Jindagi zero kilometre

Jindagi zero kilometre सत्य सनातन परिवार

02/10/2023

न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्‌ ।
कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः ॥

भावार्थ : निःसंदेह कोई भी मनुष्य किसी भी काल में क्षणमात्र भी बिना कर्म किए नहीं रहता क्योंकि सारा मनुष्य समुदाय प्रकृति जनित गुणों द्वारा परवश हुआ कर्म करने के लिए बाध्य किया जाता है॥

01/10/2023

Upnishad Ganga

24/09/2023

Upnishad Ganga Gyan

पिछले 30 दिनों में मुझे अपनी पोस्ट पर 4,000 रिएक्शन रिएक्शन मिले हैं. आपके सपोर्ट के लिए, आप सभी का धन्यवाद. 🙏🤗🎉
23/09/2023

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दानवीर कर्ण के जन्म की कथाधृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर के पालन-पोषण का भार भीष्म के ऊपर था। तीनों पुत्र बड़े होने पर विद्...
06/09/2023

दानवीर कर्ण के जन्म की कथा

धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर के पालन-पोषण का भार भीष्म के ऊपर था। तीनों पुत्र बड़े होने पर विद्या-अध्ययन के लिए भेजे गए। धृतराष्ट्र बल विद्या में, पाण्डु धनुर्विद्या में तथा विदुर धर्म और नीति में निपुण हुए। युवा होने पर धृतराष्ट्र अन्धे होने के कारण राज्य के उत्तराधिकारी न बन सके। विदुर दासीपुत्र थे, इसलिये पाण्डु को ही हस्तिनापुर का राजा घोषित किया गया।

भीष्म ने धृतराष्ट्र का विवाह गांधार की राजकुमारी गांधारी से कर दिया। गांधारी को जब ज्ञात हुआ कि उसका पति अन्धा है तो उसने स्वयं अपनी आँखों पर पट्टी बाँध ली। उन्हीं दिनों यदुवंशी राजा शूरसेन की पोषित कन्या कुन्ती जब युवावस्था को प्राप्त हुई तो पिता ने उसे घर आये हुए महात्माओं की सेवा में लगा दिया। पिता के अतिथिगृह में जितने भी साधु-महात्मा, ऋषि-मुनि आदि आते, कुन्ती उनकी सेवा मन लगा कर किया करती थी।

एक बार वहाँ दुर्वासा ऋषि आ पहुँचे। कुन्ती ने उनकी भी मन लगाकर सेवा की। कुन्ती की सेवा से प्रसन्न होकर दुर्वासा ऋषि ने कहा- "पुत्री! मैं तुम्हारी सेवा से अत्यन्त प्रसन्न हूँ, अतः तुझे एक ऐसा मन्त्र देता हूँ, जिसके प्रयोग से तू जिस देवता का स्मरण करेगी, वह तत्काल तेरे समक्ष प्रकट होकर तेरी मनोकामना पूर्ण करेगा।" दुर्वासा ऋषि कुन्ती को मन्त्र प्रदान कर चले गये।

मन्त्र की सत्यता की जाँच हेतु एक दिन कुन्ती ने एकान्त स्थान पर बैठकर उस *...अधिक पढ़ें*

*नमस्कार🙏🚩

महाभारत युद्ध का आरम्भमहाभारत युद्ध में दोनों पक्षों की सेनाओं का सम्मिलित संख्या बल अठ्ठारह अक्षौहिणी था। युधिष्ठिर सात...
03/09/2023

महाभारत युद्ध का आरम्भ

महाभारत युद्ध में दोनों पक्षों की सेनाओं का सम्मिलित संख्या बल अठ्ठारह अक्षौहिणी था। युधिष्ठिर सात अक्षौहिणी सेना के, जबकि दुर्योधन ग्यारह अक्षौहिणी सेना का स्वामी था। पाण्डव तथा कौरव दोनों ही ओर की सेनाएँ युद्ध के लिए तैयार हुईं।

पहले भगवान श्रीकृष्ण परम क्रोधी दुर्योधन के पास दूत बनकर गये। उन्होंने ग्यारह अक्षौहिणी सेना के स्वामी राजा दुर्योधन से कहा- "राजन! तुम युधिष्ठिर को आधा राज्य दे दो या उन्हें पाँच ही गाँव अर्पित कर दो; नहीं तो उनके साथ युद्ध करो।"

श्रीकृष्ण की बात सुनकर दुर्योधन ने कहा- "मैं उन्हें सुई की नोक के बराबर भूमि भी नहीं दूँगा; हाँ, उनसे युद्ध अवश्य करूँगा।" ऐसा कहकर वह भगवान श्रीकृष्ण को बंदी बनाने के लिये उद्यत हो गया। उस समय राजसभा में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने परम दुर्धर्ष विश्वरूप का दर्शन कराकर दुर्योधन को भयभीत कर दिया। फिर विदुर ने अपने घर ले जाकर भगवान का पूजन और सत्कार किया। तदनन्तर वे युधिष्ठिर के पास लौट गये और बोले- "महाराज! आप दुर्योधन के साथ युद्ध कीजिये।"

दोनों सेनाओं के महारथी

युद्ध से पूर्व पाण्डवों ने अपनी सेना का पड़ाव कुरुक्षेत्र के पश्चिमी क्षेत्र में सरस्वती नदी के दक्षिणी तट पर बसे समंत्र पंचक तीर्थ के पास हिरण्यवती नदी के तट पर डाला। कौरवों ने कुरुक्षेत्र के पूर्वी भाग में वहाँ से कुछ योजन की दूरी पर एक समतल मैदान में अपना पड़ा *...अधिक पढ़ें*

*नमस्कार🙏🚩

By keeping all the good deeds together, you will be engrossed in the devotion of God, then I will free you from all the ...
11/08/2023

By keeping all the good deeds together, you will be engrossed in the devotion of God, then I will free you from all the sins. You do not need to worry about it.

08/01/2023

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07/01/2023

Satya Sanatan Dharm ki Jay Ho

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02/09/2022

Jay Shri ram

20/06/2022

शुक्रवार को पत्थर चलाओगे तो शनिवार को बुलडोजर चलेगा

19/11/2020

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