आपणों उम्मेदाबाद

आपणों उम्मेदाबाद आओ मिलकर चर्चा करे।

16/01/2024

रामलला को जब जब टेंट से मंदिर में ले जाने के प्रयास हुए, तब-तब राम विरोधियों ने किसी न किसी तरह से विघ्न पैदा किया।

देखिए, रामराज्य - संघर्ष से परिणाम तक का अध्याय 4 - विघ्न काल।

15/01/2024

30 अक्टूबर, 1990 और 2 नवंबर, 1990 को अयोध्या में निहत्थे कारसेवकों पर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री के आदेश पर पुलिस ने चला दी थी गोलियां।

देखिए, रामराज्य - संघर्ष से परिणाम तक का अध्याय 3 - आहुति।

14/01/2024

रामराज्य - संघर्ष से परिणाम तक के अध्याय 2 - आरंभ में देखिए कैसे उस रथयात्रा को बिहार में रोका गया...

13/01/2024

बाबर के सेनापति मीर बाकी ने श्रीराम जन्मभूमि पर बने मंदिर को ध्वस्त कर बनवाई थी मस्जिद।

रामराज्य - संघर्ष से परिणाम तक के अध्याय 1- अमावस्या में देखिए, कैसे 20वीं सदी में मंदिर निर्माण के लिए बजी संघर्ष की अंतिम रणभेरी...

20/12/2023

जालोर विधायक Jogeshwar Garg Jalore जी ने राजस्थान विधानसभा मे राजस्थानी भाषा मे शपथ लेने को लेकर मांग उठाई।

09/09/2023

बह्मलीन महंतश्री १००८ श्री रावतभारतीजी महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर संत समागम एवं धर्मसभा।

Monday's view  #गोलमठPic's cd -
14/08/2023

Monday's view #गोलमठ

Pic's cd -

बाढ़ नियंत्रण एवं बचाव राहत कार्य के लिए जिला प्रशासन द्वारा जारी नियंत्रण कक्षों नंबरों की सूची
14/06/2023

बाढ़ नियंत्रण एवं बचाव राहत कार्य के लिए जिला प्रशासन द्वारा जारी नियंत्रण कक्षों नंबरों की सूची

अखण्ड रामनाम जप यज्ञ एवं श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा 11 मई से 19 मई तक दोपहर 12.30 से सांस 4.00 बजे तक स्थान-: रामद्वारा उम्...
09/05/2023

अखण्ड रामनाम जप यज्ञ एवं श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा
11 मई से 19 मई तक दोपहर 12.30 से सांस 4.00 बजे तक स्थान-: रामद्वारा उम्मेदाबाद

आप सभी को होली दहन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
06/03/2023

आप सभी को होली दहन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।

आशाओं पर निराशा की परत जम गईदेखते ही देखते पल में सारी मेहनत धरी रह गई।
30/01/2023

आशाओं पर निराशा की परत जम गई
देखते ही देखते पल में सारी मेहनत धरी रह गई।

सभी किसान भाइयों से अनुरोध है।जिन्होंने अपनी फसल का बीमा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत करवाया है।1-उन सभी किसानों ...
30/01/2023

सभी किसान भाइयों से अनुरोध है।
जिन्होंने अपनी फसल का बीमा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत करवाया है।

1-उन सभी किसानों की फसल को यदि ओलावृष्टि से कोई भी नुकसान होता है।
2- या फिर खेत में कटी पड़ी हुई फसल पर बारिश या ओलावृष्टि होती है।

इन दोनों ही स्थिति में किसान अपनी फसल की व्यक्तिगत शिकायत 72 घंटे में कर सकता है।
फसल खराबे की शिकायत दर्ज कराने हेतु

बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर 18002095959

पर परिवाद दर्ज करावेंं।

सभी किसान भाइयों से निवेदन है जिन्होंने अपनी फसल का बीमा करवा रखा है वही किसान अपनी फसल की शिकायत दर्ज करें।

