जय श्री कृष्ण Jai sri krishna

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ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ॥ प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः ॥
भावार्थ-हे वासुदेव नंदन परमात्मा स्वरूप श्री कृष्ण आपको प्रणाम है। उन गोविन्द को पुनः प्रणाम वह हमारे कष्टों को हरे

प्रभु श्याम की कृपा से ही भवसागर पार होना है

21/12/2024

एक दिन भगवान श्रीराम अपने भक्तों के प्रेम और भक्ति की गहराई जानने का विचार कर रहे थे। उन्होंने माता सीता से कहा, "हन.....

21/12/2024

एक छोटे से गाँव में रामलाल नाम का एक लालची सेठ रहता था। वह बहुत अमीर था, लेकिन उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी लालच। वह हमेश....

21/12/2024

प्राचीन काल में एक विद्वान संत, अपने शिष्य के साथ एक घने जंगल के पास बसे गांव में पहुंचे। गांव के लोग बहुत परेशानी म.....

21/12/2024
21/12/2024

प्राचीन समय में एक राजा था। उस राजा की एक बड़ी ही विचित्र आदत थी। जब भी नगर में कोई साधु या सन्यासी आता, वह उसे अपने म.....

21/12/2024

प्राचीन समय में एक राजा था। उस राजा की एक बड़ी ही विचित्र आदत थी। जब भी नगर में कोई साधु या सन्यासी आता, वह उसे अपने म.....

21/12/2024

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21/12/2024

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21/12/2024
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पुजारी और राजा की रोचक कहानीबहुत समय पहले की बात है, एक राज्य में एक धर्मपरायण राजा रहता था। उसने भगवान कृष्ण के लिए एक ...
19/12/2024

पुजारी और राजा की रोचक कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक राज्य में एक धर्मपरायण राजा रहता था। उसने भगवान कृष्ण के लिए एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर इतना सुंदर था कि दूर-दूर से लोग इसे देखने आते थे। राजा ने इस मंदिर में भगवान की पूजा-अर्चना के लिए एक विद्वान पुजारी को नियुक्त किया। पुजारी ईमानदार और भक्ति में लीन रहने वाला व्यक्ति था।

राजा का एक नियम था कि वह रोज सुबह अपने बागीचे से ताजे फूलों की माला बनवाकर मंदिर भेजता था। पुजारी उस माला को भगवान कृष्ण को अर्पित करता था। यह परंपरा वर्षों तक चली। इस दौरान राजा बूढ़ा हो गया, लेकिन उसका नियम और भगवान के प्रति भक्ति वैसी ही बनी रही।

पुजारी का संदेह

एक दिन पुजारी ने सोचा, "यह माला भगवान को चढ़ाई तो जाती है, परंतु क्या भगवान सचमुच इसे स्वीकार करते हैं?" उसके मन में संदेह उत्पन्न हुआ। उसने सोचा, "क्या मेरी पूजा भगवान तक पहुँचती भी है?"

इस बात को सिद्ध करने के लिए पुजारी ने एक योजना बनाई। अगले दिन, उसने माला चढ़ाने से पहले ध्यान से देखा। जब उसने माला भगवान के चरणों में रखी, तो उसने महसूस किया कि माला वहीं की वहीं पड़ी रही। उसके मन में यह धारणा और गहरी हो गई कि भगवान शायद इस पूजा को स्वीकार नहीं करते।

राजा की भक्ति

पुजारी ने राजा को यह बात बताई। राजा ने मुस्कुराते हुए कहा, "पुजारी जी, भगवान की लीलाएं अनंत हैं। हमारी भक्ति में कभी संदेह नहीं होना चाहिए। आप कल से और भी श्रद्धा के साथ पूजा करें।"

राजा की बातों से पुजारी को थोड़ा संतोष हुआ। अगले दिन, उसने पूरी भक्ति के साथ माला भगवान को चढ़ाई। अचानक, उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे भगवान कृष्ण की मूर्ति मुस्कुरा रही हो। उसी क्षण, माला भगवान के चरणों से गायब हो गई। पुजारी यह देखकर हैरान रह गया और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे।

भगवान का संदेश

उसी रात पुजारी को सपना आया। भगवान कृष्ण ने स्वप्न में कहा, "तुम्हारे मन का संदेह तुम्हारी भक्ति को कमजोर कर रहा था। याद रखो, मैं हर भक्त की सच्ची श्रद्धा को स्वीकार करता हूं। राजा की भक्ति और तुम्हारा कार्य दोनों ही मेरे लिए अनमोल हैं।"

कहानी का संदेश

इस घटना के बाद पुजारी का संदेह हमेशा के लिए समाप्त हो गया। उसने और राजा ने मिलकर भगवान की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति और श्रद्धा में किसी प्रकार का संदेह नहीं होना चाहिए। भगवान हर सच्चे भक्त की भावना को स्वीकार करते हैं, चाहे वह छोटी हो या बड़ी।

