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Wings to Fly..!!The reason birds can fly and we can't is simply because they have perfect faith, for to have faith is to...
27/10/2023

Wings to Fly..!!
The reason birds can fly and we can't is simply because they have perfect faith, for to have faith is to have wings.

FORT DIU
27/10/2023

FORT DIU









24/10/2023

हिमालय दर्शन नैनीताल

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Bagheri Ka Naka Dam, Rajsamand50 km distance from Udaipur, Rajasthan
12/07/2023

Bagheri Ka Naka Dam, Rajsamand
50 km distance from Udaipur, Rajasthan

सालासर बालाजी भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक धार्मिक स्थल है। यह राजस्थान के चुरू जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 668 पर स...
15/04/2023

सालासर बालाजी भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक धार्मिक स्थल है। यह राजस्थान के चुरू जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 668 पर स्थित है। वर्ष भर में असंख्य भारतीय भक्त दर्शन के लिए सालासर धाम जाते हैं। हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा पर बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है।
जय श्री राम🙏🏻🚩

नैना देवी मंदिर, नैनीताल:-नैनीताल में मौजूद नैनी झील के उत्तरी किनारे प्रसिद्ध शक्ति पीठ नैना देवी मंदिर है। इस पवित्र म...
14/04/2023

नैना देवी मंदिर, नैनीताल:-
नैनीताल में मौजूद नैनी झील के उत्तरी किनारे प्रसिद्ध शक्ति पीठ नैना देवी मंदिर है। इस पवित्र मंदिर में देवी को उनकी दो आंखों से दर्शाया गया है। आपको बता दें, 1880 में भूस्खालन में यह मंदिर नष्ट हो गया था, लेकिन बाद में फिर से इस मंदिर का निर्माण कर दिया गया। देवी का ये मंदिर शक्तिपीठ में शामिल होने की वजह से यहां देवी से जुड़े कई चमत्कार भी देखने को मिलते हैं। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ रहती है कि लोगों को लंबी-लंबी लाइन में लगना पड़ता है।

खाटू श्याम जी की कथा:-लाक्षागृह की घटना में प्राण बचाकर वन-वन भटकते पांडवों की मुलाकात हिडिंबा नाम की राक्षसी से हुआ। यह...
14/04/2023

खाटू श्याम जी की कथा:-
लाक्षागृह की घटना में प्राण बचाकर वन-वन भटकते पांडवों की मुलाकात हिडिंबा नाम की राक्षसी से हुआ। यह भीम को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी। माता कुंती की आज्ञा से भीम और हिडिंबा का विवाह हुआ जिससे घटोत्कच का जन्म हुआ। घटोत्कच का पुत्र हुआ बर्बरीक जो अपने पिता से भी शक्तिशाली और मायाबी था।

– बर्बरीक देवी का उपासक था। देवी के वरदान से उसे तीन दिव्य बाण प्राप्त हुए थे जो अपने लक्ष्य को भेदकर वापस लौट आते थे। इनकी वजह से बर्बरीक अजेय हो गया था।

-महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध देखने के इरादे से कुरुक्षेत्र आ रहा था। श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हुआ तो परिणाम पाण्डवों के विरुद्ध होगा। बर्बरीक को रोकने के लिए श्री कृष्ण गरीब ब्राह्मण बनकर बर्बरीक के सामने आए। अनजान बनते हुए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछ कि तुम कौन हो और कुरुक्षेत्र क्यों जा रहे हो। जवाब में बर्बरीक ने बताया कि वह एक दानी योद्धा है जो अपने एक बाण से ही महाभारत युद्ध का निर्णय कर सकता है। श्री कृष्ण ने उसकी परीक्षी लेनी चाही तो उसने एक बाण चलाया जिससे पीपल के पेड़ के सारे पत्तों में छेद हो गया। एक पत्ता श्रीकृष्ण के पैर के नीचे था इसलिए बाण पैर के ऊपर ठहर गया।
– श्रीकृष्ण बर्बरीक की क्षमता से हैरान थे और किसी भी तरह से उसे युद्ध में भाग लेने से रोकना चाहते थे। इसके लिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि तुम तो बड़े पराक्रमी हो मुझ गरीब को कुछ दान नहीं दोगे। बर्बरीक ने जब दान मांगने के लिए कहा तो श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक समझ गया कि यह ब्राह्मण नहीं कोई और है और वास्तविक परिचय देने के लिए कहा। श्रीकृष्ण ने अपना वास्तविक परिचय दिया तो बर्बरीक ने खुशी-खुशी शीश दान देना स्वीकर कर लिया।