आप सभी देशवासियों को 74वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।  #गणतंत्रदिवस  #आपणों_उम्मेदाबाद
26/01/2023

आप सभी देशवासियों को 74वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। #गणतंत्रदिवस #आपणों_उम्मेदाबाद

आप सभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ।  #आपणों_उम्मेदाबाद  #मकरसंक्रांति
14/01/2023

आप सभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ।
#आपणों_उम्मेदाबाद #मकरसंक्रांति

युग प्रवर्तक, ओजस्वी विचारक स्वामी विवेकानन्द जी की जयंती पर शत् शत् नमन एवम् राष्ट्रीय युवा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
12/01/2023

युग प्रवर्तक, ओजस्वी विचारक स्वामी विवेकानन्द जी की जयंती पर शत् शत् नमन एवम् राष्ट्रीय युवा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

30/11/2022

जय शिलेश्वर री!! जय नाथ जी री!!

हजारों वर्षों री परंपरा मे आपणों उम्मेदाबाद भी चार महारूद्र यज्ञों रो साक्षी है। प्रथम महारूद्र यज्ञ- (616वर्ष पूर्व) वि...
25/11/2022

हजारों वर्षों री परंपरा मे आपणों उम्मेदाबाद भी चार महारूद्र यज्ञों रो साक्षी है।

प्रथम महारूद्र यज्ञ- (616वर्ष पूर्व) वि.सं.१४६३ मे मठ के चौथे महंत श्री १०८ जयदेव भारतीजी महाराज के सानिध्य मे संपन्न हुआ था। तब यज्ञ के आचार्य गुरु रतन राघवानंदजी थे।

द्वितीय महारूद्र यज्ञ-:(62वर्ष पूर्व) वि.सं.२०१७ श्रावण सुदी पोचम को मठ के 17वें महंत १०८श्री फुलभारतीजी महाराज के सानिध्य मे हुआ एवम् भगवान श्री शीलेश्वर महादेव मंदिर की गर्भ गृह की मूर्तियों का भी जीर्णोद्धार पुज्य महंतजी ने करवाया। यह यज्ञ आठ दिनों तक चला था।

तृतीय महारूद्र यज्ञ-:(20वर्ष पूर्व) वि.सं.२०५९ ज्येष्ठ सुदी दशम को मठ के उन्नीसवें महंतश्री १०८ रावत भारतीजी महाराज ने पूज्यश्री अन्नपूर्णाजी माताजी का भव्य मंदिर निर्माण कर प्रतिष्ठा करवाई एवम् महारूद्र यज्ञ का आयोजन किया।

चतुर्थ महारूद्र यज्ञ-:(10वर्ष पूर्व) वि.सं.२०६९ वैसाख सुदी दशम को महंत रावत भारतीजी ने भगवान शिलेश्वर महादेव का शिखर युक्त मंदिर निर्माण एवम् समाधि प्रांगण कोभी शिखर युक्त बनवाकर जीर्णोद्धार करवाया और भव्य पंचदिवसीय महारूद्र यज्ञ का आयोजन करवाया।

#आपणों_उम्मेदाबाद #महारूद्र_यज्ञ

गुरू मेरा परब्रह्म गुरु गोविंद #आपणों_उम्मेदाबाद  #संतसमागम
25/11/2022

गुरू मेरा परब्रह्म गुरु गोविंद
#आपणों_उम्मेदाबाद #संतसमागम

02/11/2022
श्रावण मास का द्वितीय सोमवार  #आपणों_उम्मेदाबाद  #गोल_मठ
25/07/2022

श्रावण मास का द्वितीय सोमवार
#आपणों_उम्मेदाबाद #गोल_मठ

संतो महंतो के नाम के आगे श्री108 एवम श्री 1008 लगाने का भी अपना महत्व है। परंतु आजकल सभी संत अपने नाम के आगे 1008 लगाते ...
21/07/2022

