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08/12/2024

हाय! किस गफ़लत में है मोमिन
अब तो सिलारहमी भी लालच की मोहताज हो गई ॥

मेरा अनुभव, मेरा एहसास ॥ज़िंदगी छोटी सी है इसको खुलकर जीना सीखो ।यह हक़ीक़त है कि जीवन के हर पड़ाव पर सभी कार्यों की अपन...
26/07/2024

मेरा अनुभव, मेरा एहसास ॥

ज़िंदगी छोटी सी है इसको खुलकर जीना सीखो ।
यह हक़ीक़त है कि जीवन के हर पड़ाव पर सभी कार्यों की अपनी-अपनी महत्वता है लेकिन उससे अलग हटकर भी जीवन में कुछ है, जिस पर हमें ध्यान देना उतना ही ज़रूरी है जितना कि जीवन की प्रतिदिन की दूसरी क्रियाएँ ।
आज एक-दूसरे से आगे निकलने की इस भागदौड़ में हम अपने स्वास्थ्य को मानो भुला ही बैठे हैं ।
आज के इस दौर में एक मुख्य रोग ह्रदय घात आम बात हो गई है ।यह अब लगभग सभी उम्र के लोगों में देखने को मिलने लगा है ।इसमें कोई श़क नहीं है कि यह एक बीमारी है और ह्रदय को कमज़ोर करती है और कभी-कभी मौत का कारण भी बनती है।लेकिन क्या हमने इससे अलग भी कभी सोचा है कि ये इस प्रकार के शारीरिक मानसिक विकार आख़िर क्यों है या क्यों पनप रहे हैं ?
क्या हमने कभी ग़ौर किया है की इस भागदौड़ भरे जीवन में भी कही न कही हमने ख़ुद को और अपनों को खो दिया है ?
मेरी उम्र छोटी है लेकिन मैंने अपने छोटे से चिकित्सक काल में यह अनुभव किया है कि इस प्रकार के मानसिक व शारीरिक विकार जो तेज़ी से समाज में फैल रहे हैं या लोगों में फैल रहे हैं उनका एक कारण यह भी है कि हमने अपनों के बीच बैठना छोड़ दिया है और अपनों से बातें करना छोड़ दिया है या यूँ कहिए कि हमारे पास अपनों से बात करने का थोड़ा भी समय नहीं है।
मैं अपने चिकित्सक अनुभव में जितने भी लोगों से मिला उनमें एक सामान्य बात यह भी थीं कि वह ख़ुद में ही कहीं न कहीं क़ैद हो चुके हैं ,कहीं ना कहीं उन्होने अपनों के बीच रहते हुए भी अपनों को खो दिया है या ख़ुद को उनसे अलग कर लिया है।
आज किसी के पास इतना भी समय नहीं है कि वो अपनों के बीच बैठकर उनसे कुछ देर बातें कर सके है ।या उनसे कुछ साझा कर सके ।
बातें कहने को बहुत है लेकिन कम शब्दों में यही समझाना चाहूंगा कि आपके परिवार, दोस्त या कोई भी जाननेवाला जब भी किसी को परेशान या तनाव युक्त देखें तो उनसे जाकर बातें करे ।वह सब बातें करें जो उनके दिलों को सुकून दे जिसे बताकर वो सुख को महसूस करें या वो तनाव मुक्त हों ।या जब भी कोई भी ऐसी परिस्थिति से गुज़र रहा हो तो उससे बातें करें उसकी परेशानी को जानने की कोशिश करें जिससे कि वह उस परेशानी से मुक्त हो सके या कभी आप ख़ुद भी किसी परेशानी या किसी तनाव को बोझ बनाकर झेल रहे हो तो अपनों के पास बैठो और उनसे अपनी सारी बातें अपनी परेशानियाँ सब साझा करो , वो सब बातें करो जिससे आपके दिल को सुकून मिले और आप का बोझ हल्का हो , वो सब बातें करें जिससे आपके चेहरे पर खोई हुई मुस्कुराहट वापस लौट सके।
यक़ीन मानिए अगर इन बातों पर ध्यान दिया गया और अपनायी गई तो मुझे विश्वास है की जो हम अपने चारों ओर ह्रदय विकार या तनाव युक्त शारीरिक व मानसिक विकार लोगों में या अपनों में देख रहे हैं वह जल्दी ही कम होगा और एक दिन ख़त्म भी होगा और फिर से कोई अपने परिवार में ख़ुशी से खुलकर जिएगा । तो आपके आस पास भी अगर कोई ऐसी परी इस स्थिति में हों तो बस कुछ देर उससे बातें करें हो सकता है आपके बात करने से उसकी कोई परेशानी हल हो सके और उसके चेहरे पर ख़ुशी लौट सके और वह किसी बड़ी परेशानी से बच सके ।


डॉ॰ नादिर अली

15/07/2024

अज्ञानता मुर्खता और विद्रोह का कारण बनती हैं ।और तत्पश्चात् एकता में अनेकता का विकास होता है ।

--------: ह्रदय रोगी के लिए आहार के नियम :-------1- सुबह सात बजे ---      मलाई रहित दूध एक गिलास, दो चम्मच शक्कर के साथ,...
01/11/2023

