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�� "देवी-देवताओं की कहानियां, मेरे शब्दों में।" �♪

भगवान गणेश       #
14/01/2025

भगवान गणेश
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13/01/2025

महाकुंभ मेला का रहस्य: एक गहन खोज
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र मेला है। इसकी उत्पत्ति और महत्व को लेकर कई रोचक कथाएं और मान्यताएं हैं।
कुछ प्रमुख रहस्य और मान्यताएं इस प्रकार हैं:
* समुद्र मंथन की कथा: महाकुंभ की उत्पत्ति समुद्र मंथन की कथा से जुड़ी है। मान्यता है कि जब देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था, तब अमृत निकला था। अमृत कलश को लेकर देवताओं और दानवों के बीच युद्ध हुआ था और इस युद्ध के दौरान अमृत की कुछ बूंदें धरती पर चार स्थानों पर गिरी थीं: हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक। इन चारों स्थानों पर ही महाकुंभ मेला लगता है।
* अमृत का महत्व: अमृत को अमरत्व का अमृत माना जाता है। मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने से व्यक्ति को अमृत का पुण्य प्राप्त होता है और उसके सभी पाप धुल जाते हैं।
* ग्रहों की स्थिति: महाकुंभ का आयोजन ग्रहों की विशेष स्थिति में होता है। जब बृहस्पति और शनि कुंभ राशि में होते हैं, तब महाकुंभ लगता है।
* नागा साधुओं का महत्व: महाकुंभ में नागा साधुओं का विशेष महत्व होता है। ये साधु कठोर तपस्या करते हैं और महाकुंभ में बड़ी संख्या में एकत्रित होते हैं।
* आस्था और विश्वास का केंद्र: महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह आस्था और विश्वास का एक बड़ा केंद्र है। यहां लाखों लोग एक साथ आते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
महाकुंभ के रहस्यों के बारे में और जानने के लिए आप इन विषयों पर गहराई से अध्ययन कर सकते हैं:
* पुराण: भगवत पुराण, विष्णु पुराण आदि में समुद्र मंथन और महाकुंभ के बारे में विस्तृत वर्णन मिलता है।
* ज्योतिष शास्त्र: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति और महाकुंभ के आयोजन के बीच संबंध के बारे में बताया गया है।
* इतिहास: महाकुंभ के इतिहास के बारे में जानने के लिए आप ऐतिहासिक ग्रंथों और लेखों का अध्ययन कर सकते हैं।
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12/01/2025

एक ऐसा योद्धा अगर उसका अंगूठा द्रोणाचार्य ने नहीं लिया होता। तो वह इतिहास को पलटने की क्षमता रखता था। "एकलव्य एक महान धनुर्धर"

12/01/2025

माँ की ममता और माँ की फिक्र एक ऐसा बंधन है जो अनंत है। माँ का प्यार हमेशा अपार होता है, वो हर पल अपने बच्चों की खुशी और सुरक्षा के लिए चिंतित रहती है।
माँ की ममता:
* अपार प्यार: माँ का प्यार किसी भी चीज़ से बड़ा होता है। वो अपने बच्चों को बिना किसी शर्त के प्यार करती है।
* बलिदान: माँ अपने बच्चों के लिए हर तरह का त्याग करने को तैयार रहती है।
* सहारा: माँ हमेशा अपने बच्चों के लिए एक मजबूत सहारा होती है।
* प्रेरणा: माँ अपने बच्चों को हर कदम पर प्रेरित करती है।
माँ की फिक्र:
* सुरक्षा: माँ हमेशा अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए चिंतित रहती है।
* भविष्य: माँ अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए हमेशा प्रयास करती है।
* स्वास्थ्य: माँ अपने बच्चों के स्वास्थ्य का खास ख्याल रखती है।
* खुशी: माँ हमेशा चाहती है कि उसके बच्चे खुश रहें।

11/01/2025

"भगवान पर विश्वास रख कर की गई मेहनत का फल हमेशा बहुत ही मधुर होता है।"

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मेहनत ईश्वर पर भरोसा, ईश्वर पर विश्वास, समय, समय पर भाग्य जागृत करने के लिए मेहनत जरूरी।

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11/01/2025

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Rakesh Kumar, Pooja Jain, Vicky Keshri, Taposh Hira, Arif Chouhan, Anita Singh, Jai Prakash Paswan, Anjani Kumari, Sivsankar Dolai, Isneha Gangwar, Priyanka Yadav, Sk Khan Kahn

10/01/2025

"हनुमान जी ने बाली को क्यों नहीं मारा?"

