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17/01/2025
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14/01/2025

आज की ताजा खबरें विभिन्न अखबारों पर प्रकाशित
मकर संक्रांति की 2025 की सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं🕉️
14-01-2025
Today's Educational News Updates

कुम्भ मेला विशेष=============कब और किसने शुरू किया कुंभ मेला ?-------------------------------------------------------भाव...
13/01/2025

कुम्भ मेला विशेष
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कब और किसने शुरू किया कुंभ मेला ?
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भावार्थ:-माघ में जब सूर्य मकर राशि पर जाते हैं, तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग को आते हैं। देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं॥।

कुंभ के सम्बन्ध में कई किवदंतियां प्रचलित है। इसमें से एक कथा इस प्रकार है कि एक बार इन्द्र देवता ने महर्षि दुर्वासा को रास्ते में भेंट होने पर जब प्रणाम किया तो दुर्वासाजी ने प्रसन्न होकर उन्हें अपनी माला दी किन्तु इन्द्र ने उस माला का आदर न कर अपने ऐरावत हाथी के मस्तक पर डाल दिया। जिसने माला को सूंड से घसीटकर पैरों से कुचल डाला।

इस पर दुर्वासाजी ने कुपित होकर इन्द्र को श्रीविहीन होने का शाप दिया। इस घटना के बाद इन्द्र घबराए हुए ब्रह्माजी के पास गए। ब्रम्हाजी ने इन्द्र को लेकर भगवान विष्णु के पास गए और उनसे इन्द्र की रक्षा करने की प्रार्थना की।

भगवान ने कहा कि इस समय असुरों का आतंक है अतः तुम उनसे संधि कर लो और देवता और असुर दोनों मिलकर समुद्र मंथन कर अमृत निकालों। जब अमृत निकलेगा तो हम तुम लोगों को अमृत बांट देंगे और असुरों को केवल श्रम ही हाथ मिलेगा।

पृथ्वी के उत्तर भाग मे हिमालय के समीप देवता और दानवों ने समुद्र का मन्थन किया। इसके लिए मंदराचल पर्वत को मथानी और नागराज वासुकि को रस्सी बनाया गया। जिसके फलस्वरूप क्षीरसागर से पारिजात, ऐरावत हाथी, उश्चैश्रवा घोड़ा रम्भा कल्पबृक्ष शंख, गदा धनुष कौस्तुभमणि, चन्द्र मद कामधेनु और अमृत कलश लिए धन्वन्तरि निकलें। इस कलश के लिए असुरों और दैत्यों में संघर्ष शुरू हो गया।

अमृत कलश को दैत्यों से बचाने के लिए देवराज इन्द्र के पुत्र जयंत बृहस्पति, चन्द्रमा, सूर्य और शनि की सहायता से उसे लेकर भागे। यह देखकर दैत्यों ने उनका पीछा किया। यह पीछा बारह दिनों तक होता रहा। देवता उस कलश को छिपाने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान को भागते रहे और असुर उनका पीछा करते रहे।

इस भाग-दौड़ में देवताओं को पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करनी पड़ी। इन बारह दिनों की भागदौड़ में देवताओं ने अमृत कलश को हरिद्वार, प्रयाग, नासिक तथा उज्जैन नामक स्थानों पर रखा। इन चारों स्थानों में रखे गए कलश से अमृत की कुछ बूंदे छलक पड़ी।

अन्त में कलह को शान्त करने के लिए समझौता हुआ और भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर दैत्यों को भरमाए रखा और अमृत को इस प्रकार बांटा कि दैत्यों का नम्बर आने तक कलश रिक्त हो गया।

पौराणिक घटना भारतीय जनमानस में अमिट हो गई और कालान्तर में संस्कृति का अजस्र प्रवाह बनकर हम सभी को अपने अतीत से जोड़ते हुए पुण्य और मोक्ष के मार्ग पर आगे ले जा रही है।

प्रयाग में स्नान करने का अपार महत्व है जो माघ मास में और अधिक हो जाता है। यदि यह कुंभ का पर्व हो तो उसका वर्णन ही कठिन हो जाता है। कूर्म पुराण के अनुसार यहां स्नान से सभी पापों का विनाश होता है और मनोवांछित उत्तम भोग प्राप्त होते हैं। यहां स्नान से देवलोक भी प्राप्त होता है। भविष्य पुराण के अनुसार स्नान के पुण्य स्वरूप स्वर्ग मिलता है ओर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

