13/12/2022
अब जानेमन तू तो नहीं,
शिकवा -ए-गम किससे कहें
या चुप हें या रो पड़ें,
किस्सा-ए-गम किससे कहें।उम्र मत पूंछो उनकी जो
इश्क में खोये रहते है,
वो हर वक्त जवां रहते हैं,
जो महबूब की आँखों में खोये रहते हैं।