Sohail Sahil

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पेरू में कब्र में मिली रहस्यमयी माँ, जिसके हाथों से चेहरा ढंका हुआ है।2021 में, पेरू में एक भूमिगत कब्र में, रस्सियों मे...
31/03/2024

पेरू में कब्र में मिली रहस्यमयी माँ, जिसके हाथों से चेहरा ढंका हुआ है।

2021 में, पेरू में एक भूमिगत कब्र में, रस्सियों में पूरी तरह से बंधी हुई और अपने हाथों से अपने चेहरे को ढकने वाली एक माँ की खोज की गई है।

सैन मार्कोस के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के पुरातत्वविदों ने कैजमारक्विला में मम्मी को अच्छी हालत में पाया, जो तटीय शहर और राजधानी लीमा, पेरू से 15.5 मील की दूरी पर एक महत्वपूर्ण स्थल है।

यह मम्मी 800 से 1200 साल के बीच का अनुमान है।

हालांकि मम्मी की आकर्षक मुद्रा - रस्सियों से बंधा और भ्रूण की स्थिति में - पहली नजर में ठंडा दिखाई देती है,लेकिन जैसे ही शोधकर्ता
इन कब्रों पास जाते हैं तो सारी कब्रे एक साथ जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर देती है ...और एक ही नारा लगाती है
अबकी बार 400 पार 😎😎

28/03/2024

बेशक मौत बरहक़ है, हर जानदार शै पर आनी है.. जो ग़मज़दा हैं वो भी अपने हक़ीक़ी रब से मिलेंगे और जो हँस रहे हैं वो भी एक दिन फ़ना होंगे!

फर्क सिर्फ इतना होता है कि अफसाने तब गढ़े जाते हैं जब शेर मरते हैं, वरना कुत्तों के मरने पर चर्चा कौन करता है?

😔😔😔
आगाज़ सिद्दीकी

28/03/2024
गब्बर: कितने आदमी थे?सांभा: सरदार दो।गब्बर: मुझे गिनती नहीं आती, दो कितने होते हैं?सांभा: सरदार दो, एक के बाद आता है।गब्...
14/03/2024

गब्बर: कितने आदमी थे?
सांभा: सरदार दो।
गब्बर: मुझे गिनती नहीं आती, दो कितने होते हैं?

सांभा: सरदार दो, एक के बाद आता है।
गब्बर: और दो के पहले?
सांभा: दो के पहले एक आता है सरदार।
गब्बर:तो बीच में कौन आता है?
सांभा: बीच में कोई नहीं आता सरदार।
गब्बर: तो फिर दोनों एक साथ क्यों नहीं आते?
सांभा: एक के बाद ही दो आ सकता है क्योंकि दो,
एक से बड़ा है सरदार।
गब्बर: दो, एक से कितना बड़ा है।
सांभा: दो, एक से एक बड़ा है सरदार।
गब्बर:अगर दो, एक से एक बड़ा है तो एक, एक से
कितना बड़ा है?
सांभा: सरदार अब आप मुझे गोली ही मार दो मैंने
आपका नमक ही खाया है अमृत काल का च्यवनप्राश नही।😀

04/03/2024

★ "फ़र्ज़ी रामराज्य" उत्तरप्रदेश के कानपुर में 14 साल और 16 साल की 2 बच्चियों को ज़बरदस्ती शराब पिला कर सामूहिक बलात्कार किया गया..बलात्कार के बा'द बच्चियों को पीटा गया..

★ बलात्कार की VDO रिकॉर्डिंग की गई, बच्चियों को ब्लैकमेल किया गया..नतीजा यह हुआ कि दोनों बच्चियों ने ख़ुदकुशी कर ली..

◆ मुल्ज़िम है रामरूप निषाद, बेटा राजू (18 साल) और भतीजा संजय (19 साल)..

◆ कैसा चमत्कारी रामराज्य लाया गया है कि बाप, बेटा और भतीजा एक साथ मिल कर बलात्कार करते हैं, एक दूसरे का ब्लात्कार करने का VDO भी बना लेते है..सबकुछ पारिवारिक है

👉 सबसे बड़े बलात्कारी गिरोह मीडिया में इसपर कोई ख़बर तक नहीं बनती..मीडिया भी इस बलात्कार का मुल्ज़िम है..

🚩 बलात्कारी और बच्चियां हिंदु है..अब हिंदु का बलात्कार हिंदु नहीं करेगा तो क्या बलात्कारी पाकिस्तान से आएंगे.. कृष्णन अय्यर #भारतजोड़ोन्याययात्रा #भारतजोड़ोयात्रा

11/02/2024

06/02/2024

किसी ने इमाम इब्न तैमिया रह० से पूछा की हक वाले कहाँ मिलेंगे...????

आप ने फरमाया था :- ज़िंदानो (जेल) में, कब्रों में या फिर मैदान-ए-जंग में...!!

06/02/2024

लखनऊ का मशहूर बाजार है 'हज़रतगंज' वहाँ शाम 5 बजे थे और बाजार भीड़ से भरा हुआ था। इसी भीड़ में मियाँ बीबी एक दूसरे से लड़ने में मशग़ूल थे और लगभग 200 से ज़्यादा लोग उन के इस परिवार के तमाशे को इन्जवाय कर रहे थे।
बात कुछ इस तरह थी कि बीबी ज़िद कर रही थी अपने शौहर से आज आप कार खरीद ही लीजिये मैं थक गई तुम्हारी मोटर साइकिल पर बैठ करके , शौहर ने कहा मोहतरमा तमाशा ना बनाये मेरा दुनिया के सामने , मोटर साइकिल की चाबी मुझे दीजिये।
बीबी- "नहीं " तुम्हारे पास इतना पैसा है! आज कार लोगे तो ही घर जाऊंगी"
शौहर -"अच्छा तो ले लूँगा अब चाभी दो"
बीबी- नहीं दूंगी
शौहर- "अच्छा ना दो। मैं ताला ही तोड़ देता हूँ।
बीबी ने कहा तोड़ दो लेकिन ना कुंजी मिलेगी ना मैं साथ जाऊँगी "
शौहर "अच्छा तो ये ले मैं ताला तोड़ने लगा हूँ जाओ तुम्हारी मर्ज़ी। मेरे घर ना आना।
बीबी- "जाओ जाओ नहीं आती तुम जैसे कंजूस के घर"
शौहर ने लोगों की मदद से मोटरसाइकिल का ताला खोल लिया और अपनी बाइक पर बैठ गया और बोला, "तुम आती हो या मैं जाऊँ"। तो वहाँ खड़े लोगों ने समझाया बीबी जाओ इतनी सी बात पर अपना घर न खराब करो। फिर उसने शौहर से वादा लिया बाइक बेचकर जल्द ही कार लेगा। फिर दोनों की सुलह हो गयी और दोनों चले गए।
तो जनाब ठीक आधे घंटे बाद उसी स्थान पर फिर से मज़मा लग गया। एक बंदा शोर कर रहा था मेरी मोटरसाइकिल कोई चुरा कर ले गया।

मुरादाबाद के बजरंगदल का जिलाप्रमुख सुमित उर्फ मोनू विश्नोई जो खुद को गो रक्षक बताता था, वही गोकशी का मुख्य आरोपी निकला ह...
05/02/2024

मुरादाबाद के बजरंगदल का जिलाप्रमुख सुमित उर्फ मोनू विश्नोई जो खुद को गो रक्षक बताता था, वही गोकशी का मुख्य आरोपी निकला है. पुलिस के मुताबिक, 16 जनवरी को थाना छजलैट इलाके के कावण पथ पर गो वंश के कुछ अवशेष मिले थे. जबकि दूसरी घटना भी थाना छाजलेट के ग्राम चेतराम में 28 जनवरी को हुई जहां गो हत्या के बाद गोवंश पड़ा हुआ मिला था. बजरंगदल कार्यकर्ताओं ने इस मामले में थाने का घेराव भी किया था. पुलिस ने तहकीकात की तो असलियत सामने आ गई. मोनू विश्नोई समेत पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

31/01/2024

शादी के कार्ड पर वर-वधू के नाम के आगे चिo और सौo का मतलब होता है कि पत्नी सौ सुनायगी और पति चि भी न कर पायगा 😂

जितना कक्षा पढ़े हो ना भतीजा, उतना तो हम मुख्यमंत्री बन के दिखा दिए, पॉलिटिक्स में चाचा है तुम्हारे।
29/01/2024

जितना कक्षा पढ़े हो ना भतीजा, उतना तो हम मुख्यमंत्री बन के दिखा दिए, पॉलिटिक्स में चाचा है तुम्हारे।

आ गया हूँ मैं..वापस इसी धरा पर.. बंदनवार सजें हैं, ढोल, मंजीरे, दीप जले हैं। प्रतीत होता है कि उत्सव है कोई। दूर दूर तक ...
22/01/2024

आ गया हूँ मैं..

वापस इसी धरा पर.. बंदनवार सजें हैं, ढोल, मंजीरे, दीप जले हैं।

प्रतीत होता है कि उत्सव है कोई।
दूर दूर तक देखता हूं।

चहुँ ओर भक्त हैं। जोश है, गीत है, शोर है, माहौल है। ये नई अट्टालिका है। ऊंचा भवन, नक्काशी तो देखो जरा, वाह ये कलाकारी देखो।

लगता है कोई मन्दिर है,
या महल है।

दृष्य नयनाभिराम है।
●●
नजर घुमाता हूँ। झंडों से पटी हुई अयोध्या है। गगनभेदी नारे है। ओह, मेरा जयघोष, मेरी जय है !!

ऐसा निनाद, ज्यों कोई युद्ध जीता हो। इतना जोश, ये उत्साह.. उफ्फ। इतना तो मेरी सेना में भी न था।

क्या हुआ है यहाँ..
कोई युद्ध जीता गया है??
●●
अयोध्या है ये- अयुद्धा !!

मेरा घर, मेरी नगरी। मर्यादा की गंगोत्री.. ये युद्ध का स्थान नही। तो झंडे किसके है, युद्ध यहां किसने लड़ा??

क्या हुआ है, मुझे बताओ। चुप क्यो हो? शीश क्यो झुकाया है लक्ष्मण, हनुमान, ये मौन क्यो?? बोलो सीते.. क्या हुआ है इस नगरी में? ये बू कैसी है??
●●
मत बताओ। त्रिकालदर्शी हूँ, खुद ही देख सकता हूँ। राम हूँ, औघड़ नाद में कुचली गयी सिसकियां सुन सकता हूँ।

गुलाबजल से सिक्त वीथियो में नरमांस की बू क्यों है। क्या सड़ रहा है? क्या दबाया गया है यहां??

किसे आहत किया है? किसे मारा गया है? ये भूमि में दबी किनकी लाशें है?

किसने किया ये??
●●
ओह, ओह, ओह !!! ये, ये सब। मेरी खातिर? भला किसकी आज्ञा से? ये छल, मेरे नाम पर..

ओह शिव!! महादेव।
ये काल का नृत्य..

क्या अधर्म किया इन्होंने?? यज्ञ में मांसखण्ड डाल दिये?? यही आसुरी कर्म को रोकने को दिव्यास्त्र का अभ्यास किया था। खर दूषण को मारा। ताड़का का संधान किया।
●●
सीते, सीते.. अशक्त हो रहा हूँ। ओज क्षय हो रहा है। मर्यादायें तो मेरी शक्ति का स्त्रोत थी। राजधर्म मेरा बल था..

न्याय मेरी ताकत थी। अरे, यही नष्ट कर दिया इस भीड़ ने.. और देखो।

मुझसे कल्याण चाहते है ये??
कृपा मांगते है ये??

किस तरह?? कैसे करूँ कल्याण। कहाँ से लाऊं शक्ति, न्याय फिर स्थापित करूँ तो कैसे?? किसका संधान करूँ?

अन्याय तो मेरी ही पताका लहरा रहा है!!
●●
ये कौन आ रहा है। पुष्पक विमान से, फूल बरस रहे, दुदुम्भियां बज रही है। अतुलित नाद है, कोलाहल है, धूल उठ रही है।

कोई सेना है क्या?? वो नजदीक आ रहे है। अरे, ये कैसी माया है, कैसा इंद्रजाल है??

वो जितना करीब आता है, मेरा आकार घटता जाता है। प्रतिपल छोटा हो रहा हूँ। रुको लक्ष्मण, हनुमान.. ओझल मत हो। विलीन मत हो।

इनके बीच मुझे अकेला न छोड़ो।
ठहरो..
●●
घट गया। अब बाल रूप हूँ। धनुष और बाण मेरे हाथों से बड़े हो गए हैं। अकेला हूँ..

वो बढा आ रहा है। मेरी तरफ..
उसके साथ जनसमुद्र है..

पकड़ लिया मुझे।
उंगली जकड़ ली है।
●●
उफ, ये जकड़.. इन हाथों में तमाम बू का स्रोत है। ये विकराल तन, इसके वस्त्र लहूलुहान है, गले मे अनगिनत उंगलियों की माला है। कटे शीश श्रृंगार के उपादान बने है।

इसके गिर्द प्रेत हैं, आह है, चीत्कार की गूँज है। सर फटा जा रहा है। वो इशारा कर रहा है।

उठा लिया है मुझे..
उसके अनुचरों ने..

लिए जा रहे है नरमुण्डों की उस चंगेजी मीनार पर। छोड़ दिया है खुद को, जनसमुद्र के ज्वार में बहा जा रहा हूँ। ज्यो त्रेता में सरयू की लहरें मुझे बहा ले गयी थी।
●●
पर वो मुक्ति थी। ये बंधन है। अब अशक्त हूँ। ईश्वर नही हूँ। महज पताका हूँ।

किसी के भाले पर लहराती हुई पताका। अट्टालिका में बिठाया जा रहा है। ऊपर उठता जा रहा हूँ। पूरी अयुद्धा दिखाई दे रही है। लोबान जल रहे है, कपूर की गंध है। मंजीरों का शोर, घण्ट बज रहे हैं। दम घुट रहा है।

दूर, बहुत दूर खड़ी वैदेही टकटकी लगाए देख रही है। आंखों की कोर में पानी है। विकल लक्ष्मण है। कसमसाते बजरंग हैं।मुर्दों के टीले पर एकाकी बैठा उन्हें देख रहा हूँ।

पास कांपती, कलपती.. सरजू बह रही है।
इस बार .. शायद!!

वह भी निर्वाण न दे पाएगी।

Reborn Manish

ये सही रहेगा
21/01/2024

ये सही रहेगा

पता नहीं अखबार वाले ने इतनी महत्वपूर्ण खबर कोने में क्यों लगा रखी है? और सेलिब्रेटी की तरह इन्हें भी निमंत्रण दिया गया, ...
20/01/2024

पता नहीं अखबार वाले ने इतनी महत्वपूर्ण खबर कोने में क्यों लगा रखी है? और सेलिब्रेटी की तरह इन्हें भी निमंत्रण दिया गया, लेकिन तस्वीर भी वायरल नहीं हुई।
कहने के मतलब है, न्याय ...सॉरी फैसला करने वाले सभी जज को प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के निमंत्रण दिए गए है, जिनमें वर्तमान सीजेआई चंद्रचूड़, रंजन गोगोई अब राज्यसभा सदस्य, बोबड़े, अशोक भूषण, अब्दुल नजीर शामिल थे, और इन सभी के पीठ ने ही पूरा जमीन पर फैसला किया था।

कई महीनों से दंगा हो रही मणिपुर में, क्या सरकार नपुंसक है, जो रोक नहीं पा रही या सरकार द्वारा ही प्रायोजित है।
20/01/2024

कई महीनों से दंगा हो रही मणिपुर में, क्या सरकार नपुंसक है, जो रोक नहीं पा रही या सरकार द्वारा ही प्रायोजित है।

"एक लेडी डॉक्टर का पहला प्यार!❤️डॉक्टर बन जाने के बाद रिश्ते का इंतिज़ार शुरू हो गया। लेकिन अम्मी अब्बु को कोई रिश्ता पसं...
16/01/2024

"एक लेडी डॉक्टर का पहला प्यार!❤️

डॉक्टर बन जाने के बाद रिश्ते का इंतिज़ार शुरू हो गया। लेकिन अम्मी अब्बु को कोई रिश्ता पसंद ही नही आता था। चुनांचे उमर रफ्ता-रफ्ता ढलने लगी। लेकिन कहते है खुदा के घर मे देर है अंधेर नही। फिर जब एक दिन हॉस्टल से लोटी तो क्या देखती हूँ के हमारे घर के सामने एक नौजवान अपनी बाइक खड़ी करके उसपर बैठा है।

जैसे किसी का इंतेजार कर रहा हो फिर तो जैसे मामूल बन गया और में रोज़ वापसी पर उसे इसी तरह बाइक पर बैठे देखती। हमारा घर शहर के महंगे तरीन इलाके में होने की वजह से बिउमुम बाइक बहुत कम देखी जाती थीं 😊

नौजवान गांव का गरीब लेकिन बहुत बाअदब लग रहा था वह ज़ियादा तर अपना सर नीचे किए हुए बैठा रहता सिर्फ एक लम्हे केलिए देखता जब में उसके पास से गुज़र कर घर मे दाखिल होती।

लेकिन वह है कौन ? और चाहता क्या है ? अगरचे शुरू शुरू में मुझे उसे इस तरह देखकर उलझन सी होती थी, लेकिन साथ ही साथ दिल मे खुशी भी हो रही थी के कोई तो है जो मेरा इंतिज़ार कर रहा है, फिर जबभी में उसे बाइक पर बैठे देखती दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कना शुरू करता। या अल्लाह ये क्या है ? क्या मुझे उससे मोहब्बत हो गई है ? जवानी के बाद मेरी एक ही ख़्वाईश थी उम्र ढल जाने से पहले पहले मेरी शादी हो जाए ताके रिश्ते दारों और मुहल्ले दारों की तरह तरह की बातों से जान छुटे।

ये दुरुस्त है के नोजवान की पुरानी बाइक उसकी गुर्बत का पता देती थी। लेकिन कोई बात नही वह बा अखलाक तो है जैसा के मालूम होता है, दिन गुज़रतें गए अब मुझे यक़ीन सा होने लगा के नोजवान मुझसे मोहब्बत करता है, तभी तो मेरे आने से पहले मुझे देखने आ जाता है और घण्टों मेरे घर जाने के बाद भी खड़ा रहता है।

लेकिन आखिर वह मेरे बाप से मेरा हाथ क्यों नही मांगता ? क्या वह डरता है के कही मेरा बाप उसे ठुकरा न दें ? के वह हमारे झूट का नही है ? लेकिन ये तो कोई बात नही, माल दौलत तो अल्लाह की देन है, आज अगर उसकी बाइक पुरानी है तो हो सकता है कल उसके दिन बदल जाए, अगर वह उससे मोहब्बत करता है, जैसा के उसके तवील इंतिज़ार से मालूम होता है तो फिर स्टेटस का फर्क कोई मसला नही है, मुझे वह गुर्बत में भी मंजूर है।

अब तो कम व बेश महीना होने को आया लेकिन नोजवान की जानिब से कोई हरक़त सामने नही आई, अब में इससे ज़ियादा इंतिज़ार नही कर सकती थी। वह मुझसे बात क्यों नही करता ? मेरे दरवाज़े पर दस्तक देकर मेरे बाप से मेरा हाथ क्यों नही मांगता ? बिल आखिर एक दिन मैने खुद ही जुर्रत की और उसके पास गई, मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा में पहली दफ़ा उसे करीब से देख रही थी वह ज़ियादा खूबसूरत नही था लेकिन कोई बात नही वह अपने मख़सूस अंदाज़ से सर नीचे किए हाथ अपनी गोद मे रखें बाइक पर बैठा था। मुझे पास देखकर ज़रा सा चोंका और सर ऊपर किया।

मैंने पूछा के: आप हमारे घर के सामने घण्टों क्यों खड़े रहते हो ??

बाजी इसलिए के आप के wifi का पासवर्ड नही लगा हुआ है।

कश्मीरा शाह चतुर्वेदी की वॉल से

ईवीएम में छेड़छाड़ मुमकिन नहीं, भले आप चंद्रयान यही से कंट्रोल कर लो।
14/01/2024

ईवीएम में छेड़छाड़ मुमकिन नहीं, भले आप चंद्रयान यही से कंट्रोल कर लो।

काल के गाल पर रुका हुआ आंसू.. हाँ, ये ताजमहल नही, लालकृष्ण आडवाणी हैं। एक मकबरा, जो अपने अतीत, अपनी शख्शियत, अपने वकार क...
12/01/2024

काल के गाल पर रुका हुआ आंसू..

हाँ, ये ताजमहल नही, लालकृष्ण आडवाणी हैं। एक मकबरा, जो अपने अतीत, अपनी शख्शियत, अपने वकार की लाश पर खड़ा है।

वो जिंदा है, और यही..
उनका हश्र है।
●●
भाजपा इतिहास में अपने सुनहरे दौर को देख रही है। आडवाणी दूर अपने अकेलेपन, और उपेक्षा के जेलखाने से उसे निहार रहे हैं।

अब उनकी तस्वीरें मीम की तरह इस्तेमाल होती है।आंखों से झलकती बेचारगी..

बेबसी, और बेकसी।

इस शख्स ने अपनी पार्टी को शून्य से शिखर तक पहुंचाया। सत्ता की देहरी पर खूंटा गाड़ा। कराची से आये उस दुबले पतले लड़के ने, दिल्ली की सियासत के फलसफे बदल दिए।
●●
पर जिस विभाजनकारी, विस्फोटक राजनीति से आडवाणी ने वोटो की फसल बटोरी.. वो भारत की जमीन को सदा के लिए बंजर और खारा कर गई।

आज इस बंजर जमीन पर नफरत और अविश्वास की खरपतवार लहलहा रही है।उत्तर भारत बर्बाद हो चुका है।

बियाबान में खो चुका है। शेष भारत, जहर के गुबार से बचने को छटपटा रहा है। सँघर्ष को कमर कस रहा है। ये संघर्ष तो होगा...

बुद्ध और गांधी फिर जीतेंगे, या नफरत का गुबार ही मीनार बनेगी। इसका जवाब आने वाली नस्लें देंगी।

इतिहास में सिर नवाये आडवाणी तो बस,अपने पैदा किये गुबार में, अपने ही निशान खोजने को अभिशप्त पाये जायेंगे। जिस पर किसी और ने अपना नाम जड़ दिया।
●●
वे तौलते तो होंगे कि हासिल क्या रहा??

सोमनाथ से अयोध्या के लिए, रथी बनकर उन्होंने रासें थामी थी। फिर समझ ही न आया, कि कब, कैसे उन्हें नीचे फेंक दिया गया। अब वो रथ गंतव्य तक पहुँच चुका है।

जयघोष हो रहा है। आडवाणी अपने अकेलेपन, और उपेक्षा के जेलखाने से उसे निहार रहे हैं।
●●
तो सोचता हूँ कि इस जेल में कैद, उम्र के अंतिम पड़ाव में, उपेक्षित, विस्मृत आडवाणी, हर शाम के एकाकीपन में क्या सोचते होंगे??

क्या मंदिर निर्माण के समर्थन और विरोध में, उस आंदोलन के पहले, बाद ,और बहुत बाद तक, गिरने वाली लाशों के चेहरे भी, क्या उनकी आंखों के सामने से गुजरते हैं??

शायद.. नही।
●●
बिल्कुल नही। शर्तिया नही!

क्योकि उन हजारों लोगों से वो कभी मिले ही नही, शक्लें न देखी, नाम भी न सुने, न महसूस किया होगा।

उनकी चीखें, आर्तनाद, बद्दुआएं.. उनको कभी सुनाई दे नही सकती। सत्ता के बहरे, अंधे, अंधाधुंध राही को हवा में लहराती वो ताकतवर कुर्सी जरूर दिखती होगी..

जो आखिरकार उन्हें नही मिली।
●●
तो आडवाणी के गाल पर ये आंसू, पछतावे का नही, एक टीस हैं। ये काल का निर्णय है,

ये आंसू, न्याय है।
राम का न्याय..

और 96 साल का लालकृष्ण आडवाणी एक मकबरा है, जो अपने अतीत,अपनी शख्शियत, अपने वकार की लाश पर खुद खड़ा है।

जिंदा है, और यही..
उनके जैसो का हश्र है।

Reborn Manish sir

18/12/2023

ग्लोबल थिंकिंग, विश्वगुरुत्व और अंतरराष्ट्रीय आकांक्षाएं भारत मे जन्म ले चुकी है, इसका विश्वास तब कीजिएगा...

जब तारासिंह, ट्रक से तिब्बत पार कर बीजिंग जाये। और पीएलए को ठोककर, हैंडपंप उखाड़कर xin xhiiana नामक सुंदरी को उठा लाये।

ओ मैं निकला , गड्डी लेके
रस्ते में, थेंन आँनमन चौक आया
मैं उत्थे दिल छोड़ आया..

फिर जरूरी ये, कि ऐसी कल्पना वाली फ़िल्म देखने मे आपकी विलेज प्रस्फटित न हो।
●●
महसूस करता हूँ कि चीन को लेकर आम भारतीय में भय है। आलम यह है कि लोग भी उस पर बात रखने से घबराते हैं ।

चीन पर लिखो, तो उसके आगे पीछे की बकवास पोस्ट पर हिहि-हाहा की पहुँच तेज होती है। मगर चीन का विषय कोई छूना नही चाहता।

पाकिस्तान से लड़ने या प्रेम करने वाली बात कर दो तो हजारों लोग ओपिनियन देने कूद पड़ते है।

पाकिस्तान से डर नही लगता साहब
चीन से लगता है।
●●
कोको आइलैंड, नेहरू ने म्यांमार को दिया ( झूठ है) सुनकर रोष होता है। POK जीतने की बात सुनकर जोश होता है। ये रोष और जोश, उत्साह और आत्मविश्वास का द्योतक है।

पर अरुणाचल और अक्साई चिन की बात सुनकर, हम कुंठित होते है। कुंठा अशक्तता की द्योतक है, लैक ऑफ कॉन्फिडेंस है।

तो हमारे कवि रावलपिंडी पर चढ़ जाने की कविताएं सुनाते है, महफ़िल लूट लेते हैं। कभी देखा कि उन्होंने बीजिंग पर चढ़ाई करने की कविता सुनाई हो ??

न। पता है तालियां नही बजेंगी। उल्टे, सन्नाटा छा जाएगा। ठंडी लहर दौड़ जाए। कवि चीन पर कविताएं नही सुनाता।
●●
नेता भी सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान और म्यांमार में करता है। चीन पर तो बस- सांत्वना देता है - न कोई घुसा है, न कोई आया है।

जनता इस झूठ को जानते बूझते हुए भी गले उतार लेती है। 20 फौजियों की लाशें, सम्भवतः आत्महत्या की वजह से आई होंगी, मानने को वो तैयार है।
●●
इस स्टेट ऑफ माइंड पहले नही था।
ये ताजा है।

जो पीढ़ी चीन से हारी, वो तो 5 साल में उबर गयी। फिर हमने 1967 में मात दी।

हमने 1987 में मात दी। फिर तो 30 साल चीन ने हिमाकत नही की। उसके बाद फिर क्या हुआ कि हम डर गए??
●●
नही। कोई घटना नही हुई।
ये तो बस, ये डर की एक नई संस्कृति है।

पहली बार गलवान घाटी में मनमोहन ने हिचक दिखाई, मामला लम्बा खींचा। उनकी एप्रोच ओवरकाँशियस थी, अंदाज लो प्रोफ़ाइल था,

दूसरे शव्दों में- डिफिटिस्ट था।

इस दौर में हम चीन का आर्थिक उभार देखते रहे। साउथ चाइना सी में अमेरिका समेत पूरे वर्ल्ड को आँखें दिखाते देखते रहे। उसके वैश्विक एलायंस, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, उसके उभार की खबरे देखते रहे।

जिसने 62 की ग्रंथि को उभार दिया।

तो डोकलाम और अब लद्दाख में हम सरेंडर मुद्रा में थे। हमारा तो विदेश मंत्री सार्वजनिक माध्यम पर खुलेआम कहता है कि 5 गुना बड़ी इकॉनमी से कैसे लड़ें।

पीएम टीवी रोज नेहरू की याद दिलाता है। उसने जमीन खोई, तो भला मै भी क्यो न खोऊँ??

जानो मानो हर पीएम को एक स्वेच्छाधीन कोटा है चीन को जमीन देने का। एक हार नेहरू ने हासिल की। एक दो हार पे ये भी डिस्काउंट चाहता है।
●●
पर प्रधानमंत्री और विदेशमंत्री का दोष नही। वो भी हमारे समाज से निकले हुए लोग हैं।

जैसे हम डरे हुए है, हमारा नेता भी बीच डरा हुआ है। उसको खुदा मानने वाला मास बेस, डरा हुआ है। ब्यूरोक्रेसी डरी है, और मुझे लगता है कि शायद फ़ौज भी डरी हुई है।

( यह लाइन लिखी कि ट्रोल करने तो आओ, कम से कम)
●●
डरने की ये संस्कृति बड़ी सफाई से बुनी गई थी। एक आदमी को मसीहा बताने के लिए तरह तरह के डर दिखाए गए है।

फिर वो मसीहा भी अपनी ताकत से हमे डराने में लगा है। डराने वाला लोकप्रिय है।

डरने डराने में इज्जत है। तो डर अब हमारी लोकभाषा का स्वभाविक हिस्सा है।
●●
हम डर की इस सँस्कृति से, खतरे में हैं।

निडरता लड़ने के लिए चाहिए, पर शांति के लिए भी वैसी ही निडरता चाहिए। आप बांग्लादेश को निडर होकर जमीन देते हैं। भय और शर्म नही, गर्व से देते है, ग्रांट करते है।

आप यह पाकिस्तान के साथ भी कर लेंगे। उससे हमे डर जो नही लगता।

नेहरू, इंदिरा, अटल जिन्होंने कश्मीर का समाधान खोजने की कोशिश की, तो फाइनल पॉइंट यही था कि LOC को बॉर्डर का स्टेटस दिया जाए।

स्टेट्समैन जानते है कि युद्ध से टेटेटरी जीती जा सकती है, कब्जाई नही जा सकती। वरना 71 के बाद, बांग्लादेश भारत में विलय क्यो नही होता??
●●
तो कोई समझौता, लैंण्ड स्वेपिंग, लेन देन से होता है। दो देश, एक दूसरे पर भरोसे, या अपनी ताकत के आत्मविश्वास, और निडरता की वजह से कर पाते है।

डरा हुआ देश, शांति नही ला सकता। इस डर से निकलने की जरूरत है। देश को डर की संस्कृति से बचाने की जरूरत है।

गुनगुनाने की जरूरत है।

ओ मैं निकला , गड्डी लेके
रस्ते में, थेंन आँनमन चौक आया
मैं उत्थे दिल छोड़ आया

Reborn Manish sir

16/12/2023

अगले 20-20 विश्वकप में सीनियर खिलाड़ी में से 3 खिलाड़ी रोहित, विराट, वुमराह को पक्का टीम में शामिल करनी चाहिए।

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