Real Gyan

Real Gyan यह पेज पूर्ण रूप से अध्यात्मिक है इस पर आध्यात्मिक ज्ञान सुनने को मिलेगा

Live Rameni  #दहेज़_मुक्त_शादी #अभियान_दहेज_मुक्त_भारत संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य मेंनामदान केंद्र करैली, जिला स...
10/06/2024

Live Rameni #दहेज़_मुक्त_शादी

#अभियान_दहेज_मुक्त_भारत संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में

नामदान केंद्र करैली, जिला संत कबीर नगर उत्तर प्रदेश से #संत_रामपाल_जी_महाराज के सानिध्य में भगत निलेश दास संग भगतमती गीता दासी का दहेज मुक्त रमैणी (विवाह) का सीधा प्रसारण।।

• साकार होगा अब सबका सपना। दहेज मुक्त बनेगा भारत अपना।।

संत रामपाल जी महाराज की प्रेरणा से जिला संत कबीर नगर, (उत्तर प्रदेश) में बिना दहेज व फेरों तथा बिना बैंडबाजा के बहुत ही साधारण व सभ्य विवाह (रमैणी) हो रहा है।

संत रामपाल जी द्वारा लिखित पुस्तक #जीने_की_राह को पढ़कर लाखों जोड़ों ने दहेज मुक्त विवाह किए हैं और आगे भी हो रहे हैं...!

"संत रामपाल जी महाराज जी का सपना दहेज मुक्त मानव समाज हो अपना"

आज ही जुड़ें संत रामपाल जी महाराज जी कल्याणकारी विचारधारा से।

प्रिय पाठकगणों से निवदेन है कि संत रामपाल जी महाराज जी की इस अनमोल कल्याणकारी विचारधारा से जुड़ने के लिए आज ही बिना समय गवाएँ संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा प्राप्त करें।

यदि आप संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा लेना

चाहते हैं तो निम्न नंबरों पर अभी संर्पक करें :-

+91 8222880541, +91 8222880542, +91

8222880543, +91 8222880544, +91 8222880545

देखिये जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन साधना

चैनल पर शाम 07:30 से 08:30 बजे तक।

अधिक जानकारी के लिए Satlok Ashram YouTube चैनल विजिट करें।

"संत रामपाल जी को अपनाएंगे, दहेज मुक्त भारत बनाएंगे।"

Thanks all family members 🙏🙏
06/06/2024

Thanks all family members
🙏🙏

20/05/2024

नकली और असली गुरु के सत्संग में जाने से कितना लाभ होता है?

20/05/2024

भक्त को ऐसे सुरक्षित रखना चाहिए?

19/05/2024

सतलोक आश्रम का वो विहंगम दृश्य देख कर दंग रह जायेगे

10/05/2024

आखिर क्यों आना पड़ा संत रामपाल जी के शरण में 15 साल की भक्ती छोड़ कर

08/05/2024

आज हो जायेगा बागेश्वर वाले बाबा के सिद्धि का खुलासा

05/04/2024
05/03/2024

अयोध्या में संत रामपाल जी के भंडारे की चर्चा जन जन में

पवित्र हिन्दू शास्त्र VS हिन्दू(हे अर्जुन!) मैं, तू तथा ये राजा लोग पहले भी जन्में थे, आगे भी जन्मेंगे।(गीता अध्याय 2 श्...
06/02/2024

पवित्र हिन्दू शास्त्र VS हिन्दू
(हे अर्जुन!) मैं, तू तथा ये राजा लोग पहले भी जन्में थे, आगे भी जन्मेंगे।(गीता अध्याय 2 श्लोक 12)
इस प्रमाण से स्पष्ट है कि गीता ज्ञान दाता (श्री कृष्ण जी उर्फ़ श्री विष्णु जी) नाशवान है। उसकी जन्म-मृत्यु होती है।
आश्चर्य की बात है पवित्र गीता जी में यह प्रमाण होते हुए भी हिन्दू भाई गीता ज्ञान दाता को अविनाशी मानते हैं।
#पवित्रहिन्दूशास्त्रVSहिन्दू

19/01/2024

आज 17 जनवरी 2024 को सिक्ख समुदाय के दसवें गुरु कहे जाने वाले गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती है। इस दिन को प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। उनके संपूर्ण जीवन परिचय के बारे में तथा आज के समय में पूर्ण गुरु कौन है? जानने के लिए पढ़ें ये लेख: https://bit.ly/3C7r49o

SA News   | किस संत के अनुसार भक्ति करने से संचित कर्म समाप्त हो जाते हैं और साधक को पूर्णमोक्ष की प्राप्ति होती है?A. स...
19/01/2024

SA News | किस संत के अनुसार भक्ति करने से संचित कर्म समाप्त हो जाते हैं और साधक को पूर्णमोक्ष की प्राप्ति होती है?

