Kundan Tiwari

Kundan Tiwari तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए।

अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए।
👏 श्री राधे राधे 👏

14/03/2023

श्री राधे राधे 👏👏🤗
#आस्था #संस्कार

01/12/2022
16/11/2022
05/11/2022

जय श्री राम 🚩🛕

महापर्ब छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं 👏👏
26/10/2022

महापर्ब छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं 👏👏

आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 👏👏🚩जय श्री राम🚩
24/10/2022

आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 👏👏
🚩जय श्री राम🚩

24/10/2022

07/10/2022
.        दिनांक 01.10.2022 शनिवार छठा नवरात्र       नवरात्रि का छठा दिन, माता का छठा स्वरूप:-                           ...
30/09/2022

. दिनांक 01.10.2022 शनिवार छठा नवरात्र

नवरात्रि का छठा दिन, माता का छठा स्वरूप:-

"माँ कात्यायनी"

कात्यायनी नवदुर्गा या हिंदू देवी पार्वती (शक्ति) के नौ रूपों में छठवें रूप है। यह अमरकोष में पार्वती के लिए दूसरा नाम है, संस्कृत शब्दकोश में उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हैमावती, इस्वरी इन्हीं के अन्य नाम हैं। शक्तिवाद में उन्हें शक्ति या दुर्गा, जिसमे भद्रकाली और चंडिका भी शामिल है, में भी प्रचलित हैं। यजुर्वेद के तैत्तिरीय आरण्यक में उनका उल्लेख प्रथम किया है। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि वे परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से उत्पन्न हुई थी, जिन्होंने देवी पार्वती द्वारा दी गई सिंह पर आरूढ़ होकर महिषासुर का वध किया। वे शक्ति की आदि रूपा है, जिसका उल्लेख पाणिनि पर पतांजलि के महाभाष्य में किया गया है, जिसे दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में लिखी गयी थी। उनका वर्णन देवी-भागवत पुराण, और मार्कंडेय ऋषि द्वारा रचित मार्कंडेय पुराण के देवी महात्म्य में किया गया है जिसे ४०० से ५०० ईसा में लिपिबद्ध किया गया था। बौद्ध और जैन ग्रंथों और कई तांत्रिक ग्रंथों, विशेष रूप से कालिका-पुराण (१०वीं शताब्दी) में उनका उल्लेख है, जिसमें उद्यान या उड़ीसा में देवी कात्यायनी और भगवान जगन्नाथ का स्थान बताया गया है।
परंपरागत रूप से देवी दुर्गा की तरह वे लाल रंग से जुड़ी हुई हैं। नवरात्रि उत्सव के षष्ठी में उनकी पूजा की जाती है। उस दिन साधक का मन 'आज्ञा' चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक माँ कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से माँ के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं।
माँ का नाम कात्यायनी कैसे पड़ा इसकी भी एक कथा है- कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी माँ भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। माँ भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली।
कुछ समय पश्चात जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं।
ऐसी भी कथा मिलती है कि ये महर्षि कात्यायन के वहाँ पुत्री रूप में उत्पन्न हुई थीं। आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्त सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तक तीन दिन इन्होंने कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था।
माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पतिरूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिन्दी-यमुना के तट पर की थी। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भास्वर है। इनकी चार भुजाएँ हैं। माताजी का दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। इनका वाहन सिंह है।
माँ कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है।
नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी की उपासना का दिन होता है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं। इनका ध्यान गोधुली बेला में करना होता है। प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में छठे दिन इसका जाप करना चाहिए।

'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

अर्थ : हे माँ ! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।
इसके अतिरिक्त जिन कन्याओ के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, उन्हें इस दिन माँ कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, जिससे उन्हे मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है। विवाह के लिये कात्यायनी मन्त्र-

ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि !
नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:।

