![आज कल जब कुछ लोगों को अपने माता-पिता भी एक समय बाद खटकने लगते हैं और उन्हें वृद्धाश्रम में जाकर छोड़ दिया जाता है, वहीं ए...](https://img3.medioq.com/781/929/149574167819294.jpg)
27/11/2022
आज कल जब कुछ लोगों को अपने माता-पिता भी एक समय बाद खटकने लगते हैं और उन्हें वृद्धाश्रम में जाकर छोड़ दिया जाता है, वहीं एक ऐसा शख्स भी है, जो एक दो नहीं बल्कि करीब 300 बुजुर्गों को किसी भी दिन खाना देने से नहीं चूकता। हम बात कर रहे हैं कोलकाता के देब कुमार मल्लिक की। देब कोलकाता में Care Home में न रह पाने वाले बुजुर्गों की मदद करते हैं। इस मदद में न सिर्फ़ खाना-पीना है बल्कि मेडिकल इमरजेंसी से लेकर, इनकी कहीं जाने की इच्छा को भी पूरा करना है।
40 वर्षीय देब बिज़नेसमैन हैं। वह कोलकाता के बारानगर में बड़े हुए। उनके माता-पिता और एक बड़ा भाई अच्छा जीवन जी रहे थे लेकिन जब देब 5 साल के थे, तब उनके पिता का एक्सीडेंट हुआ और वह लकवाग्रस्त हो गए। इसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी और उनकी मां ने बतौर टीचर और पार्ट टाइम फ़िज़ियोथेरेपी ट्रेनर का काम शुरू किया। इसी बीच उनके भाई को भी मानसिक स्वास्थ्य से जूझना पड़ा और उन्हें रिहैब के लिए भेजना पड़ा।
अब वह हर दिन 4,800 रुपये ख़र्च करते हैं और कई लोगों के भूखे पेट को भरते हैं। वह खाना-पीना और मेडिकल सुविधा के साथ-साथ बेघर बुजुर्गों का अंतिम संस्कार भी करते हैं। उनके लिए सबसे बड़ी जीत है कि सैकड़ों बुजुर्ग उन्हें अपना बेटा मानते हैं और बहुत प्यार देते हैं।