25/06/2024
26 जून- अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस पर विशेष लेख
नशे से घृणा करो नशेड़ी से नहीं करो इनके सुधार का उपाय कोई
-लेखक- डॉ. अशोक कुमार वर्मा
7 दिसंबर 1987 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सर्वसम्मति से पूरे विश्व में 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। तब से विश्व के लोगों को नशीली वस्तुओं और पदार्थों के सेवन और उपभोग से होने वाले दुष्प्रभावों बारे जागरूक करने का कार्य आरम्भ हुआ था। भारत में 14 सितम्बर 1985 से ही नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट नंबर 61 वर्ष 1985 लागू किया था जिसे हिंदी में स्वापक औषधि और मन प्रभावी पदार्थ अधिनियम संख्या 61 वर्ष 1985 कहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को लागू करने के साथ साथ आवश्यकतानुसार इसमें 1988, 2001, 2014 और 2021 में चार बार संशोधन भी किया गया था। तत्पश्चात भारत में वर्ष 1988 में स्वापक औषधियों और मन:प्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार की रोकथाम अधिनियम, संख्या 46 वर्ष 1988 लागू किया गया ताकि ऐसे लोगों के विरुद्ध निरोधात्मक कार्रवाई की जा सके। नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट या एनडीपीएस अधिनियम 1985, नारकोटिक्स और साइकोट्रोपिक पदार्थों के भंडारण, उपभोग, परिवहन, खेती, कब्ज़ा, बिक्री, खरीद और विनिर्माण को विनियमित करने के लिए एक व्यापक कानून है। यहाँ यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि भारत में वर्ष 1985 तक भांग और इसके डेरिवेटिव, चरस और मारिजुआना प्रतिबंधित नहीं थे लेकिन उपरोक्त अधिनियम के पश्चात प्रतिबंधित किये गए हैं। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2024 में यह आदेश पारित किया गया था कि वर्षा आरम्भ होने से पूर्व जहाँ कहीं भी भांग के पौधे खड़े हों उन्हें नष्ट किया जाए। फलस्वरूप हरियाणा में भांग के पौधों को नष्ट करने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य किया गया।
सामान्य रूप से नशे में बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू और शराब को ही गिना जाता है लेकिन आज के समय में ड्रग्स के नशे का सेवन, व्यापार और प्रचलन बहुत अधिक तीव्रता से बढ़ रहा है जिसका परिणाम यह हुआ कि भारत के सबसे समृद्धशाली प्रान्त पंजाब को आज उड़ता पंजाब के नाम से जाना जाता है। वर्ष 1999 में पंजाब की जीडीपी पुरे भारत की जीडीपी के समकक्ष हुआ करती थी लेकिन वहां के लोगों में ड्रग्स का प्रचलन ऐसा बढ़ा कि आज पंजाब प्रान्त में कई गाँव ऐसे हैं जहाँ एक भी पुरुष नहीं है। यद्यपि राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के प्रदर्शित आंकड़ों पर दृष्टिपात करें तो केरल में 26,619 प्राथमिकियां दर्ज हुई हैं। महाराष्ट्र में 13830 और पंजाब में 12442 प्राथमिकियां दर्ज हुई है। इस आधार पर पंजाब तीसरे नंबर पर आता है और केरल प्रथम तथा महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है। पंजाब के सेवानिवृत पुलिस महानिदेशक कारागार, शशि कांत ने इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा था कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा से हर महीने एक हज़ार किलो हैरोइन की तस्करी देश में हो रही है। यह नशा म्यांमार, कंबोडिया, अफगानिस्तान, व् उत्तर