sweta darpan hindi news paper

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झारखंड में आदिवासियों की आबादी कम हो रही है. इसे रोकने के लिए गैस के सिलेंडर पर वोट दीजिए, हम घुसपैठ भी रोकेंगे और झारखं...
11/11/2024

झारखंड में आदिवासियों की आबादी कम हो रही है. इसे रोकने के लिए गैस के सिलेंडर पर वोट दीजिए, हम घुसपैठ भी रोकेंगे और झारखंड का विकास भी करेंगे. कहा कि जैसे ही आप गैस के सिलेंडर पर वोट डालेंगे, वो वोट सीधे मोदीजी के पास चला जाएगा.

*★  "बटेंगे तो कटेंगे"  ★* इस पर अलग-अलग तरीके से खूब चर्चा हो रही है कुछ लोगों को यह नारा नकारात्मक भी लग रहा है,लेकिनञ...
11/11/2024

*★ "बटेंगे तो कटेंगे" ★*
इस पर अलग-अलग तरीके से खूब चर्चा हो रही है कुछ लोगों को यह नारा नकारात्मक भी लग रहा है,लेकिनञहर कालखंड में हिन्दुओं कोञएक करने के लिए यह होता रहा है शब्द बदलते हैं, लेकिन भाव हिन्दू एकता का ही है.यही भाव भारत के चारों कोनों मे चार पीठों की स्थापना करने के पीछे आदि शंकर का भी था यही भाव स्वामी विवेकानंद के"गर्व से कहो हम हिन्दू हैं"* में था हिन्दुओं को जोड़ने का यही भाव मन में लेकर डॉक्टर हेडगेवार ने "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ" की स्थापना की थी.भारत के किसी भी कोने के किसी भी धर्मस्थल पर जाते यही भाव प्रबल दिखता है.इस भाव से ह फ्रॉड सेक्युलर जमात को डर लगता है.बटेंगे तो कटेंगे गर्व से कहो हम हिंदू है.
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10/11/2024

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*सीताराम*जय वीर हनुमान**शास्त्रों मे हर देवता के लिए भिन्न -भिन्न दीपक जलाने का विधान है। जानिए ! किस देवता के लिए कौन स...
10/11/2024

*सीताराम*जय वीर हनुमान*

*शास्त्रों मे हर देवता के लिए भिन्न -भिन्न दीपक जलाने का विधान है। जानिए ! किस देवता के लिए कौन सा दीपक जलाना चाहिए ।*

किस देवता या ग्रह के लिए कौन सा दीपक जलाएं ?

जब हम किसी देवता का पूजन करते हैं। तो सामान्यतः दीपक जलाते हैं। दीपक किसी भी पूजा का महत्त्वपूर्ण अंग है। हमारे मस्तिष्क में सामान्यतया घी अथवा तेल का दीपक जलाने की बात आती है। और हम जलाते हैं। जब हम धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं की साधना अथवा सिद्धि के मार्ग पर चलते हैं। तो दीपक का महत्व विशिष्ट हो जाता है। दीपक कैसा हो, उसमे कितनी बत्तियां हों , इसका भी एक विशेष महत्त्व है। उसमें जलने वाला तेल व घी किस-किस प्रकार का हो, इसका भी विशेष महत्त्व है। उस देवता की कृपा प्राप्त करने और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए ये सभी बातें महत्वपूर्ण हैं।

1. हमें आर्थिक लाभ प्राप्त करना हो तो नियम पूर्वक अपने घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।

हमें शत्रुओं से पीड़ा हो तो सरसों के तेल का दीपक भैरव जी के सामने जलाना चाहिये।

भगवान सूर्य की प्रसन्नता के लिए घी का दीपक जलाना चाहिए ।

शनि के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

पति की दीर्घायु के लिए गिलोय के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

राहु तथा केतु ग्रह के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

किसी भी देवी या देवता की पूजा में गाय का शुद्ध घी तथा एक फूल बत्ती या तिल के तेल का दीपक आवश्यक रूप से जलाना चाहिए।

भगवती जगदंबा व दुर्गा देवी की आराधना के समय एवं माता सरस्वती की आराधना के समय तथा शिक्षा-प्राप्ति के लिए दो मुखों वाला दीपक जलाना चाहिए।

भगवान गणेश की कृपा-प्राप्ति के लिए तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलाना चाहिए।

भैरव साधना के लिए सरसों के तेल का चैमुखी दीपक जलाना चाहिए।

मुकदमा जीतने के लिए पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।

भगवान कार्तिकेय की प्रसन्नता के लिए गाय के शुद्ध घी या पीली सरसों के तेल का पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए ।

*भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए आठ तथा बारह मुखी दीपक पीली सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।*

*भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए सोलह बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए।*

*लक्ष्मी जी की प्रसन्नता के लिए घी का सात मुखी दीपक जलाना चाहिए।*

*भगवान विष्णु की दशावतार आराधना के समय दस मुखी दीपक जलाना चाहिए।*

इष्ट-सिद्धि तथा ज्ञान-प्राप्ति के लिए गहरा तथा गोल दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।

*शत्रुनाश तथा आपत्ति निवारण के लिए मध्य में से ऊपर उठा हुआ दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।*

*लक्ष्मी-प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य गहरा होना चाहिए।*

*हनुमानजी की प्रसन्नता के लिए तिकोने दीपक का प्रयोग करना चाहिए और उसमें चमेली के तेल का प्रयोग करना चाहिए।*

दीपक कई प्रकार के हो सकते हैं। जैसे मिट्टी, आटा, तांबा, चांदी, लोहा, पीतल अथवा स्वर्ण धातु का। मूंग, चावल, गेहूं, उड़द तथा ज्वार को समान भाग में लेकर उसके आटे से बना दीपक सभी प्रकार की साधनाओं में श्रेष्ठ होता है। किसी-किसी साधना में अखंड ज्योति जलाने का भी विशेष विधान है। जिसे गाय के शुद्ध घी और तिल के तेल के साथ भी जलाया जा सकता है। यह प्रयोग विशेषत: आश्रमों और देव स्थानों के लिए करना चाहिए।

*अगर हमें आर्थिक लाभ प्राप्त करना हो तो नियम पूर्वक अपने घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।*

रेप और गुप्तांग में बैंगन : क्या आप भी पसंद करते हैं मुल्लों ,मौलवियों से झाड़ फूंक करवाना तो समझ लीजिए कि आपके साथ क्या...
10/11/2024

रेप और गुप्तांग में बैंगन : क्या आप भी पसंद करते हैं मुल्लों ,मौलवियों से झाड़ फूंक करवाना तो समझ लीजिए कि आपके साथ क्या हो सकता है

मौलवी इरशाद, पीड़ित महिला के इलाज के नाम पर उसका कर दिया बलात्कार, जिन आदि के नाम से डराकर मिटाई अपनी हवस की प्यास। हवस_के_मौलवी का ये कोई पहला किस्सा नहीं है, ऐसे अनेकों कारनामे पहले भी सामने आ चुके हैं जब मौलवियों ने इलाज के नाम पर महिलाओं को अपना शिकार बनाया है वैसे मदरसों के भी कई दीनी तालीम देने वालों ने ऐसे कार्य किए हुए हैं। जैसी मानसिकता वैसे ही तो कांड करेंगे!