माँ को जो सच्चे मन से याद करता है उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं। जन्म-जन्मांतर के पापों को विनष्ट करने के लिए माँ की शरणागत होकर उनकी पूजा-उपासना के लिए तत्पर होना चाहिए।
---------:::×:::---------

"जय माता दी"
************************************************

29/09/2022
27/09/2022

मित्रों! परमात्मा की कथा और संतो का सान्निध्य तब ही प्राप्त होता है जब हमारे भाग्य उदय होते हैं और पुण्य जाग्रत होते है, भागवत् में लिखा हैं कि एक जन्म नहीं जब अनन्त जन्मों के भाग्य उदय होते है तब हमें भागवत कथा सुनने का यह सुअवसर प्राप्त होता हैं, असल में ऐसे भगवत कार्य भगवत कृपा से ही प्राप्त होते है और सुने जाते हैं, पढ़े जाते हैं, पढ़ायें जाते हैं।

परमात्मा की कृपा के लिये तीन बातों का समन्वय होना बहुत जरूरी है- इच्छा, यत्न और अनुग्रह, सर्व प्रथम तो मानव के मन में इच्छा जाग्रत हो सद्कार्य की, कि हम भागवत की कथा सुने, पढे यह भी भगवान की कृपा ही है वरना और उल्टे-सुल्टे विचार तो गोविन्द की कृपा से ही आते हैं, तो मानव के मन में ऐसी इच्छा जागना यह पहली बात।

लेकिन इच्छा को चरितार्थ करने के लिये हमें प्रयास करना पड़ेगा तो यह है दूसरी बात 'यत्न' यानी प्रयत्न करें और हमने प्रयत्न किया, लेकिन केवल प्रयास से ही कथा प्राप्त नहीं हो जाती है, तो तीसरी बात की आवश्यकता होती है और वह हैं 'भगवद् अनुग्रह' यानी परमात्मा की कृपा से ही कथा करना, सुनना, पढना सम्भव है, तो यह स्पष्ट है कि भगवान् की कृपा से ही यह कथा सुनी या पढी जा सकती हैं।

बिनु सत्संग विवेक न होई।
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।।

बिना प्रभु कृपा के सत्संग नहीं मिलता और बिना सत्संग के मानव मन में विवेक जाग्रत नहीं होता, राम चरित मानस में आदरणीय तुलसीदासजी लिखते हैं, व्यक्ति पुरूषार्थ से सब कुछ प्राप्त कर सकता है, लेकिन सत्संग व संतो का सानिध्य पुरूषार्थ से नहीं केवल परमात्मा की कृपा से ही मिलता हैं।

तात मिले पुनिमात मिले, सुत भ्रात मिले युवती सुखदाई।
राज मिले गज बाज मिले, सब साज मिले मन वांछित पाई।।

लोक मिले विधि लोक मिले, सुरलोक मिले वैकुंठा जाई।
सुंदर और मिले सब ही सुख, संत समागम दुर्लभ भाई।।

माता-पिता मिल जायेंगे, भाई-बहन, घर-परिवार, घोडे-गाडी, राज-पाठ, दुनियां की वासनायें, आकांक्षायें सब पूरी हो जायेगी, स्वर्ग भी मिल जाएगा लेकिन सुन्दरदासजी महाराज कहते है कि संत और सत्संग बहुत दुर्लभ है, यह प्रभु कृपा से ही मिलता हैं, मेहनत से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है लेकिन सत्संग नहीं, हमारे यहाँ चार पुरूषार्थ हैं - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष।

आदमी प्रयास करे तो धर्म भी मिल जाएगा, अर्थ भी मिलेगा, काम और यहाँ तक कि मोक्ष भी मिल जाएगा, हमारे शास्त्रों में ऐसे कुछ तरीके बता रखे हैं जिससे आदमी अपनी इच्छा पूरी कर सकता हैं, जैसे आदमी को प्रतिष्ठा चाहिये, नाम चाहिये, मान चाहिये, सम्मान चाहिये तो गणपति भगवान की पूजा करें, अगर धन चाहिये तो लक्ष्मीजी की पूजा करें और थोड़ी तिकड़मबाजी सीख ले तो आदमी को धन भी मिल जाता है।

