13/08/2023
#बंधुओ इस सफेद मौला का घोंसला ढूढों,,ये #नाथ संप्रदाय को कमजोर करने की साजिश हो रही है .......
कुछ दिन पूर्व ाराज_ज़ी का एक #वीडियो देखा हमने तोह हमें अत्यंत आश्चर्य हुआ!
उनका कहना हे योगी और जोगी यह दोनों अलग हे !
उन्होंने कहा हे केवल वहीं योगी लगा सकते हे बाकी गृहस्थ नाथ जो हे वह योगी अपने नाम के साथ जोड़ते हे तोह वह पाप के भागीदार हे !
मुझे यह बात सुनकर एक तरफ हंसी आई दूसरी तरफ इस बात का दुःख हुआ कि आजकल यह स्थित हे !
बड़ा दुःख हुआ इनके यह शब्द सुनकर !
इनेह यदि नाथ सिद्ध सिद्धांत का और नाथ संप्रदाय के प्रारंभिक नौ नाथ का सही ज्ञान होता तोह यह ऐसी बातें नहीं बोलते !
यह चाहे तोह खुले मंच पर आये और शास्त्रार्थ करें
स्वागत हे राजस्थान पधारे और भी जो हे उनका भी स्वागत हे !
आये चर्चा करें शास्त्रार्थ करें हम तेयार हे !
ऐसे भेद भाव नहीं करें
नाथ संन्यासी और नाथ गृहस्थ यह दोनों एक दूजे के पूरक हे !
दोनों ही एक दूजे कि गरिमा और गौरव हे !
ेद_भाव ही सीखे है,
जाती का, देवताओं का,
स्त्री पुरुष का,
इनको अद्वैत ज्ञान घं...नहीं पता है,
पता होता तोह यंहा वीडियो नहीं बनाते !
और हा एक बात सारे कनफट्टे योगी नही होते,
एक आध विरला दर्शनी होता है!
बाकी ये भी अनाथ ही है सारे,
खुद प्रपंच मुक्त न हो
तो गृहस्ती वैरागी ये सब ज्ञान नही देना चाहिए!
इन लोगो को पूछो कि क्या संन्यासी अथवा दर्शनी गृहस्थ नहीं रहे हे !
क्या ?नाथ संप्रदाय में राम का पंथ नहीं हे ?
क्या? #भगवान_कृष्ण_गृहस्थ_योगी_नहीं हुए
भगवत गीता का भी ढंग से अध्यन और मनन किया होता तोह इनेह पता चलता कि गीता एक योग परख अद्द्भुत ग्रंथ हे भगवत गीता प्रत्येक अध्याय योग परख हे !
क्या भगवान परशुराम ज़ी योगी नहीं हुए !
क्या इन सभी नें योग धारण कर भेद भाव के बीज बोये क्या ?
#और
इनेह संभवतः ज्ञात नहीं हे तोह में बतादेता हूँ के नाथो के पहले आचार्य आदिनाथ और मत्स्येंद्रनाथ है यह तो मानेंगे न?
मत्स्येंद्रनाथ की मूल परम्परा और प्रणाली में संन्यास वर्जित है,
कौल और शक्ति उपासक सन्यासी नही हो सकते,
और उनका कौल संन्यास का विषय भी अलग है ।
सिद्ध सिद्धांत पद्धति में गोरक्षनाथ ने सन्यास की टिका की है और गृहस्थ की प्रशंसा,
श्लोक सहित प्रमाण दे सकता हु
गृहस्थ हों , वैरागी हों, सिद्ध हों ,दर्शनी नाथ जी हों , अघोरी हों जिनके अंतर्मन में श्री भगवान गोरक्षनाथ जी की प्रेरणा उत्पन्न हो जाती है उन सभी का आगे एक ही मन्तव्य है एक ही लक्ष्य है,
ब्यर्थ के द्वंद्व, भेद बुद्धि, भरम ये सभी गुरुगम की अमी पान कर चुके संतों को शोभनीय नहीं है!
"सत चित एकम ब्रम्ह "के प्रथम और परम सिद्धांत के विरुद्ध कोई भी विचार मन में उत्पन्न नहीं हो सकता,
सब समान सब में ब्रम्ह ही है और सत चित्त स्वरूप में पहचाने जाने का मार्ग ग्रहण करें , स्वानुसन्धान पर ध्यान देने वाला ही नाथ गुरु जी का चेला है बाकी सब झमेला है!
घरबारी सो घर की जाणै,
बाहरि जाता भीतरि आणै |
सरब निरंतरि काटै माया,
सो घरबारी कहिए निरञ्जन की काया ||
महायोगी गुरु गोरक्षनाथ जी कहते है की,
जो योगी गृहस्त आश्रम में रहकर योग साधना करता है,
यदि वह घरबारी है तो ऐसा कि
जिसे अपने घर (काया) का पूरा ज्ञान है।
जो चन्द्र सूर्य इनकी कलाओं का ज्ञांता हो,
अपने घर की जो वस्तु बाहर जा रही हो, नष्ट हो रही हो (श्वास और वीर्य ऊर्जा) उसको वह भीतर ले जाता है,
उसकी रक्षा करता है।
वह सब से अभेद भाव रखते हुए निर्लिप्त रहता है
और माया भेद का खंडन कर देता है।
ऐसे घरबारी को निरंजन ब्रह्म का शरीर
अर्थात उसी ब्रह्म का चलता फिरता
स्वरूप समझना चाहिए।
आदेश आदेश अलख अतित🔱
ॐ शिव गोरक्ष🌿
इनेह इतना नहीं पता के योगी और जोगी यह दोनों एक ही शब्द हे !