इस प्रकार की घटनाएं दुखद तो है लेकिन समाज के अन्य लोगों के लिए एक प्रकार से सावधान रहने के संकेत हैं। ऐसी अनेकों घटनाओं के सामने आने के बाद भी यदि कोई इन हवस के मौलवियों का शिकार होता है तो कहीं ना कहीं गलती पीड़ित पक्ष की भी हो जाती है कि वह उनके पास शिकार होने पहुंच जाता है।

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में मौलवी इरशाद ने मंगलवार (5 नवंबर 2024) को एक महिला को जिन्न का डर दिखाकर उसके साथ रेप किया। दिल्ली की रहने वाली पीड़िता बीमारी का इलाज कराने के लिए मौलवी के पास गई थी। मौलवी ने जिन्न का डर दिखाकर कहा कि वह अंधा हो जाएगी। उसके बाद उसके साथ रेप और अप्राकृतिक रूप से कुकर्म किया। मौलवी इरशाद फरार है।

यह मामला मुज़फ्फरनगर के थाना क्षेत्र सिविल लाइंस का है। यहाँ बुधवार (6 नवंबर) को एक महिला ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत में महिला ने बताया कि वह बीमार रहती थी। बीमारी का इलाज के लिए वह अपनी बहन के साथ 5 नवंबर को मुज़फ्फरनगर आई थी। यहाँ के सिविल लाइंस इलाके में रहने वाला मौलवी इरशाद झाड़-फूँक और रूहानी ताकतों से इलाज का दावा करता था।

महिला ने कहा कि वह इरशाद के झाँसे में आ गई और इलाज के लिए उसके घर पहुँच गई। वहाँ मौलवी इरशाद ने महिला से कहा कि उसे जो समस्या है उसे वह अकेले में बताना चाहता है। उसे वह उसकी बहन के सामने नहीं बता सकता। इसके बाद मौलवी ने उसे अकेले आने के लिए कहा। उसी शाम 4 बजे पीड़िता मौलवी के पास अकेले पहुँची। तब इरशाद ने उसे जिन्न आने की बाते कहकर डराया।

पीड़िता को मौलवी ने बताया कि उस पर जिन्नात आते हैं, वे सभी उसके साथ गलत करेंगे। इतना सुनकर महिला डर गई। झाड़-फूँक के दौरान मौलवी इरशाद ने महिला को पीने के लिए पानी दिया। इस पानी में कुछ डाला गया था। कुछ देर बाद मौलवी इरशाद ने पीड़िता के कपड़े उतारने शुरू किए तो पीड़ता ने इसका विरोध किया। इस पर मौलवी ने कहा कि उसके आँखों की रौशनी चली जाएगी।

अंत में पीड़िता को निर्वस्त्र करके मौलवी इरशाद ने रेप किया। पीड़िता ने बताया कि मौलवी ने उसके गुप्तांग में बैगन भी डाला। आखिर में मौलवी ने पीड़िता को कहा कि यह बात वह किसी को ना बताए। मौलवी पीड़िता को लेकर बस अड्डा गया और वहाँ उसे जबरन बस में बैठाने लगा। पीड़िता ने वहीं से 112 नंबर डायल करके पुलिस बुलाई। इसके बाद थाने जाकर शादीशुदा पीड़िता ने तहरीर दी।

तहरीर के आधार पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64 और 351 (2) के तहत FIR दर्ज कर ली। FIR में मौलवी इरशाद को नामजद किया गया है। शिकायत की कॉपी ऑपइंडिया के पास मौजूद है। अपने ऊपर केस दर्ज होने की सूचना मिलते ही इरशाद फरार हो गया है। पुलिस टीमें मौलवी की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रहीं हैं।

जो लोग भगवान को निरंतर याद करते हैंणभगवान हमेशा उनके साथ रहते हैं. एक बार नारद मुनि ने श्रीहरि से पूछा ~आपका सबसे प्रिय ...
10/11/2024

जो लोग भगवान को निरंतर याद करते हैंणभगवान हमेशा
उनके साथ रहते हैं.

एक बार नारद मुनि ने श्रीहरि से पूछा ~आपका सबसे प्रिय भक्त कौन है ? श्रीहरि समझ गए कि ~ नारद को अपनी भक्ति का गुमान हो गया है.श्रीहरि बोले ~ मेरा सबसे प्रिय भक्त शिवपुर गाँव का एक किसान है.नारद मुनि थोड़े निराश हुए, और प्रभु से पूछा ~ ऐसा क्या है, जो वह आपका सर्वाधिक प्रिय भक्त है.श्रीहरि ने नारद से कहा ~ आप एक पूरा दिन मेरे भक्त के साथ व्यतीत करें, और फिर बतायें.नारद सुबह-सवेरे किसान के घर पहुँच गए.किसान जागा.सबसे पहले उसने अपने जानवरों को चारा दिया.दैनिक कार्यो से निवृत होकर जल्दी-जल्दी भगवान का नाम लिया.कुछ खाकर खेतों पर चला गया, और सारा दिन किसानी करी.
शाम को घर आया.जानवरों को चारा डाला.फ़िर थोड़ी देर भगवान का नाम लिया.परिवार के साथ भोजन किया, और
भगवान को प्रणाम कर सो गया.नारद अचरज में थे.वह भगवान विष्णु के पास आए, और बोले ~ भगवन् ! मैं सारा दिन उस किसान के संग रहा, लेकिन वह तो विधि पूर्वक आपका नाम भी नहीं लेता उसने तो बस थोड़ी देर सुबह,थोड़ी देर शाम को जल्दबाजी में आपका ध्यान किया.मैं तो चौबीस घंटे सिर्फ़ आपका ही नाम भजता हूँ,फिर भी वही आपका सबसे प्रिय भक्त क्यों है ? यह तो मेरे साथ अन्याय है.श्रीहरि ने अमृत से भरा एक कलश नारद को दिया और कहा ~ इस कलश को लेकर तीनों लोकों की परिक्रमा करके आइए, लेकिन ध्यान रहे .अगर एक बूंद अमृत भी नीचे गिरा तो आपके सारे पुण्य नष्ट हो जायेंगे.नारद तीनों लोको की परिक्रमा कर प्रभु के पास लौटे और बताया कि एक बूंद भी अमृत छलकने नहीं दिया.प्रभु ने पूछा ~ इस दौरान आपने मेरा स्मरण कितनी बार किया ? नारद बोले ~ मेरा सारा ध्यान तो अमृत कलश पर था, इसलिए आपका ध्यान नहीं कर पाया.भगवान विष्णु बोले ~ हे नारद उस किसान को देखो, जो अपना कर्म करते हुए भी नियमित रुप से मेरा स्मरण करता है.जो अपना कर्म करते हुए भी मेरा जप करे वही मेरा सब से प्रिय भक्त है.आप तो खाली बैठे ही जप करते हो.जब आपको कार्य दिया, तो मेरे स्मरण की सुध नहीं रही.नारद सब समझ गए.भगवान के चरण पकड़कर क्षमा माँगी.दु:ख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोय !जो सुख में सुमिरन करे, तो .दु:ख काहे को होय !!

