12/09/2024
क्या खूबसूरत मंज़र होगा जब दाई ए इस्लाम को बुलाया जाएगा और पूछा जाएगा किस जुर्म की सजा तुझे दुनिया में मिली थी?
दाई ए इस्लाम कहेगा मैने हक़ की तबलीग की थी तेरे कलाम और तेरे नबी ﷺ की सुन्नतों को बयान किया था तेरे नबी ﷺ की जफा काशी उनकी कुर्बानियों मसायेब व आलाम तेरे नबी ﷺ का उम्मत से तअल्लुक उनकी रहमत व राफत का ज़िक्र किया था तो तेरे ये बंदे दामने इस्लाम में चले आए थे मैं ने कोई फोर्स कोई तशद्दुद कोई दुन्यावी लालच उन्हें नहीं दिया था
मगर ऐ मेरे रब तेरे दीन में कशिश ही ऐसी थी कि ये लोग खिंचे चले आए थे
रब पूछेगा क्या तुझे कोई दुनियावी लालच थी ?
दाई कहेगा ऐ मेरे रब लालच तो होती मैं जिस मुल्क का बाशिंदा था वहां के हुक्मरान जाबिर व ज़ालिम थे उनसे किया लालच हो सकती थी बल्के हर लम्हा मेरा पांवों अंगारों पे रहता था
रब कहेगा फरिश्तो जाओ इन दाई-याने इस्लाम का जन्नत में इस्तक़बाल करो और मेरे नबी ﷺ खुद इन दाई याने इस्लाम से मुसाफा व मो-आनका करेंगे
रब्ब-ए-काबा की कसम तुम तमन्ना करोगे काश दिन केलिए और कुरबानियां दी होती....👍.