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जब तक पुरुष के मन और शरीर में बस वासना का आवेग है, तब तक वह सच्चा प्रेम नहीं दे सकता। यदि कोई पुरुष किसी स्त्री के पास ज...
17/11/2024

जब तक पुरुष के मन और शरीर में बस वासना का आवेग है, तब तक वह सच्चा प्रेम नहीं दे सकता। यदि कोई पुरुष किसी स्त्री के पास जाता है और कहता है कि "मैं तुम्हारे करीब इसलिए हूँ क्योंकि मैं प्यार करता हूँ," तो यह एक भ्रम हो सकता है। सेक्स, यदि शारीरिक आवश्यकता के रूप में देखा जाए, तो यह गलत नहीं है, लेकिन इसे प्यार का नाम देकर भ्रम पैदा करने से बचें।

ईमानदारी सबसे महत्वपूर्ण है। यदि आप शारीरिक संबंध चाहते हैं, तो साथी से स्पष्टता के साथ कहें। सबसे पहले, खुद से यह स्पष्ट करें कि आप प्यार में हैं या बस वासना के प्रभाव में।

स्त्री एक कोमल फूल की तरह होती है, और उसे सम्मानपूर्वक और प्रेम से ही स्पर्श करना चाहिए। स्त्री का शरीर और उसकी नसें बेहद संवेदनशील होती हैं। आजकल कई महिलाएँ डॉक्टर के पास जाती हैं, क्योंकि उनके संबंधों में हिंसा और संवेदनहीनता होती है। वासना के आवेग में न तो पुरुष को होश रहता है और न ही स्त्री में इतनी हिम्मत होती है कि वह इंकार कर सके।

यहां पुरुषों को समझने की आवश्यकता है कि पलभर की वासना के कारण किसी स्त्री के शरीर को कष्ट न दें। यदि सेक्स को धैर्य और सही तरीके से किया जाए, तो दोनों व्यक्तियों के लिए यह आनंददायक और संतुष्टिदायक हो सकता है। पर जो पुरुष अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं, वे कभी सच्ची संतुष्टि नहीं पाते।

जो विवाहित हैं, वे अनुभव करेंगे कि सालों के संबंध के बाद भी उनमें इच्छा की गहराई वही है। इसका कारण यही है कि उन्होंने कभी इस संबंध की गहराई में उतरने की कोशिश नहीं की।

स्त्री का शरीर सहजता से खुलता नहीं है; इसे पूरा समय और स्नेह चाहिए। इसी कारण फोरप्ले और आफ्टरप्ले का महत्व है। सही समय लेकर, स्नेह और सम्मान के साथ संबंध बनाना ही सच्चा अनुभव होता है। केवल पेनिट्रेशन को सेक्स समझने वाले असल में समझ नहीं पाते कि अपने साथी के प्रति सच्चा आदर कैसा होता है।

आज भी 70% महिलाएँ ऑर्गेज़्म का अनुभव नहीं कर पातीं, और इसका कारण है सेक्स के प्रति अज्ञानता। इस पर अहंकार करने की बजाय, खुद को बेहतर बनाने का प्रयास करें। अपनी साथी के प्रति श्रद्धा भाव रखें और यह सुनिश्चित करें कि उसे दर्द की जगह आनंद मिले।

असली आनंद और संतुष्टि तब मिलती है जब हम धीरे-धीरे, स्नेहपूर्वक एक-दूसरे का साथ निभाते हैं। यह समझने के लिए भीतर स्थिरता और धैर्य चाहिए, और इसके लिए ध्यान (मैडिटेशन) आवश्यक है।

ध्यान से ही जीवन में ठहराव, स्थिरता, प्रेम, और श्रद्धा जैसे गुण आते हैं। केवल किताबों से या ज्ञान सुनने से यह संभव नहीं होता

22/10/2024
19/10/2024

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