Bk Khatter

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ओ डमरू वाले भोले बाबा!! Nature & Adventure Lover.

दो मुसाफ़िर - मंजिल एक वहाँ पैदल ही जाना थाएक विश्वासके साथऊँ नमः शिवाय 🌹🙏
23/12/2023

दो मुसाफ़िर - मंजिल एक
वहाँ पैदल ही जाना था
एक विश्वास
के
साथ

ऊँ नमः शिवाय 🌹🙏

हर हर महादेव 🌹🙏
17/12/2023

हर हर महादेव 🌹🙏

12/09/2023

ऊँ नमः शिवाय🌹🙏

28/08/2023

छड़ी मुबारक :: दर्शन 2023
ऊँ नमः शिवाय🌹🙏

श्री अमरनाथजी पवित्र छड़ी के दिव्य दर्शन ! ऊँ नमः शिवाय🌹🙏
27/08/2023

श्री अमरनाथजी
पवित्र छड़ी के दिव्य दर्शन !

ऊँ नमः शिवाय🌹🙏

दर्शन :: 1945An old pic of Shri Amarnath ji Cave. Photographed in 1945.
23/07/2023

दर्शन :: 1945
An old pic of Shri Amarnath ji Cave. Photographed in 1945.

ऊँ नमः शिवाय🌹🙏
02/07/2023

ऊँ नमः शिवाय🌹🙏

ऊँ नमः शिवाय🌹🙏दर्शन :: 2023
16/06/2023

ऊँ नमः शिवाय🌹🙏
दर्शन :: 2023

ऊँ नमः शिवाय🌹🙏62 दिवसीय श्री अमरनाथजी यात्रा इस वर्ष 1 जुलाई से शुरू होगी और 31 अगस्त 2023 को समाप्त होगी। इसके अलावा, श...
14/04/2023

ऊँ नमः शिवाय🌹🙏
62 दिवसीय श्री अमरनाथजी यात्रा इस वर्ष 1 जुलाई से शुरू होगी और 31 अगस्त 2023 को समाप्त होगी।

इसके अलावा, श्री अमरनाथजी यात्रा के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड के माध्यम से पंजीकरण 17 अप्रैल से शुरू होगा।

उपराज्यपाल, मनोज सिन्हा ने आज पवित्र तीर्थ यात्रा और पंजीकरण की तारीखों की घोषणा करते हुए कहा कि प्रशासन सुचारू और परेशानी मुक्त तीर्थ यात्रा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। “परेशानी मुक्त तीर्थ यात्रा माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री श्री अमित शाह की सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रशासन सभी आने वाले भक्तों और सेवा प्रदाताओं को सर्वोत्तम श्रेणी की स्वास्थ्य सेवा और अन्य आवश्यक सुविधाएं प्रदान करेगा। तीर्थयात्रा शुरू होने से पहले दूरसंचार सेवाओं को चालू कर दिया जाएगा। सभी हितधारक विभाग यात्रा के सुचारू संचालन के लिए आवास, बिजली, पानी, सुरक्षा और अन्य व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए समन्वय में काम कर रहे हैं, ”उपराज्यपाल ने कहा। यात्रा दोनों मार्गों से एक साथ शुरू होगी - अनंतनाग जिले में पहलगाम ट्रैक और गांदरबल जिले में बालटाल। उपराज्यपाल ने अधिकारियों को स्वच्छता के उच्च स्तर को सुनिश्चित करने और स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करने का भी निर्देश दिया। श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) दुनिया भर के भक्तों के लिए सुबह और शाम की आरती (प्रार्थना) का सीधा प्रसारण भी करेगा। यात्रा, मौसम और कई सेवाओं का ऑनलाइन लाभ उठाने के लिए श्री अमरनाथजी यात्रा का ऐप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध कराया गया है ।

हर हर महादेव 🌹🙏🏻

31 मार्च, शुक्रवार राजभवन में उप राज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में हुई श्री अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड की 44वीं बैठक...
01/04/2023