रुदाली गैंग के इस खेल को पहचान गये तो आपको समझने में आसानी होगी।इतने दिन कह रहे थे, वाजपेयी जी अच्छे हैं लेकिन मोदी ताना...
10/11/2024

रुदाली गैंग के इस खेल को पहचान गये तो आपको समझने में आसानी होगी।इतने दिन कह रहे थे, वाजपेयी जी अच्छे हैं लेकिन मोदी तानाशाह है।बहुत जल्दी इनकी यह टोन बदलने वाली है। जब वे कहेंगे मोदीजी अच्छे हैं, योगीजी तानाशाह है।
भारत का कथित बुद्धिजीवी वर्ग हमेशा इसी दुविधा में जिया है। ये हिंदुत्व के वर्तमान नेतृत्व को हमेशा कोसते है और उसके मन में अपराध बोध भरते हैं। इसके लिए वे पिछले से तुलना करेंगे और उसे सही बताएंगे।

यह लोकमान्य तिलक के समय से हो रहा है।
गोखले अच्छे, तिलक खराब।
तिलक अच्छे, गांधी खराब।
गांधी अच्छे, सावरकर खराब।
सावरकर अच्छे, श्यामाप्रसाद मुखर्जी खराब।
मुखर्जी अच्छे वाजपेयी खराब।
और अब बहुत जल्दी नरेंद्र मोदी भी अच्छे, साफसुथरे, लिबरल, समझदार और मानवतावादी बनने वाले है।
उसके मुकाबले योगीजी पर तीर चलाये जाएंगे।
भारतीय बुद्धिजीवी वर्ग कभी वर्तमान में नहीं जीता।
अभी जब ट्रम्प दूसरी बार जीते, इन्होंने वे सब शरारतें शुरू कर दी है। आलेख लिखकर यह बताया जा रहा है कि डार्क युग की वापसी हो रही है। उफ्फ हर दिन एक नया ज़ख्म!
एक अमेरिकी ट्विटर यूजर ने इन्हें सलाह दी है कि "भई! तुम लोग एक लिस्ट बना दो कि ट्रम्प के जीतने पर क्या क्या होगा?
एक महीने में, 6 महीने में, एक साल में, आपकी जो जो आशंकाएं है, उन्हें पहले ही एक जगह लिख दीजिए और हर माह उसे पढ़ते रहिये, आपको स्वयं को पता चल जाएगा कि आप बुद्धिमान होने के भ्रम में कितने दूर चले गए हो?"
फिलहाल क्लिप कटुआ, ध्रुव, बरखा, यो या सलीम, सरदेसाई इत्यादि की रुदन मंडली अपना हिसाब लगा सकती है।

किस राशि के लोग बन सकते हैं परफेक्ट पार्टनर और किससे बिगड़ सकता है रिश्ता**************************************ज्योतिष क...
10/11/2024

किस राशि के लोग बन सकते हैं परफेक्ट पार्टनर और किससे बिगड़ सकता है रिश्ता
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ज्योतिष के अनुसार, विपरीत या शत्रु राशि के जातक से विवाह होने पर दांपत्य जीवन में मदभेद होते हैं, इसलिए ज्योतिष राशियों के मिलान पर जोर देते हैं, जिससे कि जीवनसाथी एक-दूसरे के साथ प्रेमपूर्वक रहें और सुखमय वैवाहिक जीवन व्यतीत करें।

विपरीत या शत्रु राशि के साथ शादी करने से वैवाहिक जीवन बन सकता है क्लेश।
मीन राशि के लिए मेष और वृश्चिक राशि के पार्टनर होते हैं बेहतर।
वृष, कन्या व मकर के लिए मिथुन, तुला व कुंभ राशि वाले होते हैं शत्रु।

शादी-विवाह को लेकर बड़े-बुजुर्गों से हम अक्सर ये सुनते आए हैं कि जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं और इन्हें धरती पर मिलना होता है। साथ ही जिस व्यक्ति के साथ आपका विवाह होता है, उससे आपका रिश्ता केवल इस जन्म नहीं, बल्कि अगले सात जन्मों के लिए बंध जाता है। लेकिन, कई बार ऐसा होता है वैवाहिक जीवन में इतने मदभेद और कड़वाहट आ जाते हैं कि रिश्ता इस जन्म में भी नहीं टिक पाता, इसलिए ज्योतिष हमेशा ही जीवनसाथी के लिए राशियों के मिलान पर जोर देते हैं। फिर चाहे वह लव मैरिज हो या अरेंज मैरिज। यदि आपने शत्रु या विपरीत राशि के जातक से शादी कर ली तो आपका वैवाहिक जीवन बर्बाद हो सकता है।

