Asha Chauhan Official

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एक पिता ने अपनी बेटी की सगाई करवाई, लड़का बड़े अच्छे घर से था तो पिता बहुत खुश हुए। लड़के ओर लड़के के माता पिता का स्वभा...
16/01/2025

एक पिता ने अपनी बेटी की सगाई करवाई, लड़का बड़े अच्छे घर से था तो पिता बहुत खुश हुए।
लड़के ओर लड़के के माता पिता का स्वभाव बड़ा अच्छा था..तो पिता के सिर से बड़ा बोझ उतर गया।
एक दिन शादी से पहले लड़के वालो ने लड़की के पिता को खाने पर बुलाया।

पिता की तबीयत ठीक नहीं थी, फिर भी वह ना नही कह सके।
लड़के वालो ने बड़े ही आदर सत्कार से उनका स्वागत किया, फ़िर लडकी के पिता के लिए चाय आई..
शुगर कि वजह से लडकी के पिता को चीनी वाली चाय से दुर रहने को कहा गया था।
लेकिन लड़की के होने वाली ससुराल घर में थे तो चुप रह कर चाय हाथ में ले ली।*
चाय कि पहली चुस्की लेते ही वो चोक से गये,चाय में चीनी बिल्कुल ही नहीं थी..और इलायची भी डली हुई थी।

वो सोच मे पड़ गये कि ये लोग भी हमारी जैसी ही चाय पीते हैं।

दोपहर में खाना खाया वो भी बिल्कुल उनके घर जैसा,दोपहर में आराम करने के लिए दो तकिये पतली चादर।उठते ही सोंफ का पानी पीने को दिया गया।
वहाँ से विदा लेते समय उनसे रहा नहीं गया तो पुछ बैठे - मुझे क्या खाना है, क्या पीना है, मेरी सेहत के लिए क्या अच्छा है ?
ये परफेक्टली आपको कैसे पता है ?
तो बेटी कि सास ने धीरे से कहा कि कल रात को ही आपकी बेटी का फ़ोन आ गया था और उसने कहा कि मेरे पापा स्वभाव से बड़े सरल हैं बोलेंगे कुछ नहीं, प्लीज अगर हो सके तो आप उनका ध्यान रखियेगा।
पिता की आंखों मे वहीँ पानी आ गया था।
लड़की के पिता जब अपने घर पहुँचे तो घर के हाल में लगी अपनी स्वर्गवासी माँ के फोटो से हार निकाल दिया।
जब पत्नी ने पूछा कि ये क्या कर रहे हो ? ?
तो लडकी का पिता बोले - मेरा ध्यान रखने वाली मेरी माँ इस घर से कहीं नहीं गयी है, बल्कि वो तो मेरी बेटी के रुप में इस घर में ही रहती है और फिर पिता की आंखों से आंसू झलक गये ओर वो फफक कर रो पड़े।
दुनिया में सब कहते हैं ना !
कि बेटी है, पराई अमानत है
एक दिन इस घर को छोड़कर चली जायेगी।
बेटी भले ही अपने माँ-बाप के घर से विदा हो जाती है मगर वो उनके दिल से जुदा नहीं हो पाती हैं..सदा उन के दिलों में रहती है 🌹🙏

ेटी_मेरी

रमेश का घर ऐसे इलाके में था जहां हमेशा ही बिजली रहती थी. इसी इलाके में राजनीति से जुड़े बड़ेबड़े नेताओं के घर जो थे. पिछ...
16/01/2025

रमेश का घर ऐसे इलाके में था जहां हमेशा ही बिजली रहती थी. इसी इलाके में राजनीति से जुड़े बड़ेबड़े नेताओं के घर जो थे. पिछले 20 सालों से रमेश अपने इसी फ्लैट में रह रहा है. 15 वर्ष मातापिता साथ थे और अब 5 वर्षों से वह अपनी पत्नी नीना के साथ था. उन का फ्लैट बड़ा था और साथ ही 1 हजार फुट का खुला क्षेत्र भी उन के पास था.

7वीं मंजिल पर उन के पास इतनी खुली जगह थी कि लोग ईर्ष्या कर उठते थे कि उन के पास इतनी ज्यादा जगह है.