बहुत सारे कठिन से कठिन कार्य व्यक्ति मेहनत से कर लेता है, लोग सागर की गहराई नाप लेते हैं, लोग चन्द्रमा तक की दौड़ लगा देते हैं, अग्नि से लोग पार हो जाते है, एवरेस्ट की ऊँचाई पर लोग चढ़ जाते है, लेकिन इतनी मेहनत अगर हम सत्संग के लिये करते हैं तब भी हमें सत्संग नहीं मिलेगा, क्योंकि सत्संग प्रयास का फल नहीं हैं, सत्संग तो प्रभु कृपा के प्रसाद का फल है, सत्संग बड़े भाग्य से मिलता हैं।

बड़े भाग्य पाइ अव सत्संगा।
बिनुहिं प्रयास होई भवभंगा।।

सज्जनों, गोपी गीत श्रीमद्भागवत महापुराण के दसवें स्कंध के रासपंचाध्यायी का 31 वां अध्याय है, इसमें 19 श्लोक हैं, रास लीला के समय गोपियों को अभिमान हो जाता है, भगवान् उनका अभिमान भंग करने के लिए अंतर्धान हो जाते हैं, उन्हें न पाकर गोपियाँ व्याकुल हो जाती हैं, वे आर्त्त स्वर में श्रीकृष्ण को पुकारती हैं, यही विरहगान गोपी गीत है।

इसमें प्रेम के अश्रु, मिलन की प्यास, दर्शन की उत्कंठा और स्मृतियों का रूदन है, भगवद प्रेम सम्बन्ध में गोपियों का प्रेम सबसे निर्मल, सर्वोच्च और अतुलनीय माना गया है, भाई-बहनों, हम आपके साथ उन सभी 19 श्लोक की व्याख्या करेंगे, ध्यान से पढ़े, मैंने आपको पहले ही बता दिया है कि भागवतजी अथाह महासागर है, जो जितना गहरा गोता लगायेगा, उतना ही वह अधिक पायेगा।

जयति तेऽधिकं जन्मना व्रजः श्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि।
दयित दृश्यतां दिक्षु तावका स्त्वयि धृतासवस्त्वां विचिन्वते।।

गोपीयाँ श्री कृष्णजी से कहती है, हे प्यारे! आपके जन्म के कारण वैकुण्ठ लोक से भी व्रज की महिमा बढ गयी है, तभी तो सौन्दर्य और मृदुलता की देवी लक्ष्मीजी अपना निवास स्थान वैकुण्ठ छोड़कर यहाँ नित्य निरंतर निवास करने लगी है, आपकी की सेवा करने लगी है, परन्तु हे प्रियतम, देखो आपकी गोपियाँ जिन्होंने आपके चरणों में ही अपने प्राण समर्पित कर रखे हैं, वन-वन भटककर आपको ढूंढ़ रही हैं।

शरदुदाशये साधुजातसत्सरसिजोदरश्रीमुषा दृशा।
सुरतनाथ तेऽशुल्कदासिका वरद निघ्नतो नेह किं वधः।।

हे हमारे प्रेम पूर्ण ह्रदय के स्वामी, हम आपकी बिना मोल की दासी हैं, आप शरदऋतु के सुन्दर जलाशय में से चाँदनी की छटा के सौन्दर्य को चुराने वाले नेत्रों से हमें घायल कर चुके हो, हे हमारे मनोरथ पूर्ण करने वाले प्राणेश्वर, क्या नेत्रों से मारना वध नहीं है? अस्त्रों से ह्त्या करना ही वध है।

विषजलाप्ययाद्व्यालराक्षसाद्वर्षमारुताद्वैद्युतानलात
वृषमयात्मजाद्विश्वतोभया दृषभ ते वयं रक्षिता मुहुः।।

