Deepak Bilhatiya Kushwah Gwalior

Deepak Bilhatiya Kushwah Gwalior मैं एक भारतीय हूं
मैं इंसानियत पर भरोसा करता हूं

डिस्चार्ज का मतलब योनि या लिंग से निकलने वाले तरल पदार्थ से है। लोगों को संभोग से पहले, संभोग के दौरान या बाद में डिस्चा...
27/10/2024

डिस्चार्ज का मतलब योनि या लिंग से निकलने वाले तरल पदार्थ से है। लोगों को संभोग से पहले, संभोग के दौरान या बाद में डिस्चार्ज दिखाई दे सकता है। सफ़ेद, ग्रे, पीला या हरा डिस्चार्ज संक्रमण का संकेत हो सकता है। योनि और लिंग से कुछ स्राव की उम्मीद की जा सकती है, तथा इनकी कोई मानक मात्रा नहीं है।

27/10/2024
एक नगर में सोमिलक नाम का एक बुनकर रहता था। वह बहुत ही उत्कृष्ट एवं सुंदर वस्त्र बनने के बाद भी उसे कभी उपभोग से अधिक धन ...
27/10/2024

एक नगर में सोमिलक नाम का एक बुनकर रहता था। वह बहुत ही उत्कृष्ट एवं सुंदर वस्त्र बनने के बाद भी उसे कभी उपभोग से अधिक धन प्राप्त नहीं हुआ। अन्य बुनकर मोटा तथा सादा कपड़ा बनने के बाद भी उन्हें बहुत अधिक धन मिलता था, जिसके कारण उन्होंने काफी धन एकत्रित कर लिया था।

एक दिन सोमिलक अपनी पत्नी से बोला “प्रिय! अन्य बुनकर सादा और मोटा कपड़ा भी बुनकर भी उन्होंने काफी अधिक धन एकत्रित कर लिया है और मैं सुंदर एवं उत्कृष्ट वस्त्र बुनने के बाद भी धन एकत्रित नहीं कर पा रहा हूं। मुझे लगता है कि यह स्थान मेरे लिए अभाग्यशाली हैं, अतः मैं विदेश जाकर धनोपार्जन करूंगा।”

पत्नी ने कहा “प्रियतम! विदेश जाकर धन उपार्जन करना एक मिथ्या स्वप्न के अलावा कुछ नहीं है। यदि धन की प्राप्ति होनी हो तो वह स्वदेश में ही हो जाती है। भाग्य में ना लिखा हुआ धन तो हाथ में आया हुआ भी वापस चला जाता है। अतः आप यहीं रह कर व्यवसाय कीजिए, यदि भाग्य में लिखा हुआ होगा तो हम भी धनवान बन जाएंगे।

सोमिलक “भाग्य की बात तो कायर लोग करते है। लक्ष्मी तो उद्योगी और पुरुषार्थी नर को ही प्राप्त होती है। शेर को भी अपना शिकार करने के लिए उद्यम करना पड़ता है। मैं भी विदेश जाकर उद्यम करूंगा और धन संचय करूगा।”

यह कहकर सोमिलक वर्धमानपुर चला गया। उसने वहां जाकर तीन वर्ष तक खूब मेहनत करके 300 स्वर्ण मुद्राएं एकत्र कर ली। सारा धन लेकर वह अपने गांव की तरफ चल दिया। रास्ता काफी लंबा होने के कारण बीच में ही सध्या काल हो गई। सोमिलक ने एक बड़े पेड़ की डाल पर रात्रि काल में विश्राम किया। मध्य रात्रि में उसे स्वप्न में दो भयंकर आकृति के पुरुष आपस में बातचीत कर रहे थे।

एक ने कहा “हे पौरूष! तुझे मालूम नहीं कि सोमिलक के पास वस्त्र, भोजन से अधिक धन नहीं रह सकता और तूने उसे 300 स्वर्ण मुद्राएं दे दी।”

दूसरा बोला “हे भाग्य! मैं तो प्रत्येक उद्यमी व्यक्ति को उसका फल एक बार अवश्य देता हूं। उस फल को उसके पास रहने देना या नहीं रहने देना वह तो तुम्हारे अधीन है।”

स्वप्न के बाद जब सोमिलक की नींद खुली तो उसने पाया कि उसकी स्वर्ण मुद्राओं की पोटली खाली थी। “इतने कष्टों के बाद उसने इतना धन संचित किया था। अब मैं अपनी पत्नी को क्या मुंह दिखाऊंगा, मेरे मित्र मुझे क्या कहेंगे?” यह सोच कर वह पुनः वर्धमानपुर चला गया और 1 वर्ष तक दिन रात मेहनत करके उसने 500 स्वर्ण मुद्राएं एकत्रित कर ली। उन सभी स्वर्ण मुद्राओं को एक पोटली में रखकर वहां गांव की तरफ निकल पड़ा। बीच रास्ते में ही साईं काल हो गया किंतु वह इस बार रुका नहीं चलता गया। फिर उसने उन दो पुरुषों की बातचीत सुनी।

भाग्य ने फिर से वही बात कही “हे पौरूष! तुम्हें मालूम नहीं कि सोमिलक के पास वस्त्र भोजन से अधिक तो धन नहीं रह सकता और तूने उसे 500 स्वर्ण मुद्राएं दे दी।”

पौरूष ने भाग्य से कहा “हे भाग्य! मैं प्रत्येक उद्यमी व्यक्ति को उसका फल एक बार अवश्य ही देता हूं। अब वह फल उसके पास रहने देना या नहीं रहने देना वह तुम्हारे अधीन है।”

इस बातचीत के बाद जब सोमिलक ने अपनी गठरी देखी तो उसे खाली पाया। इस बार वह दुखी होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया और सोचने लगा “मैंने इतनी मेहनत के बाद काफी सारा धन एकत्रित किया किंतु हाथ में आया हुआ धन वापस चला जाता है। इस धन के बिना जीवन के तो मृत्यु ही अच्छी। अब मैं इसी पेड़ के टहनी के फंदा बांधकर अपनी जान दे दूंगा।”

जब वह टहनी के फंदा बांधकर अपने प्राण देने वाला था तभी आकाशवाणी हुई “सोमिलक! ऐसा दु:साहस मत कर। तेरा धन मैंने ही चुराया है। तुम्हारे भाग्य में भोजन वस्त्र मात्र से अधिक धन का उपभोग नहीं लिखा हुआ है। व्यर्थ में तुम अपनी शक्ति क्यों नष्ट कर रहा है। अपने घर जा सुख से अपने जीवन को व्यतीत कर। मैं तुम्हारे साहस से प्रसन्न हुआ मुझसे तुम कोई एक वरदान मांग ले।”

सोमिलक ने कहा “मुझे प्रचुर मात्रा में धन दे दीजिए।”

देवता ने कहा “धन का क्या उपयोग? तेरे भाग्य में धन का उपयोग ही नहीं लिखा है। भोग रहित धन लेकर क्या करेगा?

