Respects The Girls

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get respect@...............(jha nariyo ki pooja hoti h.

Vha devta nivas
karte h.)..............
This is for all women's.....HEDS OFF U ALL........

19/07/2024

सभी लड़के एक जैसे नहीं होते

अपनी ही बेटी को मैने लड़के को चुंबन करते देख लिया था, एक तरफ मन में गुस्सा था l, दूसरी तरफ मन में ग्लानि की ये क्या देख ...
04/07/2024

अपनी ही बेटी को मैने लड़के को चुंबन करते देख लिया था, एक तरफ मन में गुस्सा था l, दूसरी तरफ मन में ग्लानि की ये क्या देख लिया

मेरी बेटी पढ़ने में काफी होनहार थी, हमेशा क्लास में अव्वल आती थी
अच्छे नंबर आने के कारण उसने बोला पापा मुझे दिल्ली जाकर पढ़ाई करनी है

बेटी की बात पर भरोसा कर के मैने उसे दिल्ली पढ़ने के इजाजत देदी, लेकिन उसकी मां अभी भी कहती हम छोटे शहर से हैं पता नहीं हमारी बच्ची वहां जायेगी तो रह पाएगी नहीं
उसपर मैं उसे बोलता, जबतक जाएगी नहीं तो कैसे पता चलेगा

जब दिल्ली गई कॉलेज में दाखिला हुआ तो उसे कॉलेज की तरफ से हॉस्टल नहीं मिला, और वह एक प्राइवेट हॉस्टल में रहने लगी

उसने बताया कि वहां पढ़ाई का माहौल नहीं बन पा रहा है

तब मैने और पत्नी ने निर्णय लिया कि थोड़ा हाथ दबा कर चलेंगे बेटी को एक अपना कमरा दिला देते हैं

जैसे तैसे कर के मैने एक फ्लैट दिलाया, धीरे धीरे उसमें सभी चीजें जैसे गद्दे पंखे कूलर आदि लगवाए गर्मी पड़ने पर fridge लिया tv लिया, study table लिया

लगभग 6 महीने बाद मैं उससे मिलने उसके फ्लैट पर गया मुझे पता था कि उसकी दोस्ती लडको से भी है और लड़कियों सभी

पर मुझे अपनी बच्ची पर भरोसा था, अकसर उसके दोस्त उसके साथ पढ़ने आते थे, क्यों की वो काफी होनहार थी

लेकिन एक दिन उसका दोस्त आता है और वो कमरे में पढ़ने जाती है मैं किसी काम से नीचे गया था
ऊपर हाल ने गया और मुझे लगा दोनों पढ़ रहे हैं एक गर्म काफी पिला देता हूं

और ये पूछने के लिए जैसे ही मैं कमरे ने घुसा देख दोनो एक दूसरे को गले लगाकर किस कर रहे थे

मुझे देखती ही वो लड़के को दूर कर दी
और लड़का घबरा कर खड़ा हो गया,

मैं आत्मग्लानि में चूर था ये सोचकर कि ये मैने क्या देख लिया
मैने सिर नीचे क्या और सॉरी बोलते हुए बाहर आया
मेरे अंदर गुस्सा भी था और आत्म ग्लानि भी

समझ नहीं आया था जवान होती लड़की के निजीपल को इस तरह देखना सही था नहीं

और मन में गुस्सा भी था कि जिस बेटी पर आंख बंद कर के भरोसा किया वो ऐसे कर रही ही
हालाकि उसकी अपनी जिंदगी भी है इस लिए मुझे गुस्से से ज्यादा ग्लानि हो रही थी

तभी गुस्से में लाल मेरी बेटी आती है, और बोलती है पापा ये क्या तरीका है, ?

मैं हैरान था, और बोला तरीका?

उसने कहा हां तरीका, किसी के कमरे में आने से पहले knok कर के आना चाहिए ये बेसिक बात है

मैने बोला हां आना तो चाहिए बेटा लेकिन मुझे ध्यान नहीं था, क्यों की हमने कभी अपने घर में ऐसा किया नहीं

उसने तुरंत बोला पापा आपने अपने घर में नहीं किया पर ये मेरा घर है मेरा स्पेस है, आखिर मेरी भी कोई प्राइवेसी है या नहीं

