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Kavita बचपन की स्मृतियां

03/12/2023

।। गीता जयंती।।
हे मानव!तेरा जीवन भी एक समर है।
मृत्यु लोक में जन्मा कोई नहीं अमर है।।
न्याय और अन्याय आश्रय जिसका लेगा।
जैसे होंगे कर्म ईश वैसा फल देगा।।
अहंकार वश यदि तूने अपनी ही ठानी।
दुर्योधन की भांति किया तूने मनमानी।।
कर्ण, शकुनि दुर्वृत्त समर्थित उसकी सत्ता।
भीष्म, द्रोण,कृप रक्षित की भी मिटी महत्ता।।
कुन्ती बुद्धि विचार नियन्त्रित पांचों पाण्डव।
हरि के शरणापन्न मचाया रण में ताण्डव।।
धर्म परायण जीवन की महिमा पहचानो।
परमहितैषी नाथ कृष्ण को अपना मानो।।
जहां धर्म है वहां विजय, मत सत्य सनातन।
यह शाश्वत सिद्धांत न नूतन नहीं पुरातन।।
विजयी पाण्डव हुए कृष्ण के हो शरणागत।
ईश्वर अर्पित कर्म मुक्तिदायक श्रुति सम्मत।।
मत कर स्वेच्छाचार नियन्त्रित जीवन जी ले।
है श्रुतियों का सार ज्ञान गीतोदक पी ले।।
रथी जीव रथ देह इन्द्रियां इसके घोड़े।
उलटी इनकी चाल दुखद परिणाम न थोड़े।।
इस रथ का सारथी बनाओ प्रभु समर्थ को।
बनो विजेता अर्जुन जैसे, तज अनर्थ को।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

।।छठ महापर्व।।है तीन दिवस का महापर्व छठ पूजा।भगवान भुवन भास्कर सा देव न दूजा।।छठि मैया की महिमा है जिसने जानी।यह महापर्व...
19/11/2023

।।छठ महापर्व।।
है तीन दिवस का महापर्व छठ पूजा।
भगवान भुवन भास्कर सा देव न दूजा।।
छठि मैया की महिमा है जिसने जानी।
यह महापर्व करने की उसने ठानी।।
प्रत्यक्ष देव आदित्य सकल सुख खानी।
इनकी शक्ती ही हैं षष्ठी महारानी।।
व्रत के नियमों का पालन आवश्यक है।
तब ही व्रत का फल पाने का भी हक है।।
होकर पवित्र तन,मन से जो व्रतधारी।
करते छठ पूजा नर हों या हों नारी।।
संकल्प सिद्ध होता है छठ करने से।
निज भाव भक्ति से छठ डाला भरने से।।
भारत भर में ही नहीं दूर देशों में।
इस व्रत का पालन करते परदेशों में।।
हर जाति धर्म के अनुयायी भी चाहें।
छठव्रत के लिए सुलभ उनकी भी राहें।।
पहले दिन लौका भात नहाये खाये।
खरना की विधि करके प्रसाद हैं पाये।।
ठेकुआ देशी घी में पूजा हित बनते।
छठ कर्ता खुद पीला ही वस्त्र पहनते।।
गन्ना,निम्बू,नारियल,सूप सजवाते।
डाला ले जाते घाट बैण्ड बजवाते।।
अस्ताचल गामी रवि का दर्शन करके।
श्रद्धा से देते अर्घ्य अंजली भर के।।
सप्तमी भोर से पहले सब व्रतधारी।
भास्कर के दर्शन हेतु खड़े नर नारी।‌।
आनन्द हुआ रवि उदय देखि हर्षायें।
दे अर्घ्य सभी अपने अपने घर आयें।।
घर घर प्रसाद का वितरण भी करवाते।
थोड़ा थोड़ा देकर भी उर सुख पाते।।
यह व्रत समष्टि के हित रक्षण हित होता।
वर्षान्त कामना लाभ सभी को होता।।
पं शैलेश कुमार शास्त्री
हिंदी शिक्षक
एम एन पी एस

18/11/2023

*सहारा श्री की अंतिम क्रिया में नहीं शामिल हुए उनके दोनों लड़के* । *पत्नी भी नहीं आईं ।' यह सिर्फ खबर भर नहीं है । यह आईना है जीवन का जिसमें हमें और आपको अपनी छवि गौर से देखनी चाहिए* ।

*सुब्रत रॉय अर्थात् सहारा श्री आज पंचतत्व में विलीन हो गया । उनके पोते ने उन्हें मुखाग्नि दी । उनके अंतिम क्रिया के वक्त उनके शुभचिंतक नजर आये* ।

*अगर कोई उनकी अंतिम यात्रा के वक्त नहीं दिखे तो वे थीं उनकी पत्नी और उनके दोनों बेटे । उनकी मौत के वक्त भी उनके परिवार का कोई सदस्य उनके पास नहीं था...। पत्नी और बेटे तक नहीं* ।

*यह वही सहारा श्री थे जिनके कारोबार की धाक कभी पूरी दुनिया भर में फैली थी । चिट फण्ड, सेविंगस फाइनेंस, मीडिया , मनोरंजन, एयरलाइन, न्यूज़, होटल, खेल,‌ भारतीय क्रिकेट टीम का 11 साल तक स्पान्सर, वगैरह वगैरह*...
*ये वही सहारा श्री थे जिनकी महफिलों में कभी राजनेता से लेकर अभिनेता और बड़ी बड़ी हस्तियां दुम हिलाते नजर आते थे*...
*ये वही सहारा श्री थे जिन्होंने अपने बेटे सुशान्तो-सीमांतो की शादी में 500 करोड़ से भी अधिक खर्च किए थे* ।