रमेश के पिता का बचपन गांव में बीता था और उन्हें खुली जगह बहुत अच्छी लगती थी. रिटायर होने से पहले उन्होंने इसी फ्लैट को चुना था, क्योंकि इस में उन के हिस्से इतना बड़ा खुला क्षेत्र भी था. दोस्तों और रिश्तेदारों ने उन्हें समझाया था कि इस उम्र में 7वीं मंजिल पर घर लेना ठीक नहीं है. यदि कहीं लिफ्ट खराब हो गई तो बुढ़ापे में क्या करोगे पर उन्होंने किसी की भी नहीं सुनी थी और 1 लाख रुपए अधिक दे कर यह फ्लैट खरीद लिया था.

पत्नी ने भी शिकायत की थी कि अब बुढ़ापे में इतनी बड़ी जगह की सफाई करना उन के बस की बात नहीं है. नौकरानियां तो उस जगह को देख कर ही सीधेसीधे 100 रुपए पगार बढ़ा देतीं. पर गोपाल प्रसाद बहुत प्रसन्न रहते. उन की सुबह और शामें उसी खुली छत पर बीततीं. सुबह का सूर्योदय, शाम का पहला तारा, पूर्णिमा का पूरा चांद, अमावस्या की घनेरी रात और बरसात की रिमझिम फुहारें उन्हें रोमांचित कर जातीं.

उस छत पर उन्होंने एक छोटा सा बगीचा भी बना लिया था. उन के पास 50 के करीब गमले थे, जिस में तुलसी, पुदीना, हरी मिर्च, टमाटर, रजनीगंधा, बेला, गुलाब और गेंदा आदि सभी तरह के पौधे लगा रखे थे. हर पेड़पौधे से उन की दोस्ती थी. जब वह उन को पानी देते तो उन से मन ही मन बातें भी करते जाते थे. यदि किसी पौधे को मुरझाया हुआ देखते तो बड़े प्यार से उसे सहलाते और दूसरे दिन ही वह पौधा लहलहा उठता था. वह जानते थे कि प्यार की भाषा को सब जानते हैं.

मातापिता के गुजर जाने के बाद से घर की वह छत उपेक्षित हो गई थी. रमेश और नीना दोनों ही नौकरी करते थे. सुबह घर से निकलते तो रात को ही घर लौटते. ऐसे में उन के पास समय की इतनी कमी थी कि उन्होंने कभी छत वाला दरवाजा भी नहीं खोला. गमलों के पेड़पौधे सभी समाप्त हो चुके थे. साल में एक बार ही छत की ठीक से सफाई होती. उन का जीवन तो ड्राइंगरूम तक ही सिमट चुका था. छुट्टी वाले दिन यदि यारदोस्त आते तो बस, ड्राइंगरूम तक ही सीमित रहते. छत वाले दरवाजे पर भी इतना मोटा परदा लटका दिया था कि किसी को भी पता नहीं चलता कि इस परदे के पीछे कितनी खुली जगह है.

नीना भी पूरी तरह से शहरी माहौल में पली थी, इसलिए उसे कभी इस बात का एहसास ही नहीं हुआ कि उस के ससुर उन के लिए कितना अमूल्य खजाना छोड़ गए हैं. काम की व्यस्तता में दोनों ने परिवार को बढ़ाने की बात भी नहीं सोची थी पर अब जब रमेश को 40वां साल लगा और उसे अपने बालों में सफेदी झलकती दिखाई देने लगी तो उस ने इस ओर ध्यान देना शुरू किया. अब नीना भी उस से सहमत थी, पर अब वक्त उन का साथ नहीं दे रहा था. नीना को गर्भ ठहर ही नहीं रहा था. डाक्टरों के भी दोनों ने बहुत चक्कर लगा लिए. काफी दवाएं खाईं. डी.एम.सी. कराई. स्पर्म काउंट कराया. काम के टेंशन के साथ अब एक नया टेंशन और जुड़ गया था. दोनों की मेडिकल रिपोर्ट ठीक थी फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिल रही थी. अब उन के डाक्टरों की एक ही सलाह थी कि आप दोनों तनाव में रहना छोड़ दें. आप दोनों के दिमाग में बच्चे की बात को ले कर जो तनाव चल रहा है वह भी एक मुख्य कारण हो सकता है आप की इच्छा पूरी न होने का.