मैने बोला हां बेटा गलती हो गई आगे से ध्यान ध्यान रखूंगा

और इसके बाद वो अपने कमरे में वापस चली गई उसका दोस्त अपने घर चला गया

और मैं सोफा पर बैठा था

तभी मेरी नजर पंखे पर गई दीवारों पर गई, घर में रखे fridge पर गई, कंप्यूटर पर गई, गई चूल्हे पर गई

और मैने सोचा मैने और पत्नी ने अपना पेट काट कर बेटी को दूसरी गृहस्ती बसाई
देखा जाए तो एक एक समान मेरा है घर का किराया मै दे रहा हूं, फिर मेरी बेटी ये कैसे कह सकती है ये उसका घर है

खैर उसकी बात ने मुझे हिला के रख दिया और मैने अपना समान बांध और जाने लगा,

उसने समान देखा और बोल पापा कहा जा रहे हैं

मैने बोला अपने स्पेस में जा रहा हूं, जहां मुझे कहीं आने जाने के लिए knock नहीं करना पड़ता

वो समझ गई थी कि मुझे उसकी बात बुरी लगी

और मैं वापस आगया,

समय के साथ बच्चे बड़े होते हैं उन्हें उनका स्पेस देना चाहिए,
लेकिन वहीं बच्चे ये कैसे भूल सकते हैं कि हम मां बाप अपना पेट काटकर उन्हें सब कुछ देते हैं, और बदले में उसने सिर्फ थोड़ा सा समय और इज्जत चाहते हैं

मेरे संस्कारों में कोई कमी नहीं थी, फिर ऐसा क्यों

इसका जवाब मिला मुझे आजकल हमारे संस्कार पर सोशल संस्कार भारी पड़ रहे हैं, जैसे मोबाइल।में आने वाली रील जिसमें हर वीडियो में सिर्फ स्वार्थ के बारे में बताया जाता है l
हर वेबसेरेज जिसमें बच्चे मां बाप से दूर रहे तो ज्यादा खुश रहेंगे

ये हैं दूसरे संस्कार जो हमारे संस्कार पर भारी पड़ रहे हैं

 #विवाह  #रिश्तेलालची लड़के वाले नहीं, बल्कि लड़की वाले होते है | बड़ा घर, नौकरी, जमीन जायदाद, इकलौता हो, सास-ससुर न हो, रा...
26/04/2024

#विवाह #रिश्ते
लालची लड़के वाले नहीं, बल्कि लड़की वाले होते है | बड़ा घर, नौकरी, जमीन जायदाद, इकलौता हो, सास-ससुर न हो, राजकुमार हो, आदि-आदि, पहली सोच यही से लड़की के परिवार से उतपन्न होती है | यह एक ऐसा सामाजिक सच है, जिसमे अपने समाज की सारी सच्चाई छिपी है !|

रिश्ते तो पहले होते थे,
अब रिश्ते नही सौदे होते हैं,
बस यहीं से सब कुछ गड़बड़ हो रहा है,
किसी भी माँ-बाप मे अब इतनी हिम्मत शेष नही रही, कि बच्चों का रिश्ता अपनी मर्जी से तय कर सकें ...!

पहले खानदान देखते थे,
सामाजिक पकड़ और सँस्कार देखते थे, और अब ...,

मन की नही तन की सुन्दरता चाहिए,
सरकारी नौकरी, दौलत, कार, बँगला, साइकिल, या स्कूटर वाला राजकुमार अब किसी को नही चाहिये, सब की पसंद कार वाला ही है, भले ही इनकी संख्या 10% ही हो ...!

लड़के वालो को लड़की बड़े घर की चाहिए,
ताकि भरपूर दहेज मिल सके,
और लड़की वालोँ को पैसे वाला लड़का,
ताकि बेटी को काम करना न पड़े,
नौकर चाकर हो,
और परिवार भी छोटा ही हो ताकि काम न करना पड़े और इस छोटे के चक्कर मे परिवार कुछ ज्यादा ही छोटा हो गया है |

पहले रिश्ता जोड़ते समय लड़की वाले कहते थे कि मेरी बेटी घर के सारे काम जानती है और अब शान से कहते हैं हमने बेटी से कभी घर का काम नही कराया है | यह कहने में लोग शान समझते हैं, इन्हें रिश्ता नही बेहतर की तलाश है | रिश्तों का बाजार सजा है गाङियों की तरह, शायद और कोई नयी गाड़ी लांच हो जाये |
इसी चक्कर मे उम्र बढ रही है, अंत मे सौ कोड़े और सौ प्याज खाने जैसा है |
अजीब सा तमाशा हो रहा है
अच्छे की तलाश मे सब अधेड़ हो रहे हैं ...!