*ऐसा भी नहीं था कि सहारा श्री ने अचानक दम तोड़ा ! उन्हें कैंसर था और उनके परिवार के हरेक सदस्य को उनकी मौत का महीना पता होगा लेकिन तब भी अंतिम वक्त में उनके साथ, उनके पास परिवार का कोई सदस्य नहीं था*...! *बेटों ने उनके शव को कांधा तक नहीं दिया*...!
*तो, यही सच्चाई है जीवन की । जिनके लिए आप जीवन भर झूठ-सच करके कंकड़-पत्थर जमा करते हैं*... *जिनके लिए आप जीवन भर हाय-हाय करते रहते हैं... जिनकी खुशी के लिए आप दूसरों की खुशी छीनते रहते हैं*... *जिनका घर बसाने के लिए आप हजारों घर उजाड़ते हैं*... *जिनकी बगिया सजाने और चहकाने के लिए आप प्रकृति तक की ऐसी तैसी करने में बाज नहीं आते*...
*वे पुत्र और वह परिवार आपके लिए, अंतिम दिनों में साथ तक नहीं रह पाते* !
*कभी ठहरकर सोचिएगा कि आप कुकर्म तक करके जो पूंजी जमा करते हैं, उन्हें भोगने वाले आपके किस हद तक 'अपने' हैं*...?
*अंगुलीमाल से बुद्ध ने यही तो कहा था कि "मैं तो कब का ही रूक गया, तुम कब रूकोगे*
*आज मैं आप सभी से पूछना चाहता हूं* - *हम सब कब रूकेंगे*...?"

18/11/2023
।। गोवर्धन पूजा।।जब मतवाले देवराज ने कोप किया था भारी।प्रलयकाल के मेघ भेज विपदा गोकुल पर डारी।शरणागत वृजवासिन टेर्यो राख...
14/11/2023

।। गोवर्धन पूजा।।

जब मतवाले देवराज ने कोप किया था भारी।
प्रलयकाल के मेघ भेज विपदा गोकुल पर डारी।
शरणागत वृजवासिन टेर्यो राखो कृष्णमुरारी।
तब गोवर्धन कर पर धार्यो नाम परो गिरधारी।।
छप्पन भोग बना कर सबसों गोवर्धन पुजवायो।
इन्द्र देव को गर्व दूरि करि आपुहिं भोग लगायो।
आप स्वयं गिरिराज बने प्रभु यह प्रतीति उपजायो।
जाके रक्षक कृष्ण कन्हैया ता कंह कौन मिटायो।।

गोवर्धन पूजा का पर्व आप सभी के लिए मंगलदायी हो।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

12/11/2023

।। जय गंगा मैया की।।

जल्दी-जल्दी करो तैयारी अम्मा भौजी -भैया की।
कतकी का मेला हम द्याखब स्वाद ल्याब गुल्लैया की।।
जाय रहा टक्टर प्रधान का नाहिंन फिकिर रुपैया की।
बुड़की मारब गंगा जी मा दरस चन्दिका मैया की।
पूरी सागु बनायो भ्वारै पछिलहरे चलि देइहैं सब।
यहु मौका न मिली दुबारा फिरि कतकी नहवैहो कब।।
लरिका बच्चा दौरि परे सब हमका ना लै जैहो का।
नारि बेंंवारि चली जौ साथै भीड़ मां हुंआ हेरैहो का।।
रोवा धोई मचिगै घर मा कल्लू बाबा समझाएन।
बनी तैयारी ट्वाला भरि कै लड़िहा आपनि लै आएन।।
हर हर गंगा‌ बोलि रहे सब अजिया दूरी पूंछि रहीं।
मेला देखि कूदि गें लरिका लढिया सारी छूंछि रही।।
गंगा मैया के दर्शन भें डुबकी खूब लगाई रहे।गांठि जोरि कै भैया भौजी हाथ जोरि वरु मांगि रहे।।
अब की गोद भरो जो माई पियरी आई चढ़इबो न।
गंगा पूजि चले दर्शन का माइ चंदिका देवी के।

।। बैसवारी अवधि में साभार।।
एसके त्रिपाठी
हिंदी शिक्षक

।। धन्वंतरि त्रयोदशी।।देव और दानव दोनों ने मिल समुद्र को मथ डाला।सर्व प्रथम त्रैलोक्य नसावनि प्रकट हुई विष की ज्वाला।।मन...
10/11/2023

।। धन्वंतरि त्रयोदशी।।
देव और दानव दोनों ने मिल समुद्र को मथ डाला।
सर्व प्रथम त्रैलोक्य नसावनि प्रकट हुई विष की ज्वाला।।
मन्थन की अगली श्रेणी में रत्न अनेकों प्राप्त हुए।
अमृत जब उपलब्ध हुआ तो सारे यत्न समाप्त हुए।।
चार भुजा आश्रित धारी धन्वंतरि दिव्यकलश लेकर प्रगटे।
अमृतलोभी अभिमानी तब अमृत पाने को झपटे।।
श्रीहरि के देवों ने जब प्रभु से अनुरोध किया।
मोहित कर असुरों को प्रभु ने निज भक्तों को बोध दिया।।
धनतेरस के आने पर लोगों में जगता है उत्साह।
गहने बर्तन ले आने की सबके मन में रहती चाह।।
पर्वों का सन्देश हमारे जीवन को देता है सीख।
श्रम फल से सन्तुष्ट जियो पर मत मांगो भोगों की भीख।।
पं शैलेश कुमार शास्त्री जमशेदपुर

