26/07/2020
#रेखाओं_द्वारा_चित्र_बनाने_की_कला 'रेखांकन'
“ रंगों और रेखाओं का अदभुत संयोजन दिखा धीरज के चित्रों में ”
26 जुलाई 2020,
अस्थाना आर्ट फोरम द्वारा ऑनलाइन वर्कशॉप , डेमोंस्ट्रेशन, वेबिनार श्रृंखला में आज तीसरे वर्कशॉप ( ड्राइंग वर्कशॉप ) का ऑनलाइन आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप के विशेषज्ञ के रूप में प्रयागराज उत्तर प्रदेश के युवा चित्रकार धीरज यादव रहे जिन्होंने अपने रेखाओं के माध्यम से रचित रचनाओं पर विस्तार से चर्चा की तथा साथ ही रेखांकन द्वारा अपने कृतियों की रचना भी की, कुछ चित्र भी दिखाए। इस वर्कशॉप में भागीदारी करने वाले सभी प्रतिभागियों ने प्रश्न भी किये जिसे बड़े ही सहज और सरल ढंग से अपने कला के माध्यम से धीरज यादव ने उत्तर दिए।
क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि इनदिनों अस्थाना आर्ट फोरम अपने क्रिएटिव वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन वर्कशॉप, डेमोंस्ट्रेशन श्रृंखला का आयोजन कर रहा है। इस श्रृंखला के अंतर्गत यह तीसरा वर्कशॉप रहा। जो रविवार, 26 जुलाई 2020 को किया गया। इस वर्कशॉप के विशेषज्ञ उत्तर प्रदेश के आर्टिस्ट धीरज यादव हैं। इन्हें ललित कला के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है। साथ ही भारत के राष्ट्रपति भवन में रेसीडेंसी कार्यक्रम भी कर चुके हैं। इनका काम रेखांकन पर आधारित है। बहुत ही प्रभावपूर्ण रेखाओं के माध्यम से कलाकृतियों का निर्माण करते हैं।
इनके चित्र रेखा प्रधान है धीरज के चित्रों का हर स्ट्रोक के बारे में कहा जा सकता है की बड़े ही गहरे सोच के साथ स्ट्रोक लगाए गए है , जो चित्रकार की भावना है और इसके पीछे एक कहानी है।इनके चित्रों में रेखाओं की कोमलता ,उसकी सुंदरता एवम रंगों में विनम्रता को देखा और महसूस किया जा सकता है इससे चित्रकार के अंदर धैर्यता ,विनम्रता और प्रेम को भी महसूस किया जा सकता है चित्रकार का कहना है की कला मेरी भावनाओं , संस्कृति , शक्ति का वर्णन है।
धीरज ने अपने कला चर्चा में कहा कि आकृतियाँ और अमूर्तन अलग नही है , वे आकृतियाँ ही अमूर्तन की ओर बढ़ती है । और एक आकृति अपने भीतर अमूर्तन भी सँजोये रखती है । इसीलिए चित्र एक विशिष्ट प्रकार का प्रभाव छोडती है । जो रेखांकनों से भिन्न होती है ।
धीरज के चित्रों में आत्मकला चिंतन,अभिलाषाएं ,चेतना का विशेष संयोजन है। चित्रों मे रंगो का भी खास प्रयोग किया है I सरलता ,सजीवता व प्रकृति का युग्म है । रेखांकनों के प्रति इतने लगाव और आकृतियो के प्रति आकर्षण के बावजूद इनके अंदर अमूर्तन के प्रति भी गहरी आसक्ति है । इसीलिए इनके कुछेक चित्र अमुर्तन भी है I इनके हिसाब से आकृतिया और अमूर्तन अलग नही है वे आकृतियों ही अमूर्तन की ओर बढ़ती है । और एक आकृति अपने भीतर अमूर्तन भी सँजोये रखती है । इसी लिए चित्र एक विशिष्ट प्रकार का प्रभाव छोडती है । जो रेखांकनों से भिन्न होती है । धीरज के चित्रों में प्रकृति से जुड़ने का गहरा सन्देश है। चित्रों में ऊर्जावान नई सोच ,प्रगति पर अग्रसर होने का प्रवाह है। एक कहानी है।तथा संस्कृति व् शक्ति के भी दर्शनभी है। कही कही पौराणिकता की भी झलक दिखलाई पड़ती है। जो प्रत्यक्ष रूप से चित्रकार से मिलती प्रतीत होती है । चित्रों के विषय एक है,रेखा प्रधान है।तथा चित्र के प्रभाव में सौम्यता ,मानवता का एहसास हो रहा है। कलाकृतियों मे जो आज हम देख पाते है I वह कहीं न कही चित्रकार के जीवन ,पारिवारिक संस्कार का विशेष योगदान है, जिसे धीरज ने इस कला यात्रा मे प्रस्तुत करने का प्रयास किया है ।
इनके रेखांकनो मे ईश्वरीय शक्तियों ,देवी ( खास तौर पर दुर्गा ) देवताओं ,पशु पक्षियों, मछलियां प्रतीकों के रूप में नज़र आती है । प्रतीको का संयोजन ही प्रतिकात्मक प्रतिको का सरल दृश्य है । इनके चित्रों के विषय ही प्रकृति और माँ है । चित्रो मे कही न कही चित्रकार ने अपने माँ की भी आकृति को रेखांकनों मे उकेरा है । प्रकृति भी एक ममत्व का रूप है। कभी यही माँ दुर्गा ,काली ,सरस्वती जैसे देवियों के रूप धारण कर के हमारी हर संभव सहायता करती है । एक संवेदना का भाव है ।
ड्राइंग वर्कशॉप में एच आर श्रीनिवसा (मैसूर), शलाका म्हगोंकार ( नासिक), माधुरी गयावाल (पुणे), आलंगबर( असम), डॉ सरिता द्विवेदी (अयोध्या), ककोली ( असम), मीता जोशी (दिल्ली), विष्णु केशरी , महेंद्र सिंह, रत्नप्रिया, शालिनी साहनी (लखनऊ), अमृतानंद (असम), ललित पन्त (दिल्ली), सौमाली देबनाथ ( बैंगलौर), रश्मि विश्वकर्मा, दीपिका यादव , अनुराग अस्थाना( प्रयागराज), जया गौर (आज़मगढ़), भारवी त्रिवेदी(गुजरात), बिनॉय पॉल (असम), विक्रांत विष( मुम्बई), अनिल बोडवाल( दिल्ली), मनीषा कुमारी (छत्तीसगढ़) से लोगों ने अपने घरों में सुरक्षित रहते हुए ऑनलाइन इस वर्कशॉप का आंनद लिया।