इस मानसिक तनाव को दूर कैसे किया जाए? इस सवाल पर सब ओर से सलाह आती कि मशीनी जिंदगी से बाहर निकल कर प्रकृति की ओर जाओ. अपनी रोजमर्रा की पाबंदियों से निकल कर मुक्त सांस लेना सीखो. कुछ व्यायाम करो, प्रकृति के नजदीक जाओ आदि. लोगों की सलाह सुन कर भी उन दोनों की समझ में नहीं आता था कि इन पर अमल कैसे किया जाए.

इसी तरह की तनाव भरी जिंदगी में वह रात उन के लिए एक नया संदेश ले कर आई. हुआ यों कि रात को 1 बजे अचानक ही बिजली चली गई. ऐसा पहली बार हुआ था. ऐसी स्थिति से निबटने के लिए वे दोनों पतिपत्नी तैयार नहीं थे, अब बिना ए.सी. और पंखे के बंद कमरे में दोनों का दम घुटने लगा. रमेश उठा और अपने मोबाइल फोन की रोशनी के सहारे छत के दरवाजे के ताले की चाबी ढूंढ़ी और दरवाजा खोला. छत पर आते ही जैसे सबकुछ बदल गया.

खुली छत पर मंदमंद हवा के बीच चांदनी छिटकी हुई थी. आधा चंद्रमा आकाश के बीचोंबीच मुसकरा रहा था. रमेश अपनी दरी बिछा कर सो गया. उस ने अपनी खुली आंखों से आकाश को, चांद को और तारों को निहारा. आज 20-25 वर्षों बाद वह ऐसे खुले आकाश के नीचे लेटा था. वह तो यह भी भूल चुका था कि छिटकी हुई चांदनी में आकाश और धरती कैसे नजर आते हैं.

बिजली जाने के कारण ए.सी. और पंखों की आवाज भी बंद थी. चारों ओर खामोशी छाई हुई थी. उसे अपनी सांस भी सुनाई देने लगी थी. अपनी सांस की आवाज सुननेके लिए ही वह आतुर हो उठा. रमेश को लगा, जिन सांसों के कारण वह जीवित है उन्हीं सांसों से वह कितना अपरिचित है. इन्हीं विचारों में भटकतेभटकते उसे लगा कि शायद इसे ही ध्यान लगाना कहते हैं.

उस के अंदर आनंद का इतना विस्तार हो उठा कि उस ने नीना को पुकारा. नीना अनमने मन से बाहर आई और रमेश के साथ उसी दरी पर लेट गई. रमेश ने उस का ध्यान प्रकृति की इस सुंदरता की ओर खींचा. नीना तो आज तक खुले आकाश के नीचे लेटी ही नहीं थी. वह तो यह भी नहीं जानती थी कि चांदनी इतनी धवल भी होती है और आकाश इतना विशाल. अपने फ्लैट की खिड़की से जितना आकाश उसे नजर आता था बस, उसी परिधि से वह परिचित थी.

रात के सन्नाटे में नीना ने भी अपनी सांसों की आवाज को सुना, अपने दिल की धड़कन को सुना, बरसती शबनम को महसूस किया और रमेश के शांत चित्त वाले बदन को महसूस किया. उस ने महसूस किया कि तनाव वाले शरीर का स्पर्श कैसा अजीब होता है और शांत चित्त वाले शरीर का स्पंदन कैसा कोमल होता है. दोनों को मानो अनायास ही तनाव से छुटकारा पाने का मंत्र हाथ लग गया.

वह रात दोनों ने आंखों ही आंखों में बिताई. रमेश ने मन ही मन अपने पिता को इस अनमोल खजाने के लिए धन्यवाद दिया. आज पिता के साथ गुजारी वे सारी रातें उसे याद हो आईं जब वह गांव में अपने पिता के साथ लेट कर सुंदरता का आनंद लेता था. पिता और दादा उसे तारों की भी जानकारी देते जाते थे कि उत्तर में वह ध्रुवतारा है और वे सप्तऋषि हैं और यह तारा जब चांद के पास होता है तो सुबह के 3 बजते हैं और भोर का तारा 4 बजे नजर आता है. आज उस ने फिर से वर्षों बाद न केवल खुद भोर का तारा देखा बल्कि पत्नी नीना को भी दिखाया.

प्रकृति का आनंद लेतेलेते कब उन की आंख लगी वे नहीं जान पाए पर सुबह सूर्यदेव की लालिमा ने उन्हें जगा दिया था. 1 घंटे की नींद ले कर ही वे ऐसे तरोताजा हो कर उठे मानो उन में नए प्राण आ गए हों.