07/10/2023

वृद्ध जनों की प्रसन्नता बच्चों के साथ ही प्रकट होती है।

07/10/2023

प्रसन्न मुद्रा में बच्चों के साथ मां।

पितरों का आशीर्वाद यदि पाना है जीवन में।श्राद्ध और तर्पण करने का भाव रखें निज मन में।
07/10/2023

पितरों का आशीर्वाद यदि पाना है जीवन में।
श्राद्ध और तर्पण करने का भाव रखें निज मन में।

07/10/2023

नई खोज।
गौ माता के गोबर से। फायदा।
जरूर पढ़े पूरा

मुझे सोफे पर बैठ कर पैरो को उपर रख कर बैठने की आदत है इसलिए 10 मिनट से ज्यादा पैरो को निचे नहीं रख पाता हु।
एक दिन मे 10 - - 15 बार 10 10 मिनट के लिए इन कंडो पर पैर रखकर बैठता हू।

शाम को 6 बजे के आसपास रेंडम शुगर में खुद अपनी चेक करता हू जो कि 250 या 300 तक कयी सालो से चल रही है।
पर अभी करीब 15 दिनो से कंडो पर रोज पैर रख बैठ रहा हू। तो मेरी शूगर कल शाम को 6 बजे 129 आ गयी हे। मूझे भी आश्चर्य हो रहा है क्योंकि पिछले 15 दिनो से शुगर की कोइ गोली भी नहीं ले रहा हूं।
फिर भी शुगर कंट्रोल मे आ गयी है तब मेने तुरन्त गुड़ खाया।
अब शुगर कन्ट्रोल जो सिर्फ कंडो पर पैर रखने से ही हुई है।
दो दिनो से नाक से पानी खूब निकल रहा है यानी जमी हुई सर्दी बाहर निकल रही है।
मेरा मानना है कि ये भी कंडो का ही परिणाम है।

शुगर ठिक होने से लिवर किडनी हार्ट पर जो साइड ईफेकट आ रहा था वो भी कम हो जायगा।

अब पत्थर और मार्बल के फर्श है पहले सब जगह हर सप्ताह गोबर से लीपते थे उस पर चलते थे आधी बीमारियों से दूर रहते थे

धन्यवाद ट्राय करने में क्या हर्ज है

जीवित्पुत्रिका व्रतम्।।             जीमूतवाहन का स्मरण कर लीजिए।             पर के लिए सर्वस्व अर्पण कीजिए।।            ...
06/10/2023

जीवित्पुत्रिका व्रतम्।।
जीमूतवाहन का स्मरण कर लीजिए।
पर के लिए सर्वस्व अर्पण कीजिए।।
पति पुत्र के हित सिद्धि का यह पर्व है।
निष्ठा,नियम तपसाधना पर गर्व है।।
चिल्ही,शिवा का आचरण श्रवणीय है।
नागारि को अर्पित नृपति मननीय है।।
तप,त्याग का आदर्श आदरणीय है।
दुर्गा भवानी की कृपा स्मरणीय है।।
व्रत,पर्व की महिमा सनातन से रही।
चर्चा मनोरथ सिद्धि की सबने कही।।
श्रीविष्णु वाहन की कृपा सुख दायिनी।
जीवन सुखद हो भक्ति हो अनपायिनी।।

सभी सनातनी हिन्दू समाज को जितिया व्रत पर्व पर अशेष शुभकामनाएं।
पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

29/09/2023

।। होड़ (प्रतिस्पर्धा)।।

एक दूसरे से अच्छा दिखने की होड़ लगी है।
झूठी शान दिखाकर मन में क्या अभिलाष जगी है।
खाने के लाले हैं घर में बाहर यूं चमकाते हैं।
मानो अभी फ्लाइट से उतरे खुद विदेश से आते हैं।
अपनी नहीं हैसियत वैसी मन में भरा घमंड है।
शाख दिखाने की फितरत का पाले वे पाखंड है।
नहीं आपसी प्रेम पराई पीड़ा पर हंसते रहते।
दुखद बोलते बोल कहें हम तो कड़वा सच ही कहते।
खबर पड़ोसी की न पता है लन्दन की बतियाते हैं।
गड्ढा खोद गिरा देने की हरदम घात लगाते हैं।
चिकनी चुपड़ी बातें करके आपस में उकसाते हैं।
मौका पा औरों घर जाकर मुफ्त का माल उड़ाते हैं।।
जर जमीन बेचें पुश्तैनी शहर में भवन सजाते हैं।
खुश होते परिवार देख निज अपनों से कतराते हैं।।
हों समर्थ तो करें ठीक पर सच्चाई झुठलाते हैं।
आमद भले अठन्नी की हो खर्ची नोट दिखाते हैं।।
ऐसी झूठी शान दिखाकर जाने क्या मिल जाता है।
ओंठ चाटकर यूं दिखलाता जैसे रबड़ी खाता है।।
पैर पसारो उतने जितनी लम्बी अपनी चादर हो।
झूठी शान नहीं पालो जिससे घनघोर अनादर हो।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

13/09/2023

।।तस्माज्जाग्रत जाग्रत।।
ओस कणों से नहीं मिटेगी प्यारे!तेरी जीवन प्यास।
क्षणभंगुर साफल्य प्राप्त कर पूर्ण न होगी मन की आस।
नासमझी से जुड़ सम्बन्धों के कारण तू रहा उदास।
मृगमरीचिका की भटकन तज पा ले अपना नित्य निवास।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

