Krrish खूनी

Krrish खूनी Electrical engineer by profession.
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हीरो हिरोहिन को सब लाईक करते है आज देखते है बाबा को कितना लोग लाईक करते है ♥️bhagya lashkmi today episodebhagya laxmi to...
09/06/2024

हीरो हिरोहिन को सब लाईक करते है आज देखते है बाबा को कितना लोग लाईक करते है ♥️
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हीरो  की फ़ोटो को तो सब लाइक करते है आज देखते है हमे कितने लोग लाइक करते हैं । ❤bhagya lashkmi today episode bhagya laxmi...
09/06/2024

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❤हल्की आँखें बंद करके देखें क्या दिखा❤कोई पागल ही होगा जो लाइक नही करेगा
09/06/2024

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आधी आँख बंद करके देखे
09/06/2024

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🚛 ट्रक के टायर के ऊपर में ट्यूब क्यू बांधते है
04/06/2024

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जय कुबेर देवता की जय हो ♥️bhagya lashkmi today episode bhagya laxmi today episode full bhagya lakshmi serial update bhag...
29/05/2024

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ये कोनसा पकवान है ♥️आपकी भाषा में क्या बोलते हैं??♥️🙏
26/05/2024

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राजस्थान की ढाँणिया😍
25/05/2024

राजस्थान की ढाँणिया😍

यह अमेरिका या चीन नहीं है राजस्थान की राजधानी   का हाईवे हे देख लो घूमने जरूर आना                Kamlesh Meena
25/05/2024

यह अमेरिका या चीन नहीं है राजस्थान की राजधानी का हाईवे हे देख लो

घूमने जरूर आना


Kamlesh Meena

यह शौर्य गाथा है शहीद वीरांगना रानी अवंतीबाई कीयह भारत देश शौर्य और पराक्रम से भरा हुआ देश है। यहाँ बसने वाले वीरगाथाओं ...
25/05/2024

यह शौर्य गाथा है शहीद वीरांगना रानी अवंतीबाई की

यह भारत देश शौर्य और पराक्रम से भरा हुआ देश है। यहाँ बसने वाले वीरगाथाओं ने देश एवं विदेश में एक-एक भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा किया है। रानी कोटा से लेकर रानी लक्ष्मीबाई इन सभी वीरांगनाओं ने अपने राज्य और देश की स्वतंत्रता और गौरव के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। मगर आज के भटके भारत ने इन सभी गाथाओं को भुला दिया है। इन वीरों को वह महत्व नहीं दिया गया जिनके यह हकदार थे। ऐसे ही एक वीरांगना की अमर गाथा आप सबके सामने लाया हूँ। यह इतिहास है रानी अवंतीबाई(Rani Avantibai) की जिन्होंने अंग्रेजों को उलटे पाँव भागने पर विवश किया था।

16 अगस्त 1831 को आज के मध्य प्रदेश में रानी का जन्म हुआ। अवंतीबाई के पिता राव जुझार सिंह जिला सिवनी के जमींदार थे, जिन्होंने बचपन से अवंतीबाई को शिक्षा, घुड़सवारी एवं तलवारबाज़ी सीखने की छूट दी। यह बात इसलिए भी ख़ास है क्योंकि उस समय और आज भी कई जगह बेटियों को घर का काम ज़्यादा सिखाया जाता है। रानी अवंतीबाई के किस्से दूर-दूर तक मशहूर होने लगे थे। अवंतीबाई(Rani Avantibai) के साहस और कौशल को देखकर सभी आश्चर्यचकित रह जाते थे।

रानी अवंतीबाई का विवाह रामगढ़ रियासत के राजकुमार विक्रमादित्य सिंह से हुआ था। वर्ष 1850 में अपने पिता की मृत्यु के उपरांत राजकुमार विक्रमादित्य ने राजा का पदभार संभाला। रानी अवंतीबाई के दो पुत्र हुए जिनका नाम था अमान सिंह एवं शेर सिंह। राज-काज संभालने के कुछ समय बाद ही राजा अस्वस्थ रहने लगे। नौबत यह आन पड़ी थी कि उनसे रियासत का काम संभालना दूभर हो गया। उस समय दोनों राजकुमार भी छोटे थे जिस वजह से राज-काज कौन संभालेगा इस पर दुविधा की स्थिति पैदा हो गई थी। जिसके पश्चात रानी अवंतीबाई ने राज-काज संभालने का निर्णय लिया।

