31/01/2024
दर्द छुपता नहीं कभी छुपाने से
लोग छलते गये हमें बहाने से
वक्त से क्या करें शिकायत हम
कैसे तौबा करे इस जमाने से
राज़े उल्फ़त को सम्हाले बैठे हैं
मौत आती नहीं कभी बुलाने से
रंजिशें भी तो कमाल करती हैं
रोज देखा कई कई ठिकाने से
आईना तोड़ तो दिया फिर भी
सच उभरता ही रहा दबाने से
ये हकीकत बयानी भी सुन लो
बेअसर ही रही हूँ हरेक ताने से
आसमां भी झुकेगा क़दमों में
ग़म नहीं है आज इन विराने से
लवी शामें रंगीन फिजां दिलकश
अम्न बरसा रहा ख़ुदा ख़जाने से