हे पुरुष शिरोमणि, यमुनाजी के विषैले जल से होने वाली मृत्यु, अजगर के रूप में खाने वाली मृत्यु अघासुर, इन्द्र की वर्षा, आंधी, बिजली, दावानल, वृषभासुर और व्योमासुर आदि से एवम् भिन्न भिन्न अवसरों पर सब प्रकार के भयों से आपने बार-बार हम लोगों की रक्षा की है।

न खलु गोपिकानन्दनो भवानखिलदेहिनामन्तरात्मदृक्।
विखनसार्थितो विश्वगुप्तये सख उदेयिवान्सात्वतां कुले।।

हे परम सखा, आप केवल यशोदा के ही पुत्र नहीं हो, समस्त शरीरधारियों के ह्रदय में रहने वाले उनके साक्षी हो, अन्तर्यामी हो, ब्रह्माजी की प्रार्थना से विश्व की रक्षा करने के लिए तुम यदुवंश में अवतीर्ण हुयें हो।

जय श्री कृष्ण!
जय श्री राधे राधे

जय माता दी। 🚩👏🚩🚩🚩
26/09/2022

जय माता दी। 🚩👏🚩🚩🚩

26/09/2022

जय माता दी 🚩

26/09/2022

सभी को सादर नमन👣 👏👏
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं, माता आप सभी पर अपनी कृपा बनाये रखें।
👏🚩जय माता दी। 🚩👏

18/05/2021
04/05/2021
08/04/2021

#हिंदुओं #जानो #अपने #धर्म और #संस्कृति के #बारे #मे

*पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -*
*1. युधिष्ठिर 2. भीम 3. अर्जुन*
*4. नकुल। 5. सहदेव*

*( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )*

*यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन*
*की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी ।*

*वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..*
*कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -*
*1. दुर्योधन 2. दुःशासन 3. दुःसह*
*4. दुःशल 5. जलसंघ 6. सम*
*7. सह 8. विंद 9. अनुविंद*
*10. दुर्धर्ष 11. सुबाहु। 12. दुषप्रधर्षण*
*13. दुर्मर्षण। 14. दुर्मुख 15. दुष्कर्ण*
*16. विकर्ण 17. शल 18. सत्वान*
*19. सुलोचन 20. चित्र 21. उपचित्र*
*22. चित्राक्ष 23. चारुचित्र 24. शरासन*
*25. दुर्मद। 26. दुर्विगाह 27. विवित्सु*
*28. विकटानन्द 29. ऊर्णनाभ 30. सुनाभ*
*31. नन्द। 32. उपनन्द 33. चित्रबाण*
*34. चित्रवर्मा 35. सुवर्मा 36. दुर्विमोचन*
*37. अयोबाहु 38. महाबाहु 39. चित्रांग 40. चित्रकुण्डल41. भीमवेग 42. भीमबल*
*43. बालाकि 44. बलवर्धन 45. उग्रायुध*
*46. सुषेण 47. कुण्डधर 48. महोदर*
*49. चित्रायुध 50. निषंगी 51. पाशी*
*52. वृन्दारक 53. दृढ़वर्मा 54. दृढ़क्षत्र*
*55. सोमकीर्ति 56. अनूदर 57. दढ़संघ 58. जरासंघ 59. सत्यसंघ 60. सद्सुवाक*
*61. उग्रश्रवा 62. उग्रसेन 63. सेनानी*
*64. दुष्पराजय 65. अपराजित*
*66. कुण्डशायी 67. विशालाक्ष*
*68. दुराधर 69. दृढ़हस्त 70. सुहस्त*
*71. वातवेग 72. सुवर्च 73. आदित्यकेतु*
*74. बह्वाशी 75. नागदत्त 76. उग्रशायी*
*77. कवचि 78. क्रथन। 79. कुण्डी*
*80. भीमविक्र 81. धनुर्धर 82. वीरबाहु*
*83. अलोलुप 84. अभय 85. दृढ़कर्मा*
*86. दृढ़रथाश्रय 87. अनाधृष्य*
*88. कुण्डभेदी। 89. विरवि*
*90. चित्रकुण्डल 91. प्रधम*
*92. अमाप्रमाथि 93. दीर्घरोमा*
*94. सुवीर्यवान 95. दीर्घबाहु*
*96. सुजात। 97. कनकध्वज*
*98. कुण्डाशी 99. विरज*
*100. युयुत्सु*

*( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहनभी थी… जिसका नाम""दुशाला""था,*
*जिसका विवाह"जयद्रथ"सेहुआ था )*

*"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-*

*ॐ . किसको किसने सुनाई?*
*उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।*

*ॐ . कब सुनाई?*
*उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।*

*ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?*
*उ.- रविवार के दिन।*

*ॐ. कोनसी तिथि को?*
*उ.- एकादशी*

*ॐ. कहा सुनाई?*
*उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।*

*ॐ. कितनी देर में सुनाई?*
*उ.- लगभग 45 मिनट में*

*ॐ. क्यू सुनाई?*
*उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।*

*ॐ. कितने अध्याय है?*
*उ.- कुल 18 अध्याय*

*ॐ. कितने श्लोक है?*
*उ.- 700 श्लोक*

*ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?*
*उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।*

*ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा*
*और किन किन लोगो ने सुना?*
*उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने*

*ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?*
*उ.- भगवान सूर्यदेव को*

*ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?*
*उ.- उपनिषदों में*

*ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?*
*उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।*

*ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?*
*उ.- गीतोपनिषद*

*ॐ. गीता का सार क्या है?*
*उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना*

*ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?*
*उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574*
*अर्जुन ने- 85*
*धृतराष्ट्र ने- 1*
*संजय ने- 40.*

*अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद*

*अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।*

*33 करोड नहीँ 33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू*
*धर्म मेँ।*

*कोटि = प्रकार।*
*देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,*

*कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।*

*हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...*

*कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-*

*12 प्रकार हैँ*
*आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,*
*शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,*
*सविता, तवास्था, और विष्णु...!*

*8 प्रकार हे :-*
*वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।*

*11 प्रकार है :-*
*रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,*
*अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,*
*रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।*

*एवँ*
*दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।*

*कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी*

*अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है*
*तो इस जानकारी को अधिक से अधिक*
*लोगो तक पहुचाएं। ।*

*🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏*

*१ हिन्दु हाेने के नाते जानना ज़रूरी है*

*THIS IS VERY GOOD INFORMATION FOR ALL OF US ... जय श्रीकृष्ण ...*

*अब आपकी बारी है कि इस जानकारी*
*को आगे बढ़ाएँ ......*

*अपनी भारत की संस्कृति*
*को पहचाने.*
*ज्यादा से ज्यादा*
*लोगो तक पहुचाये.*
*खासकर अपने बच्चो को बताए*
*क्योकि ये बात उन्हें कोई नहीं* *बताएगा...*

*📜😇 दो पक्ष-*

*कृष्ण पक्ष ,*
*शुक्ल पक्ष !*

*📜😇 तीन ऋण -*

*देव ऋण ,*
*पितृ ऋण ,*
*ऋषि ऋण !*

*📜😇 चार युग -*

*सतयुग ,*
*त्रेतायुग ,*
*द्वापरयुग ,*
*कलियुग !*

*📜😇 चार धाम -*

*द्वारिका ,*
*बद्रीनाथ ,*
*जगन्नाथ पुरी ,*
*रामेश्वरम धाम !*

*📜😇 चारपीठ -*

*शारदा पीठ ( द्वारिका )*
*ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम )*
*गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) ,*
*शृंगेरीपीठ !*

