नही"

✍️- Akriti Srivastava

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"मैं अपने हर अनकहे चुप के, नये आकार लिखती हूं..कभी तेरा-कभी मेरा, मैं दिल का हाल लिखती हूंकहूं कैसे कि ""बहाने"" से, मैं...
09/02/2024

"मैं अपने हर अनकहे चुप के, नये आकार लिखती हूं..

कभी तेरा-कभी मेरा, मैं दिल का हाल लिखती हूं
कहूं कैसे कि ""बहाने"" से, मैं मन बेहाल लिखती हूं !!

गढ़ती हूं मैं कविताएं , कभी ""एहसास"" लिखती हूं
लिखती ही नहीं केवल, ""होने"" की बात लिखती हूं !!

बिखर जाती हूं रिसकर मैं, घुटन की बात लिखती हूं
संभल जाती हूं वहीं लेकिन मैं स्व-सम्मान लिखती हूं !!

विरह की शाम लिखती हूं, हां..मैं श्रृंगार लिखती हूं
नहीं कह पाती जब कुछ भी, वो जज़्बात लिखती हूं !!

मैं पछतावे लिखती हूं , ""मन के हालात"" लिखती हूं
ठहर जाती हूं एक पल को, जब 'वो नाम' लिखती हूं !!

लिखती हूं शिकायत भी ,मैं तेरा ""साथ"" लिखती हूं
मिलन की बात करती हूं ,पर ""इंतज़ार"" लिखती हूं !!

अजब हालात हैं यारों, न जानें क्या-क्या लिखती हूं
लिखा है उसको ही मैंने,जब 'अपना नाम' लिखती हूं !!

जुबां अब तक नहीं बोली, मैं वो इतिहास लिखती हूं
कभी धूप..तो कभी छांव, मैं सब त्योहार लिखती हूं !!

हवाओं का मैं ज़िक्र लिखूं, पेड़ों की बात लिखती हूं
मैं सूरज की कहानी में , बारिश का गान लिखती हूं !!

कविता में ढलती हूं, कभी सूरजमुखी सी खिलती हूं
मैं अपने हर अनकहे चुप के, नये आकार लिखती हूं !!"

✍️ - Namita Gupta

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"कहा सभी ने तुमने छोटे कपड़े पहने थेइसलिए छेड़छाड हुई तुम्हारे साथमैंने बुरखा और नकाब में भीवो सब बर्दाश्त किया है वोअब बत...
08/02/2024

"कहा सभी ने तुमने छोटे कपड़े पहने थे
इसलिए छेड़छाड हुई तुम्हारे साथ
मैंने बुरखा और नकाब में भी
वो सब बर्दाश्त किया है वो
अब बताओ क्या पहनूँ
कहता समाज वो रात का वक्त था
सो हुआ तुम्हारे साथ बद्तमीज़
ना जाया करो रात के वक्त
कल दोपहर में भी हुआ वो सब
अब बताओ किस वक्त निकलूं घर से
किसी ने कहा वो सुनसान सड़क है वहां मत जाया करो
अरे मैने तो भीड़ मे भी फब्तियां सुनी है
बताओ कहा जाऊ
कहते हैं कि हँसा न करो रस्ते पर
लोगो का ध्यान खींचता है हँसना
पर मै तो आज शान्त थी
अब बताओ कैसे रहूँ"

✍️- Akriti Srivastava

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"काश, ये जिंदगी ऐसी ही होतीखुशियों को जीते, दुख छोड़ आते कहींथोड़ा तुम हंस लेते, थोड़ा मैं हंस लेती ,काश , ये जिंदगी ऐसी...
07/02/2024

"काश, ये जिंदगी ऐसी ही होती

खुशियों को जीते, दुख छोड़ आते कहीं
थोड़ा तुम हंस लेते, थोड़ा मैं हंस लेती ,
काश , ये जिंदगी ऐसी ही होती !!

जख्म तो मिलते, मगर वो फांस जो चुभती
थोड़ा तुम सह लेते, थोड़ी मैं सह लेती
काश, ये जिंदगी ऐसी ही होती !!

नन्हें तारे भी होते, चाहतों के आसमां में कहीं
थोड़ा तुम तोड लाते, थोड़े मैं तोड़ लाती ,
काश, ये जिंदगी ऐसी ही होती !!

पल जो भी होते, चाहे गम के..या फिर खुशी के
थोडा तुम लिखते, थोड़े मैं लिखती ,
काश, ये जिंदगी ऐसी ही होती !!"

✍️ - Namita Gupta

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अपनी हसरत अपने दिल में दबा कर रखोमुस्कुराहट को अपनी होठों पर ही छिपा कर रखोगर है मोहब्बत किसी से तो करो पर सबसे बचा कर र...
06/02/2024

अपनी हसरत अपने दिल में दबा कर रखो
मुस्कुराहट को अपनी होठों पर ही छिपा कर रखो
गर है मोहब्बत किसी से तो करो पर सबसे बचा कर रखो
ये दुनिया है जनाब दस्तूर है यहाँ
तुम्हारी हसरत को बुरा बता देंगे
मुस्कुराहट को तुम्हारी बेरुखी बता देंगे
और गर जान गये ये मोहब्बत को तुम्हारी तो
तो ये कम्बखत उसे नजर लगा देंगे||

✍️ - Akriti Srivastava

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थोड़ी सी ही कहीं..होता है नकुछ अपने लिए भी कहूं,,अपना भी कुछ सुनूं ,,कहीं फटकारूं, या दुलार दूंस्वयं को भी !!रखूं अपने ल...
03/02/2024

थोड़ी सी ही कहीं..