स्कन्द पुराण के अनुसार भक्ति भावपूर्वक स्नान करने से जिनकी जो कामना होती है। वह निश्चित रूप से पूर्ण होती है। अग्निपुराण में कहा गया है कि इससे वही फल प्राप्त होता है जो करोड़ों गायों का दान करने से मिलता है।

ब्रम्ह पुराण में कहा गया है कि स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ जैसा फल मिलता है और मनुष्य सर्वथा पवित्र हो जाता है। महाभारत में इसके पुण्य फल की चर्चा करते हुए इसे असीम कहा गया है क्योंकि स्वयं ब्रम्हाजी उसके तत्व को बताने में असमर्थ हैं।

कुंभ, अर्धकुंभ और सिंहस्थ, के रहस्य
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कुंभ मेले का आयोजन प्राचीन काल से हो रहा है, लेकिन मेले का प्रथम लिखित प्रमाण महान बौद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग के लेख से मिलता है जिसमें छठवीं शताब्दी में सम्राट हर्षवर्धन के शासन में होने वाले कुंभ का प्रसंगवश वर्णन किया गया है। कुंभ मेले का

कुम्भ का आयोजन निम्न चार जगहों पर होता है।
हरिद्वार,
प्रयाग,
नासिक और
उज्जैन।
उक्त चार स्थानों पर प्रत्येक तीन वर्ष के अंतराम में कुंभ का आयोजन होता है, इसीलिए किसी एक स्थान पर प्रत्येक 12 वर्ष बाद ही कुंभ का आयोजन होता है। जैसे उज्जैन में कुंभ का अयोजन हो रहा है, तो उसके बाद अब तीन वर्ष बाद हरिद्वार, फिर अगले तीन वर्ष बाद प्रयाग और फिर अगले तीन वर्ष बाद नासिक में कुंभ का आयोजन होगा। उसके तीन वर्ष बाद फिर से उज्जैन में कुंभ का आयोजन होगा। उज्जैन के कुंभ को सिंहस्थ कहा जाता है।

कुंभ क्या है ?
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कलश को कुंभ कहा जाता है। कुंभ का अर्थ होता है घड़ा। इस पर्व का संबंध समुद्र मंथन के दौरान अंत में निकले अमृत कलश से जुड़ा है। देवता-असुर जब अमृत कलश को एक दूसरे से छीन रह थे तब उसकी कुछ बूंदें धरती की तीन नदियों में गिरी थीं। जहां जब ये बूंदें गिरी थी उस स्थान पर तब कुंभ का आयोजन होता है। उन तीन नदियों के नाम है:- गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा।

अर्धकुंभ क्या है ?
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अर्ध का अर्थ है आधा। हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ का आयोजन होता है। पौराणिक ग्रंथों में भी कुंभ एवं अर्ध कुंभ के आयोजन को लेकर ज्योतिषीय विश्लेषण उपलब्ध है। कुंभ पर्व हर 3 साल के अंतराल पर हरिद्वार से शुरू होता है। हरिद्वार के बाद कुंभ पर्व प्रयाग नासिक और उज्जैन में मनाया जाता है। प्रयाग और हरिद्वार में मनाए जानें वाले कुंभ पर्व में एवं प्रयाग और नासिक में मनाए जाने वाले कुंभ पर्व के बीच में 3 सालों का अंतर होता है। यहां माघ मेला संगम पर आयोजित एक वार्षिक समारोह है।

सिंहस्थ क्या है ?
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सिंहस्थ का संबंध सिंह राशि से है। सिंह राशि में बृहस्पति एवं मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होने पर उज्जैन में कुंभ का आयोजन होता है। इसके अलावा सिंह राशि में बृहस्पति के प्रवेश होने पर कुंभ पर्व का आयोजन गोदावरी के तट पर नासिक में होता है। इसे महाकुंभ भी कहते हैं, क्योंकि यह योग 12 वर्ष बाद ही आता है। इस कुंभ के कारण ही यह धारणा प्रचलित हो गई की कुंभ मेले का आयोजन प्रत्येक 12 वर्ष में होता है, जबकि यह सही नहीं है।