*📜😇 चार वेद-*

*ऋग्वेद ,*
*अथर्वेद ,*
*यजुर्वेद ,*
*सामवेद !*

*📜😇 चार आश्रम -*

*ब्रह्मचर्य ,*
*गृहस्थ ,*
*वानप्रस्थ ,*
*संन्यास !*

*📜😇 चार अंतःकरण -*

*मन ,*
*बुद्धि ,*
*चित्त ,*
*अहंकार !*

*📜😇 पञ्च गव्य -*

*गाय का घी ,*
*दूध ,*
*दही ,*
*गोमूत्र ,*
*गोबर !*

*📜😇 पञ्च देव -*

*गणेश ,*
*विष्णु ,*
*शिव ,*
*देवी ,*
*सूर्य !*

*📜😇 पंच तत्त्व -*

*पृथ्वी ,*
*जल ,*
*अग्नि ,*
*वायु ,*
*आकाश !*

*📜😇 छह दर्शन -*

*वैशेषिक ,*
*न्याय ,*
*सांख्य ,*
*योग ,*
*पूर्व मिसांसा ,*
*दक्षिण मिसांसा !*

*📜😇 सप्त ऋषि -*

*विश्वामित्र ,*
*जमदाग्नि ,*
*भरद्वाज ,*
*गौतम ,*
*अत्री ,*
*वशिष्ठ और कश्यप!*

*📜😇 सप्त पुरी -*

*अयोध्या पुरी ,*
*मथुरा पुरी ,*
*माया पुरी ( हरिद्वार ) ,*
*काशी ,*
*कांची*
*( शिन कांची - विष्णु कांची ) ,*
*अवंतिका और*
*द्वारिका पुरी !*

*📜😊 आठ योग -*

*यम ,*
*नियम ,*
*आसन ,*
*प्राणायाम ,*
*प्रत्याहार ,*
*धारणा ,*
*ध्यान एवं*
*समाधि !*

*📜😇 आठ लक्ष्मी -*

*आग्घ ,*
*विद्या ,*
*सौभाग्य ,*
*अमृत ,*
*काम ,*
*सत्य ,*
*भोग ,एवं*
*योग लक्ष्मी !*

*📜😇 नव दुर्गा --*

*शैल पुत्री ,*
*ब्रह्मचारिणी ,*
*चंद्रघंटा ,*
*कुष्मांडा ,*
*स्कंदमाता ,*
*कात्यायिनी ,*
*कालरात्रि ,*
*महागौरी एवं*
*सिद्धिदात्री !*

*📜😇 दस दिशाएं -*

*पूर्व ,*
*पश्चिम ,*
*उत्तर ,*
*दक्षिण ,*
*ईशान ,*
*नैऋत्य ,*
*वायव्य ,*
*अग्नि*
*आकाश एवं*
*पाताल !*

*📜😇 मुख्य ११ अवतार -*

*मत्स्य ,*
*कच्छप ,*
*वराह ,*
*नरसिंह ,*
*वामन ,*
*परशुराम ,*
*श्री राम ,*
*कृष्ण ,*
*बलराम ,*
*बुद्ध ,*
*एवं कल्कि !*

*📜😇 बारह मास -*

*चैत्र ,*
*वैशाख ,*
*ज्येष्ठ ,*
*अषाढ ,*
*श्रावण ,*
*भाद्रपद ,*
*अश्विन ,*
*कार्तिक ,*
*मार्गशीर्ष ,*
*पौष ,*
*माघ ,*
*फागुन !*

*📜😇 बारह राशी -*

*मेष ,*
*वृषभ ,*
*मिथुन ,*
*कर्क ,*
*सिंह ,*
*कन्या ,*
*तुला ,*
*वृश्चिक ,*
*धनु ,*
*मकर ,*
*कुंभ ,*
*मीन!*

*📜😇 बारह ज्योतिर्लिंग -*

*सोमनाथ ,*
*मल्लिकार्जुन ,*
*महाकाल ,*
*ओमकारेश्वर ,*
*बैजनाथ ,*
*रामेश्वरम ,*
*विश्वनाथ ,*
*त्र्यंबकेश्वर ,*
*केदारनाथ ,*
*घुष्नेश्वर ,*
*भीमाशंकर ,*
*नागेश्वर !*