अब तो तनावमुक्त होने की कुंजी उन के हाथ लग गई. उसी दिन उन्होंने छत को धोपोंछ कर नया जैसा बना दिया. गमलों को फिर से ठीक किया और उन में नएनए पौधे रोप दिए. बेला का एक बड़ा सा पौधा लगा दिया. रमेश तो अपने अतीत से ऐसा जुड़ा कि आफिस से 15 दिन की छुट्टी ले बैठा. अब उन की हर रात छत पर बीतने लगी. जब अमावस्या आई और रात का अंधेरा गहरा गया, उस रात को असंख्य टिमटिमाते तारों के प्रकाश में उस का मनमयूर नाच उठा.

धीरेधीरे नीना भी प्रकृति की इस छटा से परिचित हो चुकी थी और वह भी उन का आनंद उठाने लगी थी. उस ने भी आफिस से छुट्टी ले ली थी. दोनों पतिपत्नी मानो एक नया जीवन पा गए थे. बिना एक भी शब्द बोले दोनों प्रकृति के आनंद में डूबे रहते. आफिस से छुट्टी लेने के कारण अब समय की भी कोई पाबंदी उन पर नहीं थी.

सुबह साढ़े 4 बजे ही पक्षियों का कलरव सुन कर उन की नींद खुल जाती. भोर के टिमटिमाते तारों को वे खुली आंखों से विदा करते और सूर्य की अरुण लालिमा का स्वागत करते. भोर के मदमस्त आलम में व्यायाम करते. उन के जीवन में एक नई चेतना भर गई थी.

छत के पक्के फर्श पर सोने से दोनों की पीठ का दर्द भी गायब हो चुका था अन्यथा दिन भर कंप्यूटर पर बैठ कर और रात को मुलायम गद्दों पर सोने से दोनों की पीठ में दर्द की शिकायत रहने लगी थी. अनायास ही शरीर को स्वस्थ रखने का गुर भी वे सीख गए थे.

ऐसी ही एक चांदनी रात की दूधिया चांदनी में जब उन के द्वारा रोपे गए बेला के फूल अपनी मादक गंध बिखेर रहे थे, उन दोनों के शरीर के जलतत्त्व ने ऊंची छलांग मारी और एक अनोखी मस्ती के बाद उन के शरीरों का उफान शांत हो गया तो दोनों नींद के गहरे आगोश में खो गए थे. सुबह जब वे उठे तो एक अजीब सा नशा दोनों पर छाया हुआ था. उस आनंद को वे केवल अनुभव कर सकते थे, शब्दों में उस का वर्णन हो ही नहीं सकता था.

अब उन की छुट्टियां खत्म हो गई थीं और उन्होंने अपनेअपने आफिस जाना शुरू कर दिया था. फिर से वही दिनचर्या शुरू हो गई थी पर अब आफिस से आने के बाद वे खुली छत पर टहलने जरूर जाते थे. दिन हफ्तों के बाद महीनों में बीते तो नीना ने उबकाइयां लेनी शुरू कर दीं. रमेश पत्नी को ले कर फौरन डाक्टर के पास दौड़े. परीक्षण हुआ. परिणाम जान कर वे पुलकित हो उठे थे. घर जा कर उसी खुली छत पर बैठ कर दोनों ने मन ही मन अपने पिता को धन्यवाद दिया था.

पिता की दी हुई छत ने उन्हें आज वह प्रसाद दिया था जिसे पाने के लिए वह वर्षों से तड़प रहे थे. यही छत उन्हें प्रकृति के निकट ले आई थी. इसी छत ने उन्हें तनावमुक्त होना सिखाया था. इसी छत ने उन्हें स्वयं से, अपनी सांसों से परिचित करवाया था. वह छत जैसे उन की कर्मस्थली बन गई थी. रमेश ने मन ही मन सोचा कि यदि बेटी होगी तो वह उस का नाम बेला रखेगा और नीना ने मन ही मन सोचा कि अगर बेटा हुआ तो उस का नाम अंबर रखेगी, क्योंकि खुली छत पर अंबर के नीचे उसे यह उपहार मिला था.