स्थान विशेष से कुम्भ का संबंध
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हरिद्वार में कुंभ👉 हरिद्वार का सम्बन्ध मेष राशि से है। कुंभ राशि में बृहस्पति का प्रवेश होने पर एवं मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होने पर कुंभ का पर्व हरिद्वार में आयोजित किया जाता है। हरिद्वार और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ का भी आयोजन होता है।

प्रयाग में कुंभ👉 प्रयाग कुंभ का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह 12 वर्षो के बाद गंगा, यमुना एवं सरस्वती के संगम पर आयोजित किया जाता है। ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार जब बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तब कुंभ मेले का आयोजन प्रयाग में किया जाता है।

अन्य मान्यता अनुसार मेष राशि के चक्र में बृहस्पति एवं सूर्य और चन्द्र के मकर राशि में प्रवेश करने पर अमावस्या के दिन कुंभ का पर्व प्रयाग में आयोजित किया जाता है। एक अन्य गणना के अनुसार मकर राशि में सूर्य का एवं वृष राशि में बृहस्पति का प्रवेश होनें पर कुंभ पर्व प्रयाग में आयोजित होता है।

नासिक में कुम्भ👉 12 वर्षों में एक बार सिंहस्थ कुंभ मेला नासिक एवं त्रयम्बकेश्वर में आयोजित होता है। सिंह राशि में बृहस्पति के प्रवेश होने पर कुकुंभ पर्व गोदावरी के तट पर नासिक में होता है। अमावस्या के दिन बृहस्पति, सूर्य एवं चन्द्र के कर्क राशि में प्रवेश होने पर भी कुंभ पर्व गोदावरी तट पर आयोजित होता है।

उज्जैन में कुंभ:👉 सिंह राशि में बृहस्पति एवं मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होने पर यह पर्व उज्जैन में होता है। इसके अलावा कार्तिक अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्र के साथ होने पर एवं बृहस्पति के तुला राशि में प्रवेश होने पर मोक्षदायक कुंभ उज्जैन में आयोजित होता है।

कुंभ की कथा
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दरअसल, अमृत पर अधिकार को लेकर देवता और दानवों के बीच लगातार बारह दिन तक युद्ध हुआ था। जो मनुष्यों के बारह वर्ष के समान हैं। अतएव कुंभ भी बारह होते हैं। उनमें से चार कुंभ पृथ्वी पर होते हैं और आठ कुंभ देवलोक में होते हैं।
समुद्र मंथन की कथा में कहा गया है कि कुंभ पर्व का सीधा सम्बन्ध तारों से है। अमृत कलश को स्वर्गलोक तक ले जाने में जयंत को 12 दिन लगे। देवों का एक दिन मनुष्यों के 1 वर्ष के बराबर है। इसीलिए तारों के क्रम के अनुसार हर 12वें वर्ष कुंभ पर्व विभिन्न तीर्थ स्थानों पर आयोजित किया जाता है।
युद्ध के दौरान सूर्य, चंद्र और शनि आदि देवताओं ने कलश की रक्षा की थी, अतः उस समय की वर्तमान राशियों पर रक्षा करने वाले चंद्र-सूर्यादिक ग्रह जब आते हैं, तब कुंभ का योग होता है और चारों पवित्र स्थलों पर प्रत्येक तीन वर्ष के अंतराल पर क्रमानुसार कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
अर्थात अमृत की बूंदे छलकने के समय जिन राशियों में सूर्य, चंद्रमा, बृहस्पति की स्थिति के विशिष्ट योग के अवसर रहते हैं, वहां कुंभ पर्व का इन राशियों में गृहों के संयोग पर आयोजन होता है। इस अमृत कलश की रक्षा में सूर्य, गुरु और चन्द्रमा के विशेष प्रयत्न रहे थे। इसी कारण इन्हीं गृहों की उन विशिष्ट स्थितियों में कुंभ पर्व मनाने की परम्परा है।
अमृत की ये बूंदें चार जगह गिरी थी:- गंगा नदी (प्रयाग, हरिद्वार), गोदावरी नदी (नासिक), क्षिप्रा नदी (उज्जैन)। सभी नदियों का संबंध गंगा से है। गोदावरी को गोमती गंगा के नाम से पुकारते हैं। क्षिप्रा नदी को भी उत्तरी गंगा के नाम से जानते हैं, यहां पर गंगा गंगेश्वर की आराधना की जाती है।