सोमिलक तो धन का भूखा था, बोला “भले ही धन का उपयोग हो या ना हो। मुझे तो धन ही चाहिए। समाज में जिसके पास धन होता है, उसी का ही आदर होता है। धन के कारण अकुलीन नैन कृपाण भी आधार पाते हैं।”

सोमिलक की बात सुनकर देव बोले “यदि यही बात है, तुम्हारी धन की इच्छा प्रबल है। तुम वर्द्धमान पूरे चले जाओ वहां पर दो बनिए पुत्र हैं, एक का नाम गुप्त धन है और दूसरे का नाम उपभुक्त धन है। धनु के दोनों प्रकार जाने के बाद तुम मुझसे एक वरदान मांग लेना, मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर दूंगा।”

सोमिलक देव की बात सुनकर पुनः वर्धमानपुर चला गया। वह दोनों बनिए पुत्रों का पता पूछते पूछते गुप्तधन के घर जा पहुंचा। उस घर में उसका कोई आदर सत्कार नहीं हुआ। इसके विपरीत उसे बुरा भला कहा गया। गुप्तधन और उसकी पत्नी ने सोमिलक को किसी ना किसी तरीके से घर से बाहर निकालने का प्रयास किया किंतु सोमीलक भी अपने संकल्पना का पक्का होने के कारण उस घर में घुस गया।

भोजन के समय सोमिलक को रूखी सूखी रोटी दें दी और उसे सोने के लिए भी किसी भी प्रकार की सया नही दी। रात्रि में सपना के अंदर फिर से वही दो पुरुष बातचीत करते हुए दिखे। एक कह रहा था कि “हे पौरूष! तूने गुप्त धन को भोग से अधिक धन क्यों दे दिया कि उसने सोमिलक को रोटी दे दी।”

पौरूष ने उतर दिया “इसमें मेरा क्या दोष। मेरा कार्य पुरुष के हाथों धर्म पालन करवाना है जो मैंने करवा दिया। अब इसका फल देना तुम्हारे हाथ में है।”

दूसरे दिन गुप्तधन किसी बीमारी के कारण उसे भूखा रहना पड़ा। इस प्रकार उसकी क्षतिपूर्ति हो गई।

अब सोमिलक उपभुक्त धन के घर गया। वहां उसका आदर सत्कार किया गया। उसे अच्छे से अच्छा भोजन करवाया गया और संध्या के समय सोने के लिए अच्छी सैया दी गई। रात्रि में फिर उसने उन दो पुरुषों की बात सुनी। एक कह रहा था कि “है पौरूष! उपभुक्त धन ने सोमिलक सेवा में बहुत अधिक धन खर्च कर दिया है, अब इसकी पूर्ति किस प्रकार होगी।”

पौरूष ने उतर दिया “है भाग्य! मेरा कार्य धर्म पालन करवाना था जो मैंने कर दिया अब इसका फल देना तुम्हारे हाथ में है।”

अगले दिन सुबह जब सोमिलक उठा तो उसने देखा कि राजदरबार से कुछ सैनिक राज प्रसाद के रूप में स्वर्ण मुद्राएं उपभुक्त धन को दे रहे थे।

यह देखकर सोमिलक के मन में विचार आया कि “यह संचय रहित उपभुक्ता धन ही गुप्तधन से श्रेष्ठ हैं। जिस धन का उपयोग दान एवं धर्म के कार्यों में ना किया जा सके ऐसे धन का क्या काम। ऐसे धन की अपेक्षा तो निर्धन होना ही अच्छा है।”

११ बातें जो हर हिंदू को ज्ञात होनी चाहिये..१) क्या भगवान राम या भगवान कृष्ण कभी इंग्लंड के हाऊस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य रहे ...
27/10/2024

११ बातें जो हर हिंदू को ज्ञात होनी चाहिये..

१) क्या भगवान राम या भगवान कृष्ण कभी इंग्लंड के हाऊस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य रहे थे? नहीं ना? फिर ये क्या लॉर्ड रामा, लॉर्ड कृष्णा लगा रखा है? सीधे सीधे भगवान राम, भगवान कृष्ण कहिये ना।

२) किसी की मृत्यू होने पर "RIP" मत कहिये. कहीये "ओम शांती", "सदगती मिले", अथवा "मोक्ष प्राप्ती हो"। आत्मा कभी एक स्थान पर आराम या विश्राम नहीं करती। आत्मा का पुनर्जन्म होता है अथवा उसे मोक्ष मिल जाता है।

३) अपने रामायण एवं महाभारत जैसे ग्रंथों को मायथॉलॉजी मत कहियेगा। ये हमारा गौरवशाली इतिहास है और राम एवं कृष्ण हमारे ऐतिहासिक देवपुरुष हैं, कोई मायथोलॉजिकल कलाकार नहीं।

४) मूर्ती पूजा के बारे में कभी अपराधबोध न पालें यह कहकर की "अरे ये तो केवल प्रतीकात्मक है। "सारे धर्मों में मूर्तीपूजा होती है, भले ही वह ऐसा न कहें। कुछ मुर्दों को पूजते हैं कुछ काले पत्थरों को कुछ लटके हुए प्रेषितों को।

५) गणेशजी और हनुमानजी को "Elephant god" या "Monkey god" न कहें। वे केवल हाथीयों तथा बंदरों के देवता नहीं है। सीधे सीधे श्री गणेश एवं श्री हनुमानजी कहें।

६) अपने मंदिरों को प्रार्थनागृह न कहें। मंदिर देवालय होते हैं, भगवान के निवासगृह। वह प्रार्थनागृह नहीं होते,मंदिर में केवल प्रार्थना नहीं होती। वहां आत्मा की शुद्धदी एवं परमात्मा से मिलन का स्थान है

७) अपने बच्चों के जन्मदिनपर दीप बुझाके अपशकुन न करें. अग्निदेव को न बुझाएं। अपितु बच्चों को दीप की प्रार्थना सिखाएं "तमसो मा ज्योतिर्गमय" (हे अग्नि देवता, मुझे अंधेरे से उजाले की ओर जाने का रास्ता बताएं". ये सारे प्रतीक बच्चों के मस्तिष्क में गहरा असर करते हैं।

८) कृपया "spirituality" और "materialistic" जैसे शब्दों का उपयोग करने से बचें. हिंदूओं के लिये सारा विश्व दिव्यत्व से भरा है। "spirituality" और "materialistic" जैसे शब्द अनेक वर्ष पहले युरोप से यहां आये जिन्होंने चर्च और सत्ता मे फरक किया था।

या विज्ञान और धर्म में, इसके विपरित भारतवर्ष में ऋषीमुनी हमारे पहले वैज्ञानिक थे और सनातन धर्म का मूल विज्ञान में ही है। यंत्र, तंत्र, एवं मंत्र यह हमारे धर्म का ही हिस्सा है।

९) "Sin" इस शब्द के स्थान पर "पाप" शब्द का प्रयोग करें। हम हिंदूओं मे केवल धर्म (कर्तव्य, न्यायपरायणता, एवं प्राप्त अधिकार) और अधर्म (जब धर्मपालन न हो) है. पाप अधर्म का हिस्सा है।

