07/01/2025
।। ठगी से सावधान।।
सावधान!हर बस्ती में दो चार भेड़िए घूम रहे हैं।
खिली कली के दीवाने भौंरे आ आकर चूम रहे हैं।
सहज सुलभ सौन्दर्य देह का आकर्षण पैदा करता है।
लोभी वंचक लालच देकर इस निधि का सौदा करता है।
दुनिया का बाजार सजा है क्रय-विक्रय का चक्र चल रहा।
बाह्य प्रदर्शन को लालायित चेहरे पर नर क्रीम मल रहा।
जिसकी पैकिंग है मन मोहक माल भले हो दो नम्बर का।
वही वस्तु बिक रही फटा फट यह प्रभाव है आडम्बर का।।
मूर्ख बाहरी देख प्रदर्शन लालायित हो ठगे जा रहे।
एक दूसरे को लख लख कर उसी दिशा में भगे जा रहे।
रुप सजाने की दूकानें ब्यूटीपार्लर कहलाती है।
पैसे लेकर वे सुन्दरियां चेहरे को सुख सहलाती हैं।।
औरत मर्द सभी की चाहत ठगने को प्रेरित करती है।
यही वंचना मन में रखकर यह दुनिया प्यासी मरती है।।
यह पागलपन लाइलाज है भरी जवानी में पलता है।
ज्यों नजदीक बुढ़ापा आता मन ही मन ज्यादा खलता है।।
कहें कहां तक अकथ कहानी रहते समय समझ ना आनी।
चढ़ा मुलम्मा जहां उतरता दिखता अलग दूध और पानी।।
इस बेवकूफी के शिकार हो बर्बादी का जश्न मनाते।
पाॅकेट खाली हो जाने पर वही लोग ज्यादा दुख पाते।।
इस बाजार वाद के युग में देखा देखी करो न भाई।
स्वयं वास्तविकता को आंको जीवन में है तभी भलाई।
पं शैलेश कुमार शास्त्री
जमशेदपुर