किसके लिए कौन सी राशि है परफेक्ट
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मेष- मेष राशि के जातकों के तुला राशि के जीवनसाथी सबसे परफेक्ट होते हैं।
वृष-वृष के लिए वृश्चिक राशि सबसे लकी मानी जाती है।
मिथुन- मिथुन राशि के जातकों को वृष, तुला और सिंह राशि का पार्टनर चुनना चाहिए।
कर्क- ज्योतिष के अनुसार इस राशि के लिए सिंह, मेष और धनु राशि के जीवनसाथी बेस्ट होते हैं।
सिंह- सिंह राशि के जातक यदि कर्क, मेष, वृश्चिक, धनु और मीन राशि को पार्टनर बनाते हैं इसका वैवाहिक जीवन शांतिपूर्ण होता है।
कन्या- कन्या राशि के लिए वृष राशि के पार्टनर सबसे अच्छे होते है। दोनों राशियों के बीच खूब सामंज्य होता है।
तुला- इस राशि के लिए जातकों के लिए मेष, मिथुन, कन्‍या और मकर राशि के पार्टनर लकी होते हैं।
वृश्चिक- वृश्चिक राशि के जातकों का वैवाहिक जीवन वृष, धनु और मीन राशि के पार्टनर के साथ सफल होता है।
धनु- सिंह और मेष राशि के पार्टनर धनु राशि के लिए बेहतर साबित होते हैं।
मकर– मकर राशि के लिए कर्क, तुला और वृष राशि के जीवनसाथी सबसे अच्छे होते हैं।
कुंभ- सिंह और वृष राशि के पार्टनर कुंभ राश के जातकों के लिए बेस्‍ट साबित होते हैं।
मीन- मीन राशि वाले जातकों के लिए मेष और वृश्चिक राशि के पार्टनर बेहतर होते हैं।

जानें किस राशि से हो सकती है आपकी शत्रुता
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मेष, सिंह व धनु राशि- मेष, सिंह व धनु राशियों के कर्क, वृश्चिक और मीन राशियों से शत्रुता रहती है. ये अगर जीवनसाथी बन जाए तो जीवनभर एक दूसरे से असंतुष्ट रहते हैं।
वृष, कन्या व मकर राशि- इस राशि के जातकों की मिथुन, तुला व कुंभ वालों के साथ शत्रुता रहती है।
मिथुन, तुला व कुंभ राशि- ये राशियां सभी के साथ मित्रता निभा सकती है लेकिन वृष, कन्या व मकर राशि वालों के साथ इनकी खूब शत्रुता होती है।
कर्क, वृश्चिक व मीन राशि- इन राशियों का मेष, सिंह व धनु राशि वालों जातकों से शत्रुता रहती है।

*आतंकवादी औरंगजेब और महाराणा प्रताप के वंशजों में एक छोटा सा अंतर समझिए*👇🏼*फोटो 1* :- हैंड पंप से पानी भरती ये महिला बाब...
10/11/2024

*आतंकवादी औरंगजेब और महाराणा प्रताप के वंशजों में एक छोटा सा अंतर समझिए*👇🏼
*फोटो 1* :-
हैंड पंप से पानी भरती ये महिला बाबर, हुमायूँ, अकबर और औरंगजेब के वंश की आखिरी औलाद सुल्ताना बेगम* हैं।

हावड़ा स्टेशन के करीब झोपड़पट्टी में परिवार सहित रहती हैं इंडियन_एक्सप्रेस के शिवनाथ झा की किताब, "लास्ट मुगल" में दर्ज है इनका हाल।

*फोटो 2* :-
दूसरी तस्वीर महाराणा प्रताप के वंशज लक्ष्या राज सिंह मेवाड़ है
महाराणा प्रताप ने मुगलों से कभी समझौता नहीं किया वह जंगल जंगल भटकते रहे घास की रोटियां खाई लेकिन कभी समर्पण नहीं किया

आज उनके वंशज लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ शान से उदयपुर के अपने राजमहल में रहते हैं उनके पास 12 होटल की एक चेन है जो भारत के सबसे महंगे होटलों में गिनती होती है इसके अलावा वह BJP के नेता भी हैं

कुकर्म और वक्त किसी को नहीं छोड़ते वक्त बड़ा बेरहम होता है, सबको सजा देता है

*पुरखों के कर्मों का फल वंशजों को भोगना ही पड़ता है बेशक वह अच्छा या बुरा क्यों ना हो*
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अपना संस्कार" , संस्कारों का महत्व, संस्कारों के निर्माण के तत्व"अपना संस्कार" एक गहरा और महत्वपूर्ण विषय है, जो हमारे ज...
10/11/2024

अपना संस्कार" , संस्कारों का महत्व, संस्कारों के निर्माण के तत्व

"अपना संस्कार" एक गहरा और महत्वपूर्ण विषय है, जो हमारे जीवन के नैतिक, सामाजिक और व्यक्तिगत पहलुओं को प्रभावित करता है। संस्कार उन मूल्यों, आदतों और व्यवहारों का समूह हैं जो हमें हमारे परिवार, समाज और संस्कृति से मिलते हैं।

संस्कारों का महत्व

1. नैतिक शिक्षा: संस्कार हमें सही और गलत का ज्ञान देते हैं। ये हमारी नैतिकता का आधार बनाते हैं और हमें जीवन में सही निर्णय लेने में मदद करते हैं।

2. सामाजिक व्यवहार: संस्कारों के माध्यम से हम समाज में कैसे व्यवहार करें, यह सीखते हैं। ये हमें सम्मान, सहयोग और सहिष्णुता का महत्व सिखाते हैं।

3. पारिवारिक संबंध: संस्कार पारिवारिक मूल्यों को सुदृढ़ करते हैं। अच्छे संस्कारों वाले व्यक्ति अपने परिवार के प्रति जिम्मेदार और समर्पित होते हैं।

4. स्वास्थ्य और खुशहाली: सकारात्मक संस्कार हमें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की दिशा में आगे बढ़ाते हैं। ये हमें तनाव प्रबंधन और खुश रहने के तरीके सिखाते हैं।

5. आत्म-विश्वास: जब हम अपने संस्कारों पर गर्व करते हैं, तो यह हमारे आत्म-विश्वास को बढ़ाता है। हमें अपने विचारों और कार्यों में स्थिरता मिलती है।

संस्कारों के निर्माण के तत्व

1. शिक्षा: अच्छी शिक्षा से संस्कारों का विकास होता है। यह न केवल विद्यालयों में, बल्कि घर पर भी होना चाहिए।

2. परिवार का वातावरण: एक सकारात्मक और स्नेही पारिवारिक वातावरण संस्कारों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

3. समाज और संस्कृति: समाज में जो भी आदर्श हैं, वे भी संस्कारों के विकास में योगदान करते हैं। संस्कृतिक गतिविधियाँ और उत्सव भी इस प्रक्रिया को प्रोत्साहित करते हैं।

4. व्यक्तिगत प्रयास: अंततः, अपने संस्कारों को विकसित करने के लिए व्यक्तिगत प्रयास आवश्यक हैं। आत्म-विश्लेषण और सुधार की इच्छा होना जरूरी है।