१०) ध्यान के लिये 'meditation' एवं प्राणायाम के लिये 'breathing exercise' इन संज्ञाओं का प्रयोग न करें, यह बिलकुल विपरीत अर्थ ध्वनित करते हैं।

११) क्या आप भगवान से डरते है? नहीं ना? क्यों? क्योंकि भगवान तो चराचर मे विद्यमान हैं। इतना ही नहीं हम स्वयं भगवान का ही रूप हैं। भगवान कोई हमसे पृथक नहीं जो हम उनसे डरें, तो फिर अपने आप को "God fearing" अर्थात भगवान से डरने वाला मत कहीये

ध्यान रहे, विश्व मे केवल उनका सम्मान होता है जो स्वयं का सम्मान करते हैं। तथा हमारा सनातन हमें सम्मान करना सिखाता है।

जयतु सनातन

जय श्री राम🙏🏻

क्या यह आधुनिक तकनीकों वाला युग नींव खोदे बिना एक गगनचुंबी इमारत के निर्माण की कल्पना कर सकता है ?यह तमिलनाडु का बृहदेश्...
27/10/2024

क्या यह आधुनिक तकनीकों वाला युग नींव खोदे बिना एक गगनचुंबी इमारत के निर्माण की कल्पना कर सकता है ?

यह तमिलनाडु का बृहदेश्वर मंदिर है, यह बिना नींव का मंदिर है । इसे इंटरलॉकिंग विधि का उपयोग करके बनाया गया है इसके निर्माण में पत्थरों के बीच कोई सीमेंट, प्लास्टर या किसी भी तरह के चिपकने वाले पदार्थों का प्रयोग नहीं किया गया है इसके बावजूद पिछले 1000 वर्षों में 6 बड़े भूकंपो को झेलकर भी आज अपने मूल स्वरूप में है ।

216 फीट ऊंचा यह मंदिर उस समय दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर था। इसके निर्माण के कई वर्षों बाद बनी पीसा की मीनार खराब इंजीनियरिंग की वजह से समय के साथ झुक रही है लेकिन बृहदेश्वर मंदिर पीसा की मीनार से भी प्राचीन होने के बाद भी अपने अक्ष पर एक भी अंश का झुकाव नहीं रखता ।

इस मंदिर के निर्माण के लिए 1.3 लाख टन ग्रेनाइट का उपयोग किया गया था जिसे 60 किलोमीटर दूर से 3000 हाथियों द्वारा ले जाया गया था। इस मंदिर का निर्माण पृथ्वी को खोदे बिना किया गया था यानी यह मंदिर बिना नींव का मंदिर है ।

मंदिर टॉवर के शीर्ष पर स्थित शिखर का वजन 88 टन है आज के समय में इतनी ऊंचाई पर 88 टन वजनी पत्थर को उठाने के लिए आधुनिक मशीनें फेल हो जाएंगी ।

बृहदीश्वर मंदिर के निर्माण के लिए प्रयोग किए गए इंजीनियरिंग के स्तर को दुनिया के सात आश्चर्यों में से किसी भी आश्चर्य के निर्माण की तकनीक मुकाबला नहीं कर सकती और आज की तकनीकों को देखकर भविष्य में भी कई सदियों तक ऐसा निर्माण सम्भव नहीं दिखता है ।
https://amrutam.co.in/products/nari-sondarya-malt?variant=43001525141757

Men's Sexual Healthदुनिया का सबसे बड़ा आकर्षण है "सेक्स"सेक्स/SEX-  जो कि दुनिया का सबसे प्रसिद्ध वाक्य है। विश्व की 95% ...
27/10/2024

Men's Sexual Health

दुनिया का सबसे बड़ा आकर्षण है "सेक्स"
सेक्स/SEX- जो कि दुनिया का सबसे प्रसिद्ध वाक्य है। विश्व की 95% लोगों की इसमें
दिलचस्पी होती है। सेक्स के विषय में कई विचार, कई धारणाएं ऐसी हैं, जो विज्ञान, शोध/ रिसर्च एवं ग्रंथो के पैमाने पर ग़लत साबित हुई हैं। फिर, भी सेक्स के प्रति लोगों का इतना आकर्षण है कि सेक्स की बात चलते ही हर कोई रिलेक्स महसूस करता है।
सेक्स का ख़्याल ऐसा है कि - लोगों के खाल-खाल/अंग-अंग में समाया हुआ है यह दिमाग से जाता ही नहीं है। सेक्स अमृत भी और जहर भी, जो सबके जहन में वर्षों से बसा हुआ है।
पार्टनर हो साथ, तो तनाव से राहत
● कैलिफोर्निया की मनोचिकित्सक
"शीनी एमबरदर" का कहना है कि अपने पार्टनर/पत्नी/महिला के करीब होने से चिंता और तनाव में कमी आती है. एक दूसरे की त्वचा से संपर्क में आने से मस्तिष्क में ऐसे रसायन/केमिकल सक्रिय होते हैं, जो खुशी का अनुभव करते हैं।


●● शिकागो की "महिला चिकित्सक लॉरीन श्ट्राइशर" बताती हैं, "ज्यादा सेक्स करने से सुन्दरता व कामुकता में वृद्धि होती है." प्रतिदिन सेक्स करने से महिलाओं की यौन इच्छा में इजाफा होता है। योनि/Vagina/वेजाइना में रक्त प्रवाह/ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होकर, योनि सम्बंधित विकार जैसे सफेद पानी आना/वाइट डिस्चार्ज/लिकोरिया आदि रोग दूर होते हैं।

●●● रिसर्च में पाया गया है कि सेक्स करने से रक्तचाप पर भी सकारात्मक प्रभाव होता है। सामान्य रूप से ब्लड प्रेशर 120/80 होना चाहिए, इसमें 120 सिस्टॉलिक और 80 डायस्टॉलिक होता है।
क्या है-सिस्टॉलिक एवं डायस्टॉलिक --
किसी व्यक्ति का रक्तचाप, सिस्टोलिक/डायास्टोलिक रक्तचाप के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। जैसे कि १२०/८० सिस्टोलिक अर्थात ऊपर की संख्या धमनियों में दाब को दर्शाती है। इसमें हृदय की मांसपेशियां संकुचित होकर धमनियों में खून को पंप करती हैं। डायालोस्टिक रक्त चाप अर्थात नीचे वाली संख्या धमनियों में उस दाब को दर्शाती है
सेक्स से सिस्टॉलिक प्रेशर में कमी आती है.
संभोग के बाद नींद अच्छी आती है। ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं होता कि रतिक्रिया के दौरान शरीर का एक्सरसाइज होता है बल्कि ऑर्गेज्म के बाद शरीर में प्रोलैक्टिन नाम का हार्मोन निकलता है, जो तनाव से मुक्ति और बेहतर नींद के लिए सहायक होता है.
कब हुआ प्रादुर्भाव-
वैज्ञानिक अनुसंधानों तथा अध्ययन के लगातार शोधों/रिसर्च करने के बावजूद यह पता नहीं लग सका कि यौन संबंधों की शुरूआत, कब कहां और कैसे हुई। सेक्स आज भी पहेली ही बना हुआ है। सेक्स के बारे में कई तरह के क़यास लगाए जाते हैं लेकिन पूरे विश्वास के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता।
सेक्स पर रिसर्च-
"टैक्‍सास यूनिवर्सिटी" के मनोविज्ञान विभाग के "प्रोफेसर्स सिंडी मेस्टन" और "डेविड बस" ने भारतीय "कामशास्त्र,रतिरहस्य" आदि ग्रंथों का अध्ययन कर एक किताब लिखी है। इस किताब का नाम है "वॉय वुमन हैव सेक्‍स"। इस शोध में सेक्स के बारे में महिलाओं के मन में सेक्स को लेकर क्या विचार चलते रहते हैं, बहुत विस्तार से बताया गया है।
महिलाओं के मन की बातें-
इस किताब में सेक्‍स संबंधों को लेकर महिलाएं क्‍या सोचती है ? इस सवाल पर कई रोचक खुलासे करती है। इस शोध में 200 कारण बताए गए है जिनके चलते स्त्रियां किसी पुरुष के साथ शारीरिक रिलेशन बनाती हैं या उसे पसंद करती