ब्रह्म पुराण एवं स्कंध पुराण के 2 श्लोकों के माध्यम इसे समझा जा सकता है।

।।विन्ध्यस्य दक्षिणे गंगा गौतमी सा निगद्यते उत्त्रे सापि विन्ध्यस्य भगीरत्यभिधीयते।
एव मुक्त्वाद गता गंगा कलया वन संस्थिता गंगेश्वेरं तु यः पश्येत स्नात्वा शिप्राम्भासि प्रिये।।

#महाकुंभ

लोहड़ी का यह पावन पर्व सबके जीवन में सुख, समृद्धि, यश, मान, कीर्ति व् उत्तम स्वास्थ्य लेकर आये।  आप सभी को इस पवित्र पर्...
13/01/2025

लोहड़ी का यह पावन पर्व सबके जीवन में सुख, समृद्धि, यश, मान, कीर्ति व् उत्तम स्वास्थ्य लेकर आये।
आप सभी को इस पवित्र पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।🙏🏻

12/01/2025

    🛣️    📌 Posts: MSW (Cook, Mason, Blacksmith, Mess Waiter).💼 Total Vacancies: 411 | PwBD seats included.📌 Eligibility...
12/01/2025


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📌 Posts: MSW (Cook, Mason, Blacksmith, Mess Waiter).
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📌 Eligibility & Pay: Check details at marvels.bro.gov.in.
Build roads that shape nations! 🌍

11-01-2025 Today's Educational News Updates
11/01/2025

11-01-2025
Today's Educational News Updates

09/01/2025

Rajasthan Staff Selection Board (RSSB) | RSMSSB
RSMSSB Rajasthan Prahari Recruitment 2024
Rajasthan Prahari Advt No. : 17/2024 : Short Details of Notification
WWW.SARKARIRESULT.COM
Important Dates
Application Begin : 24/12/2024
Last Date for Apply Online : 22/01/2025
Complete Form Last Date : 22/01/2025
Exam Date : 09-10,12 April 2025
Admit Card Available : Before Exam
Application Fee
General / OBC : 600/-
OBC NCL : 400/-
SC / ST : 400/-
Correction Charge : 300/-
This fee is for one time registration, now after paying the OTR fee once, the candidate will not have to pay the application fee again and again.
Pay the Exam Fee Through Emitra CSC Center, Debit Card, Credit Card, Net Banking.
RSMSSB Jail Prahari Notification 2024: Age Limit as on 01/01/2026
Minimum Age : 18 Years
Maximum Age : 26 Years
Age Relaxation Extra as per RSSB Jail Prahari Post Recruitment Exam 2024 Recruitment Rules.
Rajasthan Jail Prahari Recruitment 2024 : Vacancy Details Total : 803 Post
Post Name

Area

Total

RSSB Rajasthan Prahari Eligibility

Jail Prahari
Non TSP

759
Class 10th Exam Passed from any Recognized Board in India.
Note : CET Exam Not Required
Running : Male 5Km in 25 Minute, Female 5 KM in 35 Minute.
Male Height : 168 CMS, Chest : 81-86 CMS
Female Height : 152 CMS
More Details and Trade Wise Eligibility Read the Notification.
TSP
44

Sarkari Result, सरकारी रिजल्ट्स - SarkariResult.com provides you all the latest Sarkari Result 2024, Online Form, Sarkari Result Naukri in various sectors such as Railway, Bank, SSC, Army, Navy, Police, UPPSC, UPSSSC, UPTET and other sarkari results job alerts at one plac...

08/01/2025

भारतीय इतिहास में 7 चिरंजीवी हुए हैं
यदि आपको उनके नाम ज्ञात है तो बताए ?

08/01/2025

कुरुक्षेत्र जिले के कुछ तथ्य:
👉 शेख चिल्ली का मकबरा किसने बनवाया - दारा शिकोह (HSSC PYQ)
👉 कुरुक्षेत्र का बिड़ला मंदिर कब बना - 1952 (HSSC PYQ)
👉 थानेसर में कौनसी मिट्टी पाई जाती है - डाबर (HSSC ने माना)
👉 रानी कौर का पूरा नाम रानी चांद कौर था, इनकी ये हवेली पिहोवा (कुरूक्षेत्र) में स्थित है। ये हवेली मूरल चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है।
👉 श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश कहां दिया - ज्योतिसर सरोवर
👉 इस्कॉन भगवान् यात्रा कुरुक्षेत्र में कब शुरू हुई - 1995
👉 पैराकीट टूरिस्ट रिसॉर्ट - कुरुक्षेत्र HSSC PYQ
👉 कल्पना चावला तारामंडल कुरुक्षेत्र की स्थापना - 2007
👉 साइंस एंड पैनोरमा म्यूजियम कुरूक्षेत्र की स्थापना - 2001
👉 गीता महोत्सव की शुरुआत - 1989
👉 गीता महोत्सव अंतराष्ट्रीय स्तर पर मनाया गया - 2016
पढ़ें उनसे जो खुद सिलेक्टेड हैं ✌️