पश्चिम पाकिस्तान से भारत में पहुँच रहा है। मेडिकल स्टोरों पर बिकने वाली नशीली दवाईयों के संज्ञान पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कड़ा संज्ञान अपनाते हुए कहा कि इनकी बिक्री पर रोक लगाने के लिए एक ठोस नीति बनाने की जरुरत है। इतना ही नहीं सुनवाई के दौरान ही भारत पाकिस्तान सीमा पर कंटीली तारों के बीच पाइप डालकर नशा पहुचाने का मामला भी उठा। इससे स्पष्ट है कि किस प्रकार नशे की तस्करी से हमारी भावी युवा पीढ़ी के जीवन को संकट है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए माननीय उच्च न्यायलय ने सुझाव भी मांगे थे।
राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में देश में 704 मौतें नशाखोरी के कारण हुई हैं जिसमें तमिलनाडु में 108, कर्णाटक में 67, उत्तर प्रदेश में 64, राजस्थान में 60, गुजरात में 49, मध्य प्रदेश में 44, महाराष्ट्र में 7 मुख्य हैं। यदि हम मध्य प्रदेश की बात करें तो वर्ष 2017 से वर्ष 2019 के बीच मध्य प्रदेश में कुल मृत्यु 140 हुई हैं जिनमे 22 महिलाएं हैं। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष भारत में नशीले पदार्थों की ओवरडोज़ के कारण 116 महिलाओं की मृत्यु हुई है। कुल 681 लोगों की मौत नशीली दवाओं के अधिक सेवन से हुई है इसमें सबसे अधिक 144 मौतें पंजाब में हुई है जो राज्य में नशे की उपलब्धता की और संकेत करती है। इसके बाद राजस्थान में 117 लोगों की मृत्यु हुई है और मध्य प्रदेश में 74 लोग मृत्यु को प्राप्त हुए हैं। ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि महिलाएं भी ने केवल ड्रग्स के धंधे में संलिप्त है अपितु ड्रग्स का सेवन भी कर रही हैं। एक जानकारी के अनुसार पाकिस्तान के साथ लगती 553 किलोमीटर सीमा के माध्यम से से पंजाब में ड्रोनों के द्वारा हेरोइन फेंकी जाती है और चीन के बने डी. जे. मेट्रिक्स किस्म के ड्रोन एक समय में 2 से 12 किलो का भार लेकर उड़ सकते हैं। अब नशा तस्करी में महिलाएं और बच्चे भी आ गए हैं। देशभर में पकड़ी गई 9631 महिलाओं में से 3164 महिलाएं पंजाब से हैं अर्थात उनकी भागीदारी 33 प्रतिशत है।
प्रश्न यह है कि यह नशा हम कहाँ से सीखते हैं? व्यक्ति नशा मित्र, चलचित्र, अड़ौसी-पड़ौसी, रिश्तेदार और ईर्ष्यालु यार से सीखता है। विभिन्न चलचित्रों में अभिनेताओं के अभिनय को देखकर आज का युवा प्रभावित होकर नशा सीख रहा है। कुछ पंजाबी गानों में तो नशे के सेवन को बहुत ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है कि युवा उस और आकर्षित होकर नशा लेने लग जाते हैं। इसके अतिरिक्त बेरोजगारी, अवसाद, घरेलू कलह, गरीबी, असफलता, अशिक्षा, जागरूकता की कमी भी इसके मुख्य कारण हो सकते हैं।
इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए जागरूकता और शिक्षा सबसे बड़ा और सबसे उपयोगी शस्त्र सिद्ध हो सकता है क्योंकि नशे की दलदल में फंसने वाले युवाओं को नशे के दुष्परिणामों का ज्ञान ही नहीं होता है। पहले आरम्भ में वे नशे का सेवन मौज मस्ती के लिए करते हैं लेकिन ड्रग्स का नशा तो ऐसा है जिसे यदि एक या दो बार ले लिया जाए तो छोड़ना असंभव हो जाता है। हरियाणा पुलिस से सेवानिवृत अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री श्रीकांत जाधव, आईपीएस ने वर्ष 2000 में फतेहाबाद को नशा मुक्त करने के लिए जो कार्य किए थे वे