27/04/2024
(अभिवृत्ति - Attitude )
किसी व्यक्ति ,वस्तु,विचार,विषय,या किसी के प्रति भी सकारात्मक या नकारात्मक रुझान/भाव ही अभिवृत्ति कहलाती है यह रुझान हमारा किसके प्रति कैसा होगा यह आसपास समाज ,उसका वातावरण ,शिक्षण ,अध्यन,आसपास के लोगो के रवैया इत्यादि पर निर्भर करता है क्योंकि इन्ही सब सामाजिक तत्वों से ही व्यक्ति की अभिवृत्ति का निर्माण होता है अभिवृत्ति जन्मजात नही होती है ( प्रवृत्ति जन्मजात होती है जैसे भूख लगना ,टॉयलेट,सुनाई पढ़ना,दिखाई पड़ना इत्यादि बहुत सी प्रवृत्ति हैं ) यह यहीं समाज द्वारा हमे प्राप्त होती है हां यहां साथ में हमारी स्वीकार्य क्षमता कार्य करती है उदाहरणार्थ यदि किसी व्यक्ति के प्रति किसी विषय को लेकर हमारा रुझान नकात्मरत्मक हो तो यह जरूरी नही कि उसका भी रुझान हमारे प्रति नकारात्मक हो। उसका रुझान हमारे प्रति सकारात्मक भी हो सकता है परंतु अभिवृत्ति में बदलाव संभव है क्योंकि यह हमारे आसपास के माहौल,हमारे अध्यन ,हमारा शिक्षण,आसपास की विचारधारा,समझ,संवेदना,सामाजिक प्रभाव इत्यादि से ही निर्मित होती है यदि हमारे अध्यन,विचारधारा,समझ,संवेदना, सामाजिक प्रभाव आदि को एक अलग माहौल,दिशा दे या इनमें बदलाव लाया जाए दे तो निश्चित ही किसी की अभिवृत्ति बदलाव लाया जा सकता है परन्तु किसी वस्तु,व्यक्ति,विचार, विषय आदि के बारे में निखारता ,निपुणता नही लाई जा सकती क्योंकि इसके लिए अभिरुचि का होना आवश्यक हो जायेगा। किसी भी के प्रति हमारी कैसी अभिवृत्ति है यह उसके प्रति हमारा परस्पर संबंध भी दर्शाती है और किसी के प्रति हमारी अभिवृत्ति कैसी है इससे हमारा उसके प्रति व्यवहार भी परिलक्षित होता है अभिवृत्ति को एक और उदाहरण से भी समझते है जैसे टॉयलेट आना हमारी प्रवृत्ति है परंतु यदि लक्जरी टॉयलेट में टॉयलेट करने की हमारी आदत बन जाए तो यह अभिवृत्ति कहलाएगी इस प्रकार यह स्पष्ट है की अभिवृत्ति शिक्षाप्रद होती है और प्रवृत्ति शिक्षाप्रद नही होती । इस प्रकार यह भी कह सकते है की यदि किसी की अभिवृत्त नकारात्मक है तो सर्वप्रथम उसके आसपास के समाज,वातावरण,शिक्षा,आसपास के लोग उनका रवैया इत्यादि जिम्मेदार है हां दूसरा पहलू आता है उस नकारात्मक अभिवृत्ति वाले व्यक्ति की स्वीकार्यता का परंतु इसका उतना महत्व नही क्योंकि आसपास के समाज,वातावरण,शिक्षा,आसपास के लोग उनका रवैया काफी प्रबल होता है यह सब us व्यक्ति को बचपन से सिखाया गया होगा जिस जिस चीज को वह बचपन से स्वीकार करता आ रहा उसको एक दम से अस्वीकार कैसे कर सकता है और अगर उसने स्वीकार कर दिया समाज आसपास लोग उसको ही स्वीकार कर देते है अनेकों उदाहरण हैं इसके। इस प्रकार यह तो समझ में आ ही गया की आसपास के
समाज,वातावरण,शिक्षा,आसपास के लोग उनका रवैया इत्यादि की कितनी प्रबलता व छाप रहती है। जो लोग किसी व्यक्ति से बेहतर सकारात्मक अभिवृत्ति की अपेक्षा करते हैं तो ऐसे लोग को अपने समाज ,उसका वातावरण ,अपस्पास के लोगो का रवैया सकारात्मक करे इसमें बदलाव लाएं फिर नए लोगों की नई अभिवृत्तियां मिलेगी।
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