31 मार्च, शुक्रवार राजभवन में उप राज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में हुई श्री अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड की 44वीं बैठक में यात्रा की तैयारियों तथा तिथियों पर विचार किया गया। उप राज्यपाल ने यात्रा शुरू होने से पहले सभी तैयारियां पूरी कर लेने की हिदायत दी ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

श्री अमरनाथ यात्रा के लिए प्रथम पूजन तीन जून को होगा। इसके साथ ही यात्रा तिथि का ऐलान जल्द होगा। यात्रा 27 जून या एक जुलाई से शुरू करने पर विचार चल रहा है। यदि यात्रा 27 जून से शुरू हुई तो इस बार 65 दिन और एक जुलाई से शुरू हुई तो 61 दिन की होगी।

20 और 26 जून की तीथि पर भी विचार किया गया।

सूत्रों ने बताया कि बैठक में पहलगाम में भी नंदी को स्थापित करने पर विचार किया गया।

यह तय किया गया कि यहां भी नंदी को स्थापित किया जा सकता है, लेकिन भगवान शंकर का मुंह जिस ओर होता है वहीं उनकी सवारी भी होनी चाहिए। इसलिए अमरनाथ गुफा के पास नंदी की स्थापना रहनी ही चाहिए। यह भी तय किया गया कि इस बार फ्लड जोन के पास किसी भी प्रकार का टेंट या लंगर किसी भी सूरत में नहीं लगेगा।

बैठक में यह भी तय किया गया कि पहलगाम तथा बालटाल में स्थायी यात्री निवास के लिए जमीन चिह्नित की जाए ताकि बार बार टेंट लगाने की समस्या का हल हो सके। बैठक में उप राज्यपाल ने हिदायत दी कि श्री अमरनाथ यात्रा 2023 को सुचारू और परेशानी मुक्त बनाने के लिए समय से पूर्व सभी तैयारियों को पूर्ण किया जाए।

यात्रा ट्रैक के रखरखाव, बहाली व विकास कार्यों के लिए सभी उचित कदम उठाए जाएं और यात्रा के संचालन के लिए संबंधित एजेंसियां व विभाग समन्वय बना कर कार्य करें। इस दौरान उन्होंने यात्रा संबंधी तैयारियों की जानकारी ली।

वहीं, बोर्ड सदस्यों के साथ अमरनाथ यात्रियों के लिए सुविधाओं में सुधार के लिए सुझाव साझा किए। यात्रा संबंधी भविष्य की परियोजनाओं पर चर्चा की गई।

यात्रा ट्रैक के रखरखाव व बहाली की ली जानकारी

मुख्य अभियंता बीआरओ ने यात्रा ट्रैक के रखरखाव, बहाली और विकास कार्यों के बारे में प्रगति पर बैठक की जानकारी दी। उप राज्यपाल ने जोर दिया कि सभी तैयारियों को तय समय पर पूरा किया जाए। उन्होंने यात्री निवासों की क्षमता को मजबूत बनाने को कहा, ताकि आपात परिस्थितियों या खराब मौसम के दौरान एक साथ हजारों यात्रियों को ठहराया जा सकेगा।

बैठक में बोर्ड सदस्यों में अवधेशानंद गिरि महाराज, डीसी रैना, कैलाश मेहरा साधु, केएन राय, पीतांबर पाल गुप्ता समेत मुख्य सचिव डाॅ. अरुण कुमार मेहता, अतिरिक्त मुख्य सचिव राज कुमार गोयल आदि मौजूद रहे।

सीईओ ने तैयारियों का खाका किया प्रस्तुत
एलजी के प्रधान सचिव व बोर्ड के सीईओ डाॅ. मंदीप के. भंडारी ने अमरनाथ यात्रा के पहलुओं से अवगत करवाया। इसमें यात्रा के लिए पंजीकरण, हेलिकॉप्टर सेवाओं का प्रावधान, सेवा प्रदाता, यात्रा शिविर, लंगर, एनजीओ सेवाएं, यात्रियों/सेवा प्रदाताओं के लिए बीमा कवर आदि शामिल है। उन्होंने पिछली बोर्ड बैठकों में लिए गए निर्णयों पर हुए कार्य की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की।

