Hanumanganj _ मशरक

Hanumanganj _ मशरक Hanumanganj Village Mashrakh East Part Panchayat Mashrakh is situated in Saran District. People of this village are living in very peaceful manner.

This village having very proud history. Agriculture is the main profession of this village...

उत्क्रमित मध्य विद्यालय, हनुमानगंजआपन स्कूल...❤️
14/12/2023

उत्क्रमित मध्य विद्यालय, हनुमानगंज
आपन स्कूल...❤️

15/12/2022

*🚨जहरीली शराब पीने से 36 से ज्यादा लोगो की मौत, कई के हालत खराब*

*🟣 मशरक न्यूज (बिहार)*

✍️------मशरक में जहरीली शराब पीने से अब तक 28 लोगों की मौत हो गई है। जबकि रिकार्ड में सिर्फ 17 लोगो का ही नाम दिखाया जा रहा है। घटना मशरक थाना क्षेत्र तथा इसुआपुर थाना क्षेत्र की है। मशरक थाना क्षेत्र से मशरक तख्थ से पांच, यदू मोड़ से तीन, पचखंडा से एक, बहरौली से ग्यारह, बेनछपरा से चार, घोघियां से पांच, गंगौली से एक, मशरक बेनवानी ब्रह्म स्थान टोला से एक, गोपालवाड़ी से एक, हनुमानगंज से एक तथा इसुआपुर थाना क्षेत्र के डोइला से चार लोगो संदिग्ध जहरीली शराब पीने से जान चली गई। इतना ही नहीं, कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई हैं। जो गांव और प्राइवेट अस्पताल में इलाजरत है। सूत्रों से पता चला है कि बीते शाम से ये घटना घट रही है। जिसमें कुछ मृतक के परिजनों ने प्रशासन के डर से मंगलवार के शाम में ही शव को अंतिम संस्कार कर दिया गया।

*प्रशासन और पुलिस बीते रात से ही ले रहे परिजनों से जानकारी*

प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौके पर ग्रामीणों और पीड़ितों के परिजनों से जानकारी ले रहे हैं। इसके साथ ही गांव-गांव ये खबर फैलाने को कह रहे है कि घर में किसी की भी तबियत खराब होने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम से संपर्क करने को कहा जा रहा है।

*अस्पताल ले जाने के क्रम दो लोगों ने तोड़ा दम*

मंगलवार की रात को जहरीली शराब का सेवन करने के बाद से ही सभी की तबीयत खराब होने लगी। इसके बाद स्थानीय स्तर पर प्राथमिक उपचार के बाद कई लोगों को छपरा सदर अस्पताल रेफर किया गया। छपरा सदर अस्पताल जाने के क्रम में ही मुकेश शर्मा की मौत हो गई। मुकेश शर्मा हनुमानगंज के बच्चा शर्मा का प्रथम पुत्र है। जिसकी बीते रात से अचानक तबीयत खराब हुई और सुबह मशरक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। जिसकी रास्ते में ही मौत हो गई थी।*

*अधिकारियों में मचा हड़कंप*

जहरीली शराब से अभी तक छत्तीस लोगों की मौत के बाद प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। सारण जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने मशरक के विभिन्न मृतकों के परिजनों के यहां पहुंचकर पीड़ितों से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। पुलिस अधीक्षक सहित तमाम प्रशासनिक अधिकारियों ने पीड़ितों के गांव का मुआयना भी किया।

*थाना से महज 500 मीटर की दूरी से मिली स्प्रीट की खाली रैपर*

घटना की मुख्य वजह जहरीली शराब पीने से ही हुई है। भले ही उच्च अधिकारी इसे लीपा पोती कर कुछ भी कहें। लेकिन घटना निंदनीय है जिसके बारे में कुछ भी कहा जाए कम होगा। जब शराब धंधेबाज के यहां सारण एसपी, डीआईजी, डीएम, एसपी, डीएसपी, पुलिस इंस्पेक्टर और थानाध्यक्ष पहुंचे तो वहां शराब की सैंकड़ो खाली रैपर के फ्रूटी पैक की खाली पैकेट पड़े मिले। वही जहरीली शराब कहां से आयी और किसने बेची, किसने खरीदा सब जानते है पर कोई बताएगा नही।

*इतनी बड़ी घटना के जिम्मेदार कौन?*

प्रशासन आए, बड़े-बड़े नेता आए समाज सेवक आए और इस सब घटना को लेकर सबने सहानुभूति दिखाई, लेकिन इतनी बड़ी घटना का जिम्मेवारी कौन लेगा?

