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आज कल जब कुछ लोगों को अपने माता-पिता भी एक समय बाद खटकने लगते हैं और उन्हें वृद्धाश्रम में जाकर छोड़ दिया जाता है, वहीं ए...
27/11/2022

आज कल जब कुछ लोगों को अपने माता-पिता भी एक समय बाद खटकने लगते हैं और उन्हें वृद्धाश्रम में जाकर छोड़ दिया जाता है, वहीं एक ऐसा शख्स भी है, जो एक दो नहीं बल्कि करीब 300 बुजुर्गों को किसी भी दिन खाना देने से नहीं चूकता। हम बात कर रहे हैं कोलकाता के देब कुमार मल्लिक की। देब कोलकाता में Care Home में न रह पाने वाले बुजुर्गों की मदद करते हैं। इस मदद में न सिर्फ़ खाना-पीना है बल्कि मेडिकल इमरजेंसी से लेकर, इनकी कहीं जाने की इच्छा को भी पूरा करना है।
40 वर्षीय देब बिज़नेसमैन हैं। वह कोलकाता के बारानगर में बड़े हुए। उनके माता-पिता और एक बड़ा भाई अच्छा जीवन जी रहे थे लेकिन जब देब 5 साल के थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हुआ और वह लकवाग्रस्त हो गए। इसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी और उनकी मां ने बतौर टीचर और पार्ट टाइम फ़िज़ियोथेरेपी ट्रेनर का काम शुरू किया। इसी बीच उनके भाई को भी मानसिक स्वास्थ्य से जूझना पड़ा और उन्हें रिहैब के लिए भेजना पड़ा।
अब वह हर दिन 4,800 रुपये ख़र्च करते हैं और कई लोगों के भूखे पेट को भरते हैं। वह खाना-पीना और मेडिकल सुविधा के साथ-साथ बेघर बुजुर्गों का अंतिम संस्कार भी करते हैं। उनके लिए सबसे बड़ी जीत है कि सैकड़ों बुजुर्ग उन्हें अपना बेटा मानते हैं और बहुत प्यार देते हैं।

बड़े गुस्से से मैं घर से चला आया ..इतना गुस्सा था की गलती से पापा के ही जूते पहन के निकल गया मैं ,आज बस घर छोड़ दूंगा, औ...
27/11/2022

बड़े गुस्से से मैं घर से चला आया ..इतना गुस्सा था की गलती से पापा के ही जूते पहन के निकल गया मैं ,
आज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा ...

जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे, तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है .....आज मैं पापा का पर्स भी उठा लाया था .... जिसे किसी को हाथ तक न लगाने देते थे ...मुझे पता है इस पर्स मैं जरुर पैसो के हिसाब की डायरी होगी ....पता तो चले कितना माल छुपाया है .....माँ से भी ...इसीलिए हाथ नहीं लगाने देते किसी को..

जैसे ही मैं कच्चे रास्ते से सड़क पर आया, मुझे लगा जूतों में कुछ चुभ रहा है ....मैंने जूता निकाल कर देखा .....मेरी एडी से थोडा सा खून रिस आया था ...जूते की कोई कील निकली हुयी थी, दर्द तो हुआ पर गुस्सा बहुत था ..और मुझे जाना ही था घर छोड़कर ...जैसे ही कुछ दूर चला ....मुझे पांवो में गीला गीला लगा, सड़क पर पानी बिखरा पड़ा था ....पाँव उठा के देखा तो जूते का तला टुटा था .....जैसे तेसे लंगडाकर बस स्टॉप पहुंचा, पता चला एक घंटे तक कोई बस नहीं थी .....मैंने सोचा क्यों न पर्स की तलाशी ली जाये ....मैंने पर्स खोला, एक पर्ची दिखाई दी, लिखा था..लैपटॉप के लिए 40 हजार उधार लिए पर लैपटॉप तो घर मैं मेरे पास है ?

दूसरा एक मुड़ा हुआ पन्ना देखा, उसमे उनके ऑफिस की किसी हॉबी डे का लिखा था उन्होंने हॉबी लिखी अच्छे जूते पहनना ......ओह....अच्छे जुते पहनना ???पर उनके जुते तो ...........!!!!माँ पिछले चार महीने से हर पहली को कहती है नए जुते ले लो ...और वे हर बार कहते "अभी तो 6 महीने जूते और चलेंगे .."मैं अब समझा कितने चलेंगे......