A. संत रामपाल जी महाराज
B. श्री श्री रविशंकर जी
C. जग्गी वासुदेव जी
D. अनिरुद्धाचार्य जी

अपना उत्तर हमें कमेंट बॉक्स में बताएं

19/01/2024

हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
हमारे धर्म गुरु स्वर्ग से ऊपर कुछ जानते ही नहीं हैं
V/S
सूक्ष्मवेद में बताया है कि विश्व के सभी जीवात्मा परमशांति वाले सनातन परम धाम में उस परमात्मा के पास रहते थे जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है कि हे भारत! तू सर्वभाव से उस परमेश्वर की शरण में जा, उसकी कृपा से ही तू परमशांति को तथा (शाश्वतम् स्थानम्)सनातन परम धाम यानि सत्यलोक को प्राप्त होगा। जो 16 शंख कोस दूर है।
#हे_मेरी_कौम_के_हिंदुओं

#हिन्दू_भाई_संभलो



16/01/2024





😭

13/01/2024

( के आगे पढिए.....)
📖📖📖


हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 341-342

◆ ‘‘कबीर परमेश्वर वचन’’

◆ पारख के अंग की वाणी नं. 958-975 का सरलार्थ :- जिंदा रूप में परमेश्वर कबीर जी ने तर्क-वितर्क करके यथार्थ अध्यात्म ज्ञान समझाया। प्रश्न किया कि जो शालिगराम (मूर्तियाँ) लिए हुए हो, ये किस लोक से आए हैं? अड़सठ तीर्थ के स्नान व भ्रमण से किस लोक में साधक जाएगा? यह तत्काल बता। राम तथा कृष्ण कौन-से लोक में रहते हैं?
जिनको आप शालिगराम कहते हो, ये तो जड़ (निर्जीव) हैं। इनके सामने घंटा बजाने का कोई लाभ नहीं। ये न सुन सकते हैं, न बोल सकते हैं। ये तो पत्थर या अन्य धातु से बने हैं। हे धर्मदास! कहाँ भटक रहे हो? (निजपद निहकामी) सतलोक को (चीन्ह) पहचान। जिस परमेश्वर की शक्ति से प्रत्येक जीव बोलता है, हे धर्मदास! उसको नहीं जाना। चिदानंद परमेश्वर को पहचान। इन पत्थर व धातु को पटक दे। परमेश्वर कबीर जी जिंदा बाबा ने कहा कि हे धर्मदास! राम-कृष्ण तो करोड़ों जन्म लेकर मर लिए। (धनी) मालिक सदा से एक ही है। वह कभी नहीं मरता। आप विवेक से काम लो। ये आपके पत्थर व पीतल धातु के भगवानों को दरिया में छोड़कर देखो, डूब जाएँगे तो ये आपकी क्या मदद करेंगे? इनको मूर्तिकार ने काट-पीट, कूटकर इनकी छाती पर पैर रखकर (तरासा) काटकर रूप दिया।
इनका रचनहार तो कारीगर है। ये जगत के उत्पत्तिकर्ता व दुःख हरता कैसे हैं? ऐसी पूजा कौन करे? जिस परमेश्वर ने माता के गर्भ में रक्षा की, खान-पान दिया, सुरक्षित जन्म दिया,
उसकी भक्ति कर। यह पत्थर-पीतल तथा तीर्थ के जल की पूजा की (बोदी) कमजोर आशा त्याग दे। जिंदा बाबा ने कहा कि जो पूर्ण परमात्मा सब सृष्टि की रचना करके इससे भिन्न रहता है। अपनी शक्ति से सब ब्रह्माण्डों को चला व संभाल रहा है, उसका विचार कर।
उसका शरीर श्वांस से नहीं चलता। वह सबसे ऊपर के लोक में रहता है। आपकी समझ में नहीं आता है। उसकी शक्ति सर्वव्यापक है। उसका आश्रम (स्थाई स्थान) अधर-अधार यानि सबसे ऊपर है। वह अजर-अमर अविनाशी है।
धर्मदास जी ने कहा :-

◆ पारख के अंग की वाणी नं. 976-981 :-
बोलत है धर्मदास, सुनौं जिंदे मम बाणी।
कौन तुम्हारी जाति, कहांसैं आये प्राणी।।976।।
ये अचरज की बात, कही तैं मोसैं लीला।
नामा के पीया दूध, पत्थरसैं करी करीला।।977।।
नरसीला नित नाच, पत्थर के आगै रहते।
जाकी हूंडी झालि, सांवल जो शाह कहंते।।978।।
पत्थर सेयै रैंदास, दूध जिन बेगि पिलाया।
सुनौ जिंद जगदीश, कहां तुम ज्ञान सुनाया।।979।।
परमेश्वर प्रवानि, पत्थर नहीं कहिये जिंदा।
नामा की छांनि छिवाई, दइ देखो सर संधा।।980।।
दोहा-सिरगुण सेवा सार है, निरगुण सें नहीं नेह।
सुन जिंदे जगदीश तूं, हम शिक्षा क्या देह।।981।।

‘‘धर्मदास वचन’’