अंग्रेजी शासन अपने साम्राज्य के विस्तार में हर संभव प्रयास कर रहा था। उस समय के ब्रिटिश राज के गवर्नर जनरल थे लॉर्ड डलहौजी जिसका भारत में 'डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स' कानून के जरिए सभी हिन्दू बहुल प्रांतों को किसी भी तरह अपने साम्राज्य में शामिल करना ही मकसद था। और इसी कानून के जरिए वह कानपुर, झांसी, नागपुर, सतारा, जैतपुर, संबलपुर, उदयपुर, करौली इत्यादि रियासतों को हड़प चुका था।

जब राजा के अस्वस्थ रहने की भनक अंग्रेजी हुकूमत तक पहुंचीं, तो डलहौजी की नजर इस रियासत पर भी पड़ी। और उसने रियासत को अंग्रेजी हुकूमत के अधीन लाने का फैसला किया। जिसके उपरांत रानी अवंतीबाई(Rani Avantibai) को अयोग्य घोषित कर सत्ता को हड़प लिया गया। इसे रानी अवंतीबाई ने स्वयं के साथ-साथ स्वतंत्रता का भी अपमान समझा

सन 1857 में जब सम्पूर्ण देश में स्वतंत्रता की आग जन्मी थीं तब इस आग लपटें रानी अवंतीबाई(Rani Avantibai) तक भी पहुँची। जिसके तत्पश्चात ही उन्होंने संग्राम में कूदने का फैसला किया। रानी अवंतीबाई(Rani Avantibai) के साथ अन्य साथी रिआसतों ने भी संग्राम में कूदने का फैसला किया और यह सब रानी द्वारा लिखे गए खतों की वजह से संभव हुआ। इस समय रानी लगभग 4000 स्वतंत्रता सेनानियों का नेतृत्व कर रहीं थीं, जो कि देश और स्वतंत्रता के लिए मर-मिटने के लिए भी तैयार थे।

भारतीय वीरों ने अंग्रेजों के साथ खेरी गांव में हुए पहले झड़प में उन गोरों के दाँत खट्टे कर दिए। गोरों ने यह नहीं सोचा था कि भारतीय शेर उन पर भारी पड़ेंगे। रानी अवंतीबाई द्वारा बनाई गई रणनीति का ही यह नतीजा था कि अंग्रेजों को भागने पर मजबूर होना पड़ा और मंडला क्षेत्र रानी अवंतीबाई के अधीन आ गया।

जब इस घटना की खबर ब्रिटिश प्रशासन को लगी तो वह सब बौखला गए, किन्तु वह यह भी जानते थे कि इन भारतीय शेरों से भिड़ना आसान काम नहीं होगा। तब गोरों ने पहले से कई ज़्यादा क्रूर रणनीति बनाई। इस बार हुए झड़प में हमारे देशभक्त मशीनगनों और बर्बरता के सामने नहीं टिक पाए और अंततः रानी को जान बचाने के लिए और इस संग्राम को जीवित रखने के लिए देवीरगढ़ के जंगलों में भागना पड़ा। अंग्रेजों द्वारा देशभक्तों की हत्या की आग अभी भी रानी के सीने में धधक रही थी और रानी अवंतीबाई उन वीरांगनाओं में से थीं जिन्होंने हारना सीखा ही नहीं।

रानी अवंतीबाई ने पुनः सेना एकत्र कर अंग्रेजों के शिविर पर हमला बोला किन्तु फिर एक बार आजादी के मतवालों को मशीनगनों द्वारा रौंध दिया गया। जब रानी(Rani Avantibai) ने स्वयं को अंग्रेजों से घिरते हुए देखा तब उन्होंने बंधक के रूप में नहीं स्वतंत्र मरने का फैसला किया और अपने ही तलवार से खुद के प्राण ले लिए। ऐसे ही कई स्वतंत्रता संग्राम के बाद देश भर में आजादी की मुहीम तेज हुई थी। ऐसे ही वीर, वीरांगनाओं के बलिदानों से प्रेरित होकर शहीद भगत सिंह, आज़ाद जैसे अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए बलिदान दिए। जिसका परिणाम है आज का 'आजाद भारत'।