16/01/2025
Good morning 🌄🌞
16/01/2025

Good morning 🌄🌞

🙏🌺जय श्री राम 🙏 🌺जय सनातन धर्म 🙏🚩
16/01/2025

🙏🌺जय श्री राम 🙏 🌺जय सनातन धर्म 🙏🚩

16/01/2025

ये समझिए कि हमारे पूर्वज कितने बड़े वैज्ञानिक थे।सोने के लिए खाट हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज है।क्या हमारे पूर्वज लक...
16/01/2025

ये समझिए कि हमारे पूर्वज कितने बड़े वैज्ञानिक थे।
सोने के लिए खाट हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज है।
क्या हमारे पूर्वज लकड़ी को चीरना नहीं जानते थे!, वे भी लकड़ी चीरकर उसकी पट्टियाँ बनाकर डबल बेड बना सकते थे।
डबल बेड बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं था।
लकड़ी की पट्टियों में कीलें ही ठोंकनी होती हैं चारपाई भी भले कोई सायंस नहीं है , लेकिन एक समझदारी है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके चारपाई बनाना एक कला है उसे रस्सी से बुनना पड़ता है और उसमें दिमाग और श्रम लगता है।
जब हम सोते हैं , तब सिर और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है, क्योंकि रात हो या दोपहर में लोग अक्सर खाने के बाद ही सोते हैं। पेट को पाचनक्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है। इसलिए सोते समय चारपाई की जोली ही इस स्वास्थ का लाभ पहुंचा सकती है।
दुनिया में जितनी भी आराम कुर्सियां देख लें, सभी में चारपाई की तरह जोली बनाई जाती है बच्चों का पुराना पालना सिर्फ कपडे की जोली का था। लकडी का सपाट बनाकर उसे भी बिगाड़ दिया गया,चारपाई पर सोने से कमर और पीठ का दर्द का दर्द कभी नही होता है दर्द होने पर चारपाई पर सोने की सलाह दी जाती है।
डबलबेड के नीचे अंधेरा होता है, उसमें रोग के कीटाणु पनपते हैं, वजन में भारी होता है तो रोज-रोज सफाई नहीं हो सकती। चारपाई को रोज सुबह खड़ा कर दिया जाता है और सफाई भी हो जाती है, सूरज का प्रकाश बहुत बढ़िया कीटनाशक है खाट को धूप में रखने से खटमल इत्यादि भी नहीं लगते हैं।
अगर किसी को डॉक्टर Bed Rest लिख देता है तो दो तीन दिन में उसको English Bed पर लेटने से Bed -Soar शुरू हो जाता है। भारतीय चारपाई ऐसे मरीजों के बहुत काम की होती है चारपाई पर Bed Soar नहीं होता क्योकि इसमें से हवा आर पार होती रहती है।
गर्मियों में Bed मोटे गद्दे के कारण गर्म हो जाता है इसलिए AC की अधिक जरुरत पड़ती है जबकि सनातन चारपाई पर नीचे से हवा लगने के कारण गर्मी बहुत कम लगती है।
बान की चारपाई पर सोने से सारी रात Automatically सारे शारीर का Acupressure होता रहता है।
हमारी देशी ‘चारपाई’ की उपयोगिता और गुण के समझते हुए अमेरिकी कंपनीयां विदेश में 1 लाख रुपये से ज्यादा में इसे बेच रही पर हम इसके गुणों को अनदेखा कर बेड पर लेट कर हज़ारों बीमारियाँ ले रहे और अपनी ही किफ़ायती गुणकारी चीज़ों विदेशों में जाकर उनके मनचाहे पे अपनी देशी चीजें ख़रीद रहे!

महेश बाबू की 11 वर्षीय बेटी, सितारा, ने अपनी अनोखी सोच और अद्भुत प्रतिभा से सभी का दिल जीत लिया है। हाल ही में, उन्होंने...
15/01/2025

महेश बाबू की 11 वर्षीय बेटी, सितारा, ने अपनी अनोखी सोच और अद्भुत प्रतिभा से सभी का दिल जीत लिया है। हाल ही में, उन्होंने एक विज्ञापन के लिए 1 करोड़ रुपये की भारी भरकम फीस प्राप्त की। लेकिन जो बात उन्हें सबसे खास बनाती है, वह है इस पूरी धनराशि को चैरिटी में दान करने का उनका नेक फैसला। यह न केवल उनकी उदारता को दर्शाता है, बल्कि उनके माता-पिता महेश बाबू और नम्रता शिरोडकर द्वारा दिए गए बेहतरीन संस्कारों का भी प्रमाण है।