जेसे #गोरख_और_गोरक्ष
जेसे यशोदा और जसोदा
जेसे #शिव_और_सिव !
देखिये नाथ संप्रदाय किसी की भी व्यक्तिगत_जागीर_नही_हे!
नाथ संप्रदाय कोइ भूखंड का भाग नही हे !
जिसे जाती , धर्म , संगठन के आधार पर विभाजित कर उसमे कोइ परिवर्तन किया जाए !
नाथ_संप्रदाय_नाम हे एक सदविचार का !
नाथ संप्रदाय एक सत्य सनातन शक्ती ओर योग बल का स्वरूप हे सा !
नाथ संप्रदाय मात्र एक अटल पथ हे जो आध्यात्मिक योगमार्ग पर चलने का मार्ग दर्शन करता हे !
नाथ संप्रदाय नाथ सिद्धो ग द्वारा जप , तप , योग बल ओर नाथ योगियों के सिद्धांतो से सींची गई योगारम की धरोहर हे !
नाथ होना अर्थात.....सर्व विकार कुंठा , भेद भाव को त्यागकर र आन , बान , शान ओर स्वाभिमान से योगमय जीवन जीना हे औऱ जीव से शिव होने का लक्ष्य हे !
कुछ लोग अपने निजी स्वार्थो के अधीन हो गए , अपनी पूर्वाश्रम की कुंठा मे डूबकर व्यक्तिगत लाभ मे इतने डूब गए की वह इस सदविचार को भूल गए ओर नाथ संप्रदाय की मर्यादा ओर गौरव को भूल गए ओर पथभ्रष्ट हो गए ना !
नाथ संप्रदाय की आदिकाल से चली आ रही गुरू शिष्य योगमय परम्परा का उलंघन कर
अपने मन से नए नए धर्म , पथ स्थापित करने लगे ! योग शक्ती को भूल कर भोग शक्ती मे लींन हो गए !
नाथ संप्रदाय ऊंच नीच औऱ जाती धर्म के आधार पर किसी को नही बांटता हे !
नाथ संप्रदाय के सिद्धांतो मे ओर इतिहास दर्शन मे किसी भी पाखंडवाद को हस्तक्षेप करने की अनुमति नही हे !
स्मरण रखे नाथ संप्रदाय के मूल गोरक्ष नाथ सिद्धांतो पर नाथ संप्रदाय अडिग हे !
शिवगोरक्ष सर्वोपरी !
गोरक्षनाथ 👉🏻नाम मात्र से हर एक मानव जागृत ओर प्रभावित हो जाता हे !
अतः इसी मूल तत्व का लाभ उठाते हुए कई मनमुखी नुगरे लोग गोरक्ष नाथ जी के नाम की ओट मे आरंभ मे लोगों को प्रभावित कर अपनी ओर आकर्षित करते हे थ ओर फ़िर शने शने अपनी कुंठा के आधार पर किसी ओर की तुलना गोरक्ष नाथ जी करने लगते हे !
ओर फ़िर धीरे धीरे गोरक्ष नाथ ओर नाथ संप्रदाय के नाम की ओट मे अपना मनमुखी ज्ञान ओर अपने गुरू की महिमा मंडन करने लगते हे !
धीरे धीरे गोरक्ष नाथ जी ओर नाथ संप्रदाय के सिद्धांतो के विपरीत गतिविधिया करते करते अपनी दुकाने चलाते हे !
कुछ लोग गृहस्थ नाथ और विरक्त नाथ में भेद कर रहे हे !
तोह यह उनकी कुंठित मानसिकता का प्रमाण हे !
अतः नाथ संप्रदाय के विरुध्द इस प्रकार के षड्यंत्र रचने वालो से सावधान रहे हे !
ऐसे लोग नाथ संप्रदाय मे दिक्षा लेकर अपना अलग पंथ स्थापित कर जगत मे भ्रांतिया फेलात हे !
वह नाथ नही हो सकता सदा अनाथ हे !
नाथ संप्रदाय आदिकाल से , हिंदू , मुस्लिम आदि धर्मो से परे हे !
हम ( नाथ ) सभी के हे सभी हमारे ओर एक अटल बात कहदेते हे आज
#जो_सुधारा_वह_नाथ_का_नही_तो_अपनी #अपनी_जात_का_!
ओर एक बात नाथ आसानी से हाथ नही आता हे !
सब घर भटक नाथ घर अटकी !
पल पल गोरक्ष हर पल शिव
आदि नाथ परम शिवगोरक्ष सर्वज्ञ हे
उत्पत्ति हिन्दू,जरणा जोगी,
अक्कल पीर मुसलमानी ।।
हम तोह सभी के है,चाहे महाराष्ट्र हो,गुजरात हो,राजस्थान हो,
पंजाब, हरियाणा हो,
सुदुर उत्तराखंड बंगाल हो,
या दक्षिण भारत अथवा उत्तर में नेपाल हो,अमरीका, लंदन,
केन्या या कनेडा या जापान हो ।
हम सभी के सभी हमारे🙏🏻❤
"नाथ कहंता सब जग नाथ्या"
आदेश 💓आदेश
आत्मज्ञान , आत्मसम्मान , स्वाभिमान ओर स्वतंत्र भारत की भूमि पर हम जीवित रहे या ना रहे !
किन्तु यह हमारा सदविचार (नाथ संप्रदाय ) सदेव इस जगत मे अमर रहेगा !
सनातन धर्म की रक्षा करेगा !
नाथ सिद्धो का योगारम युगों युग जागे !
✍🏻योगी सागर नाथ रावल !