-रात भर भजन-पूजन कर फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को स्नान पूजा करके, बर्बरीक ने अपने हाथ से अपना शीश श्री कृष्ण को दान कर दिया। शीश दान से पहले बर्बरिक ने श्रीकृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा जताई थी इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कटे शीश को युद्ध अवलोकन के लिए, एक ऊंचे स्थान पर स्थापित कर दिया।

-युद्ध में विजय श्री प्राप्त होने पर पांडव विजय का श्रेय लेने हेतु वाद-विवाद कर रहे थे। तब श्रीकृष्ण ने कहा की इसका निर्णय बर्बरीक का शीश कर सकता है। बर्बरीक के शीश ने बताया कि युद्ध में श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र चल रहा था जिससे कटे हुए वृक्ष की तरह योद्धा रणभूमि में गिर रहे थे। द्रौपदी महाकाली के रूप में रक्त पान कर रही थीं।

-श्री कृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक के उस कटे सिर को वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे श्याम नाम से पूजित होगे तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होगी।

स्वप्न दर्शनोंपरांत बाबा श्याम, खाटू धाम में स्थित श्याम कुण्ड से प्रकट हुए थे। श्री कृष्ण विराट शालिग्राम रूप में सम्वत् 1777 से खाटू श्याम जी के मंदिर में स्थित होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण कर कर रहे हैं।

कुम्भलगढ़ किला, राजस्थानमेवाड़ के पौराणिक राजा, महाराणा प्रताप का जन्मस्थान।जंगल में उदयपुर से 84 किलोमीटर उत्तर में स्थ...
13/04/2023

कुम्भलगढ़ किला, राजस्थान
मेवाड़ के पौराणिक राजा, महाराणा प्रताप का जन्मस्थान।
जंगल में उदयपुर से 84 किलोमीटर उत्तर में स्थित, कुंभलगढ़ मेवाड़ क्षेत्र में चित्तौड़गढ़ के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण गढ़ है। अरावली पर्वतमाला में स्थित इस किले का निर्माण 15वीं शताब्दी ईस्वी में राणा कुंभा ने करवाया था। स्थलाकृति की दुर्गमता और शत्रुता किले को अजेयता की झलक देती है। इसने मेवाड़ के शासकों को संघर्ष के समय शरण के रूप में सेवा प्रदान की। किले ने बचपन में मेवाड़ के राजा उदय को शरण दी थी जब बनबीर ने विक्रमादित्य को मार डाला और सिंहासन पर कब्जा कर लिया। मेवाड़ के महान राजा महाराणा प्रताप की जन्मस्थली होने के कारण लोगों के लिए इसका अत्यधिक भावनात्मक महत्व है। एक लंबी घेराबंदी का सामना करने के लिए किला सभी तरह से आत्मनिर्भर है। मुख्य रूप से पीने के पानी की कमी के लिए मुगल और अंबर की संयुक्त सेनाओं द्वारा इसकी रक्षा को केवल एक बार भंग किया जा सकता था। मौर्यों द्वारा बनवाए गए मंदिरों की एक शानदार श्रृंखला है, जिनमें से सबसे मनोरम स्थान बादल महल या बादलों का महल है। किला आसपास के शानदार विहंगम दृश्य भी प्रस्तुत करता है।

गलताजी मंदिर, जयपुर:-गलताजी मंदिर अरावली पहाड़ियों में स्थित है और घने पेड़ों और झाड़ियों से घिरा है। यह प्रभावशाली इमार...
13/04/2023

गलताजी मंदिर, जयपुर:-
गलताजी मंदिर अरावली पहाड़ियों में स्थित है और घने पेड़ों और झाड़ियों से घिरा है। यह प्रभावशाली इमारत गोल छतों और खंभों से सजी चित्रित दीवारों से सुशोभित है। कुंडों के अलावा, मंदिर परिसर में मौजूद भगवान राम, भगवान कृष्ण और भगवान हनुमान के मंदिर हैं। आप इस मंदिर में न केवल देशी बल्कि विदेशी भक्तों को भी दर्शन करते हुए देख सकते हैं। यहां भक्त मंदिर समिति द्वारा आयोजित भक्ति कार्यक्रम, भक्ति संगीत, लाइव प्रदर्शन और कई अन्य पवित्र कार्यक्रमों का भी आनंद लेने के लिए आते रहते हैं।