आज भी स्मरणीय हैं। उन्होंने एक और तो नशे के व्यापार पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगा दिया था तो दूसरी और नशे में ग्रस्त हो चुके लोगों के जीवन को सुधारने के लिए अथक प्रयास किया। प्रयास संस्था के बैनर तले उन्होंने हज़ारों लोगों का नशा मुक्त करवाकर एक बहुत ही सराहनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। इसके पश्चात वे वर्ष 2000 में हरियाणा की एनसीबी प्रमुख रहे हैं। आज हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो के प्रमुख श्री ओपी सिंह आईपीएस अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक साहब हैं जिन्होंने गुरुकुल गमन जैसे आध्यात्मिक और सामाजिक नाटक के माध्यम से युवाओं में अपनी संस्कृति से जुड़ने की एक नई सोच उत्पन्न की है साथ ही नून लौटा प्रथा चलाकर लोगों से यह शपथ करवाई जा रही है कि वे जीवन में नशा नहीं करेंगे। हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो की पुलिस अधीक्षक श्रीमती पंखुरी कुमार ने हरियाणा में सभी ज़िलों के साथ मिलकर उन्हें लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न विचारों का सृजन किया है।
नशा मुक्त समाज के निर्माण में केवल सरकार की एक तरफा कार्रवाई पर्याप्त नहीं है अपितु यह सबकी जिम्मेदारी है। प्रत्येक माता पिता चाहता है कि उसके बच्चे नशे से दूर रहें। कुछ लोग स्वयं नशा करते हैं और अपने बच्चों को नशा करने से रोकते हैं दूसरी और कुछ व्यक्ति नशा नहीं करते लेकिन अपनी दुकानों और खोखों में धूम्रपान जैसे विषैले पदार्थ बेचते हैं। अनेक ऐसे लोग भी हैं जो शिक्षण संस्थान के बिल्कुल निकट में ऐसे पदार्थ बेच रहे होते हैं। प्रश्न उठता है कि इस पर पूर्ण रूप से लगाम कैसे लगाईं जाए। आज युवाओं में हुक्के, इ हुक्के और इ सिगरेट के प्रति बढ़ रहे रुझान को कैसे कम किया जाए। हम सबको मिलकर इस बात को समझना होगा कि प्रत्येक नशा मनुष्य के लिए बहुत घातक है।
लेखक- डॉ. अशोक कुमार वर्मा, हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो में जागरूकता कार्यक्रम एवं पुनर्वास प्रभारी के रूप में नियुक्त हैं और वे साइकिल पर घूमघूमकर हरियाणा में नशें के विरुद्ध प्रचार प्रसार में जुटे हैं। उनकी एक लोकप्रिय कविता इस अभियान को सार्थक सिद्ध करती है जिसकी पंक्तियाँ अग्रभाग है- नशा कोई करने से बुरा है, नशे का व्यापार करना। ऐसे पाप की कमाई से तो अच्छा है, मजदूरी करके पेट भरना। न नशा न नशे का व्यापार रहेगा। दुनिया में कुछ रहेगा तो सदाचार रहेगा। उठो तुम मिलकर सबको बता दो। हर एक घर में ये संदेश पहुंचा दो। और समय रहते जागो, सबको जगा दो। जगा दो…… अफीम चरस हेरोइन का नशा बुरा है। न जाने कितनों के प्राणों को हरा है। कितनों की पत्नियां छोड़ चली गई। बच्चों की भी बड़ी दुर्दशा हुई। मां बाप का भी सहारा छिन गया। बुढ़ापे में उनको दुःख बहुत हुआ। सोचा था क्या और क्या हुआ है। सोचो तुम इसका उत्तरदाई कौन है। समय सब देख रहा खड़ा मौन है। वो सब जानता है, चोर कौन है। कर्तव्य से विमुख मानव कौन कौन है…….तभी नभ से ईश्वर बोल पड़ा, भर जाने दो इनके पाप का घड़ा। धन का लोभ पाप का बाप है। यही तो मानव का संताप है। नशे से घृणा करो नशेड़ी से नहीं। करो उनके सुधार का उपाय कोई। प्रयास संस्था के साथ चलो। दुखी परिवारों के दुःख हरो। तब न नशा न नशे का व्यापार रहेगा.....