ऊँ नमः शिवाय🌹🙏
B. K. Khatter

ऊँ नमः शिवाय🌹🙏आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों से हर मौसम में संभव होगा बाबा अमरनाथ का दर्शन
30/01/2023

ऊँ नमः शिवाय🌹🙏
आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों से हर मौसम में संभव होगा बाबा अमरनाथ का दर्शन

ईश्वरीय सन्देशअब वह समय आया हैं, जब सम्पूर्ण विश्व में अज्ञानता, अधर्म और अनेक मतें फैली हुई हैं।  ऐसे में परमात्मा पुनः...
15/12/2022

ईश्वरीय सन्देश

अब वह समय आया हैं, जब सम्पूर्ण विश्व में अज्ञानता, अधर्म और अनेक मतें फैली हुई हैं। ऐसे में परमात्मा पुनः शांति, पवित्रता, प्रेम व सुख की दुनिया स्थापित करने के लिए इस धरती पर अवतरित हुए हैं। परमात्मा कहते हैं - "अपने को आत्मा समझ एक मुझ बाप से अपना अविनाशी सम्बन्ध जोड़ो एवं मामेकम याद करो तो मुझे याद करने से तुम अपने पिछले जन्मों में किये विकर्मों के फ़ल से मुक्त हो जाओगे और आत्मा पवित्र बन जाएगी। इस जन्म में जो सम्पूर्ण पवित्र बनेंगे वही मुझ द्वारा स्थापित नई दुनिया (सतयुग) में आएंगे और बहुत सुख प्राप्त करेंगे !... 🌹🙏🏻

शेषनाग झीलऊँ नमः शिवाय🌹🙏वासुकी नाग महर्षि कश्यप के पुत्र थे जो कद्रु के गर्भ से हुए थे । इसकी पत्नी शतशीर्षा थी। नागधन्व...
23/11/2022

शेषनाग झील
ऊँ नमः शिवाय🌹🙏

वासुकी नाग महर्षि कश्यप के पुत्र थे जो कद्रु के गर्भ से हुए थे । इसकी पत्नी शतशीर्षा थी। नागधन्वातीर्थ में देवताओं ने इसे नागराज के पद पर अभिषिक्त किया था। शिव का परम भक्त होने के कारण यह उनके शरीर पर निवास था। शिव को जब ज्ञात हुआ कि नागवंंश का नाश होनेे वाला है तब भगवाान शिव और माता पार्वती ने अपनी पुत्री जरत्कारू अर्थात् मनसा का विवाह जरत्कारू के साथ कर दिया और इनके पुुत्र आस्तीक ने जनमेजय के नागयज्ञ के समय नागोंं की रक्षा की, नहीं तो नागवंंश उसी समय नष्ट हो गया होता। समुद्रमंथन के समय वासुकी ने पर्वत का बांधने के लिए रस्सी का काम किया था। त्रिपुरदाह के समय वह शिव के धनुष की डोर बना था। वासुकी के पांंच फण हैंं। वासुकी के बड़े भाई शेषनाग हैं जो भगवान विष्णु के परम भक्त हैं उन्हें शैय्या के रूप में आराम देते हैं। १००० नागों में शेषनाग सबसे बड़े भाई हैं , दूसरे स्थान पर वासुकी और तीसरे स्थान पर तक्षक हैं ।

मनसा देवी

को भगवान शिव और माता पार्वती की सबसे छोटी पुत्री माना जाता है । इनका प्रादुर्भाव मस्तक से हुआ है इस कारण इनका नाम मनसा पड़ा। महाभारत के अनुसार इनका वास्तविक नाम जरत्कारु है और इनके समान नाम वाले पति महर्षि जरत्कारु तथा पुत्र आस्तिक जी हैं। इनके भाई बहन गणेश जी, कार्तिकेय जी , देवी अशोकसुन्दरी , देवी ज्योति और भगवान अय्यपा हैं ,इनके प्रसिद्ध मंदिर एक शक्तिपीठ पर हरिद्वार में स्थापित है।[1] समय आने पर भगवान शिव ने अपनी पुत्री का विवाह जरत्कारू के साथ किया और इनके गर्भ से एक तेजस्वी पुत्र हुआ जिसका नाम आस्तिक रखा गया। आस्तिक ने नागों के वंश को नष्ट होने से बचाया। राजा नहुष और नात्सय इनके बहनोई हैं।