08-01-2025Today's Educational News Updates
08/01/2025

08-01-2025
Today's Educational News Updates

ये क्या हो रहा है  ?
06/01/2025

ये क्या हो रहा है ?

 े_करें_शादी_विवाह 🙏👏🤗21 साल की उम्र में जब शरीर का यौवन उफान मारता है तो इस उम्र में सभी लड़कियों का मन होता है शादी कर...
06/01/2025

े_करें_शादी_विवाह 🙏👏🤗
21 साल की उम्र में जब शरीर का यौवन उफान मारता है
तो इस उम्र में सभी लड़कियों का मन होता है शादी करने का अपने पति के साथ आलिंगन होने का क्यों की शरीर के हार्मोन हमे संकेत देते हैं की हमारा शरीर अब शारीरिक संभोग के लिए तैयार है
ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी होता था, हर एक नए लड़के में अपना जीवनसाथी तलाशती अपने सुहागरात के सपने दिन में देखती इसका ये मतलब कभी नहीं होता की मैं कैरेक्टर less हूं हर महिला उमर के इस पड़ाव पर अपने शरीर में ये बदलाव महसूस करती है
लेकिन ऑफिस के काम की वजह से शादी नही हो रही थी या यूं बोले तो मुझे नशा था की पहले करियर सेट करना है उसके बाद कुछ और
22 साल में मेरी दादी मां मेरे ऊपर जोर डालने लगी की बिट्टी की शादी जल्दी करो नही तो मैं मर जाऊंगी मरने से पहले मैं चाहती हूं की अपने दामाद को देख लूं
लेकिन मैं करियर को लेके ज्यादा सीरियस थी ऐसे करते करते उम्र कब 28 साल पहुंच गई पता ही नहीं चला
अब मेरी मां भी शादी के लिए जोर डालती, और बोलती बुढ़ापे में घर बसाओगी क्या, तो मैं उनसे झगड़ती की अभी मेरी उम्र क्या है 28 साल कोई उम्र होती है
असल में इसका कारण एक था आए दिन बड़ी बड़ी हीरोइन की रील देखती सोशल मीडिया पे एक नई वीडियो देखती जिसमे वो बोलती की शादी तभी करो जब तुम मानसिक तौर पर तैयार हो और ये बातें इतनी ज्यादा दिमाग में घुसी की मुझे भी यही लगा की पहले करियर बाद में सब कुछ
ऐसे ही मेरी उम्र 31 साल हुई, और मुझे पीरियड्स में काफी दिक्कत आने लगी जैसे ब्लीडिंग में दर्द होना, फ्लो ज्यादा होना
जब डॉक्टर के पास गई तो उन्होंने ने भी दवाई दी और बोला शादी सही उम्र में करो नही तो बच्चे पैदा होने में दिक्कत होगी
जब घर आई और इसके बारे में इंटरनेट पर देखा तो तो पाया की बड़ी बड़ी एक्ट्रेस egg freez कराती हैं
जिसमे मेरे भ्रुड से अंडा निकाल कर उसे कई सालो के लिए फ्रिज कर दिया जाएगा, और जब भी मैं मां बनना चाहूं तो इस egg ka इस्तेमाल कर सकती हूं
एक बार फिर फिल्मी और इंटरनेट का अधूरा ज्ञान प्राप्त कर के मैं खुश थी
लेकिन अब मुझे भी लग रहा था या तो egg freez Kara लिया जाए या शादी की जाए
तो मुंबई के एक बड़े अस्पताल गई dr से बात किया तो पता चला egg की क्वालिटी 25 से 27 तक सबसे अच्छी होती है, आप खुद अभी 31 की है जिसमे egg ki quality गिर चुकी।

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