*📜😇 पंद्रह तिथियाँ -*

*प्रतिपदा ,*
*द्वितीय ,*
*तृतीय ,*
*चतुर्थी ,*
*पंचमी ,*
*षष्ठी ,*
*सप्तमी ,*
*अष्टमी ,*
*नवमी ,*
*दशमी ,*
*एकादशी ,*
*द्वादशी ,*
*त्रयोदशी ,*
*चतुर्दशी ,*
*पूर्णिमा ,*
*अमावास्या !*

*📜😇 स्मृतियां -*

*मनु ,*
*विष्णु ,*
*अत्री ,*
*हारीत ,*
*याज्ञवल्क्य ,*
*उशना ,*
*अंगीरा ,*
*यम ,*
*आपस्तम्ब ,*
*सर्वत ,*
*कात्यायन ,*
*ब्रहस्पति ,*
*पराशर ,*
*व्यास ,*
*शांख्य ,*
*लिखित ,*
*दक्ष ,*
*शातातप ,*
*वशिष्ठ !*

हिन्दू धर्म की 10 महत्वपूर्ण बातें ........

१...10 ध्वनियां : 1.घंटी, 2.शंख, 3.बांसुरी, 4.वीणा, 5. मंजीरा, 6.करतल, 7.बीन (पुंगी), 8.ढोल, 9.नगाड़ा और 10.मृदंग

२,,,,10 कर्तव्य:- 1. संध्यावंदन, 2. व्रत, 3. तीर्थ, 4. उत्सव, 5. दान, 6. सेवा 7. संस्कार, 8. यज्ञ, 9. वेदपाठ, 10. धर्म प्रचार। आओ जानते हैं इन सभी को विस्तार से।

३,,,,10 दिशाएं : दिशाएं 10 होती हैं जिनके नाम और क्रम इस प्रकार हैं- उर्ध्व, ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर और अधो। एक मध्य दिशा भी होती है। इस तरह कुल मिलाकर 11 दिशाएं हुईं।

४....10 दिग्पाल : 10 दिशाओं के 10 दिग्पाल अर्थात द्वारपाल होते हैं या देवता होते हैं। उर्ध्व के ब्रह्मा, ईशान के शिव व ईश, पूर्व के इंद्र, आग्नेय के अग्नि या वह्रि, दक्षिण के यम, नैऋत्य के नऋति, पश्चिम के वरुण, वायव्य के वायु और मारुत, उत्तर के कुबेर और अधो के अनंत।

५.….10 देवीय आत्मा : 1.कामधेनु गाय, 2.गरुढ़, 3.संपाति-जटायु, 4.उच्चै:श्रवा अश्व, 5.ऐरावत हाथी, 6.शेषनाग-वासुकि, 7.रीझ मानव, 8.वानर मानव, 9.येति, 10.मकर।

६.....10 देवीय वस्तुएं : 1.कल्पवृक्ष, 2.अक्षयपात्र, 3.कर्ण के कवच कुंडल, 4.दिव्य धनुष और तरकश, 5.पारस मणि, 6.अश्वत्थामा की मणि, 7.स्यंमतक मणि, 8.पांचजन्य शंख, 9.कौस्तुभ मणि और संजीवनी बूटी।

७....10 पवित्र पेय : 1.चरणामृत, 2.पंचामृत, 3.पंचगव्य, 4.सोमरस, 5.अमृत, 6.तुलसी रस, 7.खीर, 9.आंवला रस

८....10 महाविद्या : 1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4. भुवनेश्‍वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला।

९....10 उत्सव : नवसंवत्सर, मकर संक्रांति, वसंत पंचमी, पोंगल, होली, दीपावली, रामनवमी, कृष्ण जन्माष्‍टमी, महाशिवरात्री और नवरात्रि।