तीसरी पर्ची ..........पुराना स्कूटर दीजिये एक्सचेंज में नयी मोटर साइकिल ले जाइये ...पढ़ते ही दिमाग घूम गया.....पापा का स्कूटर .............ओह्ह्ह्ह मैं घर की और भागा........अब पांवो में वो कील नही चुभ रही थी ....मैं घर पहुंचा .....न पापा थे न स्कूटर ..............ओह्ह्ह नही मैं समझ गया कहाँ गए ....मैं दौड़ा .....और एजेंसी पर पहुंचा......पापा वहीँ थे ...............मैंने उनको गले से लगा लिया, और आंसुओ से उनका कन्धा भिगो दिया .......नहीं...पापा नहीं........ मुझे नहीं चाहिए मोटर साइकिल...बस आप नए जुते ले लो और मुझे अब बड़ा आदमी बनना है..वो भी आपके तरीके से ..।

"माँ" एक ऐसी बैंक है जहाँ आप हर भावना और दुख जमा कर सकते है...और"पापा" एक ऐसा क्रेडिट कार्ड है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश करते है...Always Love & Respect Your Parents

30/10/2022

महापर्व छठ की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

🌞🙏क्या आप जानते छठ की शुरुआत कैसे हुई🌞🙏

कहा जाता है महाभारत काल में ही छठ पर्व की शुरुआत हुई थी| कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और सूर्य पुत्र भी थे । वो रोज पानी में खड़े होकर उन्हें अर्घ्य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वो महान योद्धा बने। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही परंपरा प्रचलित है।

क्यों इसे बिहार यूपी और झारखंड में धूम धाम से मनाया जाता है ?
कर्ण अंग देश के राजा थे। और अंग देश आज के समय में इसी तीनों राज्यों का हिस्सा हुआ करता था। इसीलिए इन्ही क्षेत्रों में इसकी मान्यता सबसे ज्यादा है।

वैसे भी ब्रम्हांड में सबसे ज्यादा ऊर्जा और शक्ति का सबसे बड़ा source सूर्य ही है । इसलिए सूर्यदेव की पूजा तो शारीरिक और मानसिक योग्यताएं बढ़ाने के लिए भी करना चाहिए। कर्ण की ही बात करें तो कर्ण जितना मजबूत शरीर पूरे महाभारत काल में किसी का नही था क्युकी उसका शरीर वज्र का था... तर्क वितर्क की शक्ति में श्रीकृष्ण के बाद कर्ण ही था। यानी की शारीरिक और मानसिक योग्यता सबसे ज्यादा कर्ण में ही थी।

समस्त उत्तर भारतीयों के लिए ये सिर्फ पर्व नही...बल्कि महापर्व है।

#छठ

इनके बुलंद हौसले एंव संघर्ष को मेरा सलाम....🙏🙏
23/10/2022

इनके बुलंद हौसले एंव संघर्ष को मेरा सलाम....🙏🙏

सफलता की सबसे खास बात यह  है की वो मेहनत करने वालों पर🙏❤️ फ़िदा हो जाती है ओर उसको उसके मंज़िल तक पहुंचा के रहती है   #सल...
13/09/2022

सफलता की सबसे खास बात यह है की
वो मेहनत करने वालों पर🙏❤️
फ़िदा हो जाती है ओर उसको उसके मंज़िल तक पहुंचा के रहती है #सलाम_इन_नन्हे_बच्चो_को

13/09/2022

संगत अच्छी रखिए

कभी-कभी स्ट्रीट लाइटे भी गरीब के जीवन में रोशनी ला देती है...!!!!इस बच्चे का भविष्य सुंदर और सुखमय हों...!!🙏🙏 यही दुआ है...
01/09/2022

कभी-कभी स्ट्रीट लाइटे भी गरीब के जीवन में रोशनी ला देती है...!!!!
इस बच्चे का भविष्य सुंदर और सुखमय हों...!!🙏🙏 यही दुआ है !!❤️

27/08/2022

Tag the most patient person you know...