संतो महंतो के नाम के आगे श्री108 एवम श्री 1008 लगाने का भी अपना महत्व है। परंतु आजकल सभी संत अपने नाम के आगे 1008 लगाते है जबकि 1008 सिर्फ जगद्गुरू एवं महामंडेश्वर पदवी के महात्माओं के नाम आगे ही लगता है। हमारे क्षेत्र के सभी मठ एवम् मढीयाँ श्री108 उपाधि से सुशोभित है। आस्था और श्रद्धा के अनुसार लोगो द्वारा श्री1008 लगाने की परंपरा शुरू हो गई। स्त्रोत -:

श्रावण का प्रथम सोमवार 🙏🙏 #श्रावणमास  #आपणों_उम्मेदाबाद
18/07/2022

श्रावण का प्रथम सोमवार 🙏🙏
#श्रावणमास #आपणों_उम्मेदाबाद

17/07/2022

#गोलमठ के चौथे महंत हुए श्री १०८ श्री जयदेवभारतीजी महाराज। तीसरे महंत श्री मनोहरभारती महाराज के कैलाशगमन के बाद जयदेवभारतीजी को उत्तराधिकारी बनाया गया।
जयदेवभारतीजी योगसिद्धि के साथ वेंदो के ज्ञाता थे। वि.सं. १४६३ मेें श्री जयदेवभारतीजी ने महारूद्र यज्ञ करवाया जिसमे अनेकों महामण्डलेश्वर एवं मठों को मठाधीश पधारे। उस यज्ञ की पूर्णाहुति के बाद सभी संतो महंतो और महामण्डलेश्वरो ने मिलकर गोलमठ क्षेत्र को मण्डल बनाकर एवम् गोलमठ के गादीपति अर्थात महंत को इस मण्डल का मण्डलेश्वर बनाने के साथ "श्री १०८ श्री" की पदवी से भी सुशोभित किया। उससे पहले गोलमठ के महंतो के नाम के आगे कोई पदवी नही लगती थी।
पूज्य जयदेवभारतीजी वि.सं. १४७२ की मगर सुदी १३ के दिन योगक्रिया द्वारा समाधिस्थ हो गए।
#आपणों_उम्मेदाबाद

11/07/2022

विराट संत सम्मेलन २०१६ साकेत आश्रम सोजत सिटी मे
पूज्य बह्मलीन महंत श्री रावतभारतीजी महाराज
स्त्रोत-: साकेत आश्रम fb
#आपणों_उम्मेदाबाद #गोल_मठ

10/07/2022

शायद मैं वो आखिरी पीढ़ी हूं, जो लोकदेवताओं और कुलदेवियों के प्रति इस प्रकार के आह्वान और अनुष्ठान को देख रही हूं। मैं रामदेव जी महाराज के जागरणों में हुजूम को देखी हूं। धोती वाले बुजुर्गों और घाघरा ओढ़ना वाली लुगाइयों को भजनों पर नाचते गाते देखी हु। हालांकि मैं प्रतिबद्ध हूं; की अधिक से अधिक बातें करूँगी; इन विषयों पर ताकि आने वाली पीढ़ियों इसको सरलता से सहेज सके।

संस्कृति को सहेजना और उसको अगली पीढ़ी तक पहुंचाना रिले रेस की तरह ही होता है। हमें थोड़ा तेज दौड़ना पड़ेगा, ज्यादा जागरूक रहना पड़ेगा। क्यूंकि आगे वाली पीढियां नीरस है। वो धोती से अधिक महत्व जीन्स को देने लगी है

जसोल राजस्थान के पश्चिमी थार में बसा हुआ एक छोटा सा ग़ांव है। ग़ांव छोटा सा है, लेकिन महिमा अपरंपार माँजीसा राणी भटियाणी की वजह से। उनका मंदिर जसोल के अलावा, पाकिस्तान के सिंन्ध, बलोचिस्तान में भी आज भी मिल जाएगा।