निष्कर्ष

"अपना संस्कार" हमारे जीवन की दिशा निर्धारित करता है। यह हमें एक अच्छे इंसान बनने, समाज में योगदान देने और खुशहाल जीवन जीने में मदद करता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि हम अपने संस्कारों का सम्मान करें और उन्हें सहेजकर रखें।

नोट :- भले आप कितनो पढ़ लिख कर विद्वान बन जाओ लेकिन अपना संस्कार नहीं भूलना चाहिए।

PM Modi Mega Road Show: झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर पीएम मोदी ने रविवार को प्रदेश का दौरा किया. पीएम मोदी ने पहले बोका...
10/11/2024

PM Modi Mega Road Show: झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर पीएम मोदी ने रविवार को प्रदेश का दौरा किया. पीएम मोदी ने पहले बोकारो फिर गुमला में एक-एक जनसभा की. इस दौरान उन्होंने लोगों से बीजेपी के पक्ष में वोट की अपील की. पीएम मोदी ने रविवार शाम को राजधानी रांची में एक मेगा रोड शो भी किया. पीएम मोदी के रोड शो बड़ी संख्या में भीड़ जुटी. लोगों ने सड़क के दोनों ओर खड़े होकर पीएम मोदी का स्वागत किया. जवाब में पीएम मोदी ने भी हाथ हिलाकर सबका अभिवादन किया.

बचपन से ये फोटो देखते आए हो न ...कौन है नाम बता सकते हो....?? ....नहीं न......!!ये है भाई मतिदास जिन्हें आज ही के दिन 9 ...
10/11/2024

बचपन से ये फोटो देखते आए हो न ...कौन है नाम बता सकते हो....?? ....नहीं न......!!
ये है भाई मतिदास जिन्हें आज ही के दिन 9 नवंबर को आरी से चीर दिया गया था क्यों कि उन्होंने धर्मांतरण यानी मुस्लमान बनने से इनकार कर दिया था

भाई मती दास, भाई दयाला और भाई सती दास को गुरु तेग बहादुर की शहादत से ठीक पहले बादशाह औरंगजेब के आदेश के तहत दिल्ली के चांदनी चौक क्षेत्र में मार दिया गया था ।

भाई मती दास को दो खंभों के बीच बांधकर और दो टुकड़ों में काटकर मार डाला गया था।

आज औरंगजेब महान है उसके नाम शहर ओर सड़के है कांग्रेस और उसके सहयोगी औरंगजेब की कब्र पर सजदा कर रहे है

ओर मतिदास....?? कोई नाम भी नहीं ले रहा ...?

मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने मंदिर और गुरुद्वारों को तोड़ने और मूर्ती पूजा बंद करवाने के फरमान दिए थे, उसके आदेश के अनुसार कितने ही मंदिर और गुरूद्वारे तोड़े गए ,
मंदिरों की मूर्तियों को तोड़ कर टुकड़े कर दिए गए और मंदिरों में गायें काटीं गयीं ,

औरंगज़ेब ने सबको इस्लाम अपनाने का आदेश दे दिया और संबंधित अधिकारी को यह कार्य सौंप दिया। औरंगजेब ने यह हुक्म दिया कि किसी हिन्दू को राज्य के कार्य में किसी उच्च स्थान पर नियत न किया जाये तथा हिन्दुओं पर जजिया (कर) लगा दिया जाय

उस समय अनेकों नये कर केवल हिन्दुओं पर लगाये गये। इस भय से अनेकों हिन्दू मुसलमान हो गये। हिन्दुओं के पूजा-आरती आदि सभी धार्मिक कार्य बंद होने लगे

मंदिर गिराये गये, मसजिदें बनवायी गयीं और अनेकों धर्मात्मा मरवा दिये गये। उसी समय की उक्ति है कि ‘सवा मन यज्ञोपवीत रोजाना उतरवा कर औरंगजेब रोटी खाता था

औरंगज़ेब ने कहा -सबसे कह दो या तो इस्लाम धर्म कबूल करें या मौत को गले लगा लें

जब गुरु तेगबहादुर ने इस्लाम धर्म स्वीकार करने से मना कर दिया तो उनको औरंगजेब के हुक्म से गिरफ्तार कर लिया गया था। गुरुजी के साथ तीन सिख वीर दयाला जी, भाई मतीदास और सतीदास भी दिल्ली में कैद थे। औरंगजेब चाहता था कि गुरुजी मुसलमान बन जायें। उन्हें डराने के लिए इन तीनों को तड़पा-तड़पा कर मारा गया; पर गुरुजी विचलित नहीं हुए।

औरंगजेब ने सबसे पहले 9 नवम्बर, 1675 को भाई मतिदास को आरे से दो भागों में चीरने को कहा। लकड़ी के दो बड़े तख्तों में जकड़कर उनके सिर पर आरा चलाया जाने लगा। जब आरा दो तीन इंच तक सिर में धंस गया, तो काजी ने उनसे कहा -मतिदास, अब भी इस्लाम स्वीकार कर ले। शाही जर्राह तेरे घाव ठीक कर देगा। तुझे दरबार में ऊँचा पद दिया जाएगा और तेरी पाँच शादियाँ कर दी जायेंगी।

भाई मतिदास ने व्यंग्यपूर्वक पूछा – काजी, यदि मैं इस्लाम मान लूँ, तो क्या मेरी कभी मृत्यु नहीं होगी ? काजी ने कहा कि यह कैसे सम्भव है। जो धरती पर आया है, उसे मरना तो है ही। भाई जी ने हँसकर कहा – यदि तुम्हारा इस्लाम मजहब मुझे मौत से नहीं बचा सकता, तो फिर मैं अपने पवित्र हिन्दू धर्म में रहकर ही मृत्यु का वरण क्यों न करूँ ?