मैंने जून से सितंबर तक 7 फ़ॉलोअर मिले, 5 पोस्ट की गईं और 15 रिएक्शन मिले! मुझे सपोर्ट करते रहने के लिए आपका धन्यवाद. आप ...
08/09/2023

मैंने जून से सितंबर तक 7 फ़ॉलोअर मिले, 5 पोस्ट की गईं और 15 रिएक्शन मिले! मुझे सपोर्ट करते रहने के लिए आपका धन्यवाद. आप सभी के बिना यह नहीं हो पाता. 🙏🤗🎉

31/07/2023

।। मुंशीप्रेमचन्द जी की जयंती।।

निज रचना संसार समर्पित कर जो हुआ अमर है।
कर्मभूमि,गोदान, निर्मला जनमानस का स्वर है।
ऐसे कलमकार का जीवन दुनिया में गुरुतर है।
नमन हमारा प्रेमचंद को जिनका सुयश अजर है।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

17/07/2023

।। नीयत की बरक्कत।।

अगर नीयत न हो अच्छी तो बरकत हो नहीं सकती।
न होंगे प्राण यदि तन में तो हरकत हो नहीं सकती।
बहुत उद्योग करके भी जो तुमने धन कमाया है।
बुरी नीयत से लाखों या करोड़ों में भी पाया है।
तुम्हारे वंश या परिवार में सुख-शांति न होगी।
अधम उपलब्धि से न नष्ट मन की भ्रान्ति ही होगी।
अतः यदि शान्ति का जीवन बिताना चाहते हो तुम।
सदा रक्खो सही नीयत कमाना चाहते कुछ तुम।।
करी धोखाधड़ी से प्राप्त गर दुनिया की सुविधाएं।
तुम्हारी जिंदगी में और बढ़ जायेंगी दुविधाएं।
लगाकर पंक दामन में छुड़ाने से तो अच्छा है।
सराहें लोग हरदम बोल नीयत का तो सच्चा है।।
बड़ा चालाक बनकर भी नहीं कुछ हाथ आयेगा।
सभी की भांति रोटी दाल ही भरपेट खायेगा।।
तेरे मन में सदा एक बोझ का अहसास ही होगा।
कमाया पाप से जितना उसे भरपूर ना भोगा।।
चलेगा छोड़कर जाने कहां किस ठौर जायेगा।
हुआ देहान्त फिर परलोक में कुछ भी न पायेगा।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

26/06/2023

।। ऋतुओं की रानी वर्षा।।
तप्त ग्रीष्म का ताप मिटाने वर्षा आई।
सूखी धरती पर सुन्दर हरियाली छाई।।
काले काले मेघ सदय नभ में हैं आये।
प्यास बुझाने धरती के हित पानी लाये।।
दादुर,मोर, पपीहा पुलकित शब्द सुनाते।
गायक मेघ मल्हार राग गाकर सुख पाते।।
पिय परदेश गये उनके मन हूक उठी है।
जियरा है बेचैन उदर की भूख मिटी है।।
कृषक वर्ग कृषि कार्य हेतु हैं अति उत्साहित।
कवि प्रतिभा साधना हेतु है चित्त समाहित।।
कुसुमित वन उपवन दिखते हैं शोभाशाली।
रंग बिरंगे फूलों पर तितली मतवाली।।
इठलाती नदियों ने अपनी हदें पार की।
तटवर्ती भयभीत देख गति नदी धार की।
बच्चों ने कागज की कश्ती है तैराई।
ऋतुओं की रानी वर्षा सब सुख ले आई।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

।। महाप्रभु जगन्नाथ रथयात्रा।।श्रीक्षेत्र पुरी नीलाद्रिविहारी जगन्नाथ।रथ में बैठे बलराम सुभद्रा कृष्ण साथ।।श्रीनन्दिघोष,...
20/06/2023

।। महाप्रभु जगन्नाथ रथयात्रा।।
श्रीक्षेत्र पुरी नीलाद्रिविहारी जगन्नाथ।
रथ में बैठे बलराम सुभद्रा कृष्ण साथ।।
श्रीनन्दिघोष,तालध्वज में प्रभु रथारूढ़।
मन्दिर से बाहर आने का उद्देश्य गूढ़।।
प्रभु सर्वसुलभ दर्शन देकर करते कृतार्थ।
हर प्राणिमात्र के हैं प्रभु अपने यह यथार्थ।।
आषाढ़ द्वितीया शुक्ल पक्ष का दिन पावन।
हरि रथारूढ़ हो दर्शन देते मन भावन।।
इस यात्रा में शामिल होता ब्रह्माण्ड अखिल।
रथरज्जु थाम होते कृतार्थ सबही आ मिल।।
हैं कोई नहीं विश्व में ऐसा जो अनाथ।
सबके स्वामी कहलाते हैं प्रभु जगन्नाथ।।
करुणामय की सबपर होती है कृपा दृष्टि।
सब पुलकित होते पाकर प्रभुछवि‌ सुधावृष्टि।।
दसदिवसात्मक उत्सव उत्साह भरा होता।
है भाग्य हीन जो यह पावन अवसर खोता।।
मन मन्दिर में दर्शन हो यह प्रार्थना करो।
जग का कल्याण करें प्रभु से याचना करो।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

।। विश्व ब्राह्मण दिवस।।ब्राह्मणों को है नमन जो सृष्टि का करते वहन हैं।योग्यता जिनकी अलौकिक वासनाओं का शमन है।ज्ञान का उ...
01/06/2023

।। विश्व ब्राह्मण दिवस।।
ब्राह्मणों को है नमन जो सृष्टि का करते वहन हैं।
योग्यता जिनकी अलौकिक वासनाओं का शमन है।
ज्ञान का उद्दीप्त लोचन विश्व जन का उन्नयन है।
ब्राह्मणों की दुर्दशा का हेतु गुरुता से पतन है।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

राजस्थान में
31/05/2023

राजस्थान में

“आयो रे मोदी आयो रे...”