27/08/2022

3 ways to increase our AWARENESS in life 🙏🏻

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया  कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए...
14/08/2022

एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए निकल जाता है। एक दिन जब वह खा रहा था तो एक आदमी ने चुपके से दुकान के मालिक को बताया कि यह भाई भीड़ का लाभ उठाएगा और बिना बिल चुकाए निकल जाएगा।

उसकी बात सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक मुस्कराते हुए बोला – उसे बिना कुछ कहे जाने दो, हम इसके बारे में बाद में बात करेंगे। हमेशा की तरह भाई ने नाश्ता करके इधर-उधर देखा और भीड़ का लाभ उठाकर चुपचाप चला गया। उसके जाने के बाद, उसने रेस्टोरेंट के मालिक से पूछा कि मुझे बताओ कि आपने उस व्यक्ति को क्यों जाने दिया।

रेस्टोरेंट के मालिक ने कहा आप अकेले नहीं हो, कई भाइयों ने उसे देखा है और मुझे उसके बारे में बताया है। वह रेस्टोरेंट के सामने बैठता है और जब देखता है कि भीड़ है, तो वह चुपके से खाना खा लेता है। मैंने हमेशा इसे नज़रअंदाज़ किया और कभी उसे रोका नहीं, उसे कभी पकड़ा नहीं और ना ही कभी उसका अपमान करने की कोशिश की.. क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी दुकान में भीड़ इस भाई की प्रार्थना की वजह से है

वह मेरे रेस्टोरेंट के सामने बैठे हुए प्रार्थना करता है कि, जल्दी इस रेस्टोरेंट में भीड़ हो तो मैं जल्दी से अंदर जा सकूँ, खा सकूँ और निकल सकूँ। और निश्चित रूप से जब वह अंदर आता है तो हमेशा भीड़ होती है। तो ये भीड़ भी शायद उसकी "प्रार्थना" से है

शायद इसीलिए कहते है कि मत करो घमंड इतना कि मैं किसी को खिला रहा हूँ.. क्या पता की हम खुद ही किसके भाग्य से खा रहे हैँ !

तस्वीर -सांकेतिक
प्रेरक कहानी साभार-

14/08/2022

एक बेजुबान कितना वफादार हो सकता है 💚💕💕💙💞❤

 #एक फटी धोती और फटी  #कमीज पहने एक  व्यक्ति अपनी 15-16 साल की बेटी के साथ एक बड़े होटल में पहुंचा। उन दोंनो को कुर्सी प...
12/08/2022

#एक फटी धोती और फटी #कमीज पहने एक व्यक्ति अपनी 15-16 साल की बेटी के साथ एक बड़े होटल में पहुंचा। उन दोंनो को कुर्सी पर बैठा देख एक #वेटर ने उनके सामने दो #गिलास साफ ठंडे पानी के रख दिए और पूछा- आपके लिए क्या लाना है?

उस व्यक्ति ने कहा- "मैंने मेरी बेटी को वादा किया था कि यदि तुम कक्षा दस में जिले में प्रथम आओगी तो मैं तुम्हे शहर के सबसे बड़े होटल में एक डोसा खिलाऊंगा।
इसने वादा पूरा कर दिया। कृपया इसके लिए एक डोसा ले आओ।"वेटर ने पूछा- "आपके लिए क्या लाना है?" उसने कहा-"मेरे पास एक ही डोसे का पैसा है।"पूरी बात सुनकर वेटर मालिक के पास गया और पूरी कहानी बता कर कहा-"मैं इन दोनो को भर पेट नास्ता कराना चाहता हूँ।अभी मेरे पास पैसे नहीं है,इसलिए इनके बिल की रकम आप मेरी सैलेरी से काट लेना।"मालिक ने कहा- "आज हम होटल की तरफ से इस #होनहार बेटी की सफलता की पार्टी देंगे।"

होटलवालों ने एक टेबल को अच्छी तरह से सजाया और बहुत ही शानदार ढंग से सभी उपस्थित ग्राहको के साथ उस गरीब बच्ची की सफलता का जश्न मनाया।मालिक ने उन्हे एक बड़े थैले में तीन डोसे और पूरे मोहल्ले में बांटने के लिए मिठाई उपहार स्वरूप पैक करके दे दी। इतना सम्मान पाकर आंखों में खुशी के आंसू लिए वे अपने घर चले गए।