उन्होंने जल्लाद से कहा कि अपना आरा तेज चलाओ, जिससे मैं शीघ्र अपने प्रभु के धाम पहुँच सकूँ। यह कहकर वे ठहाका मार कर हँसने लगे। काजी ने कहा कि वह मृत्यु के भय पागल हो गया है। भाई जी ने कहा – मैं डरा नहीं हूँ। मुझे प्रसन्नता है कि मैं धर्म पर स्थिर हूँ। जो धर्म पर अडिग रहता है, उसके मुख पर लाली रहती है; पर जो धर्म से विमुख हो जाता है, उसका मुँह काला हो जाता है।कुछ ही देर में उनके शरीर के दो टुकड़े हो गये। अगले दिन 10 नवम्बर को उनके छोटे भाई सतिदास को रुई में लपेटकर जला दिया गया। भाई दयाला को पानी में उबालकर मारा गया।

ग्राम करयाला, जिला झेलम (वर्त्तमान पाकिस्तान) निवासी भाई मतिदास एवं सतिदास के पूर्वजों का सिख इतिहास में विशेष स्थान है। उनके परदादा भाई परागा जी छठे गुरु हरगोविन्द के सेनापति थे। उन्होंने मुगलों के विरुद्ध युद्ध में ही अपने प्राण त्यागे थे। उनके समर्पण को देखकर गुरुओं ने उनके परिवार को ‘भाई’ की उपाधि दी थी। भाई मतिदास के एकमात्र पुत्र मुकुन्द राय का भी चमकौर के युद्ध में बलिदान हुआ था।

भाई मतिदास के भतीजे साहबचन्द और धर्मचन्द गुरु गोविन्दसिंह के दीवान थे। साहबचन्द ने व्यास नदी पर हुए युद्ध में तथा उनके पुत्र गुरुबख्श सिंह ने अहमदशाह अब्दाली के अमृतसर में हरिमन्दिर पर हुए हमले के समय उसकी रक्षार्थ प्राण दिये थे। इसी वंश के क्रान्तिकारी भाई बालमुकुन्द ने 8 मई, 1915 को केवल 26 वर्ष की आयु में फाँसी पायी थी। उनकी साध्वी पत्नी रामरखी ने पति की फाँसी के समय घर पर ही देह त्याग दी।

लाहौर में भगतसिंह आदि सैकड़ों क्रान्तिकारियों को प्रेरणा देने वाले भाई परमानन्द भी इसी वंश के तेजस्वी नक्षत्र थे। किसी ने ठीक ही कहा है –

सूरा सो पहचानिये, जो लड़े दीन के हेत
पुरजा-पुरजा कट मरे, तऊँ न छाड़त खेत।।
🙏🙏

प्रधानमंत्री ने कहा कि झारखंड की हमारी बहन-बेटियों का जीवन आसान हो, यह मेरी प्राथमिकता है. सरकार की योजनाओं से बहनों को ...
10/11/2024

प्रधानमंत्री ने कहा कि झारखंड की हमारी बहन-बेटियों का जीवन आसान हो, यह मेरी प्राथमिकता है. सरकार की योजनाओं से बहनों को शौचालय मिले, बैंक में खाते खुलें, गर्भावस्था के दौरान सीधे उनके अकाउंट में पैसे पहुंचते हैं. अब झारखंड भाजपा आपके लिए ‘गोगो दीदी’ योजना लेकर आई है. सरकार बनने के बाद ‘गोगो दीदी’ योजना शुरू हो जाएगी.

Waqf का अतिक्रमण हुआ तेज, क्या है षड्यंत्र और क्या ये सफल हो जाएंगे...?! अभी अचानक देश भर में, विशेषतः खानग्रेस-शासित रा...
10/11/2024

Waqf का अतिक्रमण हुआ तेज, क्या है षड्यंत्र और क्या ये सफल हो जाएंगे...?!

अभी अचानक देश भर में, विशेषतः खानग्रेस-शासित राज्यों में, वक्फ बोर्ड की ओर से हज़ारों एकड़ कृषिभूमि, मन्दिर, अस्पताल, पुरातात्विक महत्त्व के स्थान, इतना ही नहीं, संसद भवन और हवाई अड्डों पर तक दावें क्यों प्रस्तुत किये जा रहे ..?सम्भवतः वक्फ बोर्डों के कर्ताधर्ता इस प्रकार कोई बड़ा षड्यन्त्र रचने का भ्रम पाल रहे हैं..!

अभी "वक्फ अधिनियम संशोधन" पर कार्यरत "संयुक्त संसदीय समिति" सभी राज्यों में घूम कर जिस गति से उक्त संशोधन के पक्ष-विपक्ष के तर्क एवं सुझावों को सुनती जा रही है, उससे इतना तो निश्चित है कि संसद के अगले सत्र में "वक्फ अधिनियम" के प्रस्तावित संशोधनों को पारित कर लिया जायेगा...

और इसीलिये वक्फ संपत्तियों से सम्बन्धित अधिक से अधिक वाद खड़े कर उन्हें दीर्घ काल तक न्यायालयीन प्रक्रिया में उलझाये रखने की कुटिल चाल चली जा रही है..! तब मोदी-शहा की जोड़ी उस समस्या को कैसे सुलझाती है, इसे देखना बड़ा ही रोचक अनुभव होगा..!

ब्यूरो चीफ/हरदोई गीतांजली वर्माशवेता दर्पण समाचार पत्र बुढ़ापा तो आ ही गया है,फिर भी मजे में हूँ. घुटने बोलते हैं, लड़खड...
10/11/2024

ब्यूरो चीफ/हरदोई
गीतांजली वर्मा
शवेता दर्पण समाचार पत्र

बुढ़ापा तो आ ही गया है,फिर भी मजे में हूँ. घुटने बोलते हैं, लड़खड़ाता हूँ,छत पर रेलिंग पकड़कर जाता हूँ,दाँत कुछ ढीले हो चले,रोटी डुबा कर खाता हूँ वो आते नहीं, बस फोन पर पूछते हैं कि ~ कैसा हूँ ? बड़ी सादगी से कहता हूँ मजे में हूँ मजे में हूँ.दिखता है सब, पर वैसा नहीं दिखता,लिखता हूँ सब, पर वैसा नहीं लिखता.आसमान और आँखों के बीच अब कुछ बादल सा है दिखता पढ़ता हूँ अखबार, पर कुछ याद नहीं रहता.डॉक्टर के सिवाय किसी और से कुछ नहीं कहता.पूछते हैं लोग तबीयत,बड़ी सादगी से कहता हूँ मजे में हूँ मजे में हूँ.कभी दो रंगी मोजे,जूतों में हो जाते हैं.कभी बढ़े हुऐ नाखून,यकायक चश्मे से किसी महफिल में दिखाई देते हैं.फिर अचकचा कर उनको छुपाता हूँ.कभी बीस व तीस का अन्तर सुनाई नहीं देता.बहुत से काम अब अंदाजे से कर लेता हूँ.कोई कभी पूछ लेता कहाँ हूँ कैसा हूँ ?हँस कर कह देता हूँ मजे में हूँ मजे में हूँ.बीत गया है लंबा सफर, पर इंतज़ार बाकी है.हासिल कर ली हैं मंज़िलें, पर प्यास अभी बाकी है. ख़ुद तो दौड़ सकता नहीं अब अपनों में बाज़ी लगाता हूँ.ठहर गयीं हैं यादें पुरानी बातें सुनाता हूँ.क्या मज़ा है जिंदगी का ? उनके जबाब का इंतज़ार अभी बाकी है ये दिल है कि मानता नहीं,अब भी धड़कता वैसे ही है बूढ़ा तो हो चुका है, पर मानता नहीं.शरीर दुखता है, पर आँखों की शरारत जारी है.इसलिये तो बार बार कहता हूँ मजे में हूँ ... मजे में हूँ. ★