लिद्दर नदी
इसका संगम शेषनाग झील से आ रही पूर्वी लिद्दर धारा से होता है। यहाँ से पश्चिम चलकर यह अनंतनाग ज़िले के गुरनार ख़ानाबल गाँव में झेलम में मिल जाती है।

शेषनाग
शेषनाग या अदिशेष ऋषि कश्यप और कद्रू के सबसे बड़े पुत्र हैं। वह नागराज भी थे। परंतु ये राजपाट छोड़कर विष्णु की सेवा में लग गए क्योंकि उनकी माता कद्रू ने अरुण और गरुड़ की माता तथा अपनी बहिन और उनकी विमाता विनता के साथ छल किया था। वह विष्णु भगवान के परम भक्त हैं और उनको शैया के रूप में आराम देते हैं। वह भगवान विष्णु के साथ क्षीरसागर में ही रहते हैं मान्यताओं के अनुसार शेष ने अपने पाश्चात वासुकी और वासुकी ने अपने पश्चात् तक्षक को नागों का राजा बनाया वह सारे ग्रहों को अपनी कुंडली पर धरे हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि जब शेषनाग सीधे चलते हैं कब ब्रह्मांड में समय रहता है और जब शेषनाग कुंडली के आकार में आ जाते हैं तो प्रलय आती है। वह भगवान विष्णु के भक्त होने के साथ-साथ उनके अवतारों में भी उनका सहयोग करते हैं। जैसे कि त्रेता युग के राम अवतार में शेषनाग ने लक्ष्मण भगवान का रूप धरा था। वैसे ही द्वापर युग के कृष्ण अवतार में शेषनाग जी ने बलराम जी का अवतार लिया था। जब वसुदेव जी भगवान कृष्ण भगवान को टोकरी में डालकर नंद जी के यहां ले जा रहे थे तब शेषनाग जी उनकी छतरी की तरह उनको बारिश से बचा रहे थे। इनके अन्य छोटे भाई वासुकी , तक्षक , पद्म , महापद्म , कालिया , धनञ्जय , शन्ख आदि नाग थे।

शेषनाग का जन्म

महर्षि कश्यप की कद्रू और विनता नाम की दो पत्नियाँ थीं। महर्षि कश्यप अपनी दोनों पत्नियों से समान प्रेम करते थे। एक बार महर्षि कश्यप ने अपनी दोनों पत्नियों से वरदान मांगने को कहा तो कद्रू ने एक सहस्त्र समान नागों को पुत्र रूप में पाने की मांग की लेकिन विनता ने केवल दो ही पुत्रों की मांग की जो कद्रू के हजार नागों से भी बलशाली हो। महर्षि कश्यप के वरदान के फल स्वरूप विनता ने दो और कद्रू ने हजार अन्डे दिए। दोनों ने अपने अण्डों को उबालने के लिए गर्म बर्तनों में रख दिया। ५०० वर्ष के बाद कद्रू के पहले अंडे से शेषनाग का जन्म हुआ।

शेषनाग को श्राप

एक बार कद्रू और विनता कहीं जा रही थीं तो उन्हें समुद्र मन्थन के समय निकला हुआ उच्चै:श्रवा नाम का सात मुखों वाला घोड़ा दिखा। विनता ने कहा कि "देखो दीदी इस घोड़े का रंग ऊपर से नीचे तक सब स्थानों पर से सफ़ेद है। कद्रू ने कहा कि "नहीं विनता इस घोड़े की पूंछ काले रंग की है। कद्रू ने विनता को अपनी दासी बनाने के लिए अपने पुत्र नागों से कहा। कई नागों ने उसकी आज्ञा मान ली लेकिन ज्येष्ठ पुत्र शेषनाग तथा मंझले पुत्र वासुकी और कुछ अन्य नागों ने इस बात का विरोध किया तो कद्रू ने शेषनाग और वासुकी समेत उन सभी नागों को श्राप दिया कि तुम पाण्डववन्शी राजा जनमेजय के नागयज्ञ में जलकर भस्म हो जाओगे।