समय बीतता गया और एक दिन वही लड़की I.A.S.की परीक्षा पास कर उसी शहर में कलेक्टर बनकर आई।उसने सबसे पहले उसी होटल मे एक सिपाही भेज कर कहलाया कि कलेक्टर साहिबा नास्ता करने आयेंगी। होटल मालिक ने तुरन्त एक टेबल को अच्छी तरह से सजा दिया।यह खबर सुनते ही पूरा होटल ग्राहकों से भर गया।

कलेक्टर रूपी वही लड़की होटल में मुस्कराती हुई अपने माता-पिता के साथ पहुंची।सभी उसके सम्मान में खड़े हो गए।होटल के मालिक ने उन्हे गुलदस्ता भेंट किया और आर्डर के लिए निवेदन किया।उस लड़की ने खड़े होकर होटल मालिक और उस बेटर के आगे नतमस्तक होकर कहा- "शायद आप दोनों ने मुझे पहचाना नहीं।मैं वही लड़की हूँ जिसके पिता के पास दूसरा डोसा लेने के पैसे नहीं थे और आप दोनों ने #मानवता की सच्ची मिसाल पेश करते हुए,मेरे पास होने की खुशी में एक शानदार पार्टी दी थी और मेरे पूरे मोहल्ले के लिए भी मिठाई पैक करके दी थी।

आज यह पार्टी मेरी तरफ से है और उपस्थित सभी ग्राहकों एवं पूरे होटल स्टाफ का बिल मैं दूंगी।कल आप दोनों को "" श्रेष्ठ नागरिक "" का सम्मान एक नागरिक मंच पर किया जायेगा।

शिक्षा-- किसी भी गरीब की गरीबी का मजाक बनाने के वजाय उसकी प्रतिभा का उचित सम्मान करें l

 #कानपुर से लौटते वक्त जब मेरी गाड़ी संख्या 12394 सम्पूर्ण क्रान्ति एक्सप्रेस  #मिर्जापुर पहुँची तब रात के पौने तीन बज चु...
12/08/2022

#कानपुर से लौटते वक्त जब मेरी गाड़ी संख्या 12394 सम्पूर्ण क्रान्ति एक्सप्रेस #मिर्जापुर पहुँची तब रात के पौने तीन बज चुके थे।
मिर्जापुर स्टेशन से बाहर निकलते ही कुछ ई-रिक्शा वाले, टैम्पो वाले ने पूछा कि कहाँ जाना है साहब? लेकिन मेरी निगाह एक बुजुर्ग पैडल रिक्शा चालक की ओर पड़ी जिन्होंने मुझे देखते ही अपने नींद को त्यागकर बड़ी आस के साथ दबे स्वर में पूछा "केहर जाबा बाबू?" मैं भी मन बना चुका था कि जाऊँगा तो दादाजी के साथ ही और अपने गंतव्य अर्थात घर का पता बताया और दादाजी ने कहा "बाबू 50 रुपिया लगे।" मैंने सहमति जताई और उनके रिक्शे पर बैठ गया। दादा जी की उम्र लगभग 70 वर्ष रही होगी। लेकिन जब मैंने उनसे पूछा तो दादाजी ने बोला "78 साल होई गवा बा बाबू। 2 आना, 12 आना क सवारी ढोये हई।"
मेरी जिज्ञासा बढ़ती गयी और यूं ही सफर में उनका हालचाल लेते हुए हम दोनों आगे बढ़ रहे थे।
दादाजी ने बताया कि इसी रिक्शे के बदौलत उन्होंने अपनी सात लड़कियों की शादी की है और एक लड़के की शादी करनी है। पूर्व में जब तक ई-रिक्शा नहीं निकला था तब एक सवारी उतारते ही दूसरी सवारी बैठ जाती थी और अब खाने का निकल जाए तो वो ही बड़ी बात है। दादाजी ने बताया कि उनसे दोपहर में रिक्शा नहीं चलाया जाता इसलिए वो सिर्फ रात से भोर तक ही रिक्शा चलाते हैं। तभी अचानक लालडिग्गी पर एक जगह रोड धँस गयी थी और बारिश से भीगी सड़कों पर कीचड़ के बीच दादाजी रिक्शा से उतरकर अपने हाथों से खींचने लगे, मुझसे ये देखा न गया और मैं भी उतर गया जैसे ही कुछ ठीक रास्ता आया मैं पुनः रिक्शे पर बैठ गया। मैंने पूछा दादा आपके बेटे क्या करते हैं? तो उन्होंने बोला बेटा सूरत रहता है। खर्चा भी भेजता है लेकिन कम पड़ता है तो पेट पालने के लिए इस उम्र में भी मेहनत करना पड़ता है।
अब मैं अपने घर के करीब आ चुका था और दादाजी से बोला बस सामने रोडलाइट के पास ही उतार दीजिये। जब 100 रुपये उनको मैंने दिया तो वो शेष पैसे को लौटाने के लिये अपना जेब टटोलने लगे। मैंने कहा रखे रहिये दादा। दादाजी के चेहरे की मुस्कान उनके थकान को कुछ पल के लिए दूर कर दिया और उन्होंने जो आशीर्वाद दिया वो मेरे लिए अतुलनीय था। इस पोस्ट को करने का मतलब सिर्फ इतना है कि आधुनिकता को अपनाना गलत नहीं है आप ई-रिक्शा के आदी तो हो चुके हैं। समय के साथ परिवर्तन विकास लाता है। लेकिन पैडल रिक्शा जो अब सिर्फ शहर में गिने चुने ही शेष हैं। आप उनका भी प्रयोग करें ये ना ही जमीन खरीदने के लिये लालायित हैं ना ही इन्हें सोना चाँदी खरीदना है, दरअसल ये रोटी कमाने निकलते हैं।🙏
(तस्वीर इमरती रोड मिर्जापुर की है)