【】एक महिला ने कहा - सेक्स की सन्तुष्टि/तृप्ति से परम् आनंद की प्राप्ति होती है। मन धार्मिक को जाता है। मानसिक शांति और आध्यात्मिक अहसास होता है। उस स्त्री ने दावा किया कि सेक्स ईश्वर को करीब से महसूस करने का जरिया है।
【】 84 फीसदी महिलाओं ने माना कि वह सेक्स इसलिए करती हैं ताकि उनके तन-मन स्वस्थ्य रहे और जिंदगी में शांति बनी रहे या उनकी घर - संसार की जरूरतें पूरी होती रहें।

【】एक महिला ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया की सेक्स करने से निराशा/डिप्रेशन/बोरियत तत्काल दूर हो जाते हैं। क्योंकि सेक्स करना अपने आप से लड़ने से कहीं आसान है।
【】कुछ महिलाओं ने माना कि लिए सेक्स माइग्रेन और सिरदर्द दूर भगाने का उपचार है।
【】कुछ अधेड़ उम्र की ने कहा कि कभी-कभी सेक्स की इच्छा दबाने से कम-ज्यादा सिरदर्द हो सकता है।

【】शोधकर्ताओं ने लिखा है कि रिसर्च में कुछ महिलाओं ने ऐसी बातें भी कहीं जिन्हें सुनकर हैरानी हो सकती है। कुछ महिलाएं महज़ दयाभाव के कारण पुरुषों के साथ हम बिस्तर होती हैं। जबकि कुछ महिलाएं अपने शरीर की तृप्ति एवं स्वार्थ के लिए सेक्स का इस्तेमाल करती हैं जैसे रुपये - पैसों के लिए , और दूसरी कीमतों/भौतिक वस्तुओ को पाने के लिए।
【】कुछ महिलाओं ने बताया कि हमने अन्य लोगों के साथ इसलिए शारीरिक रिलेशन बनाए क्योंकि उसने मेरे लिए एक शानदार पार्टी का आयोजन किया या उसने मुझ पर काफी धन व्यय किया।

【】"यूनिवर्सिटी स्टूडंट्स" पर किए गए इस सर्वे में 10 में से 6 ने माना कि वह आमतौर पर ऐसे पुरुष के साथ सो चुकी हैं जो उनका बॉयफ्रेंड नहीं हैं। कुछ ने कहा - वह सेक्स इसलिए करती हैं ताकि अपनी सेक्सुअल परफॉर्मंस को इंप्रूव कर सकें। यही बताते हुए एक स्टूडंट ने कहा - मैंने अपने बॉयफ्रेंड के साथ इसलिए सेक्स किया ताकि मैं अपने
सेक्सुअल स्किल्स को और बेहतर बना सकूं।

【】इस रिसर्च में यह भी पता चला कि महिलाएं ऐसे पुरुषों पर ज्यादा आकर्षित होती हैं जो लंबे हों , जिनकी आवाज़ रौबदार हो और जिनके शरीर से मदहोश कर देने वाली महक आती हो। जिनकी बात में वजनदारी हो। वफादार हों।
सेक्स से असंतुष्ट महिलाएं-

"एशिया पैसेफिक सैक्सुअल हैल्थ ऐंड ओवरआल वैलनैस" द्वारा एशिया पैसेफिक क्षेत्र में 12 देशों में की गई एक रिसर्च के अनुसार एशिया पैसेफिक क्षेत्र में 57% पुरुष व 64% महिलाएं अपने यौन जीवन से संतुष्ट नहीं हैं. इसमें आस्ट्रेलिया, चीन, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलयेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, ताइवान आदि देशों को शामिल किया गया था। यह रिसर्च 25 से ले कर 74 वर्ष के यौन सक्रिय स्त्री-पुरुषों पर की गई थी। सब से प्रमुख बात, जो इस रिसर्च में सामने आई, वह यह थी कि पुरुषों में इरैक्टाइल हार्डनैस होना

पुरुषेन्द्रीय में कमी होने के कारण पति पत्नी दोनों ही सैक्स संबंधों को लेकर खुश नहीं रहते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि इरैक्टाइल हार्डनैस का संबंध सैक्स के साथसाथ प्यार, रोमांस, पारिवारिक जीवन व जीवनसाथी की भूमिका निभाने के साथ जुड़ा है। जीवन के प्रति देखने का उन का नजरिया भी काफी हद तक सैक्स संतुष्टि के साथ जुड़ा हुआ है।

संतोषजनक संभोग के लिए लगातार पर्याप्त इरेक्शन/उन्नत शिश्न/कड़कपन न होने को इरेक्टल डिस्फंगक्शन (सेक्स के लिए पुरुष के लिंग में पर्याप्त तनाव या कड़ापन न होना) कहा जाता है। अगर यह एक या दो बार हो तो इतनी चिंता की बात नहीं है, लेकिन अगर यह कमजोरी रोज ही होने लगे तो आपको सचेत हो जाना चाहिये। क्योंकि यह नपुंसकता के लक्षणों की शुरुआत है।

नपुंसकता नामक इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं। जैसे गृहक्लेश, मानसिक दबाव
मनोरोग, चिड़चिड़ापन, क्रोध, तनाव, चिन्ता
और अवसाद/डिप्रेशन/ शराब/ड्रग का नशा, धुम्रपान, मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग, पेनिस में रक्त का प्रवाह कम होना या उच्च रक्त चाप/बी.पी। हाई रहना आदि