श्राप से मुक्ति

श्राप पाने के बाद शेषनाग और वासुकी अपने छलिए भाइयों और अपनी माता को छोड़कर अनन्त ने गन्धमादन पर्वत पर तपस्या कर ब्रह्मा जी से वर माँगा कि उनका मन सदा धर्म की ओर छुका रहे तथा भगवान नारायण के वे सेवक और सहायक बने। ब्रह्मा जी ने उन्हें इन वरों के अतिरिक्त ये वर भी दिया कि वे पृथ्वी को अपने फणों पर उठाए रखेंगे जिससे उसका सन्तुलन नहीं बिगड़ेगा । शेषनाग को इस श्राप से मुक्ति मिलते ही शेषनाग ने तब से आज तक पृथ्वी को अपने फणों पर उठाया हुआ है और शेषनाग के जल लोक में जाते ही उनके छोटे भाई वासुकी का राजतिलक करके उन्हें राज्य सौंप दिया गया और वासुकी के कैलाश पर्वत पर जाते ही वासुकी के छोटे भाई तक्षक का राजतिलक हुआ। वासुकी ने भी भगवान शंकर की सहायता से वासुकी ने भी श्राप से मुक्ति पाई थीे।

शेषनाग के अवतार

वैसे तो शेषनाग के बल पराक्रम और अवतारों का उल्लेख विभिन्न पुराणों में है। शेषनाग के चार अवतार माने जाते हैं -:

लक्ष्मण - राजा दशरथ के तीसरे पुत्र और भगवान विष्णु के राम अवतार के छोटे भाई के रूप में शेषनाग ने सुमित्रा के गर्भ से जन्म लिया था। उन्होंने अपने बड़े भाई श्रीराम के साथ लक्ष्मण ने कई असुरों का वध किया था। इन्होने ही असुरराज रावण के पुत्र इन्द्रजीत तथा अतिकाय का वध किया था तथा वे सभी कलाओं में निपूर्ण थे चाहे वो मल्लयुद्ध हो या धनुर्विद्या।

बलराम - वसुदेव के ज्येष्ठ पुत्र बलराम शेषनाग का ही रूप माने जाते हैं। उन्होने भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार के बड़े भाई के रूप में रोहिणी के गर्भ से जन्म लिया था। इनके बल और पराक्रम का उल्लेख अनेक पुराणों में मिलता है। ये गदा युद्ध में विशेष प्रवीण थे तथा भीमसेन और दुर्योधन इनके ही शिष्य माने जाते हैं।

पतञ्जलि - महर्षि पतञ्जलि भी शेषनाग के ही अवतार माने जाते हैं। ये पूर्व कलयुग मे अवतरित हुए थे तथा इस युग में भी भगवान विष्णु के साथ अवतरित होंगे।

रामानुजाचार्य - विष्णुपुराण और पद्म पुराण के अनुसार शेषनाग कलयुग में दो अवतार लेकर जन्म लेंगे। पहला महर्षि पतञ्जलि का अवतार और दूसरा रामानुजाचार्य का अवतार।

नागराज

नागराज एक संस्कृत शब्द है जो कि नाग तथा राज (राजा) से मिलकर बना है अर्थात नागों का राजा। यह मुख्य रूप से तीन देवताओं हेतु प्रयुक्त होता है - अनन्त (शेषनाग), तक्षक तथा वासुकी। अनन्त, तक्षक तथा वासुकी तीनों भाई महर्षि कश्यप, तथा उनकी पत्नी कद्रू के पुत्र थे जो कि सभी नागों के जनक माने जाते हैं। मान्यता के अनुसार नाग का वास पाताललोक में है।

