Jai jwan jai kisan

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20/02/2024
Jai jawan jai kisan
31/12/2023

Jai jawan jai kisan

21/08/2023

Barrish kha kha ho rhi hai comments kro

13/08/2023
Good evening everyone
23/06/2023

Good evening everyone

08/06/2023
यह चित्र हम सब ने देखा है, खूब देखा है.. पर कहां देखा है यह जल्दी याद नहीं आयेगा.💐💐
06/06/2023

यह चित्र हम सब ने देखा है, खूब देखा है..
पर कहां देखा है यह जल्दी याद नहीं आयेगा.💐💐

👍👍👍😊
30/05/2023

👍👍👍😊

क्या ये सही बात लिखी है?🤟👌
25/05/2023

क्या ये सही बात लिखी है?🤟👌

Good morning everyone 😌😙
25/05/2023

Good morning everyone 😌😙

Digital creator

Kon sa ped hai ......???
25/05/2023

Kon sa ped hai ......???

Kon sa ped hai
25/05/2023

Kon sa ped hai

 #शादी मे (buffer) खाने में वो आनंद नहीं जो पंगत में आता था जैसे:---👉 पहले जगह रोकना !👉 बिना फटे पत्तल दोना का सिलेक्शन ...
25/05/2023

#शादी मे (buffer) खाने में वो आनंद नहीं जो पंगत में आता था जैसे:---
👉 पहले जगह रोकना !
👉 बिना फटे पत्तल दोना का सिलेक्शन करना

उतारे हुयें चप्पल जूतें
पर आधा ध्यान रखना...!
👉 फिर पत्तल पे ग्लास रखकर उड़ने से रोकना!
👉 नमक रखने वाले को जगह बताना
यहां रख नमक
सब्जी देने वाले को गाइड करना
हिला के दे
या गाढ़ी गाढ़ी दे
👉 उँगलियों के इशारे से 2 लड्डू और लेना
👉 पूडी छाँट छाँट के और गरम गरम लेना !.
👉 पीछे वाली पंगत में झांक के देखना क्या क्या आ गया !
अपने इधर और क्या बाकी है।
जो बाकी है उसके लिए आवाज लगाना
👉 पास वाले रिश्तेदार के पत्तल में जबरदस्ती पूडी🍪 रखवाना !
👉 रायते वाले को दूर से आता देखकर फटाफट रायते का दोना पीना ।
👉 पहले वाली पंगत कितनी देर में उठेगी। उसके हिसाब से बैठने की पोजीसन बनाना।
👉 और आखिर में पानी वाले को खोजना।
🍴🍴🍴🍴🍴🍴😁😄😊

हेलो!!! बाबू जी मैं चिराग बोल रहा हूँ।खुश रहो बेटा, सब खैरियत है ना।उस दिन पूरे एक महीने बाद मैंने घर पर फ़ोन किया था। मे...
25/05/2023