 #लस्सी_का_कुल्हड़एक दूकान पर लस्सी का ऑर्डर देकर हम सब दोस्त- आराम से बैठकर एक दूसरे की खिंचाई और हंसी-मजाक में लगे ही थ...
28/07/2022

#लस्सी_का_कुल्हड़

एक दूकान पर लस्सी का ऑर्डर देकर हम सब दोस्त- आराम से बैठकर एक दूसरे की खिंचाई और हंसी-मजाक में लगे ही थे कि, लगभग 70-75 साल की बुजुर्ग स्त्री पैसे मांगते हुए हमारे सामने हाथ फैलाकर खड़ी हो गई।

उनकी कमर झुकी हुई थी, चेहरे की झुर्रियों में भूख तैर रही थी। नेत्र भीतर को धंसे हुए किन्तु सजल थे।

उनको देखकर मन में न जाने क्या आया कि मैंने जेब में सिक्के निकालने के लिए डाला हुआ हाथ वापस खींचते हुए उनसे पूछ लिया:

दादी लस्सी पियोगी?

मेरी इस बात पर दादी कम अचंभित हुईं और मेरे मित्र अधिक क्योंकि अगर मैं उनको पैसे देता तो बस 5 या 10 रुपए ही देता लेकिन लस्सी तो 40 रुपए की एक है।

इसलिए लस्सी पिलाने से मेरे गरीब हो जाने की और उस बूढ़ी दादी के द्वारा मुझे ठग कर अमीर हो जाने की संभावना बहुत अधिक बढ़ गई थी।

दादी ने सकुचाते हुए हामी भरी और अपने पास जो मांग कर जमा किए हुए 6-7 रुपए थे, वो अपने कांपते हाथों से मेरी ओर बढ़ाए।

मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैने उनसे पूछा, ये किस लिए?

इनको मिलाकर मेरी लस्सी के पैसे चुका देना बाबूजी।

भावुक तो मैं उनको देखकर ही हो गया था। रही बची कसर उनकी इस बात ने पूरी कर दी।

एकाएक मेरी आंखें छलछला आईं और भरभराए हुए गले से मैने दुकान वाले से एक लस्सी बढ़ाने को कहा।

उन्होने अपने पैसे वापस मुट्ठी मे बंद कर लिए और पास ही जमीन पर बैठ गई।

अब मुझे अपनी लाचारी का अनुभव हुआ क्योंकि मैं वहां पर मौजूद दुकानदार, अपने दोस्तों और कई अन्य ग्राहकों की वजह से उनको कुर्सी पर बैठने के लिए नहीं कह सका।