जैसा कि सर्वविदित है। राजस्थान लोकदेवताओ/ कुलदेवताओ/ कुलदेवीयों/ ईष्टदेवीयो का स्थान है। माँजीसा राणी वही चमत्कारी मंदिर है, जहां मन्नत पूरी होने पर लोग सड़कों पर नाचते गाते पहोंचते है।

आपका जन्म 1725 में हुआ और विवाह रावल कल्याणमल जी के साथ हुआ था। वो उनकी दूसरी पत्नी थी। औरतों में सातिया डॉह होता है। मतलब ईष्या की बड़ी गन्दी भावना। उसीके चलते रावल साहेब की पहली पत्नी माँजीसा से जलने लगी। रावल साहेब को पहला पुत्र भी माँजीसा की वजह से मिला। अब क्या मारे जलन के पहली रानी ने माँजीसा के पुत्र को जहर दिलवा दिया। माँजीसा ने स्वयं को भी अग्नि के हवाले कर दिया। लेकिन माँजीसा ने मृत्यु प्राप्त होने के पश्चात भी बात करना या पर्चे देना बंद नही किया। आज भी वो अपने सच्चे भक्तों के अंदर आकर ही साक्षात बोलती है। मनोकानाएँ पूर्ण करती है। इनका नाम भी राजस्थान की प्रमुख ईष्ट देवीयो में आता है।

मनौती पूरी होने पर जात देते है 'कांचळी', 'लूगड़ी', 'बिंदिया और चूड़ियां राणी भटियाणी के भक्त जन चढ़ाते हैं।( पूरा मंदिर परिसर इन चीजों से भरा पड़ा रहता है) यही के भूतपूर्व रक्षा मंत्री बाबोसा जसवंत सिंह जी थे।

प्रतिवर्ष चैत्र और आश्विन माह के नवरात्र में वैशाख, भाद्रपद और "माघ महीनों की शुक्ल पक्ष की तेरस व चवदस को यहाँ श्रद्धालु आते हैं।

ऐसा पागलपन मैंने आवड़ मां, भदिरया राय, करणी मां, बाण मां सभी के लिये देखा है। ओशियाँ तो न हमारी कुलदेवी है, बल्कि उनका ऐतिहासिक महत्व भी बहुत बड़ा है। वो ओशवाल जैन बनियो, परमारो( पंवारो), जाटों के पंवार से निकली गौत्रों की कुलदेवी भी है।

Note : Video में ये क्षत्राणी माँजीसा भटियाणी का आह्वान कर रही है। बड़ा तेज़ होता है उनमे हरेक के बस की बात नही यूं लोकदेवताओं और कुलदेवीयों का आह्वान करना। शक्ति को सहेजना पड़ता है। ❤️

Bharti panwar

माता अन्नपूर्णाजी मंदिर प्रतिष्ठा के समय आत्मीय मिलन #2002  #गोल_मठ  #आपणों_उम्मेदाबाद
06/07/2022

माता अन्नपूर्णाजी मंदिर प्रतिष्ठा के समय आत्मीय मिलन
#2002 #गोल_मठ #आपणों_उम्मेदाबाद

माता पार्वती भगवान गणपति एवम् विष्णु भगवान की प्राचीन प्रतिमाए जो वि.सं.२०१७ तक शिलेश्वर महादेव मंदिर के जिर्णोद्धार से ...
17/06/2022

माता पार्वती भगवान गणपति एवम् विष्णु भगवान की प्राचीन प्रतिमाए जो वि.सं.२०१७ तक शिलेश्वर महादेव मंदिर के जिर्णोद्धार से पूर्व मंदिर के गर्भ गृह मे पूज्यनीय थी। आज यह मंदिर परिसर मे मठ की प्राचीनता की साक्षी दे रही है।
#आपणों_उम्मेदाबाद #गोल_मठ

धनानी मठ की स्थापना 390 वर्ष पूर्व गोलमठ के पडशिष्य अर्थात उम्मेदाबाद गोलमठ के छठें महंतश्री पंडित रंगाभारतीजी महाराज के...
16/06/2022