"सिडनी सैंटर फौर सैक्सुअल ऐंड रिलेशनशिप थेरैपी"- सिडनी, आस्ट्रेलिया की यौन स्वास्थ्य चिकित्सक "डा.रोजी किंग" के अनुसार, ‘‘एशिया पैसेफिक के इस सर्वेक्षण से ये तथ्य सामने आए हैं कि यौन जीवन संतुष्टिदायक होने पर ही व्यक्ति पूर्णरूप से स्वस्थ रह सकता है।आज की भागम-भाग जीवनशैली में जबकि यौन संबंध कैरियर की तुलना में प्राथमिकता पर नहीं रहे, पुरुष व महिलाओं दोनों में ही यौन असंतुष्टि उच्च स्तर पर है। इस की मूल वजह अपनी सैक्स संबंधित समस्याओं के बारे में न तो आपस में और न ही अन्य किसी से बात करना है।
कम होती एवरेज
सदियों से कामसूत्र की जन्मभूमि भारत रहा है। खजुराहो, आदि अनेक स्थानों पर ऐसी मूर्तियों का निर्माण किया गया जिन पर सदियों पहले यौन क्रीडा से जुड़ी विभिन्न भंगिमाओें/चित्रों को उकेरा गया था।

भारत के लोग सैक्स जीवन की प्राथमिकताओं में 17वें नंबर पर और महिलाएं 14वें नंबर पर आती हैं।
कारण
वर्तमान युग में नई युवा पीढ़ी पर गौर करें, तो आज पाएंगे कि वे दिन में 14 घंटे काम करते हैं, एवं रोज 2 घंटे आने-जाने में गुजार देते हैं।इन सब के बीच सैक्स संबंध बनाना एक जरूरत न होकर सेक्स कभी-कभी ध्यान आ जाने वाली क्रिया मात्र बन कर रह जाता है।
40 के बाद-दें शरीर को खाद
सेक्स की सही जरूरत 40 की उम्र के बाद ज्यादा होती है।
"लीलावती अस्पताल"-- मुंबई के ऐंड्रोलोजिस्ट "डा. रूपिन शाह" का इस संदर्भ में कहना है, ‘‘प्रत्येक 2 में से 1 भारतीय शहरी पुरुष में पर्याप्त इरैक्टाइल हार्डनैस नहीं होती,
जब कि देखा गया है कि
40 से कम उम्र की औरतों की सैक्स की मांग अत्यधिक होने के कारण वे एक तरफ जहां अपनी सैक्स संतुष्टि को लेकर चेतन्य
रहती हैं, वहीं वे पार्टनर के सुख न दे पाने के कारण परेशान हो जाती हैं।
जल्दीबाजी से नुकसान -
नीमहकीमों से इलाज कराने या बहुत जल्दी उत्तेजना बढ़ाने वाली केमिकल युक्त केप्सूल/टेबलेट शरीर को खोखला कर देते हैं। कुछ ज्यादा ताकत दिखाने या जल्दी फायदे के चक्कर में हमेशा के लिए लोग नपुंसकता के शिकार हो जाते हैं।

ड्यूरैक्स सैक्सुअल वैलबीइंग ग्लोबल सर्वे के अनुसार भारतीय पुरुष व महिलाएं अपने सैक्स जीवन से संतुष्ट नहीं हैं। और्गेज्म तक पहुंचना प्रमुख लक्ष्य होता है और केवल 46% भारतीय मानते हैं कि उन्हें वास्तव में और्गेज्म प्राप्त हुआ है, जबकि ऐसी महिलाएं भी हैं, जो यह भी नहीं जानतीं कि और्गेज्म होता क्या है, क्योंकि एक महिला को इस तक पहुंचने में पुरुष से 10 गुना ज्यादा समय लगता है। पुरुष 3 मिनट में संतुष्ट हो जाता है, ऐसे में वह औरत को और्गेज्म प्राप्त होने का इंतजार कैसे कर सकता है। वैसे भी आज भी भारतीय पुरुष के लिए केवल अपनी संतुष्टि माने रखती है.
कैसे बढ़ाएं यौन उत्तेजना-
आयुर्वेदिक इलाज-
यदि सेक्सुअल वीकनेस है, तो कहीं न भटके। बहुत धैर्य के साथ 15 से 20 दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा लेना बहुत फायदेमन्द होता है। सभी पुरुषार्थ सम्बन्धी कमजोरी दूर करने के लिए, खोई हुई ताकत वापस लाने के लिए, नपुंसकता मिटाने के लिए

■ बी फेराल गोल्ड माल्ट और
■■ बी फेराल कैप्सूल
B.FERAL GOLD MALT & CAPSULE
की मदद से यौन संबंधों में कमी/असंतोष/असंतुष्टि/अतृप्ति एवं आपस में व्याप्त तनाव को दूर किया जा सकता है।
क्यों जरूरी है बी फेराल-
आयुर्वेद का नियम है कि जब तक अंदरूनी तकलीफें हैं, तब तक रोगों से पीछा छुड़ाना
मुश्किल होता है। पाचन तन्त्र/मेटाबोलिज्म/चयापचय की खराबी सब बीमारियों का मूल कारण है। भोजन के सही पचने से शरीर में रस का निर्माण होता है। यही रस फिर, रक्त/खून बनाता है और यह दोनों वीर्य/शुक्राणुओं को निर्मित करते हैं।
बी फेराल माल्ट एक बैलेंस हर्बल फार्मूला है,
जिसमें ताकतवर मुरब्बे- मेवा मसालों, रस-भस्मों का समावेश किया गया है।
सेक्स का सम्बन्ध मनोविज्ञान से भी है। नई खोजों से पता चला है कि कई मामलों में शारीरिक कमजोरी न होकर मनोवैज्ञानिक रूप से कुछ लोग सेक्स के लिए स्वयम को अक्षम समझने लगते हैं। इसलिये पहली बार मनोवैज्ञानिक एवं मानसिक रूप से मजबूत/स्ट्रांग बनाने के लिए बी फेराल में
स्मृतिसागर रस और जटामांसी का इसमें विशेष रूप मिश्रण किया गया है, ताकि कोई भी व्यक्ति अपने-आप को सेक्स के लिए काबिल बना सके।
आयुर्वेद मानता है की सेक्स की संतुष्टि के लिए
मानसिक और शारीरिक रूप से शक्तिशाली
होना आवश्यक है।
एक खाद- दूर करे 100 विवाद
बी फेराल एक ऐसी हर्बलओषधि है जो शरीर में सब तरह के प्रोटीन, विटामिन, केल्शियम एवं अनेक आवश्यक खनिज पदार्थो की पूर्ति करता है।
अच्छी फसल के लिए जमीन को खाद देना जरूरी है। उसी प्रकार शरीर को ताकतवर बनाने के लिए हर्बल मेडिसिन के रूप में खाद का सेवन जरूरी है।बी फेराल पूरी तरह हानिरहित ओषधि है। इसके साइड इफ़ेक्ट बिल्कुल भी नहीं है, बल्कि बहुत सारे साइड वेनिफिट/Side Benefit है। यह पूरी तरह निरापद है।