।।भीमसेनी (निर्जला) एकादशी।।पाण्डु सुत श्रीभीम ने श्रीकृष्ण से पूछा प्रभो!मैं क्षुधातुर नित्य रहता व्रत करूं कैसे विभो!क...
31/05/2023

।।भीमसेनी (निर्जला) एकादशी।।
पाण्डु सुत श्रीभीम ने श्रीकृष्ण से पूछा प्रभो!
मैं क्षुधातुर नित्य रहता व्रत करूं कैसे विभो!
कृष्ण ने तब था बताया कुन्तिनन्दन भीम को।
एक दिन उपवास कर पा हो कृतार्थ असीम को।
ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी व्रत एक दिन निर्जल रहो।
जो क्षुधा से कष्ट हो जल से विवर्जित दुख सहो।।
एक ही एकादशी छब्बीस की फलदायिनी।
हो सके तो निर्जला एकादशी अनपायिनी।।
कृष्ण का निर्देश पा व्रत भीम ने पूरा किया।
पण्डितों ने नाम तब से भीमसेनी है दिया।।
शर्करोदक पूर्ण घट,वसनादि छत्र प्रदान कर।
विप्र को सविनय समर्पित विष्णुरुप ही मानकर।।
दूसरे दिन विप्र भोजन पूर्वक पारण करे।
निर्जला एकादशी संसार से तारण करे।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

।। धर्मप्राण भारत की दशा।।एक जमाना वह भी था जब आस्तिकता भरपूर थी।भले लोग कम पढ़े-लिखे थे जनता सजग जरुर थी।क्या करना क्या...
12/05/2023

।। धर्मप्राण भारत की दशा।।

एक जमाना वह भी था जब आस्तिकता भरपूर थी।
भले लोग कम पढ़े-लिखे थे जनता सजग जरुर थी।
क्या करना क्या नहीं है करना इसका सबको ज्ञान था।
धर्मपरायण होकर जीना इसका सबको भान था।।
अपने कर्तव्यों का पालन करना ही मंजूर था।
पाप और अन्याय अनुगमन से हर कोई दूर था।।
थोड़े में जी लेते थे सब नीयत पर अभिमान था।
बुरे मार्ग पर चलना मानो जीवन मृत्यु समान था।
टलते नहीं वचन से अपने चाहे जो कुछ हो जाए।
पर स्वारथ हित सदा समर्पित खुद संकट‌ से घिर जाएं।
चली अचानक हवा पश्चिमी क्या से क्या हो गया यहां।
धर्म प्राण वह अपना भारत पता नहीं अब गया कहां।
सदाचार से दूर हुए सब झूठ कपट अपना बैठे।
अपने सुख के खातिर अपनों से ही रहें सदा ऐंठे।
बदनीयत मानव की फितरत पशुता भी शर्मिंदा है।
जिनसे सदा बड़प्पन पाया उनकी ही की निन्दा है।
शिक्षित होकर हैं इतराते काम गंवारों से करते।
दास बन गये दुर्व्यसनों के मौतें कुत्तों सी मरते।।
राम‌ बचायें इस उन्नति से मानव बना आत्मघाती।
आगे की पीढ़ी में कैसे हों अपने पोते नाती।।
संस्कारों की सूखी खेती हे प्रभु! क्या हरियायेगी।
जैसी थी पुरखों की रहनी क्या वह वापस आयेगी?।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

08/05/2023

।।जीवन का पड़ाव।।(मेरी आत्मकथा)(Happy 25th marriage anniversary)

द्विपद एकाकी था उदरस्थ, पिता माता का सुत अनमोल।
जन्म पर हर्षित थे सब लोग, मनी खुशियां तब थीं दिल खोल।।
जिया बचपन संघर्षों बीच, नियति ले गयी सदन से खींच।
हमारे गुरुजन परम दयालु, हमें पाला करुणा से
सींच।।
पाठशाला के पा संस्कार, संस्कृत विद्या का आभार।
साथ सन्तों के धर्मप्रचार, हुआ यूं बचपन मेरा पार।।
रहा जीवन भर अर्थ अभाव,किन्तु सन्तोष बना आधार।
नहीं कोई पैतृक संपत्ति, अहंता ममता रहित विचार।।
प्रीति की रीति न पाया सीख, नहीं मांगी सुविधा की भीख।
मिले अभिभावक शान्त उदार, मिली उनसे जीने की सीख।‌‌।
भटकता आया टाटा बीच, बाजपेई बाबा! के पास।
सदाशिव विश्वनाथ दरबार, पुजारी बन बैठा मैं खास।।
तभी यौवन की देख बहार, मिला सज्जन पांडे परिवार।
अनूपा कन्या दी साभार, बना जीवन सुख का आधार।।
बन गया था अपना आवास, मिटी जीवन की मुश्किल त्रास।
हुईं कन्या दो, आत्मज एक ,न था बन्धन का कुछ आभास।।
आज हिंदी शिक्षक का कार्य, हमारी यात्रा का अनिवार्य।
हाय अनचाहे करनी पड़ी, वंचना जीवन की स्वीकार्य ।।
आज बीते बसन्त पच्चीस, बंधे वैवाहिक बंधन बीच।
निभाकर यह पावन सम्बन्ध,मिटी न तृष्णा मन की नीच।।
प्रार्थना प्रभु से बारंबार ‌,बढ़े प्रभु !तव चरणन अनुराग।
शेष जीवन के भय ,भ्रम नाथ!, मिटें,मिल जाये पदुम पराग।।
पं शैलेश कुमार शास्त्री
न्यू आदर्श कालोनी
रोड नं-१
गौड़ बस्ती, पोस्ट आफिस रोड