इतनी कम उम्र में सितारा ने जिस परिपक्वता और संवेदनशीलता का परिचय दिया है, वह वाकई प्रेरणादायक है। उनका यह कदम हमें सिखाता है कि अपनी उपलब्धियों का उपयोग समाज और दूसरों की भलाई के लिए कैसे किया जा सकता है। यह केवल एक दान नहीं, बल्कि एक संदेश है कि असली संपत्ति वही है, जो दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के काम आए।

महेश बाबू और नम्रता शिरोडकर के लिए यह गर्व का पल है कि उनकी बेटी ने इतनी छोटी उम्र में समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझा और इसे निभाने का प्रयास किया। सितारा का यह कार्य आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके इस नेक कदम को सलाम! 🌟👏

Today's Best Photo ❤️🥰🌹☘️ 𝐓𝐫𝐚𝐯𝐞𝐥 𝐏𝐥𝐚𝐧: 𝐊𝐚𝐭𝐡𝐦𝐚𝐧𝐝𝐮 𝐭𝐨 𝐋𝐮𝐦𝐛𝐢𝐧𝐢 𝐚𝐧𝐝 𝐂𝐡𝐢𝐭𝐰𝐚𝐧𝐃𝐚𝐲 𝟏: 𝐊𝐚𝐭𝐡𝐦𝐚𝐧𝐝𝐮 𝐭𝐨 𝐋𝐮𝐦𝐛𝐢𝐧𝐢* Depart early in the ...
15/01/2025

Today's Best Photo ❤️🥰🌹☘️
𝐓𝐫𝐚𝐯𝐞𝐥 𝐏𝐥𝐚𝐧: 𝐊𝐚𝐭𝐡𝐦𝐚𝐧𝐝𝐮 𝐭𝐨 𝐋𝐮𝐦𝐛𝐢𝐧𝐢 𝐚𝐧𝐝 𝐂𝐡𝐢𝐭𝐰𝐚𝐧
𝐃𝐚𝐲 𝟏: 𝐊𝐚𝐭𝐡𝐦𝐚𝐧𝐝𝐮 𝐭𝐨 𝐋𝐮𝐦𝐛𝐢𝐧𝐢
* Depart early in the morning from your location via the Prithvi Highway.
* Have lunch on the way.
* Visit Lumbini, the birthplace of Lord Buddha.
* Explore the Lumbini Garden and the Mayadevi Temple.
* Stay at Lumbini.
* Have dinner at the hotel.
𝐃𝐚𝐲 𝟐: 𝐋𝐮𝐦𝐛𝐢𝐧𝐢 𝐭𝐨 𝐁𝐡𝐚𝐫𝐚𝐭𝐩𝐮𝐫
* Have an early morning breakfast at the hotel and head towards Bharatpur.
* Enjoy the scenic journey.
* Explore Bharatpur and visit the Narayani River.
* Have lunch on the way.
* Stay at Bharatpur.
* Have dinner at the hotel.
𝐃𝐚𝐲 𝟑: 𝐂𝐡𝐢𝐭𝐰𝐚𝐧 𝐍𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧𝐚𝐥 𝐏𝐚𝐫𝐤
* After breakfast, head to Chitwan National Park.
* Enjoy a jungle safari and elephant ride.
* Visit the Elephant Breeding Center.
* Have lunch inside the park.
* Return to the hotel in the evening.
* Have dinner at the hotel.
* Stay at the hotel.
𝐃𝐚𝐲 𝟒: 𝐁𝐡𝐚𝐫𝐚𝐭𝐩𝐮𝐫 𝐭𝐨 𝐁𝐚𝐧𝐝𝐢𝐩𝐮𝐫
* Have an early morning breakfast at the hotel.
* Head towards Bandipur.
* Have lunch on the way.
* Explore Bandipur, visit Siddha Gufa (cave), and enjoy the local culture.
* Stay at Bandipur.
* Have dinner at the hotel.
𝐃𝐚𝐲 𝟓: 𝐁𝐚𝐧𝐝𝐢𝐩𝐮𝐫 𝐭𝐨 𝐊𝐚𝐭𝐡𝐦𝐚𝐧𝐝𝐮
* Have breakfast at the hotel.
* Head back to Kathmandu.
* Have lunch on the way.
* Reach Kathmandu by evening.
𝐏𝐚𝐜𝐤𝐚𝐠𝐞 𝐈𝐧𝐜𝐥𝐮𝐝𝐞𝐬:
✅ Lunch
✅ Dinner
𝐏𝐥𝐞𝐚𝐬𝐞 𝐩𝐫𝐨𝐯𝐢𝐝𝐞 𝐭𝐡𝐞 𝐨𝐩𝐩𝐨𝐫𝐭𝐮𝐧𝐢𝐭𝐲 𝐭𝐨 𝐬𝐞𝐫𝐯𝐞, 𝐘𝐨𝐮𝐫 𝐒𝐚𝐭𝐢𝐬𝐟𝐚𝐜𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐢𝐬 𝐨𝐮𝐫 𝐀𝐜𝐡𝐢𝐞𝐯𝐞𝐦𝐞𝐧𝐭