हेलो!!! बाबू जी मैं चिराग बोल रहा हूँ।
खुश रहो बेटा, सब खैरियत है ना।
उस दिन पूरे एक महीने बाद मैंने घर पर फ़ोन किया था। मेरी आवज उनके कानों में गिरते ही जैसे उनके कमजोर शरीर मे अचानक ताकत आ गयी। बात करते ही सवालो की झड़ी लगा दी।
"ठीक है ना? कोई दिक्कत तो नही न? खाना सही से खाता है ना? घर की चिंता मत करना यंहा सब ठीक है।"
फ़ोन पर हो रहे शोर से इतना स्पष्ट था कि माँ और छुटकी भी पास गए थे।
'लो अपनी माँ से बात करो' बोलते हुए बाबू जी ने फोन माँ को पकड़ा दिया।
मुझे पता था माँ अपना वही पुराना सवाल जरूर पूछेगी।
"बेटा घर कब आ रहा है? जल्दी आ जा छय महीने से ऊपर हो गए है तुझे देखे हुए।"
माँ की लड़खड़ाती आवाज मुझे इतना बताने के लिए काफी थी, वो अपने आंसू निकलने से नही रोक पा रही थी।
"माँ रोती क्यों है तू। छुट्टी मंजूर हो गयी है। मैं अगले हफ्ते आ रहा हूँ। और सुनो माँ तुम्हारे लिए कश्मीरी साड़ी भी लेके आ रहा हूँ।"
माँ से बात करते हुए एक पल के लिए मेरी आँखें भर आयी। कुछ पल के लिए मैं शांत हो गया।
" हेलो भैया!!! कन्हा खो गए? क्या हुआ शांत क्यों गए???
फोन की उस तरफ छुटकी थी। घर पर जब हम साथ थे तो कितनी शरारते करते थे। अब बस सिर्फ यादे बची थी।
"भैया जल्दी घर आओ। बस आपका ही इंतजार हो रहा है। आपके घर आते ही आपके लिए आपकी फेवरेट वाली मिठाई भी तो बनानी है।"
"छोटी तू टेंसन मत ले। मैं अगले हफ्ते आ रहा हूँ। बस माँ बाबू जी का खयाल रखना।"
इतना बोल के मैन फोन कट कर दिया। फ़ोन में पड़ी माँ बाबू छुटकी की फ़ोटो देखने लगा। और फिर फेसबुक और वाट्स एप पे स्टेटस अपडेट किया।
" आ रहा हूँ अगले हफ्ते अपने घर अपने शहर! जल्द मिलते है।"
अभी घर दोस्तों की यादों में खोया ही था, तभी बाहर से आती आवाज ने मेरा ध्यान तोड़ा।
"सब लोग ड्यूटी के लिए तैयार हो जाओ। गाड़ी तैयार है घाटी जाने के लिए।"

थोड़ी ही देर में गाड़ी हमसब को लेके चल दी।
गाड़ी के अंदर खुशनुमा माहौल बन रखा था कोई चुटकले तो कोई गाने तो कोई अपनी मँगेतर की बाते बता रहा था। हमारे पास रखी बंदूक जैसे मंद मंद मुस्करा रही थी और बोल रही हो "तुम फौजी कितने जिंदा दिल होते है?"
कोई छुट्टी से सभी के लिए मिठाई लेके आया था और सब मे बाटने लगा। शायद कोई मिठाई का टुकड़ा मुँह में डालते उससे पहले ही अचानक एक जोर का धमाका हुआ।
जब होश आया तो वँहा सब कुछ तहस नहस हो रखा था। मेरा और मेरे कई साथियो के छत-विछत पड़े शव दुश्मन की कायरता के सबूत दे रहे थे। चारो तरफ हमारे शरीर के टुकड़े बिखरे पड़े थे।
हमारे दूसरे साथी आंखों में आंसू और दिल मे पत्थर रख के हमारे शरीर के टुकड़े इकट्ठा कर रहे थे।
दो दिन बाद मेरा शरीर या बोले तो शरीर के कुछ टुकड़े मेरे घर पहुँचा दिए गए। पूरा घर शोक में था।
माँ बेशुध सी घर के बाहर जमीन पर लेटी थीं। उनके आंसू बहे जा रहे थे। पता नही न जाने कब से रो रही थी

कॉफिन में बंद मेरे शरीर को देखने के लिए सब चिल्ला रहे थे। "बस एक बार मुझे दिखा दे।"
पर उन्हें क्या पता था। उस कॉफिन के अंदर
माँ को चूमने के लिए मेरा चेहरा न था,
बाबू जी को सहारा देने के लिए कंधे न थे,
और छुटकी को राखी बांधने के लिए कलाई न थी।

मैंने माँ से किया वादा जरूर पूरा किया साड़ी तो लेके नही आया पर हाँ मैं तिरंगे में लिपट के जरूर आया पर आया जरूर मैं।।।

#कॉपी 🏵️ 🏵️ 🏵️ 🏵️
िंद 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳

18/05/2023

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