*मशरक में पांच घंटे तक एसएच और एनएच सड़क रहा अवरुद्ध*

मामलों में जब तूल पकड़ने लगा और परिजनों के हंगामा होने के बाद लोगों ने सड़क जाम कर सूबे नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विरूद्ध जम कर नारेबाजी हुई। उस दौरान पूर्व विधायक तारकेश्वर सिंह, बुद्धिजीवी मंच के अध्यक्ष व पूर्व प्राचार्य सुरेन्द्रनाथ सिंह ने मढौरा एसडीओ योगेन्द्र कुमार, एसडीपीओ इन्द्रजीत बैठा, मशरक पुलिस इंस्पेक्टर राधेश्याम प्रसाद ने सड़क जाम कर रहे उग्र प्रदर्शन कारियों को समझा बुझाकर मामले को शांत कराया। तथा सड़क जाम हटवा आवागमन बहाल कराया।

*मृतक थाना क्षेत्र से मशरक नगर पंचायत के अलावे गंगौली, बहरौली, दुरगौली पंचायत के ही बताए जा रहे है।*

मृतकों में कुणाल सिंह, जयदेव सिंह, अमित रंजन सिंहा, संजय कुमार सिंह, हरेंद्र राम, भरत साह, मो. नासीर, बिजेन्द्र राय, लाल कुमार यादव, मुकेश शर्मा, पथलु राम, जगजीतन साह का पुत्र, उमा साह का भाई, दुमदुमा के सुदामा मांझी के दो लड़के का नाम भी शामिल है। जबकी आधे से ज्यादा लोगो ने बीते रात ही शव को जला दिया है। जैसे ही जिला प्रशासन को इसकी सूचना मिली, मौके पर मढ़ौरा के एसडीओ, सोनपुर के एएसपी, मढ़ौरा डीएसपी सहित आसपास के थानों की पुलिस और ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों की टीम प्रभावित गांव में पहुंच गई। स्वास्थ्य विभाग के आधा दर्जन से भी ज्यादा एम्बुलेंस से पीड़ितों को छपरा सदर अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया है।

ये छठ जरूरी है...सूप और दउरा बनाने वाले समाज को ये बतलाने के लिए कि इस समाज में उनका भी महत्व है. उन्हें नीच/छ्होटे समझन...
30/10/2022

ये छठ जरूरी है...

सूप और दउरा बनाने वाले समाज को ये बतलाने के लिए कि इस समाज में उनका भी महत्व है. उन्हें नीच/छ्होटे समझने की भूल करने वाले अहंकारियों का उनका महत्व समझाने के लिए....

~ छठ घाट हनुमानगंज, मशरक की कुछ तस्वीरें।

23/10/2022

खुशखबरी
राममंदिर को मिलेगा राष्ट्रीय मंदिर का दर्जा
जिनको ख़ुशी हुई हो एक जयकारा प्रभु श्रीराम का
॥ जय श्री राम ॥

मैं अखिलेश यादव 🙏🙏🙏

बना कर दिये मिट्टी के, जरा सी आस पाली हैमेरी मेहनत खरीदो यारों, मेरे घर भी दीवाली है।   मैं अखिलेश यादव 🙏🙏🙏
20/10/2022

बना कर दिये मिट्टी के, जरा सी आस पाली है
मेरी मेहनत खरीदो यारों, मेरे घर भी दीवाली है।


मैं अखिलेश यादव 🙏🙏🙏

कभी नेनुँआ टाटी पे चढ़ के रसोई के दो महीने का इंतज़ाम कर देता था।कभी खपरैल की छत पे चढ़ी लौकी महीना भर निकाल देती थी;कभी बै...
24/09/2022

कभी नेनुँआ टाटी पे चढ़ के रसोई के दो महीने का इंतज़ाम कर देता था।

कभी खपरैल की छत पे चढ़ी लौकी महीना भर निकाल देती थी;कभी बैसाख में दाल और भतुआ से बनाई सूखी कोहड़ौरी,सावन भादो की सब्जी का खर्चा निकाल देती थी‌।

वो दिन थे,जब सब्जी पे
खर्चा पता तक नहीं चलता था।

देशी टमाटर और मूली जाड़े के सीजन में भौकाल के साथ आते थे,लेकिन खिचड़ी आते-आते उनकी इज्जत घर जमाई जैसी हो जाती थी।