डर था कि कहीं कोई टोक ना दे। कहीं किसी को एक भीख मांगने वाली बूढ़ी महिला के उनके बराबर में बिठाए जाने पर आपत्ति न हो जाये।

लेकिन वो कुर्सी जिस पर मैं बैठा था, मुझे काट रही थी।

लस्सी कुल्लड़ों में भरकर हम सब मित्रों और बूढ़ी दादी के हाथों मे आते ही मैं अपना कुल्लड़ पकड़कर दादी के पास ही जमीन पर बैठ गया क्योंकि ऐसा करने के लिए तो मैं स्वतंत्र था।

इससे किसी को आपत्ति नहीं हो सकती थी।

हां, मेरे दोस्तों ने मुझे एक पल को घूरा, लेकिन वो कुछ कहते उससे पहले ही दुकान के मालिक ने आगे बढ़कर दादी को उठाकर कुर्सी पर बैठा दिया और मेरी ओर मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर कहा:

ऊपर बैठ जाइए साहब! मेरे यहां ग्राहक तो बहुत आते हैं, किन्तु इंसान तो कभी-कभार ही आता है।

दुकानदार के आग्रह करने पर मैं और बूढ़ी दादी दोनों कुर्सी पर बैठ गए हालांकि दादी थोड़ी घबराई हुई थी मगर मेरे मन में एक असीम संतोष था।

तुलसी इस संसार में, सबसे मिलिए धाय।
ना जाने किस वेश में, नारायण मिल जाय।।

बर्तनों की आवाज़ देर रात तक आ रही थी,रसोई का नल चल रहा है,माँ रसोई में है....तीनों बहुऐं अपने-अपने कमरे में सोने जा चुकी...
16/07/2022

बर्तनों की आवाज़ देर रात तक आ रही थी,
रसोई का नल चल रहा है,
माँ रसोई में है....

तीनों बहुऐं अपने-अपने कमरे में सोने जा चुकी,
माँ रसोई में है...

माँ का काम बकाया रह गया था,पर काम तो सबका था;
पर माँ तो अब भी सबका काम अपना ही मानती है..

दूध गर्म करके,
ठण्ड़ा करके,
जावण देना है,
ताकि सुबह बेटों को ताजा दही मिल सके;

सिंक में रखे बर्तन माँ को कचोटते हैं,
चाहे तारीख बदल जाये,सिंक साफ होना चाहिये....

बर्तनों की आवाज़ से
बहू-बेटों की नींद खराब हो रही है;
बड़ी बहू ने बड़े बेटे से कहा;
"तुम्हारी माँ को नींद नहीं आती क्या? ना खुद सोती है और ना ही हमें सोने देती है"

मंझली ने मंझले बेटे से कहा; "अब देखना सुबह चार बजे फिर खटर-पटर चालू हो जायेगी, तुम्हारी माँ को चैन नहीं है क्या?"

छोटी ने छोटे बेटे से कहा; "प्लीज़ जाकर ये ढ़ोंग बन्द करवाओ कि रात को सिंक खाली रहना चाहिये"

माँ अब तक बर्तन माँज चुकी थी

झुकी कमर,
कठोर हथेलियां,
लटकी सी त्वचा,
जोड़ों में तकलीफ,
आँख में पका मोतियाबिन्द,
माथे पर टपकता पसीना,
पैरों में उम्र की लड़खडाहट
मगर,
दूध का गर्म पतीला
वो आज भी अपने पल्लू से उठा लेती है,
और...
उसकी अंगुलियां जलती नहीं है,
क्योंकि वो माँ है ।

दूध ठण्ड़ा हो चुका,
जावण भी लग चुका,
घड़ी की सुईयां थक गई,
मगर...
माँ ने फ्रिज में से भिण्ड़ी निकाल ली और काटने लगी;
उसको नींद नहीं आती है, क्योंकि वो माँ है!

कभी-कभी सोचता हूं कि माँ जैसे विषय पर लिखना,बोलना,बताना,जताना क़ानूनन बन्द होना चाहिये;
क्योंकि यह विषय निर्विवाद है,
क्योंकि यह रिश्ता स्वयं कसौटी है!