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बहुत समय पहले की बात है, जब पृथ्वी पर धर्म और सत्य की जगह अधर्म और अत्याचार का बोलबाला हो गया था। राक्षसों और दुष्ट लोगो...
18/12/2024

बहुत समय पहले की बात है, जब पृथ्वी पर धर्म और सत्य की जगह अधर्म और अत्याचार का बोलबाला हो गया था। राक्षसों और दुष्ट लोगों ने पृथ्वी पर इतना अत्याचार किया कि वह सहन नहीं कर पाई। हर तरफ हिंसा, अन्याय और पाप का राज था। निर्दोष लोग पीड़ित हो रहे थे, और पृथ्वी का संतुलन बिगड़ता जा रहा था।

पृथ्वी माता बहुत दुखी थीं। अपने दुःख और व्यथा को लेकर वे भगवान विष्णु के पास गईं। उन्होंने भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हुए कहा, "हे भगवान! आपने मुझे जीवों का पालन-पोषण करने के लिए बनाया था, परंतु अब स्थिति ऐसी हो गई है कि मैं स्वयं पीड़ा में हूं। राक्षस और दुष्ट लोग मेरे संसाधनों का दुरुपयोग कर रहे हैं और मेरे बच्चों (जीव-जंतुओं) को कष्ट दे रहे हैं। कृपया इस स्थिति का समाधान करें।"

भगवान विष्णु ने पृथ्वी माता की व्यथा सुनी और उन्हें धीरज बंधाया। उन्होंने कहा, "धैर्य रखो, हे पृथ्वी। मैं स्वयं इस अधर्म और अत्याचार को समाप्त करने के लिए अवतार लूंगा। जब-जब धरती पर पाप बढ़ता है, तब-तब मैं न्याय और धर्म की स्थापना के लिए प्रकट होता हूं।"

इसके बाद भगवान विष्णु ने धरती पर एक अवतार लिया। उन्होंने उन सभी राक्षसों और दुष्ट लोगों का संहार किया, जो पृथ्वी पर अत्याचार कर रहे थे। उन्होंने धर्म की स्थापना की और पृथ्वी को उसकी पुरानी शांति और सुंदरता लौटाई।

पृथ्वी माता ने भगवान विष्णु का धन्यवाद किया और आशीर्वाद दिया कि वे सदा धर्म और न्याय की रक्षा करते रहें। इस प्रकार, भगवान विष्णु के अवतार ने पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करके सभी जीवों को सुख और शांति का संदेश दिया।

यह कथा हमें सिखाती है कि जब भी अन्याय और अधर्म बढ़ता है, तब भगवान किसी न किसी रूप में प्रकट होकर धर्म और सत्य की रक्षा करते हैं।

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17/12/2024
भगवान गणेश को हिंदू धर्म में सफलता, बुद्धि और शुभता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। उनकी आराधना से जीवन के सभी कष्ट औ...
17/12/2024

भगवान गणेश को हिंदू धर्म में सफलता, बुद्धि और शुभता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। उनकी आराधना से जीवन के सभी कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं। गणेश जी का नाम लेने से कार्य सिद्ध होते हैं और नई शुरुआत में उनका आशीर्वाद शुभ माना जाता है।

भगवान गणेश के कुछ विशेष पहलू:

1. गणेश जी की सवारी: उनकी सवारी मूषक (चूहा) है, जो छोटे से बड़े कार्यों को हल करने की प्रतीक है।

2. मोदक का प्रेम: गणेश जी को मोदक अति प्रिय है। यह मिठास और आनंद का प्रतीक है।

3. त्रिशूल और अंकुश: उनकी हथेलियों में रखे शस्त्र समस्याओं का सामना करने की शक्ति दर्शाते हैं।

शुभ मंत्र:
"ॐ गं गणपतये नमः"
इस मंत्र का जाप करने से मन को शांति और ऊर्जा मिलती है।

भगवान गणेश की कृपा से आपका जीवन सुख, समृद्धि और शांति से भरा रहे।

गणपति बप्पा मोरया!

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ॐ श्री हनुमते नमः ॐ श्री हनुमते नमःॐ श्री हनुमते नमः ॐ श्री हनुमते नमःॐ श्री हनुमते नमः ॐ श्री हनुमते नमःॐ श्री हनुमते न...
17/12/2024

ॐ श्री हनुमते नमः ॐ श्री हनुमते नमः
ॐ श्री हनुमते नमः ॐ श्री हनुमते नमःॐ श्री हनुमते नमः ॐ श्री हनुमते नमःॐ श्री हनुमते नमः ॐ श्री हनुमते नमःॐ श्री हनुमते नमः ॐ श्री हनुमते नमः 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्रीphoto
17/12/2024

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री
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Guwahati
781315

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