अब इनको कौन समझाये कि एक उम्र मे जो चेहरे मे चमक होती है, वो अधेड़ होने पर कायम नही रहती, भले ही लाख रंगरोगन करवा लो, ब्युटिपार्लर मे जाकर ...!

एक चीज और संक्रमण की तरह फैल रही है, नौकरी वाले लङके को नौकरी वाली ही लङकी चाहिये, अब जब वो खुद ही कमायेगी तो क्यों आपके या आपके माँ बाप की इज्जत करेगी ...?

खाना होटल से मँगाओ या खुद बनाओ,
बस यही सब कारण है आजकल अधिकाँश तनाव के, एक दूसरे पर अधिकार तो बिल्कुल ही नही रहा,
उपर से सहनशीलता भी बिल्कुल नहीं,
इसका अंत होता हैं आत्महत्या और तलाक,
घर परिवार झुकने से चलता है,
अकड़ने से नहीं ...!

जीवन मे जीने के लिये दो रोटी और छोटे से घर की जरूरत है, बस और सबसे जरुरी जरूरत है आपसी तालमेल और प्रेम प्यार की,
लेकिन आजकल बड़ा घर व बड़ी गाड़ी ही चाहिए चाहे मालकिन की जगह दासी बनकर ही रहे |

आजकल हर घरों मे सारी सुविधाएं मौजूद हैं, कपङा धोने के लिए वाशिँग मशीन, मसाला पीसने के लिये मिक्सी, पानी भरने के लिए मोटर, मनोरंजन के लिये टीवी, बात करने मोबाइल, फिर भी असँतुष्ट ...,

पहले ये सब कोई सुविधा नहीं थी,
मनोरंजन का साधन केवल परिवार और घर का काम था, इसलिए फालतू की बातें दिमाग मे नहीं आती थी,
न तलाक न फाँसी,
आजकल दिन मे तीन बार आधा आधा घँटे मोबाइल मे बात करके, घँटो सीरियल देखकर, ब्युटिपार्लर मे समय बिताकर समय व्यतीत किया जाता हैं ...!

जब ये जुमला सुनते हैं कि घर के काम से फुर्सत नही मिलती, तो हंसी आ जाती है, बहनो के लिये केवल इतना ही कहूँगा, की पहली बार ससुराल हो या कालेज लगभग बराबर होता है, थोङी बहुत अगर रैगिँग भी होती है तो सहन कर लो, कालेज मे आज जूनियर हो तो कल सीनियर बनोगे, ससुराल मे आज बहू हो तो कल सास बनोगे ...!

समय से शादी करो,
स्वभाव मे सहनशीलता लाओ,
परिवार में सभी छोटे-बड़ो का सम्मान करो, ब्याज सहित वापिस मिलेगा,
जीवन मे उतार चढाव आता है,
सोचो, समझो फिर फैसला लो,
बड़ों से बराबर राय लो,
उनके ऊपर और ऊपर वाले पर विश्वास रखो,

और हाँ,
इस पर अवश्य विचार करियेगा हम कहाँ से कहाँ आ गये ...?

"यह कहानी सभी पुरुष महिलाओं पर लागू नही होती, कुछ पुरुष तो कुछ महिलाएं इस तरह से मर्यादाएं नष्ट कर रही है | बाकी देश की समस्त महिलाएं एवं पुरुष सभी वंदनीय है |"

पुरुष शराब क्यों पीता है आइये जानते हैं..... सुबह-सुबह नहा धोकर काम पर जाने के लिए तैयार होते हुए लाड़ी से कहा जल्दी लंच ...
24/04/2024

पुरुष शराब क्यों पीता है आइये जानते हैं.....

सुबह-सुबह नहा धोकर काम पर जाने के लिए तैयार होते हुए लाड़ी से कहा जल्दी लंच पैक कर दो ऑफिस के लिए देर हो रही है...

तभी बेटे ने कहा पापा मुझे कल फीस जमा
करनी है...
ठीक है बेटा शाम को आकर देता हूँ...

बेटी ने कहा पापा स्कूल में फैंसी ड्रेस कंपीटिशन है, मुझे 'परी' की ड्रेस चाहिए...
ओके बेबी, शाम को लेता आऊंगा...