इसे जीवन भर बिना किसी की सलाह के जीवन भर लिया जा सकता है और ताउम्र सेक्स का आनंद लिया जा सकता है।
बी फेराल में शिलाजीत, गुग्गल, सहस्त्रवीर्या, अश्वगंधा, कोंच के बीज, इमली बीज, तालमखाना, महत्वपूर्ण शक्तिदायक ओषधियों को इसलिए मिलाया है, ताकि आपका अंग-अंग क्रियाशील/ऊर्जा-उमंग से भर रहे।
आवला मुरब्बा जिसे सर्वश्रेष्ठ एंटीऑक्सीडेंट कहा गया है। सेव मुरब्बा तथा हरीतकी/हरड़ मुरब्बा पाचनप्रणाली को पूरी तरह ठीक/करेक्ट कर भूख बढ़ाता है और जब भूख खुलकर लगेगी, तो निश्चित खून की वृद्धि होकर रक्त का संचार/ब्लडसर्कुलेशन भी बेहतरीन होगा। इन सब नियमित क्रियायों के कारण शरीर में वीर्य की मात्रा तेजी से बढ़ने लगती है।
◆ वीर्य बहुत गाढ़ा होने लगता है।
◆◆ वीर्य के गाढ़ा होने पर ही शिश्न/लिंग में कड़कपन आता है।
◆◆◆ सेक्सुअल पॉवर बहुत तेजी से बढ़ता है।
◆◆◆◆ पार्टनर को तथा आत्मसंतुष्टि मिलती है।
◆◆◆◆◆ सेक्स की समय सीमा बढ़ जाती है।
◆◆◆◆◆◆ सेक्स की सन्तुष्टि ही खूबसूरती और सुन्दरता बढ़ती है। चेहरा खिला खिला व प्रसन्न रहता है। पारम मानसिक शांति मिलती है।
◆◆◆◆◆◆◆ आपसी प्यार-प्रेम, स्नेह/अपनापन बरसता है।


[] सेक्सुअल पॉवर वृद्धि के लिए यह भी अपनाएं
[] प्यार/अपनापन/सेक्स की बातें/संवाद व सम्मान भी जरूरी है

सेक्स/SEX के प्रति असंतुष्टि की वजह कहीं न कहीं पति-पत्नी के बीच आपसी तालमेल की कमी दिली या मानसिक जुड़ाव का न होना भी है। एक दूसरे का सम्मान न करना भी यौन संतुष्टि मार्ग में बाधक बनता है।
सेक्स का भरपूर आनंद कैसे लिया जावे, इस
बारे में खुल कर बात न करना या असहमत होना भी सेक्स क्रिया को मात्र मशीनी बना देता है। अपने पार्टनर से अपनी इच्छाओं को साझा कर सैक्स लाइफ को सुखमय बनाया जा सकता है, क्योंकि सेक्स न तो कोई काम है और न ही कोई यांत्रिक व्यवस्था, बल्कि यह वैवाहिक जीवन को कायम रखने वाली ऐसी मजबूत नींव है, जो प्लैजर के साथ-साथ एक दूसरे को प्यार करने की भावना से भी भर देती है.

रिसर्च दिखाती है कि नियमित रूप से संभोग करने वाले लोग कम बीमार पड़ते हैं और दफ्तर से कम छुट्टी लेते हैं।
"पेनसिल्वेनिया की विल्क्स यूनिवर्सिटी" में हुए एक शोध में देखा गया कि हफ्ते में एक से दो बार संभोग करने वालों का इम्यून सिस्टम/रोगप्रतिरोधक क्षमता स्ट्रांग रहता है।
बाकियों की तुलना में ज्यादा मजबूत होता है। उनके शरीर में अधिक एंटीबॉडी मौजूद रहते हैं।
क्या है इम्युनिटी सिस्टम-
इम्यूनिटी हमारे शरीर की टॉक्सिन्स से लड़ने की क्षमता होती है। ये टॉक्सिन्स बक्टीरिया, वायरस, फंगस, पैरासाइट या कोई दूसरे नुकसानदायक पदार्थ हो सकते हैं। अगर हमारी इम्यूनिटी मजबूत है तो यह हमे न सिर्फ सर्दी और खांसी से बचाती है बल्कि हेपैटाइटिस, लंग इनफेक्शन, किडनी इनफेक्शन सहित और कई बीमारियों से हमारा बचाव होता है।
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यह शिवलिंग जहां स्थापित हैइस मंदिर का नाम वही बता सकता है जो इस मंदिर में लगातार जाता होगा या उसको इनसे कोई लाभ हुआ होगा...
27/10/2024

यह शिवलिंग जहां स्थापित है
इस मंदिर का नाम वही बता सकता है
जो इस मंदिर में लगातार जाता होगा या उसको इनसे कोई लाभ हुआ होगा
श्री ..................................................................

भारत में सोना कहाँ -कहाँ मिलता है?भारत में सोने का सबसे ज्यादा उपभोग तमिलनाडु के कीलडी गांव में सोना होता रहा है। तमिलना...
27/10/2024

भारत में सोना कहाँ -कहाँ मिलता है?
भारत में सोने का सबसे ज्यादा उपभोग तमिलनाडु के कीलडी गांव में सोना होता रहा है। तमिलनाडु में स्वर्ण पहनने का इतिहास तीन हजार साल पुराना; तब इसे गहना नहीं, इलाज के लिए पहनते थे।
कीलाडी दक्षिण तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में एक छोटा सा गांव है । यह मंदिर शहर मदुरै से लगभग 12 किमी दक्षिण-पूर्व में है और वैगई नदी के किनारे स्थित है।
कर्नाटक में है सोने का भण्डार है

कर्नाटक को 'सोने की भूमि' कहते हैं, क्योंकि यहां देश का सबसे ज्यादा करीब 80% सोना उत्पादित होता है।
देश की सबसे बड़ी हट्टी गोल्ड माइन भी कर्नाटक राज्य में ही हैं। जबकि केरल में देश का सबसे सस्ता सोना मिलता है। यहां 22 कैरेट सोने का भाव 72 हजार रु. प्रति 10 ग्राम है। लेकिन, तमिलनाडु ऐसा राज्य है, जहां सोने का सबसे ज्यादा उपभोग होता है।
तमिलनाडु की महिलाएं सबसे ज्यादा सोना पहनती हैं। शादियों में प्रचलित परंपरा के तहत बच्चों से लेकर बुजुर्ग भी सोना पहनते हैं।
यहां देशभर में सबसे ज्यादा 30% लोग सोने में निवेश करते हैं। यहां स्वर्ण आभूषणों का इतिहास 3 हजार साल से भी पुराना है, लेकिन उस वक्त लोग इसे सौंदर्य या प्रतिष्ठा के रूप में नहीं, बल्कि चिकित्सा के लिए पहनते थे।

जोरास्ट्रियन और ईरानी में क्या अंतर है?ईरानी का अर्थ है "वे सभी जो ईरान के निवासी हैं" उनमे मुस्लिम शिया/सुन्नी, ईसाई, प...
27/10/2024

