18/03/2023
जय श्री चित्रकूटधामजी
चित्रकूट चिंताहरण के रूप में सदियों से परिभाषित है। गम्भीर बात यह है कि पिछले 75 साल से अन्य तीर्थ स्थलों की तुलना में यहां का विकास चिंताजनक है। चित्रकूट का विकास न हो पाने का मुख्य कारण आवागमन के साधनों का ठीक ढंग से विकास न हो पाना है। आजादी के बाद जब राज्यो का गठन हुआ तो चित्रकूट के विकास को तो फुटबॉल बना कर खेला गया। मसलन यूपी और एमपी में बाट दिया गया। यानी जिस इलाके को यूपी में होना चाहिए था उसे एमपी को दे दिया गया। बगदरा घाटी के नीचे,अनुसुइया जी ,हनुमानधारा जैसे इलाके मप्र के पास।कामदगिरि परिक्रमा भी इसी तरह की नीति का शिकार हुई।यानि चित्रकूट का विकास यूपी और एमपी की सरकारों की रस्साकशी में फंसा रहा। इसी बीच नई कहानी बघेल और बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण आंदोलन करने वालो ने शुरू की।दोनों ने चित्रकूटधाम के अलग अलग इलाको पर अपना दावा ठोका,, हमारे दो सवाल इन दोनों राज्यो के निर्माण की माँग करने वालो से है
पहली-- जब आपके राज्य 1951 में बने तो फिर कैंसिल क्यो हुए,यानी उन्हें यूपी और एमपी में विलय क्यो किया गया??
दूसरी कि क्या चित्रकूट में बघेली या बुंदेली भाषा या संस्कृति का कोई प्रभाव है??
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चित्रकूटधाम 84 कोस में फैला धरती का वह भूभाग है जो विश्व को शांति,सद्भाव,प्रेम,जप,तप,सदाचार के साथ विश्व बंधुत्व का पाठ पढ़ाता है। वैदिक धर्म का जम्मदाता यह क्षेत्र हमेशा से लोगो को उनकी कामनाओ की पूर्ति के लिए सहायक सिध्द होता रहा है।इसलिए कृपया इसे राजनीति का अखाड़ा न बनाये,चित्रकूटधाम सम्पूर्ण विश्व का है,इसे सभी का रहने दीजिए,,, और चित्रकूट हमेशा था,हमेशा रहेगा।
इसके दर्द का इलाज 84 कोस परिक्षेत्र को केंद्रशासित बनाकर ही किया जा सकता है।मोदी सरकार ने सरकार बनने के 9 वे साल में इस समस्या पर सुधि ली है।गम्भीर बात यह है कि उन्होंने आज तक कामदगिरि के दर्शन नही किये है।इसलिए उन्होंने यहां की समस्या का दर्शन नही किया है। वैसे केंद्रीय कमेटी चित्रकूट जल्द आकर यहां की समस्याओं की पड़ताल कर यहां के समन्वित विकास की पड़ताल करेगी। और फिर मोदी जी दौरा चित्रकूट की चिंताहरण करेगा,,ऐसा हमे पूर्णतम विश्वास है।
होइहै वही जो राम रचि राखा,,,,,