बैराट मंदिर एक स्वतंत्र बौद्ध मंदिर, एक चैत्यगृह है, जो भारत के राजस्थान के विराटनगर शहर से लगभग एक मील दक्षिण-पश्चिम मे...
24/05/2024

बैराट मंदिर एक स्वतंत्र बौद्ध मंदिर, एक चैत्यगृह है, जो भारत के राजस्थान के विराटनगर शहर से लगभग एक मील दक्षिण-पश्चिम में एक पहाड़ी पर स्थित है, जिसे स्थानीय रूप से “बीजक-की-पहाड़ी” कहा जाता है।

मंदिर गोलाकार प्रकार का है, जो एक केंद्रीय स्तूप से बना है जो एक गोलाकार स्तंभ और एक घेरने वाली दीवार से घिरा हुआ है। इसका निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक के समय में किया गया था, और इसके पास अशोक के दो लघु शिलालेख, बैराट और कलकत्ता-बैराट लघु शिलालेख पाए गए थे।

यह सबसे पुराना गोलाकार बौद्ध मंदिर है और इसलिए, बैराट मंदिर भारत की वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण मार्कर है। यह मत्स्य जनपद के प्राचीन क्षेत्र में स्थित है, जो प्रारंभिक साहित्यिक और पुरालेखीय संदर्भों में वैदिक बलिदानों का केंद्र था। इस प्रकार इस क्षेत्र से एक समृद्ध बौद्ध केंद्र का साक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण है। बैराट स्थल पर महत्वपूर्ण संरचनाओं में एक मठ और गोलाकार मंदिर के बगल में अशोक स्तंभों के कई अवशेष भी शामिल हैं।

आधी रात का समय था रोज की तरह एक बुजुर्ग शराब के  नशे में अपने घर की  तरफ जाने वाली गली से झूमता हुआ जा रहा था, रास्ते मे...
24/05/2024

आधी रात का समय था रोज की तरह एक बुजुर्ग शराब के नशे में अपने घर की तरफ जाने वाली गली से झूमता हुआ जा रहा था, रास्ते में एक खंभे की लाइट जल रही थी, उस खंभे के ठीक नीचे एक 15 से 16 साल की लड़की पुराने फटे कपड़े में डरी सहमी सी अपने आँसू पोछते हुए खड़ी थी जैसे ही उस बुजुर्ग की नजर उस लड़की पर पड़ी वह रूक सा गया, लड़की शायद उजाले की चाह में लाइट के खंभे से लगभग चिपकी हुई सी थी, वह बुजुर्ग उसके करीब गया और उससे लड़खड़ाती जबान से पूछा तेरा नाम क्या है, तू कौन है और इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है...?

लड़की चुपचाप डरी सहमी नजरों से दूर किसी को देखे जा रही थी उस बुजुर्ग ने जब उस तरफ देखा जहाँ लड़की देख रही थी तो वहाँ चार लड़के उस लड़की को घूर रहे थे, उनमें से एक को वो बुजुर्ग जानता था, लड़का उस बुजुर्ग को देखकर झेप गया और अपने साथियों के साथ वहाँ से चला गया लड़की उस शराब के नशे में बुजुर्ग से भी सशंकित थी फिर भी उसने हिम्मत करके बताया मेरा नाम रूपा है मैं अनाथाश्रम से भाग आई हूँ, वो लोग मुझे आज रात के लिए कहीं भेजने वाले थे, दबी जुबान से बड़ी मुश्किल से वो कह पाई...!

बुजुर्ग:- क्या बात करती है..तू अब कहाँ जाएगी..!
लड़की:- नहीं मालूम.....!
बुजुर्ग:- मेरे घर चलेगी.....?