रात के बारह बजे सुबह की भिण्ड़ी कट गई,
अचानक याद आया कि गोली तो ली ही नहीं;
बिस्तर पर तकिये के नीचे रखी थैली निकाली,
मूनलाईट की रोशनी में
गोली के रंग के हिसाब से मुंह में रखी और गटक कर पानी पी लिया...

बगल में एक नींद ले चुके बाबूजी ने कहा;"आ गई"
"हाँ,आज तो कोई काम ही नहीं था"
-माँ ने जवाब दिया,

और

लेट गई,कल की चिन्ता में
पता नहीं नींद आती होगी या नहीं पर सुबह वो थकान रहित होती हैं,
क्योंकि वो माँ है!

सुबह का अलार्म बाद में बजता है,
माँ की नींद पहले खुलती है;
याद नहीं कि कभी भरी सर्दियों में भी,
माँ गर्म पानी से नहायी हो
उन्हे सर्दी नहीं लगती,
क्योंकि वो माँ है!

अखबार पढ़ती नहीं,मगर उठा कर लाती है;
चाय पीती नहीं,मगर बना कर लाती है;
जल्दी खाना खाती नहीं,मगर बना देती है,
क्योंकि वो माँ है!

माँ पर बात जीवनभर खत्म ना होगी,

🙂 माँ❤️

16/07/2022

बेरोजगार युवक एक बात गांठ बांध लें...

6 महीने में आप बाइक के मैकेनिक बन सकते हो ।
6 महीने में आप कार के मैकेनिक बन सकते हो ।
6 महीने में आप साइकिल के मकैनिक बन सकते हो ।
6 महीने में आप मधुमक्खी पालन सीख सकते हो ।
6 महीने में आप दर्जी का काम सिख सकते हो ।
6 महीने में आप डेयरी फार्मिंग सीख सकते हो ।
6 महीने में आप हलवाई का काम सीख सकते हो ।
6 महीने में आप घर की इलेक्ट्रिक वायरिंग सीख सकते हो ।
6 महीने में आप घर का प्लंबर का कार्य सीख सकते हो ।
6 महीने में आप मोबाइल रिपेयरिंग सीख सकते हो ।
6 महीने में आप दरवाजे बनाना सीख सकते हो ।
6 महीने में आप वेल्डिंग का काम सीख सकते हो ।
6 महीने में आप मिट्टी के बर्तन बनाना सीख सकते हो ।
6 महीने में आप योगासन सीख सकते हो ।
6 महीने में आप मशरूम की खेती का काम सीख सकते हो ।
6 महीने में आप बाल काटना सीख सकते हो ।

मात्र 6 माह में
आप ऐसे ही बहुत से
"स्वरोजगार कुशलतापूर्वक सीख सकते हो"
जो आपके परिवार को
भूखा नहीं सोने देगा ।

आज भारत में सबसे अधिक दुखी
वे लोग हैं
जो बहुत अधिक पढ़ लिखकर बेरोजगार हैं ।
उच्च शिक्षा पाकर भी
अगर आप रोजगार के रूप में
केवल नौकरी पाने की राह में बैठे हैं
तो शिक्षित होने का कोई अर्थ नहीं ।

रोजगार के लिए
आपका अधिक पढ़ा लिखा होना
कोई मायने नही रखता
यह आपकी इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है
कि आप किसी के नौकर बनना पसन्द करते हैं
या स्वयं के कारोबार के स्वतन्त्र मालिक।

भारत में 90% रोजगार
वे लोग कर रहे हैं
जो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं ।

10% रोजगार के रूप में
केवल नौकरी की चाहत में
पढ़े लिखे लोगों के बीच मारामारी है।।

स्वंय विचार करें
बिना घूस रिसवत के करीगर बनो महीने में लाखों कमाओ

सभी संगठनों को यही करना चाहिए नौकरी छोड़ो खुद का हाथ का काम सीखो

ये तस्वीर चायनीज़ हेनन हॉस्पिटल में ली गई है जिसमें एक कैंसर की मरीज नोटों से भरा बैग लेकर डॉक्टर के पास आई और उसने डॉक्...
04/07/2022