तब जीडीपी का अंकगणितीय करिश्मा नहीं था।

ये सब्जियाँ सर्वसुलभ और हर रसोई का हिस्सा थीं।

लोहे की कढ़ाई में,किसी के घर रसेदार सब्जी पके तो,गाँव के डीह बाबा तक गमक जाती थी।
धुंआ एक घर से निकला की नहीं, तो आग के लिए लोग चिपरि लेके दौड़ पड़ते थे।
संझा को रेडियो पे चौपाल और आकाशवाणी के सुलझे हुए
समाचारों से दिन रुखसत लेता था।

रातें बड़ी होती थीं;दुआर पे कोई पुरनिया आल्हा छेड़ देता था तो मानों कोई सिनेमा चल गया हो।

किसान लोगो में कर्ज का फैशन नहीं था;फिर बच्चे बड़े होने लगे,बच्चियाँ भी बड़ी होने लगीं।

बच्चे सरकारी नौकरी पाते ही,अंग्रेजी इत्र लगाने लगे।

बच्चियों के पापा सरकारी दामाद में नारायण का रूप देखने लगे;किसान क्रेडिट कार्ड डिमांड और ईगो का प्रसाद बन गया,इसी बीच मूँछ बेरोजगारी का सबब बनी।

बीच में मूछमुंडे इंजीनियरों का दौर आया।

अब दीवाने किसान,अपनी बेटियों के लिए खेत बेचने के लिए तैयार थे;बेटी गाँव से रुखसत हुई,पापा का कान पेरने वाला रेडियो, साजन की टाटा स्काई वाली एलईडी के सामने फीका पड़ चुका था।

अब आँगन में नेनुँआ का बिया छीटकर,मड़ई पे उसकी लताएँ चढ़ाने वाली बिटिया,पिया के ढाई बीएचके की बालकनी के गमले में क्रोटॉन लगाने लगी और सब्जियाँ मंहँगी हो गईं।

बहुत पुरानी यादें ताज़ा हो गई;सच में उस समय सब्जी पर कुछ भी खर्च नहीं हो पाता था,जिसके पास नहीं होता उसका भी काम चल जाता था।

दही मट्ठा का भरमार था,
सबका काम चलता था।
मटर,गन्ना,गुड़ सबके लिए
इफरात रहता था;
सबसे बड़ी बात तो यह थी कि,
आपसी मनमुटाव रहते हुए भी
अगाध प्रेम रहता था।

आज की छुद्र मानसिकता,
दूर-दूर तक नहीं दिखाई देती थी,
हाय रे ऊँची शिक्षा,कहाँ तक ले आई!

आज हर आदमी,एक दूसरे को
शंका की निगाह से देख रहा है।

विचारणीय है कि,
क्या सचमुच हम विकसित हुए हैं,या
यह केवल एक छलावा है।

वही लड़के जो पटना, बनारस, इलाहाबाद और दिल्ली से अपने गाँव के छठ घाट पहुंच गए थे, आज परसादी प्लास्टिक / बरसाती में बांधकर...
13/11/2021

वही लड़के जो पटना, बनारस, इलाहाबाद और दिल्ली से अपने गाँव के छठ घाट पहुंच गए थे, आज परसादी प्लास्टिक / बरसाती में बांधकर बैग में भर रहे होंगे। बैग का चैन जबरदस्ती दबा दबा के बंद किया जा रहा होगा। उस बैग में कितनी चीज़ें हैं वो मत देखिए, उस बैग में कैद छठ माई और परिजनों का भरा हुआ आशीर्वाद देखिए। बैग का आकार टेढ़ा मेढ़ा हो जाएगा क्योंकि उस बबुआ को आशीर्वाद से भर दिया जाएगा।

इधर घर का मोह छोड़ नहीं रहा होगा, उधर रेल/बस का टाइम हो रहा होगा। माई, चाची, फुआ, दादी मिलकर खाना वाना बना रहीं होंगी कि लइका खा कर जाएगा। भारी मन से कोई भाई या चाचा दुआर पे मोटरसाइकिल लेकर खड़ा हुआ होगा नजदीकी स्टेशन तक छोड़ने के लिए। बबुआ के जाने के बाद अन्न जल भी नहीं घोंटा जाएगा घर पे किसी को पर..... क्या करिएगा.... यही जीनगी है, अइसहीं चलता है हम बिहार यूपी वालों का। बबुआ जहाँ बैग लेकर पहुँचेगा वहाँ जाते वो सारा आशीर्वाद और परसाद अपने साथियों में लुटा देगा। उधर उसके साथी भी इस आस में बैठे होंगे कि फलनवा आएगा तो ठेकुआ ले आएगा।