आपके हिसाब से कौन सा शब्द सही रहेगा..??
15/01/2025

आपके हिसाब से कौन सा शब्द सही रहेगा..??

एकमात्र ऐसा उपन्यास जिसे बचपन से अब तक सैंकड़ों बार पूरा पढ़ चुकी ।आज भी सुबह ग्यारह बजे उठाया अभी पूरा कर लिया।अंत में ...
15/01/2025

एकमात्र ऐसा उपन्यास जिसे बचपन से अब तक सैंकड़ों बार पूरा पढ़ चुकी ।आज भी सुबह ग्यारह बजे उठाया अभी पूरा कर लिया।
अंत में होरी का मरना हर बार उतना ही रुलाता है जितना पहली बार पढ़ने पर रुलाया था ।
होरी जब आखिरी बार कहता है -कहा -सुना माफ करना धनिया ! अब जाता हूं ! गाय की लालसा मन में ही रह गयी।अब तो यहां के रुपए क्रिया कर्म में जायेंगे।
कितना मार्मिक है ये वक्तव्य।
इन चार लाइनों में बस होरी नहीं हर आदमी की नियति कह दी गई है।हम सब का अंत किसी अधूरी लालसा के साथ हो जाना है ।
भले ही होरी जैसी निर्धनता ना हो लेकिन मानव जीवन की त्रासदी है कि इतनी संपन्नता कभी नहीं आ पाती जिससे जीवन के अंत में कोई लालसा शेष ना बचे। कुछ ना कुछ छूट जाता है जो पाया ना जा सका ।

स्त्री की परीक्षा
15/01/2025

स्त्री की परीक्षा

इस दरवाजे बनाने वाले मिस्री की कला को सलाम है। इसमें लगता है कि कोई स्त्री दरवाजा खोल रही है। जबकि यह दरवाजा बंद है। इसक...
15/01/2025

इस दरवाजे बनाने वाले मिस्री की कला को सलाम है। इसमें लगता है कि कोई स्त्री दरवाजा खोल रही है। जबकि यह दरवाजा बंद है। इसको इस तरीके से मिस्री ने बनाया है कि घर पर कोई महिला आपका इंतजार करती है। वो आपकी माँ , बीवी या बेटी हो सकती हैं। इसलिए जीवन के मूल्य को समझें।

माता पिता 🙏
15/01/2025

माता पिता 🙏

 #एप्पल फोन के पीछे दीवाने लोग शायद ये नहीं जानते कि उस कंपनी के मालिक की पत्नी  #लॉरेन पॉवेल इस महीने भारत पहुंच चुकी ह...
15/01/2025

#एप्पल फोन के पीछे दीवाने लोग शायद ये नहीं जानते कि उस कंपनी के मालिक की पत्नी #लॉरेन पॉवेल इस महीने भारत पहुंच चुकी हैं। वो भी किसी बिज़नेस डील या फाइव-स्टार वेकेशन के लिए नहीं, बल्कि #प्रयागराज कुंभ मेले में!