07/05/2023

।। मोतीलाल नेहरू जयंती ।।

हो रहा था भारत बदहाल ,
फिरंगी शासन का था जाल ।।
गुलामी भोग रहा था देश ,
हमारा बदला था परिवेश ।।
सैकड़ों बीत गए थे साल ,
देश को बना दिया कंगाल ।।
जुल्म करते अंग्रेजी लोग ,
जी रहे दुखी गरीबी भोग ।।
तभी भारत के वीर सपूत ,
महात्मा बने क्रांति के दूत ।।
किया भारत जन का आह्वान ,
वीर हाजिर थे छाती तान ।।
दमन का ऐसा चला कुचक्र ,
फिरंगी की थी भृकुटी वक्र ।।
भारतीयों ने ली थी ठान ,
न मिटने देंगे अपनी शान ।।
बाल गंगाधर ,लाला लाज,
सजाते मातृभूमि का ताज ।।
मदन मोहन, बिस्मिल ,आजाद ,
वतन को कर देने आबाद ।।
बड़े बैरिस्टर मोती लाल ,
पिता के पुत्र जवाहरलाल ।।
कमाई से थे मालामाल ,
शान शौकत में अच्छे हाल ।।
हुए शामिल गांधी के साथ ,
मिले आपस में लाखों हाथ ।।
लाठियां डंडे खाते रहे ,
जुल्म अंग्रेजों के सब सहे ।।
किया आनंद भवन निज दान ,
बहाया स्वतंत्रता का मान ।।
पुत्र के जीवन का बलिदान ,
पिता की एकमात्र संतान ।।
धन्य थे मोतीलाल महान ,
कर गए अपना सर्वस्व दान ।।
जयंती का उत्सव है आज ,
दिलाया जिसने हमें स्वराज।।

एस के त्रिपाठी
हिंदी शिक्षक

01/04/2023

आप सभी को हिंदू नव वर्ष की मंगलमयी शुभकामनाएं।

।।हिन्दू-नववर्ष।।

भारत के वासी संवत्सर नूतन आया।
नव शस्य लिये सुखदायी‌ संदेशा लाया।।
विक्रमादित्य के शासन का प्रारंभ वर्ष।
अपने गौरव गरिमा का अद्भुत सुखद हर्ष।।
प्रतिपदा चैत्र की प्रथम तिथिआरम्भ दिवस।
वासन्ती मंगल मोदभरा उल्लाल दिवस।।
नवरात्र महोत्सव मना शक्ति का आराधन।
आकलन किया उपलब्ध हुए जो सुख साधन।।
बारह मासों का शुभारंभ है चैत्र शुक्ल।
ऋतु चक्र द्विमासिक षड्ऋतुओं का अनुवर्तन।।
तिथि के अनुसार गिना जाता है चान्द्रमास।
संक्रांति काल की मासिक गणना सौरमास।।
नववर्ष हमारी परम्परा का बोधक है।
शुभ मंगल मय व्यवहार काल का शोधक है।।
शादी विवाह व्रतबन्ध या कि हो गृहारम्भ।
मांगलिक कार्य का होता जब भी शुभारंभ।।
आदित्य उत्तरायण की गति में आते जब।
सब लोग शुभ मुहूरत विचार करवाते तब।।
पीढ़ी अपनी जो वर्तमान की आयी है।
पश्चिमी सभ्यता उस पर ऐसी छायी है।।
अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने वाले बच्चे।
दिग्भ्रमित हुए हैं यद्यपि मन के हैं सच्चे।।
हैप्पी न्यू इयर मनाकर आनंदित होते।
अपनी प्राचीन सभ्यता का गौरव खोते।।
,सब भारतीय अपने गौरव का मान करें।
हिन्दू नव वर्ष मना संस्कृति का ध्यान करें।।
नव वर्ष आप का मंगलमय हो भारतजन।
उन्मुक्त हृदय से करो परस्पर अनुवर्तन।।

एस के त्रिपाठी
हिंदी शिक्षक
एम एन पी एस

।। श्रीराम जन्म महोत्सव (रामनवमी)।।मधुमास शुक्ल नवमी अभिजित् अभिरामा।दशरथनन्दन बन प्रकटे प्रभु‌     श्रीरामा।।जो अखिल लो...
29/03/2023