पिता जी बोले, बेटा मेरे चश्मे का काँच टूट गया है, इसे लगवा देना और तेरी माँ की आँखों के ऑपरेशन की तारीख मिल गई है,अस्पताल में भर्ती कराना है...
जी पिता जी मैं शाम को ऑफिस से एडवांस
ले लूँगा...

जाते जाते लाड़ी ने कहा घर का राशन खत्म होने वाला है, किराने वाले को यह लिस्ट देते जाना और शामको लेते आना...
अच्छा जी अब मैं चलता हूँ, यह कह वो घर से
चल दिया।
रास्ते में स्कूटर पंचर हो गया और ऑफिस पहुचने में
देर हो गई...

ऑफिस पहुचने पर बाॅस ने घड़ी की ओर
देखा, और कहा आइए सर...
वो समझ गया देरी की वजह से बाॅस नाराज
हैं,
खैर सोचा आज जल्दी जल्दी काम निपटा लेता हूँ, ताकि बाॅस खुश हो जाये क्योंकि शाम एडवांस भी लेना है...

काम को जल्द निपटाने के चक्कर में एक गलती हो गई, बाॅस खुश होने की जगह और नाराज हो गए, एडवांस मांगने की हिम्मत ही नहीं हुई।

खैर दिन बीता छुट्टी हुई,
अब घर पर क्या कहूंगा, यह सोचकर परेशान हो गया।
तभी साथी कर्मचारी ने कहा, क्या बात है यार बहुत परेशान दिख रहे हो?
उसने सारी व्यथा अपने दोस्त को बताई और कहा यार दिल करता है, रेल कि पटरी पर लेट जाऊं...

दोस्त ने कहा चल परेशान ना हो , मेरे साथ चल, दोनों ने साथ पी और अपने अपने घरों की ओर चल दिए. ...
घर पहुंच कर उसने कहा कि एडवांस नहीं
मिल पाया।

फिर घर में कुछ ये हुआ........
बेटा माँ से: मम्मी पापा ने शराब पी , पर मुझे
फीस नहीं दी...
बेटी: मेरी ड्रेस नहीं लाये और शराब पी ली...
पिता: चश्मा लाने के लिए पैसे नहीं थे और शराब के लिए थे...
माँ: भूल गया है तू, अपना पेट काट काट कर पाला था तूझे, शराब के लिए पैसे है, माँ के लिए नहीं?
और अंत में पत्नी ने कहा, अब राशन की जगह हमे भी शराब ही पिला दो...

कुछ जानने योग्य तथ्य...

पिता का चश्मा 500 रुपए
माँ का ऑपरेशन 3000 रुपए
बेटे की फीस 700 रुपए
बेटी की ड्रेस 1200 रुपए
घर का राशन 5000 रुपए
शराब जो कि दोस्त ने पिलाई 300 रूपये....
क्या इन 300 रूपयों से घर की जरूरतें पूरी
हो जाती ???

एक मर्द अपने परिवार के लिए हर संभव प्रयास करता है, उसे प्यार और सम्मान दे, उसकी मजबूरियों को समझने की कोशिश
करें और उसे शराब पीने दें।
तो फिर सब मिलकर प्रेम से बोलो cheeeers.......

सुनों लड़की...लगाऊंगा मैं चुनट प्रेम की,तुम्हारे प्रीत के परिधानों में...                           🧡🤎
06/01/2024

सुनों लड़की...

लगाऊंगा मैं चुनट प्रेम की,
तुम्हारे प्रीत के परिधानों में...

🧡🤎

30/12/2023
27/12/2023

अब बेटियों के पैदा होने पर तो नही,
मगर बेटियों को गलत घर मिलने पर दुःखी होते है लोग।

इस दुनिया में जन्म लेने के लिए हम 9 महीने माँ के पेट में इंतजार सकते हैं।स्कूल में जाने के लिए हम 3-4 साल इंतजार सकते है...
14/12/2023

इस दुनिया में जन्म लेने के लिए हम 9 महीने माँ के पेट में इंतजार सकते हैं।

स्कूल में जाने के लिए हम 3-4 साल इंतजार सकते हैं।

वोट डालने के लिए व किसी भी साधन को चलाने का लाइसेंस लेने के लिए हम 18 साल इंतजार सकते हैं।

नौकरी के लिए 22-23 साल इंतजार कर सकते हैं।

शादी के लिए 25-30 का इंतजार कर सकते हैं।

बहुत बार हम ऐसे ही किसी काम के लिए बहुत इंतजार कर सकते हैं।

लेकिन

ओवरटेक करने के लिए हम 30 सेकंड का भी इंतजार नहीं कर सकते।

इस जल्दी में कोई दुर्घटना हो जाए तो हम उस दुर्घटना से निपटने के लिए कई घंटे, कई दिन, कई महीने या कई साल हास्पिटल में इंतजार कर सकते हैं।

इस जल्दबाजी के कुछ सेकंड क्या भयंकर परिणाम ला सकते हैं ?