जोरास्ट्रियन और ईरानी में क्या अंतर है?
ईरानी का अर्थ है "वे सभी जो ईरान के निवासी हैं" उनमे मुस्लिम शिया/सुन्नी, ईसाई, पारसी (जोरास्ट्रियन) इत्यादि सभी लोग आते है।

जोरास्ट्रियन एक धर्मविशेष के लोग हैं, जो अग्नि पूजक हैं। वे ही भारत मे पारसी कहलाते है। वे फ़ारस अर्थात वर्तमान ईरान के मूल निवासी हैं।

पुराने समय मे वही ईरान/फ़ारस का मूल धर्म था। बाद मे वहां इस्लाम आया, व उनके अत्याचारों से त्रस्त हो कर कुछ परिवार देश छोडकर यहां वहां भागे व अधिकांश का जबरन धर्म परिवर्तन कर दिया गया।

कुछ जोरास्ट्रियन परिवार गुजरात मे आ कर बस गए। वही आज पारसी कहलाते हैं।

(अब कुछ ज्ञांन विकिपीडिया से साभार)

पारसी धर्म फारस का राजधर्म हुआ करता था। यह ज़न्द अवेस्ता नाम के धर्मग्रंथ पर आधारित है। इसके संस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र हैं, इसलिये इसे ज़रथुष्ट्री धर्म भी कहते हैं। ऐतिहासिक रूप से पारसी धर्म की शुरुआत 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हुई।

अग्नि को ईश्वरपुत्र समान और अत्यन्त पवित्र माना जाता है। उसी के माध्यम से अहुरा मज़्दा की पूजा होती है। पारसी मंदिरों को आतिश बेहराम कहा जाता है।

उन्होंने हिन्दुस्तान में शरण ली। तबसे आज तक पारसियों ने भारत के उदय में बहुत बड़ा योगदान दिया है। ईरान पारसी देश हुआ करता था परंतु जब वहाँ मुसलमानों को शरण दी तो उन्होने पारसियों को खत्म कर मुसलमान देश बना लिया।

महात्मा जरथुस्ट्र

यह पानी की बोतल, नाइक गुलाब सिंह (वीर चक्र मरणोपरांत, 13 कुमाऊं रेजिमेंट) की है। इसपर पड़े गोलियों के निशान शत्रु की फायर...
27/10/2024

यह पानी की बोतल, नाइक गुलाब सिंह (वीर चक्र मरणोपरांत, 13 कुमाऊं रेजिमेंट) की है। इसपर पड़े गोलियों के निशान शत्रु की फायरिंग का घनत्व बता रहे हैं जो युद्ध की भीषणता को समझाने में पर्याप्त हैं। नवंबर 1962 में लद्दाख में रेज़ांगला की लड़ाई में चीनी मशीन गन की स्थिति पर गुलाब सिंह ने सीधे हमला किया। इस लड़ाई में उस दिन अमर होने वाले 114 भारतीय सैनिकों में से एक नाइक गुलाब सिंह भी थे जो हरियाणा रेवाड़ी के मनेठी गाँव में पैदा हुए थे। इस टुकड़ी के 120 वीरों की वजह से ही आज लद्दाख भारत का हिस्सा बना हुआ है।

मेजर-जनरल इयान कार्डोज़ो अपनी पुस्तक "परम वीर, अवर हीरोज इन बैटल" में लिखते हैं:

जब रेज़ांग ला को बाद में बर्फ हटने के बाद फिर से देखा गया तो खाइयों में मृत जवान पाए गए जिनकी उँगलियाँ अभी भी अपने हथियारों के ट्रिगर पर थी ... इस कंपनी का हर एक आदमी कई गोलियों या छर्रों के घावों के साथ अपनी ट्रेंच में मृत पाया गया। मोर्टार मैन के हाथ में अभी भी बम था। मेडिकल अर्दली के हाथों में एक सिरिंज और पट्टी थी जब चीनी गोली ने उसे मारा ...। सात मोर्टार को छोड़कर सभी को एक्टिव किया जा चुका था और बाकी सभी मोर्टार पिन निकाल दागे जाने के लिए तैयार थे। यह संसार का सबसे भीषण लास्ट स्टैंड वारफेयर था जहाँ 120 वीरों ने वीरता से लड़ते हुए 1300 चीनी सैनिकों को मार डाला था और लद्दाख को चीन द्वारा कब्जाने के मसूबों पर पानी फेर दिया।

स्वतंत्रता की कीमत चुकानी होती है, यह मुफ़्त में नहीं मिलती ...
#जयहिन्द #जयहिंदकीसेना
https://amrutam.co.in/products/nari-sondarya-malt?variant=44559885828349

Nostradamus: नास्त्रेदमस से जानें क्या है हिंदू धर्म का भविष्य, अब भारत में आगे क्या होने वाला है lNostradamus: नास्त्रे...
26/10/2024

Nostradamus: नास्त्रेदमस से जानें क्या है हिंदू धर्म का भविष्य, अब भारत में आगे क्या होने वाला है l

Nostradamus: नास्त्रेदमस (1503-1566) एक फ्रांसीसी भविष्यवक्ता, चिकित्सक ज्योतिषी थे. वे अपनी भविष्यवाणियों की पुस्तक Les Propheties के लिए प्रसिद्ध हैं, जो 1555 में प्रकाशित हुई थीये पुस्तक Les Prophéties (1555) में क्वाट्रेन (चार-पंक्ति वाले छंद) का एक संग्रह है, जिनमें भविष्य की घटनाओं की भविष्यवाणी करने का दावा किया गया है. क्वाट्रेन 10:72 में "Indus" शब्द का उल्लेख है, जिसे कुछ लोग भारत का संदर्भ मानते हैं. क्वाट्रेन 1:97 में "गंगा" नदी का भी उल्लेख है. क्वाट्रेन 11:24 में "बुद्ध" का उल्लेख है, जो बौद्ध धर्म के संस्थापक हैं. हिंदू धर्म के बारे में नास्त्रेदमस ने क्या कहा, यह विवादास्पद विषय है. नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां अत्यंत अस्पष्ट व्याख्या के लिए खुली हैं.

हिंदू इस्लाम धर्म का क्या होगा ?

नास्त्रेदमस ने कहा था कि सागरों के नाम वाला धर्म चांद पर निर्भर रहने वालों की तुलना में तेजी से बढ़ेगा, अगर इसके बारे में विस्तार से बताया जाए तो हमें पता चलता है की सागरों के नाम पर आधारित एक ही धर्म है वो है हिंद महासागर यानी हिंदू धर्म, वही चांद पर आधारित धर्म की बात की जाए तो वह भी हमें एक ही धर्म देखने को मिलता है जो कि इस्लाम है. तो इन बातों के जरिए से नास्त्रेदमस हमें ये बताना चाह रहे हैं कि भविष्य में इस्लाम की तुलना हिंदू धर्म बड़ी ही तेजी से बढ़ेगा. लोग हिंदू धर्म की तरफ ज्यादा से ज्यादा आकर्षित होंगे वह सब सनातन संस्कृति को आत्मसात तथा उसके हिसाब से ही अपना विचार अपनाएंगे.