रणकपुर जैन मंदिर राजस्थान में स्थित जैन धर्म के पांच प्रमुख स्थलों में से एक है. यह स्थान बेहद खूबसूरती से तराशे गए प्रा...
11/04/2023

रणकपुर जैन मंदिर राजस्थान में स्थित जैन धर्म के पांच प्रमुख स्थलों में से एक है. यह स्थान बेहद खूबसूरती से तराशे गए प्राचीन मंदिरों के लिए विख्यात है. यह उदयपुर (Udaipur) से 96 किलोमीटर की दूरी पर पाली जिले के सादड़ी में स्थित है. भारत के जैन मंदिरों में संभवतः इसकी इमारत सबसे भव्य तथा विशाल है. रणकपुर जोधपुर और उदयपुर के बीच में अरावली पर्वत की घाटियों मैं स्थित है इसलिए यह जगह बहुत ही मनोरम बन जाती है.

खाटू श्याम जी मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है, और इसे राज्य के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता...
10/04/2023

खाटू श्याम जी मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है, और इसे राज्य के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, खाटू श्याम जी घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक के अवतार हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त अपने दिल की गहराई से उनके नाम का उच्चारण करते हैं, वे धन्य हो जाते हैं और अगर वे इसे सच्ची भक्ति के साथ करते हैं तो उनके संकट दूर हो जाते हैं |

नैनीताल” उत्तराखंड के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है, जो कुमाऊं पहाड़ियों के बीच स्थित है, यह एक विलक्षण पर्वती...
09/04/2023

नैनीताल” उत्तराखंड के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है, जो कुमाऊं पहाड़ियों के बीच स्थित है, यह एक विलक्षण पर्वतीय स्थल है, जिसे एक अनोखे आकार की झील के चारों ओर बनाया गया है, जिसे हम “नैनी झील” के नाम से जानते हैं। नैनीताल अपने खूबसूरत परिदृश्य और शांत वातावरण के कारण पर्यटकों के लिए “स्वर्ग” के रूप में जाना जाता है। प्राकृतिक सुंदरता में झीलों के शहर के रूप में प्रसिद्ध नैनीताल में बर्फ से ढकी पहाडिय़ां और झीलें हैं।

08/04/2023

भारत देश के राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर में स्थित अल्बर्ट हॉल संग्रहालय को राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय के रूप में जाना जाता है। यह संग्रहालय तकरीबन डेढ़ सौ साल से भी अधिक पौराणिक माना जाता है। इस संग्रहालय को निर्मित के समय संग्रहालय बनाने के उद्देश्य से निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ था। यहां पर जाने के उपरांत आप भी विश्व के कई अलग अलग देशों से लाए हुए कई चीजों का संग्रह देख सकते हैं।

उत्तराखंड देवभूमि में स्थित कैंची धाम एक ऐसी जगह है जहां कोई भी मुराद लेकर जाए तो वह खाली हाथ नहीं लौटता. इस धाम में बाब...
08/04/2023

उत्तराखंड देवभूमि में स्थित कैंची धाम एक ऐसी जगह है जहां कोई भी मुराद लेकर जाए तो वह खाली हाथ नहीं लौटता. इस धाम में बाबा नीम करौली को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है. 15 जून को पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है. देश-विदेश से हज़ारों लोग यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं.

सहेलियों की बाड़ी, उदयपुर:-सहेलियों की बाड़ी 18 वीं शताब्दी का स्मारक है जिसका अपना एक ऐतिहासिक महत्त्व है। यह स्मारक बड़े-...
07/04/2023

सहेलियों की बाड़ी, उदयपुर:-
सहेलियों की बाड़ी 18 वीं शताब्दी का स्मारक है जिसका अपना एक ऐतिहासिक महत्त्व है। यह स्मारक बड़े-बड़े पेड़ों, हरे भरे झाड़ीदार झाड़ियों और फूलों के बागों से घिरा हुआ है। यहां स्थित राजसी फव्वारों, संगमरमर के मंडप और मूर्तियों के साथ भव्य कमल पूल से इस बगीचे की सुंदरता कई गुना बढ़ जाती है। अगर आप इस बगीचे की सैर करने आते हैं तो आप यहां पर चारों तरफ घूम सकते हैं या फिर यहां आराम करके यहां की शांति को महसूस कर सकते हैं।

06/04/2023

जय श्री राम🙏🏻🚩

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