इसलिए, छठ महापर्व ही नहीं इमोशन भी है हमारा।

ापर्व

© भानु प्रताप सिंह ( आरा, बिहार )

महापर्व छठ की तस्वीरें अपने गाँव हनुमानगंज से।😍💖ये छठ जरूरी है...उस नए पौधे के लिए जिन्हें नहीं पता कि दो कमरों से भी बड...
10/11/2021

महापर्व छठ की तस्वीरें अपने गाँव हनुमानगंज से।😍💖

ये छठ जरूरी है...

उस नए पौधे के लिए जिन्हें नहीं पता कि दो कमरों से भी बड़ा घर होता है. उनके लिए जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में ही देखा है.

ये छठ जरूरी है...

उस परम्परा को जिंदा रखने के लिए जो समानता की वकालत करता है. जो बतलाता है कि बिना पुरोहित भी पूजा हो सकती है.

ये छठ जरूरी है...

जो सिर्फ उगते सूरज को ही नहीं डूबते सूरज को भी प्रणाम करना सीखाता है.

ये छठ जरूरी है...

उन दम्भी पुरुषों के लिए जो नारी को कमजोर समझते हैं.

ये छठ जरूरी है...

सूप और दउरा बनाने वाले समाज को ये बतलाने के लिए कि इस समाज में उनका भी महत्व है. उन्हें नीच/छ्होटे समझने की भूल करने वाले अहंकारियों का उनका महत्व समझाने के लिए.

ये छठ जरूरी है...

गागर, निम्बू और सुथनी जैसे फलों को जिंदा रखने के लिए.

©® :- Aakash

अखंड अष्टयाम के लिए निकली कलश यात्रा, भक्तो ने लगाये जयकारे। हनुमानगंज छठ घाट प्रांगण में छठ पूजा के अवसर पर आयोजित होने...
09/11/2021

अखंड अष्टयाम के लिए निकली कलश यात्रा, भक्तो ने लगाये जयकारे।

हनुमानगंज छठ घाट प्रांगण में छठ पूजा के अवसर पर आयोजित होने वाले अखंड अष्टयाम के लिए कलश यात्रा निकाली गयी। जिसमें 109 कन्याओं ने भाग लिया। कलश यात्रा हनुमानगंज छठ घाट से चलकर सढ़वारा बाज़ार स्थित तालाब पहुँची जहाँ से जलभरी की गई। उक्त अवसर पर महिलाओ, युवतियों सहित ग्रामीण श्रद्धालुओं ने भाग लिया। हाथी-घोड़े, बैंड बाजों के साथ श्रद्धालुओं में जोश, जुनून देखा गया। श्रद्धा भक्ति में सभी लोग झूमते, गाते हुए जल लेने निकले। इसके साथ ही 24 घंटे के अखंड अष्टयाम की शुरूआत हो गई।मौके पर क्षेत्र के कई गणमान्य मौजूद थे।

कान छेद कर चांद जो तूने, पहनी गेहूं की बाली,होठो पर भी लगा ली तूने, ढलते शाम की लालीमसूर की बिंदी, चटक सी मेहंदी खूब सजा...
02/04/2021

कान छेद कर चांद जो तूने, पहनी गेहूं की बाली,
होठो पर भी लगा ली तूने, ढलते शाम की लाली
मसूर की बिंदी, चटक सी मेहंदी खूब सजाई है,
ए चांद तेरी खूबसूरती मेरे गांव से आई है।

हरे भरे खेतो के जैसे, घने घने तेरे बाल हैं।
है थोड़े घुंघराले जैसे खलिहानों में पुआल हैं।
फसल की आंचल ओढ़ जो तूने, पल्लू बनाई है।
ए चांद तेरी खूबसूरती मेरे गांव से आई है।

अदा तेरी ये सरसो जैसी, खिली खिली नखरिली है।,
फूलो सा मनमोहक थोड़ा कलिया सा शर्मीली है।
घर की मिट्टी काजल सा क्या खूब लगाई है।
ए चांद तेरी खूबसूरती मेरे गांव से आई है।

मद्धम रात की घूंघट में , सज सवर के आती हो
पुरवा झोका तान जो छेड़े, बादल में छिप जाती हो
दाग नहीं वो सिंदूर है। जो तूने लगाई है।
एं चांद तेरी खूबसूरती मेरे गांव से आई है।