पुस्तकालयों को जलाया जाएगा

उन्होंने कहा था कि तबाह कर देंगे पुस्तकालयों को बर्बर लोग भविष्य में, एक ऐसा वक्त आएगा कि बिना पढ़े लिखे बर्बर लोग पढ़े लिखे लोगों के द्वारा लिखी गई सारी किताबों को जला देंगे. वह उनके द्वारा बनाए गए पुस्तकालय को पूरी तरह से आग लगा डालेंगे. अधिक मेहनत मशक्कत से पाया गया यह ज्ञान पूरी तरह बर्बाद व नष्ट कर दिया जाएगा. बर्बर लोग इसके आन को इतनी बुरी तरह खत्म कर देंगे ताकि इसे दोबारा कभी भी हासिल नहीं किया जा सकेगा. चौंकाने वाली बात ये है कि जब हम भारतीय इतिहास के पन्नों को पलटते हैं तो हम यह पाते हैं कि वर्षों की मेहनत विकास के बाद हमने जो ज्ञान पाया था उसे नालंदा तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय के पुस्तकालयों में सहेज कर रखा था. यह सब मध्यकाल में बर्बर मुस्लिम आक्रांताओं ने चलाकर राख कर दिया. उन्होंने भारतीय संस्कृति की धरोहर कई मंदिरों तथा महलों को तहस नहस कर दिया. उन्होंने हिंदू बौद्ध धर्म से संबंधित लगभग सभी धरोहरें को नष्ट कर दिया. वर्तमान समय में भी हम इन बर्बर आक्रांताओं के द्वारा किए गए विध्वंस को देख सकते हैं.

बृहस्पतिवार के दिन महान नेता का जन्म होगा

नास्त्रेदमस ने आगे भविष्यवाणी में बताया था कि लाल के खिलाफ़ लाल एकजुट होंगे लेकिन राजनीति धोखे को नाकाम कर दिया जाएगा. पूरब का एक नेता अपने देश को छोड़कर आएगा. इटली के पहाड़ों को पार करता हुआ फ्रांस को देखेगा. वह हवा, पानी बर्फ़ से ऊपर जाकर पर अपने दंड का प्रहार करेगा. उन्होंने अपनी अगली भविष्यवाणी में यह भी बताया कि तीन तरफ से घरे समुद्र क्षेत्र में वह जन्म लेगा जो बृहस्पतिवार को अपना अवकाश दिवस का ऐलान करेगा. उसकी प्रशंसा, प्रसिद्धि तथा सत्ता शक्ति बढ़ती जाएगी भूमि व समुद्र में उस जैसा बलशाली कोई नहीं होगा. इसके जरिए से वह हमें बता रहे हैं कि तीन तरफ से घिरा हुआ एक ही देश है वह है भारत भारत में बृहस्पतिवार ही एक ऐसा अद्भुत वार है जिसे सभी धर्मों के लोग एक तरह से पवित्र मानते हैं तथा उस दिन की पूजा करते हैं. हालांकि भारत में वैसे तो बहुत से अवतार हुए हैं, लेकिन ऐसा अवतार होना भी बाकी है जिसका दिन बृहस्पतिवार होगा.

मंदिर पर बलपूर्वक कब्जे होंगे

नासेदमस की भविष्यवाणी में ये भी लिखा है की बंद आंखे एक पुरातत्विक उन्मात को देखेंगे, ईश्वरीय एकांत के वस्त्र उतारने की चेष्टा का एक शासक कठोरता के साथ दमन करेगा लोगों की भीड़ के चुनून द्वारा मंदिर पर बलपूर्वक कब्जे की सजा देगी. इसकी व्याख्या करने वाले बताते है की ये भविष्यवाणी 1990 में बाबरी मस्जिद वाले मु्द्दे में हमें सच होती हुई दिखाई देती है. इस मु्द्दे में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह द्वारा किए गए कार सेवकों के दमन को इस भविष्यवाणी से जोड़कर देखा जाता है. आधिकारिक आंकड़ों की माने तो इस घटना में 15 लोगों की मौत हुई. लेकिन विश्व हिंदू परिषद इन आंकड़ों को झूठा बताती है मारे जाने वालों की संख्या 50 है.

अधिकांश राष्ट्रों में नरसंहार होगा

एक भविष्यवाणी में उन्होने ये भी कहा कि आगे चलकर एक ऐसा समय आएगा कि विश्व व्यापी से अधिकांश राष्ट्रों में नरसंहार होगा. पांच नदियों के सुप्रसिद्ध द्वीप राष्ट्र में एक महान राजनेता का उदय होगा. इस राजनेता का नाम वरण या शरण होगा. वह एक शत्रु के गलत व्यवहार को हवा के जरिए खत्म करेगा इस कार्रवाई में छह लोग मारे जाएंगे. भौगोलिक आधार पर यदि भारत को देखा जाए तो यहाँ कई राज्य हैं उनमें बहने वाली कई सारी नदियां हैं. लेकिन इन राज्यों में पंजाब ही एकमात्र ऐसा राज्य है जिसमें पांच नदियां है पांच नदियां झेलम चुनाव, रावी, सतलच व्यास का संगम होने के चलते इस क्षेत्र का नाम पंजाब पड़ा. आपको बता दें कि पंजाब शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है. पहला शब्द है पंच जिसका अर्थ होता है पांच दूसरा शब्द है आप जिसका अर्थ होता है नदी इसलिए पंच आपको मिलाकर इस जगह को पंजाब के नाम से जाना जाने लगा. नास्त्रेदमस अपनी भविष्यवाणी में इसी पंजाब प्रांत से एक महान राजनेता के उदय होने की बात कहते हैं, जिसका नाम शरण या वरण होगा. अपनी एक अन्य भविष्यवाणी में वह यह भी कह रहे थे कि एशिया में वह होगा जो यूरोप में नहीं हो सकता. एक विद्वान शांति दूत सभी देशों पर हावी होगा.

रूस हिंदू राष्ट्र बनेगा

इस भविष्यवाणी में नास्त्रेदमस कहते हैं कि दक्षिण भारत से एक नेता उभर कर आएगा जो पूरी दुनिया को एक करके रख देगा. उस नेता के आने के बाद रूस साम्यवाद छोड़कर हिन्दू धर्म का दामन थामेगा इतना ही नहीं वह इसका प्रचार व बखान दूसरे देशों में भी करेगा. वैसे इस भविष्यवाणी की पुष्टि करना मुश्किल है, लेकिन वर्तमान समय में केवल रूस ही नहीं बल्कि यूरोप के कई देशों से विदेशी भारत भ्रमण के लिए बड़ी संख्या में आ रहे हैं यहां आकर वह हिंदू धर्म की महानता से प्रभावित होकर उससे संबंधित आचरण एवं कर्मकांडों को अपना रहे हैं. इतना ही नहीं बहुत से रूसी या विदेशी तो खुद को हिंदू भी कहते दिखाई देते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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