बाबा साहब अंबेडकर का पर दाई ने परिनिर्वाण दिवस पर शत-शत नमन
अपनी गद्दारी का ख़ुद ही आईना हो जायेगा
मुझ को छोटा कर के तू कैसे बड़े हो जायेगा
तुम गिराने में लगे थे तुमने ये सोचा नहीं
मैं गिरा तो और ताकत से खड़ा हो जाऊँगा
मुझ को चलने दो कि जारी है अभी मेरा सफ़र
रास्ता रोकोगे तो फिर क़ाफ़िला हो जाऊँगा
कद्र खुद्दारी कि करना तेरी फितरत में नहीं
तू ने क्या समझा था तेरा पालतू हो जाऊँगा?
*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
*!! लोहे का तराजू !!*
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एक बार एक व्यापारी को व्यापार के सिलसिले में परदेस जाना था और उसके लिए पैसों की जरूरत थी। वह एक साहूकार के पास गया और उससे पैसे उधार लिए। व्यापारी ने अपनी लोहे की तराजू साहूकार के पास गिरवी रखवा दी।
अपनी यात्रा से वापस आने के बाद, व्यापारी साहूकार के घर गया। उसने उसके पैसे वापस किए और उससे अपनी तराजू मांगा। लालची साहूकार बोला, “मेरी दुकान में बहुत सारे चूहे हैं। चूहों ने तुम्हारी तराजू कुतर दिया।”
व्यापारी को पता था कि साहूकार झूठ बोल रहा है पर उसने साहूकार से कोई बहस नहीं किया। उसने कहा, “कोई बात नहीं। मैं तुम्हारे लिए रेशम के कुछ कपड़े की थान लाया हूं। क्या तुम अपने बेटे को मेरे साथ भेज दोगे? वह कपड़ों के थान को लेकर वापस आ जाएगा।” सौदागर की आंखें चमक उठी और उसने अपने बेटे को व्यापारी के साथ भेज दिया।
व्या
*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
*!! विश्वास की जीत !!*
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एक बार एक गांव में एक सज्जन पुरूष रहते थे, वे बहुत ही दयालू तथा हृदय ग्राही थे, किसी को भी कभी अपशब्द नहीं कहते थे। जो भी उनके घर आता वे अच्छे से उसका आथित्य सत्कार करते। लोग उनसे सलाह मशविरा लेने आया जाया करते थे।
एक बार एक कैदी जेल से भाग जाता है, पुलिस उसके पीछे लगी रहती है। वह जब गांव के बीच पहुंचता है तो उसे एक घर का दरवाजा खुला दिखता है। वह घर उसी सज्जन पुरूष का था। वह बिना इजाजत के अन्दर प्रवेश करता है।
जैसे ही वह कैदी अन्दर पहुचता है तो वह सज्जन पुरूष बड़ी सौम्यता से कहते है, आइए महाराज आपका स्वागत है। उसे आराम से बिठाता है और कहता है कि तुम कौन हो और कहां से आ रहे हो। वह कैदी कहता है कि मैं रास्ता भटक गया हूं, क्या आप मुझे आज रात रहने की जगह दे सकते हैं। आपका बडा एहसान होगा।
वह पुरूष कहता है- क्यों नहीं आप आराम
*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
*!! एक गिलास पानी !!*
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सरकारी कार्यालय में लंबी लाइन लगी हुई थी। खिड़की पर जो क्लर्क बैठा हुआ था, वह तल्ख़ मिजाज़ का था और सभी से तेज स्वर में बात कर रहा था।
उस समय भी एक महिला को डांटते हुए वह कह रहा था, "आपको ज़रा भी पता नहीं चलता, यह फॉर्म भर कर लायीं हैं, कुछ भी सही नहीं है। सरकार ने फॉर्म फ्री कर रखा है तो कुछ भी भर दो, जेब का पैसा लगता तो दस लोगों से पूछ कर भरतीं आप।"
एक व्यक्ति पंक्ति में पीछे खड़ा काफी देर से यह देख रहा था, वह पंक्ति से बाहर निकल कर, पीछे के रास्ते से उस क्लर्क के पास जाकर खड़ा हो गया और वहीं रखे मटके से पानी का एक गिलास भरकर उस क्लर्क की तरफ बढ़ा दिया।
क्लर्क ने उस व्यक्ति की तरफ आँखें तरेर कर देखा और गर्दन उचका कर 'क्या है?' का इशारा किया।
उस व्यक्ति ने कहा, "सर, काफी देर से आप बोल रहे हैं, गला सूख गया होगा, पानी पी लीजिये।"
क्लर्
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*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