ये तस्वीर चायनीज़ हेनन हॉस्पिटल में ली गई है जिसमें एक कैंसर की मरीज नोटों से भरा बैग लेकर डॉक्टर के पास आई और उसने डॉक्टर से कहा- मेरी जिंदगी बचाएँ। मेरे पास और भी बहुत दौलत है तुम्हें देने के लिए लेकिन जब डॉक्टर ने बताया- अब उसका इलाज मुमकिन नहीं है क्योंकि उसका कैंसर लास्ट स्टेज पर है और अब डाक्टर्स उसकी जिंदगी नहीं बचा सकते।
तो वह बहुत गुस्सा हुई और पागलों की तरह चीखते हुए पूरे हॉस्पिटल के बरामदे में नोटों को फेंकती गई और बोलती रही- "क्या फ़ायदा इस दौलत का जो मेरी जान नहीं बचा सकती।" क्या फ़ायदा इतना अमीर होने का, ये दौलत मुझे सेहत नहीं दे सकती। ये दौलत जिंदगी नहीं दे सकती। 😢
इसलिए दोस्तों भाग-दौड़ वाली इस ज़िन्दगी में सिर्फ पैसे कमाने में व्यस्त ना रहे,अपने स्वास्थ्य,अपने परिवार और मित्रो के साथ देश धर्म के लिये समय निकाल लिया करो,ये जीवन दोबारा नही मिलेगा रुपयों का ढेर कुछ काम नही आएगा,,
इस लिए आज से ही अपने स्वास्थ और अपनो का ध्यान रखो 🙏

तश्वीर में दिख रहे दोनो व्यक्ति पिता पुत्र हैं..पुत्र का नाम है Dr. Sandeep Mittal सीनियर IPS अधिकारी है महानिदेशक है पु...
03/07/2022

तश्वीर में दिख रहे दोनो व्यक्ति पिता पुत्र हैं..
पुत्र का नाम है Dr. Sandeep Mittal
सीनियर IPS अधिकारी है महानिदेशक है पुलिस विभाग में , भारतीय संसद भवन के सुरक्षा सचिव भी रह चुके हैं तमाम वीरता पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं विश्व के तमाम विश्वविद्यालयों से कई मानद उपाधियों मिल चुकी है..
सरकारी नौकर चाकर होते हुए भी स्वयं अपने वृद्ध पिता की सेवा कर रहे हैं ये मिशाल है उन लोगों के लिए जो थोड़ी सी सफलता मिलते ही माँ बाप को पराया कर देते हैं खासकर सरकारी नौकरी वालो का एक बड़ा तबका ऐसा है ..
जिनकी बीबियां बूढ़े सास ससुर अपने घर मे नही रखना चाहती है उनको लगता है कि ये बूढ़े लोग उनके एलीट क्लास में फिट नही बैठते , शर्म आनी चाहिए ऐसे सोच वालों को जो बूढ़े मां बाप को अपनी तरक्की में बाधक मानते हैं एक बात याद रखना दोस्तों अगर सुशांत सिंह अपने माँ बाप के साथ रहता तो रिया की कभी हिम्मत नही पड़ती उसके साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की । तमाम बुरे लोगों से आपका पीछा यूं ही छूट जाता है जब आपके घर की हुकूमत आपके माँ बाप के हाथों में रहती है जब आप अपने माँ बाप के साथ रहते हो और घर का सारा मालिकाना उनके पास रहता है तो इसका फायदा यह होता है कि न तो कोई आपका दोस्त आपसे गैर जरूरी कामों के लिये उधार पैसे ले सकता है न ही आपकी गाड़ी और न ही आपके घर मे आकर रह सकता है आपके दरवाजे पर लेटा हुआ एक बुजुर्ग किसी बंदूक से ज्यादा आपकी रक्षा करता है सबसे आखिर में यही कहना चाहूंगा कि कस्बा या टियर 3 सिटीज में एक 500 वर्ग का घर और एक मारुति कार खरीद कर , अपनी बीबी के बहकावे में आकर आप अपने माँ बाप को अपनी बराबरी का नही समझते हो ,लेकिन यह याद रखना की मुकेश अंबानी आज भी अपनी माँ के साथ रहते हैं और विश्व के सबसे अमीर औऱ पॉवरफुल लोगों में उनका नाम है जबकि अनिल अंबानी अपनी बीबी के बहकावे मे आकर मां को छोड़कर अलग रहने लगे थे आज अनिल कि हालात देख लो..!!
साभार 🙏

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