सबसे बड़े भाई शेषनाग भगवान विष्णु के भक्त हैं एवं नागों का मित्रतापूर्ण पहलू प्रस्तुत करते हैं क्योंकि वे चूहे आदि जीवों से खाद्यान्न की रक्षा करते हैं। भगवान विष्णु जब क्षीरसागर में योगनिद्रा में होते हैं तो अनन्त उनका आसन बनते हैं तथा उनकी यह मुद्रा अनन्तशयनम् कहलाती है। अनन्त ने अपने सिर पर पृथ्वी को धारण किया हुआ है। उन्होंने भगवान विष्णु के साथ रामायण काल में भगवान विष्णु के राम अवतार के समय राम के छोटे भाई लक्ष्मण तथा महाभारत काल में भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार के समय कृष्ण के बड़े भाई बलराम के रूप में अवतार लिया। इसके अतिरिक्त रामानुज तथा नित्यानन्द भी उनके अवतार कहे जाते हैं।

छोटे भाई वासुकी भगवान शिव के भक्त हैं, भगवान शिव हमेशा उन्हें गर्दन में पहने रहते हैं। तक्षक नागों के खतरनाक पहलू को प्रस्तुत करते हैं, क्योंकि उनके जहर के कारण सभी उनसे डरते हैं।

गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले के थानगढ़ तहसील में नाग देवता वासुकी का एक प्राचीन मंदिर है। इस क्षेत्र में नाग वासुकी की पूजा ग्राम्य देवता के तौर पर की जाती है। यह भूमि सर्प भूमि भी कहलाती है। थानगढ़ के आस पास और भी अन्य नाग देवता के मंदिर मौजूद है।

देवभूमि उत्तराखण्ड में नाग के छोटे-बड़े अनेक मन्दिर हैं। वहाँ नागराज को आमतौर पर नाग देवता कहा जाता है और नागराज शब्द का प्रयोग यहां के लोगों द्वारा नहीं किया जाता है। उत्तराखण्ड में सिर्फ नागराजा शब्द का प्रयोग होता है और सेम मुखेम नागराजा उत्तराखण्ड का सबसे प्रसिद्ध तीर्थ है जहां कृष्ण भगवान नागराजा के रूप में पूजे जाते हैं और यह उत्तराकाशी जिले में है तथा श्रद्धालुओं में सेम नागराजा के नाम से प्रसिद्ध है। एक अन्य प्रसिद्ध मन्दिर डाण्डा नागराज पौड़ी जिले में है। उत्तरकाशी में दो नाग कालिया और वासुकि नाग को नागराज के स्वरूप में पूजा जाता है। कालिया नाग को डोडीताल क्षेत्र में पूजा जाता है और वासुकी नाग को बदगद्दी में तथा टेक्नॉर में पूजा जाता है। मान्यता है कि वासुकी नाग का मुँह गनेशपुर में और पूँछ मानपुर में स्तिथ है ।

तमिलनाडु के जिले के नागरकोइल में नागराज को समर्पित एक मन्दिर है। इसके अतिरिक्त एक अन्य प्रसिद्ध मन्दिर मान्नारशाला मन्दिर केरल के अलीप्पी जिले में है। इस मन्दिर में अनन्त तथा वासुकि दोनों के सम्मिलित रूप में देवता हैं।

केरल के तिरुअनन्तपुरम् जिले के पूजाप्पुरा में एक नागराज को समर्पित एक मन्दिर है। यह पूजाप्पुरा नगरुकावु मन्दिर के नाम से जाना जाता है। इस मन्दिर की अद्वितीयता यह है कि इसमें यहाँ नागराज का परिवार जिनमें नागरम्मा, नागों की रानी तथा नागकन्या, नाग राजशाही की राजकुमारी शामिल है, एक ही मन्दिर में रखे गये हैं।

Photograph of Hindu pilgrims walking back from the Shri AmarnathYatra from 1922.Hindus from different parts of the world...
17/10/2022

Photograph of Hindu pilgrims walking back from the Shri AmarnathYatra from 1922.
Hindus from different parts of the world have been walking to the shrine of Shiva located 12,800ft above sea level.

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9467940786

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