जी हां, दुनिया की सबसे अमीर महिलाओं में से एक, लॉरेन, 17 दिनों तक संन्यासी का जीवन जिएंगी और उपवास करेंगी। जिस एप्पल स्टोर के बाहर घंटों लाइन में खड़े रहकर आप फोन खरीदते हैं, उसी की मालिक की बीवी गंगा किनारे आध्यात्मिक शांति की तलाश में हैं।

अब सवाल ये है कि वो लोग जो एप्पल के लिए अपनी किडनी बेचने को तैयार रहते हैं, सोशल मीडिया पर अंधविश्वास और विज्ञान पर ज्ञान देते नहीं थकते, इसको क्या कहेंगे?

#जब अमीर लोग आध्यात्मिकता को अपनाएं तो ये 'आत्मा की खोज' बन जाती है, और जब गरीब वही करें तो 'अंधविश्वास'?

जरा सोचिए, लॉरेन पॉवेल से सीखने का वक्त आ गया है!

"इसे शेयर कीजिए, ताकि लोग समझ सकें कि #आध्यात्म केवल ज्ञानियों का विषय नहीं, बल्कि हर इंसान की ज़रूरत है।"

अपने मां बाप के साथ बैठो, उनसे बातें करो, एक दिन वे खुद-ब-खुद खामोश हो जाएंगे। उन्हें आजाद छोड़ दो, खर्च करने दो, अपनी म...
15/01/2025

अपने मां बाप के साथ बैठो, उनसे बातें करो, एक दिन वे खुद-ब-खुद खामोश हो जाएंगे। उन्हें आजाद छोड़ दो, खर्च करने दो, अपनी मर्जी से जीने दो, एक दिन वे तुम्हारे लिए सब कुछ छोड़ जाएंगे।
उन्हें बार-बार न टोको, जब वो खामोश हो जाएंगे तुम उनकी आवाज सुनने के लिए तरस जाओगे, जितना हो सके उनकी दुआएं लो, उनकी खिदमत करो उनसे अपने लिए दुआएं करवाओ उनसे माफी मांगों, जब वो चले जाएंगे फिर तुम्हारे माफी मांगने का कोई फायदा नहीं होगा।
उनके साथ बैठो उनके साथ खाना खाओ, एक दिन वो भी आएगा कि वो खाने के लिए भी नहीं आएंगे।😢

और तुम दरवाजे पर बैठ कर उनको याद करके रोने लगोगे 🥺

Ten Unknown Facts About  1. Founding and History: BMW, Bayerische Motoren Werke AG, was founded in 1916 in Munich, Germa...
14/01/2025

Ten Unknown Facts About

1. Founding and History: BMW, Bayerische Motoren Werke AG, was founded in 1916 in Munich, Germany, initially producing aircraft engines. The company transitioned to motorcycle production in the 1920s and eventually to automobiles in the 1930s.

2. Iconic Logo: The BMW logo, often referred to as the "roundel," consists of a black ring intersecting with four quadrants of blue and white. It represents the company's origins in aviation, with the blue and white symbolizing a spinning propeller against a clear blue sky.

3. Innovation in Technology: BMW is renowned for its innovations in automotive technology. It introduced the world's first electric car, the BMW i3, in 2013, and has been a leader in developing advanced driving assistance systems (ADAS) and hybrid powertrains.

4. Performance and Motorsport Heritage: BMW has a strong heritage in motorsport, particularly in touring car and Formula 1 racing. The brand's M division produces high-performance variants of their regular models, known for their precision engineering and exhilarating driving dynamics.

5. Global Presence: BMW is a global automotive Company

6. Luxury and Design: BMW is synonymous with luxury and distinctive design, crafting vehicles that blend elegance with cutting-edge technology and comfort.

7. Sustainable Practices: BMW has committed to sustainability, incorporating eco-friendly materials and manufacturing processes into its vehicles, as well as advancing electric vehicle technology with models like the BMW i4 and iX.

8. Global Manufacturing: BMW operates numerous production facilities worldwide, including in Germany, the United States, China, and other countries, ensuring a global reach and localized production.

9. Brand Portfolio: In addition to its renowned BMW brand, the company also owns MINI and Rolls-Royce, catering to a diverse range of automotive tastes and luxury segments.

10. Cultural Impact: BMW's vehicles often become cultural icons, featured in fi



























मकर संक्रांति को लेकर बाजार में चुड़ा,मुरही और तील की लाई‌‌ बेचते व खरीदते लोग❤️
14/01/2025

मकर संक्रांति को लेकर बाजार में चुड़ा,मुरही और तील की लाई‌‌ बेचते व खरीदते लोग❤️

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