◆ पारख के अंग की वाणी नं. 976-981 का सरलार्थ :- धर्मदास जी कुछ नाराज होकर परमेश्वर से बोले कि हे (प्राणी) जीव! तेरी जाति क्या है? कहाँ से आया है? आपने मेरे से
बड़ी (अचरज) हैरान कर देने वाली बातें कही हैं, सुनो! नामदेव ने पत्थर के देव को दूध पिलाया। नरसी भक्त नित्य पत्थर के सामने नृत्य किया करता यानि पत्थर की मूर्ति की पूजा करता था। उसकी (हूंडी झाली) ड्रॉफ्ट कैश किया। वहाँ पर सांवल शाह कहलाया।
रविदास ने पत्थर की मूर्ति को दूध पिलाया। हे जिन्दा! तू यह क्या शिक्षा दे रहा है कि पत्थर की पूजा त्याग दो। ये मूर्ति परमेश्वर समान हैं। इनको पत्थर न कहो। नामदेव की छान
(झोंपड़ी की छत) छवाई (डाली)। देख ले परमेश्वर की लीला। हम तो सर्गुण (पत्थर की मूर्ति जो साक्षात आकार है) की पूजा सही मानते हैं। निर्गुण से हमारा लगाव नहीं है। हे जिन्दा! मुझे क्या शिक्षा दे रहा है?

◆ पारख के अंग की वाणी नं. 982-988 :-
बौलै जिंद कबीर, सुनौ बाणी धर्मदासा।
हम खालिक हम खलक, सकल हमरा प्रकाशा।।982।।
हमहीं से चंद्र अरू सूर, हमही से पानी और पवना।
हमही से धरणि आकाश, रहैं हम चौदह भवना।।983।।
हम रचे सब पाषान नदी यह सब खेल हमारा।
अचराचर चहुं खानि, बनी बिधि अठारा भारा।।984।।
हमही सृष्टि संजोग, बिजोग किया बोह भांती।
हमही आदि अनादि, हमैं अबिगत कै नाती।।985।।
हमही माया मूल, हमही हैं ब्रह्म उजागर।
हमही अधरि बसंत, हमहि हैं सुखकै सागर।।986।।
हमही से ब्रह्मा बिष्णु, ईश है कला हमारी।
हमही पद प्रवानि, कलप कोटि जुग तारी।।987।।
दोहा-हम साहिब सत्यपुरूष हैं, यह सब रूप हमार।
जिंद कहै धर्मदाससैं, शब्द सत्य घनसार।।988।।

‘‘परमेश्वर कबीर वचन’’

◆ पारख के अंग की वाणी नं. 982-988 का सरलार्थ :- हे धर्मदास! आपने जो भक्त बताए हैं, वे पूर्व जन्म के परमेश्वर के परम भक्त थे। सत्य साधना किया करते थे जिससे उनमें भक्ति-शक्ति जमा थी। किसी कारण से वे पार नहीं हो सके। उनको तुरंत मानव जन्म मिला। जहाँ उनका जन्म हुआ, उस क्षेत्रा में जो लोकवेद प्रचलित था, वे उसी के आधार से
साधना करने लगे। जब उनके ऊपर कोई आपत्ति आई तो उनकी इज्जत रखने व भक्ति तथा भगवान में आस्था मानव की बनाए रखने के लिए मैंने वह लीला की थी। मैं समर्थ परमेश्वर हूँ। यह सब सृष्टि मेरी रचना है। हम (खालिक) संसार के मालिक हैं। (खलक) संसार हमसे ही उत्पन्न है। हमने यानि मैंने अपनी शक्ति से चाँद, सूर्य, तारे, सब ग्रह तथा ब्रह्माण्ड उत्पन्न किए हैं। ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश की आत्मा की उत्पत्ति मैंने की है। हे धर्मदास! मैं सतपुरूष हूँ। यह सब मेरी आत्माएँ हैं जो जीव रूप में रह रहे हैं। यह सत्य वचन है।

धर्मदास जी ने अपनी शंका बताई। कहा कि :-
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 989-994 :-
बोलत हैं धर्मदास, सुनौं सरबंगी देवा। देखत पिण्ड अरू प्राण, कहौ तुम अलख अभेवा।।989।।
नाद बिंद की देह, शरीर है प्राण तुम्हारै। तुम बोलत बड़ बात, नहीं आवत दिल म्हारै।।990।।
खान पान अस्थान, देह में बोलत दीशं। कैसे अलख स्वरूप, भेद कहियो जगदीशं।।991।।
कैसैं रचे चंद अरू सूर, नदी गिरिबर पाषानां।
कैसैं पानी पवन, धरनि पृथ्वी असमानां।।992।।
कैसैं सष्टि संजोग, बिजोग करैं किस भांती।
कौन कला करतार, कौन बिधि अबिगत नांती।। 993।।
दोहा-कैसैं घटि घटि रम रहे, किस बिधि रहौ नियार।
कैसैं धरती पर चलौ, कैसैं अधर अधार।।994।।

क्रमशः_______________
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry

Address

Khalilabad
272175

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Real Gyan posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Real Gyan:

Videos

Share

Category


Other Video Creators in Khalilabad

Show All

You may also like