लड़की मन ही मन सोच रही थी कि ये शराब के नशे में है और आधी रात का समय है ऊपर से ये शरीफ भी नहीं लगता है, और भी कई सवाल उसके मन में धमाचौकड़ी मचाए हुए थे!
बुजुर्ग:- अब आखिरी बार पूछता हूँ मेरे घर चलोगी हमेशा के लिए...?
बदनसीबी को अपना मुकद्दर मान बैठी गहरे घुप्प अँधेरे से घबराई हुई सबकुछ भगवान के भरोसे छोड़कर लड़की ने दबी कुचली जुबान से कहा जी हाँ

उस बुजुर्ग ने झट से लड़की का हाथ कसकर पकड़ा और तेज कदमों से लगभग उसे घसीटते हुए अपने घर की तरफ बढ़ चला वो नशे में इतना धुत था कि अच्छे से चल भी नहीं पा रहा था किसी तरह लड़खड़ाता हुआ अपने मिट्टी से बने कच्चे घर तक पहुँचा और कुंडी खटखटाई थोड़ी ही देर में उसकी पत्नी ने दरवाजा खोला और पत्नी कुछ बोल पाती कि उससे पहले ही उस बुजुर्ग ने कहा ये लो सम्भालो इसको "बेटी लेकर आया हूँ हमारे लिए" अब हम बाँझ नहीं कहलाएंगे आज से हम भी औलाद वाले हो गए, पत्नी की आँखों से खुशी के आँसू बहने लगे और उसने उस लड़की को अपने सीने से लगा लिया।।

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राधे कृष्णा

आमेर के क्षेत्र पर पहले मीणा जनजाति का राज हुआ करता था, बाद में कछवाहा राजपूतों ने उनको पराजित करके आमेर दुर्ग का निर्मा...
21/05/2024

आमेर के क्षेत्र पर पहले मीणा जनजाति का राज हुआ करता था, बाद में कछवाहा राजपूतों ने उनको पराजित करके आमेर दुर्ग का निर्माण करवाया

19/05/2024
राजस्थान में स्थित गोरमघाट का सुंदर नजारायूं तो राजस्थान राजा - रजवाड़ों और अपने शाही अंदाज के लिए मशहूर है, जहाँ हर दिन...
19/05/2024

राजस्थान में स्थित गोरमघाट का सुंदर नजारा
यूं तो राजस्थान राजा - रजवाड़ों और अपने शाही अंदाज के लिए मशहूर है, जहाँ हर दिन, हर साल बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते हैं, लेकिन मारवाड़ और मेवाड़ के बीच अरावली की वादियों में बसा गोरमघाट हूबहू कश्मीर जैसा है, यही कारण है कि इसे राजस्थान का कश्मीर भी कहा जाता है।

गोरम घाट तक जाने वाली ट्रेन अंग्रेजों के जमाने की बनी मीटर गेज लाइन से होकर गुजरती है, ट्रेन में बैठकर आप ट्रेन के दोनों ओर आसानी से देख सकते हैं, क्योंकि घुमावदार रेलवे ट्रेक पर ट्रेन का आकार U का शेप ले लेता है, प्राकृतिक खूबसूरती के बीच से ट्रेन का गुजरना इस जगह और यात्रा को और भी खास बना देता है।

राजस्थान का कश्मीर गोरम घाट प्राकृतिक रुप से बेहद खूबसूरत है, खूबसूरत जंगल, झरने और पहाड़ आपके एक-एक पल को रोमांच से भर देंगे,प्रकृति प्रेमी और फोटोग्राफरों के लिए यह जगह अद्भुत है, यहां से 500 मीटर दूरी पर 50 फीट चौड़ा एक झरना है, जिसका नाम जोगमंडी झरना है।

यहां आप ट्रैकिंग भी कर सकते हैं, गोरम घाट रेलवे स्टेशन का ट्रैक पीछे से गोरखनाथ मंदिर तक जाता है, यह ट्रैक पुराने फुलाद के प्राचीन गांव के पास बागोर की नाल ब्रिज तक जाती है, यहां आने के बाद ऊंची पहाड़ियां, बादलों का डेरा और ऊंचे झरने आपका दिल जीत लेंगे और हर लम्हें को यादगार बना देंगे।