।। श्रीराम जन्म महोत्सव (रामनवमी)।।

मधुमास शुक्ल नवमी अभिजित् अभिरामा।
दशरथनन्दन बन प्रकटे प्रभु‌ श्रीरामा।।
जो अखिल लोक नायक सचराचर स्वामी।
सुर,धेनु,विप्र,रक्षक प्रभु अन्तर्यामी।।
जब धर्म क्षीण होता अधर्म बढ़ जाता।
मानव मानवता से नीचे गिर जाता।।
निज सन्तानों से दुख पाते पितु माता।
लोकोत्तर चरित सिखाने ईश्वर आता।।
युग युग में होती हानि न्याय की जब जब।
हरि करते शुभ संचार जगत में तब तब।।
प्रभु के अनेक अवतार हुए भारत में।
आदर्श राम स्वीकार हुए जनमत में।।
प्रत्येक वर्ष यह पर्व मनाया जाता।
सबका अभिन्न प्रभु रामचन्द्र से नाता।।
श्रीराम,लखन, शत्रुघ्न,भरत से भ्राता।
जिनकी उदार गाथा इतिहास सुनाता।।
श्रुति कीर्ति, उर्मिला और माण्डवी सीता।
आदर्श वधू बन ख्यात हुईं सुपुनीता।।
सेवाभावी हनुमान राम के प्रियतम ।
जिनकी महिमा स्वामी से है न कुछ कम।।
जै श्रीराम, बजरंग बली की जय हो।
जन जन में व्याप्त अधर्म भाव का क्षय हो।।

श्रीराम जन्म महोत्सव की प्रत्येक भारतवंशी को अनेकानेक शुभकामनाएं प्रेषित हैं।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

।।शहीदी‌ दिवस (सुखदेव, राजगुरु, भगतसिंह)।।इन जांबाज देशभक्तों का कौन दूसरा शानी?वन्दनीय वह हर बन्दा है, जिसने दी कुर्बान...
23/03/2023

।।शहीदी‌ दिवस (सुखदेव, राजगुरु, भगतसिंह)।।

इन जांबाज देशभक्तों का कौन दूसरा शानी?
वन्दनीय वह हर बन्दा है, जिसने दी कुर्बानी।
प्यार किया भारत माता से उसकी यही निशानी।
चूम लिया फांसी का फंदा ऐसे थे बलिदानी।।
भगतसिंह वीरों की जैसी नस्ल यहां है खास।
दुष्ट दमनहित श्रीराम ने स्वीकारा वनवास।
खुदीराम की खुद्दारी का भारत को अहसास।
हर युग में वीरों द्वारा होगा दुष्टों का नाश।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

।।मां शारदा मन्दिर का पुनरुद्धार।।भारत का‌ गौरवशाली इतिहास रहा है।कालक्रम से हमने अत्याचार सहा  है।निर्दोषों का जिस धरती...
22/03/2023

।।मां शारदा मन्दिर का पुनरुद्धार।।

भारत का‌ गौरवशाली इतिहास रहा है।
कालक्रम से हमने अत्याचार सहा है।
निर्दोषों का जिस धरती पर खून बहा है।
निर्मित, उद्घाटित मन्दिर शारदा महा है ।।
हिन्दू संस्कृति के गौरव का है पावन क्षण।
मातृभूमि की मिट्टी का है पावन कण कण।
उन्मादी अत्याचारी आघातों के व्रण।
शान्ति पूर्ण पुनरस्थापन हो या फिर हो रण।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

भगवान की लाठी।।आवाज़ नहीं होती हरगिज़ उसकी लाठी की मार में।वह न्याय सभी का करता है कर्मानुसार संसार में।।हम देख नहीं सकत...
17/03/2023

भगवान की लाठी।।
आवाज़ नहीं होती हरगिज़ उसकी लाठी की मार में।
वह न्याय सभी का करता है कर्मानुसार संसार में।।
हम देख नहीं सकते उसको वह ऐसा अन्तर्यामी है।
हम जीव वश्य सब उसके हैं वह सब जीवों का स्वामी है।।
वह जगत पिता करुणा मय है हर ओर दया बरसाता है।
अपनी नजरों की रहमत से सारी सृष्टी सरसाता है।।
लेखा जोखा रखता सबका हम जो भी कर्म यहां करते।
उसके विधान अनुसार सभी अपनी करनी का फल भरते।।
ये दुनिया यूं ही नहीं व्यवस्थित चलती अगणित सालों से।
रक्षक प्रभु रखवाली करते अत्याचारी की चालों से।।
दुर्बल में भी विश्वास सबल है देर मगर अन्धेर नहीं।
वह सबका निर्णायक हरि है उसके विधान में फेर नहीं।।
हमको विश्वास नहीं उस पर प्रतिकार स्वयं करने लगते।
प्रतिफल पाकर रोते फिरते पर दुष्कर्मों से न हटते।।
भय मानो उस परमेश्वर का दुष्कर्मों से परहेज़ करो।
विश्वास अटल मन में रखकर अपने सत्कर्म सहेज धरो।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

।।आदर्श शासक योगी जी।।नवरात्र पर्व पर शासन का निर्णय बिल्कुल अभिनन्दनीय।आदित्य नाथ योगी जी की यह सोच सर्वथा वन्दनीय।।हैं...
15/03/2023