छठ पूजा के शुभ अवसर पर अपने गाँव हनुमानगंज पोखरा पर 24 घंटे के अखण्ड अष्टयाम की शुरुआत आज  कलश यात्रा के साथ हो गई। कलश ...
19/11/2020

छठ पूजा के शुभ अवसर पर अपने गाँव हनुमानगंज पोखरा पर 24 घंटे के अखण्ड अष्टयाम की शुरुआत आज कलश यात्रा के साथ हो गई। कलश यात्रा में सैकड़ो भक्तो ने हिस्सा लिया और पूजा अर्चना की। इस तरह की आयोजन अपने आप मे एक काबिले-तारीफ़ है। पूरी टीम को धन्यवाद।❤️

~Akhil Akhilesh

गाँव मे रिमझिम बरसात जारी है...चारो तरफ हरियाली है❤️❤️~ Akhil Akhilesh
16/06/2020

गाँव मे रिमझिम बरसात जारी है...
चारो तरफ हरियाली है❤️❤️

~ Akhil Akhilesh

केहु बताई की कहाँ के फ़ोटो ह....?
11/06/2020

केहु बताई की कहाँ के फ़ोटो ह....?

मैं वही गांव हूँ जिस पर आरोप था ,अगर यहाँ रहेंगे तो भूखे मर जाएंगे...।।
07/06/2020

मैं वही गांव हूँ जिस पर आरोप था ,
अगर यहाँ रहेंगे तो भूखे मर जाएंगे...।।

31/05/2020

जो कल टूटा सा था वो जुड़ रहा है,
अब हर परिन्दा गाँव की ओर मुड़ रहा है..||❤️

29/05/2020

प्रणाम सभे के।
का ख़बर बा गाँव के..?😊

वो सब गांव क्यों लौट रहे है क्योंकि उन्हें भरोसा है कि गांव भूखा नहीं मरने देगा । बेरोजगारी है , बेकारी है लेकिन भुखमरी ...
17/05/2020

वो सब गांव क्यों लौट रहे है क्योंकि उन्हें भरोसा है कि गांव भूखा नहीं मरने देगा । बेरोजगारी है , बेकारी है लेकिन भुखमरी नहीं है । लाख विपन्नताओं के बाद भी गांव में भूख से शायद ही कोई मरता हो । कोई एनजीओ रॉशन बांटने नहीं आ रहा । गांव अपने बूते पर जिन्दा है । लेकिन शहर ज्यादा दिन अपने बूते जिन्दा नहीं रह सकते । क्योंकि न तो वो अनाज पैदा करते हैं , न पानी पैदा करते हैं । वो जो पैदा करते हैं उसे खा नहीं सकते । इसीलिए सभ्यता की इक्कीसवीं सदी में भी गांव शहरों से श्रेष्ठ हैं ।

~ Akhil Akhilesh

Lock down Hanumanganj _ मशरक mashrak sh90
06/04/2020

Lock down Hanumanganj _ मशरक mashrak sh90

  जिसने सम्पूर्ण विश्व को अंधेरे की चादर में लपेट लिया है, इसी अंधकारमय बीमारी को सांकेतिक रूप से चुनौती देने के लिये मा...
05/04/2020

जिसने सम्पूर्ण विश्व को अंधेरे की चादर में लपेट लिया है, इसी अंधकारमय बीमारी को सांकेतिक रूप से चुनौती देने के लिये माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर पूरे भारतवर्ष के साथ हम सब ग्रामवासियों ने भी आज 9 बजे दिया जलाकर सम्पूर्ण विश्व को ये प्रकाशरूपी संदेश दे दिया है।

हनुमानगज़💕 ( संध्या के समय मे खिंची गई तस्वीर )
22/02/2020

हनुमानगज़💕 ( संध्या के समय मे खिंची गई तस्वीर )

हनुमानगज़ खेत की तस्वीरेः
20/02/2020

हनुमानगज़ खेत की तस्वीरेः

01/12/2019
अपने गाँव मे छठ पूजा के शुभ अवसर पर हनुमानगंज पोखरा के प्रांगण में 24 घंटे अखण्ड अष्टयाम का आयोजन हुआ है।जय हो।😊
01/11/2019

अपने गाँव मे छठ पूजा के शुभ अवसर पर हनुमानगंज पोखरा के प्रांगण में 24 घंटे अखण्ड अष्टयाम का आयोजन हुआ है।
जय हो।😊

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