प्रयाग महाकुंभ में थूकलगी गैंग की एंट्री पर बैन की मांग ने पकड़ी तेजी, पर्व की पवित्रता और हिंदुओं की सुरक्षा महत्वपूर्ण...
10/11/2024

प्रयाग महाकुंभ में थूकलगी गैंग की एंट्री पर बैन की मांग ने पकड़ी तेजी, पर्व की पवित्रता और हिंदुओं की सुरक्षा महत्वपूर्ण
प्रयाग महाकुंभ में थूकलगी गैंग की एंट्री पर बैन की मांग ने पकड़ी तेजी, पर्व की पवित्रता और हिंदुओं की सुरक्षा महत्वपूर्ण

प्रयाग में होने जा रहे महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर बैन की मांग लगातार उठाई जा रही है, और इसका कारण भी बिल्कुल साफ है लेकिन फिर भी कुछ कथित सेक्युलरिज्म के ठेकेदार और कुछ मुस्लिम ठेकेदार इस मांग का विरोध कर रहे हैं। आखिर क्यों उन लोगों को एंट्री चाहिए जिनके लिए काफिरों के त्योंहार, प्रसाद , भगवान सब हराम है... ?? पूरे हिंदू समाज को अपने संतों के साथ खड़े होकर कुंभ की पवित्रता के लिए मेले में विशेष समुदाय के बैन की मांग उठानी चाहिए

ऐसा कोई पर्व / त्योंहार नहीं जिसपर जेहादियों का हमला ना हुआ है, ऐसा कोई मंदिर नहीं जहां जेहादियों की घृणा का प्रदर्शन ना हुआ हो। आखिर क्यों ऐसी सोच पर पाबंदी नहीं होनी चाहिए जो हिंदुओं को खत्म कर गजवा ए हिंद करना चाहती है, जो हिंदुओं को काफिर मानती है और उनका अंत चाहती है, जो हिंदू मंदिरों तोड़ देना चाहती है और हिंदू त्योंहारों पर हमले करती है? हिंदुओं को एकजुट होकर केवल कुंभ ही नहीं अपितु हर हिंदू धर्म स्थल, तीर्थ स्थल, मेले में इस मानसिकता पर प्रतिबंध की मांग करनी चाहिए और इनका बहिष्कार करना चाहिए प्रयागराज महाकुंभ-2025 की तैयारियाँ जोरों पर हैं। इसमें देश-विदेश के 40 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुँचने की संभावना है। इस बीच अखिल भारतीय संत समिति ने कहा कि कुंभ क्षेत्र में हलाल प्रोडक्ट भी नहीं बेचे जाने चाहिए। कट्टरपंथी मुस्लिमों को ‘थूकलीगी गैंग’ बताते हुए मेले में उनकी एंट्री रोकने की भी बात कही। उन्होंने कुंभ के 50 किलोमीटर की परिधि में नए दुकानदारों को अनुमति नहीं देने की बात कही।

संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने शनिवार (8 नवंबर 2024) को एक बयान जारी किया। लगभग 2 मिनट 15 सेकेंड के इस बयान में उन्होंने कुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा और प्राचीनतम व्यवस्था बताया है। कुंभ में मुस्लिम दुकानदारों को व्यापार करने की अनुमति देने जैसी बातों को जितेंद्रानंद सरस्वती ने कुछ नेताओं और तथाकथित सेक्युलरों की कोरी बयानबाजी बताया है।

उन्होंने कहा कि इस पर्व में पवित्रता इतनी अधिक होती है कि यहाँ आने वाले कल्पवासी भयानक ठंड में भी 2 समय स्नान करते हैं। उन्होंने आगे कहा, “ऐसी परिस्थिति में हम इस थूकलीगी गैंग पर भरोसा कैसे कर सकते हैं?” उन्होंने कहा 12 वर्षों के बाद आने वाले इस महापर्व में हिन्दू समाज की सुरक्षा के साथ कोई खिलवाड़ कतई नहीं किया जा सकता है।

संत समिति का पक्ष रखते हुए जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि कुंभ परिक्षेत्र से 50 किलोमीटर की परिधि में किसी भी नए व्यक्ति को दुकान लगाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हलाल सर्टिफाइड को हम कतई स्वीकार नहीं करने वाले, चाहे उसे हिन्दू व्यापारी बनाते हों या मुस्लिम।” उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से कुंभ मेले की पवित्रता और शुचिता हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुरूप बनाए रखने की माँग की।

स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा कि थूकलीगी गैंग का कोई सामान कुंभ क्षेत्र में नहीं बिकना चाहिए और ना ही उन्हें मेले में किसी भी प्रकार की अनुमति मिलनी चाहिए। अपनी माँग को उन्होंने राष्ट्र और हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया। वीडियो के अंत में उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा। बता दें कि धीरेन्द्र शास्त्री ने भी महाकुंभ मेले में गैर-हिंदू दुकानदारों की एंट्री पर बैन लगाने की माँग की है।

यह 90 के दशक के उन बच्चों के लिए खुशी की खबर है, जो अपने पसंदीदा शो 'शक्तिमान' को देखने के लिए टीवी से चिपके रहते थे, जि...
10/11/2024

यह 90 के दशक के उन बच्चों के लिए खुशी की खबर है, जो अपने पसंदीदा शो 'शक्तिमान' को देखने के लिए टीवी से चिपके रहते थे, जिसमें मुकेश खन्ना मुख्य भूमिका में थे. अब यह प्रतिष्ठित शो लौटने के लिए तैयार है. मुकेश खन्ना ने सोशल मीडिया पर इस खबर की घोषणा की और YouTube चैनल, भीष्म इंटरनेशनल, पर एक टीज़र भी शेयर किया.

