01/02/2022
बजट 2022 सरकार का दूसरा पेपरलेस बजट ,निर्मला सीतारमण सबसे लंबा बजट भाषण देने का रिकॉर्ड बनाया। : 🇮🇳ग्रामीण उत्तर प्रदेश 🇮🇳
🔯दरअसल, बजट 2022 सरकार का दूसरा पेपरलेस बजट होगा और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का चौथा बजट होगा। सीतारमण का हर बजट इतिहास में दर्ज में होने वाला रहा है। कभी किसी परंपरा में बदलाव के साथ उनके बजट ने इतिहास लिखा, तो कभी उन्होंने सबसे लंबा बजट भाषण देने का रिकॉर्ड बनाया। फिलहाल वह अपना चौथा बजट पेश करने जा रही हैं।
🔯देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को देश का आम बजट पेश कर रही हैं। इस बजट में मध्य वर्ग को टैक्स में कितनी राहत मिलेगी और किसानों के लिए क्या सौगात रहेगी, इस पर सभी की नजरें होंगी। इसके अलावा महिलाओं और युवाओं के लिए भी बजट में क्या प्रावधान होंगे, यह भी अहम होगा। इसी बीच बजट के इतिहास को लेकर लोगों की दिलचस्पी है, आइए जानते हैं बजट के इतिहास की दस बड़ी बातें क्या हैं।
दरअसल, बजट 2022 सरकार का दूसरा पेपरलेस बजट होगा और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का चौथा बजट होगा। सीतारमण का हर बजट इतिहास में दर्ज में होने वाला रहा है। कभी किसी परंपरा में बदलाव के साथ उनके बजट ने इतिहास लिखा, तो कभी उन्होंने सबसे लंबा बजट भाषण देने का रिकॉर्ड बनाया। फिलहाल वह अपना चौथा बजट पेश करने जा रही हैं।
1. भारत में पहला बजट 7 अप्रैल, 1860 को पेश किया गया था, जब ईस्ट इंडिया कंपनी के स्कॉटिश अर्थशास्त्री और राजनेता जेम्स विल्सन ने इसे ब्रिटिश क्राउन के सामने पेश किया था।
2. स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आर के शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था।
3. निर्मला सीतारमण के नाम 1 फरवरी, 2020 को केंद्रीय बजट 2020-21 पेश करते हुए 2 घंटे 42 मिनट तक भाषण देने का सबसे लंबा भाषण देने का रिकॉर्ड है। उस समय वे अस्वस्थ महसूस कर रही थीं।
4. अधिकतम शब्दों के लिहाज से सबसे लंबा भाषण बजट भाषण निर्मला सीतारमण का नहीं है। 1991 में नरसिम्हा राव सरकार के तहत मनमोहन सिंह ने 18,650 शब्दों में सबसे लंबा बजट भाषण दिया था। वहीं 2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली के भाषण में 18,604 शब्द थे।
5. सबसे छोटे बजट भाषण का रिकॉर्ड 1977 में तत्कालीन वित्त मंत्री हीरूभाई मुल्जीभाई पटेल ने बनाया था। इसमें सिर्फ 800 शब्द थे।
6. एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि 1999 तक केंद्रीय बजट फरवरी के आखिरी कार्य दिवस पर शाम 5 बजे पेश किया जाता था। यह ब्रिटिश काल की एक प्रथा थी जो तब तक जारी रही जब तक कि तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने समय बदलकर 11 बजे कर दिया। अरुण जेटली ने उस महीने के अंतिम कार्य दिवस का उपयोग करने की औपनिवेशिक युग की परंपरा से हटकर 2017 में 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करना शुरू किया।
7. 1955 तक केंद्रीय बजट अंग्रेजी में पेश किया जाता था। हालांकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने बाद में बजट पत्रों को हिंदी और अंग्रेजी दोनों में छापने का फैसला किया।
8. 2017 तक रेल बजट और केंद्रीय बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे। यह 92 साल की प्रथा थी। 2017 में रेल बजट को केंद्रीय बजट में मिला दिया गया और एक साथ पेश किया गया।
9. निर्मला सीतारमण 2019 में इंदिरा गांधी के बाद बजट पेश करने वाली दूसरी महिला बनीं। इंदिरा गांधी ने वित्तीय वर्ष 1970-71 के लिए बजट पेश किया था।
10. सीतारमण ने ब्रीफकेस ले जाने के की प्रक्रिया को दूर करते हुए बजट दस्तावेजों को ले जाने के लिए एक 'बही खाता' की शुरुआत की। 'बही खाता' पर राष्ट्रीय चिन्ह लगा होता है। पिछले साल से बजट पेपरलेस हो गया था, इसलिए कोई 'बही खाता' भी नहीं है। लेकिन जिस टैबलेट से सीतारमण ने अपना बजट भाषण पढ़ा, वह बही खाता जैसे लाल लिफाफे में लिपटा हुआ था।
फिलहाल इस बार भी निर्मला सीतारमण के बजट पेश करने से पहले दो परंपराएं बदल चुकी हैं। इसमें एक बजट की छपाई शुरू होने से पहले की जाने वाली 'हलवा रस्म' खत्म की जा चुकी है. इसकी जगह वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को मिठाई के डिब्बे दिए गए। वहीं देश की आर्थिक समीक्षा अब दो भाग की जगह एक ही भाग में जारी की गई है।
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