23/09/2022
दिनांक - 23-09-2022
* #आईआईटीटीएम में #आज़ादीकाअमृतमहोत्सव के अंतर्गत याद किया गया सन 1857 की क्रांति में शामिल स्वतंत्रता सेनानियों को*
प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यटन दिवस 27 सितम्बर को मनाया जाता है, इसके अंतर्गत विश्व पर्यटन सप्ताह का आयोजन भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान (आईआईटीटीएम) में किया जा रहा है। जिसमें आज आज़ादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत सन 1857 की क्रांति में शामिल स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन पर मुख्य वक्ता श्री श्याम सरीन द्वारा छात्रों को व्याख्यान दिया गया। श्री श्याम सरीन आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों से जुड़ा हुआ एक नाम है जोकि सन 1977 से 2007 तक आकाशवाणी ग्वालियर के नियमित हिंदी उद्घोषक के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। देशभक्तिपूर्ण साहित्य के अध्ययन में रूचि के साथ श्री सरीन ने वर्ष 2004 से अब तक पूरे देश में 335 देशभक्तिपूर्ण व्याख्यान सम्पन्न किये हैं।
अपने व्याख्यान में श्री सरीन ने 1857 की क्रांति के महानायक स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन के बारे में उपस्थित छात्रों को बताया। भारत की आजादी की लड़ाई में लाखों लोगों ने भाग लिया था लेकिन कुछ ऐसे भी लोग थे जो एक नई प्रतीक या प्रतिमा के साथ उभरे। ये कहना गलत नहीं होगा कि आजादी के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन का त्याग किया और इन्हीं लोगों के कारण हम आज स्वतंत्र देश में रहने का आनंद ले रहे हैं। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए जीवन, परिवार, संबंध और भावनाओं से भी ज्यादा महत्वपूर्ण था हमारे देश की आजादी। इस पूरी लड़ाई में कई व्यक्तित्व उभरे, कई घटनाएं हुई, इस अद्भुत क्रांति में असंख्य लोग मारे गए, घायल हुए इत्यादि। आज यदि खुली हवा में सांस ले रहे हैं और पूरी स्वतंत्रता के साथ जी पा रहे हैं तो ये सब उन महापुरुषों महानायकों स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले बलिदानियों की ही बदौलत है, यूँतो ये नामों की लिस्ट बहुत लंबी है परंतु प्रमुख रूप से हम ऋणी हैं #कुनव_सिंह, #विनायक_दामोदर_सावरकर, #अशफाकला_खान, #सरदार_वल्लभभाई_पटेल, #लाला_लाजपत_राय, िंह, #लाल_बहादुर_शास्त्री, #चंद्र_शेखर_आज़ाद, #सुभाष_चंद्र_बोस, #ठाकुर_रोशन_सिंह, #राजगुरु, िंह आदि।
उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता के इस आंदोलन में केवल पुरुष ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में कई महिला भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, चाहे वह स्थानीय स्तर पर देश के लिए लड़कर हो या पुरुषों के साथ मिलकर। भारत की स्वतंत्रता में महिला स्वतंत्रता सैनानियों ने भी पूर्ण रूप से भाग लिया जिनमें कुछ प्रमुख नाम हैं - #झाँसी_की_रानी_लक्ष्मीबाई, #सरोजिनी_नायडू, #झलकारी_बाई व अन्य कई ऐसे नाम और भी हैं।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक प्रो. (डॉ.) आलोक शर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए बताया कि भारत की आजादी के लिए पहले आंदोलन का पूरा श्रेय अमर शहीद #मंगल_पांडे को जाता है। 1857 की क्रांति के महानायक से अंग्रेजी हुकूमत इतनी बुरी तरह से डरे हुए थे कि उनको फांसी की तय तारीख से 10 दिन पहले ही फंदे से लटका दिया गया। अंग्रेज़ सरकार को डर था कि अगर जल्द ही मंगल पांडे को फांसी नहीं दी गई तो उनकी जलाई चिंगारी पूरे भारत में विद्रोह की आग को भड़का सकती थी।
व्याख्यान कार्यक्रम में संस्थान के सभी फैकल्टी, अधिकारीगण, कर्मचारीगण एवं छात्र छात्राएं बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए। वरिष्ठ फैकल्टी एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सौरभ दीक्षित, नोडल अधिकारी डॉ. चंद्र शेखर बरुआ, संस्थान के सभी फैकल्टी (डॉ. कामाक्षी माहेश्वरी, श्री आर. एम. खुसरो, श्री अमित तिवारी, डॉ. रविंदर डोगरा, डॉ. रमेश देवरथ, श्री रामाकृष्णा कोंगला) व अधिकारियों के साथ गगन चतुर्वेदी, आलोक कालुसकर, आदिल कुरैशी, कार्तिका बी., भाग्य, गौरव नाईक, विवेक बांदिल, राहुल सिंह गुर्जर, मयंक दुबे, प्रिंस राज माथुर, अचल पिल्लई, बाबूलाल यादव ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
आईआईटीटीएम, ग्वालियर Indian Institute of Tourism and Travel Management
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