10/01/2025

भगवान राम का जीवन
मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात भगवान राम, हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। उनका जन्म अयोध्या के राजा दशरथ और कौशल्या के घर हुआ था। रामचरितमानस जैसी पौराणिक कथाओं के अनुसार, उनका जीवन आदर्श मानवता, धर्म और कर्तव्य का प्रतीक है।
प्रमुख घटनाएँ
* जन्म और राजकाज: राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। वे राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे।
* वनवास: एक राजनीतिक षड्यंत्र के कारण, राम को अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास जाना पड़ा।
* रावण वध: वनवास के दौरान रावण ने सीता का अपहरण कर लिया। राम ने रावण का वध कर सीता को मुक्त कराया।
* अयोध्या वापसी: 14 वर्ष बाद राम अयोध्या लौटे और राजा बने।
राम के जीवन से सीख
* धर्म और कर्तव्य: राम ने अपने जीवन में हमेशा धर्म और कर्तव्य का पालन किया।
* सत्य और न्याय: राम सत्य और न्याय के प्रतीक थे।
* त्याग और सेवा: राम ने अपने परिवार और प्रजा के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।
* प्रेम और करुणा: राम के हृदय में सभी जीवों के लिए प्रेम और करुणा थी।

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रामराज्य, सत्य की जीत, धर्म की स्थापना।

09/01/2025

सात चिरंजीवी: अमर आत्माएं
सात चिरंजीवी हिंदू धर्म में अमर माने जाने वाले सात व्यक्तित्व हैं। इनमें अश्वत्थामा, परशुराम, हनुमान, कृपाचार्य, विभीषण, राजा बलि और वेदव्यास शामिल हैं। मान्यता है कि ये सभी इस कल्प के अंत तक पृथ्वी पर विद्यमान रहेंगे।
कहाँ रहते हैं?
यह एक दिलचस्प सवाल है। चूंकि ये चिरंजीवी अमर हैं, इसलिए उनके रहने के बारे में कोई निश्चित स्थान नहीं बताया गया है। कुछ मान्यताओं के अनुसार:
* विभिन्न तीर्थ स्थान: इन चिरंजीवियों को विभिन्न तीर्थ स्थानों पर देखा जाने का दावा किया जाता है।
* धर्मक्षेत्र: कुरुक्षेत्र जैसे धर्मक्षेत्रों में इनकी उपस्थिति की बातें होती हैं।
* गुफाएं और पहाड़: कुछ मान्यताओं के अनुसार, ये चिरंजीवी गुफाओं और पहाड़ों में तपस्या करते हैं।
* अदृश्य रूप: कुछ मान्यताएं यह भी कहती हैं कि ये चिरंजीवी अदृश्य रूप में पृथ्वी पर विचरण करते रहते हैं।
: हिमालय की गुफाओं को अक्सर तपस्या के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है।
क्या ये अभी जिंदा हैं?
हिंदू धर्म के अनुसार, ये सात चिरंजीवी आज भी जीवित हैं। हालांकि, इन्हें आम लोगों की नजरों से ओझल माना जाता है। ये अपने दिव्य शक्तियों के कारण अपनी पहचान छुपाकर रहते हैं।
क्यों हैं ये अमर?
* आशीर्वाद: इन सभी को देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त था, जिसके कारण वे अमर हो गए।
* कर्म: इनके कर्म इतने पवित्र थे कि उन्हें मृत्यु का वरदान नहीं मिला।
* शाप: कुछ मामलों में, ये अमरता का शाप भी हो सकता है। जैसे कि अश्वत्थामा को कृष्ण ने कल्पांत तक जीवित रहने का शाप दिया था।
: हनुमान जी को अमरता का वरदान प्राप्त था।
सात चिरंजीवी की सूची
* अश्वत्थामा: महाभारत का एक प्रमुख पात्र।
* बलि: असुर राजा।
* वेदव्यास: महाभारत के रचयिता।
* हनुमान: राम भक्त।
* विभीषण: रावण का छोटा भाई।
* कृपाचार्य: कौरवों के गुरु।
* परशुराम: भगवान विष्णु का अवतार।
निष्कर्ष
सात चिरंजीवी हिंदू धर्म में अमरता और दिव्य शक्तियों का प्रतीक हैं। ये हमें सदाचार, धर्म और कर्म के महत्व को समझाते हैं। हालांकि, इनके बारे में अधिकांश जानकारी धार्मिक ग्रंथों और लोककथाओं पर आधारित है।
क्या आप इनमें से किसी चिरंजीवी के बारे में अधिक जानना चाहते हैं?
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अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरमराम नारायणं जानकी बल्लभम्।तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं।राम नारायणं जानकी बल्लभम्।गोपियों की त...
09/01/2025

अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम
राम नारायणं जानकी बल्लभम्।
तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं।
राम नारायणं जानकी बल्लभम्।
गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं।
राम नारायणं जानकी बल्लभम्।
हर समय कृष्ण का ध्यान करते चलो।
राम नारायणं जानकी बल्लभम्।
इस भजन का अर्थ और महत्व:
यह भजन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक बहुत ही प्रसिद्ध भजन है। इसमें भगवान के विभिन्न नामों का उल्लेख किया गया है जैसे अच्युत, केशव, कृष्ण, दामोदर, राम और नारायण।
* अच्युत: जिसका नाश न हो
* केशव: जिसके बालों का रंग काला हो
* कृष्ण: जिसका रंग काला हो
* दामोदर: जिसकी नाभि में नाग का फन लिपटा हो
* राम: भगवान विष्णु का अवतार
* नारायण: भगवान विष्णु का एक और नाम

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