ईस जगह का नाम बताओ  100 रुपए ईनाम के दिए जायेंगे
19/05/2024

ईस जगह का नाम बताओ
100 रुपए ईनाम के दिए जायेंगे

पेड को काटने के बहाने तो बहुत हैं बचाने के लिए दिमाग चाहिए. #पर्यावरण_को_बचाना_है_तो_पेड_लगाना_है      #दौसा  #बाबामहाका...
19/05/2024

पेड को काटने के बहाने तो बहुत हैं
बचाने के लिए दिमाग चाहिए.
#पर्यावरण_को_बचाना_है_तो_पेड_लगाना_है #दौसा #बाबामहाकाल

कौन कौन इस तरह सफर किया है हाजिर हो....😊ये तस्वीर लगभग 2010 या 11 का समय का हैं.... #कमांडर_जीप हमारे समय में महिंद्रा क...
19/05/2024

कौन कौन इस तरह सफर किया है हाजिर हो....😊
ये तस्वीर लगभग 2010 या 11 का समय का हैं....
#कमांडर_जीप
हमारे समय में महिंद्रा कंपनी की कमांडर गाड़ी एक नंबर की हुआ करती थी।
सही पूछो तों मेरी तों आज भी पसंदीदा गाड़ी यही है, इसके आगे सब फ़ैल है।
बहुत ही शानदार और जानदार तथा सदाबहार गाड़ी है कमांडर जीप।
#थार_शोभा #पर्यावरण_को_बचाना_है_तो_पेड_लगाना_है #दौसा

वो पेड़ आज भी राह देखता है जिसकी छाँव में सुनहरा बचपन गुज़रा था 🌳  #पर्यावरण_को_बचाना_है_तो_पेड_लगाना_है  #जोहार_आम    #...
16/05/2024

वो पेड़ आज भी राह देखता है जिसकी छाँव में सुनहरा बचपन गुज़रा था 🌳 #पर्यावरण_को_बचाना_है_तो_पेड_लगाना_है #जोहार_आम #थार_शोभा #पर्यावरण_को_बचाना_है_तो_पेड_लगाना_है

राजस्थान की एक ढाणी का सुंदर नजारा
16/05/2024

राजस्थान की एक ढाणी का सुंदर नजारा

वो पेड़ आज भी राह देखता है जिसकी छाँव में सुनहरा बचपन गुज़रा था 🌳  #पर्यावरण_को_बचाना_है_तो_पेड_लगाना_है  #जोहार_आम    #...
16/05/2024

वो पेड़ आज भी राह देखता है जिसकी छाँव में सुनहरा बचपन गुज़रा था 🌳 #पर्यावरण_को_बचाना_है_तो_पेड_लगाना_है #जोहार_आम #थार_शोभा #दौसा

गरीब के दुश्मन हो तो लाईक मत करना ..।👀❤️
16/05/2024

गरीब के दुश्मन हो तो लाईक मत करना ..।👀❤️

इनकी भी कुछ मजबूरी रही होगी। वर्ना ये दिन देखना किसको अच्छा लगता है  !गरीबों को कोई भी लाइक नही करता 🌿🌿,krrish Kamlesh M...
15/05/2024

इनकी भी कुछ मजबूरी रही होगी। वर्ना ये दिन देखना किसको अच्छा लगता है !गरीबों को कोई भी लाइक नही करता 🌿🌿,krrish Kamlesh Meena 🌿🌿 ( creative art picture)





















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गरीबों को कोई भी लाइक नही करता 🌿🌿Krrish meena  🌿🌿 ( creative art picture)
13/05/2024

गरीबों को कोई भी लाइक नही करता 🌿🌿
Krrish meena 🌿🌿 ( creative art picture)




















12/05/2024

Any woman can be a mother but it takes someone special to be called “Mom”.

12/05/2024

ur truest best friend is ur mom..some people just have to realize it..have u told ur mom that u love their yet today? cuz you should everyday..I LOVE U MOM!!

राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ दुर्ग, जो भारत का सबसे हॉन्टेड किला माना जाता है
10/05/2024

राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ दुर्ग, जो भारत का सबसे हॉन्टेड किला माना जाता है

राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ दुर्ग, जो भारत का सबसे हॉन्टेड किला माना जाता है
10/05/2024

राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ दुर्ग,
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