१०...10 बाल पुस्तकें : 1.पंचतंत्र, 2.हितोपदेश, 3.जातक कथाएं, 4.उपनिषद कथाएं, 5.वेताल पच्चिसी, 6.कथासरित्सागर, 7.सिंहासन बत्तीसी, 8.तेनालीराम, 9.शुकसप्तति, 10.बाल कहानी संग्रह।

११....10 पूजा : गंगा दशहरा, आंवला नवमी पूजा, वट सावित्री, तुलसी विवाह पूजा, शीतलाष्टमी, गोवर्धन पूजा, हरतालिका तिज, दुर्गा पूजा, भैरव पूजा और छठ पूजा।

१२...10 धार्मिक स्थल : 12 ज्योतिर्लिंग, 51 शक्तिपीठ, 4 धाम, 7 पुरी, 7 नगरी, 4 मठ, आश्रम, 10 समाधि स्थल, 5 सरोवर, 10 पर्वत और 10 गुफाएं।

१३..10 पूजा के फूल : आंकड़ा, गेंदा, पारिजात, चंपा, कमल, गुलाब, चमेली, गुड़हल, कनेर, और रजनीगंधा।

१४...10 धार्मिक सुगंध : गुग्गुल, चंदन, गुलाब, केसर, कर्पूर, अष्टगंथ, गुढ़-घी, समिधा, मेहंदी, चमेली।

१५...10 यम-नियम :1.अहिंसा, 2.सत्य, 3.अस्तेय 4.ब्रह्मचर्य और 5.अपरिग्रह। 6.शौच 7.संतोष, 8.तप, 9.स्वाध्याय और 10.ईश्वर-प्रणिधान।

१६...10 सिद्धांत :
1.एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति (एक ही ईश्‍वर है दूसरा नहीं), 2.आत्मा अमर है,
3.पुनर्जन्म होता है,
4.मोक्ष ही जीवन का लक्ष्य है, 5.कर्म का प्रभाव होता है, जिसमें से ‍कुछ प्रारब्ध रूप में होते हैं इसीलिए कर्म ही भाग्य है, 6.संस्कारबद्ध जीवन ही जीवन है,
7.ब्रह्मांड अनित्य और परिवर्तनशील है,
8.संध्यावंदन-ध्यान ही सत्य है, 9.वेदपाठ और यज्ञकर्म ही धर्म है,
10.दान ही पुण्य है।

*॥ हरे कृष्णा हरे कृष्ण*
*कृष्ण कृष्ण हरे हरे ॥*
*॥ हरे राम हरे राम*
*॥ राम राम हरे हरे ॥*

*इस पोस्ट को अधिकाधिक शेयर करें जिससे सबको हमारी संस्कृति का ज्ञान हो।*

*🙏🏻॥ जय श्री कृष्णा ॥🙏🏻*
🚩🚩 *जय हनुमान* 🚩🚩
🚩🚩 **🙏🏻🙏🏻🙏🏻

24/03/2021
23/03/2021
13/03/2021
12/02/2021
11/02/2021
28/01/2021
11/01/2021
11/01/2021
09/01/2021
12/11/2020
26/10/2020

‘विदन्ति, जानन्ति, विद्यन्ते भवन्ति, विदन्ति अथवा विदन्ते, लभन्ते, विन्दन्ति, विचारयन्तिसर्वे मनुष्याः सत्यविद्यां यैर्येषुवा तथा विद्वांसश्च भवन्ति ते वेदाः

अर्थात्- वेद मानव मात्र की सत्य विद्या के साधन एवं स्रोत है। वस्तुतः अद्भुत प्रतिभासम्पन्न ऋषियों द्वारा साक्षात्कृत ज्ञानराशि का नाम ही वेद है।

Address

G. T. Road
Hooghly

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Kundan Tiwari posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Kundan Tiwari:

Videos

Share


Other Hooghly media companies

Show All