होता है न
कुछ अपने लिए भी कहूं,,
अपना भी कुछ सुनूं ,,
कहीं फटकारूं, या दुलार दूं
स्वयं को भी !!

रखूं अपने लिए भी संभालकर
मन के आसमान में
भले ही एक मुट्ठी भर धूप
या कि थोड़ी सी बारिशें,,
छटांक भर झरती हुई बरफ
या कि थोड़ा सा बसंत !!

ज्यादा कुछ तो नहीं
बस लिखना चाहती हूं
स्वयं के लिए भी 'एक कविता'
ताकि बची रह सकूं
भले ही "थोड़ी सी ही" कहीं !!

हो सकता है
स्वयं को "स्वयं में" देखने की
छोटी सी जिद् हो यह ,
पर, कोई और विकल्प है ही कहां यहां !!

यूं ही शाय़द थोड़ी अजीब हूं मैं
है न !!

✍️ - Namita Gupta

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कल रात मैंने एक सपना देखासपने में अपना मरना देखासब रो रहे थे मेरे जनाजे परपर तुझको मैंने वहां रोता ना देखाकल रात मैंने ए...
29/01/2024

कल रात मैंने एक सपना देखा
सपने में अपना मरना देखा
सब रो रहे थे मेरे जनाजे पर
पर तुझको मैंने वहां रोता ना देखा
कल रात मैंने एक सपना देखा
और तू तो हमेशा कहता था ना
की तुम्हे कभी छोड़ कर ना जाऊंगा
फिर क्यों जानेवफा मैंने खुद को अकेला देखा

✍️ - Akriti Srivastava

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Happy Republic Day from Poetry Masala! 🇮🇳
26/01/2024

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मेरी कलम से...श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा....सरयू की निर्मल धारा से गंगा तक यह गायेंगे,राम सेतु के पत्थर ऊपर फिर से र...
23/01/2024

मेरी कलम से...श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा....

सरयू की निर्मल धारा से गंगा तक यह गायेंगे,
राम सेतु के पत्थर ऊपर फिर से राह बनाएंगे,
पाषाणों में लिप्त अहिल्या को श्राप मुक्त करवाएंगे,
सूर्यवंशी अपने वचनों से ना पीछे हटने पाएंगे,
हनुमान अपनी छाती को फिर चीर दिखलायेंगे,
बाबर की बर्बरता को इतिहासों से मिटवाएँगे,
दिए गए बलिदानों को अश्रु पुष्प चढ़ाएंगे,
गाँव-नगर में होगी दीवाली,घर-घर दीप जलाएंगे,
सम्पूर्ण व्योम भी देखेगा इतने झंडे लहरायेंगे,
वनवासों में भटक रहे श्री लौट अयोध्या आएंगे,
रामलला घर आएंगे,हम मंदिर वहीं बनाएंगे।।

✍️ - Gaurav Sharma

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चलो , फिर चलें..चलो, चलें फिर से यूं "अजनबी रास्तों" परथोड़ा अजनबी होकर !!भूल जाएं मैं "मैं" हूं, है तुममें भी कोई "तुम"...
20/01/2024

चलो , फिर चलें..

चलो, चलें फिर से यूं "अजनबी रास्तों" पर
थोड़ा अजनबी होकर !!

भूल जाएं मैं "मैं" हूं, है तुममें भी कोई "तुम"
एक-दूसरे को पाएं.. यूं एक-दूसरे में खोकर
थोड़ा अजनबी होकर !!

न सपनों की फेहरिस्त, न पाने की ख्वाहिश
बस "होना" जिएं , संग एक भाव में खोकर
थोड़ा अजनबी होकर !!

थोड़ी मैं अनमनी सी, तुम भी थोड़े सकुचाए
कहो भी अब "मन का", सारा कुछ भूलकर
थोड़ा अजनबी होकर !!

है हाथों में हाथ साथ,अब और क्या चाहिए
हम-तुम हैं सबसे पास,हों भले ही दूर होकर
थोड़ा अजनबी होकर !!

चलो, चलें फिर से यूं ही अजनबी रास्तों पर
थोड़ा अजनबी होकर !!

✍️ - Namita Gupta

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एक अजनबीवो मिला मुझे अजनबी की तरहफिर दिल में बसा एक खुशी की तरहहै रिश्ता क्या उससे मै नहीं जानतीपर उसका कहा सब कुछ हूँ म...
16/01/2024

एक अजनबी
वो मिला मुझे अजनबी की तरह
फिर दिल में बसा एक खुशी की तरह
है रिश्ता क्या उससे मै नहीं जानती
पर उसका कहा सब कुछ हूँ मानती
मुझे हँसाने की कोशिश बार बार करता है
हँसा कर ही मुझे वो दम भरता है
मेरी हर एक बात को याद रखता है
खुश रहा करो यारा हर बार कहता है
है अंदाजा नहीं वो आया क्यो
मेरे गम को उसने भुलाया क्यो
मैं सालो से उसे नहीं जानती
बस कुछ दिन की है यारी
पर ना जाने क्यों ऐसा लगता है
जैसे मेरी वो बाते जानता हो सारी|

✍️ - Akriti Srivastava

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