धनानी मठ की स्थापना 390 वर्ष पूर्व गोलमठ के पडशिष्य अर्थात उम्मेदाबाद गोलमठ के छठें महंतश्री पंडित रंगाभारतीजी महाराज के शिष्य नरोत्तम भारतीजी के शिष्य श्री कल्याणभारतीजी के शिष्य परम पूज्य नागा सन्यासी श्री रूपभारतीजी महाराज ने वि.सं. 1691 वैशाख सुदी ३ को की थी।
पूज्य नागा सन्यासी रूपभारतीजी महाराज ने धानसा के राठौड परिवार को अपने वचनों से अभिभूत करके धानसा के पश्चिम मे दो मील दूरी पर जंगल मे इस मठ की स्थापना की थी। मठ स्थापना के बाद आस-पास मे बस्तिया बस्ती गई और पूरा एक गाँव का रूप बन गया जिसे हम आज धनानी और धनानी मठ के नाम से जानते है। यहाँ श्री नागेश्वर महादेवजी का मंदिर है।

मठ की स्थापना के साथ-साथ पूज्य नागा सन्यासी रूपभारतीजी महाराज ने एक केर का पेड लगाया जिस पर कहाँ जाता है आज भी उनके वचनों से 'रूद्राक्ष' लगते है यह अपने आप मे एक दिव्य चमत्कार है। यहाँ यह भी एक मान्यता है की बच्चो मे कूकर खाँसी होने पर नागा बावसी का नाम लेकर धूपिया करके रूद्राक्ष गले मे बांधने से आराम हो जाता है।
पूज्य सन्यासी रूपभारतीजी महाराज ने जीवित समाधि ग्रहण की थी और नागाजी बावसी के नाम से नित्य पूज्नीय हो गए। इनकी समाधि मठ परिसर मे स्थित है।
रूप भारतीजी महाराज के बाद धनानी मठ के कई तपोबली संत और महंत हुए जो की निम्नलिखित है।
1.आदि महंत श्री परम पूज्य नागाजी श्री रूपभारतीजी महाराज
2.महंतश्री करण भारतीजी 3.महंतश्री श्याम भारतीजी
4.महंतश्री दोलत भारतीजी 5.महंतश्री भीम भारतीजी
6.महंतश्री हरजी भारतीजी 7.महंतश्री रामा भारतीजी
8.महंतश्री कचराभारतीजी 9.महंतश्री फूल भारतीजी
10.महंतश्री मानभारतीजी 11.महंतश्री रणछोडभारतीजी
12.महंतश्री भदूरभारतीजी 13.महंतश्री भूताभारतीजी
14.महंतश्री मादाभारतीजी 15.महंतश्री गणेशभारतीजी
16.महंतश्री नैनभारतीजी 17.महंतश्री निर्वाण भारतीजी
18.महंतश्री हरिभारतीजी
19.महंतश्री भोलाभारतीजी (निवर्तमान) जिनका कल देवलोकगमन हुआ।

इस प्रकार कई महंत और संतो ने धनानी की मठ की परम्परा को शोभायमान किया एव् इसकी किर्ती को आगे बढाया।
हमने आपको पहले भी अवगत करवाया था मठ शब्द अपने आप मे इतना गहरा है जिसके इतिहास मे आप जितना जाओगे उतना ही उसमे खोते जाओगे अर्थात आप अभिभूत हो जाएगे हर पहलू को जानकार और आप गौरवान्वित महसूस करेगे की हाँ हमारे गाँव मे भी मठ है और हम मठ परिवेश मे रहते है।
मारवाड क्षेत्र के अनेको मठ ऐसे है जिनका सीधा कनेक्सन उम्मेदाबाद के गोलमठ से है क्यूकी यहाँ के महंतो के शिष्यों ने वातावरण मे भ्रमण करके कई क्षेत्रो मे मठों की स्थापना की जो आज कई किर्ती और यश के साथ प्रसिद्ध है।

जय शिलेश्वर री सा!! जय अन्नापूर्णाजी री सा!!

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