'कौन बनेगा करोड़पति', यह एक ऐसा शो है जिसे देश में लगभग सभी बड़ी रुचि और आनंद से देखते हैं। इस शो में बुद्धिमत्ता और मनो...
10/11/2024

'कौन बनेगा करोड़पति', यह एक ऐसा शो है जिसे देश में लगभग सभी बड़ी रुचि और आनंद से देखते हैं। इस शो में बुद्धिमत्ता और मनोरंजन का मिश्रण है जिससे ज्ञान तो बढ़ता ही है और जब भी दर्शक के सोचे हुए उत्तर सही होते हैं तो उसे भी ख़ुशी होती है। कुछ समय पूर्व एक एपिसोड में एक प्रतिभागी आए जिनका नाम था-🌹 डॉ. नीरज सक्सेना। वह 'फास्टेस्ट फिंगर' राउंड में सबसे तेज़ उत्तर देने वाले प्रतिभागी थे। वह बिना नाचे, रोए, चिल्लाए या हाथ उठाए मंच पर आए और अमिताभ बच्चन जी को बिना गले लगाए, बहुत ही शांति और शालीनता से हॉटसीट पर आकर बैठ गए। डॉ. नीरज एक पीएच.डी वैज्ञानिक हैं जो कोलकाता में एक विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। उनका व्यक्तित्व बेहद सौम्य,सरल और सुखद है। वह डॉ. ए.पी.जे. कलाम के साथ काम करके खुद को भाग्यशाली मानते हैं। उन्होंने बताया कि प्रारंभ से वह भी केवल स्वयं के हितों तक ही सीमित थे किंतु डॉ. कलाम के सानिध्य में वह दूसरों और देश के बारे में भी सोचने लगे।
फिर खेल प्रारंभ हुआ। डॉ. नीरज खेलने लगे। उन्होंने एक बार ऑडियंस पोल का इस्तेमाल किया, लेकिन चूंकि उनके पास "डबल डिप" लाइफलाइन थी, इसलिए उन्हें इसे दोबारा प्रयोग करने का अवसर मिला। उन्होंने सभी सवालों का आसानी से उत्तर दिया। उनकी बुद्धिमत्ता अत्यंत ही प्रभावशाली थी। उन्होंने ₹3,20,000, और इतनी ही बोनस राशि जीती, और फिर ब्रेक हो गया।
ब्रेक के बाद, अमिताभ बच्चन ने घोषणा की, "आइए आगे बढ़ें, डॉ. साहब। यहां ग्यारहवां प्रश्न आता है..." तभी... डॉ. नीरज ने कहा, "सर, मैं छोड़ना चाहूंगा।" अमिताभ हैरान रह गए. कोई इतना अच्छा खेल रहा है, जबकि अभी भी तीन लाइफलाइन बाकी हैं, और एक करोड़ (₹1,00,00,000) जीतने का अच्छा अवसर है तो क्या फिर भी वह खेल छोड़ सकता है? उन्होंने पूछा-
"ये आप क्या कह रहे हैं? ऐसा पहले कभी नहीं हुआ... ?"
डॉ. नीरज ने शांति से जवाब दिया -
"अन्य खिलाड़ी प्रतीक्षा कर रहे हैं, और वे मुझसे छोटे हैं। उन्हें भी मौका मिलना चाहिए। मैं पहले ही बहुत सारा पैसा जीत चुका हूं। मुझे लगता है कि मेरे पास जो है वह पर्याप्त है। मुझे इससे अधिक की इच्छा नहीं है।"
अमिताभ बच्चन स्तब्ध रह गए और कुछ पल के लिए सब तरफ सन्नाटा छा गया। फिर संपूर्ण ऑडियंस ने खड़े होकर देर तक तालियाँ बजाईं।
अमिताभ बच्चन ने इस संदर्भ में कहा कि - "हमने आज बहुत कुछ सीखा है। मैने आज ऐसे व्यक्ति को देखा है जो अत्यंत दुर्लभ है। सच कहूँ तो यह पहली बार है कि मैंने किसी को अपने सामने ऐसा करते हुए देखा है, जो दूसरों को मौका मिलने के बारे में सोचता है और जो उनके पास है उसे पर्याप्त से अधिक मानता है।"
बात सही भी है, वास्तव में ऐसे लोग अपवाद है। आज लोग सिर्फ पैसे के पीछे भाग रहे हैं। वे कितना भी कमा लें, संतुष्टि नहीं होती और लालच कभी खत्म नहीं होता। वे पैसे के पीछे भागते हुए परिवार, नींद, खुशी, प्यार और दोस्ती को खो रहे हैं। ऐसे समय में डॉ. नीरज सक्सेना जैसे लोग एक मिसाल बनकर आते हैं। क्योंकि आज के इस युग में संतुष्ट और नि:स्वार्थ लोग मिलना मुश्किल है।
उनके खेल छोड़ने के पश्चात एक लड़की हॉट सीट पर बैठी और उसने अपनी कहानी साझा की: "मेरे पिता ने हमें, मेरी माँ सहित, केवल इसलिए बाहर निकाल दिया क्योंकि हम तीन बेटियाँ हैं। अब, हम एक अनाथालय में रहते हैं..."
मैंने सोचा, अगर डॉ. नीरज ने स्वेच्छा से स्वयं शो न छोड़ा होता तो किसी और को अवसर नहीं मिलता। उनके त्याग के कारण इस गरीब लड़की को कुछ पैसे कमाने का अवसर मिला। आज के दौर में तो लोग विरासत में मिली संपत्ति में से भी किसी को यहां तक कि अपने ही सगे भाई-बहनों तक को भी कुछ देने के लिए तैयार नहीं हैं। अति लालच में अपनों के साथ ही घोर अन्याय करते हैं। इन्हीं कारणों से समाज में कितने झगड़े, यहां तक कि हत्याएं भी होती हैं। आज चहुं ओर स्वार्थ का ही साम्राज्य है। मानव मन में बस लालच ही व्याप्त है।
दूसरों के और देश के बारे में सोचने वाले डॉ. नीरज सक्सेना जैसे मानव में सच्ची आध्यात्मिकता एवं ज्ञान का वास है। इस महान व्यक्ति को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता। ऐसे अद्वितीय व्यक्ति को कोटि-कोटि नमन है।
डॉ. नीरज ये सिखाते हैं कि जब आपकी जरूरतें पूरी हो जाएं तो आपको रुक जाना चाहिए और दूसरों को अवसर देना चाहिए। स्वार्थ को त्याग दें तो हर कोई खुश रहेगा। यही वह सबक है जो आज हर किसी को सीखने की आवश्यकता है। हमेशा ऐसे व्यक्तियों का सम्मान करना जरूरी है जो समाज की भलाई के लिए स्वयं के लाभ का भी त्याग कर दें। डॉ. नीरज के बारे में लिखने का भी यही उद्देश्य है।
धन्यवाद।राम राम जी

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Lucknow
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220006

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