*!! मूर्ख पड़ोसी !!*
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प्राचीन भारत में, एक बहुत ही दयालु व्यापारी रहता था। वह निर्धन लोगों को पैसे दान करता था और अपने दोस्तों की हमेशा मदद करता था। उस व्यापारी ने एक दिन अपना सारा पैसा और पैसे के साथ अपनी ख्याति भी खो दी। उसके दोस्त उसे अनदेखा करने लगे। इन सबसे तंग आकर एक रात उसने सोचा, “मैंने सब कुछ खो दिया, कोई मेरे साथ नहीं है। मुझे मर जाना चाहिए।”
यह सोचते सोचते उसे गहरी नींद आ गई। सोते हुए उसने एक सपना देखा। सपने में एक भिक्षु ने उससे कहा, “कल मैं तुम्हारे द्वार पर आऊंगा। तुम्हें मेरे सिर पर लाठी से चोट करनी होगी। मैं सोने की मूर्ति में बदल जाऊंगा।” लगभग सुबह हो चुकी थी। व्यापारी जागा और सपने के बारे में सोचने लगा।
फिर कुछ समय बाद, एक भिक्षु ने घर के दरवाजे पर दस्तक दी। व्यापारी ने भिक्षु को अंदर बुलाया।
*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
*!! कड़वा वचन !!*
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सुंदर नगर में एक सेठ रहते थे। उनमें हर गुण था- नहीं था तो बस खुद को संयत में रख पाने का गुण। जरा-सी बात पर वे बिगड़ जाते थे। आसपास तक के लोग उनसे परेशान थे। खुद उनके घर वाले तक उनसे परेशान होकर बोलना छोड़ देते।
किंतु, यह सब कब तक चलता। वे पुन: उनसे बोलने लगते। इस प्रकार काफी समय बीत गया, लेकिन सेठ की आदत नहीं बदली। उनके स्वभाव में तनिक भी फर्क नहीं आया।
अंततः एक दिन उसके घरवाले एक साधु के पास गये और अपनी समस्या बताकर बोले- “महाराज ! हम उनसे अत्यधिक परेशान हो गये हैं, कृपया कोई उपाय बताइये।” तब, साधु ने कुछ सोचकर कहा- “सेठ जी ! को मेरे पास भेज देना।”
“ठीक है, महाराज” कहकर सेठ जी के घरवाले वापस लौट गये। घर जाकर उन्होंने सेठ जी को अलग-अलग उपायों के साथ उन्हें साधु महाराज के पास ले जाना चाहा। किंतु, सेठ जी साधु-महात्माओं पर विश्
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*!! मधुर वाणी !!*
एक राजा थे। वन-विहार को निकले। रास्ते में प्यास लगी। नजर दौड़ाई एक अन्धे की झोपड़ी दिखी। उसमें जल भरा घड़ा दूर से ही दिख रहा था। राजा ने सिपाही को भेजा और एक लोटा जल माँग लाने के लिए कहा। सिपाही वहाँ पहुँचा और बोला- ऐ अन्धे, एक लोटा पानी दे दे। अन्धा अकड़ू था। उसने तुरन्त कहा- चल-चल तेरे जैसे सिपाहियों से मैं नहीं डरता। पानी तुझे नहीं दूँगा। सिपाही निराश लौट पड़ा।
इसके बाद सेनापति को पानी लाने के लिए भेजा गया। सेनापति ने समीप जाकर कहा- अन्धे ! पैसा मिलेगा पानी दे। अन्धा फिर अकड़ पड़ा। उसने कहा, पहले वाले का यह सरदार मालूम पड़ता है। फिर भी चुपड़ी बातें बना कर दबाव डालता है, जा-जा यहाँ से पानी नहीं मिलेगा।
सेनापति को भी खाली हाथ लौटता देखकर राजा स्वयं चल पड़े। समीप पहुँचकर वृद्ध जन को सर्वप्रथम नमस्कार किया और कहा- ‘प्यास से ग
*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
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🌹🌹🌹गौतम बुद्ध🌹🌹🌹
भारतीय दार्शनिक, सुधारक, बौद्ध धर्म के संस्थापक एवं प्रवर्तक (563 ईसा पूर्व – 483 ईसा पूर्व)
गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ।
सारनाथ में भगवान बुद्ध की प्रतिमा, चतुर्थ शताब्दी
धर्म-बौद्ध धर्म
व्यक्तिगत विशिष्ठियाँ
जन्म-ईसवी पूर्व 563 लुंबिनी, नेपाल
निधन - ईसवी पूर्व 483 (आयु 80वर्ष)कुशीनगर, भारत
जीवनसाथी - राजकुमारी यशोधरा
बच्चे - राहुल
पिता - शुद्धोधन
माता - मायादेवी
पद तैनाती -उत्तराधिकारी मैत्रेय
इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौत