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नोएडा: Shrikant Tyagi केे समर्थन में उतरा 'त्यागी समाज', आज Grand Omaxe सोसाइटी के बाहर प्रदर्शन का ऐलानGrand Omaxe Soci...
14/08/2022

नोएडा: Shrikant Tyagi केे समर्थन में उतरा 'त्यागी समाज', आज Grand Omaxe सोसाइटी के बाहर प्रदर्शन का ऐलान

Grand Omaxe Society के सामने श्रीकांत त्यागी के समर्थन में प्रदर्शन के आह्वान के बाद पुलिस सतर्क हो गई है. पुलिस ने ग्रैंड ओमेक्स सोसायटी को छावनी में तब्दील कर दिया है.

महिला के साथ गाली-गलौच करने के मामले में गिरफ्तार किए गए श्रीकांत त्यागी (Shrikant Tyagi) के समर्थन में त्यागी समाज उतर आया है. त्यागी समाज द्वारा आज ग्रैंड ओमेक्स सोसाइटी (Grand Omaxe Society) के सामने श्रीकांत त्यागी के समर्थन में प्रदर्शन के आह्वान के बाद पुलिस सतर्क हो गई है. पुलिस ने सोसायटी को छावनी में तब्दील कर दिया है. त्यागी समाज की ओर से आज टैक्टर द्वारा मेरठ से नोएडा ग्रैंड ओमेक्स सोसाइटी पहुंचने की आशंका जताई जा रही है.
बता दें कि, महिला के साथ श्रीकांत त्यागी के झगड़े के बाद से यह मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. अब त्यागी समाज श्रीकांत के समर्थन में उतर आया है और श्रीकांत के जेल जाने के बाद से जगह-जगह प्रदर्शन कर रहा है. सोशल मीडिया पर त्यागी समाज के लोगों ने ट्रैक्टर से मेरठ से चलकर नोएडा ग्रैंड ओमेक्स सोसायटी तक पहुंचने का आह्वान किया. जिसके बाद नोएडा पुलिस ने एहतियातन ग्रैंड ओमेक्स सोसाइटी के बाहर भारी पुलिस फोर्स तैनात करते हुए सोसाइटी को छावनी में तब्दील कर दिया
दरअसल, कुछ दिन पहले श्रीकांत त्यागी के समर्थन में कुछ युवक सोसाइटी में घुस गए थे. जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. युवकों की गिरफ्तारी को गलत बताते हुए त्यागी समाज के लोगों ने कहा था कि सभी युवक श्रीकांत के बच्चों को खाना खिलाने के लिए गए थे. साथ ही कहा था कि गलती श्रीकांत की थी तो उसे सजा दी गई है तो अब श्रीकांत के घर की महिलाओं और बच्चों को टारगेट क्यों किया जा रहा है. पुलिस द्वारा श्रीकांत के घर की महिलाओं के साथ बदसलूकी की गई. जिसे लेकर त्यागी समाज द्वारा सोशल मीडिया पर मेरठ से नोएडा चलने की बात कही गई थी.
वहीं, थाना फेस टू प्रभारी ने का कहना है कि, सोशल मीडिया के माध्यम से त्यागी समाज के लोगों के सोसाइटी के बाहर प्रदर्शन किए जाने की जानकारी मिली थी. जिसके बाद सुरक्षा को देखते हुए एहतियातन सोसाइटी के बाहर फोर्स तैनात किया गया है. फिलहाल शांति बनी हुई है.

*Gyanvapi_Survey*: मुस्लिम पक्ष के वकील बोले- वजूखाने के फव्वारे को बताया जा रहा शिवलिंगज्ञानवापी मस्जिद में तीसरे दिन क...
16/05/2022

*Gyanvapi_Survey*: मुस्लिम पक्ष के वकील बोले- वजूखाने के फव्वारे को बताया जा रहा शिवलिंग

ज्ञानवापी मस्जिद में तीसरे दिन का सर्वे खत्म हो गया है। अब रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जानी है। इससे पहलेे हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि तालाब में शिवलिंग पाई गई है। मुस्लिम पक्ष के वकील ने दावा नकारा।

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में तीन दिन तक सर्वे चला। हिंदू पक्ष के वकील ने दावा किया है कि मस्जिद के अंदर एक तालाब में शिवलिंग मिला है। यूपी की एक अदालत ने उस तालाब को सील करने का आदेश दे दिया है। अब अंजुमन इंतेजामियया मस्जिद कमिटी के वकील ने कहा है कि 'शिवलिंग' पाए जाने का दावा करने वाले पक्षकार केवल गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वजूखाना में कोई शिवलिंग नहीं पाया गया है।

वकील रईस अहमद अंसारी ने कहा, 'ज्ञानवापी मसंजिद के वजूखाना में केवल एक फव्वारा है। जिस संरचना को शिवलिंग बताया जा रहा है वह फव्वारा है। ये सभी दावे झूठे हैं।' जानकारी के मुताबिक मस्जिद के ऊपरी हिस्से में नमाज पढ़ी जाती है। वहीं वजू करने की जगह है। इसी तालाब में शिवलिंग मिलने की बात कही गई है। कोर्ट ने इस इलाके को सील करने का और कड़ा पहरा लगाने का आदेश दिया है। इसके अलावा यहां किसी के भी आने जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

रईस ने कहा, 'कोर्ट ने जल्दबाजी में आदेश दे दिया। हम इस आदेश से संतुष्ट नहीं हैं और इसे चुनौती देंगे।' इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मसस्जिद कमिटी ने आपील की है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच मंगलवार को इस याचिका की सुनवाई करेगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोर्ट द्वारा नियुक्त कमिश्नर को ज्ञानवापी में सर्वे करने का आदेश दिया था।

12 फीट 8 इंच के शिवलिंग का दावा=

हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन ने दावा किया था कि गुंबद के पास स्थित तालाब का पूरा पानी निकाला गया। यहां नंदीजी के सामने 12 फीट 8 इंच का शिवलिंग पाया गया है। वादी महिला लक्ष्मी देवी के पति सर्वे टीम में शामिल हैं। टीम में शामिल सदस्य सोहनलाल आचार्य ने कहा कि आज बाबा मिल गए। जिसकी नंदी प्रतीक्षा कर रहे थे, वह बाबा मिल गए। उन्होंने कहा कि अब हम पश्चिमी दीवार के मलबे की जांच की मांग करेंगे।

Malegaon Blast: RSS नेता इंद्रेश कुमार ने 'तत्कालीन सरकार' पर लगाया साजिश का आरोप, कहा- ' सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह मा...
29/12/2021

Malegaon Blast: RSS नेता इंद्रेश कुमार ने 'तत्कालीन सरकार' पर लगाया साजिश का आरोप, कहा- ' सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह मांगें माफी'*

Malegaon Blast: कल के गवाह को मिलाकर अपने बयान से मुकरने वाला अब तक का ये 15वां गवाह है. वहीं साल 2008 में हुए मालेगांव बम धमाके मामले की सुनवाई में अब तक 220 लोगों की गवाही हो चुकी है.

RSS Accuses UPA: साल 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट (Malegaon Blast) मामले में एक नया मोड़ आया है. दरअसल इस मामले में कल कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक गवाह मुकर गया. गवाह ने कोर्ट में कहा कि उसे तत्कालीन जांच एजेंसी एटीएस द्वारा प्रताड़ित किया गया था और योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को 'झूठा फंसाने' के लिए 'मजबूर' किया गया था. वहीं अब इस मामले पर आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) ने पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी की मांग की है.कुमार ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) ने इसे आतंकवाद से जोड़ने के लिए 'भगवा' के खिलाफ साजिश रची जिसके लिए उन्हें योगी से माफी मांगनी चाहिए.

बयान से मुकरें 15 गवाह

बता दें कि कल के गवाह को मिलाकर अपने बयान से मुकरने वाला अब तक का ये 15वां गवाह है. वहीं साल 2008 में हुए मालेगांव बम धमाके मामले की सुनवाई में अब तक 220 लोगों की गवाही हो चुकी है. कल की सुनवाई से पहले अगस्त में एक गवाह लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित के खिलाफ बयान देने से मुकर गया था. मामले के आरोपियों में लोकसभा सदस्य प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं. ये सभी जमानत पर बाहर हैं.

क्या था मालेगांव में हुआ 2008 का बम धमाका?

29 सितंबर 2008 की रात करीब 9 बजकर 35 मिनट पर मालेगांव में शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी (Shakeel Goods Transport Company) के ठीक सामने एक बम धमाका हुआ था. यह धमाका LML मोटरसाइकिल में हुआ था. इस धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 101 लोग घायल हुए थे. धमाके के बाद 30 सितंबर 2008 को मालेगांव के आजाद नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज हुआ था.

चूंकि यह मामला आतंक से जुड़ा हुआ था, इसलिए महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के आदेश के बाद महाराष्ट्र ATS ने इस मामले की जांच अपने पास ली और 21 अक्टूबर 2008 को एफआईआर (FIR) में UAPA और मकोका (MCOCA) की धारा लगाई गई.

UP: गन्ना किसानों के बकाया भुगतान में लापरवाही, योगी सरकार ने कुर्क कराई चीनी मिल की 50 करोड़ की सम्पत्तिबलरामपुरउत्तर प्...
24/09/2021

UP: गन्ना किसानों के बकाया भुगतान में लापरवाही, योगी सरकार ने कुर्क कराई चीनी मिल की 50 करोड़ की सम्पत्ति

बलरामपुर
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में 2 लाख गन्ना किसान हैं। यहां पर चीनी मिलें किसानों का करोड़ों रुपए डकार कर बैठी हैं। बजाज हिंदुस्थान चीनी मिल लिमिटेड की इटई मैदा यूनिट पर अब योगी सरकार के आदेश पर जिला प्रशासन का डंडा चलना शुरू हो गया है। गुरुवार को एसडीएम उतरौला ने बजाज चीनी मिल पहुंचे और उसकी 50 करोड़ रुपये की सम्पत्ति कुर्क की।

कुल 123 करोड़ का है बकाया
उतरौला थाना क्षेत्र में स्थित बजाज चीनी मिल की भुगतान में हीलाहवाली के कारण परेशान हैं। आज चीनी मिल किसानों का 123 करोड़ रुपए डकार कर बैठी हुई है, जिसके लिए समय-समय पर नेताओं की अगुवाई में किसानों द्वारा आंदोलन भी किया जाता रहा है।

योगी सरकार ने सुनी किसानों की समस्या
गन्ना किसानों की आवाज सुनते हुए योगी सरकार ने जिला प्रशासन को किसी भी कीमत पर गन्ना किसानों को बकाया भुगतान दिलाने का आदेश दिया था। इसपर कार्रवाई करते हुए चीनी मिल को 123 करोड़ रुपये की आरसी जारी कर, भुगतान करने हेतु अंतिम अवसर दिया था। लेकिन मिल ने किसानों को कोई भुगतान नहीं किया था।

कुर्क की गई संम्पत्ति
एसडीएम उतरौला डॉ नागेंद्रनाथ यादव द्वारा गुरुवार को बजाज चीनी मिल की 50 करोड़ रुपए कीमत की संपत्ति कुर्क की गई। इस कुर्क की गई सम्पत्ति में 94 हजार कुंतल चीनी, 3 कंटेनर सीरा और चीनी मिल की भूमि शामिल है।

आगे भी जारी रहेगी कार्रवाई
पूरे मामले पर उतरौला एसडीएम डॉ नागेंद्र नाथ यादव ने बताया कि जिलाधिकारी के आदेश पर गुरुवार को इटईमैदा स्थित बजाज चीनी मिल की कुल 50 करोड़ रुपए की अनुमानित कीमत के संपत्ति को कुर्क किया गया है। अगर चीनी मिल शेष राशि का भुगतान नहीं करती है तो अन्य संपत्तियों की भी, इसी तरह कुर्की की जाएगी।

#किसान_नेताओं #कृषि

 #कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे  #किसान_नेताओं की बढ़ी चिंता, ये है बड़ी वजह-----------नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (...
15/09/2021

#कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे #किसान_नेताओं की बढ़ी चिंता, ये है बड़ी वजह-----------

नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान नेताओं को चिंता सताने लगी है, क्योंकि दिल्ली के टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर लगातार किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या में कमी देखने को मिल रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जब किसान आंदोलन पीक पर था उस समय दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की भीड़ थी. एक वक्त ऐसा था, जब भीड़ और तेजी से बढ़ रही थी.

#दिल्ली_बॉर्डर_पर_अब_इतनी_रह_गयी_संख्या

दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बॉर्डर (Tikri Border) पर करीब 22 हजार किसान प्रदर्शन कर रहे थे तो वहीं सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर करीब 4 महीने पहले 9 हजार किसान प्रदर्शन कर रहे थे. आज की तारीख में टिकरी बॉर्डर पर केवल 9 हजार तो वहीं सिंघु बॉर्डर पर केवल 3 हजार किसान प्रदर्शनकारी प्रदर्शन कर रहे है.

#क्यों_कम_हो_रही_किसानों_की_संख्या___?.......

प्रदर्शनकारियों की संख्या कम होने से टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर बहुत से ट्रैक्टर ट्रॉली और टेंट खाली पड़े हैं. कई तो ऐसे हैं, जिन पर ताला भी लटका हुआ है और उसमें रहने वाला कोई नहीं है. किसान वापस अपने घर जा चुके हैं, क्योंकि अब वो अपना किसानी छोड़ना नहीं चाहते हैं. वहीं अब किसानों की तादाद कम होने पर सिक्योरिटी फोर्सेस की संख्या भी कम कर दी गई है, लेकिन फिर भी फोर्स को हमेशा अलर्ट पर रखा जाता है.

ीने_से_ज्यादा_समय_से_चल_रहा_है_प्रदर्शन

नए कृषि कानूनों (New Agrucultrue Laws) के खिलाफ पिछले 9 महीने से ज्यादा समय से किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) चल रहा है और किसान दिल्ली की सीमाओं पर टिके हुए हैं. सरकार कानूनों में बदलाव के लिए तैयार है, लेकिन किसान लगातार कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. अब तक सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया है.

निद्रा से जाग जाइए, देश में पूर्ण लॉकडाउन की जरूरत... IMA ने केंद्र से की मांग--------कोरोना वायरस के कहर के बीच इंडियन ...
10/05/2021

निद्रा से जाग जाइए, देश में पूर्ण लॉकडाउन की जरूरत... IMA ने केंद्र से की मांग--------

कोरोना वायरस के कहर के बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने एक बार फिर से देश में कंप्लीट लॉकडाउन की मांग को दोहराया। आईएमए ने कहा कि देश में कोरोना के भयावह हालातों से निपटने में स्वास्थ्य मंत्रालय सुस्त है। आईएमए के पूर्ण लॉकडाउन की मांग को केंद्र ने ठंडे बस्ते में डाल दिया। देश में पूर्ण लॉकडाउन लगाने की जरूरत है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने शनिवार को कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को 'जग जाना' चाहिए और कोविड-19 महामारी से पैदा हो रही चुनौतियों से निपटने के लिए कदम उठाना चाहिए। डॉक्टरों के संगठन ने एक बयान में यह भी आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने के लिए उपयुक्त कदम नहीं उठाए।

बयान में कहा गया, 'आईएमए मांग करता है कि स्वास्थ्य मंत्रालय को निद्रा से जग जाना चाहिए और कोविड-19 महामारी के कारण बढ़ती जा रहीं चुनौतियों से निपटने के लिए कदम उठाना चाहिए। कोविड-19 महामारी की दूसरी खौफनाक लहर के कारण पैदा संकट से निपटने में स्वास्थ्य मंत्रालय की ढिलाई और अनुचित कदमों को लेकर आईएमए बिलकुल चकित है।'

आईएमए का कहना है कि कोरोना की जानलेवा दूसरी लहर से निपटने के लिए एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्रालय को देशभर में पूर्ण लॉकडाउन का सुझाव दिया था, मगर उनके प्रस्ताव को दरकिनार कर दिया गया। वह स्वास्थ्य मंत्रालय की कार्यशैली से आश्चर्यचकित हैं। आईएमए का आरोप है कि कोरोना से निपटने के लिए जो भी फैसले लिए जा रहे हैं, उनका जमीन से कोई लेना देना नहीं है।

आईएमए ने अपने पत्र में लिखा है कि वह पिछले 20 दिन से केंद्र सरकार से योजनाबद्ध तरीके से देशभर में पूर्णलॉकडाउन लगाने की मांग कर रही है, लेकिन उनके सुझावों पर सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। आईएमए ने कहा कि राज्यों द्वारा अलग-अलग लॉकडाउन लगाने से कुछ नहीं होगा। रात में कर्फ्यू लगाने को कोई फायदा नहीं। जब तक कि राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन नहीं लगाया जाए।

साथ ही आईएमए ने सरकार से अनुरोध किया कि चिकित्सकों को सुविधा और समय दिया जाए, ताकि वह इस महामारी से ठीक तरीके से निपट सकें। अगर केंद्र सरकार ने उनकी सलाह मानकर पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया होता तो रोज 4 लाख मामले देखने को नहीं मिलते। बता दें कि पिछले चार दिनों से लगातार देश में चार लाख से अधिक कोरोना केस सामने आ रहे हैं।

ऑक्सीजन संकट : सुप्रीम कोर्ट ने 'मुंबई मॉडल' को सराहा, कहा- बीएमसी से बात करें केंद्र और दिल्ली सरकार*राष्ट्रीय राजधानी ...
07/05/2021

ऑक्सीजन संकट : सुप्रीम कोर्ट ने 'मुंबई मॉडल' को सराहा, कहा- बीएमसी से बात करें केंद्र और दिल्ली सरकार*

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चल रही ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। हालांकि बुधवार को कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए बृहन्मुंबई महानगरपालिका के मॉडल की तारीफ की है। कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को बीएमसी से इस संबंध में बात करने की सलाह दी। कोर्ट ने कहा कि बीएमसी से बात करके आपूर्ति प्रबंधन सीखा जा सकता है।

मुंबई में कोविड-19 के मरीजों को ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने के महाराष्ट्र के प्रयास की बुधवार को तारीफ करते हुए उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र तथा दिल्ली सरकारों से कहा कि वे बीएमसी से इस संबंध में बात करके आपूर्ति प्रबंधन सीखें।

शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई अवमानना की कार्रवाई के नोटिस पर रोक लगाने की अपील पर सुनवाई और फिर अपने आदेश में इस बारे में टिप्पणियां कीं।

गौरतलब है कि अदालत ने केंद्र सरकार को दिल्ली में कोविड मरीजों के लिए 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति का आदेश दिया था और इसका पालन नहीं होने पर अवमानना की कार्रवाई शुरू करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। हालांकि कोर्ट ने अवमानना की कार्रवाई पर रोक लगा दी।

न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील पर संज्ञान लिया कि मुंबई में उपचाराधीन मरीजों की संख्या 92,000 के पार होने के बावजूद शहर महज 275 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के साथ काम कर रहा है।

मेहता ने कहा कि मैं मुंबई मॉडल की तारीफ करता हूं। यह कोई राजनीतिक मॉडल नहीं है। केंद्र या राज्य का खातिर नहीं, अदालत का अधिकारी होने के नाते हमें समाधान खोजने की जरूरत है। लोग यहां-वहां नहीं भटक सकते। यह दिल्ली के प्रयासों को कमतर करने की कोशिश नहीं है।

पीठ ने कहा कि रोजाना तमाम सूचनाएं आ रही हैं। बृहन्मुंबई महानगरपालिका बहुत अच्छा काम कर रही है, हम दिल्ली का भी अपमान नहीं कर रहे। वह क्या कर रहे हैं, कैसे काम चला रहे हैं। हम उनसे सीख सकते हैं। मैं यह भी समझता हूं कि महाराष्ट्र ऑक्सीजन का उत्पादन करता है, जो दिल्ली नहीं कर सकता।

पीठ ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और प्रधान स्वास्थ्य सचिव, केंद्र सरकार के अधिकारियों से कहा कि वे ऑक्सीजन आपूर्ति के मॉडल को लेकर बीएमसी के आयुक्त से बात करें। पीठ ने कहा कि अगर इतनी ज्यादा आबादी वाले शहर मुंबई में ऐसा किया जा सकता है, तो ऐसा दिल्ली में भी किया जा सकता है।

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