इस तेजी से चलने वाले कभी परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों के इस नुकसान पर विचार करें ? क्या आपने कभी ऐसा नहीं किया है ?

जरा सोचिये !

तो अपने साधन को सही गति से, सही लेन में चलायें और अपनी मंजिल पर सुरक्षित पहुंचे।
आपका मासूम परिवार आपका इंतजार कर रहा है।

12/11/2023

कीमे तो फर्क होंदा ऐ होगा संस्कारा का

कोए रील बणाण खातर कपड़े तार दे स और कोए प्रोफाइल में आपणा मुंह तक ना दिखादी ♥️🙏

जो घर में नहीं पढ़ता... वो बड़े शहर जाकर भी नहीं पढ़ेगा... इसीलिये पहले अपने घर में बैठकर 8-10 घंटे पढाई करने की आदत डाल...
15/10/2023

जो घर में नहीं पढ़ता... वो बड़े शहर जाकर भी नहीं पढ़ेगा... इसीलिये पहले अपने घर में बैठकर 8-10 घंटे पढाई करने की आदत डालिये और फिर बड़े शहर जाने का सपना देखिये जाइये...
घर में बैठकर पढ़ने का पैसा नहीं लगता... शहर में बैठकर पढ़ने का 15-20 हजार रुपये देना पड़ता है, किराए के रूप में....

Girls don't choose handsome man, choose a man that makes you feel important and enough :)😊🤝
07/09/2023

Girls don't choose handsome man, choose a man that makes you feel important and enough :)😊🤝

  एक लड़की हैनाम है रितु वर्मा..!!पंजाब के संगरूर जिले मेंएक सभ्य शहर मलेरकोटला में रहती है..!!!पिता नहीं हैघर मे कुल 6 स...
15/07/2023


एक लड़की है
नाम है रितु वर्मा..!!
पंजाब के संगरूर जिले में
एक सभ्य शहर मलेरकोटला में रहती है..!!!

पिता नहीं है
घर मे कुल 6 सदस्य हैं
पांच बहने और एक मां..!!
अपना घर भी नहीं है किराए के घर मे रहती हैं
तीन बहने शादीशुदा हैं पुरुष के बिना घर चलाना हमेशा मुश्किल भरा होता है।

रितु सिर्फ 17 साल की है 11वीं क्लास में पढ़ती है पैसों की दिक्कत हुई तो शहर जाकर किसी से बैटरी वाला ऑटो रिक्शा किराए पर लिया और चलाने लगी।
स्कूल से थकी हुई 3 बजे वापिस घर आती है और आते ही ऑटो उठाकर शहर में निकल जाती औऱ सूर्यास्त होने पर घर लौटती है

3-4 घण्टे में 400-500 रुपये की कलेक्शन करके लाती है ऑटो का मालिक रोज 250 रुपये किराए के ले लेता है और 60-70 रुपये उस रिक्शा की बैटरी को चार्ज करने का खर्च आ जाता है मुश्किल से 200 रुपये बचा पाती है।
परिवार फिर भी कभी सरकार/जनता के सामने गिड़गिड़ाता नही, अपनी मेहनत से घर चला रहे हैं।

रविवार को भी रितु की छुट्टी नही होती, उसकी सहेलियां उस दिन सिनेमा जाती है शॉपिंग जाती है पिकनिक जाती है या खेलने....पर बिन बाप की रितु उस दिन अधिक पैसे लाने के लिए सुबह से रिक्शा लेकर सारा दिन अथक रिक्शा दौड़ाती है मलेरकोटला की सड़कों पर.....!!!!!
किसी सवारी से पैसे के लिए झगड़ती नही....
कोई आधे पैसे में पहुंचाने का कहे तो भी खुशी से उसे गंतव्य तक छोड़ आती है।

अच्छी बात सिर्फ ये है कि मलेरकोटला एक बहुत सभ्य शहर है सारा शहर उसे बेटी की तरह प्रेम करता है बस शाम तक जो भी मिले बेटी उसे लेकर घर सुरक्षित पहुंच जाती है।

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