--------: ह्रदय रोगी के लिए आहार के नियम :-------
1- सुबह सात बजे ---
मलाई रहित दूध एक गिलास, दो चम्मच शक्कर के साथ, साथ में 3-4 बादाम भी लीजिए।
2- सुबह नौ बजे----
अंकुरित अनाज एक प्लेट, मिक्स या वेजीटेबल उपमा।
3- दोपहर 12 बजे ------
दो चपाती चोकर सहित, छिलके वाली दाल एक कटोरी, आधा कटोरी चावल, एक कटोरी हरी सब्‍जी, दही एक कटोरी और सलाद।
4- तीन या चार बजे ------
चाय एक कप, भेल एक प्लेट या दो बिस्किट, फल एक (सेव, संतरा, कच्चा जाम, अनार, नाशपती आदि)।
5- सात या आठ बजे ------
दिन में लंच के समय, जैसा भोजन खाया है , ठीक वैसा ही रात के भोजन में भी लीजिए।
6- नौ बजे -------
फल एक या दूध का आधा गिलास।
ध्यान रखने योग्य बातें ---------
इसके अतिरिक्त हृदय रोग के रोगी को, यह भी ध्‍यान में रखना चाहिए।
* दिनभर में दो-तीन चम्मच घी व चार-पांच चम्मच तेल का उपयोग भोजन में करना चाहिए।
* हृदय रोगी को नमक, मिर्च तथा तले-भुने भोजन का प्रयोग कम से कम करना चाहिए या हो सके तो नहीं करना चाहिए।
* हरी पत्तेदार सब्जियों एवं फल का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए।
* धूम्रपान, शराब या अन्य किसी नशीली वस्तु का सेवन बंद कर देना चाहिए।घी, मक्खन इत्यादि का सेवन कम से कम करना चाहिए।
* आंवला या लहसुन का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए।
* सेब के मुरब्बे का सेवन हृदय रोगियों को विशेषकर करना चाहिए।
* हल्के-फुल्के व्यायाम तथा सुबह की सैर को अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करना चाहिए।
* हृदय रोग के मरीजों के लिए दूध, जौ, बादाम, टमाटर, चैरी, मछली, बीटा ग्लूकोज बहुत फायदेमंद है।
* ऐसी डाइट कोलेस्ट्रॉल को घटाने में सहायता करती है।
इस तरह का भोजन 40 से ज्यादा उम्र वाले ह्रदय के रोगियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। इसके अतिरिक्त नियमित व्‍यायाम भी आवश्यक है।

--------: आयुर्वेदोक्त भोजन विधि :-------         (भोजन खाने के नियम) (1) " भोजनाग्रे सदा पथ्यनलवणार्द्रकभक्षणम् ।      ...
26/10/2023

--------: आयुर्वेदोक्त भोजन विधि :-------
(भोजन खाने के नियम)
(1) " भोजनाग्रे सदा पथ्यनलवणार्द्रकभक्षणम् ।
अग्निसंदीपनं रुच्यं जिह्वाकण्ठविशोधनम् ।। "
भोजन शुरू करने से पहले, आपको आद्रक (अदरक) का छोटा टुकड़ा और चुटकी भर, सैंधव (सेंधा नमक) मिलाकर खाना चाहिए।
यह आपके पाचन को बढ़ावा देने के लिए, आपकी अग्नि (पाचन अग्नि) को बढ़ाएगा, आपकी जीभ और गले को साफ करेगा , जिससे आपकी स्वाद कलिकाएं सक्रिय होंगी।
(2) " घृतपूर्वं संश्नीयात कठिनं प्राक् ततो मृदु।
अन्ते पुनर्द्रवाशि च बलरोग्ये न मुञ्चति।। "
घृत को, अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। सबसे पहले सख्त खाद्य पदार्थ जैसे रोटी आदि से शुरुआत करें, फिर नरम खाद्य पदार्थ खाएं। भोजन के अंत में आपको तक्र (छाछ) जैसे तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से आपको ऊर्जा और स्वास्थ्य मिलता है।
(3) " अश्नियात्तनमना भूत्वा पूर्वं तु मधुरं रसम्।
मध्येऽमल्लवणौ मूर्ति कटुतिक्तक्षायकं।। "
भोजन हमेशा, एकाग्रचित्त होकर करना चाहिए। सबसे पहले, मधुर द्रव्य (मीठा भोजन) से शुरू करें, फिर बीच में, अमला द्रव्य (खट्टा भोजन) और लवण युक्त द्रव्य (नमकीन भोजन), और अंत में, तिक्त द्रव्य (कड़वा भोजन), कटु द्रव्य (मसालेदार भोजन), और कषाय द्रव्य (कसैला भोजन)।
(4) " फलान्यादौ समश्नीयाद दादिमादीनि बुद्धि।
विना मोचाफलं तद्वद् वरिअय च कर्कति।। "
नरम भोजन में , सबसे पहले दाड़िमा आदि फलों से शुरुआत करें, लेकिन भोजन की शुरुआत में, केला और खीरा जैसे फल न खाएं। क्योंकि , खीरे में पानी होता है। इसलिए, यह पाचन अग्नि को कम कर देगा।
(5) " अन्नेन कुक्षेर्द्वावंशौ पवेनैकं प्रापुरयेत्।
आश्रयं पवनदीनां चतुर्थमवशेषयेत्।। "
पेट के दो भाग (पेट की आधी क्षमता) , ठोस भोजन से भरे होने चाहिए। पेट का एक भाग, तरल भोजन से भरा होना चाहिए और पेट का बाकी भाग, वात यानी हवा के मुक्त प्रवाह के लिए खाली रखा जाना चाहिए।

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11/10/2023

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