15/01/2024
।। ॐ सूर्याय नमः ।।
*रक्ताम्बुजासनमशेषगुणैकसिन्धुं*
*भानुं समस्तजगतामधिपं भजामि*।
*पद्मद्वयाभयवरान् दधंत कराब्जै* -
*र्माणिक्यमौलिमरुणाङ्गरुचिं त्रिनेत्रम्*।।
अर्थ
लाल कमल के आसन पर समासीन, सम्पूर्ण गुणों के रत्नाकर, अपने दोनों हाथों में कमल और अभयमुद्रा धारण किये हुए, पद्मराग तथा मुक्ताफल के समान सुशोभित शरीर वाले, अखिल जगत् के स्वामी, तीन नेत्रों से युक्त भगवान् सूर्य का हम ध्यान करते हैं ।
सुप्रभातम्
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आप सभी को भुवन भास्कर भगवान श्री सूर्य के उत्तरायण होने के पवित्र मांगलिक *मकरसंक्रांति* पर्व की अनन्त शुभकामनाओं सहित हार्दिक बधाई। आप सभी का आज का दिन शुभ और मंगलमय हो।।
जय सूर्यदेव।। 🙏🏾🙏🏾 🙏🏾🌹 *ॐ नम: शिवाय* 🌹🚩स्वशक्त्यादि शक्त्यन्त सिंहासनस्थं
मनोहारि सर्वाङ्ग रत्नादिभूषम्।
जदाहीन्दु गङ्गास्थि शश्यर्कमौलिं
परं शक्ति मित्रं नम: पञ्चवक्त्रम्।।
स्व शक्ति ,आदि शक्ति एवं अन्त (प्रलय)शक्ति से युक्त ,रत्न आदि से सुशोभित जिनके समस्त अंगों से सुन्दरता झलकती है, जटा में सर्प,इन्दु, गंगा सुशोभित हैं तथा भाल स्थल खण्डचन्द्र से युक्त हैं,ऐसे मुण्डमालधारी,मन्दार-पुष्प से सुशोभित शक्ति मित्र रूप पञ्चवक्त्र (शिव) को नमस्कार हैं।
शिवाय।।। ऊं नमः शिवाय।।🙏
शुभ प्रभात मंगल कामना🌹
सादर प्रणाम
🙏🙏
अजीत मिश्र
(समाजसेवी)