।।आदर्श शासक योगी जी।।
नवरात्र पर्व पर शासन का निर्णय बिल्कुल अभिनन्दनीय।
आदित्य नाथ योगी जी की यह सोच सर्वथा वन्दनीय।।
हैं राष्ट्रपुरुष श्रीराम चन्द्र मानस है अपना राष्ट्रग्रन्थ।
सांस्कृतिक परम्परायें पनपें और लोग गहें सच्चा सुपन्थ।।
हों सात्विकता सम्पन्न लोग इस हेतु शक्ति का आराधन।
आन्तरिक चेतना हो जागृत अन्यथा नहीं दूजा साधन।।
शासन सत्ता के संचालक दायित्व निभाकर ही अपना।
सबजन हिताय सबजन सुखाय का पूर्ण करेंगे वह सपना।।
इस निर्णय से जिनका विरोध वे झांके निगेहबान अपना।
अय्याशी में मशगूल स्वयं सैफई महोत्सव था सपना।।
नवरात्र, रामनवमी जैसे सांस्कृतिक कार्य आगे भी हों।
हिन्दू संस्कृति अक्षुण्ण रहे इस हेतु लोग जागे भी हों।।
सोया हिन्दू अब जागा है मुगलों का यह साम्राज्य नहीं।
योगी, मोदीजी के रहते भारत भूखण्ड विभाज्य नहीं।।
जनमानस अपना हित सोचे बंटना,कटना मंजूर नहीं।
यदि हिन्दू डरकर भागेगा तो उसे दूसरा ठौर नहीं।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

13/03/2023

।। अन्तिम पड़ाव।।
क्या कभी सोचा है तूने
शेष अब कितने बचे तेरी उमर के।
जा रहे हैं लोग जब तब
बिन बताए ही स्वयं की मौत मर के।।
क्या तुझे चिंता सताती है
कि जाना है तुझे भी छोड़ सब कुछ।
कर गुजरने की तमन्ना
शेष है दिल में तुम्हारे भी अभी कुछ।।
ज़िन्दगी जितनी है बीती
क्या सुफल उसका मिला सोचो विचारो।
बन्धनों में बांध निज को,
तड़पनों की भेंट चढ़ते जा रहे कुछ तो विचारो।।
देह की बाती जली जाती
उमर का तेल भी अवशेष कमतर।
पर उजाला ना हुआ तुझसे
चमन में फिर मिलेगा न कभी ऐसा सुअवसर।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

।। ज़िन्दगी।।तुम्हारी जिन्दगी क्या है?लिखो,फेंको कलम जैसी।कलम में इंक है जब तकलिखेगी लेखनी तब तक।।खतम स्याही कलम फेंकीन ...
12/03/2023

।। ज़िन्दगी।।
तुम्हारी जिन्दगी क्या है?
लिखो,फेंको कलम जैसी।
कलम में इंक है जब तक
लिखेगी लेखनी तब तक।।
खतम स्याही कलम फेंकी
न सोचा कुछ बदी नेकी।।
यही है सत्य जीवन का
जगत के इस चमन का।।
शक्ति सामर्थ्य है जब तक
सगे सम्बन्ध हैं तब तक।।
चमन का मुस्कराता फूल है तू
डाल से झड़ गया तो धूल है तू।।
न तेरा कल रहा न कल रहेगा
सजल सरिता की धारा सा बहेगा।।
तेरा अस्तित्व बस इतना यहां है
टपकती बूंद ज्यों,ढ़ूंढ़ो कहां है?।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

।। होली खेलो।। प्रेम से रंग गुलाल लगाओ होली है।घर में जो है बांट के खाओ होली है।।अपनापन सबपे बरसाओ होली है।प्यार से सबको...
08/03/2023

।। होली खेलो।।
प्रेम से रंग गुलाल लगाओ होली है।
घर में जो है बांट के खाओ होली है।।
अपनापन सबपे बरसाओ होली है।
प्यार से सबको गले लगाओ होली है।।
भेद बुद्धि से ऊपर आओ होली है।
नहीं किसी का हृदय दुखाओ होली है।।
ढोल बजाकर फगुआ गाओ होली है।
घर घर जाकर गुझिया खाओ होली है।।
मस्ती करके मौज मनाओ होली है।
मन में सबके प्रीति जगाओ होली है।।
गलत तरीके मत अपनाओ होली है।
मादक द्रव्य न पियो पिलाओ होली है।।
बीती बातें आज भुलाओ होली है।
बुरा मान मत गाल फुलाओ होली है।।
सामाजिक सद्भाव बढ़ाओ होली है।
पर्वों के सन्दर्भ सजाओ होली है।।

सभी सनातन धर्मावलंबियों को होली की अशेष शुभकामनाएं।
पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

।।महा शिवरात्रि पर्व।।हे महादेव हर मृत्युंजय वृषभध्वज मंगलकारी हो।हे विश्वनाथ खट्वांगशूलधर विश्वंभर सुखकारी हो।हे मदनांत...
18/02/2023

।।महा शिवरात्रि पर्व।।

हे महादेव हर मृत्युंजय वृषभध्वज मंगलकारी हो।
हे विश्वनाथ खट्वांगशूलधर विश्वंभर सुखकारी हो।
हे मदनांतक गिरजार्धदेह पंचानन शिव दुखहारी हो।
हे कृत्तिवास नन्दीवाहन हिमगिरि कैलाशबिहारीहो।
हे साम्बसदाशिव डमरूधर मेरे उर का तम नाश करो।
आनंदकन्द सच्चिदानंद प्रभु मन में दिव्य प्रकाश भरो।
शिवसत्यसनातन तत्व प्रभो मम हिरदय में नितवास करो।
जय द्वादश ज्योतिर्लिंग विभो भवमोचन जग की त्रासहरो।।

साम्बसदाशिव साम्बसदाशिव साम्बसदाशिव जय शंकर।
हर हर शंकर दुखहर सुखाकर अघतम हर हर हर शंकर।।
जरत सकल सुर वृंद विषम गरल जेहि पान किय।
तेहि न भजसि मतिमंद को कृपालु संकर सरिस।।

पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर

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Jamshedpur

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